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मनमर्जियाँ – 87

Manmarjiyan – 87

Manmarjiyan - 87

शगुन को गुड्डू से प्यार हो चुका था और जब गुप्ता जी ने गुड्डू की अच्छाईयों के बारे में बताया तो गुड्डू को लेकर शगुन की फीलिंग्स और भी स्ट्रांग हो गयी। छत पर खड़ी वह बड़े प्यार से गुड्डू को देख रही थी। गुड्डू ने देखा तो आइसक्रीम को साइड में रखा और कहा,”जे का तुम जब देखो तब हमे घूरती रहती हो ? हम का कोई जोकर है”
शगुन ने मुस्कुराते हुए गर्दन ना में हिला दी तो गुड्डू ने कहा,”बहुते अजीब हो यार मतलब हम कुछो कहे जा रहे है और तुमहू हो के मुस्कुरा रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे ओह्ह शगुन गुप्ता हमहू तुमसे बात कर रहे है तुमहू हो के जबसे मुस्कुराये जा रही हो , का पगला गयी हो ?”
“आज आप कुछ भी कह लीजिये आप गुस्सा नहीं आएगा”,शगुन ने गुड्डू की आँखों में देखते हुए धीरे से कहा
“तुम्हायी नियत कुछो ठीक नहीं लग रही है हमे”,गुड्डू ने शकभरे अंदाज में कहा
शगुन फिर मुस्कुराने लगी तो गुड्डू ने अपने शर्त के ऊपरी बटन को बंद करते हुए कहा,”रात बहुत हो गयी है हम सोने जा रहे है”
गुड्डू चला गया शगुन वही खड़ी सामने घाट पर बहते पानी को देखते हुए मन ही मन कहने लगी,”कभी तो आप समझेंगे गुड्डू जी की आपको चाहने लगी हूँ , कैसे कहुँ आपसे की आपसे प्यार हो गया है , हर किसी को अब तो मेरी आँखों में आपके लिए प्यार नजर आने लगा है बस एक आप ही नहीं देख पा रहे ,,, पर मुझे विश्वास है अपने महादेव पर आपके दिल में मेरे लिए भावनाये वे जरूर जगायेंगे और मुझे उस पल का इंतजार रहेगा जब आप पुरे मन से मुझे अपना लेंगे”
कुछ ही ओर खड़ा गुड्डू खुद से कहने लगा,”सच में पगला गयी है शगुन अकेले में वहा खड़ी किस से बातें कर रही है ?
शगुन जैसे ही जाने के लिए पलटी गुड्डू पलक झपकते ही गायब हो गया। शगुन कमरे में आयी देखा गुड्डू सो चुका है हालाँकि गुड्डू सोया नहीं था वह बस सोने का नाटक कर रहा था। शगुन ने दरवाजा बंद किया और खिड़की बंद करने खिड़की की ओर आयी , बाहर हलकी बूंदा बांदी शुरू हो चुकी थी शगुन वही खड़ी होकर बारिश की फुंहारों को देखने लगी। गुड्डू ने देखा शगुन सोई नहीं है बल्कि खिड़की के पास खड़ी है वह लेटे लेते कुछ देर शगुन को देखता रहा और फिर उठकर बैठ गया। बारिश को देखते हुए शगुन की आँखों के सामने गुड्डू के साथ बिताया हर पल किसी फिल्म की तरह चलने लगा। जो अहसास उसके मन में भर रहे थे वो आज से पहले कभी नहीं थे। एक खूबसूरत अहसास , मीठी सी चुभन शगुन को महसूस हो रही थी। खिड़की से सर लगाकर शगुन ने अपनी आँखे मूंद ली और बारिश की बूंदो को अपने चेहरे पर आने दिया। बारिश की हल्की फुहारे उसके चेहरे पर गिरते हुए उसे भीगा रही थी। शगुन का मन शांत था और उसका दिमाग गुड्डू में उलझा हुआ था। जब उसने आँखे खोली तो गुड्डू को अपने सामने खड़े पाया। शगुन को थोड़ी हैरानी हुई तो उसने कहा,”आप सोये नहीं ?”
