Main Teri Heer Season 5 – 82
Main Teri Heer Season 5 – 82

शिवम् और मुरारी के घर में मेहँदी के फंक्शन की तैयारियां चल रही थी। शिवम् , मुन्ना और मुरारी के अलावा किसी को भी नहीं पता था कि वंश हॉस्पिटल में है। हॉस्पिटल से निकलकर मुन्ना सीधा प्रताप के घर पहुंचा। आंगन में दातुन करते प्रताप ने मुन्ना को सुबह सुबह अपने घर में देखा तो उसके पास आकर कहा,”अरे
मुन्ना तुमहू सुबह सुबह हिया ?”
“राजन कहा है ?”,मुन्ना ने कठोर स्वर में कहा
“रजनवा तो ऊपर अपने कमरे मा है , का बात हो गयी ?”,प्रताप ने घबराहट भरे स्वर में पूछा
मुन्ना ने प्रताप की बात का कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उसे साइड करके सीढ़ियों की तरफ
बढ़ गया। मुन्ना ऊपर आया और देखा राजन अपने कमरे में कुछ ढूंढ रहा है। मुन्ना ने अपने जेब से ब्रासलेट निकाला और कहा,”कही तुम इसे तो नहीं ढूंढ रहे ?”
राजन के कानो में मुन्ना की आवाज पड़ी तो वह पलटा और मुन्ना के पास चला आया। मुन्ना के हाथ में अपना ब्रासलेट देखकर राजन की आँखे चमक उठी , उसने मुन्ना के हाथ से ब्रासलेट लेकर कहा,”हाँ इसे ही तो ढूंढ रहे थे , ये तुम्हारे पास कैसे आया मुन्ना ?”
“हमारी गैरमौजूदगी में तुम हमारे घर क्यों आये थे राजन ?”,मुन्ना ने कठोरता से कहा
“हम तुम्हारे घर क्यों आएंगे मुन्ना ?”,राजन ने मुन्ना से नज़रे चुराकर कहा
मुन्ना ने राजन को देखा और खींचकर एक घुसा उसके मुंह पर दे मारा। राजन लड़खड़ा कर नीचे जा गिरा तो मुन्ना अंदर आया और जैसे ही राजन की तरफ बढ़ा राजन ने उठते हुए कहा,”मुन्ना , तुम्हरा दिमाग खराब हो गवा है का ? तुम हम पर हाथ उठा रहे हो”
मुन्ना ने राजन की बात का कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उसकी कॉलर पकड़ कर उसे उठाया और उसे दो तीन घुसे और जड़ दिए। राजन के होंठ पर जा लगी और खून बहने लगा।
राजन ने खुद को सम्हाला और कुर्सी का हत्था पकड़कर उठ खड़ा हुआ और कहा,”आखिर हमारी गलती क्या है ? काहे मार रहे हो हमे ? बताओगे आखिर हुआ का है ?”
राजन नहीं जानता था कि मुन्ना को उसका सच पता चल चुका है , ना भूषण ने उसे वंश के बारे में बताया। मुन्ना ने राजन की तरफ देखा और गुस्से से भरकर कहा,”तुम हम से पूछ रहे हो तुम्हारी गलती क्या है ?
धोखा दिया है तुमने हमे राजन , दोस्त बनकर छुरा भौंका है हमारी पीठ में , हमने अपनी दुश्मनी भुलाकर तुम्हे अपना दोस्त समझा पर तुमने अपनी दुश्मनी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी , तुम्हारी दुश्मनी हम से थी ना तो हमसे बदला लेते वंश को नुकसान पहुँचाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?”
