मनमर्जियाँ – 63
Manmarjiyan – 63
मनमर्जियाँ – 63
शगुन गुड्डू से नाराज थी अपनी गलती के लिए गुड्डू ने अपने दोनों कान पकडे और उठक बैठक लगाने लगा। गुड्डू की मासूमियत देखकर शगुन का दिल पिघल गया। वह गुड्डू के पास आई और उसे रोककर कहा,”ये सब मत कीजिये गुड्डू जी”
“हम सुधारना चाहते है , हमे नहीं पता कल रात का हुआ है लेकिन तुमहू गुस्सा हो इसका मतलब कुछो गड़बड़ किये है ,,,,,,,,, हमे माफ़ कर दो”,गुड्डू ने कहा
“एक शर्त पर”,शगुन ने एकदम से कहा
“तुम्हायी सारी शर्ते मंजूर है”,गुड्डू ने ओवरकॉन्फिडेंस में बोल दिया कहा
“पहले सुन तो लीजिये”,शगुन ने कहा
“हम बताओ का शर्त है तुम्हायी ?”,गुड्डू ने कहा
शगुन मुस्कुरायी और गुड्डू के पास आकर उसकी मुड़ी हुयी बाजुओं को सीधा करते हुए कहा,”आज से ये गुड्डू वाली जिंदगी छोड़नी होगी , वक्त से उठना , वक्त पर सोना , वक्त पर खाना और काम करना होगा। (कहते हुए शगुन ने गुड्डू के खड़े बालो सीधा किया और आगे कहने लगी?) बाइक लेकर घूमना बंद , ये जो दिन में 3 बार कपडे बदले जाते है ये बंद , एक अच्छे लड़के की तरह अपने सपने को पूरा करना है”
गुड्डू ने सूना तो उसका मुंह बन गया शगुन तो सीधे सीधे उसे सब छोड़ने को कह रही थी। नए नए कपडे पहनना , बाइक पर घूमना , खाना और दिनभर मस्त सोना ये ही तो गुड्डू के सबसे पसंदीदा काम थे और शगुन ने ये सब बंद करवा दिए और कुछ वक्त पर। वह ख़ामोशी से शगुन को देखता रहा और फिर कहा,”काहे ? काहे हमे बदलना चाहती हो ?”
“अपने लिए नहीं गुड्डू जी बल्कि उन सबके लिए जिन्हे लगता है की आप नाकारा है , जिंदगी में कुछ नहीं करेंगे। आप में वो काबिलियत है जो उन लोगो का मुंह बंद कर सकती है”,शगुन ने कहा
“हमे बस अपने पिताजी की नजरो में उठना है”,गुड्डू ने कहा
“उसके लिए आपको वो बनना होगा जो आप अब तक नहीं थे”,शगुन ने कहा
“क्या बाप ?”,गुड्डू ने तपाक से कहा तो शगुन ने अपना सर पीट लिया और गुड्डू को घूरते हुए कहा,”जी नहीं , जिम्मेदार , जिम्मेदार बनना होगा आपको”
“अच्छा वो वो तो हम है , गलती हमायी हो या ना हो जिम्मेदार हम ही होते है”,गुड्डू ने झेंपते हुए कहा
“हां क्योकि आप चीजों को सीरियस नहीं लेते , लेकिन अबसे लेंगे”,शगुन ने कहा
“अच्छा ठीक है कल से शरू करते है फिर”,कहकर गुड्डू जैसे ही जाने लगा शगुन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और कहा,”कल से नहीं आज से , अभी से”
“का अभी से ?”,गुड्डू शगुन की चाल में फंस चुका था
“हां आज से , आप जाकर नहा लीजिये तब तक मैं आपके खाने के लिए कुछ बना देती हूँ”,शगुन ने कहा और जाकर बाल्टी में रखे कपडे उठाकर सुखाने लगी। गुड्डू भी नहाने चला गया। शगुन ने गुड्डू और अपने लिए नाश्ता बनाया और खाने के बाद दोनों आँगन में आ बैठे शगुन एक डायरी और पेन ले आयी और गुड्डू के साथ मिलकर उस सारे सामान की लिस्ट बनाने लगी। घूमते घामते गोलू भी वहा आ पहुंचा जैसा की तय था गोलू भी गुड्डू के साथ ही कुछ नया काम शुरू करेगा गुड्डू ने उसे भी बैठने को कहा और समझने को कहा !
