Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – S75

Manmarjiyan – S75

Manmarjiyan

Manmarjiyan – S75

सुबह शगुन जल्दी उठ गयी। नहा-धोकर वह डायनिंग टेबल के पास चली आयी। बीती रात उसने गुड्डू के साथ जो गोलगप्पे खाये थे उस से उसका पेट खराब हो गया था और खट्टी डकारे भी आ रही थी। शगुन ने देखा मिश्राइन ने उसके लिए सहरी तैयार कर दी है। शगुन को देखकर मिश्राइन ने कहा,”अरे आओ आओ बिटिया बइठो , जे सब तुमको खाना है उसके बाद तुम्हारा व्रत शुरू हो जाएगा और तुम कुछ नहीं खा-पी नहीं पाओगी”
शगुन ने देखा डायनिंग पर उसके लिए ढेर सारा खाना रखा हुआ था। शगुन कुर्सी पर आ बैठी , मिश्राइन ने उसके सामने प्लेट रखी और उसमे खाना परोस दिया। पूरी , आलू की सुखी सब्जी , साबूदाने की खीर और भी बहुत कुछ था जो मिश्राइन ने शगुन की सहरी के लिए बनाया था। शगुन ने खाना शुरू किया , एक दो निवाले खाने के बाद ही उसे पेट में जलन महसूस होने लगी। उसे जबरदस्ती खाते देखकर मिश्राइन ने कहा,”का बात है शुगुन अच्छा नहीं बना ?”
“माजी ने इतने प्यार और मेहनत से सब बनाया है , मुझे खाना ही पडेगा”,शगुन ने मन ही मन कहा और फिर मुस्कुराते हुए मिश्राइन को देखकर कहा,”सब बहुत अच्छा बना है माजी”
“अरे तो फिर और लो ना , सब तुम्हारे लिए ही बना है”,मिश्राइन ने शगुन की प्लेट में पूरी रखते हुए कहा। शगुन ने मुश्किल से 2 पूरी खाई और फिर कहा,”बस मेरा हो गया”
“अरे तुमने तो कुछ भी नहीं खाया , चलो कोई बात नहीं अभी तुमहु जाकर आराम करो”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन उठकर हाथ धोने वाशबेसिन की तरफ चली आयी। हाथ धोते हुए शगुन ने महसूस किया की उसका मन अब कुछ कच्चा हो रहा है। उसने कुल्ला किया मुंह धोया और अपने कमरे में चली आयी। वेदी सो रही थी। सुबह हो चुकी थी बस हल्का अन्धेरा था , शगुन वापस ना सोकर बाहर चली आयी और घर की साफ सफाई करने लगी। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”अरे शगुन इह का कर रही हो आज तुमहाओ व्रत है तुमहू आराम करो जे सब काम वेदी कर लेगी”
“लेकिन माजी खाली बैठे मैं क्या करुँगी ?”,शगुन ने कहा तो मिश्राइन ने कहा,”अभी थोड़ी देर में सूरज निकल आएगा तो तुमहू सुबह की पूजा पाठ कर लेना , पोधो में पानी दे देना और छत पर पक्षियों को दाना पानी डाल आना इसके बाद भी काम करने का मन करे तो हमे बताना हमारे पास ऐसे बहुत से काम है”
मिश्राइन की बात सुनकर शगुन मुस्कुराने लगी। कुछ देर बाद मिश्रा जी उठकर बाहर आये तो मिश्राइन रसोई की तरफ जाने लगी। शगुन ने उन्हें रोका और कहा,”पापा जी के लिए चाय तो मैं बना सकती हूँ ना”
“अच्छा ठीक है तुम बना दो , तब तक हम दुसरा काम देख लेते है”,कहकर मिश्राइन वहा से चली गयी। शगुन मिश्रा जी के लिए चाय बनाने किचन में चली आयी। शगुन चाय बनाने लगी मिश्रा जी के लिए चाय बनाते हुए उसने गुड्डू के लिए भी चाय बना ली।

