मनमर्जियाँ – 85
Manmarjiyan – 85
Manmarjiyan – 85
गुड्डू और शगुन का झगड़ा खत्म हो चूका था। दोनों हंसी ख़ुशी बनारस पहुंचे। घर पहुंचने से पहले गुड्डू ने गाड़ी एक दूकान पर रोकी और कुछ सामान ख़रीद कर पीछे वाली सीट पर रख दिया। गुप्ता जी और उनका पूरा परिवार दरवाजे पर खड़ा गुड्डू और शगुन के आने का इंतजार कर रहा था। शाम हो चुकी थी आसमान हल्की लालिमा लिए हुए था। बनारस में आते ही गुड्डू का मन एकदम शांत हो गया , ना किसी तरह की बेचैनी ना ही कोई झुंझलाहट। गाड़ी जैसे ही घर के सामने पहुंची प्रीति का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और उसने कहा,”पापा दी और जीजू आ गए”
गुड्डू ने गाड़ी साइड में लगायी और शगुन के साथ बाहर आया। उन्हें देखते ही गुप्ता जी मुस्कुरा उठे। गुड्डू जैसे ही उनकी और आने लगा प्रीति ने उन्हें रोक कर उन दोनों की और आते हुए कहा,”जीजू जीजू जीजू , एक मिनिट (कहते हुए प्रीति ने अमन की और देखा और इशारा किया तो अमन ने अपने पीछे खड़े दो ढोलक बजाने वालो को आगे बुलाया और बजाने को कहा , साथ ही अपने पास रखा बड़ा सा टेप रिकॉर्डर चालू कर दिया।
ढोलक के साथ साथ गाना भी बजने लगा,”दामाद जी अंगना में पधारो , दामाद जी टूक टूक के निहारो,,,,,,,,,,,,,,,,दामाद जी”
बेचारा गुड्डू उसने ये सब देखा सूना तो थोड़ा शरमाँ गया और प्रीती शगुन के साथ चलकर गुप्ता जी की और आया , उसने पहले गुप्ता जी और फिर विनोद और चाची के पैर छुए। चाची ने गुड्डू और शगुन को तिलक किया और दोनों की आरती उतारकर उनका मुंह मीठा करवाया और सबके साथ उन्हें अंदर ले आयी। अमन ने ढोलक वालो को बाहर से ही भेज दिया। अंदर आँगन में आकर गुप्ता जी ने गुड्डू को सोफे पर बैठने को कहा। चाची अंदर चली गयी मदद के लिए उन्होंने अमन और प्रीति को भी बुला लिया। शगुन की दोस्त आयी हुयी थी इसलिए वह शगुन को लेकर अंदर चली गयी। विनोद , गुप्ता जी और गुड्डू सोफे पर बैठे थे।
“बेटा जी आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ?”,गुप्ता जी ने बड़े प्यार से गुड्डू से पूछा
“जी नहीं गाड़ी से आये है परेशानी नहीं हुई”,गुड्डू ने कहा
“घर में सब कैसे है ?”,गुप्ता जी ने कहा
“सब बहुते बढ़िया है , पिताजी ने आपको नमस्कार कहा है”,गुड्डू ने कहा
“शुक्रिया बेटा , शादी के बाद पहली बार घर आये हो आप , शगुन से कोई गलती तो नहीं हुई वहा”,गुप्ता जी ने कहा
“गलतियों का पुतला तो हम है शगुन ने तो उन्हें सुधारा है”,गुड्डू ने मन ही मन कहा और फिर गुप्ता जी से कहा,”नहीं नहीं वो भी शगुन का ही घर है”
“बेटा वो मिश्रा जी बता रहे थे कुछ नया काम शुरू किया है अापने ?”,विनोद ने सवाल किया
“हां वो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने जैसे ही कहना चाहा अमन और प्रीति हाथो में ट्रे लेकर हाजिर थे और प्रीति ने टोकते हुए,”पापा , चाचू आप दोनों आते ही शुरू हो गए जीजू को पानी तो पीने दीजिये”
