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मनमर्जियाँ – 68

Manmarjiyan – 68

Manmarjiyan - 68

मनमर्जियाँ – 68

गुड्डू को शगुन का साथ अब भाने लगा था। वह शगुन के करीब रहना ही पसंद करता था और चाहता था शगुन भी ऐसा ही करे। शगुन को लेकर गुड्डू के मन में भावनाये उमड़ने लगी थी लेकिन उन्हें कोई नाम गुड्डू नहीं दे पाया था। गुड्डू गोलू से मिलने चला गया। शगुन ने जो पैसे दिए उनसे गुड्डू ने ऑफिस के लिए कुछ सामान खरीदा। एक हफ्ते तक गोलू और गुड्डू ने खूब मेहनत की और उनका ऑफिस तैयार था। गुड्डू ने कानपूर के ही किसी पंडित जी से बात करके अपने ऑफिस के लिए मुहूर्त निकलवाया। अगले दिन बुधवार था और अच्छा दिन भी था पंडित जी ने मुहूर्त निकाल दिया। गुड्डू गोलू के साथ ख़ुशी ख़ुशी शाम में घर आया। मिश्रा जी भी शोरूम से आ चुके थे गुड्डू ने हाथ में पकड़ा कार्ड मिश्रा जी को दिया और कहा,”पिताजी कल हमायी ऑफिस का मुहूर्त है पहला निमंत्रण आपको”
मिश्रा जी ने कार्ड लेकर उसे देखा लिखा था “मिश्रा वेडिंग प्लानर” कार्ड भी अच्छा छपा था। मिश्रा जी ने कार्ड पढ़ा और गुड्डू की और देखकर कहा,”किसको टोपी ओढ़ाई है तुम दोनों ने इस बार जो तुम्हे पैसे दे दिए ये सब करने के लिए”
“किसको का टोपी ओढ़ाई हमायी मेहनत से किया है सब”,गुड्डू ने कहा
“मेहनत किस चिड़िया का नाम है जानते भी हो बेटा ?”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू ने वही खड़ी मिश्राइन की और देखकर कहा,”देखो ना यार अम्मा पिताजी अब भी हमे नाकारा ही समझते है , हम इतने प्यार से इनको निमंत्रण दे रहे है और जे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“का मिश्रा जी आप भी बच्चो ने नया काम शुरू किया है आशीर्वाद देने के बजाय आप इनकी खिंचाई कर रहे है”,मिश्राइन ने झिड़का तो मिश्रा जी ने कहा,”ठीक है आ जायेंगे”
गुड्डू और गोलू दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर गुड्डू ने मिश्रा जी के सामने बैठते हुए कहा,”पिताजी आप देखना एक दिन पुरे कानपुर में आपका नाम रौशन करेंगे हम , कानपूर में का कानपूर के बाहर भी लोग जानेंगे की मिश्रा जी कौन है ?”
“एक ठो काम करोगे बेटा ?”,मिश्रा जी ने बड़ी सहजता से कहा
“हां हां कहिये ना”,गुड्डू ने भी जल्दी से कहा
“अपने नाम के आगे से ना ये मिश्रा हटा दो , तुम्हारे कांडो में ना हम भागीदार बनना नहीं चाहते,,,,,,,,,,,,का समझे ?”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू चुप हो गया और कहा,”मैं जे कह रहा था की,,,,,,,,,,,,,,!!”
“तुम कुछ ना ही कहो गुड्डू मिश्रा हमे तो उस बेचारे पर तरस आ रहा है जिसने तुम्हे पैसे दिए है”,कहकर मिश्रा जी उठे और वहा से चले गए। गोलू गुड्डू के पास आया और कहा,”तुम्हायी जिंदगी में सबसे बड़े चरस तो तुम्हाये पिताजी खुद है”
“छोडो यार गोलू हम पहले ही कहे थे पिताजी को मत बुलाओ लेकिन तुम नहीं माने”,गुड्डू ने मायूस होकर कहा
“मुंह मीठा कीजिये”,शगुन ने रसमलाई की कटोरी गोलू की और बढाकर कहा , गोलू ने लपक कर ले ली और कहा,”अरे वाह जे किस ख़ुशी में ?”
