मनमर्जियाँ – 43
Manmarjiyan – 43
Manmarjiyan – 43
शगुन अपने कमरे में बैठी गुड्डू का इंतजार कर रही थी लेकिन गुड्डू फोन आने की वजह से घर से निकल गया। गनीमत था उस वक्त गुड्डू ने किसी को बाहर जाते नहीं देखा। गुड्डू अपनी बाइक लेकर तेजी से निकल गया , दिमाग में ना जाने कितने ही विचार थे और दिल धड़क रहा था। उसने कभी सोचा भी नहीं था की ऐसा कुछ हो जाएगा। गुड्डू ने बाइक “अनुराग हॉस्पिटल” के सामने रोकी और बाइक को पार्किंग में लगाया। गुड्डू तेजी से भागकर अंदर गया और रिशेप्शन पर आकर पूछा,”पिंकी शर्मा अभी कुछ देर पहले आयी है , कोनसे रूम में है ?”
“फर्स्ट फ्लोर रूम नंबर 102″,लड़के ने कहा और वापस अपने काम में लग गया। गुड्डू भागते हुए लिफ्ट के सामने आया लेकिन लिफ्ट बंद , गुड्डू सीढ़ियों से ही ऊपर चला आया और 102 रूम में आकर देखा पिंकी सामने बेड पर लेटी हुयी है। उसके एक हाथ में ड्रिप लगी हुई थी , बगल में ही उसकी ममेरी बहन बैठी थी जिसका चेहरा उदासी से घिरा हुआ था। गुड्डू कमरे में आया और कहा,”का हुआ इसे ?”
“पिंकी ने चूहे मारने वाली दवा खा ली”,बहन जिसका नाम सुमन था उसने रोते हुए बताया
“का ? पर काहे ? और बाकि घरवाले कहा है ?”,गुड्डू ने चिंतित होते हुए पूछा
“सब घरवाले आज सुबह ही शादी में जौनपुर चले गए थे , पिंकी ने मना कर दिया तो फूफाजी ने मुझे उसके साथ रुकने के लिए बुला लिया ,, पिंकी सुबह से बहुत परेशान थी बार बार किसी को फोन भी लगा रही थी और फिर कुछ देर बाद जब मैंने देखा तो पाया की वो बेहोश पड़ी थी ,, मैं उसे हॉस्पिटल ले आयी”,सुमन ने गुड्डू को सब बताया तो गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा,”किसी से कुछ कहा तो नहीं तुमने ?”
“नहीं मैंने नहीं बताया सभी घरवाले शादी में है , उनको परेशान नहीं करना चाहती थी मैं”,सुमन ने धीरे से कहा
“ये ठीक किया”,कहते हुए गुड्डू पिंकी के पास आया और उसकी बगल में बैठकर उसका हाथ थामते हुए कहा,”ऐसा काहे किया तुमने ? कुछो बात थी तो हमे बताती ऐसा कदम काहे उठाया”
गुड्डू को इमोशनल होते देखकर सुमन उठी और कहा,”हम बाहर होकर आते है”
सुमन चली गयी गुड्डू पिंकी का हाथ थामे उसके चेहरे की और देखता रहा। पिंकी को इस हालत में देखकर गुड्डू को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। वह ये भी भूल चुका था की कुछ घंटो पहले ही उसकी शगुन से शादी हुई है और आज उसकी सुहागरात है। गुड्डू को कुछ समझ नहीं आ रहा था और गुड्डू क्या ऐसे वक्त में शायद किसी को कुछ समझ नहीं आता। पिंकी के साथ बिताये सारे पल एक एक करके गुड्डू की आँखो के सामने आने लगे। कुछ देर बाद पिंकी को होश आया जब उसने गुड्डू को अपनी बगल में बैठे देखा तो मुस्कुरा उठी और उठने की कोशिश की गुड्डू की नजर जब पिंकी पर पड़ी तो उसने कहा,”लेटी रहो”
पिंकी ने वापस अपना सर तकिये पर रख लिया तो गुड्डू ने कहा,”इह सब का है ? सुमन बताय रही की तुमने दवा पिली पर काहे ? कुछो परेशानी थी तो कह सकती थी पर खुद के साथ गलत करने का काहे सोचा ?”
