Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 56

Manmarjiyan – 56

Manmarjiyan - 56

Manmarjiyan – 56

मिश्रा जी के गुस्से को देखकर शगुन गुड्डू को बचाने के लिए आगे आ गयी। मिश्रा जी ने शगुन को देखा तो अपने गुस्से को काबू करते हुए कहा,”शगुन बिटिया साइड हटो हमे गुड्डू से बात करने दो आखिर उसने ऐसा काहे किया ?”
मिश्राइन शगुन के पास आयी और उसे वहा से हटाते हुए कहा,”शगुन बाप बेटे के बीच कुछो ना ही कहो तो अच्छा है , हम नहीं चाहते मिश्रा जी गुड्डू का गुस्सा तुम पर उतारे ,, यही रुको बिटिया उन्हें गुड्डू से बात करने दो”
मिश्रा जी गुड्डू के सामने आये और कहा,”हम जानना चाहते है गुड्डू का कमी रखी है हमने तुम्हायी ऐशो आराम की जिंदगी में ? कबो किसी चीज के लिए ना नहीं कहे है , ब्रांडेड कपडे , जूते , गाड़ी सब दिया है तुमको , फिर काहे आज पुलिस स्टेशन जाना पड़ा हमको ? ऐसी घटिया जगह तुम का करने गए थे बताओ ?”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप सुनता रहा , मिश्रा जी हमेशा गुड्डू से नाराज होते थे लेकिन आज वे दुखी थी उन्होंने मिश्राइन की और पलटकर कहा,”देखा मिश्राइन सालो से बनायीं हमायी इज्जत को कैसे मिटटी में मिला रहे है हमाये सपूत। आज से पहले हमने कभी पुलिस स्टेशन में कदम नहीं रखा लेकिन आज इनकी वजह से वो भी करना पड़ गया। कब अक्ल आएगी इनको पूछो इनसे”
“पिताजी हम उह,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने जैसे ही कहना चाहा मिश्रा जी उसकी और पलटे और गुस्से से कहा,”शादीशुदा हो तुम गुड्डू उसके बाद तुम्हे ऐसी जगहों पर जाने की का जरूरत पड़ी ? मिश्रा खानदान का नाम डुबोने की कसम खा ली है का तुमने ? आज तक हम तुम्हायी गलतियों को नजरअंदाज करते रहे है और तुमने इसी का फायदा उठाया है गुड्डू ,,, शर्म आ रही है हमे तुम पर की तुम हमाये बेटे हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर तुम्हारी हरकतों में कोई सुधार नहीं हुआ ना गुड्डू तो एक दिन बहुत पछताओगे तुम ये याद रखना”
“पिताजी मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा
“देखो बिटिया हम जानते है की गुड्डू की गलतियों पर पर्दा डालने और इसे बचाने के लिए तुम इह सब कह रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर हम मान ही नहीं सकते की तुमने ये किया है”,मिश्रा जी शगुन की बात सुने बिना ही कहा तो शगुन उनके सामने आयी और नजरे झुकाकर कहने लगी,”माफ़ी चाहते है लेकिन आज जो कुछ भी हुआ उसमे गुड्डू जी की कोई गलती नहीं है मैंने ही उनसे बाहर चलने को कहा था। शादी के बाद से ही हमें साथ वक्त बिताने का मौका नहीं मिला इसलिए बाहर मिलने को कहा , इन्हे भी नहीं पता था की वो जगह ऐसी है और इंस्पेक्टर की ग़लतफ़हमी की वजह से ये सब हो गया। आपको जो सजा देनी है मुझे मंजूर है लेकिन गुड्डू जी की इसमें कोई गलती नहीं है”
शगुन ने सरासर झूठ कहा और जब गुड्डू ने सूना तो वह शगुन की और देखने लगा उसने कभी सोचा नहीं था की उसकी गलती का इल्जाम शगुन अपने सर पर ले लेगी। मिश्रा जी ने सूना तो उन्हें बहुत बुरा लगा की शगुन ने ऐसा किया उन्होंने शगुन की और देखा और कहा,”ऐसा काहे किया बिटिया ? हमहू समझे थे की तुम समझदार हो पर इस गधे (गुड्डू को घूरते हुए) के साथ रहकर तुमहू भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर इसमें तुम दोनों की भी का गलती है शादी होते ही हमने गुड्डू को काम पर लगा दिया ऐसे में तुम्हारी नाराजगी भी जायज है,,,,,,,!!”
“नहीं पिताजी मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है,,,,,,,,,,,,उल्टा आज जो कुछ हुआ उसके लिए मैं आपसे माफ़ी मांगती हूँ”,शगुन ने कहा
“तुम्हे माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है बिटिया , जाओ अपने कमरे में जाओ”,कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए। शगुन मिश्राइन के पास आयी और कहा,”मुझे माफ़ कर दीजिये माजी”
“हम तुम्हारी भावनाओ को समझ सकते है , आज से पहले मिश्रा जी को इतना बुरा कभी नहीं लगा आगे से इन सब बातो का ध्यान रखना बिटिया”,मिश्राइन ने प्यार से शगुन के गाल को छूकर कहा तो शगुन ने हामी भर दी। मिश्राइन भी अपने कमरे की और चली गयी उन्हें देखकर साफ पता चल रहा था की वह गुड्डू से बहुत नाराज थी। शगुन ने एक नजर गुड्डू को देखा और फिर उअप्र अपने कमरे में चली गयी। आज पहली बार गुड्डू को खुद पर शर्म आ रही थी , उसकी वजह से आज मिश्रा जी को जेल आना पड़ा। शगुन को मिश्रा जी से माफ़ी मांगनी पड़ी और वह खुद भी शगुन की नजरो में गिर गया। आज से पहले गुड्डू को इतना बुरा कभी नहीं लगा था जितना आज लग रहा था। ना वह पिंकी के बुलाने पर जाता ना ही ये सब होता ,, गुड्डू उदास सा चेहरा लिए ऊपर चला आया , अन्धेरा हो चुका था। शगुन कमरे में ही थी और गुड्डू की अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। वह कुछ देर बाहर खड़ा रहा और फिर अंदर चला आया देखा शगुन कपड़े बदलकर आ चुकी है और समेटे हुए कपडे कबर्ड में रख रही है। गुड्डू को देखते ही शगुन वहा से जाने लगी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया दोनों एक दूसरे की और पीठ किये हुए थे और खामोश थे। शगुन के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे जबकि गुड्डू के चेहरे पर दर्द साफ नजर आ रहा था। