Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 12

Manmarjiyan – 12

“मनमर्जियाँ”

By Sanjana Kirodiwal

पिंकी की शादी की बात सुनकर बेचारे गुड्डू का दिल एक बार फिर टूट गया। पिंकी वहा से चली गयी गुड्डू अपने घर आया और सीधा ऊपर चला आया , गुड्डू को बहुत बुरा लग रहा था। अभी उसकी प्रेम कहानी ठीक से शुरू भी नहीं हुयी थी की उस पर फूल स्टॉप लग गया। परेशान सा गुड्डू छत पर इधर उधर घूम रहा था , की वहा वेदी आयी और कहा,”गुड्डू भैया पिताजी बुला रहे है”
“तुम चलो हम आते है”,गुड्डू ने कहा तो वेदी वहा से चली गयी और कुछ देर बाद गुड्डू भी नीचे चला आया। मिश्रा जी आज शोरूम से जल्दी ही घर चले आये थे उन्होंने एक लिस्ट गुड्डू को देकर कहा,”गुड्डू ये शुक्ला जी के सामान की लिस्ट है कल इतवार है सबेरे जल्दी शोरूम जाकर इह सब सामान पैक करवा देना”
“जी पिताजी ठीक है”,गुड्डू ने उदास स्वर में कहा
“का हुआ तबियत ठीक है ना ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“हां ठीक है”,कहकर गुड्डू रसोई की और चला गया उसने लाजो से एक कप चाय देने को कहा और बाहर आकर घर के गेट की सीढ़ियों पर बैठ गया। हमेशा सबसे हसने बोलने वाला गुड्डू आज चुप बैठा था। कुछ देर बाद सोनू भैया की घरवाली आयी , उन्हें मिश्राइन से कोई काम होगा शायद गुड्डू को ऐसे उदास बैठे देखकर कहा,”क्या बात है गुड्डू भैया आज मुंह काहे लटका है ?”
“अरे कुछ नहीं भाभी बस ऐसे सोकर उठे है तो लग रहा है”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा चाची कहा है उनसे कछु काम था ?”,भाभी ने सवाल किया
“अंदर दादी के कमरे में होंगी”,गुड्डू ने कहा इतने में लाजो चाय ले आयी और रखकर चली गयी। गुड्डू चाय पीने लगा बार बार उसके दिमाग में पिंकी की शादी की बाते घूम रही थी। मन दूसरा हो सोचकर गुड्डू ने बाइक निकाली और बाहर चला आया। गोलू के घर के सामने आकर बाइक रोकी और उसे आवाज लगायी तो गोलू भी उसके साथ साथ चल पड़ा , जाना कहा था दोनों नहीं जानते थे बस चले जा रहे थे। कुछ देर बाद दोनों बॉम्बे चौपाटी रेस्टोरेंट पहुंचे , गुड्डू ने दो प्लेट पावभाजी आर्डर की और चुपचाप बाइक के पास खड़े हो गया। गोलू को समझते देर नहीं लगी कुछ गड़बड़ है उसने कहा,”कोई मैटर हो गवा का भैया ऐसे शांत काहे खड़े हो ?”
“पिंकिया की शादी होने जा रही है”,गुड्डू ने मुंह लटकाकर कहा