गुड्डू को तो बस उबासियाँ आ रही थी लेकिन शगुन के डर से वहा बैठा हुआ था लेकिन गोलू ने अपना पूरा ध्यान लगा रखा था। शगुन ने सब समझाने के बाद कहा,”गोलू जी सबसे पहले तो ऑफिस बनाने के लिए एक अच्छी सी जगह चाहिए”
“अरे जगह है ना भाभी चौक में हमाये पिताजी की दुकान है जो की कुछ सालो से बंद पड़ी है उसे इस्तेमाल कर सकते है”,गोलू ने कहा
“ये तो अच्छा है , उसके अलावा जो सामान मैंने बताया है उसका अरेंजमेंट करना होगा। जैसे ही पहला आर्डर मिलेगा उसके लिए आप लोग सामान किराये पर लेना फिर धीरे धीरे जब प्रॉफिट हो तो खरीद लेना”,शगुन ने डायरी बंद करते हुए कहा
“भाभी एक ठो काम काहे नहीं करती आप भी हमारी पार्टनर बन जाओ ना”,गोलू ने कहा
“हां गोलू सही कह रहा है , जब तुम्हारी एडवाइज की जरूरत पड़ेगी तो उह भी ले लेंगे”,गुड्डू ने कहा
“लेकिन मैं कैसे,,,,,,,,,,,,,?”,शगुन ने कहा
“जैसे हम लोग वैसे आप साथ काम करेंगे तो ज्यादा मजा आएगा है ना भैया ?”,गोलू ने कहा
“हम्म सही है”,गुड्डू ने भी सहमति दे दी
“लेकिन माजी पिताजी ?”,शगुन ने अपनी परेशानी जताई
“अरे पिताजी से हम बात कर लेंगे तुम हां तो करो”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने थोड़ा सोचकर हां कर दी। उसी शाम गोलू और गुड्डू शगुन को ऑफिस के लिए दुकान दिखाने ले जाने लगे। शगुन और गोलू आँगन में खड़े गुड्डू के आने का इंतजार कर रहे थे। कुछ देर बाद गुड्डू आया , जींस शर्ट , बाजु ऊपर फोल्ड किये हुए , बालो को सेट किये। सुबह ही शगुन ने उसे ये सब छोड़ने को कहा था लेकिन गुड्डू तो गुड्डू ठहरा जब उसने शगुन को घूरते हुए पाया तो अपनी स्लीवस नीचे कर ली और बालो को भी सही करते हुए कहा,”चले का ?”
“हम्म्म !”,शगुन ने कहा तो गुड्डू बाइक की चाबी लेकर आगे बढ़ गया। गोलू अपनी लूना लेकर आया था इसलिए वह उस पर निकल गया। गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की शगुन आकर उसके पीछे बैठ गयी और दोनों वहा से निकल गए। चौक के पास वाली गली में ही उसके पिताजी की दुकान थी
तीनो वहा पहुंचे। गोलू ने दुकान का शटर खोला। दुकान कई सालो से बंद पड़ी थी जैसे ही शटर खुला गर्दा उड़कर बाहर आया। गुड्डू और शगुन खांसने लगे। गोलू अंदर आया सामान जो इधर उधर बिखरा हुआ था साइड किया और दुकान की लाइट जलाते हुए कहा,”बस भाभी थोड़ी सी साफ सफाई करनी होगी उसके बाद मामला फिट है”
“हम्म जगह तो ठीक है गोलू जी , यहाँ आपका ऑफिस भी बन जाएगा”,शगुन ने दुकान का जायजा लेते हुए कहा
“गोलू भैया अंदर आ जाये का ?”,बाहर खड़े एक लड़के ने कहा
“अरे हां हां आओ छगन”,कहते हुए गोलू छगन को अंदर ले आया और शगुन से मिलवाते हुए कहा,”भाभी इह है छगन बहुते अच्छा कारपेंटर है , ऑफिस बनाने का काम ना हमने इसी को दिया है।”
“अरे भैया चिंता ना करो ऐसा ऑफिस बनाएंगे पूरा कानपूर देखेगा”,छगन ने चौडाते हुए कहा
“ठीक है फिर कल से ही काम पर लग जाओ का और कैसे बनाना है इह भाभी तुमको समझा देगी”,गोलू ने छगन से कहा और फिर गुड्डू के साथ मिलकर अपने ऑफिस में कैसा कलर करवाना है से लेकर क्या क्या वहा रखा जाएगा डिस्कस करने लगा। छगन शगुन से सारी बातें समझकर चला गया और शगुन ने गोलू से आकर कहा,”सबसे पहले इस दुकान की सफाई करनी होगी और उसके बाद पेंट”
“उह हम और भैया कर देंगे”,गोलू ने बिना गुड्डू से पूछे ही कह दिया शगुन ने जब गुड्डू की और देखा तो उसने कंधे उचका दिए।
तीनो वहा खड़े बातें कर ही रहे थे की गुड्डू का फोन बजा , घंटेभर में मिश्रा जी परिवार के साथ कानपूर पहुंचने वाले थे। गुड्डू ने शगुन को बताया तो गोलू ने दोनों को घर जाने को कहा। गुड्डू और शगुन घर चले आये शगुन हाथ मुंह धोकर किचन में सबके लिए रात के खाने की तैयारी करने लगी। गुड्डू ने देखा शगुन अकेले सब कर रही है तो वह उसकी मदद करने के इरादे से किचन में चला आया और सब्जी काटने लगा। आज से पहले गुड्डू ने ये सब काम नहीं किये थे शगुन के साथ का ही असर था की वह बदलने लगा था। शगुन ने देखा तो कहा,”आप रहने दीजिये मैं कर लुंगी”
“हम हेल्प कर देते है”,गुड्डू ने लौकी काटते हुए कहा शगुन को अच्छा लगा तो उसने गुड्डू को नहीं रोका और वापस अपने काम में लग गयी कुछ ही देर बाद गुड्डू की आवाज आयी,”आह !”
