Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 34

Manmarjiyan – 34

Manmarjiyan - 34

Manmarjiyan – 34

शगुन के घर में शादी की तैयारियां बड़े जोरो शोरो से हो रही थी। इधर गुड्डू दिनभर घर में रहकर बोर हो रहा था ना वह बाहर जा सकता था ना ही घर में रह सकता था। सोनू भैया ने पार्टी का कहा था अब तो बस गुड्डू रात होने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही रात हुई गुड्डू पहुँच गया छत पर और साथ में गोलू भी चला आया। रौशनी और मनोहर फोन पर बात कर रहे थे रौशनी ने उसे मिलने को बुलाया तो वह भी चला आया। सोनू भैया ने छत के ऊपर वाले कमरे में पार्टी का सारा इंतजाम कर रखा था।
गुड्डू और गोलू दोनों छत से दिवार फांदकर सोनू भैया की छत पर आये। चलते हुए गुड्डू की नजर रौशनी की छत की दिवार के पास खड़ी परछाई पर पड़ी तो गुड्डू उस और चला आया देखा मनोहर और रौशनी दोनों वहा एक दूसरे का हाथ थामे खड़े है। रौशनी ने गुड्डू को देखा तो उसकी घिग्घी बंध गयी। मनोहर को इसकी भनक तक नहीं थी इसलिए उसने रौशनी से कहा,”रौशनी एक ठो किस दो ना”
गुड्डू को अपने सामने देखकर रौशनी ने ना में गर्दन हिला दी। मनोहर जो की गुड्डू की और पीठ करके खड़ा था उसने कहा,”रौशनी काहे इतना सता रही हो यार , मतलब एक ठो किस ही तो देना है और गाल पर माँग रहे है यार देइ दयो”
रौशनी चुप थी तो गुड्डू ने कहा,”हम दे दे दोनों गालों पर”
गुड्डू की आवाज सुनते ही मनोहर पलटा और देखा गुड्डू खड़ा है तो हड़बड़ा कर कहा,”अबे गुड्डू तुम,,,,,,,,,,,,,,,तुम कब आये ?”
“जबहु तुम इमरान हासमी बनने की कोशिश करे रहय , साले शरम नहीं आती तुमहू मतलब जहा जगह मिले टूट पड़ो”,गुड्डू ने गुस्सा होकर कहा
मनोहर उसके पास आया और उसका कन्धा दबाते हुए कहा,”अरे भाई गुड्डू स्पेशल मोमेंट है यार,,,,,,,,,,,,,,,समझो यार बात को”
“हमे कुछ नहीं समझना तुमहू चलो यहाँ से और तुम रौशनी,,,,,,,,,,,,,,,तुम जाओ नीचे का समझी”,गुड्डू ने कहा तो रौशनी ने मुंह बना लिया
“यार गुड्डू होने वाली बीवी से मिलना पाप है का ?”,मनोहर ने कहां
“नहीं कोई पाप नहीं है पर सादी से पहिले किसी लड़की को इस तरह छूना पाप है”,गुड्डू ने कहा
“और इह सब बाते कौन सिखाया तुमको ?”,मनोहर ने कहा
“हमाये पिताजी सिखाये है और तुम चाहो तो तुमको भी सीखा देंगे,,,,,,,,,,,,,कहो तो बुलाये”,गुड्डू ने कहा
“अरे नहीं नहीं,,,,,,,,,,रौशनी तुम जाओ”,मनोहर ने कहा तो रौशनी वहा से चली गयी और गुड्डू उसे लेकर सोनू भैया की छत पर आ गया। रूम में आते ही सोनू ने गोलू से दरवाजा बंद करने को कहा और बढ़िया म्यूजिक लगा दिया। गुड्डू सोफे पर आ बैठा , सोनू ने चार पैग बनाये और एक एक करके गोलू और मनोहर की और बढ़ा दिए जैसे ही गुड्डू को दिया गुड्डू ने कहा,”अरे नहीं भैया हमहू इह सब नहीं पीते”
“अरे गुड्डू मर्द बनो मर्द”,कहते हुए सोनू भैया ने जबरदस्ती गुड्डू को पीला दी। एक पैग पीते ही गुड्डू को चढ़ गयी और वह सोफे पर बैठे बैठे बाकि तीनो को देखने लगा , कुछ ही देर में वो तीन उसे 6 नजर आ रहे थे। गोलू ने सिर्फ एक पैग पीया बाकि उसका पूरा ध्यान नमकीन और ऑमलेट निपटाने में था। सोनू को पीने की आदत थी इसलिए उसे चढ़ी नहीं वह मस्त धीरे धीरे अपना पैग खत्म कर रहा था , वही मनोहर 3 पैग पीकर भी सीधा खड़ा था। सभी बैठ गए सोनू ने म्यूजिक बंद कर दिया। अचानक गुड्डू हसने लगा तीनो हैरानी से उसे देखने लगे , गुड्डू हंसा और फिर हँसता ही रहा तो गोलू उसके पास आया और कहा,”अरे गुड्डू भैया का हुआ हंस काहे रहे हो ?”