गोलू ने सूना तो उसके दिल में ख़ुशी का फनवारा फूट गया (वैसे ही जैसे आप सबके मन में फूटा था) लेकिन अपनी भावनाओ को कंट्रोल में रखकर गोलू ने कहा,”कब ? , और अब तुम का करोगे ?”
“हमहू इह शादी नहीं होने देंगे गोलू , पिंकिया हमारा पहला प्यार है उसे ऐसे ही किसी और के साथ नहीं जाने देंगे”,गुड्डू ने कहा
“मोहल्ले का प्यार अक्सर डाक्टर और इंजिनियर उठाकर ले जाते है मिश्रा जी”,गोलू ने गुड्डू के जले पर नमक डालते हुए कहा तो गुड्डू ने कहा,”जियादा डायलॉग बाजी ना करो रांझणा हमने भी 100 बार देखी है , उसमे कुंदन को जोया ना मिली हो हमे हमारी जोया याने पिंकिया जरूर मिलेगी और उसके लिए हम कुछ भी करेंगे”
“का पता तुम्हारी जिंदगी में कोनो बिंदिया (सच्ची मोहब्बत) लिखी हो , तुमहू पिंकिया के चक्कर में पूरा पगला गए हो भैया ,,!”,गोलू ने कहा
“प्यार का पहिला नाम पागलपन ही है गोलू , तुम ना समझी हो”,गोलू ने कहा
“अच्छा हम ना समझी है , एक ठो बात बताओ पिंकिया के साथ तुमहू कभी अपना भविष्य देखे हो , मतलब सादी , बच्चे , घर सुखी जीवन ,, नहीं देखे अगर देखे होते तो आज यहाँ खड़े पावभाजी न खा रहे होते ,, पिंकिया तुम्हारा आकर्षण है गुड्डू इह बात तुमहू मानने को तैयार नहीं हो”,गोलू ने कहा
“अपना ज्ञान ना अपने पास रखो , एक घुमाय के देंगे ना कंटाप अक्ल ठिकाने आ जाएगी तुम्हायी ,, तुमको का हमारा प्यार झूठा लगता है”,गुड्डू ने गुस्सा होकर कहा
“अरे भैया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने जैसे ही कहना चाहा गुड्डू ने रोक दिया और कहा,”का भैया , तुमहू लगता है साला गुड्डू भैया तो चू#या है , हमहू तुमसे अपनी परेशानी बाटने यहाँ आये है और तुम हो की ज्ञान दिए जा रहे हो , हमे तो साला इह समझ नहीं आता की पिंकिया से तुम इतना चिढ़ते काहे हो”
“भैया हम कोई चिढ़ते विड़ते नहीं है उस से , हमहू तो तुम्हाये लिए बोल रहे”,गोलू ने कहा
“जाओ यार गोलू दोस्त होकर तुमहू हमे ना समझ पाई हो तो कौन समझी है ? जाने दो यार कहना बेकार है”,कहकर गुड्डू जाने लगा तो गोलू ने कहा,”अरे भैया पावभाजी तो खा लो”
“तुमहू खाओ पावभाजी”,गुड्डू ने नाराज होकर कहा और बाइक स्टार्ट कर उस पर सवार हो गया , जैसे ही जाने लगा तो गोलू ने कहा,”हमायी जरूरत पड़े तो याद कर लेना , बाकी आँखों के सामने कुए में कूदने नहीं दे सकते तुमको”

