Manmarjiyan – 2
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कानपूर शहर , आनंद मिश्रा का घर
दादी के अंतिम संस्कार की सब तैयारियां हो चुकी थी। जैसे ही चार लोग दादी के पार्थिव शरीर को उठाकर जाने लगे मिश्राइन और भुआजी दहाड़े मारकर रोने लगी। शगुन ने भुआजी को सम्हाला और पास बैठी रौशनी की माँ मिश्राइन को सांत्वना देने लगी। परिवार के लोगो और रिश्तेदारों के साथ गुड्डू और गोलू ने भी दादी को कंधा दिया और अग्नि का मटका लेकर मिश्रा जी आगे चल पड़े। कानपूर की गलियों में सुबह सुबह “राम नाम सत्य है” का राग गूंज रहा था। अंतिम शव यात्रा में मिश्रा जी के परिवारवाले , रिश्तेदार , मोहल्ले वाले और जान पहचान के कई लोग शामिल थे।
दादी का अंतिम संस्कार कर दोपहर बाद सभी घर लौटे। मिश्रा जी ने सर मुंडवा रखा था और उनके साथ साथ गुड्डू और गोलू ने भी , सब घर के अंदर चले आये गोलू जैसे ही अंदर जाने लगा तो गुप्ता जी ने उसे रोक लिया और कहा,”जे तुमहू किस ख़ुशी में अपना सर मुंडवाए हो ?”
“गुड्डू भैया मुंडवाए तो हमहू भी मुंड़वाय लिए,,,,,,,!”, गोलू ने शांत स्वर में कहा जैसे उसे कोई फर्क ना पड़ा हो
“अरे गुड्डू की तो,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा पर अगले ही पल उन्हें अहसास हुआ कि उनकी आवाज तेज है और आस पास के लोग उन्हें ही देख रहे है तो उन्होंने थोड़ा धीमे स्वर में कहा,”अरे गुड्डू की तो दादिया खत्म हुई है इसलिए मुंडवाया पर तुम्हरा बाप तो अभी ज़िंदा है ना , तुम काहे मुंडवा लिए ?”
“गुड्डू की दादी हमरी दादी , अब हमका अंदर जाय दयो,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने अपने पिताजी को साइड किया और अंदर चला गया
“गजब्बे औलाद पैदा की है हमने हमरे जीते जी ससुरा सर मुंडवा के घूम रहा है,,,,,!!”,बड़बड़ाते हुए गुप्ता जी भी अंदर चले आये।
घरवालों और कुछ रिश्तेदारों को छोड़कर बाकी सब मिश्रा जी और उनके परिवार को इस मुश्किल घडी में धैर्य रखने का सांत्वना देकर चले गए। गुप्ता जी और उनका परिवार वही रुक गया। गुड्डू ने अपने स्टाफ के लड़को को सुबह ही घर बुला लिया ताकि वे घर में खाने पीने का बंदोबस्त देख सके। एक लड़का किचन में सबके लिए चाय बना रहा था और दुसरा लड़का बाकि सब काम देख रहा था।
मिश्रा जी अपना सर पकडे अम्मा के चले जाने के गम में आँसू बहाते जमीन पर बैठे थे। पास बैठे गोलू के पिताजी उन्हें हिम्मत रखने का कह रहे थे लेकिन माँ के चले जाने का दुःख औलाद ही समझ सकती है। मिश्राइन ने मिश्रा जी को टूटा हुआ देखा तो हाथ में पानी का गिलास लेकर उनके पास चली और उनके बगल में बैठकर गिलास उनकी तरफ बढाकर कहा,”जे पी लीजिये,,,,,,,!!”
नम आँखों के साथ मिश्रा जी ने ना में गर्दन हिला दी तो मिश्राइन ने उनके कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा,”दो घूंठ पी लीजिये , सुबह से एक निवाला तक नहीं उतरा है आपके गले से,,,,,,,,,,,,आज अम्मा अगर होती तो का वो आपको ऐसे देख पाती , हमरे लिए ना सही अम्मा के लिए दो घूंठ पी लीजिये,,,,,,,,!!”