“नींद ही नहीं आ रही है”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
शगुन ने कुछ नहीं कहा जैसे ही अपनी साड़ी के पल्लू से मुँह पोछना चाहा गुड्डू ने रोकते हुए कहा,”रुको हम टॉवल ले आते है”
गुड्डू ने सामने टंगा छोटा तौलिया उठाया और शगुन की और बढ़ा दिया शगुन ने उस से अपना मुंह पोछा तो गुड्डू कहने लगा,”पता है हमे ना बारिश बिल्कुल पसंद नहीं है , जहा देखो वहा कीचड़ हो जाता है”
“अच्छा और क्या पसंद नहीं है आपको ?”,शगुन ने कहा
“हमे,,,,,,,,,,,हमे न पिताजी का शोरूम बिल्कुल पंसद नहीं है”,गुड्डू ने मुंह बनाकर कहा
“अच्छा”,शगुन ने कहा
“हां बाकि सब पंसद है हमे”,गुड्डू ने कहा
“जैसे की ?”,शगुन ने गुड्डू की और देखकर पूछा
“जैसे की बनारस अच्छा है , तुम्हाये पापा अच्छे है , यहाँ का खाना अच्छा है , प्रीति भी अच्छी है और,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”गुड्डू कहते कहते रुक गया उसकी नजरे शगुन के चेहरे पर जम सी गयी। गुड्डू को अपनी और देखता पाकर शगुन ने अपने दोनों हाथो को बांधकर गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा,”और ?”
“और तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने शगुन की आँखो में देखते हुए कहा , शगुन ने सूना तो उसका दिल धड़कने लगा दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे
बैकग्राउंड म्यूजिक -:
“नजर खामोश सी ,धड़कनो में उठा इक शोर है
तू बदला सा है , या फिर कोई और है
अबसे पहले दिल की ऐसी हालत ना थी
इस से पहले हमको किसी चाहत ना थी
अजनबी सा अहसास है
आ रहा हो जैसे कोई पास है,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोई पास है
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे बिन अधूरा ये जहा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग है मेरे दो जहा
हवा का झोंका जब दोनों को छूकर गुजरा तो गुड्डू ने अपनी बात बदलते हुए कहा,”और तुम , तुम तुम आधी रात में हिया का कर रही हो ?”
गुड्डू के बात बदलते ही शगुन के सारे अरमान धरे के धरे रह गए उसने कहा,”क कुछ नहीं वो मुझे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिए”
“इह नींद का भी ना प्रॉब्लम है , चलो सो जाओ सुबह जल्दी उठना होगा तुम्हे”,गुड्डू ने कहा
“हम्म्म्म , आप भी सो जाईये”,कहकर शगुन सोने चली गयी। गुड्डू भी आकर सो गया और कुछ देर बाद दोनों को नींद आ गयी। सुबह शगुन जल्दी उठ गयी अपने घर में थी इसलिए चूड़ीदार सूट पहन लिया। बल गीले थे इसलिए शगुन कमरे में एक साइड खड़ी उन्हें झटकने लगी। गुड्डू की नींद खुली वह उबासे लेते हुए उठा और शगुन की ओर आया अपने गीले बालों को झटकने के लिए शगुन पीछे मुड़ी और उसके बालो की मार गुड्डू के चेहरे पर आ लगी। बेचारा गुड्डू सुबह सुबह उसके साथ ये हुआ उसने शगुन को घुरा और कहा,”एक काम करो ना ऐसे ही मार दो हमे , बार बार झटके काहे देती हो ?”