गुप्ता जी ने सूना तो हंसने लगे और फिर गुड्डू की और देखकर कहा,”माफ़ करना बेटा बातो बातो में भूल गए हम , ये लीजिये पानी लीजिये आप” कहते हुए उन्होंने पानी का ग्लास गुड्डू की और बढ़ा दिया। गुड्डू ने पानी पीया इधर उधर देखा शगुन उसे कही नजर नहीं आ रही थी। इतने में चाची चाय और बचा हुआ नाश्ता भी ले आयी , पूरी टेबल पर गुड्डू को सिर्फ नाश्ता ही नजर आ रहा था। कचौड़ी , लड्डू , रसमलाई , फिनी , लोंगलत्ता , केसर मलाई , जलेबी , मलाई पूड़ी , नमकीन , मठरी और सेव नमकीन। ये सब देखकर तो गुड्डू का पेट वैसे ही भर गया उसने चाय का कप उठाते हुए कहा,”पहले हम चाय पिएंगे”
“हां हां जीजू मैंने खुद अपने हाथो से बनायीं है”,प्रीति ने अपनी तारीफ करते हुए कहा
“फिर तो इसमें जरूर कुछो गड़बड़ होगी”,गुड्डू ने शक भरी नजरो से प्रीति को देखते हुए कहा
“जीजाजी चाय हमने बनाई है प्रीति ने उसमे सिर्फ अदरक कूट के डाली है”,अमन ने बीच में पड़ते हुए कहा तो प्रीति ने उसकी और देखकर मुंह बना लिया और फिर गुड्डू से कहा,”अरे जीजू इसे छोड़िये आप चाय पीजिये”
गुड्डू ने चाय पि चाय बहुत अच्छी बनी थी। गुड्डू ने चाय पीकर जैसे ही कप नीचे रखा प्रीति ने कचौड़ी का टुकड़ा तोड़कर गुड्डू की और बढ़ाते हुए कहा,”आज तो मैं जीजू को अपने हाथो से खिलाने वाली हूँ। गुड्डू ने खा लिया उसके बाद क्या था अमन और प्रीति में होड़ सी लग गयी गुड्डू को सब खिलाने की। दोनों एक एक करके सारी नमकीन मिठाईया गुड्डू के मुंह में ठुसे जा रहे थे। बेचारा गुड्डू उन्हें ना भी नहीं कर पा रहा था। अमन प्रीति के साथ साथ विनोद और चाची भी शुरू हो गए। चाचा ने लौंगलता का पीस गुड्डू के मुंह में डालते हुए कहा,”दामाद जी ये खाइये हमारे बनारस का मशहूर है”
“अरे बस हम और नहीं खा पाएंगे”,गुड्डू ने कहा लेकिन बेचारे की किसी ने सुनी ही नहीं। शगुन और उसकी दोस्त कमरे से बाहर आयी तो शगुन की दोस्त भी गुड्डू को खिलाने के लिए उसकी और बढ़ गयी। दूर खड़ी शगुन मुस्कुराते हुए गुड्डू को देख रही थी जो की सबको मना कर रहा था खिलाने से लेकिन कोई उसकी सुन ही नहीं रहा था। सब उसे खिलाते जा रहे थे और गुड्डू खाये जा रहा था। शगुन को देखकर गुड्डू उठा और उसके पीछे आकर उसे बाकि लोगो की और धकेलते हुए कहा,”अरे इनको भी खिलाओ थोड़ा सब हम ही थोड़े खाएंगे”
शगुन को देखकर गुप्ता जी ने कहा,”शगुन आओ बेटा”
शगुन आकर बैठ गयी चाची ने उसे भी प्लेट में नाश्ता दिया। शगुन खाने लगी। अब तक गुड्डू सबके साथ कम्फर्टेबल हो चुका था इसलिए मिठाई उठाकर एक एक करके सबको
खिलाने लगा। गुड्डू के ये सब करते देखकर शगुन को बहुत अच्छा लग रहा था उसका ध्यान खाने में कम और गुड्डू पर ज्यादा था। अमन प्रीति भी गुड्डू का खुला स्वाभाव देखकर खुश थे। सबको खिलाते हुए गुड्डू जैसे ही शगुन के सामने आया उसका हाथ रुक गया और वह शगुन की और देखने लगा। ऐसा माहौल देखकर विनोद और गुप्ता जी बहाना बनाकर वहा से निकल गए। चाची भी शरमाते हुए वहा से निकल गयी। प्रीति अमन और शगुन की दोस्त तीनो मुस्कुराते हुए दोनों को देख रहे थे और प्रीति ने फुसफसाते हुए कहा,”हाये कितना रोमांटिक लग रहे है ना दोनों,,,,,,,,,,,,,किसी की नजर न लगे”
“अहंम अहंम”,शगुन की दोस्त ने खखारने का नाटक किया तो गुड्डू की तंद्रा टूटी और उसने हाथ में पकड़ा टुकड़ा शगुन को खिला दिया और अमन की और देखकर कहा,”हाथ कहा धोने है ?”