“भाभी जी हमे दीजिये”,गुप्ता जी ने गिलास लेकर कहा और मिश्रा जी की तरफ बढाकर कहा,”मिश्रा जी ! हम सब समझ सकते है इह बख्त आप पर का गुजर रही है , पर अम्मा की जिंदगी में इतने ही पल लिखे थे और हम सबको एक ना एक दिन जे संसार छोड़कर जाना ही है। आप ऐसे दुखी रहेंगे तो आपकी अम्मा की आत्मा को शांति कैसे मिली है ? लीजिये पीजिये,,,,,,,,,,,,ए गुडडुआ एक ठो कप चाय वाय मँगवाय दयो इनके खातिर,,,,,,,!!”
मिश्रा जी बात करते हुए गुप्ता जी ने पलटकर गुड्डू को कहा तो गुड्डू ने जवाब दिया,”हाँ चचा बन रही है , हम अभी ले आते है”
कुछ ही दूर खड़े गोलू ने जब अपने पिताजी की बाते सुनी तो उसे अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ , उसने तो बस हमेशा अपने पिताजी को गुस्से में ही देखा था। वह धीरे से बड़बड़ाया,”वाह पिताजी का बात है , तुम्हारा जे रूप तो कबो ना देखे है हम , ददिया के जाने से जे तो नसीब हुआ”
गोलू अभी बड़बड़ा रहा था कि लड़का चाय की ट्रे लेकर उसके सामने से गुजरा। गोलू ने लपक कर उसे रोक लिया और चाय लेने के लिए हाथ बढ़ाया। कप छोटे थे और चाय भी थोड़ी थोड़ी थी ये देखकर गोलू ने दोनों हाथो में एक एक कप उठाया।
कप उठाते ही गोलू ने जैसे ही सामने देखा पाया उसके पिताजी खा जाने वाली नजरो से उसे ही देख रहे है तो गोलू खिंसिया कर मुस्कुराया और हाथ में पकड़ा एक कप वापस ट्रे में रख दिया और दुसरा कप लेकर साइड में चला आया। ऐसा नहीं था कि गोलू के पिताजी गोलू से प्यार नहीं करते थे वो तो गोलू की हरकतों की वजह से वह हमेशा लतियाया या गरियाया जाता था।
सबने चाय पी और उसके बाद बाकि बचे लोग भी एक एक करके जाने लगे , कुछ रिश्तेदार रुक गए। गुप्ता जी मिश्रा जी के पास आये और कहा,” मिश्रा जी ! हिम्मत रखियेगा हम सब है आपके साथ और कोनो जरूरत हो तो हमका बेझिझक कहियेगा,,,,,,,,,,,!!”
“बस शुक्रिया , परसो अम्मा की तीये की बैठक रहेगी , गुड्डू अकेला पड़ जाएगा इहलीये हो सके तो गोलू को जल्दी घर भेज दीजियेगा बस,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने हाथ जोड़कर बुझे स्वर में कहा
“अरे भेजना का है जब तक 13 दिन पुरे नहीं होते आप गोलू को यही रख लीजिये वैसे भी घर मा कौनसा जे सुपरवाईजर लगे है , सुबह से रात तक पड़े ही तो रहते है,,,,,,,,,,,,आवारा सांड की तरह”,गुप्ता जी ने कुछ दूर खड़े गोलू को देखकर कहा जो बेचारा इत्मीनान से चाय के घूंठ भर रहा था
“हम्म्म,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा तो गुप्ता जी अपनी पत्नी और बहू पिंकी के साथ वहा से निकल गए।
गोलू ने देखा पिंकी घर जा रही है तो उसने चाय का कप रखा और उसकी तरफ आकर कहा,”अरे पिंकिया ! घर जा रही हो ?”
“हम्म,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“तो आओ हम छोड़ देते है,,,,,,कल रात हमरी स्कूटी गुड्डू भैया दुकान से सीधा यही ले आये थे,,,,,,,,,,आओ”,गोलू ने पिंकी के साथ चलते हुए कहा
आगे चल रहे गुप्ता जी ने सुना तो रुके और गोलू की तरफ पलटकर कहा,”मेहरारू स्कूटी पर जाही है तो हम कैसे जायेंगे ?”
