मनमर्जियाँ – 67
Manmarjiyan – 67
मनमर्जियाँ – 67
शगुन गुड्डू और गोलू की सिफारिश लेकर मिश्रा जी के पास गयी थी लेकिन दोनों के कांड सुनकर उसका चेहरा ही उतर गया। शगुन का उतरा हुआ चेहरा देखकर मिश्रा जी ने बड़े प्यार से कहा,”देखो बिटिया तुमहू किसी काम के लिए पैसे की जरूरत हो तो बेझिझक मांगना हमहू मना नहीं करेंगे लेकिन इन गधो के लिए बर्बाद करने के लिए पैसे हमाये पास नहीं है। इन दोनों ने अपनी चालाकियों से तुमको भी फंसा लिया इनके भोले चेहरे पर बिल्कुल नहीं जाना , आज तक जिंदगी में एक ठो काम ठीक से नहीं किये है ,,, तुमहू अपना वक्त बर्बाद कर रही हो इनके साथ”
इतना कहकर मिश्रा जी अपने कमरे से बाहर निकल गये। शगुन भी जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”शगुन”
अपने गुस्से को कण्ट्रोल में रखते हुए शगुन पलटी और कहा,”क्या गुड्डू जी ? अब भी कुछ कहना बाकि रह गया है। और कितने प्रोब्लेम्स क्रिएट किये है आपने अपनी जिंदगी में”
“भाभी उह का है न लोगो की जिंदगी में थोड़ी सी प्रॉब्लम होती है लेकिन गुड्डू भैया के तो प्रॉब्लम में थोड़ी सी जिंदगी है”,गोलू ने कहा
“आप तो कुछ कहिये ही मत गोलू जी , आप भी तो इन सबमें इनके साथ होते है ना”,शगुन ने गुस्से से गोलू से कहा तो गोलू सहम कर पीछे हट गया। गुड्डू ने उसे चुप रहने का इशारा किया और शगुन के सामने आकर कहा,”हम मानते है हम से थोड़ी गलती हुई है.,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
“थोड़ी,,,,,,,,,,,,?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“हमारा मतलब बहुत ज्यादा लेकिन अब हम अपनी गलतियों को सुधारना चाहते है और तुम्हारे बिना ये मुमकिन नहीं है”,गुड्डू ने कहा , शगुन ने एक नजर गुड्डू को देखा और वहा से चली गयी। गुड्डू और गोलू शगुन के पीछे पीछे आये और एक बार फिर शगुन का नाम पुकारा जैसे ही शगुन पलटी नजारा देखने लायक था गुड्डू और गोलू दोनों अपने अपने कान पकडे उठक बैठक लगा रहे थे। शगुन ने देखा तो उसे बुरा लगा वह उनके पास आयी और कहा,”उठिये”
दोनों सीधे खड़े हो गए और एक साथ कहा,”सॉरी”
शगुन ने दोनों को माफ़ कर दिया और कहा,”पापाजी तो आपको पैसे देंगे नहीं अब क्या करेंगे ?”