“आप लोगो का सपना पूरा होने जा रहा है , मुंह मीठा करना तो बनता है ना,,,,,,,,,,,,,,लीजिये गुड्डू जी”,शगुन ने दूसरी कटोरी गुड्डू की और बढ़ा दी। गुड्डू ने कटोरी तो ले ली लेकिन उदास होकर कहा,”का तुम्हे सच में लगता है ये ख़ुशी की बात है , पिताजी को देखकर तो नहीं लगता वो खुश है हमसे या हमारे काम से”
शगुन गुड्डू के सामने आयी उसके हाथ में पकड़ी कटोरी से चम्मच उठाया और गुड्डू को अपने हाथ से रसमलाई खिलाते हुए कहा,”आज नहीं तो कल वो आपकी तरक्की से खुश जरूर होंगे” पहली बार शगुन ने गुड्डू को अपने हाथ से खिलाया गुड्डू तो बस ख़ामोशी से शगुन को देखता रहा। शगुन ने गुड्डू के होंठ के पास लगे खाने को अपनी ऊँगली से हटाते हुए कहा,”जब भी इंसान कुछ नया करता है ना गुड्डू जी तो उसके सामने बहुत सारी परेशानिया आती है , कभी कभी अपने भी खिलाफ हो जाते है लेकिन अगर आप सही है और आपकी मंजिल सही है तो आपको किसी की परवाह किये बिना आगे बढ़ जाना चाहिए , वे लोग जो आज आपको समझ नहीं पा रहे है देखियेगा कल आपके लिए उनकी आँखों में प्यार और बातो में सम्मान रहेगा”
शगुन की बातो से गुड्डू को थोड़ी हिम्मत मिली तो उसने कटोरी से चम्मच उठाकर शगुन को खिलाते हुए कहा,”फिर तो तुम्हे भी मीठा खाना चाहिए”
गोलू बस प्यार से दोनों को देख रहा था और मन ही मन दुआ कर रहा था की अब इन दोनों के बीच कोई ना आये। गोलू को मुस्कुराते देखकर गुड्डू ने कहा,”का बे चिरे तुम काहे इतना मुस्कुरा रहे हो ?”
“कुछो नहीं भैया बस ऐसे ही पर एक बात जरूर कहेंगे भाभी के आने के बाद से ना सुधर गए हो तुम”,गोलू ने कहा
“तो का बिगड़े हुए है हम ?”,गुड्डू ने गोलू को घूरते हुए पूछा
गोलू तब तक अपनी रसमलाई खत्म कर चुका था इसलिए धीरे से कटोरी नीचे रखते हुए कहा,”हां थोड़े से” कहकर गोलू वहा से भाग गया। गुड्डू ने सूना तो अपनी कटोरी शगुन को थमाई और गोलू के पीछे दौड़ पड़ा। भागते भागते गोलू छत पर पहुँच गया और गुड्डू भी उसके साथ ऊपरी छत पर जाकर गोलू फंस गया क्योकि भागने का कोई रास्ता नहीं था।
“अब भागो कहा भागोगे ?”,गुड्डू ने कहा
गोलू जैसे ही साइड से निकला उसका पैर फिसला और वह छत से गिर गया लेकिन वह गिरता इस से पहले गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ लिया ! गुड्डू ने गोलू को ऊपर खींचा और थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाते हुए कहा,”कमीने गिर जाता ना अभी,,,,,,,,,,,,,!!”