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद गुड्डू ने कहा,”हम जानते है आज जो कुछ भी हुआ उसके लिए तुम हमे कभी माफ़ नहीं करोगी , हमायी वजह से तुम्हे इतनी तकलीफ हुई लेकिन तुमने पिताजी को झूठ काहे बोला,,,,,,,,,,,,सच कहती उन्हें भी पता चलता की हम कितने बुरे इंसान है , सजा मिलती हमे और हमहू इसी लायक है”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन गुड्डू की और पलटी और अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा,””सच कहती तो आज एक बेटा अपने बाप की नजरो में गिर जाता , मैं जितना आपको समझने की कोशिश कर रही हूँ आप मेरी सोच से उतना ही बाहर जा रहे है गुड्डू जी”
“हम सच में नहीं जानते थे पिंकी हमे वहा काहे लेकर गयी , लेकिन तुम्हे वहा नहीं आना चाहिए था”,गुड्डू ने झुकाकर कहा
“मैं वहा आपके लिए नहीं आयी थी बल्कि इसलिए आयी थी क्योकि मैं जानती थी आप सही है”,शगुन ने गुड्डू की और देखकर कहा तो गुड्डू ने हैरानी से शगुन को देखा और कहा,”इतना सब होने के बाद भी तुम्हे लगता है हम सही है ?”
“जिस लड़के ने आज तक अपनी पत्नी को गलत तरह से नहीं छुआ वो किसी लड़की को लेकर होटल में कैसे जा सकता है”,शगुन ने गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा तो गुड्डू खामोश हो गया गुड्डू को खामोश देखकर शगुन कहने लगी,”इतना तो आपके बारे में जान चुकी हूँ गुड्डू जी , आप भले कितनी भी गलतिया करे लेकिन ऐसी हरकत नहीं करेंगे”
“हम तुम्हारे भरोसे के लायक नहीं है शगुन”,गुड्डू ने दूसरी और देखते हुए कहा
“ये मैं तय करुँगी आप नहीं”,कहकर शगुन कमरे से बाहर चली गयी। गुड्डू वही बिस्तर पर बैठ गया और सोच में डूब गया। होटल वाले सारे सीन एक एक करके गुड्डू की आँखों में आने लगे और वह सोचने लगा की आखिर क्यों पिंकी उसे उस जगह लेकर गयी ? क्यों उसने गुड्डू के सामने ऐसी हरकते की ? आखिर क्या चल रहा था उसके दिमाग में ? गुड्डू के पास सवाल तो थे लेकिन जवाब नहीं वह बस अपने सवालो में उलझता रहा
शगुन नीचे किचन में थी और दूध उबालते हुए सोच में डूबी हुई थी,”आज अगर मैं वक्त पर नहीं पहुँचती तो शायद पिंकी अपने गंदे इरादों में कामयाब हो जाती। गुड्डू जी पर भरोसा है लेकिन कब तक आखिर है तो वो भी एक मर्द ही ना कभी ना कभी तो फंस ही जायेंगे ,, मुझे जल्द से जल्द पिंकी के इस खेल को खत्म करना होगा , गुड्डू जी इनोसेंट है पिंकी ने उन्हें उलझा रखा है जिस दिन उन के सामने पिंकी का सच आएगा वे खुद पिंकी से दूर हो जायेंगे पर तब तक मुझे उनका साथ देना होगा। उन्हें हर मुसीबत से बचाना होगा और पिंकी से दूर रखना होगा”
“अरे बिटिया ध्यान कहा है ? सारा दूध गिर रहा है”,मिश्राइन ने गैस बंद करते हुए कहा
शगुन अपने ख्याल से बाहर आयी और कहा,”सॉरी वो मैं थोड़ा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“हमहू जानते है बिटिया तुम गुड्डू के लिए परेशान हो,,,,,,,,,,,,,,,एक ठो काम करो तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो खाना लाजो बना लेगी”,मिश्राइन ने कहा और वहा से चली गयी। शगुन ने दूध ग्लास में छाना और उसमे हल्दी मिला दी , शगुन ने ग्लास लिया और लेकर ऊपर चली आयी देखा गुड्डू बिस्तर पर बैठा है। शगुन ने दूध टेबल पर रखा और ड्रावर से डेटोल और कॉटन लेकर गुड्डू के पास आयी। शगुन आकर गुड्डू की बगल में बैठ गयी और कहा,”मेरी तरफ देखिये”
गुड्डू ने अपना चेहरा शगुन की और घुमाया तो शगुन ने कॉटन पर थोड़ा डेटॉल लिया और गुड्डू के होठ के निचे लगी चोट पर लगाने लगी। गुड्डू को दर्द और जलन दोनों का अहसास हो रहा था लेकिन उसने एक सिसकी तक नहीं ली बस शगुन को देखता रहा। शगुन ने होंठ और सर पर लगी खरोंचो को साफ किया और उन पर दवा लगाने लगी ,,, जैसे ही उसने गुड्डू के होंठ के साइड में दवा लगाई गुड्डू को दर्द हुआ और उसने शगुन का हाथ पकड़ लिया। दोनों के चेहरे एक दूसरे के आमने सामने थे और एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे ! गुड्डू की धड़कने तेज थी और उसकी आँखों में खालीपन
(बैकग्राउंड म्यूजिक)
“नजर खामोश सी ,धड़कनो में उठा इक शोर है
तू बदला सा है , या फिर कोई और है
अबसे पहले दिल की ऐसी हालत ना थी
इस से पहले हमको किसी चाहत ना थी
अजनबी सा अहसास है
आ रहा हो जैसे कोई पास है,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोई पास है
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे बिन अधूरा ये जहा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग है मेरे दो जहा