“मैंने कहा था मैं कर लुंगी,,,,,,,,,,,,,आप छोडो ये सब,,,,,,,देखा कट लग गया ना,,,,,,,,,,,दिखाईये”,शगुन ने परेशान होते हुए गुड्डू के हाथ से चाकू लेकर साइड रखा और उसकी ऊँगली देखने लगी। उसे परेशान देखकर गुड्डू को अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन शगुन को अपनी परवाह करते देखकर ख़ुशी भी हो रही थी। शगुन ने गुड्डू को लेकर किचन से बाहर आयी और टेबल पर रखे फर्स्ट ऐड बॉक्स से पट्टी निकालकर गुड्डू की ऊँगली पर बांधते हुए कहने लगी,”सच मे बहुत लापरवाह है आप गुड्डू जी , किचन का काम न हम औरतो को ही शोभा देता है। देखा ना खामखा खुद को चोट पहुंचा ली। कितना दर्द हो रहा होगा आपको
कभी कभी तो सच में बच्चे,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“श्श्श्श्शश कितना बोलती हो ना तुम,,,,,,,,,,!!!”,गुड्डू ने शगुन के होंठो पर अपनी ऊँगली रखते हुए कहा। शगुन एकटक गुड्डू को देखने लगी जब दोनों की नजरे मिली तो गुड्डू ने अपनी ऊँगली उसके होंठो से हटाकर नजरे चुराते हुए कहा,”हमारा मतलब ठीक है जरा सी चोट है हो जाएगी ठीक , जब पहले खेलते थे तब तो बहुत बार चोटे खायी है हमने”
“हम्म्म्म”,कहते हुए शगुन चुपचाप गुड्डू की ऊँगली पर पट्टी बांधने लगी और फिर किचन में चली गयी। किचन में आकर शगुन प्लेटफॉर्म के पास खड़ी हो गयी। गुड्डू की छुअन से शगुन के मन के सारे तार झनझना उठते थे। गुड्डू की आवाज अब भी उसके कानो में गूंज रही थी , शगुन ने महसूस किया की गुड्डू के साथ रहकर वह भी कुछ कुछ उसके जैसी होने लगी थी। सब सोचते हुए शगुन के होंठो पर मुस्कराहट आ गयी और चेहरा खिल उठा।
गुड्डू बाहर बैठा बोर हो रहा था इसलिए उसने टीवी चालू कर लिया और कोई फिल्म देखने लगा
अँधेरा हो चुका था शगुन भी सब काम निपटा चुकी थी। काम करते हुए गर्मी की वजह से काफी चिपचिप होने लगा था। शगुन नहाने चली गयी। गुड्डू फिल्म देख रहा था और फिर फिल्म देखते देखते वही सो गया। मिश्रा जी सबके साथ घर आये जब सोफे पर सोये गुड्डू पर उनकी नजर गयी तो उन्होंने कहा,”देखा मिश्राइन हम कहे थे ना की तुम्हाये गुड्डू कभी नहीं सुधरेंगे ,, देखो कैसे सो रहे है कुम्भकर्ण के जैसे,,,,,,,,,,,,,अरे कोई उठाओ यार इनको”
वेदी गुड्डू की और बढ़ गयी लाजो ने हॉल और आँगन के सारे लाइट्स जला दिए। अम्मा काफी थक चुकी थी सफर से इसलिए मिश्राइन से कहा की उन्हें उनके कमरे तक छोड़ आये। वेदी ने गुड्डू को उठाया ,वेदी को देखते ही गुड्डू खुश हो गया और कहा,”अरे वेदु आ गए तुम लोग , बहुते याद आयी यार तुम सबकी”
“फोन तो एक्को बार नहीं किये बेटा”,कुछ ही दूर तख्ते पर बैठे मिश्रा जी ने कहा
लाजो सबके लिए पानी ले आयी और पानी दिया
“का आप भी आते ही शुरू हो गये , गुड्डू हिया तो आ काफी दुबला दिख रहा ठीक से खाना नहीं खाये का ?”,मिश्राइन ने अपने लाडले बेटे का दुलार करते हुए कहा। कुछ देर बाद शगुन भी नीचे चली आयी। आकर उसने मिश्रा जी और मिश्राइन के पैर छुए। ये देखकर मिश्रा जी ने गुड्डू को सुनाते हुए कहा,”ए बेटा देखा इह होत है संस्कार”
“ए यार अम्मा तुमहू पिताजी को वही पहाड़ो पर काहे नहीं छोड़ आयी यार,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब आते ही इन्होने हमे डांटना शुरू कर दिया”,गुड्डू ने बड़बड़ाते हुए कहा