लेकिन गोलू की शक्ल देखकर गुड्डू उसे मार नहीं पाया और फिर उसकी कॉलर पकड़ उसके अपनी और खींचते हुए गले लगा लिया। गोलू का दिल धड़क रहा था अगर गुड्डू ने उसे गिरने से नहीं बचाया होता तो उसकी हड्डी पसली टूट चुकी होती अब तक।
“ऐसी शरारते मत किया कर भाई पहले ही इतने कांड किये हुए है हमने”,गुड्डू ने गोलू से दूर होते हुए कहा और फिर दोनों छत से साइड में आकर दिवार पर बैठ गये और गोलू ने एकदम से पूछ लिया,”अब कैसा लग रहा है भैया ?”
“कैसा लग रहा है मतलब ?”,गुड्डू ने पूछा
“हमारा मतलब पहले से जिंदगी बेहतर हुई या नहीं ?”,गोलू ने पूछा तो गुड्डू एकदम से उसकी और पलटा और एकदम से कहा,”अरे यार गोलू का बताये ? तुम यकीं नहीं करोगे लेकिन सच कह रहे है खुश है हम , अब ना किसी तरह की टेंशन नहीं रहती है , वक्त पर सोना खाना सब हो रहा है हमसे पहले साला बौराये हुए घूमते थे और उसी चक्कर में नए नए कांड करते रहते थे पर सब ठीक हो चुका है तुमहू एक बात सही कहे थे गोलू पिंकी हमाये लिए सही लड़की नहीं थी पर हम ही बेवकुफो की तरह उसके आगे पीछे घूमते रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर वो कहते है आना गोलू जब आप किसी के प्यार में होते हो तो सही गलत कुछो समझ नहीं आता है , हमाये साथ भी ऐसा ही था। पिंकी के साथ जो वक्त गुजरा है उसमे कभी हम खुश नहीं रहे हर वक्त कोई न कोई टेंशन पर अभी सब ठीक है”
“अरे पिंकिया खुद ही टेंशन थी यार तुम्हायी जिंदगी में”,गोलू ने कहा
“हां बे तुम सही थे हम गलत”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे हम हमेशा सही होते है गुड्डू भैया , भले आपसे थोड़े छोटे है पर समझदार है”,गोलू ने कहा
“सही है बेटा अपने मुंह से अपनी तारीफ हमायी तो किसी ने ना की आज तक”,गुड्डू ने कहा
“तुम्हायी तारीफ भाभी ने की थी हमसे एक बार”,गोलू ने याद करते हुए कहा
“क्या कहा था ?”,गुड्डू ने एक्साइटेड होकर कहा तो गोलू ने छेड़ते हुए कहा,”अच्छा तुम काहे इतना एक्साइटेड हो रहे हो ?”
“हम हम कहा हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे है”,गुड्डू ने नजरे चुराते हुए कहा
“अच्छा ठीक है बताते है भाभी कह रही थी की तुमहू बहुत अच्छे हो”,गोलू ने कहा
“और ?”,गुड्डू ने कहा
“और कह रही थी की बहुत सीधे हो”,गोलू ने दांत कुरेदते हुए कहा
“और ?”,अपनी तारीफ सुनते हुए गुड्डू जैसे खो सा गया
“कहा के बड़े भोले हो , मन के साफ हो”,गोलू ने इस बार गुड्डू की और देखकर कहा जो की कही खोया हुआ था और मुस्कुरा रहा था।
“और ?”,गुड्डू ने सामने देखते हुए कहा
“और वो रही भाभी खुद ही पूछ लो”,गोलू ने कहा तो गुड्डू अपने ख्यालो से बाहर आया इधर उधर देखा लेकिन शगुन वहा नहीं थी। गुड्डू ने गोलू को खा जाने वाली नजरो से देखा और एक दो मुक्के उसकी पीठ पर जमाते हुए कहा,”का बे चिकाई कर रहे हो ?”