गुड्डू और शगुन एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे शगुन का हाथ गुड्डू के हाथ में था। गुड्डू को होश आया तो उसने शगुन का हाथ छोड़ दिया और कहा,”दर्द हुआ इसलिए,,,,,,,,,,,,!!”
शगुन उठी और टेबल पर रखा दूध लेकर गुड्डू के पास आयी और कहा,”इसे पि लीजिये दर्द कम हो जाएगा”
गुड्डू ने ग्लास लिया और एक साँस में पूरा पीकर ग्लास शगुन की और बढ़ा दिया। पुलिस वाले ने उसे मारा था उसका दर्द गुड्डू को नहीं था पर शगुन के छूने का अहसास अब भी वह महसूस कर रहा था। गुड्डू उठा और जैसे ही चलने को आगे बढ़ा लड़खड़ा गया लेकिन पास खड़ी शगुन ने उसका हाथ थामकर उसे रोक लिया।
“हम ठीक है”,गुड्डू ने कहा
“आप थोड़ी देर आराम कर लीजिये”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उसका सहारा लिए बिस्तर की और चला आया और लेट गया। शगुन वहा से नीचे चली आयी। गुड्डू के लिए रात का खाना लेकर शगुन ऊपर चली आयी। गुड्डू गहरी नींद में सो रहा था इसलिए शगुन ने उसे उठाना ठीक नहीं समझा। उसने थाली टेबल पर रखी और गुड्डू के पास आयी सोया हुआ गुड्डू इतना मासूम लग रहा था की शगुन एक टक उसे देखते रही। कुछ देर बाद आकर सोफे पर लेट गयी और मुंह गुड्डू की और घुमा लिया। 24 घंटो में ये कुछ घंटे शगुन को बहुत अजीज थे जिसमे वह गुड्डू को देखते रहती थी। गुड्डू का चेहरा निहारते हुए शगुन को वो पल याद आ गया जब इंपेक्टर के गलत बोलने पर गुड्डू ने उसकी कॉलर पकड़ ली थी। गुड्डू को लेकर शगुन की भावनाये बदलने लगी थी और इन भावनाओ को वह कोई नाम नहीं दे पा रही थी बस जी रही थी , महसूस कर रही थीं। कुछ देर बाद शगुन को भी नींद आ गयी।