“हम तुम्हारे बिना नहीं रह सकते गुड्डू , मुझे अब अहसास हुआ है की तुमसे ज्यादा प्यार हमे कोई नहीं कर सकता ,, वापस आ जाओ गुड्डू”,पिंकी ने रोते हुए कहा। गुड्डू ने सूना तो परेशान हो गया और कहा,”हमायी शादी हो चुकी है पिंकिया , जब हम कह रहे थे तब तुमने हमसे शादी नहीं की और अब तुम वापस आना चाहती हो ,, पिताजी से का कहेंगे ?”
“कुछ भी कहो गुड्डू बस हमे तुम्हारे साथ रहना है”,कहते हुए पिंकी गुड्डू से लिपट गयी। गुड्डू को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह बस खामोश बैठा था पिंकी उस से दूर हुयी और उसका चेहरा अपने हाथो में थामकर कहने लगी,”हम जानते है गुड्डू हमने बहुत बड़ी गलती की है , हमे नहीं पता था हमारी वजह से ये सब हो जाएगा लेकिन सच तो ये है की तुम्हारी आदत हो चुकी है हमे ,, हम तुमसे बहुत प्यार करते है गुड्डू , हमे अपने साथ रख लो”
“पिंकिया तुमहू समझ नहीं रही हो , हमायी शादी हो चुकी है हम किसी के पति है अपने साथ कैसे रख पाएंगे तुम्हे ? पिताजी को इह सब पता चला तो हमे मार डालेंगे ,,, तुम तुम ठीक हो जाओ उसके बाद सोचते है का करना है ?”,गुड्डू ने पिंकी के हाथो को अपने गालो से दूर करते हुए कहा
गुड्डू की बात सुनकर पिंकी को बुरा लगा तो उसने गुड्डू से दूर होकर कहा,”सही कहा गुड्डू प्यार हमसे शादी किसी और से ,, तुम सब लड़के एक जैसे होते हो बस लड़की के साथ मजे करने है और जब शादी की बात आये तो पिताजी की सुनो ,,,,,,,,,,,,,,,,,कहते क्यों नहीं गुड्डू की शगुन को देखकर मन बदल गया है तुम्हारा ? मेरे लिए जो प्यार दिखाया सब झूठ था , बस टाइम पास कर रहे थे तुम और जब मैं नहीं मिली तो कर ली शादी किसी और से,,,,,,,,,,,,,,,,,,जाओ गुड्डू तुम चले जाओ यहाँ से और छोड़ दो मुझे मेरे हाल पर”
पिंकी की बातें सुनकर गुड्डू और उलझ गया उसे कुछ समझ नहीं आया की क्या करे ? गुड्डू ने पिंकी का हाथ पकड़ा और कहने लगा,”प्यार करते है पिंकिया , अभी हम बहुत परेशान है प्लीज हमे और मत उलझाओ ,, शादी हमने पिताजी की मर्जी से की है उस शादी में ना हमायी मर्जी है ना हमायी ख़ुशी है। हमे थोड़ा वक्त दो पिंकिया हम करेंगे ना सब सही,,,,,,,,,,,,,,,,हमे समझने की कोशिश करो हम ना पिताजी का दिल दुखा सकते है ना तुम्हारा बस थोड़ा वकत दो हमे”
गुड्डू की बात सुनकर पिंकी एक बार फिर उसके गले आ लगी। गुड्डू को कुछ महसूस नहीं हो रहा था वह बस खुद से उलझता जा रहा था। गुड्डू का दिमाग मिश्रा जी के वश मे था और दिल पिंकी के वश में। गुड्डू पिंकी के बालो को सहलाता रहा और पिंकी ख़ुशी ख़ुशी उसके गले लगी रही। रातभर गुड्डू पिंकी के पास बैठा रहा ,, सुबह के 4 बजे गुड्डू की आँखे मुदने लगी तो गुड्डू वही बिस्तर पर सर टिकाकर सो गया।