“जैसे आये थे वैसे जाईये , हमसे भी तो कहते है 11 नंबर बस से जाओ,,,,,,,,,!!”,गोलू ने धीमे स्वर में कहा लेकिन गुप्ता जी को सुन गया तो उन्होंने गोलू पर भड़ककर अपनी पत्नी से कहा,”देख रही हो गुप्ताइन कैसे कैंची जइसन जबान चल रही है इनकी,,,,,,!!”
“ठीक है तो स्कूटी आप ले जाईये हम पिंकी को रिक्शा छोड़ आएंगे”,गोलू ने भी चिढ़ते हुए कहा
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू को मारने का नाटक करते हुए हवा में हाथ उठाया और कहा,”बहु रिक्शा में जाएगी दिमाग तो ठीक है तुम्हारा ? इह तीन महीना पेट से है कोनो खबर है तुमको,,,,,,,,,,,,रिक्शा से छोड़ आएंगे , जानते नहीं हो कानपूर के रिक्शा वालो को , चलाते कम उड़ाते ज्यादा है,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी को परवाह करते देखकर पिंकी को अच्छा लगा वह मुस्कुरा दी तो गुप्ता जी ने कहा,”तुमहू बहू को स्कूटी से लेकर चलो हम और तुम्हरी अम्मा आते है रिक्शा से,,,,,,,,,,और हाँ ध्यान से”
अपने पिताजी को पिंकी की फ़िक्र करते देखकर गोलू को अच्छा लगा वह पिंकी को अपने साथ लेकर चला गया। गुप्ता जी भी अपनी पत्नी के साथ रिक्शा लेकर घर के लिए निकल गए।
गुड्डू उदास सा घर के बरामदे में खड़ा था। शगुन ने देखा तो किचन से गुड्डू के लिए एक कप चाय ले आयी और उसकी तरफ बढाकर कहा,”गुड्डू जी”
गुड्डू ने शगुन की तरफ देखा और कहा,”हमरा मन नहीं है शगुन,,,,,,,,,!!”
“गुड्डू जी मैं समझ सकती हूँ आपको अम्मा के चले जाने का बहुत दुःख है लेकिन ऐसे कुछ खाएंगे पिएंगे नहीं तो आप बीमार पड़ जायेंगे और आप बीमार पड़े तो फिर पापाजी को कौन सम्हालेगा ?”,शगुन ने धीरे से कहा
“क्या तुम्हे लगता है हम उन्हें सम्हाल पाएंगे ? अभी अभी तो इस घर में खुशिया आयी थी और इतनी जल्दी बूढ़ा हम सबको छोड़कर चली गयी,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने आँखे नम करते हुए कहा
शगुन ने गुड्डू के हाथ पर अपना हाथ रखा और प्यार से कहा,’ख़ुशी और गम तो एक सिक्के के दो पहलू है गुड्डू जी , अम्मा के जाने का दुःख हम सबको है वे हमेशा हमारी यादो में रहेगी , और आप हमेशा अपनी बूढ़ा के फेवरेट रहेंगे,,,,,,,,,,,चाय ठंडी हो रही है पी लीजिये”
शगुन की बातो से गुड्डू का मन कुछ हल्का हुआ उसने चाय का कप लिया और पीने लगा। रोने की वजह से वेदी की तबियत बिगड़ने लगी तो मिश्राइन ने उसे अपने कमरे में आराम करने को कहा। शगुन बाकि सब को सम्हलने में लग गयी और गुड्डू दूसरे कामो में लग गया। मिश्रा जी को टूटा देखकर गुड्डू आज एकदम से जिम्मेदार बन चुका था।
गोलू पिंकी को लेकर घर पहुंचा , वह बाहर से ही वापस जाने लगा तो पिंकी ने कहा,”गोलू ! तुमने सुबह से कुछ खाया नहीं है , हम कुछ बना देते है थोड़ा खाकर चले जाओ”
“अरे नहीं पिंकिया ! वहा गुड्डू भैया अकेले है उन्होंने और उनके परिवार ने भी कुछो नहीं खाया है ,, पहिले जाकर उह बंदोबस्त करेंगे फिर अपने बारे में सोचेंगे,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“अच्छा कुछ खाओ मत चाय तो पीकर जा सकते हो,,,,,,,,,,अंदर आओ हम बना देते है”,पिंकी ने कहा
गोलू पिंकी की बात नहीं टाल पाया उसने स्कूटी को साइड लगाया और कहा,”बिना नहाये घर मा कैसे आये ? एक ठो काम करो हमारे कपडे ला दो हम बाहर नहा लेते है,,,,,,,तब तक तुम भी नहाकर आ जाओ।”
पिंकी ने गोलू को कपडे लाकर दिए और खुद भी जल्दी जल्दी नहाकर आयी और फिर गोलू के लिए किचन में चाय बनाने चली गयी। तब तक गोलू भी नहाकर
अंदर आ चुका था। घर में सिर्फ वो और पिंकी थे। बहुत दिनो बाद उसे ऐसा मौका मिला था इसलिए वह अपने बालों को तौलिये से पोछते हुए सीधा किचन में चला आया। पिंकी अभी अभी नहाकर आयी थी और नहाने के बाद बिना मेकअप तो वह और भी खूबसूरत लग रही थी।
गोलू खुद को रोक नहीं पाया और आकर पीछे से पिंकी की कमर में हाथ डालकर प्यार से कहा,”का रे पिंकिया ! सादी के बाद तुमहू और जियादा खूबसूरत हो गयी हो ,, इतना कि एक बार देखे तो बस देखते ही जाए साला मन ना भरे,,,,,,,,,,,,!!”