गुड्डू अपने कमरे में मजे से सो रहा था , कुछ देर बाद शगुन चाय लेकर उसके कमरे में आयी उसने चाय का कप टेबल पर रखा और गुड्डू की तरफ आकर उसके सिरहाने बैठकर उसे उठाने लगी। गुड्डू गहरी नींद में सोया हुआ था , शगुन ने उसे आवाज दी लेकिन गुड्डू नहीं उठा। शगुन ने थोड़ी सी कम्बल हटाई और उसका कंधा थपथपाते हुए उसे उठाया लेकिन गुड्डू नींद में था वह शगुन की तरफ मुंह करके फिर सो गया। शगुन थोड़ा सा उसकी और झुकी और उसका हाथ थपथपाते हुए कहा,”गुड्डू जी , गुड्डू जी उठ जाईये सुबह हो गयी है”
गुड्डू ने नींद में शगुन के हाथ को पकड़ा और उसी अपनी ओर खींच लिया शगुन उसके सीने पर आ गिरी और गुड्डू उसे अपनी बांहो में लेकर फिर सो गया।
“गुड्डू जी ये क्या कर रहे है आप ?”,शगुन ने गुड्डू की मजबूत बांहो में कसमकसाते हुए कहा।
लेकिन गुड्डू तो गुड्डू ठहरा उसे तो बस अपनी नींद से प्यार था शगुन ने देखा गुड्डू जाग नहीं रहा है तो उसने उसके हाथ पर चिकोटी काटी। अचानक से गुड्डू नींद से उठा और चिल्लाया,”आह्ह”
उसने देखा शगुन उसकी बांहो में है तो उसने उसे छोड़ा और दूर हटते हुए कहा,”तुम तुम कब आयी ? और हिय का कर रही हो ?”
“आपकी चाय लेकर आयी थी लेकिन आप तो उठने का नाम ही नहीं ले रहे”,शगुन ने उठते हुए कहा और टेबल की तरफ चली आयी। गुड्डू ने इधर उधर देखा और अपनी शर्ट ढूंढने लगा। उसने शर्ट उठायी और पहनते हुए कहा,”सॉरी”
“आप क्यों सॉरी बोल रहे है ?”,शगुन चाय का कप लेकर गुड्डू की तरफ आयी और चाय उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा
“वो नींद में हमने तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,सॉरी”,गुड्डू ने चाय का कप लेकर एक घूंठ भरा और शगुन की तरफ देखकर कहा,”इसमें मीठा कम है”
शगुन ने सूना तो वह गुड्डू के पास आयी थोड़ा झुकी और उसके होठो को अपने होंठो से छूकर कहा,”अब ठीक है”

गुड्डू कंबल के साथ धड़ाम से जमीन पर आ गिरा , उसकी नींद टूट गयी। जो कुछ अभी घटा वो सिर्फ एक खूबसूरत सपना था जो गुड्डू ने देखा था। अपना सर सहलाते हुए गुड्डू उठकर बैठ गया। उसने कमरे में इधर उधर देखा ना वहा शगुन थी ना ही चाय का कप। बेचारा गुड्डू समझ ही नहीं पाया की थोड़ी देर पहले जो कुछ हुआ वो सपना था या फिर हकीकत
“आप नीचे क्या कर रहे है ?”,शगुन ने कमरे में आते हुए कहा। उसके हाथ में चाय का कप था जो उसने लाकर टेबल पर रख दिया। गुड्डू ने देखा शगुन ने वही कपडे पहने थे जो कुछ देर पहले उसे सपने में दिखे थे। वह हैरानी से शगुन को देख रहा था शगुन ने गुड्डू को ऐसे देखा तो कहा,”क्या हुआ है आपको ? आप ठीक तो है ?”
“हाँ हाँ हम ठीक है”,गुड्डू ने जल्दी से उठते हुए कहा , शर्ट टीशर्ट कुछ नहीं पहन रखा था इसलिए उसने खुद को कंबल से ढका हुआ था। शगुन को बड़ा अजीब लगा उसने कंबल का दूसरा सिरा पकड़कर कहा,”लाईये मुझे दीजिये मैं समेट देती हूँ”
“नहीं हम समेट लेंगे”,गुड्डू ने कहा
“अरे दीजिये ना मैं कर देती हूँ”,शगुन ने भी खींचते हुए कहा
“अरे हम कर लेंगे”,कहते हुए गुड्डू ने कम्बल जोर से खींची जिसे से शगुन उसकी बांहो में आ गिरी।