“बिना पैसो के डेकोरेटिंग का सामान कैसे आएगा ?”,गुड्डू ने कहा
“भैया आज ठो काम करते है बैंक से लॉन ले लेते है”,गोलू ने आइडिआ दिया
“कहा से लेंगे तुम्हाये और हमाये पिताजी ने कौनसी जमीन जायदाद हमारे नाम की है , तुम्हे लगता है कोई भरोसा करेगा हम पर”,गुड्डू ने गोलू को झड़प दिया। उनका झगड़ा देखकर शगुन ने कहा,”आप लोग शांत हो जाओ मैं करती हूँ कुछ”
“हां तुम कुछ ना कुछ कर लोगी”,गुड्डू ने मन ही मन कहा और फिर गोलू के साथ बाहर चला गया। शगुन अपने कमरे में आयी अपना सूटकेस खोला जिसमे कुछ रूपये रखे हुए थे। शगुन ने उन्हें जोड़कर देखा 20,000 के आस पास थे। उन्हें देखकर शगुन ने कहा,”इतने कम पैसो से क्या होगा ? पापा से हेल्प लू या नहीं ? नहीं नहीं गुड्डू जी को पता चला तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा और पापा को भी इन सब चीजों के बारे में बताना शायद सही नहीं होगा,,,,,,,,,,,,,,,,पर गुड्डू जी की हेल्प के लिए कुछ तो करना ही होगा। यही एक मौका है जिस से गुड्डू जी पापाजी की नजरो में उठ सकते है,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं क्या करू ?,,,,,,,,किसी से हेल्प भी तो नहीं ले सकती”
शगुन काफी देर तक सोचती रही और फिर उसे आइडिआ आया। वह ख़ुशी ख़ुशी उन पैसो को कबर्ड में रखकर गुड्डू के आने का इंतजार करने लगी। गुड्डू और गोलू ऑफिस के अरेंजमेंट के लिए कुछ सामान देखने गए थे लेकिन वही पैसे ना होने की वजह से सब अटक गया। गुड्डू रात में घर आया , खाना खाकर जब ऊपर कमरे में आया तो शगुन ने उसे पैसे देकर कहा,”ये कुछ पैसे है इन्हे आप इस्तेमाल कर लीजिये”
“पर जे तो तुम्हाये पैसे हुए ना इन्हे हम कैसे खर्च कर सकते है ?”,गुड्डू ने आपत्ति जताई
“आपने मुझे दोस्त कहा है ना तो आप ये समझ लीजिये की एक दोस्त दूसरे दोस्त की हेल्प कर रहा है , अब तो आप ये पैसे लेंगे ना ?”,शगुन ने बड़े ही प्यार से कहा
गुड्डू ने सूना तो थोड़ा भावुक हो गया और कहा,”तुम हमाये पर इतना भरोसा जताय रही हो वही बहुते बड़ी बात है शगुन , पिताजी ने तो एकदम से मना कर दिया हमे”
“चिंता मत कीजिये एक दिन उन्हें आप पर नाज होगा”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसकी और देखा और भावुक होकर कहा,”पता है शगुन हम ना हमेशा चाहते थे की बस बार पिताजी हमे गले लगाए और हमायी पीठ थपथपाये लेकिन हमायी जिंदगी में वो मौका कबो नहीं आया,,,,,,,,,,,,,,,प्यार की बात आती है तो सबसे पहले माँ का नाम आता है जबकि जे बात कोई नहीं जानता की हम लड़के माँ से भी ज्यादा प्यार अपने पिताओ से करते है ,, हां ये बात और है कभी उन्हें जताते नहीं है दिखाते नहीं है पर हमेशा चाहते है की एक बार तो वो हमे गले लगाए”