शगुन गुड्डू का इंतजार करते करते सो गयी लेकिन गुड्डू नहीं आया। सुबह जब शगुन की आँखे खुली तो उसने देखा गुड्डू कमरे में नहीं है। शगुन उठी और सूटकेस से अपने कपडे निकालकर नहाने चली गयी। शगुन नहाकर आयी वह गुड्डू के बारे में ही सोच रही थी की आखिर वह है कहा ? शगुन ने लाल बॉर्डर वाली हरे रंग की साड़ी पहनी , गहने पहने , हाथो में शादी का चूड़ा था जिसे सवा महीने से पहले उतारना नहीं था , आँखों में काजल , ललाट पर बिंदी , माँग की बीचो बीच सिंदूर भरा। इन सब चीजों से शगुन का रूप और निखर आया था। शगुन ने बालो की चोटी बनायीं और सर पर पल्लू लेकर जैसे ही जाने लगी उसकी नजर बिस्तर पर सजे फूलों पर चली गयी जो की अब मुरझा चुके थे। शगुन कमरे से बाहर चली आयी और फिर नीचे आ गयी। मिश्रा जी उठ चुके थे और दातुन कर रहे थे। शगुन ने आकर उनके पैर छुए तो मिश्रा जी ने कहा,”खुश रहो बिटिया , गुड्डू उठ गवा ?”
“मतलब इन्हे भी नहीं पता गुड्डू जी रात में यहाँ नहीं थे”,शगुन ने मन ही मन सोचा और फिर धीरे से कहा,”जी वो सो रहे है”
“हम्म्म”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन किचन की और चली आयी , घर में सबसे पहले लाजो ही उठती थी इसलिए जब शगुन किचन में आयी तो लाजो चाय बना रही थी। शगुन को देखते ही उसके पास आयी और कहा,”बहुते सुन्दर लग रही हो भाभी , एक ठो काला टिका लगाय ल्यो ताकि किसी की नजर ना लगे”
लाजो की बात सुनकर शगुन मुस्कुरा दी और चाय की और देखते हुए कहा,”मैं बना देती हूँ”
“अरे ना ना भाभी अभी तो आपके हाथो की मेहँदी भी ना उतरी है , हमारे होते आप काहे काम करेंगी ?”,लाजो ने शगुन को रोकते हुए कहा
“तो फिर मैं क्या करू ?”,शगुन ने मासूमियत से कहा
लाजो मुस्कुराई और कहा,”आप जाकर गुड्डू भैया संग बैठो , अभी नयी नयी शादी है बतियाओ बैठकर काम तो जिंदगीभर करना है,,,,,,,,,,,,,,,नई”
शगुन कैसे बताती की जिस गुड्डू के बारे में सब पूछ रहे है उसे उसने कल रात से देखा ही नहीं है।
शगुन ने लाजो से कुछ नहीं कहा और वापस ऊपर चली आयी। सुबह गुड्डू की आँख खुली तो उसे याद आया की घर में मेहमान है और अगर वो कही नही दिखा तो पिताजी हंगामा ना कर दे। गुड्डू पिंकी को सब ठीक करने का वादा करके वहा से घर चला आया। गुड्डू जैसे ही घर में दाखिल हुआ मिश्राइन की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने कहा,”सबेरे सबेरे बाहर कहा से आ रहे हो गुड्डू ?’