मुन्ना की बात सुनकर राजन के चेहरे का रंग उड़ गया उसे लगा था भूषण मुन्ना की मौत की खबर लेकर आएगा लें यहाँ तो उसे कुछ और ही सुनने को मिल रहा था
राजन पीछे खिसकते हुए अपनी ड्रेसिंग के पास आया और वहा पड़ा कट्टा उठाकर मुन्ना पर तानते हुए कहा,”अब जब तुम्हे सच पता चल ही गया है तो फिर क्यों ना इस दुश्मनी को आज हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए”
कहते हुए राजन ने मुन्ना पर गोली चला दी लेकिन मुन्ना सही वक्त पर झुक गया और गोली दरवाजे पर जा लगी। नीचे झुके मुन्ना ने टेबल पर पड़ा बोतल उठाया और राजन की तरफ फेंका जो कि सीधा जाकर राजन के हाथ पर लगी और बन्दुक छूटकर नीचे गिर गयी।
राजन बन्दुक उठाता इस से पहले मुन्ना उसके पास पहुँच गया और लगा उसे पीटने , गोली की आवाज सुनकर प्रताप और घर के नौकर भागकर ऊपर आये लेकिन तब तक मुन्ना राजन को मार मार कर अधमरा कर चुका था।
“मुन्ना , मुन्ना छोडो राजन को का कर रहे हो ? काहे मार रहे हो ?”,प्रताप ने मुन्ना को राजन से दूर करने के लिए उसकी बांह पकड़ कर कहा
मुन्ना गुस्से से पलटा और मारने के लिए हाथ उठाया लेकिन सामने प्रताप को देखकर उसका हाथ हवा में ही रह गया , मुन्ना प्रताप पर हाथ नहीं उठा पाया उसके संस्कारो ने उसे ये करने की इजाजत नहीं दी।
मुन्ना ने झटके से अपना हाथ नीचे किया और राजन की ओर पलटकर उसकी कोलर पकड़ी और उसे घसीटते हुए कमरे से बाहर ले जाने लगा।
मुन्ना राजन को घसीटते हुए सीढ़ियों से नीचे लेकर आया पीछे पीछे प्रताप भी चला आया और घर के बाकी लोग भी लेकिन किसी में भी मुन्ना को रोकने की हिम्मत नहीं थी।
शांत मुन्ना जितना प्यारा दिखता था गुस्से में वही मुन्ना बहुत ही खतरनाक दिखाई पड़ रहा था। प्रताप खामोश था क्योकि आज जानता था कि राजन का सच मुन्ना के सामने आ चुका है , बीती रात सिर्फ रमेश ने ही नहीं बल्कि प्रताप ने भी राजन और भूषण की बात सुन ली थी। इस अंजाम से प्रताप पहले से वाकिफ था।
मुन्ना अधमरे राजन घसीटकर अपनी जीप की तरफ ले जाने लगा घर के नौकर ने देखा तो प्रताप के पास आकर कहा,”मालिक रोकिये उसे , मुन्ना राजन बाबा को मार डालेगा,,,,,,!!”
“जाने दो ! राजन ने इह बार गलत आदमी को छेड़ा है , झूठ और धोखेबाजी का जे ही अंजाम होता है,,,,,,,,,,,मुन्ना तो उसका दुश्मन था पर हमहू तो ओह्ह के सगे बाप थे उसने तो हमे भी नहीं छोड़ा,,,,,,,,,,,,,मरने दो साले को”,कहकर प्रताप वहा से चला गया।
मुन्ना ने राजन को जीप में डाला और लेकर वहा से निकल गया।
मुन्ना की जीप पुलिस स्टेशन के बाहर आकर रुकी , मुन्ना जीप से नीचे उतरा राजन की कॉलर पकड़ी और उसे लेकर चल पड़ा। गुस्सा और तेश मुन्ना के चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी। अंदर आकर उसने राजन को इंस्पेक्टर की टेबल पर पटक दिया। मुन्ना को वहा देखकर सभी खड़े हो गए क्योकि मुन्ना अब बनारस का नया विधायक था। इंस्पेक्टर ने मुन्ना को देखा तो घबरा गया क्योकि उसी ने राजन से पैसे लेकर भूषण को जमानत पर छोड़ा था। अपनी घबराहट छुपाकर वह मुन्ना के सामने आया और कहा,”सर आप यहाँ”
“भूषण कहा है ?”,मुन्ना ने कठोरता से कहा
“भूषण , भूषण को तो कल शाम ही जमानत मिल गयी थी,,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने घबराते हुए कहा
“चलो अच्छा है हम भी यहाँ उसकी जमानत के लिए ही आये थे , पार्टी हॉउस में हम पर गोली चलाने वाला भूषण नहीं बल्कि ये है,,,,,,,,,इसे गिरफ्तार आप करेंगे या नया इंपेक्टर बुलवाये ?”,मुन्ना ने इंस्पेक्टर की आँखों में देखकर कहा
“कॉन्स्टेबल अंदर करो इसे,,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने पलटकर जल्दी से कॉन्स्टेबल से कहा और फिर मुन्ना की तरफ देखकर बोला,”और कुछ सर,,,,,,,,,!”