शगुन ने सूना तो गुड्डू के साथ साथ खुद भी भावुक हो गयी , पहली बार उसने मिश्रा जी के लिए गुड्डू की भावनाये देखी थी। और ये सच था की गुड्डू उनसे बहुत प्यार करता था। शगुन ने मन ही मन ठान लिया की अब तो गुड्डू को मिश्रा जी नजरो में प्राउड फील करवाना ही है। गुड्डू हमेशा हँसता मुस्कुराता ही अच्छा लगता था इसलिए शगुन उसके थोड़ा पास आयी और पैसे उसके हाथ में थमाकर कहा,”आपके सपने जरूर पुरे होंगे बस आप खुद पर भरोसा रखना”
गुड्डू ने पैसे ले लिए और कहा,”हम चाहकर भी तुम्हारे जितने अच्छे नहीं बन पाएंगे शगुन , तुम बहुत अच्छी हो”
“मैं अगर अच्छी हूँ तो बुरे आप भी नहीं है गुड्डू जी ,, बस थोड़े से मासूम है”,शगुन ने कहा
“का हम और मासूम”,गुड्डू ने हैरानी से कहा
“हां कभी कभी लगते है”शगुन ने प्यार से कहा
“अरे हम कोई मासूम वासुम नहीं है , अभी कानपूर में हमाये बारे में सूना नहीं है ना तुमने इसलिए बोल रही हो”,गुड्डू ने अपनी तारीफ में कहा
“क्यों आप कानपूर के गुंडे है ?”,शगुन ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा तो गुड्डू ने मुंह बना लिया और कहा,”हम हीरो है गुंडे नहीं”
“मुझे तो नहीं लगता”,शगुन ने कहा
“चलो दिखाते है”,कहते हुए गुड्डू
शगुन को लेकर शीशे के सामने आया और कहा देखो। ऐसा करते हुए गुड्डू शगुन के बिल्कुल पीछे खड़ा था और उसके दोनों हाथ शगुन के कंधो पर थे और वह शीशे में खुद को देखते हुए अपनी तारीफ कर रहा था लेकिन शगुन उसे शीशे में दिखाई दे रहा था अपने साथ खड़ा गुड्डू जो की बहुत ही प्यारा लग रहा था। उसकी उंगलियों की छुअन वह अपने कंधो पर महसूस कर रही थी और मुस्कुरा रही थी जैसे ही उसकी नजर गुड्डू की नजरो से मिली उसका दिल धड़क उठा और उसने साइड होकर कहा,”ठीक है मैंने मान लिया आप हीरो जैसे है”
गुड्डू मुस्कुराया और शीशे में देखते हुए बालों में हाथ घुमाने लगा। शगुन प्यार से गुड्डू को देखते हुए मन ही मन कह उठी,”मेरी कहानी के हीरो तो आप ही है गुड्डू जी”
दरवाजे पर दस्तक हुयी शगुन ने गेट खोला सामने मिश्राइन खड़ी थी और हाथ में एक डिब्बा था। मिश्राइन अंदर आयी और डिब्बा शगुन को थमाते हुए कहा,”इह माँ लड्डू है , रोज एक खाना है तुमको इस से बच्चा स्वस्थ पैदा होगा”
शगुन ने गुड्डू की और देखा लेकिन गुड्डू ने बात को अनसुना कर दिया। उसे बिजी देखकर मिश्राइन ने कहा,”ए गुड्डू का जब देखो तब शीशे के सामने खड़े होकर अपनी बंदर सी शक्ल निहारते रहते हो ,, ऐसे वक्त में तुम्हे शगुन का ख्याल रखना चाहिए। उससे बातें करो , अच्छा वक्त बिताओ साथ में , बस लगे पड़े है शीशे के सामने”
मिश्राइन ने झिड़का तो गुड्डू चुपचाप आकर शगुन की बगल में खड़े हो गया। मिश्राइन कुछ नसीहते देकर चली गयी शगुन ने हाथ में पकड़ा डिब्बा गुड्डू को थमा दिया तो गुड्डू ने वापस करते हुए कहा,”हम का करे ?”