गुड्डू उलझन में पड़ गया और कहा,”किसी काम से गए थे”
“अच्छा ठीक है अंदर चलो और चलकर नहा लो पूजा के लिए मंदिर जाना है”,मिश्राइन ने कहा और वहा से चली गयी। गुड्डू अंदर आया हाथ-मुंह धोया और सीढ़ियों की और बढ़ गया। गुड्डू मन ही मन में घबरा भी रहा था की शगुन को क्या कहेगा ? सच उसे बता नहीं पायेगा और झूठ कब तक कहेगा ? धड़कते दिल के साथ ऊपर आया नजर खुद के कमरे के दरवाजे की और चली गयी जो की बंद था। गुड्डू ने तीन चार लम्बी लम्बी सांसे ली और आगे बढ़ गया। उसने दरवाजा खटखटाया , अगले ही पल शगुन ने दरवाजा खोला गुड्डू को सामने देखकर खुश भी थी और परेशान भी की आखिर अब तक गुड्डू था कहा ? गुड्डू ने कुछ नहीं कहा और रूम में चला आया , शगुन भी अंदर आयी और धीरे से कहा,”आप कल रात घर में नहीं थे ?”
गुड्डू का दिल धड़क उठा जिसका डर था शगुन ने वही सवाल उस से पूछ लिया उसने बिना पलटे ही कहा,”हां वो किसी काम से बाहर गए थे”
“हम्म्म्म”,शगुन ने आगे कुछ नहीं पूछा
“हमहू नहाने जा रहे है”,कहते हुए गुड्डू ने तौलिया उठाया और बाथरूम में घुस गया। शगुन को गुड्डू कुछ बदला बदला नजर आ रहा था , जिस तरह से गुड्डू उस से नजरे चुरा रहा था शगुन को लगने लगा कोई तो बात है जो गुड्डू उस से छुपा रहा है। शगुन वही बैठकर गुड्डू के वापस आने का इंतजार करने लगी ,, कुछ देर बाद वेदी आयी और कहा,”भाभी आपको अम्मा ने नीचे बुलाया है”
शगुन वेदी के साथ नीचे चली आयी। गुड्डू नहाकर आया देखा कमरे में शगुन नहीं है तो चैन की साँस ली और टेबल पर रखे अपने कपड़ो में से पेंट शर्ट उठाकर पहन लिया। इत्तेफाक से आज गुड्डू ने गहरे लाल रंग की शर्ट पहनी थी जो की शगुन की साड़ी से मैच हो रही थी। गुड्डू ने बाल बनाये , परफ्यूम लगाया , जूते पहने , घडी पहनने के लिए जैसे ही हाथ उठाया उंगलियों में पड़ी सोने की अंगूठी पर गुड्डू की नजर चली गयी जो शगुन ने सगाई में उसे पहनाई थी। गुड्डू ने उसे निकालने की कोशिश की लेकिन वह गुड्डू की ऊँगली में फिट हो चुकी थी। गुड्डू ने घडी वापस रख दी और रुद्राक्ष वाला ब्रासलेट पहन लिया। क्लीन शेव अब थोड़ी सेट हो चुकी थी गुड्डू के चेहरे पर गुड्डू अपने गालो पर हाथ घुमाते हुए कहने लगा,”क्लीन शेव इतनी भी बुरी नहीं लगती है”
गुड्डू कमरे से बाहर चला आया जैसे ही नीचे जाने लगा अपनी बालकनी में खड़े सोनू भैया ने आवाज दी,”अरे गुड्डू इधर आओ”
गुड्डू बालकनी की और चला आया तो सोनू ने पूछा,”कैसा रहा सब ?”
“का ?”,गुड्डू ने अनजान बनते हुए कहा
“अरे वही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अहम्म्म्म अहम्म्म्म कैसा रहा मतलब,,,,,,,,,,,,,,,अबे समझ जाओ यार”,सोनू भैया खुलकर बोल नहीं पा रहे थे क्योकि आस पास लोग खड़े थे , गुड्डू समझ चुका था लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहा,”का समझे ?”