“गोलू हमाये पिताजी कितने बड़े हिटलर है तुमहू जानते हो ना , आज तक उन्होंने हमें कभी नहीं समझा। हमायी पसंद पूछे बिना ही हमायी शादी तय कर दी। पिंकिया कैसी भी हो यार पर थी तो हमारा प्यार ही ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम तुम बताओ हमहू स्मार्ट है की नहीं ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे भैया,,,,,,,,,,,,!!!”,गोलू ने कहना चाहा
“नहीं पहिले तुम बताओ हमहू स्मार्ट है की नहीं ?,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने गिरते पड़ते पूछा
“अरे हो भैया बहुते स्मार्ट हो,,,,,,,,,,तुम्हारी बराबरी का कोई नहीं है कानपूर में”,गोलू ने गुड्डू को सम्हालते हुए कहा
“फिर पिंकिया काहे छोड़ के चली गयी हमको,,,,,,,,,,,,,,!”,एकदम से गुड्डू रोने लगा तो गोलू ने अपना सर पीटते हुए कहा,”ल्यो फिर इनका रं#-रोना शुरू हुई गवा , पिंकिया ना हो गयी मुंशी की दुकान का प्याज हो गवा जब देखो तब रुलाये जा रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे भैया सम्हालो खुद को”
गोलू ने गुड्डू को जमीन से उठाकर सोफे पर बैठाते हुए कहा और सोनू भैया की और पलटकर गुस्से से कहा,”अबे काहे पिलाई इसको,,,,,,,,,,,,इसको हजम नहीं होती है”
“अरे उह सब छोडो , पहिले इह बताओ इह पिंकिया कौन है ?”,मनोहर ने झुंझलाते हुए कहा
“बहुते बवाल चीज है भाईसाहब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कानपूर का भौकाल कहो उसको मोहल्ले के सारे लौंडे पागल है उसके पीछे,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमाये गुड्डू मिश्रा भी”,सोनू भैया ने घूंठ भरते हुए बहुत ही इत्मीनान से कहा
“तुम लोग कहि उह शर्मा जी की लड़की की बात तो नहीं ना कर रहे ?”,मनोहर ने याद करते हुए कहां
“हां भैया वही,,,,,,,,,,,,,,,,,उन्होंने ही जीना हराम कर रखा है”,गोलू ने निचे गिरते हुए गुड्डू को सम्हालते हुए कहा
“अरे यार उह तो बहुत गजब मतलब एकदम कमाल है”,मनोहर ने मुस्कुराते हुए कहा
“कमाल नहीं धमाल कहो धमाल”,सोनू ने एक और पैग मनोहर की और बढाकर कहा !
“अबे यार तुम लोग पिंकिया की तारीफ करना बंद करो यार , पहिले गुड्डू भैया को सम्हालो”,गोलू ने झुंझलाकर कहा जिसके लिए गुड्डू को सम्हालना अब मुश्किल हो रहा था।
“गोलू छोड़ दो उसको कही नहीं जाएगा वो”,सोनू भैया ने कहा तो गोलू ने गुड्डू को सोफे पर बैठाया और खुद आकर नमकीन खाते हुए कहने लगा,”अगर शादी के बाद भी इनका यही पिंकिया अलाप चलता रहा ना तो जिंदगी भसड़ हो जानी है इनकी ,, भाभी को क्या मुंह दिखाएंगे हम”
“सादी गुड्डू की है तो मुंह तुम काहे दिखाओगे बे ?”,सोनू भैया को अब थोड़ी थोड़ी चढ़ने लगी थी। मनोहर ने उसे कुर्सी पर बैठाया और कहा,”यार तुम लोगो से जब सहन नहीं होती तो पीते काहे हो ?”