गुड्डू और शगुन एक दूसरे के बहुत करीब खड़े थे , दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे , शगुन का हाथ गुड्डू के सीने पर बांयी तरफ था और उसकी तेज धड़कनो का शोर वह महसूस कर रही थी।
बैकग्राउंड म्यूजिक -:
आ रहे है पास फिर हम , ये नया अहसास है
इश्क़ है दुनिया में जितना , सब तुम्हारे पास है
है नयी सी धड़कने अब , एक नयी सी प्यास है
तुम हो जबसे पास मेरे , सब तुम्हारे बाद है
आँखों में तेरे ही ख्वाब पलते है
गिरते है हम कभी सम्हलते है
तेरे ही ख्यालो में दिन ढ़लते है
अरमा भी अब ये मचलते है
हम है यहा,,,,,,,,,,,,तुम हो यहाँ,,,,,,,,,,,,,,,,है धड़कने अपनी जवां,,,,,,,,,,ऐसे में हो जाने दो ना
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियां ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कैसी ये मनमर्जियाँ ?,,,,,,,,,,,,,ओहो,,,,,!!!

एक दूसरे की आँखों में देखते हुए गुड्डू और शगुन खो से गए। शगुन के बालो की लट जब उसके गालो पर आकर झूलने लगी तो गुड्डू ने अपनी उंगलियों से उसे शगुन के कान के पीछे कर दिया। गुड्डू की छुअन का वो अहसास जिस से शगुन अनजान नहीं थी। जब शगुन को जब होश आया तो वह गुड्डू से दूर हटी और टेबल की तरफ जाते हुए कहा,”आपकी चाय ठंडी हो जाएगी”
शगुन चाय लेकर आयी इतने में गुड्डू ने बिस्तर पर पड़ी अपनी टीशर्ट उठाकर पहन ली और बिस्तर पर आ बैठा। शगुन ने चाय का कप गुड्डू को दे दिया।
गुड्डू ने चाय का एक घूंठ भरा चाय में आज मीठा कम था। गुड्डू की आँखों के सामने सुबह वाला सपना आ गया। उसने शगुन की तरफ देखा और कहा,”चाय में मीठा कम है”
गुड्डू को लगा ऐसा कहने पर शगुन शायद वैसे ही रिएक्ट करेगी जैसे सपने में हुआ था पर गुड्डू किस्मत शगुन ने सूना तो कहा,”मैं चीनी लेकर आउ ?”
“हमे लगा आकर किस करोगी”,गुड्डू खुद में ही बड़बड़ाया तो शगुन ने कहा,”कुछ कहा आपने ?’
“नहीं नहीं हम तो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,चाय अच्छी बनी है हम पी लेंगे”,गुड्डू ने बात सम्हालते हुए कहा
“ठीक है आप पीजिये मैं चलती हूँ”,शगुन ने कहा और जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”शगुन”
“हाँ”,शगुन ने पलटकर कहा
“तुमने भी व्रत रखा है ?”,गुड्डू ने पूछा
“हाँ”,शगुन ने कहा
“किसके लिए ?”,गुड्डू ने उसकी ओर देखते हुए पूछा
“क्यों जानना है ?”,शगुन ने शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा तो गुड्डू शरमा कर दूसरी तरफ देखने लगा और कहा,”हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे थे”