“गोलू ! क्या कर रहे हो ? अम्मा पिताजी किसी भी बख्त आते होंगे , तुम बाहर चलकर बैठो हम तुम्हारे लिए चाय लेकर आते है,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने गोलू को पीछे धकियाकर कहा
गोलू मुस्कुराया और गुनगुनाता हुआ किचन से बाहर चला आया। गोलू ना जाने क्यों इतना खुश था ? उसने अपनी गुनगुनाहट को तेज किया और गाने लगा। गाते गाते उसने अपने गले में पड़े तोलिये से बालो को फिर पोछा और सामने फेंक दिया लेकिन बेचारे गोलू की बुरी किस्मत गीला तौलिया जाकर लगा सामने से आते गुप्ता जी के मुंह पर,,,,,,,,,,,,गोलू ने देखा तो उसके तोते उड़ गए , गुप्ता जी खा जाने वाली नजरो से उसे घूर जो रहे थे,,,,,,,,,,,,,,!!
गोलू डरते डरते गुप्ता जी के पास आया और उनके हाथ से तौलिया लेकर कहा,”प प पिताजी आप , आप जल्दी आ गए ?”
“बेटा तुम्हरा बस चले तो तुम हमे कभी आने ही ना दो , डायरेक्ट ऊपर ही पहुंचा दो”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे पिताजी कैसी बाते कर रहे है आप ?”,गोलू ने कहा
“जे सब का हरकत है ? जे का माधुरी दीक्षित बनकर गीले बाल लिए घूम रहे हो घर मा ? और का सोचकर जे गीला तौलिया हमरे ऊपर फेंके ? ब्याह हो गवो है तुमहाओ पर हरकतों में सुधार ना है गोलू गुप्ता,,,,,,,,,,,,जब देखो तब जे छिनरई करते रहते हो,,,,,,,,,,अब खड़े खड़े हमे का देख रहे हो निकलो हिया से”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा तो गोलू ने कहा,”पिंकिया हमरे लिए चाय बना रही है उह पीकर जायेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
“अभी गुड्डू के घर में जो पी रहे थे उह का थी ?”,गुप्ता जी ने घूरते हुए कहा
“उह भी चाय ही थी पर इह वाली पिंकिया बना रही है और उसने कहा पीकर जाओ तो मना नहीं कर पाए उनको,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने शरमाते हुए कहा
“वाह रे मेरी अनारकली , सलीम बाबू ने कहा पीकर जाए तो तुमहू मना नहीं कर पाए , कबो बाप की बात भी माने हो इति जल्दी ?”,गुप्ता जी ने कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर गोलू ने शर्माना बंद किया और कहा,”आप जब देखो तब हमरे और पिंकिया के बीच में काहे आ जाते है ? और कौनसी बात नहीं माने हमहू आपकी , एक सादी वाली बात छोड़ के सब बात माने है,,,,,,,!!”