“अरे भैया मजाक कर रहे है मार काहे रहे हो , अच्छा अच्छा सुनो हमरी बात”,गोलू ने कहा
“का है ?”,गुड्डू ने कहा
“भाभी कैसी लगती है तुमको ?”,गोलू ने एकदम से पूछ लिया
“इह कैसा सवाल है बे ?”,गुड्डू ने फिर गोलू से नज़ारे बचाते हुए कहा
“कैसी लगती है मतलब अच्छी लगती है या बुरी बोलो”,गोलू तो आज जैसे गुड्डू के पीछे ही पड़ गया था
“अच्छी है”,गुड्डू ने कहा
“अच्छी या बहुत अच्छी”,गोलू ने अपना कन्धा गुड्डू के कंधे से टकरा कर कहा
“जे ज्यादा हो रहा है गोलू , जाओ हम नहीं बैठेंगे यहाँ”,कहकर गुड्डू उठा और जाने लगा तो गोलू ने पीछे से कहा,”लेकिन आपकी आँखों में तो साफ दिख रहा है”
“का ?”,गुड्डू ने पलटकर कहा
“यही की पसंद करने लगे है आप उन्हें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उह भी बहुते ज्यादा”,गोलू ने भी गुड्डू की और आते हुए कहा तो गुड्डू का दिल धड़क उठा , ऐसा लगा जैसे गोलू ने एकदम से उसकी चोरी पकड़ ली हो। गुड्डू को चुप देखकर गोलू उसके पास आया और कहा,”क्यों सच कहा ना हमने ?”
“कुछ भी बोलते हो यार गोलू”,कहकर गुड्डू जाने लगा तो गोलू ने उसके साथ चलते हुए कहा,”देख लो भैया हम कभी गलत नहीं बोलते”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस नीचे चला आया। अँधेरा हो चुका था इसलिए गोलू अपने घर चला गया। कमरे की और जाते हुए गुड्डू की नजर सामने तार से कपडे उतारती शगुन पर चली गयी। गुड्डू वही खड़े होकर बड़े प्यार से शगुन को देखने लगा , शगुन एक के बाद एक कपडे तार से उतारते जा रही थी उसने शायद गुड्डू को नहीं देखा
हल्की बूंदाबांदी होने लगी ये देखकर गुड्डू शगुन की और आया उसकी मदद करने शगुन ने एक नजर गुड्डू को देखा और वापस अपने काम में लग गयी। गुड्डू भी उसकी मदद करने लगा और जैसे ही शगुन उसके सामने आयी गुड्डू एकदम से उस से टकरा गया। हाथ में पकडे कपडे छूटकर नीचे गिर गए। गुड्डू और शगुन एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। बारिश तेज हो चली थी और बालकनी से आती पानी की फुंहारे दोनों को भीगा रही थी। गुड्डू बस एकटक शगुन के बारिश के पानी से भीगे होंठो की और देखे जा रहा था। जिनपर पानी की बुँदे कीसी ओस की बून्द सी नजर आ रहा थी। शगुन के बालो की लट भीगकर गालों पर आ गयी थी गुड्डू ने कांपते हाथ से उसे साइड किया जैसे ही उसकी उंगलियों ने शगुन के गाल को छुआ शगुन ने अपनी आँखे मूंद ली।
गुड्डू ने जैसे ही अपने होंठों को शगुन के होंठो की और बढ़ाया उसे लगा जैसे कोई उसके हाथ को थपथपा रहा है गुड्डू ने कहा,”का है ?”
गुड्डू ने देखा हाथो में कपडे लिए शगुन खड़ी थी उसने इधर उधर देखा कोई बारिश नहीं हो रही थी मौसम बिल्कुल साफ था और दोनों सूखे थे। शगुन ने गुड्डू को असमझ में देखा तो कहा,”क्या हुआ ? आप यहा ऐसे क्यों खड़े है ?”