मनोहर का इतना कहना था की सोनू ने रोने वाली शक्ल बनाई और कहने लगा,”कौन कम्बख्त पीना चाहता है भाई हमहू तो पीते है ताकि उन्हें झेल सके,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“उन्हें कीन्हे ?”,मनोहर ने पूछा
“अबे तुम्हायी भाभी यार,,,,,,,,,,,,,बहुते ताने मारती है यार ,, जबसे शादी हुई है रंगबाजी को तरस गए है बस उसी के बदलते रंग देख रहे है ,,,,,,,,,,,,बहुत दुःख है हमायी जिंदगी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी पर्सनल बीवी रह गयी इसलिए किसी को कुछ कह भी नहीं सकते”,सोनू भैया ने अपना दुखड़ा सुनते हुए कहा।
मनोहर ने अपना ग्लास नीचे रखा और सोफे पर बैठते हुए कहा,”यार तुम दोनों की बातें सुनकर तो साला हमे डर लगने लगा है ,, हम तो खुद शादी करने जा रहे है”
“तुमहू बहुते हिम्मत वाले हो मनोहर जो शादी कर रहे हो वरना हमसे पूछो का बीत रही हम पे”,सोनू ने बोतल की और हाथ बढ़ाते हुए कहा तो गोलू ने बोतल छीन ली और गुड्डू की और इशारा करके कहा,”हिया एक देवदास सम्हाल नहीं पा रहे तुमको दूसरा बनना है ,, अब कोई नहीं पियेगा”
“ठीक है गोलू नहीं पीते पर उसको तो देखो वो है या चल बसा”,सोनू ने बेसुध लेटे गुड्डू की और देखकर कहा
गोलू ने आकर गुड्डू को देखा गुड्डू सो चुका था। ये दूसरी बार था जब गुड्डू ने शराब पि थी। गोलू ने गुड्डू के सर को सीधा करके तकिया लगाया और खुद आकर बिस्तर पर लेट गया। थोड़ी देर बाद सोनू और मनोहर भी सो गए। सुबह 7 बजे सोनू भैया की आँख मिश्रा जी की आवाज सुनकर खुली। सोनू आँखे मसलते हुए बालकनी में आया और देखा घर में अफरा तफरी मची है , सब यहाँ से वहा परेशान घूम रहे है। सोनू भैया जल्दी से कमरे में आये और गोलू को उठाते हुए कहा,”गोलू,,,,,,,,,,,,,,,,गोलू,,,,,,,,,,,,,अबे उठो का कुंभर्कण के जैसे सोये पड़े हो ?”
सोनू भैया की आवाज सुनकर गोलू हड़बड़ा कर उठा और कहा,”का का हुआ भैया ?”
“अरे यार गुड्डू के घर में जाकर देखो का मैटर हुई गवा , कही मिश्रा जी हमायी पार्टी के बारे में ना पता चल गया हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम जायेंगे तो पंगा हो जाएगा तुमहू जाओ”,सोनू भैया ने गोलू को उठाते हुए कहा
गोलू अनमने मन से उठा और नीचे चला आया। गुड्डू के घर आया तो देखा आँगन में भीड़ जमा है। गोलू आया और मिश्रा जी के बगल में आकर खड़ा हो गया और उबासे लेते हुए कहा,”का हुआ दादी सुलट गयी का ?”
