Main Teri Heer Season 5 – 86

Main Teri Heer Season 5 – 86

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

डांस करके सब साइड में चले आये। सारिका और नंदिता जी पूजा की थाली लेकर दरवाजे पर चली आयी। शक्ति सारिका के सामने आकर खड़ा हुआ और मुन्ना नंदिता जी के सामने , दोनों को तिलक किया गया , मीठा खिलाया और आरती उतारी गयी। सभी अंदर चले आये। अंदर एक बड़ा सा स्टेज था जिस पर दो बड़ी बड़ी कपल कुर्सियां लगी थी। शक्ति और मुन्ना आकर उन पर बैठ गए।

मुन्ना के बगल में वंश आ बैठा और शक्ति के बगल में जय , जय को वहा देखकर वंश ने कहा,”ओह्ह्ह भैया के साले , तुम्हारा यहाँ क्या काम तुम बारातियो का स्वागत करो ये जगह हम लोगो के लिए छोड़ दो”
” ओह्ह्ह शक्ति जीजू के साले , मान जीजू के साथ तो आप है लेकिन शक्ति जीजू के साथ कोई नहीं तो मैं बस इन्हे कम्पनी देने चला आया,,,,,,,,,आप अपनी साइड का सम्हालो ना ये वाली साइड मैं सम्हाल लूंगा”,जय ने भी वंश की टांग खींचते हुए कहा


वंश ने सुना तो मुंह खुला का खुला रह गया और उसने मुन्ना से कहा,”यार भैया आपका ये साला तो भाभी से भी ज्यादा तेज निकला ,  हाह वैसे भी ये अकेला क्या ही कर लेगा ?”
वंश को अपना मजाक उड़ाते देखकर जय ने कहा,”अकेला नहीं हूँ मेरे पास भी सॉलिड पार्टनर है जिसके सामने आपकी बोलती बंद हो जाएगी”
“अच्छा मैं भी तो देखु ज़रा वो सॉलिड पार्टनर , दोनों आ जाओ दोनों को देख लूंगा”,वंश ने जय का मजाक उड़ाते हुए कहा


तभी निशि आकर जय के बगल में खड़ी हो गयी और कहा,”जय तुम्हे इन लोगो से डरने की जरूरत नहीं है मै तुम्हारे साथ हूँ”
निशि को वहा देखकर वंश गिरते गिरते बचा निशि ने पार्टी बदल ली देखकर वंश ने मुंह बनाया और कहा,”हाह ये छिपकली क्या ही मेरा मुकाबला करेगी”


 “ओह्ह्ह रियली वंश , एक बार फिर सोच लो वैसे भी तुम्हे मुझसे हारने की आदत है कही सबके सामने तुम्हारा पोपट ना हो जाये”,निशि ने अपने नाखुनो पर फूंक मारते हुए कहा , निशि की बात सुनकर सब हसने लगे मुन्ना भी मुस्कुरा उठा ये देखकर तो वंश अपनी जगह से उठा और निशि की तरफ आकर कहा,”तुम मुझे चेलेंज कर रही हो ?”
“हाँ कर तो रही हूँ पर मुझे लगता नहीं तुम इसे पूरा कर पाओगे तो जाने देते है,,,,,,,,,क्यों जय ?”,निशि ने वंश का मजाक उड़ाकर कहा


“हाँ निशि दी,,,,,,,!!”,जय ने निशि को हाई फाई देकर कहा
वंश ने म्यूजिक वाले को गाना चलाने को कहा और निशि के साथ स्टेज के एक तरफ चला आया। निशि और वंश का कॉम्पिटिशन देखने के लिए अब सब जमा हो गए।

वंश निशि की डांस जुगलबंदी शुरू हो गयी। कभी वंश निशि पर भारी पड़ रहा था तो कभी निशि वंश पर भारी पड़ रही थी। निशि को हारते देखकर नवीन वहा चला आया और निशि का साथ देने लगा ये देखकर वंश ने गाना चेंज करवा दिया और निशि को छोड़कर नवीन के सामने आकर हाथ जोड़ते हुए गाने लगा


“सुनो ससुर जी ! अब जिद छोडो मान मेरी बात
दुल्हन तो जाएगी , दूल्हे राजा के साथ”
नवीन ने सुना तो वंश को हैरानी से देखा तब तक वंश निशि का हाथ पकड़कर उसे नवीन के सामने ले आया और डांस करने लगा। नवीन को उन दोनों का रिश्ता पहले ही मंजूर था इसलिए वह भला क्या इंकार करता ? नवीन भी वंश और निशि के साथ डांस करने लगा।