गुड्डू वहां से चला गया। पावभाजी आई गोलू ने दोनों प्लेट टेबल पर रखी और बैठकर खाने लगा , खाते खाते गोलू ने कहा,”गुड्डू भैया तुम्हारी हालत पावभाजी में गिरने वाले इस निम्बू की तरह हो चुकी है जिसे अपने स्वाद के लिए पिंकिया निचोड़े जा रही है , खैर भोलेनाथ मालिक है”
गोलू ने पावभाजी खाई पैसे चुकाए और पैदल ही घर की और चल पड़ा। चलते चलते नजर गोलगप्पे खाती हुयी पिंकी पर गयी तो गोलू ने मन ही मन कहा,”वहा भैया इमोशनल ड्रामा खेल के इधर गोलगप्पे खाय रही है , चुड़ैल कही की ,, इह जन्म में तो हम तुमको गुड्डू की दुल्हनिया नहीं बनने देंगे पिंकी शर्मा , जस्ट वेट एंड वाच”
गोलू घर चला आया , अब तक तो वह गुड्डू को लेकर निश्चिन्त था लेकिन अब उसे गुड्डू की चिंता होने लगी थी। पिंकी के जाल में गुड्डू फंसता चला जा रहा था और ये बात गोलू अच्छे से जानता था , पर वो कहते है ना प्यार में पड़ा हुआ इंसान और पानी में बैठी हुई भैस जल्दी बाहर नहीं निकलती है। गुड्डू का भी यही हाल था उसे पिंकी का लालच और उसकी बुरी नियत दिखाई नहीं दे रही थी।
अगले दिन गुड्डू सुबह सुबह ही शुक्ला जी के आर्डर के लिए शोरूम चला गया , रस्ते में गोलू मिला लेकिन गुड्डू ने उस से बात तक नहीं की शायद नाराज था। शोरूम आकर उसने खुद ही सारा माल निकाला , उसे जमाया और पैक करके एड्रेस लिखने लगा , तभी दरवाजे पर किसी की आहट हुयी। गुड्डू ने सर उठाकर देखा तो पाया सामने पिंकी खड़ी थी , पिंकी उसके पास आयी और कहा,”मैं वो शादी नहीं करना चाहती गुड्डू , प्लीज पापा को समझाओ”
“तुमको का लगता है पिंकी तुम्हाये पिताजी हमायी बात सुनेंगे , अगर कुछ कहने भी गए ना हम तो गोली निकाल देंगे सीने के आर पार ,, जानती हो ना अपने पिताजी को”,गुड्डू ने कहा
“हां जानती हूँ , तुम बताओ तुम्हे मुझसे शादी करनी है या नहीं ?”,पिंकी ने कहा
“करनी है , काहे नहीं करनी”,गुड्डू उठ खड़ा हुआ
“तो फिर जाकर अपने पिताजी से बात करो , वे हमारा रिश्ता लेकर मेरे पापा के पास आएंगे तो हो सकता है पापा मान जाये”,पिंकी ने कहा।
“पिताजी से बात ?”,गुड्डू ने कहा
“हां , और अगर नहीं कर सको तो अगले महीने हमायी शादी में मटर पनीर खाने आ जाना”,पिंकी ने गुस्से से कहा और चली गयी। गुड्डू एक बार फिर नयी मुसीबत में आ फंसा , मिश्रा जी के सामने जिसके आवाज तक नही निकलती उनसे जाकर वह अपने और पिंकी के रिश्ते की बात करे ,, बहुत मुश्किल होने वाला था उसके साथ। गुड्डू ने शुक्ला जी का आर्डर भिजवाया और सबसे पहले तो अपने एक दोस्त के जरिये ये पता लगवाया की आखिर पिंकी से शादी करने आ कौन रहा है ?
शर्मा जी ने अपनी ही बिरादरी के लड़के “सोनू शर्मा” से पिंकी का रिश्ता तय करने का मन बना लिया। सोनू लखनऊ का रहने वला सॉफ्टवेयर इंजिनियर था , शर्मा जी की उस से मुलाकात लखनऊ वाले समारोह में ही हुई थी सोनू शर्मा जी को पहली बार में ही पसंद आ गया था। अच्छा लड़का , अच्छा परिवार और अच्छा घर शर्मा जी को और क्या चाहिए था भला।