“जेल का दरवाजा खुला रखना अभी एक और का आना बाकि है,,,,,,,,,,!!”,कहकर मुन्ना वहा से चला गया
वंश को होश आ चुका था उसकी आँखे खुली तो उसने खुद को हॉस्पिटल के बिस्तर पर पाया गनीमत था कि वंश को ज्यादा चोटे नहीं आयी थी। दाँये हाथ की बांह में थोड़ा दर्द था जो कि घसीटने की वजह से थोड़ा छील गया था डॉक्टर ने दवा लगाकर उसे खुला ही छोड़ दिया। वंश ने पूरी आँखे खोली और देखा मुरारी और शिवम् उसके सामने खड़े है। वंश उठकर बैठ गया तो शिवम् ने कहा,”ये सब कैसे हुआ वंश ? मुन्ना ने बताया कि तुम्हारी बाइक स्लिप हो गयी थी”
“अह्ह्ह वो पापा,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहना चाहा तभी मुरारी बीच में बोल पड़ा,”अरे कोई बाइक स्लिप नहीं हुई है शिवम् भैया हमहू कह रहे है ना जे सब उह्ह साला प्रतापवा का काम है , पहिले साला भूषणवा से मुन्ना पर गोली चलवाई और अब वंश को निशाना बना लिया। महादेव की कृपा से वंश बच गवा पर अब उह्ह प्रतापवा हमरे हाथ से नाही बचे है,,,,,,,,,,मुन्ना की शादी होगी बाद मा पहिले ससुरा ओह्ह का किस्सा खत्म करेंगे 40 साल से साला हमायी नाक मा दम कर रखा है”
“मुरारी शांत हो जाओ , प्रताप का इसमें कोई हाथ नहीं है,,,,,,,,अगर उसे ऐसा कुछ करना होता तो वह बहुत पहले कर चुका होता”,शिवम् ने मुरारी को डांटकर कहा तो मुरारी गुस्से से उबल पड़ा और कहा,”शिवम् भैया सांप को ना कितना भी दूध पिलाओ काटने के बख्त उह आगा पीछा नाही देखता , भूषणवा को युवा नेता का टिकट उसी ने दिलवाया था , हमसे सीधी दुश्मनी निभाने की हिम्मत नाही रही तो दुसरो को आगे कर दिया , और उह्ह साला रजनवा हमको तो ओह्ह पर भी शक है”
राजन का नाम सुनकर वंश चौंका और कहा,”मुरारी चाचा ! हल्दी के फंक्शन में राजन मुन्ना से मिलने भी आया था मैंने जब मुन्ना से पूछा तो उसने कहा कि राजन उसका दोस्त है,,,,,!!”
“अरे काहे का दोस्त ? दोस्त के नाम पर सब सांप है साले , नाली के सूअर को कितना भी लक्स साबुन से नहला दो लोटेगा जाकर उह्ह कीचड़ मा ही,,,,,,,पर तुम्हाये जे महान पिताजी और हमरा उह्ह महान बेटा जे मानने को तैयार ही नाही है,,,,,,,,,इनको लगता है रजनवा सुधर गवा है,,,,,,,,!!”,मुरारी ने खीजते हुए कहा
शिवम् ने मुरारी की तरफ देखा और बिना कुछ कहे वहा से चला गया। वंश ने मुरारी को देखा और कहा,”मुरारी चाचा , क्या सच में भूषण ने मुन्ना पर गोली चलाई थी ?”