कुछ देर बाद काशी और गौरी दुल्हन के कपड़ो में सजी धजी मुन्ना और शक्ति के सामने आयी। काशी को देखकर शक्ति मुस्कुरा उठा और मुन्ना , उसने तो अपना दिल ही थाम लिया जब गौरी को देखा , आज उसकी मोहब्बत गौरी दुल्हन बनकर उसके सामने जो थी। सभी स्टेज पर चले आये , वंश और निशि भी सबके साथ शामिल हो गए।  गौरी मुन्ना और काशी शक्ति ने साथ साथ एक दूसरे को वरमाला पहनाई।

हॉल तालियों से गूंज उठा। गौरी मुन्ना के बगल में और काशी शक्ति के बगल में आ बैठी। आशीर्वाद समारोह शुरू हुआ। सभी एक एक करके चारो को आशीर्वाद देने आये। स्टेज पर तोहफों का ढेर लग गया। मुन्ना गौरी की साइड वंश , सुमित , ऋतू , प्रिया थे तो वही शक्ति की तरफ काशी की तरफ निशि , अंजलि , जय थे।

आशीर्वाद समारोह के बाद सभी बाहर मंडप में चले आये एक तरफ गौरी मुन्ना तो परदे के दूसरी तरफ काशी शक्ति थे। वंश निशि की पलटन कभी इधर तो कभी उधर ,  वंश और निशि ने मिलकर ये तय किया कि मुन्ना और शक्ति के जूते सब मिलकर चुरायेंगे और जो पैसे मिलेंगे वो सब आपस में बाँट लेंगे सबको ये आइडिया पसंद आया। जय को भेजा शक्ति के जूते लेने और बेचारे वंश को अपने ही भाई के जूते चुराने पड़े।  


सभी मेहमान शादी का आनंद ले रहे थे। वंश और बाकि सबने ने पहले सबके साथ मिलकर खाना खा लिया क्योकि काशी शक्ति , मुन्ना गौरी के फेरे खत्म होने में अभी वक्त था। फेरो से पहले सभी मंडप के सामने रखे सोफों पर आ बैठे जहा से दोनों शादिया एक साथ देख सके। निशि वंश और अंजलि एक सोफे पर बैठे थे , अंजलि वंश और निशि के बीच बैठी थी , उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि वह निशि और वंश के बीच कबाब में हड्डी बन रही है

वह तो बस अपने मुन्ना भैया और गौरी के साथ साथ अपनी प्यारी काशी और शक्ति के फेरे देखने में खोयी हुई थी। निशि भी बड़े प्यार से उन चारो को देख रही थी और वंश उतने ही प्यार से निशि को लेकिन कोई और भी था जो वंश को देख रहा था और वो थे बाबा,,,,,,,,,,!!”
फेरो के बाद मुन्ना ने गौरी की मांग में और शक्ति ने काशी की मांग में सिंदूर भरा , दोनों ने एक साथ काशी और गौरी को मंगलसूत्र पहनाये और इन्ही रस्मो के साथ मुन्ना का गौरी से और शक्ति का काशी से विवाह समपन्न हुआ।

मंडप की कुछ रस्मो के बाद सबने खाना खाया। बची हुई रस्मे होते होते सुबह हो चुकी थी। विदाई का समय आया गौरी खुश थी लेकिन काशी की आँखों में आंसू थे आखिर उसे अब अपना घर छोड़कर ससुराल जो जाना था। सबको रुलाकर काशी गाड़ी में जा बैठी , वही गौरी ने हँसते हँसते सबको बाय कहा और मुन्ना के बगल में जा बैठी। गौरी को इतना अच्छा घर परिवार मिला है ये जानकर नंदिता जी खुश थी पर गौरी के जाने से उनकी आँखों में नमी उभर ही आयी। दोनों गाड़िया गेस्ट हॉउस से निकल गयी। मुन्ना ने देखा गौरी सुबक रही है तो कहा,”गौरी क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ?”