“आईये मैं बताता हूँ”,कहकर अमन गुड्डू को अपने साथ ले गया। उन दोनों के जाते ही प्रीति और शगुन की दोस्त उसकी बगल में आकर बैठ गयी और उसे छेड़ते हुए कहा,”क्या बात है दी आपका और जीजू का रोमांस तो चरम सीमा पर है मतलब जीजू की नजरे नहीं हट रही आपसे”
“क्या कुछ भी बोलती हो प्रीति ?”,शगुन ने बात टालने के लिए कहा
“सच तो कह रही है प्रीति जितने प्यार से अर्पित जी तुम्हे खिला रहे थे उतने प्यार से हमे तो ना खिलाया,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों प्रीति ?”,शगुन की दोस्त ने छेड़ते हुए कहा
“हां दी,,,,,,,,,,,,,,,,,पर यार कुछ भी कहो गुड्डू जीजू है बड़े क्यूट”,प्रीति ने खुश होकर कहा
प्रीति , शगुन और उसकी दोस्त वही बैठकर बाते करने लगी , फिर से आने का कहकर शगुन की दोस्त चली गयी। शगुन भी किचन की और आकर चाची से बतियाने लगी। हालाँकि चाची का घर अलग था लेकिन विनोद के कहने पर वे खाने का प्रोग्राम शगुन के घर में ही था। शगुन उन्हें कानपूर के बारे में बता रही थी पर ना जाने क्यों सुनते हुए बार बार चाची का मुंह बनता जा रहा था जैसे उन्हें शगुन को खुश देखकर अच्छा न लग रहा हो।
गुड्डू ने हाथ धोये और जेब से रुमाल निकाल कर हाथ पोछते हुए कहा,”अच्छा अमन हमाये साथ चलो गाड़ी तक”
“हां चलिए ना जीजू”,अमन ने ख़ुशी ख़ुशी कहा
गुड्डू और अमन गाड़ी के पास आये गुड्डू ने डिग्गी खोली और उसमे रखा कुछ सामान अमन को दिया और बाकि कुछ खुद लेकर अंदर जाने लगा विनोद बाहर किसी से बात कर रहा था जब गुड्डू को सामान उठाये देखा तो उसके पास आये और सामान उसके हाथो से लेकर कहा,”अरे बेटा जी आप क्यों लेकर जा रहे है मुझे दीजिये”
“अरे ठीक है हम उठा लेंगे”,गुड्डू ने कहा
“नहीं बेटा आप मुझे दीजिये (अमन की और पलटकर) नालायक शर्म नहीं आयी दामाद जी से ये सब,,,,,,,,,,,,,,आप मुझे दीजिये ना बेटा भाईसाहब ने देखा तो नाराज होंगे”,विनोद जी ने गुड्डू से सामान लेते हुए कहा
“कमाल करते है आप , बेटा भी कह रहे है और सामान भी नहीं उठाने दे रहे , लाईये इधर दीजिये”,कहकर गुड्डू ने विनोद से सामान वापस ले लिया। विनोद कुछ बोल ही नहीं पाया बस प्यार से गुड्डू को देखता रहा। गुड्डू ने अमन से चलने का इशारा किया और दोनों अंदर चले गए। विनोद को गुड्डू मे एक बहुत ही समझदार लड़का नजर आया। मुस्कुराते हुए अंदर चले आये। गुड्डू और अमन ने सामान लाकर अंदर रखा गुप्ता जी ने देखा तो आकर गुड्डू से कहा,”बेटा ये सब ?”
“पिताजी ने भेजा है आप सबके लिए”,गुड्डू ने कहा
“इतना सब इन सबकी क्या जरूरत थी बेटा ?”,गुप्ता जी ने कहा
“वो सब आप पिताजी से पूछ लीजियेगा”,गुड्डू ने कहा
इतने में प्रीति वहा चली आयी और कहा,”और मेरे लिए क्या लाये हो ?”