“सॉरी मैंने देखा नहीं था”,शगुन ने कहा
“चाय चाहिए हमे”,गुड्डू ने अपने बालो को सही करते हुए कहा
“हम्म्म मुंह धोकर नीचे आ जाईये मैं बनवाती हूँ”,कहकर शगुन ने अपने बालो को समेटा और नीचे चली आयी।
शगुन निचे आकर गुड्डू के लिए चाय बनाने लगी तो प्रीति ने कहा,”अरे दी आप बैठो ना मैं बनाती हूँ जीजू के लिए चाय”
शगुन किचन से बाहर चली आयी और अपने पापा के पास बैठकर बाते करने लगी। गुप्ता जी ने सुबह सुबह ही घाट वाले पंडित जी से बात कर ली थी पूजा के लिए। कुछ देर बाद गुड्डू भी नीचे चला आया गुप्ता जी उसे बैठने को कहा। गुड्डू सोफे पर आकर बैठ गया , शगुन की और देखा जो की बैठकर अपने पापा से बात कर रही थी , शगुन खुले बालो में ज्यादा अच्छी लगती है ये उस वक्त गुड्डू ने महसूस किया। प्रीति सबके लिए चाय ले आयी , सबसे पहले गुड्डू को दी और फिर बाकि सब को , अमन भी चला आया तो प्रीति ने उसे भी चाय दी और खुद गुड्डू की बगल में बैठकर उसे दिनभर का शेड्यूल समझाने लगी , अब गुड्डू ने प्रीति से वादा किया था इसलिए उसे तो उसके साथ जाना ही था। चाय पीने के बाद गुड्डू नहाने चला गया , नहाकर कमरे में आया तो देखा शगुन ने उसके लिए कपडे निकालकर रख दिए है। गुड्डू ने उन्हें पहना और तैयार होकर निचे चला आया। प्रीति तैयार थी कुछ देर बाद शगुन भी चली आयी। गुड्डू ने देखा शगुन ने अपने बालो को समेटकर क्लिप में फसाया हुआ है। सूट में वह बड़ी प्यारी लग रही थी लेकिन कुछ कमी थी। गुड्डू शगुन और प्रीति घर से निकले , चूँकि अस्सी घाट गुप्ता जी के घर से कुछ ही दूर था इसलिए तीनो पैदल ही चल पड़े। अस्सी घाट पहुंचकर प्रीति ने पडित जी से बात की और उन्हें पूजा करवाने को कहा। पंडित जी ने शगुन और गुड्डू के लिए पूजा की और उसके बाद गुड्डू शगुन के हाथ में चावल कुमकुम देकर उन्हें घाट के पानी में विसर्जित करने को कहा। प्रीति ऊपर ही रुक गयी गुड्डू और शगुन नीचे चले आये गुड्डू की हथेली पर शगुन का हाथ था और ये अहसास शगुन को छूकर गुजर रहा था। गुड्डू को भीड़भाड़ की इतनी आदत नहीं थी इसलिए वह जल्दी से जल्दी वहा से निकलना चाहता था। दोनों आखरी सीढ़ी पर पहुंचे और हाथ में रखा चावल कुमकुम पानी में बहा दिया। ऐसा करने के बाद गुड्डू ने शगुन से कहा,”जे सब क्यों कर रहे है हम लोग ?”
“इसका मतलब होता है की आपकी सारी परेशानिया महादेव ने अपने हिस्से में ले ली और गंगा में बहा दी”,शगुन ने कहा
“हमायी परेशानी तो तुम ऑलरेडी ले चुकी हो महादेव का लेंगे”,गुड्डू ने कहा
“चले”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उसके साथ चल पड़ा। गुड्डू ने देखा भीड़ होने की वजह से वहा आने जाने वाले आदमी शगुन से टकराते हुए जा रहे है तो गुड्डू को अच्छा नहीं लगा वह शगुन के पीछे चला आया और अपने हाथो से उसे कवर करके आगे चलने को कहा। शगुन को थोड़ा अजीब लगा पर बाद में वह ये सब करने की वजह समझ गयी। ऊपर आकर दोनों ने पंडित जी से प्रशाद लिया और कुछ देर वही सीढ़ियों पर बैठ गए। सामने पानी में तैरते हुए नाव देखकर प्रीति ने कहा,”जीजू नाव की सवारी करेंगे ?”