“मम्मा के सामने रोती तो फिर वो भी रोने लगती और फिर मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,,,,,!!”,गौरी ने सुबकते हुए कहा
मुन्ना ने सुना तो मुस्कुरा उठा और अपना रुमाल निकालकर गौरी की तरफ बढ़ा दिया। गौरी ने मुन्ना का रुमाल लिया और उस से अपने आँसू पोछे और साथ ही अपना नाक भी पोछ लिया।

काशी और गौरी बहू बनकर मुरारी के घर पहुंची , गौरी का गृह प्रवेश हुआ और काशी शक्ति के साथ सीधा अंदर चली आयी क्योकि उसका गृह प्रवेश इंदौर में शक्ति के घर में होना था। शादी के बाद की कुछ रस्मो के बाद काशी गौरी मेहमानो के साथ नीचे वाले कमरे में आ बैठी। मुन्ना थक चुका था इसलिए ऊपर अपने कमरे में आकर सो गया। शक्ति नीचे ही कमरे में बिस्तर खाली देखकर सो गया। दोपहर बाद ऋतू , प्रिया , वंश , अंजलि , निशि  और सुमित मुरारी के घर चले आये उसके बाद जो शोर शराबा शुरू हुआ रुकने का नाम नहीं लिया।

मुरारी ने शाम में जागरण रखा था इसलिए बाहर उसकी तैयारी करवाने चला गया।
वंश गौरी काशी वाले कमरे में आया। शादी के बाद काशी को पहली बार देख रहा था उसकी मांग में भरा सिंदूर देखकर वंश उसके पास आया और अपना हाथ काशी के सर पर रखकर कहा,”क्या काशी शादी करके अच्छा लग रहा है ना ?”


“क्या वंश भैया ? हमे आप सबको छोड़कर इंदौर जाना पडेगा”,काशी ने कहा
वंश काशी के बगल में आ बैठा और कहा,”अरे तो क्या हुआ ? तुम्हे जब भी बनारस की याद आये अपने थानेदार को लेकर यहाँ चली आना , और जब मेरी याद आये तो मुझे बस एक फोन लगा देना मैं अगली फ्लाइट से तुम्हारे पास आ जाऊंगा,,,,,,,!!”


वंश की बात सुनकर काशी वंश की तरफ देखने लगी तो वंश ने उसके हाथो को अपने हाथो में लेकर प्यार से कहा,”काशी ! पापा ने तुम्हे बहुत सही हाथो में सौंपा है , शक्ति बहुत अच्छा है वो तुम्हे कभी बनारस की याद भी नहीं आने देगा”
“शक्ति ने जीजाजी , वो अब तुम्हरे जीजाजी है,,,,,,,,!!”,आई ने कमरे में आकर कहा
“अच्छा और आप मेरी क्या है ? डार्लिंग,,,,,,!!”,वंश ने आई को छेड़ते हुए कहा


आई ने वंश को धीरे से चपत लगाई और कहा,”चल बेशर्म हमहू तुम्हरी डार्लिंग काहे होंगे ? डार्लिंग बनाना है तो कोनो और को बनाओ हमहू तो तुम्हरे बाबा की ही डार्लिंग रही है”
आई की बात सुनकर सब हंस पड़े। सभी बैठकर हंसी मजाक करने लगे और फिर वंश कमरे से बाहर निकल गया अपने बड़े भाई की खबर लेने,,,,,,,!!!


वंश मुन्ना के कमरे में आया तो देखा मुन्ना सो रहा है। सोया हुआ मुन्ना कितना प्यारा लग रहा था। उसके बाल बिखरकर माथे पर आ गए थे। चेहरे पर चमक थी। हाथो में रची मेंहदी अब और गहरी हो चुकी थी। वंश मुन्ना के बगल में आकर करवट लेकर लेट गया। कोहनी बिस्तर पर टिकाई और अपना सर हथेली पर रखकर  मुन्ना की तरफ देखने लगा। वंश ने अपनी ऊँगली मुन्ना के गाल पर घुमाई और धीरे से कहा,”मुन्ना , मुन्ना बेबी”


वंश की छुअन से मुन्ना की नींद खुल गयी , उसने वंश को अपने बगल में लेटे देखा तो पीछे हटा और उन्मांद भरे स्वर में कहा,”तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
“हाउ बोरिंग मुन्ना भैया , आज सुबह सुबह आपकी शादी हुई है और आप सो रहे है , अरे अब तो आपके जागने के दिन है”,वंश ने शरारत से कहा


मुन्ना ने वंश धक्का देकर साइड किया और कहा,”हमारे साथ ऐसी बाते मत करो”
“मैं तो सिर्फ बाते कर रहा हूँ बाकि सब तो,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“शट अप और जाओ यहाँ से हमे सोने दो,,,,,,,!!”,मुन्ना ने तकिये में अपना मुंह छुपाकर कहा
वंश ने मुन्ना का तकिया खींचा और कहा,”उठो और कमरे से बाहर जाओ मुझे ये कमरा सजवाना है”
“किसलिए ?”,मुन्ना उठकर बैठ गया  