“तुम्हाये लिए लाये है ना”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा क्या ?”,प्रीति ने खुश होकर कहा
“फेविकोल का डिब्बा”,गुड्डू ने कहा
“वो क्यों ?”,प्रीति ने हैरानी से कहा
“उसे अपने होठो से लगना कम से कम थोड़ी देर के लिए तो चुप रहोगी ना”,गुड्डू ने कहा तो अमन और गुप्ता जी हंस पड़े लेकिन प्रीति ने मुंह बनाकर कहा,”जाओ मैं आपसे बात नहीं करती। गुड्डू मुस्कुरा उठा उसने गुप्ता जी की और बाहर जाकर वापस आने का इशारा किया और बाहर चला गया कुछ देर बाद गुड्डू वापस आया उसके हाथ में एक डिब्बा था जिसे उसने प्रीति की और बढाकर कहा,”इह तुम्हाये लिए”
“पक्का ना”,प्रीति को अभी भी शक था
“अरे हां अब इकलौती साली हो तुम हमायी तो लाना बनता है ना”,गुड्डू ने कहा तो प्रीति ने उसके गले लगते हुए कहा,”ओह थैंक्यू जीजू , आप बहुत स्वीट हो,,,,,मैं अभी दी को ये दिखाकर आती हूँ”
कहकर प्रीति वहा से चली गयी। अमन ने गुप्ता जी से कहा,”ताऊजी मैं जीजू को अपना घर दिखाकर लाऊ”
“हां बिल्कुल”,कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए। अमन गुड्डू को लेकर अपने घर चला गया। विनोद ने देखा मिश्रा जी ने सबके लिए बहुत सारा सामान शगुन के साथ भेजा है तो उन्होंने सामने से आती अपनी पत्नी से कहा,”देखो शगुन बिटिया के ससुराल से कितना सामान आया “
“हां तो जिनके लिए आया है वो देखे हमे इस से क्या ?”,कहकर चाची वहा से चली गयी कुछ दूर खड़े गुप्ता जी ने सूना तो ख़ामोशी से वहा से बाहर निकल गए।
“इसे क्या हो गया ? छोडो शक्ल ही ऐसी है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,खुद से कहकर आगे बढ़ गए
प्रीति ख़ुशी ख़ुशी ऊपर शगुन के कमरे में आती है और देखती है शगुन खिड़की पास खड़ी सामने अस्सी घाट को निहार रही है। प्रीति बिना आवाज किये अंदर आकर शगुन को देखने लगी। सामने देखते हुए शगुन कभी मुस्कुरा रही थी तो कभी शर्म से उसके गाल गुलाबी हो रहे थे। प्रीति ने डिब्बा साइड में पड़ी टेबल पर रखा और शगुन के पास आकर कहा,”दी , क्या हुआ आप ऐसे अकेले में मुस्कुरा क्यों रही हो ?”
शगुन ने प्रीति को वहा देखा तो मुस्कुरा उठी , वह बोलना चाह रही थी पर बोल नहीं पा रही उसका चेहरा बार बार शर्म से लाल हुआ जा रहा था। शगुन को ऐसे प्रीति ने पहले कभी नहीं देखा था उसने शगुन के हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा,”दी क्या हुआ ? आप इतना ब्लश क्यों कर रहे हो ?”
शगुन ने कुछ नहीं कहा बस प्रीति को गले लगा लिया और कहा,”मुझे प्यार हो गया है प्रीति”
प्रीति ने सूना तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा। शगुन उस से दूर हुयी तो प्रीति ने कहा,”वाओ दी कोन्ग्रेचुलेशन आपने जीजू को कहा की आप उनसे प्यार करने लगी है ?”
शगुन ने जवाब में अपनी गर्दन ना में हिला दी।
“लेकिन क्यों ? रुको मैं अभी उन्हें बताकर आती हूँ”,कहते हुए प्रीति जैसे ही जाने लगी शगुन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”प्रीति रुको”
“रुकना क्यों है दी ? और इतनी अच्छी बात के लिए कौन रुकता है ? आपके मुंह से ये बात सुनकर मैं खुद इतना एक्साइटेड हूँ सोचो जीजू कितना खुश होंगे,,,,,,,,,,,,,,मुझे ना उन्हें जाकर बताना है”,प्रीति ने कहा
“प्रीति मेरी बात सुनो”,कहकर शगुन ने उसे अपने और गुड्डू के रिश्ते के बारे में सब सच सच बता दिया। प्रीति ने सूना तो थोड़ा उदास हो गयी और फिर कहा,”डोंट वरी दी जैसे आपको जीजू से प्यार हुआ है ना देखना एक दिन उन्हें भी आपसे प्यार हो जाएगा और आप दोनों दुनिया के सबसे बेस्ट कपल कहलाओगे”
शगुन ने सुना तो प्रीति को एक बार फिर गले लगा लिया और कहने लगी,”गुड्डू जी बहुत अच्छे है प्रीति , भूलकर भी कभी पापा के सामने इस बात का जिक्र मत करना”
“आप टेंशन मत लो दी मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी और आप देखना आपके महादेव सब ठीक कर देंगे , इस बार जब जीजू बनारस से जायेंगे ना तो उन्हें आपसे प्यार जरूर हो जाएगा”,प्रीति ने कहा
दोनों बहाने वही बैठकर बाते करने लगी। गुड्डू वापस आया तब तक अँधेरा हो चुका था। प्रीति किचन में रात का खाना बनाने में चाची की मदद करने लगी
गुड्डू ऊपर चला आया उसने देखा शगुन बैग से कपडे निकालकर रख रही थी। गुड्डू ने अंदर आकर कहा,”यार तुम्हाये घरवाले तो बहुते बवाल है मतलब इतना कौन खिलाता है ?”