“ये सारा नाटक आपने शुरू किया है तो अब आपकी भी हर चीज में हिस्सेदारी रहेगी ना”,शगुन ने डिब्बा वापस गुड्डू को देकर कहा
“अरे गलतफहमी तो तुम्हायी वजह से हुई न”,कहते हुए डिब्बा गुड्डू ने वापस शगुन को थमा दिया
“अच्छा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और उस गलतफहमी को कन्फर्म किसने किया ?”,कहकर शगुन ने डिब्बा वापस गुड्डू के हाथ में थमा दिया
“वो तो हम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते गुड्डू रुक गया
“वो तो आप क्या ?,,,,,,,,,,,,,लड्डू बराबर में बाटेंगे और बराबर क्यों एक हिस्सा गोलू जी का भी रखिये उन्हें भी पता चले झूठ बोलने का अंजाम”,शगुन ने कहा तो गुड्डू बेमन से मान गया जबकि उसे लड्डू बिल्कुल पसंद नहीं थे। गुड्डू कपडे चेंज करने चला गया और शगुन ने डिब्बा टेबल पर रख दिया। आज उसका बुक पढ़ने का मन था इसलिए उसने टेबल पर रखी किताबो में से एक किताब उठायी और पढ़ने लगी। गुड्डू कपडे चेंज करके आया और आकर लेट गया। कुछ देर बाद जब उसने करवट बदली तो देखा शगुन पढ़ते पढ़ते सो गयी है और किताब उसके हाथो में ही जिसे उसने अपने सीने पर रखा हुआ है। गुड्डू थोड़ा सा शगुन के करीब आया ओर आहिस्ता से उसके हाथ से किताब निकालकर साइड में रख दी। अगले ही पल शगुन ने करवट बदली और उसका चेहरा गुड्डू के चेहरे के बिल्कुल सामने था। एक पल को तो जैसे गुड्डू की धड़कने ही रुक गयी। वह शगुन के चेहरे को देखता रहा और मन ही मन कहा,”हमसे कहती है की हम इन्हे मासूम लगते है शायद किसी ने इनसे नहीं कहा की मासूम तो ये खुद है ,, कैसे छोटे बच्चे के जैसे आराम से सो रही है।”
गुड्डू ने अपने दोनों हाथो को अपने गाल के निचे लगाया और शगुन की और मुंह करके सो गया। पहली बार था। सुबह जब शगुन की आँखे खुली तो सबसे पहले उसे गुड्डू का चेहरा दिखाई दिया। शगुन नींद से पलके झपकाते हुए गुड्डू को देखते रही ,, सोया हुआ गुड्डू और भी प्यारा लगता था ,, उसके बाल जब आँखों पर आते तो वह किसी बच्चे सा दिखाई देता था। शगुन ने फूंक मारकर धीरे से बालो को आँखो से हटाया। ठंडी हवा का झोंका गुड्डू को अपने चेहरे पर महसूस हुआ तो उसने करवट बदल ली और सो गया।
आज की सुबह शगुन की सबसे खूबसूरत सुबह थी। शगुन नहाकर आयी तो देखा मिश्राइन हाथो में कुछ कपडे लिए चली आ रही है। शगुन ने सर पर पल्लू लिया और कहा,”माजी आप मैं नीचे आ ही रही थी”
“अरे नहीं बिटिया तुमहू आराम से आओ , इह तो हम तुम्हाये लिए कपडे लेकर आये है इति गर्मी में साड़ी पहनने में दिक्कत होती होगी सोचकर कल शाम में मिश्रा जी से तुम्हारे लिए सूट मंगवा लिए थे। और ये पल्लू वल्लू का रिवाज यहाँ नहीं है इसलिए आराम से रहो”,मिश्राइन ने कपडे शगुन को देकर कहा
“हम्म्म शुक्रिया”,शगुन ने कहा
“अच्छा हम चलते है तुम आ जाना और हां इह लाल वाला पहले पहनना का है हमे लाल रंग बहुते पसंद है”, मिश्राइन ने कहा तो शगुन ने हामी भर दी
शगुन ने सूट पहना और नीचे चली आयी। शगुन ने तुलसी में जल चढ़ाया और मंदिर के सामने आकर गुड्डू की सफलता के लिए प्रार्थना करने लगी। मिश्राइन ने लाजो से कहकर नाश्ता बनवा दिया था। शगुन के पास बहुत कम होता था। गुड्डू भी तैयार होकर नीचे आया शगुन को देखा तो उसके पास आया और कहा,”तुमहू कही जा रही हो ?”