“अरे समझा करो आज आपकी सुहागरात है,,,,,,,!!”,वंश ने बड़ी सहजता से कहा
“तुम इतने बेशर्म कैसे हो सकते हो वंश ?  हमारी सु,,,,,,,,हमारा मतलब तुमसे किसने कहा ये कमरा सजाने को ?”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह मुन्ना भैया आप छोटे बच्चे नहीं है शादी हो चुकी आपकी , चलिए उठिये और कमरे से बाहर जाईये,,,,,,,,और हाँ नीचे जाकर ज़रा निशि को ऊपर भेज दीजियेगा मेरी मदद करने के लिए”,वंश ने अपने शर्ट की कोलर मुँह में दबाकर कहा


“अह्ह्ह्ह लगता है तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है”,मुन्ना ने कहा और वहा से चला गया।
“हाय कब आएगा वो दिन जब कोई मेरे लिए भी ऐसे कमरा सजायेगा,,,,,,,,ओह्ह्ह मुझे तो सोचकर ही शर्म आ रही है”,वंश ने कहा और बिस्तर पर लोट पोट होने लगा।

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संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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मंडप की कुछ रस्मो के बाद सबने खाना खाया। बची हुई रस्मे होते होते सुबह हो चुकी थी। विदाई का समय आया गौरी खुश थी लेकिन काशी की आँखों में आंसू थे आखिर उसे अब अपना घर छोड़कर ससुराल जो जाना था। सबको रुलाकर काशी गाड़ी में जा बैठी , वही गौरी ने हँसते हँसते सबको बाय कहा और मुन्ना के बगल में जा बैठी। गौरी को इतना अच्छा घर परिवार मिला है ये जानकर नंदिता जी खुश थी पर गौरी के जाने से उनकी आँखों में नमी उभर ही आयी। दोनों गाड़िया गेस्ट हॉउस से निकल गयी। मुन्ना ने देखा गौरी सुबक रही है तो कहा,”गौरी क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ?”

मंडप की कुछ रस्मो के बाद सबने खाना खाया। बची हुई रस्मे होते होते सुबह हो चुकी थी। विदाई का समय आया गौरी खुश थी लेकिन काशी की आँखों में आंसू थे आखिर उसे अब अपना घर छोड़कर ससुराल जो जाना था। सबको रुलाकर काशी गाड़ी में जा बैठी , वही गौरी ने हँसते हँसते सबको बाय कहा और मुन्ना के बगल में जा बैठी। गौरी को इतना अच्छा घर परिवार मिला है ये जानकर नंदिता जी खुश थी पर गौरी के जाने से उनकी आँखों में नमी उभर ही आयी। दोनों गाड़िया गेस्ट हॉउस से निकल गयी। मुन्ना ने देखा गौरी सुबक रही है तो कहा,”गौरी क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ?”

मंडप की कुछ रस्मो के बाद सबने खाना खाया। बची हुई रस्मे होते होते सुबह हो चुकी थी। विदाई का समय आया गौरी खुश थी लेकिन काशी की आँखों में आंसू थे आखिर उसे अब अपना घर छोड़कर ससुराल जो जाना था। सबको रुलाकर काशी गाड़ी में जा बैठी , वही गौरी ने हँसते हँसते सबको बाय कहा और मुन्ना के बगल में जा बैठी। गौरी को इतना अच्छा घर परिवार मिला है ये जानकर नंदिता जी खुश थी पर गौरी के जाने से उनकी आँखों में नमी उभर ही आयी। दोनों गाड़िया गेस्ट हॉउस से निकल गयी। मुन्ना ने देखा गौरी सुबक रही है तो कहा,”गौरी क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ?”

मंडप की कुछ रस्मो के बाद सबने खाना खाया। बची हुई रस्मे होते होते सुबह हो चुकी थी। विदाई का समय आया गौरी खुश थी लेकिन काशी की आँखों में आंसू थे आखिर उसे अब अपना घर छोड़कर ससुराल जो जाना था। सबको रुलाकर काशी गाड़ी में जा बैठी , वही गौरी ने हँसते हँसते सबको बाय कहा और मुन्ना के बगल में जा बैठी। गौरी को इतना अच्छा घर परिवार मिला है ये जानकर नंदिता जी खुश थी पर गौरी के जाने से उनकी आँखों में नमी उभर ही आयी। दोनों गाड़िया गेस्ट हॉउस से निकल गयी। मुन्ना ने देखा गौरी सुबक रही है तो कहा,”गौरी क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ?”

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