“बनारस में मेहमाननवाजी ऐसे ही होती है”,शगुन ने गुड्डू की और देखकर कहा
“हम्म ऐसी मेहमाननवाजी कानपूर में हो ना तो हम और गोलू तो हर रोज किसी न किसी के घर मेहमान बनकर जाये”,गुड्डू ने मुस्कुरा कर कहा और फिर कमरे को देखते हुए कहा,”ये तुम्हारा कमरा है ?”
“हम्म्म्म”,शगुन ने कहा और खाली सूटकेस उठाकर साइड में रख दिया। गुड्डू उठा और कमरे का जायजा लेने लगा। घूमते हुए वह खिड़की के पास आया जहा से अस्सी घाट नजर आता है इस वक्त वो जगह और भी खुबसुरत नजर आ रही थी। घाट पर इस वक्त आरती चल रही थी गुड्डू कुछ देर खड़े खड़े बाहर देखता रहा और कहा,”कितना खूबसूरत नजारा है ना ये”
शगुन ने पलकटकर देखा और खिड़की के दूसरी और खड़ी होकर गुड्डु के साथ अस्सी घाट पर चल रही आरती को देखने लगी। अभी दोनों उसे देखने में बिजी थी की एक चूहा गुड्डू के पैर के ऊपर से निकला और गुड्डू डरकर शगुन के गले आ लगा। एक करंट जैसा अनुभव शगुन को पहली बार हुआ , गुड्डू के छूने का अहसास उसे ना जाने कितनी ही बार हुआ होगा लेकिन आज जो हुआ वो सब अहसासों से परे था। हैरान सी वह ना कुछ बोल पाई ना ही खुद को गुड्डू से अलग कर पाई। गुड्डू शगुन को कस के पकडे हुए था और शगुन की धड़कने बहुत धीमी हो चुकी थी। महादेव की आरती समाप्त हो चुकी थी और वहा हो रहा शंखनाद गुड्डू और शगुन के कानो में पड़ रहा था।
क्रमश – मनमर्जियाँ – 86
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संजना किरोड़ीवाल
भगवान जी रोज ऐसे चूहे दे…जिससे गुड्डू और शगुन एक दूसरे से प्यार का इकरार कर दे
Aayee hayeee❤️❤️❤️❤️❤️
Ye chachii taii kbhii kush ho hi na ske..100 me se 2 hi achi hoti bss😏😏
Ye chachi pakka kuch gadbad karegi..kya pata priti or shagun ki baat sunli hi ..or jake sabko pokde..waise ye chuhe hai bade acche
मैम चाची भी खुश हो जायेंगी जब गुड्डू शगुन उनको भी उपहार देंगे… दामाद जी की खातिरदारी तो बहुत अच्छी हुई…और ये गणेश जी का वाहन तो बहुत काम का हैं…भगवान करें दिन भर में तीन चार बार इसीतरह शगुन के सामने आयें जब वो गुड्डू के साथ हों😄😊 majedaar part👌👌👌👌👌
Very beautiful
Hay ye chuha aaj chuhe ko chess dongi khush kar diya mujhe 😍😍😍😍😍😍😍😍bar bar chuha ata rhe kyu pyar ka ehsas chuha hi dilaega insan se ye mumkin nhi hai 😅😅
Ab ek bar phir se banaras k darshan honge apki story k sath. M kabhi banaras nahi gayi par apki kahaniyo ko pad kar Jane ka bahut man karta hai Mahadev k darshan karne ka.
💓💓💓💓💓 hayeeeer
Chachi ko kya hua
Sop sweet ..
Bhut hi khoobsurat part tha mazaa aa gya
Awesome part 💕💕💕💕💕