“वक्त आने पर आपको आपके सारे सवालो का जवाब मिल जाएगा”,शगुन ने कहा और वहा से चली गयी। गुड्डू ने जाते हुए देखा और धीरे से खुद से कहा,”फ़िलहाल तो सवाल जे ही है की सुबह सुबह जो हम देखे वो साला सपना ना होकर हकीकत काहे नहीं था ?”
गुड्डू ने चाय खत्म की और उठकर नहाने चला गया। तैयार होकर गुड्डू नीचे आया , नाश्ता किया और शोरूम के लिए निकल गया। गुड्डू के पहले चले जाने की वजह से अब मिश्रा जी थोड़ा देर से ऑफिस के लिए निकलते थे। सबके नाश्ता करने के बाद शगुन डायनिंग पर रखे बर्तन उठाकर किचन में रखने लगी। उसका जी मिचलाने लगा , गोलगप्पे खाने और सुबह सहरी खाने की वजह से उसे एसिडिटी होने लगी थी। शगुन अंदर ही अंदर परेशान हो रही थी लेकिन उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया। मिश्राइन ने देखा तो उसके पास आकर कहा,”शगुन तुम ठीक हो ना बिटिया ?”
“हाँ माजी मैं ठीक हूँ”,शगुन ने कहा उसके सीने में जलन का अहसास हो रहा था।
“छोडो ये सब हिया और हमाये साथ”,कहते हुए मिश्राइन उसे अपने साथ ले आयी और बाहर आँगन में सोफे पर बैठाते हुए कहा,”थोड़ी देर खुली हवा में बैठो अच्छा लगेगा ,, पहली बार व्रत रखा है ना तुमने इसलिए जे सब हो रहा है”
“माजी मैं ठीक हूँ”,शगुन ने कहा वह उन्हें परेशान करना नहीं चाहती थी। मिश्राइन उसके पास बैठी और कहने लगी,”देखो बिटिया माँ हूँ चेहरा देखकर समझ जाती हूँ बच्चो के मन में का चल रहा है। देखना भगवान तुम्हरी जरूर सुनेंगे और इस व्रत का फल तुम्हे जरूर मिलेगा।”
जवाब में शगुन बस मुस्कुरा दी
सुबह सुबह गोलू अपने कमरे में रजाई में दुबक कर सोया हुआ था। कुछ देर बाद ही उसका फोन वाइब्रेट करने लगा। गोलू ने नींद में ही अपना हाथ रजाई से बाहर निकाला और टेबल पर यहाँ वहा रखने लगा लेकिन फोन नहीं मिला। गोलू उठा यहाँ वहा ढूंढा तो देखा फोन उसे अपने बिस्तर के कोने पर मिला गोलू ने फोन कान से लगाया और रजाई में घुसते हुए कहा,”कौन है बे ?”
“हम बोल रहे है तुम्हारे होने वाले बच्चे अम्मा”,दूसरी तरफ से पिंकी ने कहा
“अबे हमायी शादी नहीं हुई बच्चे कहा से हो गए ? सुबह सुबह हमायी नींद खराब काहे कर रही हो”,गोलू ने नींद से भरकर कहा उसे अभी तक समझ नहीं आया था
“गोलू,,,,,,,,,,,हम बोल रहे है पिंकी”,पिंकी ने थोड़ा गुस्से से कहा तो गोलू की नींद एकदम से उड़ गयी और उसने कहा,”पिंकिया तुम हो , यार बताना चाहिए ना पहेलियाँ काहे भुझा रही थी,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो जे बताओ इति सुबह में फोन काहे की ?”
“आज करवाचौथ का व्रत है , आज के दिन लड़किया अपने होने वाले पति और शादीशुदा औरते अपने पति के लिए व्रत रखती है और फिर चाँद देखकर अपने पति के हाथो पानी पीकर ही व्रत खोलती है”,पिंकी ने कहा