मिश्रा जी ने सूना तो गोलू की और पलटें और एक थप्पड़ उसे रसीद करके कहा,”सुबह सुबह का अंट शंट बक रहे हो ? 100 साल जियेगी हमायी अम्मा”
“आपकी अम्मा तो 150 साल भी जी लेगी लेकिन आपके थप्पड़ खाय के हमहू 30 से जियादा ना जी पाई है”,गोलू ने गाल सहलाते हुए मन ही मन खुद से कहा
“गुड्डू कहा है पता है कुछो ?”,गोलू को चुप देखकर मिश्रा जी ने पूछा
“गुड्डू भैया तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,(इनको सच पता चला तो फिर से थप्पड़ पडेगा , इनको बताता ही नहीं हूँ),,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे नहीं पता हमहू तो अभी अभी आये है”,गोलू ने अनजान बनते हुए कहा
“पता नहीं कहा चला गया इह लड़का , सबेरे से कही दिखाई नहीं दे रहा है”,कहते हुए मिश्रा जी अपना फोन कान से लगाए हुए वहा से चले गए। उनके जाते ही गोलू गिरते पड़ते भागा सोनू भैया के घर और उन्हें पूरी बात बताई। सोनू ने जल्दी जल्दी गुड्डू को उठाया , गुड्डू गहरी नींद में सोया हुआ था , वह सोनू के उठाने पर भी नहीं उठ रहा था तो सोनू ने झुंझलाकर गोलू से कहा,”गोलू एक ठो लात मारो इनके पिछवाड़े पे”
गोलू ने एक लात गुड्डू को मारी , गुड्डू हड़बड़ा कर उठा और कहा,”हां हुआ ?”
“अबे तुम्हाये पिताजी तुमको ढूंढ रहे है , थोड़ी देर में घर नहीं पहुंचे ना तो बवाल हो जाना है ना”,सोनू ने कहा तो गुड्डू जल्दी से उठा और कहा,”पहिले काहे नहीं बताये”
गुड्डू जल्दी से बालकनी में आया और लटकर अपने घर की छत पर लेकिन नीचे गली में खड़े मिश्रा जी ने गुड्डू को देख लिया और सीधा अंदर आये। उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा और सीधा ऊपर चले आये। ऊपर आकर उन्होंने आवाज दी,”गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,ए गुड्डू”
“जी जी पिताजी”,गुड्डू ने उनके सामने आकर कहा , मन ही मन वह घबरा भी रहा था की कही पिताजी को पार्टी वाली बात के बारे में पता ना चल जाये। मिश्रा जी ने गुड्डू को ऊपर से नीचे तक घुरा और कहा,”कहा थे बेटा ?”
“यही थे पिताजी”,गुड्डू ने नजरे चुराते हुए कहा
“इह तो हुआ झूठ अब इह बताओ सुबह सुबह सोनू की छत पर का रहे थे तुम ?”,मिश्रा जी ने शांत लहजे में पूछा। गुड्डू की सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी हर बार मिश्रा जी उसका झूठ पकड़ लेते थे। गुड्डू ने धीरे से कहा,”उह सोनू भैया और गोलू मनोहर शादी की पार्टी मांग रहे थे इसलिए उनके घर पर”
“दिमाग ख़राब है तुम्हारा गुड्डू , हमहू मना किये रहय की हल्दी लगे लड़के को घर से बाहर नहीं जाना चाहिए लेकिन तुमहू हो के पार्टी मनाने में लगे हो। नीचे तुम्हायी अम्मा कितनी परेशान है तुम्हे घर में ना पाकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने दबी आवाज में डांट लगाते हुए कहा
“पिताजी हम वो,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहना चाहा
मिश्रा जी गुड्डू के पास आये और कहा,”देखो बेटा जवानी और जबानी ना सोच समझकर खर्च करो वरना लंका लगने मे देर नहीं लगती है,,,,,का समझे”
“जी पिताजी”,गुड्डू ने सर झुकाये हुए कहा
“नहाकर नीचे आ जाओ , पंडित जी आने वाले है कुछ रस्मे है”,कहते हुए मिश्रा जी नीचे चले गए
गुड्डू कमरे में आया और कबर्ड में रखे कपडे लेकर नहाने चला गया। नीचे आया उसे देखते ही मिश्राइन उसके पास आयी और कहा,”रे गुड्डू कहा चला गया था सुबह सुबह ? मालूम है कितना परेशान हो गए थे सब”