“अरे नहीं”,गुड्डू ने कहा
“क्यों ?”,प्रीति ने सवाल किया
“हमे पानी से डर लगता है हम नहीं जाते ऐसे पानी के बीच में”,गुड्डू ने कहा
“कितने डरपोक हो ना आप”,प्रीति ने गुड्डू का मजाक उड़ाते हुए कहा
“अरे डरते तो हम अपने बाप,,,,,,,,,,,,,,,,(कहते हुए गुड्डू की नजर शगुन पर पड़ी तो आगे के शब्द गले में ही अटक गए और उसने बात बदलते हुए कहा) मतलब किसी के बाप से भी नहीं डरते बस पानी से थोड़ा सा”,गुड्डू ने कहा
“हीहीहीहीही कोई बात नहीं सब लोग किसी न किसी से डरते है”,प्रीति ने कहा
“अच्छा यार बहुते भूख लगी है हमे सुबह से कुछो नहीं खिलाया तुमने”,गुड्डू ने कहा
“अरे यार मैं तो भूल ही गयी , चलो चलते है अभी तो आपको बनारस भी घूमाना है ना”,प्रीति ने उठते हुए कहा तो गुड्डू और शगुन भी उठ खड़े हुए और प्रीति के साथ चल पड़े। चलते चलते गुड्डू ने शगुन के बालो में फंसा क्लिप निकाल दिया। शगुन ने गुड्डू की और देखा तो गुड्डू ने धीरे से कहा,”तुम्हाये बाल खुले ज्यादा अच्छे लगते है” गुड्डू आगे बढ़ गया लेकिन अपनी बात से शगुन का दिल धड़का गया। शगुन अपलक गुड्डू को जाते हुए देखते रही। गुड्डू और प्रीति बातो बातो में आगे निकल गए। शगुन भी चल पड़ी , घाट के बाहर आकर गुड्डू और प्रीति दोनों शगुन का इंतजार कर रहे थे की कुछ ही दूर बाइक पर बैठे चार लड़के प्रीति को घूरे जा रहे थे और उस पर कमेंट्स कर रहे थे। गुड्डू ने सूना तो उन लड़को की ओर देखा। गुड्डू को उनका कमेंट्स करना अच्छा नहीं लगा लेकिन वह किसी तरह का झंझट नहीं चाहता था इसलिए उन से ध्यान हटा लिया। इस बात पर लड़को की थोड़ी हिम्मत बढ़ी तो उनमे से एक ने प्रीति के लिए कुछ गलत कहा। गुड्डू को गुस्सा आया जैसे ही वह जाने को मुड़ा प्रीति ने गुड्डू का हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा,”जाने दीजिये जीजू , आवारा लड़के है ये इनका रोज का काम है”
गुड्डू को गुस्सा तो आ रहा था लेकिन प्रीति की वजह से रुक गया कुछ देर बाद शगुन भी आ गयी और आकर गुड्डू से कहा,”आप लोग आगे निकल आये मुझसे”
“अबे छोटी वाली को छोड़ बड़ी वाली को देख क्या आइटम है ?”,उन लड़को में से एक ने कहा इस बार गुड्डू का गुस्सा चढ़ गया उसने बड़े प्यार से प्रीति के हाथ से अपने हाथ को छुड़ाया , शर्ट की बाजु ऊपर चढ़ाई और लड़के की और आकर एक घुसा लड़के के मुंह पर दे मारा। लड़का दूर जा गिरा , अपने साथी को पीटते देखकर तीनो लड़के गुड्डू के पास आये तो गुड्डू ने उन्हें भी पीटा ! शगुन ये सब देखकर परेशान हो गयी , जिस लड़ाई झगड़े से वह गुड्डू को दूर लेकर आयी थी गुड्डू ने उसे फिर शुरू कर दिया।
वही प्रीति को ये सब देखकर मजा आ रहा था उसके जीजू तो सच में हीरो निकले , वह तो उलटा गुड्डू को चेयर्स कर रही थी। लड़के गुड्डू से माफ़ी मांगकर भाग गए। .गुड्डू शगुन और प्रीति की और आया लेकिन शगुन ने गुड्डू को एक नजर देखा और बिना कुछ रिएक्ट किये वहा से चली गयी।
“इसको का हुआ ?”,गुड्डू ने प्रीति से पूछा