“अरे का मिश्रा जी आप भी ना”,मिश्राइन ने बात टालते हुए कहा
“शगुन बिटिया सब ठीक रहा हमाये पीछे से ?”,मिश्रा जी ने शगुन से पूछा तो वह गुड्डू की और देखने लगी और फिर कहा,”हां पिताजी सब ठीक था , गुड्डू जी घर में ही थे। बाहर भी नहीं गए”
ये दूसरी बार था जब शगुन ने गुड्डू के लिए झूठ कहा था। मिश्रा जी गुड्डू की और देखा और कहा,”सही है बेटा लगता है सुधर रहे हो”
“हम बिगड़े ही कब थे जो सुधरेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू फिर बड़बड़या
मिश्रा जी उठे और कहा,”मिश्राइन हाथ मुंह धोकर आते है खाना लगवाओ यार बहुते भूख लगी है”
“हां ठीक है”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन ने कहा,”माजी आप सब हाथ मुंह धो लीजिये खाना मैंने बना लिया है मैं लगा देती हूँ”
“अरे वाह ! चलो हम आते है”,मिश्राइन ने शगुन के गाल को प्यार से छूकर कहा और चली गयी। वेदी आकर शगुन से मिली और कहा,”हम सबने आपको बहुत मिस किया भाभी और मैं आपके लिए गिफ्ट भी लायी हूँ”
“मैंने भी आप सबको बहुत मिस किया अगली बार सब साथ चलेंगे”,शगुन ने कहा तो वेदी ने ख़ुशी से उसे साइड हग कर लिया। ये देखकर गुड्डू ने कहा,”और हमाये लिए ?”
“आपके लिए तो भूल गए”,वेदी ने कहा तो गुड्डू ने मुंह बना लिया। वेदी गुड्डू के पास आयी और अपनी जींस की पॉकेट से एक प्यारा सा ब्रासलेट निकालकर गुड्डू के हाथ पर पहनाते हुए कहा,”आपके लिए कुछ ना खरीदे ऐसा तो हो ही नहीं सकता गुड्डू भैया , बताओ कैसा है ?”
“अच्छा है”,गुड्डू ने अपने हाथ को देखते हुए कहा
वेदी वहा से चली गयी शगुन भी डायनिंग की और जाने लगी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और अपने सामने लाकर कहा,”थैंक्यू !”
“किसलिए ?”,शगुन ने अनजान बनते हुए कहा
“हमाये लिए पिताजी से झूठ कहा , जबकि इन चार दिनों में हमने तुम्हे बहुत परेशान किया है”,गुड्डू में नजरे झुकाकर कहा
“पर इन्ही चार दिनों में आपने मुझे बहुत सारा अच्छा वक्त भी दिया है , और जिंदगी में जब कुछ अच्छा हो ना तो बुरी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए”,कहकर शगुन वहा से चली गयी और गुड्डू मुस्कुरा उठा। सही मायनो में गुड्डू को शगुन के रूप में ऐसा दोस्त मिल चुका था जो उसे हर वक्त ये अहसास दिलाता था की वह अकेला नहीं है !
क्रमश – manmarjiyan-64
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संजना किरोड़ीवाल
Superb part
Kitna pyara part…bahut acchaa
Bhut hi khoobsurat part tha
Do dil mil rahe h chupke chupke🙂🙂, nice part👍
Bhut bhut bhut hi khubsurat part tha superb 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Lovely part
Sach m ek achcha life partner dusre ko sahi raste par le ata hai basharte insan khud dil ka bura na ho or khud ko badlna chahe to jaise k Guddu
Khoobsurat part😍
मैम शगुन गुड्डू और गोलू की तो बैंड बाजा बारात कम्पनी तो अब बन जायेगी…और गुड्डू अब पहले से भी ज्यादा समझदार और जिम्मेदार बन जायेगा अब….फिर इनकी भी प्रेमकहानी भी कुछ आगे बढ़ेगी तब😊 khubsurat part👌👌👌👌👌
Very beautiful
nice part.. waiting for next
Bahut hi aucha part….
Yeh part achcha tha
Bahut pyara part hai 🥰🥰
Bahut sundar
64th part open kyu ni ho rha??
Awesome part