मिश्रा जी अपने कमरे में परेशान से बैठे थे। मिश्राइन कमरे में आयी उन्हें परेशान देखा तो उनके पास चली आयी और उनके हाथ पर हाथ रखते हुए कहा,”हम जानते है जी गुड्डू ने आज जो किया वो बहुते गलत था पर है हमरा बेटा ही ना ,, माफ़ कर दीजिये उसे उह बहुत शर्मिन्दा है”
मिश्रा जी ने अपना दुसरा हाथ मिश्राइन के हाथ पर रखा और कहा,”हम जानते है मिश्राइन और ये जो कुछ हुआ उसमे कही ना कही शायद हमायी भी गलती है , गुड्डू के साथ हम इतने सख्ती से पेश आते है। उसकी नयी नयी शादी हुई है और हमने उसे काम पर लगा दिया ,,,, शगुन के लिए उसके पास वक्त ही नहीं बचा।”
मिश्राइन ने मिश्रा जी की और देखा और कहा,”हम सोच रहे है की हमहू शगुन और गुड्डू को घूमने के लिए कही बाहर भेज देते है , कुछ दिन घर से दूर रहेंगे एक दूसरे के साथ रहेंगे तो गीले शिकवे दूर हो जायेंगे”
“हम्म्म्म लेकिन हमहू सोच रहे उन्हें साथ भेजने से अच्छा है हम लोग बाहर चलते है”,मिश्रा जी ने कुछ सोचते हुए कहा
“का कह रहे है आप ?,,,,,,,,,,,,,,,,,इह उम्र में हनीमून पर जाते अच्छे लगेंगे आप”,मिश्राइन ने शरमाते हुए कहा
“अरे,,,,,,,,,,,,,,कमाल करती हो यार मिश्राइन तुमहू भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब है गुड्डू को बाहर भेजना रिस्की है बाहर जाने के नाम पर फिर इधर उधर निकल जाएगा ये लड़का इस से अच्छा है पुरे परिवार के साथ हम वैष्णो देवी चले ,, दर्शन भी कर लेंगे और शगुन गुड्डू को साथ रहने को भी मिल जाएगा”,मिश्रा जी ने कहा
“हम्म्म बात तो ठीक कह रहे है आप , जैसा आपको लगे”,मिश्राइन ने सहमति जताते हुए कहा

Manmarjiyan - 56
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संजना किरोड़ीवाल

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