“पता नहीं , पर आपने क्या सबक सिखाया उन लड़को को यू आर द बेस्ट जीजू”,कहते हुए प्रीति गुड्डू के गले आ लगी। गुड्डू ने उसका सर सहलाया और कहा,”बात जब अपनों पर आये ना तो इग्नोर नहीं करना प्रीति”
“बिल्कुल , अब चलो चलकर दी को भी तो मनाना है”,कहते हुए प्रीति गुड्डू को घसीट कर वहा से शगुन के पीछे पीछे ले गयी। थोड़ी ही दूर पर एक रेस्टोरेंट था शगुन उसमे चली गयी पीछे पीछे गुड्डू और प्रीति भी चले आये। शगुन को वहा बैठा देखकर पगुड्डू उसकी और जाने लगा तो प्रीति ने रोककर कहा,”अरे दी गुस्से में है उन्हें मनाना पडेगा”
“कैसे ? तुम्ही बताय दयो”,गुड्डू ने कहा
“हाय आपकी ये कनपुरिया टोन सुनके ना मैं तो पिघल जाती हूँ पर दी नहीं पिघलेगी , आप एक काम करो दी की फेवरेट डिश लेकर उनके सामने जाओ देखना देखते ही मान जाएगी”,प्रीति ने कहा
“का है उनकी फेवरेट डिश ?”,गुड्डू ने पूछा तो प्रीति ने रुकने का इशारा किया और वहा से चली गयी कुछ देर बाद वापस आयी और अपने हाथ में पकड़ी प्लेट गुड्डू की और बढ़ा दी। गुड्डू ने देखा तो पूछ लिया,”इह का है ?”
“ये है मलाईयो , बनारस की फेमस डिश है और दी की फेवरेट भी ,,, लेकर जाईये उनके लिए क्या पता उनका गुस्सा थोड़ा कम हो”,प्रीति ने कहा तो गुड्डू भगवान का नाम लेकर चल पड़ा। उसने शगुन के सामने लाकर प्लेट रखी शगुन ने गुस्से से गुड्डू को देखा गुड्डू ने प्रीति की और देखकर मासूम सा चेहरा बना लिया। प्रीति भी चली आयी और शगुन के सामने बैठते हुए कहा,”क्या दी इतना गुस्सा क्यों हो जीजू से ?”
“तुम चुप रहो प्रीति और आप गुड्डू जी , आपसे तो मैं क्या ही कहू,,,,,,,,,,,,,,क्या जरूरत थी उन लड़को के साथ बहस करने की और क्या जरूरत थी उन्हें मारने की ? किसी को लग जाती कुछ हो जाता कौन जिम्मेदार होता ? आप समझते क्यों नहीं है की हर बात पर हाथ उठाना सही नहीं होता”,शगुन ने गुस्से से कहा तो प्रीति तो खामोश ही हो गयी
“हमे जो सही लगा हमने किया”,गुड्डू ने अपने जवाब में कहा
“मतलब आपका जब मन करेगा आप किसी को भी मारेंगे”,शगुन ने गुड्डू की और देखकर कहा
“हां तो कोई बेवजह बकवास करेगा तो पिटेगा ना हमसे”,गुड्डू ने भी अकड़कर कहा
“ठीक है फिर जाईये कीजिये मार पीट”,कहकर शगुन उठी और जैसे ही जाने लगी गुड्डू एकदम से उसके सामने आ गया और कहा,”शगुन काहे इतना गुस्सा हो यार का किये हम ?”
“गुड्डू जी आप भी जानते है की आपने क्या किया है ? ऐसे किसी पर भी हाथ उठाना सही है क्या ?”,शगुन ने कहा
“अब कोई हमाये सामने तुम्हे गलत कहेगा तो उह तो पिटेगा हमसे”,गुड्डू ने भी इस बार शगुन को देखकर गुस्से में कहा
“मुह्हह्हा”,पास बैठी प्रीति ने गुड्डू की इस बात पर धीरे से रिएक्ट किया। शगुन और गुड्डू एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे , शगुन का गुस्सा गुड्डू को साफ साफ नजर आ रहा था लेकिन इस बार वह गलत नहीं था। शगुन ने कुछ नहीं कहा बस वहा से चली गयी। गलत शायद शगुन भी नहीं थी गुड्डू के गुस्से से वह अनजान नहीं थी शायद इसलिए आज जो हुआ उस से उसे तकलीफ हुई

क्रमश – मनमर्जियाँ – 88

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