“तो ?”,गोलू ने कहा
“तो क्या चाँद निकलने से पहले घर आ जाना वरना मैं तुम्हारे घर पहुँच जाउंगी”,पिंकी ने कहा
“ठीक है हम आ जायेंगे , वैसे तुम हमाये लिए व्रत रखी हो सुनकर ही दिल में गुदगुदी सी हो रही है”,गोलू ने खुश होकर कहा
“अब तुम हमारे होने वाले पति हो गोलू इतना तो बनता है तुम्हारे लिए , रात में वक्त से आ जाना हम इंतजार करेंगे”,कहकर पिंकी ने फोन काट दिया। गोलू उठा और ख़ुशी ख़ुशी कमरे से बाहर आते हुए कहा,”अम्मा चाय पिलाय दयो”
“उठ गए गोलू महाराज , जैसे जैसे तुमहाओ ब्याह के दिन नजदीक आ रहे है तुमहू आलसी होते जा रहे हो ,,, जे कोई बख्त है उठने का ?”,गुप्ता जी ने मंजन करते हुए कहा
“अरे यार पिताजी आप ना बस जब देखो तब खुन्नस में ही रहते हो , हमायी शादी है थोड़ा मूड अच्छा रखो यार”,गोलू ने खुशमिजाज तरीके से कहा
“उह तो बेटा सादी के बाद पता चलेगा सादी का होती है ?”,गुप्ता जी ने अंदर आते हुए कहा
“का का पता चलेगा ? आपका जमाना अलग रहा हमाओ जमाना अलग है और हमारे ज़माने के लोगो के बीच अंडरस्टैंडिंग भी तो है”,गोलू ने दोनों हाथो की उंगलियों को आपस में फंसाते हुए इशारा करके कहा
“जे गंदे इशारे बाप के सामने करते हो शर्म नहीं आती”,गुप्ता जी ने दबी आवाज में कहा तो गोलू ने जल्दी से अपने हाथो को अलग किया और साइड में चला गया
गोलू की अम्मा चाय ले आयी और टेबल पर रखते हुए कहा,”गोलू चाय पीकर मेहमानो की लिस्ट बनाओ ताकि उस हिसाब से सबको न्यौता भिजवा दे , और तुम्हारे कोई यार दोस्त हो तो उनको न्यौता तुम भिजवा देना”
“एक गुड्डू को छोड़ के कौन दोस्त है इसका ? बाकी सारे तो फ्री की दारू पीने वाले है”,गुप्ता जी बड़बड़ाये लेकिन गोलू को साफ सुन गया और फिर उन्होंने गोलू की तरफ पलटकर कहा,”तुम्हायी शादी में तुम्हाये एक भी दोस्त को दारू नहीं पिलायेंगे हम”
“इतने पैसे बचा के का कर लोगे आप ?”,गोलू ने कहा
“तुम्हाये लिए गमछा खरीद के लाएंगे”,गुप्ता जी ने चाय पीते हुए कहा
“काहे ?”,गोलू ने कहा
“शादी के बाद फूटफूट कर रोने जो वाले हो तुम , आंसू पोछने के काम आएंगे”,कहते हुए गुप्ता जी अपनी चाय लेकर वह से चले गए। गोलू ने सूना तो हैरानी से मिश्राइन की तरफ पलटा और कहा,”यार कैसे मनहूस आदमी से सादी कर ली हो तुमहू , कैसी बाते कर रहे है हमाये बारे में ?”
मिश्राइन उठी और जाते हुए कहा,”बाप बेटे दोनों बकैत हो रखे है , अपनी इह बकैती में हमे ना लपेटो तुम”
गोलू बेचारा हैरान परेशान सा बैठ गया और फिर चाय उठाकर पीने के लिए जैसे ही एक घूंठ भरा उसका मुंह बन गया। चाय ठंडी हो चुकी थी।

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