“अबे सुहागरात मनाई के नहीं ?”,सोनू ने दबी आवाज में पूछा
“सोनू भैया पिताजी नीचे बुला रहे है हम मिलते है बाद में”,कहकर गुड्डू सोनू के सवाल से बचकर भाग गया। बड़बड़ाते हुए गुड्डू नीचे उतरा और मिश्रा जी से जा टकराया।
“का बेटा इतनी जल्दी में कहा जा रहे हो की तुम्हे तुम्हाये बाप भी ना नजर आय रहे ?”,मिश्रा जी ने कहा
“सॉरी”,गुड्डू ने कहा
“सॉरी का सॉरी ,,जाओ आँगन में तुम्हायी अम्मा बुलाय रही है तुम्हे”,मिश्रा जी ने कहा और ऊपर की और चले गए। गुड्डू आँगन में आया जहा घरवालों के साथ शगुन पहले से मौजूद थी। मिश्राइन ने गुड्डू को शगुन की बगल में आकर बैठने का इशारा किया गुड्डू आकर बैठा। शादी के बाद की कोई रस्म थी जिसे गुड्डू और शगुन दोनों निभा रहे थे। एक बड़े से थाल में सात अनाजों से बनी खिचड़ी आयी जिस पर घी और शक्कर डाली हुयी थी। खुशबु भी काफी अच्छी आ रही थी। मिश्राइन ने गुड्डू से कहा,”गुड्डू अपने हाथ से बहुरिया को खिलाओ और रस्म पुरी करो”
“अम्मा इह सब करना जरुरी है का ?”,गुड्डू ने कहा
“बेटा इह सब रस्मे है जो की शादी के बाद करनी जरुरी है ,,, वैसे भी अब पहले वाले गुड्डू नहीं रहे हो तुम शादी हो चुकी है तुम्हारी थोड़े समझदार बनो ,, चलो खिलाओ”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू ने एक निवाला उठाया और शगुन की और बढ़ा दिया। शगुन को समझ नहीं आ रहा था की अचानक से गुड्डू को क्या हो गया है। उसने गुड्डू के हाथ से निवाला खाया और फिर मिश्राइन के कहने पर एक निवाला गुड्डू को भी खिला दिया। रस्म खत्म होने के बाद गुड्डू उठकर जाने लगा तो मिश्राइन ने कहा,”गुड्डू यही रुको थोड़ी देर में सबके साथ मंदिर जाना है”
गुड्डू ने हां में गर्दन हिला दी और वहा से चला गया। कुछ देर बाद मिश्राइन ने सोनू से गाड़ी निकालने को कहा सोनू की गाड़ी में भुआ जी , अंजलि भाभी और कुछ रिश्तेदार और बैठ गए। घर वाली गाड़ी में आगे मिश्रा जी , ड्राइवर , पीछे मिश्राइन शगुन और गुड्डू बैठे थे की तभी वेदी ने आकर कहा,”अम्मा हमे भी चलना है”
“हां हां आ जाओ जगह है”,मिश्राइन ने कहा तो वेदी ने गुड्डू को खिसकने का इशारा किया , गुड्डू ने देखा उसकी बगल में शगुन है खिसकेगा तो टच होगा इसलिए कहा,”उधर अम्मा की तरफ बइठो ना”
“नहीं हमे खिड़की वाली तरफ बैठने दो हमे उलटी आती है”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू को मजबूरन शगुन की और खिसकना पड़ा। वेदी भी अंदर आ बैठी और दोनों गाड़िया रवाना हुई। सबहि J.K मंदिर पहुंचे शगुन इस मंदिर में पहले भी आ चुकी थी उसे ये जगह बहुत पसंद थी। मंदिर में आकर मिश्राइन ने पंडित जी से कहकर गुड्डू और शगुन के लिए पूजा करवायी। बाकि सब घरवाले मंदिर की खूबसूरती देखने निकल पड़े। पूजा खत्म होने के बाद गुड्डू आकर उन्ही सीढ़ियों पर बैठ गया जहा पिछली बार बैठा था। उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था , शगुन से कब तक नजरे चुरायेगा , एक ना एक दिन तो पिंकी का सच सामने आना है ही ,, गुड्डू सोच में गुम बैठा हुआ था की शगुन आयी और कहा,”क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ ?”
“हम्म बइठो”,गुड्डू ने सामने देखते हुए कहा जबकि वह नहीं चाहता था शगुन वहा बैठे। शगुन कुछ दूरी बनाकर बैठ गयी और कहा,”सब ठीक है ना ?”