“अच्छा है ना बेचारी लड़की पर इत्ता बड़ा अहसान कर दिए तुम,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
गोलू और गुप्ता जी आगे बहस कर पाते इस से पहले पिंकी गोलू के लिए चाय ले आयी , उसने जब गोलू के पिताजी को वहा देखा तो चाय का कप गोलू को ना देकर उन्हें देते हुए कहा,”पिताजी चाय , इनके लिए हम दूसरी ले आते है”
“देखा इह होते है संस्कार”,पिंकी के जाने के बाद गुप्ता जी ने गोलू से कहा
गोलू ने हाथ जोड़े और कहा,”हम ऐसे ही ठीक है , आप पीजिये चाय हम चलते है”
पिंकी चाय लेकर आयी तब तक गोलू वहा से निकल गया। वह गुप्ता जी के पास आयी और कहा,”वो कहा गए पिताजी,,,,,,,,,,,!!”
“संस्कार लेने”,गुप्ता जी ने कहा और वहा से चले गए , जाते जाते उन्होंने ऊँची आवाज में कहा,”चाय बहुते अच्छी बनी है बिटिया”
गोलू के साथ तो जो होगा सो होगा फ़िलहाल आप लोग इस कहानी को लाइक और मेरे यूट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब करना बिल्कुल ना भूले ताकि मेरी प्यारी प्यारी कहानिया आप तक एक नोटिफिकेशन में पहुँच सके
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संजना किरोड़ीवाल


उह भी चाय ही थी पर इह वाली पिंकिया बना रही है और उसने कहा पीकर जाओ तो मना नहीं कर पाए उनको,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने शरमाते हुए कहा
“वाह रे मेरी अनारकली , सलीम बाबू ने कहा पीकर जाए तो तुमहू मना नहीं कर पाए , कबो बाप की बात भी माने हो इति जल्दी ?”,गुप्ता जी ने कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर गोलू ने शर्माना बंद किया और कहा,”आप जब देखो तब हमरे और पिंकिया के बीच में काहे आ जाते है ? और कौनसी बात नहीं माने हमहू आपकी , एक सादी वाली बात छोड़ के सब बात माने है,,,,,,,!!”
उह भी चाय ही थी पर इह वाली पिंकिया बना रही है और उसने कहा पीकर जाओ तो मना नहीं कर पाए उनको,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने शरमाते हुए कहा
“वाह रे मेरी अनारकली , सलीम बाबू ने कहा पीकर जाए तो तुमहू मना नहीं कर पाए , कबो बाप की बात भी माने हो इति जल्दी ?”,गुप्ता जी ने कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर गोलू ने शर्माना बंद किया और कहा,”आप जब देखो तब हमरे और पिंकिया के बीच में काहे आ जाते है ? और कौनसी बात नहीं माने हमहू आपकी , एक सादी वाली बात छोड़ के सब बात माने है,,,,,,,!!”
उह भी चाय ही थी पर इह वाली पिंकिया बना रही है और उसने कहा पीकर जाओ तो मना नहीं कर पाए उनको,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने शरमाते हुए कहा
“वाह रे मेरी अनारकली , सलीम बाबू ने कहा पीकर जाए तो तुमहू मना नहीं कर पाए , कबो बाप की बात भी माने हो इति जल्दी ?”,गुप्ता जी ने कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर गोलू ने शर्माना बंद किया और कहा,”आप जब देखो तब हमरे और पिंकिया के बीच में काहे आ जाते है ? और कौनसी बात नहीं माने हमहू आपकी , एक सादी वाली बात छोड़ के सब बात माने है,,,,,,,!!”
Guddu apne Pitaji ko aise udaas nahi dekh pa raha hai aur voh ekdam zimdhar bankar sab kaam sambhal raha hai aur Gollu apni dosti acche se nibha raha hai..Guddu ko udaas dekh kar Shagun usse samjhaya ki usse Pitaji ko bi samjhal hai aur Dadi hamesh hamari yaado ne rahegi..Gollu ko accha laga uske pitaji ko Pinky ki parvah karte dekh aur PInky ko bi kushi Mili…Bichara Gollu hamesh kuch accha karna chahata hai kuch na kuch gadbad kar hi deta hai….nice part Maam♥♥♥
Ek question h Ma’am-
Golu ne apna sar mundwa lia tha to towel se kiske giile baal poch rha tha?
Are wo galti se likh diya hmne
Exactly same question