“क कुछ नहीं बस ऐसे ही”,गुड्डू ने कहा तो शगुन वहा से चली गयी। कोई बारिश वारिश नहीं हुयी थी गुड्डू खुली आँखों से सपना देख रहा था। गुड्डू ने अपने सर पर चपत मारी और और नीचे चला आया। गुड्डू ने खाना खाया और मनोहर के बुलाने पर बाहर चला गया। मनोहर और उनके कुछ दोस्त जो गुड्डू के साथ के ही थे बैठकर बातें करने लगे। गुड्डू को जल्दी घर जाना था लेकिन दोस्त कहा उठने देते है। सब बैठकर अपने अपने पुराने कांडो के बारे में बात कर रहे थे और गुड्डू चुपचाप सुन रहा था। जहन में शगुन का ख्याल रहा और गुड्डू बस जाना चाहता था। 9 बजने को आये गुड्डू का फोन बजा मनोहर पास ही बैठा उसने देखा गोलू का फोन है लेकिन गुड्डू ने फोन उठाते हुए कहा,”हां पिताजी , उह दोस्तों के साथ थे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां हां अभी आ रहे है”
गुड्डू ने फोन जेब में डाला और बाकि लोगो से कहा,”माफ़ करना यार भाई उह पिताजी का फोन था , जाना पड़ेगा”
मनोहर समझ गया गुड्डू बहाने बना रहा है लेकिन चुप रहा। गुड्डू वहा से निकल गया तो एक दोस्त ने कहा,”यार ये गुड्डू बदला बदला सा नजर आ रहा है , पहले जो गुड्डू था वो रात रात भर बाहर पड़ा रहता था लेकिन आज देखो कैसे 9 बजे ही भाग गया”
मनोहर ने अंगड़ाई ली और कहा,”प्यार में पड़े आशिक और शादी-शुदा मर्द को ना बदलते देर नहीं लगती है,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑमलेट बनवाओ बे”
सभी दोस्त बातो में लग गए। गुड्डू घर चला आया ऊपर कमरे में आया तब तक 10 बज चूके थे। शगुन सो चुकी थी गुड्डू कमरे में आया देखा शगुन सो रही है तो आकर उसके और अपने बीच तकिये रखे और करवट बदलकर सो गया।
अगली सुबह गुड्डू जल्दी उठा और तैयार होने लगा। शगुन भी उठ चुकी थी जब गुड्डू के लिए चाय लेकर ऊपर कमरे में आयी तो देखा गुड्डू आईने के सामने खड़ा तैयार हो रहा है। शगुन ने देखा आज गुड्डू ने डार्क सी कलर का शर्ट और जींस पहना है और वह बहुत प्यारा लग रहा है। शगुन एकटक उसे देखती रही , गुड्डू ने शगुन को देखा तो भँवे उचकाई , शगुन ने मुस्कुरा के ना में गर्दन हिला दी। गुड्डू ने शगुन के हाथ से चाय ली और पीने लगा। शगुन ने बिस्तर पर रखे गुड्डू के कपडे उठाये और उन्हें कबर्ड में रखने लगी। गुड्डू ने चाय खत्म की और कहा,”आज मुहूर्त है इसलिए जा रहे है”
“हम्म्म ठीक है”,शगुन ने कहा
गुड्डू शगुन का इंतजार करने लगा की शगुन जाने से पहले उसे विश करेगी लेकिन शगुन काम में लगी हुई थी। गुड्डू ने एक बार फिर कहा,”तो हम जाये”
“हां”,शगुन ने सहजता से कहा
“अच्छा तो हम चलते है”,निराश होकर गुड्डू चल पड़ा
“गुड्डू जी”,शगुन ने आवाज दी
गुड्डू पलटा तो शगुन उसके पास आयी और हाथ में पकड़ा एक छोटा सा फूल गुड्डू की शर्ट में लगाते हुए कहा,”ऑल द बेस्ट , आप जरूर सफल होंगे”
गुड्डू ने सूना तो मुस्कुरा उठा और कहा,”थैंक्यू”
और फिर शगुन को देखते हुए मन ही मन कह उठा,”तुम साथ रहोगी तो जरूर हो जाऊंगा , Thankyou for be with me “

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संजना किरोड़ीवाल

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