“अरे अम्मा ऊपर छत पर थे कानो में हेड फोन लगा रखा था तो सुनाई नहीं दिया”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा कोई बात तूम आओ हिया बैठो पंडित जी के पास”,कहते हुए मिश्राइन गुड्डू को लेकर पंडित जी के पास चली आयी। पंडित जी पूजा शुरू कर दी और गुड्डू के हाथ पर शादी से जुड़े शुभ धागे बांधते हुए कहा,”शादी से पहले इन्हे उतारना नहीं है , तुम्हारी दुल्हिन के हाथो खुलेगा इह”
गुड्डू ने हां में सर हिला दिया उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था। पूजा खत्म हुई तो गुड्डू उठाकर आंगन में चला आया। मिश्रा जी ने रसोईये से कहकर सबके लिए नाश्ता लगवा दिया। सबने नाश्ता किया , शादी में अब दो दिन बचे थे इसलिए घर में मेहमानो की संख्या बढ़ने लगी। गुड्डू के कमरे पर उसके रिश्तेदारों का कब्जा हो चुका था। दिनभर आने वाले मेहमानो के पैर छूते छूते गुड्डू की कमर अकड़ने लगी थी ,, थककर वह सोफे पर आकर बैठा और जैसे ही आँखे मुंदी लाजो ने आकर कहा”,गुड्डू भैया अम्मा जी ने आपको छत पर बुलाया है”
“काहे ?”,गुड्डू ने आँखे मूंदे हुए कहा
“अरे मेहँदी लगनी है आपके हाथो में इसलिए बुला रहे है , चलिए”,लाजो ने कहा
“यार ये शादी कब होगी हमायी ?”,गुड्डू ने एकदम से उठकर बैठते हुए कहा
“क्या बात है गुड्डू भैया शादी की इतनी जल्दी है आपको,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अहंमम भाभी जी के बिना रहा नहीं जा रहा नई”,लाजो ने कहा
“नहीं इसलिए जल्दी है ताकि इन झमेलों से पीछा छूटे हमारा ,, न चैन से खाने देते है ना सोने,,,,,,,,,,,,,,,अम्मा से जा के कह दो हम नहीं आ रहे”,गुड्डू ने कहा और फिर आँखे मूंद ली लेकिन बेचारे गुड्डू की जिंदगी इतनी भी अच्छी नहीं थी पास ही से गुजरते हुए मिश्रा जी ने सुन लिया और आकर कहा,”शगुन की मेहँदी है बेटा लगवाय ल्यो ,, मर्द की जिंदगी में इह अवसर एक हे बार आता है”
मिश्रा जी की आवाज सुनकर गुड्डू ने आँखों खोली , मन मारकर खड़ा हुआ और लाजो के साथ चला गया। मिश्रा जी दूसरे कामो में बिजी हो गए। गुड्डू ऊपर आया तो देखा हॉल में पूरा इंतजाम है और ढेर सारी औरतो के बीच वह अकेला मर्द है। गुड्डू आकर पाटे पर बैठ गया अंजलि भाभी ने उसके हाथो पर मेहँदी लगाना शुरू किया। गुड्डू चुपचाप बैठा सबकी बातें सुनता रहा , सभी उसे बार बार छेड़ रही थी।
अंजलि भाभी ने गुड्डू के दोनों हाथो पर मेहँदी लगायी। उसने गुड्डू के एक हाथ पर “अर्पित” लिखा और दूसरे हाथ पर “शगुन” लिख दिया जब गुड्डू ने देखा तो कहा,”अरे शगुन काहे लिखी हो हमाये हाथ पर”
“गुड्डू जी मेहँदी में नाम लिखने से ना प्यार बढ़ता है , और हथेली में क्या हमारी देवरानी का नाम तो अब आपसे जुड़ ही चुका है”,अंजलि ने कहा तो गुड्डू मिश्राइन की और देखने लगा
“अरे तो ठीक है ना गुड्डू शगुन के नाम की मेहँदी लगी है तो उसका नाम लिखने में का हर्ज है ,, तुमहू भी ना कमाल करते हो”,मिश्राइन ने कहा।
मेहँदी लग जाने के बाद गुड्डू वहा से उठकर कमरे में चला आया। बार बार उसकी नजर मेहँदी में लिखे शगुन के नाम पर चली जाती , गुड्डू उठा और बाथरूम में आकर उसे धो दिया ,,हल्का रंग उसके हाथो पर आ चुका था साथ ही शगुन के नाम का भी। गुड्डू वापस अपने कमरे में आया और आँखे बंद करके बिस्तर पर लेट गया। उसके कानो में एक आवाज पड़ी जैसे उसका दिल उस से कह रहा हो – मेहँदी में लिखा नाम तो मिटा दिया , किस्मत में लिखा नाम कैसे मिटाओगे गुड्डू ?

Manmarjiyan - 34
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