उसी शाम पिंकी को देखने वो लड़का आने वाला था और उसी शाम गुड्डू के हाथ उस लड़के की जानकारी लगी। शाम को जब सोनू और उसके घरवाले पिंकी को देखने आये तब गुड्डू पिंकी के घर के बाहर खड़ा था। सोनू ने एक नजर उसे देखा और अंदर चला गया , मेहमानो के सामने शर्मा जी गुड्डू से कुछ कह नहीं पाए और अंदर चले गए। जब सोनू और पिंकी को बात करने के लिए छत पर भेजा तो गुड्डू पाइप चढ़कर ऊपर आया , उसे देखकर सोनू ने कहा,”ये कौन है ?”
“हम है इनके आशिक़ और तुम्हाये होने वाले जीजा , नीचे जो गंध फैलाये हो उसे समेटो और निकलो”
“हु द हेल आर यू ? मैं यहाँ रिश्ता लेकर आया हूँ”,सोनू ने गुस्से से कहा
“पिंकिया से पूछ ल्यो हम कौन है ?”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू जाओ यहाँ से”,पिंकी ने कहा
“कौन है ये ? और आप इसे जानती हो ?”,सोनू ने पिंकी से पूछा पिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया तो गुड्डू सोनू के पास आया और कहा,”देख भाई हम इस से बहुत प्यार करते है , इह भी करती है। पर साला इह शर्मा मेरा मतलब पिंकिया के पापा नहीं मान रहे और उन्हें हमारे प्यार के बारे में पता लग गया। बस इसलिए खुनस में आकर वो इसकी सादी तुमसे करवाय रहे है”
“अगर तुम्हे शादी नहीं करनी तो तुम नीचे सबके सामने मना कर सकती थी , ये सब करने की क्या जरूरत थी ?”,सोनू ने पिंकी से पूछा
“हम मना करेंगे तो पापा दूसरा रिश्ता देख कर शादी कर देंगे , आप मना करोगे तो मुझे उन्हें समझाने के लिए थोड़ा टाइम मिल जाएगा”,पिंकी ने कहा
“ओह्ह्ह आई केन अंडरस्टेंड , मैं घर जाकर ना कह दूंगा”,सोनू ने मुस्कुरा कर कहा तो गुड्डू और पिंकी एक दूसरे की और देखकर मुस्कुरा उठे
“अरे यार भाई थेंक्स , तुमहू नहीं जानते इह बोलकर तुमने कितना बड़ा अहसान किये रहय हम पर ,, कानपूर में कोई भी समस्या हो हमे बताना”,गुड्डू ने सोनू से हाथ मिलाते हुए कहा। कुछ देर बाद सोनू और उसके घरवाले चले गए और गुड्डू भी अपने घर चला गया।
दो दिन बाद पिंकी ने खुश होकर बताया की सोनू ने रिश्ते से इंकार कर दिया , गुड्डू भी खुश था लेकिन अब उसके सामने सबसे बड़ी समस्या थी मिश्रा जी से बात करना , सुबह सुबह गुड्डू नहाकर कॉलेज जाने के लिए निचे आया देखा मिश्रा जी नाश्ता कर रहे थे गुड्डू उनके सामने आया और कहा,”पिताजी , आपसे कुछो बात करनी है”
“हम्म्म कहो”,मिश्रा जी ने बिना गुड्डू की और देखे कहा
“उह हम कह रहे थे की उह जोन शर्मा जी है ना चार गली छोड़कर , उनकी लड़की पिंकी हम उसे पसंद करते है”,गुड्डू ने डरते डरते कहा
“हम्म्म तो इह मा कोनसी बड़ी बात है ? अच्छा है पसंद करते हो”,मिश्रा जी ने कहा
“हम उह से सादी करना चाहते है”,गुड्डू ने इस बार थोड़ी हिम्मत के साथ कहा
मिश्रा जी ने जैसे ही सूना गुड्डू की तरफ देखा और देखा,”देखो बेटा इश्क़ के पर्चे जितने भरने है भरो कोई परेशानी नहीं , पर बेटा रिजल्ट तो हमही डिक्लेयर करेंगे ,, का समझे ?”
“पिंकी भी हमे पसंद करती है”,गुड्डू ने कहा
“बेटा पसंद तो तुमको गली के लौंडे भी करते है तो का उनको भी बहुरिया बना के घर में ले आये”,मिश्रा जी ने कहा
“लेकिन पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,गुड्डू कुछ कहता इस से पहले ही मिश्रा जी ने हाथ धोये और कहा,”देखो बेटा तुम्हायी सादी वही होगी जहा हम चाहेंगे , इसलिए ये इश्क़ इश्क का फितूर ना दिमाग से निकाल दयो और परीक्षा पर ध्यान दो”
गुड्डू आगे कुछ कह नहीं पाया और मिश्रा जी उसकी मोहब्बत पर पैर पटक कर आगे बढ़ गए।

Manmarjiyan - 12
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संजना किरोड़ीवाल

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