“का मतलब ?”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखकर पूछा
“आप सुबह से परेशान दिखाई दे रहे है इसलिए पूछा सब ठीक है ना”,शगुन ने सहजता से कहा
“हम्म्म”,गुड्डू ने कहा और फिर सामने देखने लगा
“मैं समझ सकती हूँ ये सब आपके लिए नया है , मेरे लिए भी पहली बार है ,, नयीं जगह , नया घर , नए रिश्ते इन्हे अपना बनाने में वक्त लगेगा। आपकी भावनाए भी समझ सकते है ,, शादी से पहले लाइफ कुछ और होती है शादी के बाद अचानक बदल जाती है ,, एडजस्ट होने में थोड़ा वक्त लगता है।”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उसकी और देखने लगा और फिर कहा,”इह तुमहू इसलिए कह रही हो ना क्योकि रात में हम घर पर नहीं थे”
“नहीं ये मैं इसलिए कह रही हूँ क्योकि मैं नहीं चाहती घर में कोई आपको गलत समझे,,,,,,जो भी काम हो जैसा भी काम हो वक्त से घर आया करे”,कहते हुए शगुन उठी और उठकर चली गयी और गुड्डू बस उसे जाते हुए देखते रहा।
क्रमश – manmarjiyan-44
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संजना किरोड़ीवाल
Yh guddu paagal ho chuka h pinki k pyaar woh shagun k saath bhut galat kr rha h agar asa hi h to usse yh shaafi nhi krni chahiye thi
Ye guddu ko kb akal ayegii😏😏
Nice part👌👏..ye guddu mishra ji ko dukhi nahi karna chahta na hi pinky ko…but en sab me wo to shagun ko bhul hi gya usne socha hi nahi ki un sabme shagun kitni hurt hogi jabki uski to koi )alti hi nahi…Aur ye pinky to hai hi chalu pta nahi ab kya karegi..
Y pinki mar kyu nhi jati saali kamini kb tk guddu ka pagal bnayegi or acha h shagun n warning de di agli bar s guddu ko bachane ki bajaye ghr s bta de ki guddu use cheat kr rha h
I kw it aisa hi kuchh hone wala h y pinki kuchh n kuchh to kregi hi bt Shagun ko faltu m y sb jhelna pdega bt kya kr skte h
Man kar raha h ki is Guddu k dande se pitai laga de bevkuf hai jo abhi b apni nayi dulhan ko chod kar us pinkiya k piche bhag raha hai 😡😡😡
Nice part…🌷🌷🌷🌷
Pinky ka naya drama….. Chalo guddu bhaiya jab tak thokar nahi khayenge tab tak unhe akal nahi ayegi…..
Bs ab jaldi akal aa jaye🙏
हमें कुछ नहीं कहना… अगर ये गुड्डू सच्चे प्यार को पहचान नहीं सकता है और उस पिंकी के चक्कर में पड़ सकता है…तो संजना जी पहले तो आप गुड्डू की अच्छे से ‘L’ लगवाए और फिर शगुन को गुड्डू की जिंदगी से हमेशा के लिए टाटा बाय बाय कह दें.।।संजना जी हमें शगुन के लिए बहुत दुख हो रहा है😢😢
very nice
Gudu glt kr rha hai shgun ke sath
मैम मन की बात बताऊँ तो…मैं गुड्डू को मिश्रा जी के हाथों मार खाते हुऐ देखना चाहता हूँ….पिंकी का सच जानने के बावजूद और शादी होने के बाद भी उसका ये रवैया शगुन के लिऐ देखकर…..गुड्डू में लाख अच्छाई हो…लेकिन जो लड़की अपने परिवार को छोड़कर आपके जिम्मेदारी पर आयीं हैं…उसके प्रति भी कुछ फर्ज हैं…गुड्डू अब तो सुधर जाओं😊 superb part👌👌👌👌👌
I dont like this pinki vala track..are jarurat kya hai, achha ladka hai guddu ghar vali bahar vali karega to hero vali feeling kaise ayegi…ye to tapori type lagega fir.