“नहीं”,शगुन ने कहा
“फिर सूट काहे पहना है ?”,गुड्डू ने पूछा
“अच्छा नहीं है क्या ?”,शगुन ने पूछा
“अरे अच्छा है,,,,,,,,,,,,,,बहुते बढ़िया लग रहा है तुम पर”,गुड्डू ने कहा
“हम कहे थे पहनने को , साड़ी में परेशानी होती है ना उठने बैठने में इसलिए तुम जियादा दिमाग ना लगाओ”,मिश्राइन ने कहा
“हम्म्म ठीक है”,गुड्डू ने कहा और चुपचाप नाश्ता करने लगा। फोन बजा तो मिश्राइन ने उठाया और कुछ देर बाद आकर गुड्डू से कहा,”गुड्डू शाम को घर आते वक्त शुक्ला जी के यहाँ होते हुए आना उन्होंने बुलाया है”
“काहे ?”,गुड्डू ने पूछा
“हमे का पता उन्होंने कहा है गुड्डू को भेज देना तो हमने हां कही दी , याद से चले जाना”,कहकर मिश्राइन चली गयी।
गुड्डू ने नाश्ता किया और अपनी बाइक की चाबी लेकर गुजरा , नाश्ते की टेबल के पास शगुन बर्तन समेट रही थी गुड्डू ने जान बुझाकर चाबी वहा रख दी और बाइक के पास चला गया। गुड्डू जेब में चाबी ढूंढने नाटक करने लगा। शगुन की नजर टेबल पर पडी चाबी पर गयी तो उसने उसे उठाया और गुड्डू के पास आकर कहा,”वो आप चाबी भूल गए थे”
“अरे हां ! थैंक्यू”,गुड्डू ने चाबी लेते हुए कहा और उसकी उंगलिया शगुन की उंगलियों को छू गयी। चाबी देकर शगुन वापस जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”शगुन”
“जी”,शगुन ने पलटकर कहा
गुड्डू शगुन से नजरे चुराते हुए कहा,”सूट अच्चा लग रहा है तुम पर”
जवाब में शगुन मुस्कुरा दी पहली बार गुड्डू ने उसकी तारीफ की थी , धीरे धीरे ही सही पर दोनों की जिंदगी में सब पहली बार हो रहा था और ये जो अहसास थे बहुत खूबसूरत थे। गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और चला गया , साइड मिरर में गेट पर शगुन दिखाई दी तो गुड्डू भी मुस्कुरा उठा।
क्रमश – manmarjiyan-68
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संजना किरोड़ीवाल
Love story ki shuruat ho chuki h bs dono ko samajhne ki der h bda hi mazaa aa rha h story m
प्यार दोनों को होने लगा…दोनों एक दूसरे की तारीफ भी कर रहे है…बस इकरार होगा अब धांसू वाला…
I hope ki pinkiya Nam ka kata nikal gaya or ab dono k raho m phool hi phool ho
Haaye…kitte pyare hai dono..kisi ki nazar na lag jaye😚
मैम बाकि सब तो ठीक हैं…पर ये प्रेग्नेंसी वाली गलतफहमी कब खत्म होंगी… इसके चलते शगुन को और क्या क्या खाना पड़े….वैसे गोलू को सब खिला देना चाहिए…उसका तो जन्म ही खाने के लिऐ हुआ हैं…मैम धीरे धीरे ही सही दोनों और करीब तो आ रहें हैं😊 lajawab part👌👌👌👌👌
Loving it…. Guddu aur shagun ki love story. …..❤️❤️❤️❤️❤️❤️😍😍😍😍😍
Very beautiful
Nice part mam… waiting for next part 🤗🤗
nice part
Dhire dhire hi shii sb tik ho ra hh🤣🤣 i love that scene jb dono uthak bethak krne lge the😅😅😅 jb pregnancy wala bhanda futega tb kya hoga bichari shagun or fss jayegii😒😒
Lovely part
Nice
Wow….🤭🤭🤫🤫
Love story suru ho gai h inme bhi chalo achha hi h bt jb sb ko pta chalega ki shagun pregnent nhi h to sb naraj n ho jaye shagun s lovely part ❤️
Finally dono ki cute chemistry ab dikhegi or guddu ke mann ME bhi feelings to aane lagi hai shagun ke liye