“हाँ और अगर शिवम् भैया और मुन्ना बीच मा नहीं ना पड़े होते तो अब तक भूषणवा का मेटर क्लोज कर चुके होते लेकिन,,,,,,,,खैर छोडो तुमहू ठीक हो ना ?”,मुरारी ने पूछा
“हाँ मैं ठीक हूँ , मुरारी चाचा घर चलते है माँ परेशान हो रही होंगी,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
मुरारी ने हामी में गर्दन हिलायी और कमरे से बाहर चला गया। बाहर शिवम् उसे कही दिखाई नहीं दिया इसलिए मुरारी अकेले ही रिसेप्शन पर आकर डिस्चार्ज पेपर बनवाने लगा। कुछ देर बाद ही मुरारी वंश को लेकर घर के लिए निकल गया
पुलिस स्टेशन से निकलकर मुन्ना ने कुछ लोगो को फोन किया और उसे भूषण के घाट के पीछे वाले खंडर में होने की जानकारी मिल गयी। मुन्ना जीप में आ बैठा और वहा से निकल गया। मुन्ना खंडर पहुंचा कुछ ही दूर भूषण और राजन के सभी लड़के वही थे। भूषण ने जैसे ही मुन्ना को देखा हँसते हुए कहा,”ये लो , एक भाई को कल ऊपर पहुँचाया था दुसरा भी मरने यहाँ चला आया वो भी अकेला,,,,,,,,,,आओ मुन्ना आओ , आज तुमसे अपनी दुश्मनी का बदला सूद समेद लेंगे”
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस नीचे पड़े लकड़ी के मोटे डंडे को उठाया और आँखों में गुस्सा लिए भूषण की तरफ बढ़ गया। भूषण भी मुस्कुराते हुए मुन्ना को देखने लगा। कुछ कदम चलते ही मुन्ना ने देखा भूषण के होंठो से हंसी एकदम से गायब हो गयी है ,
अगले ही पल उसे अहसास हुआ जैसे उसके बगल में भी कोई चल रहा है। मुन्ना ने गर्दन घुमाकर देखा तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा , हाथ में लकड़ी का डंडा थामे शिवम् उसके बगल में चल रहा था उसी गुस्से , उसी तेश के साथ ये देखकर मुन्ना को और हिम्मत मिल गयी।
उसके बाद क्या था दोनों ने मिलकर भूषण और उसके लड़को की जो पिटाई की है उन्हें पैरो पर खड़े होने लायक नहीं छोड़ा। कुछ ही देर में सब नीचे गिरकर दर्द से बिलबिलाने लगे। शिवम् ने देखा इस मार पीट में हलकी सी खरोच मुन्ना के ललाट पर भी लग गयी है जिस से खून निकल रहा है तो वह उसके पास आया और उस चोट को अंगूठे से दबाकर खून रोकते हुए कहा,”कितने पागल लड़के हो ना तुम मुन्ना , अकेले इन लोगो से लड़ने चले आये। वंश क्या सिर्फ तुम्हारा भाई है हमारा कुछ नहीं लगता”
मुन्ना ने सुना तो कुछ नहीं कहा बस एकटक शिवम् को देखता रहा तो शिवम् ने आगे कहा,”हम शांति से सब खत्म करना चाहते थे पर मुरारी सही कहता है लातो के भूत बातो से नहीं मानते,,,,लेकिन इन सब में हम तुम्हारी जान खतरे में नहीं डाल सकते मुन्ना”
“हम ठीक है बड़े पापा , वंश ठीक है उसे होश आया ?”,मुन्ना ने पूछा
“हाँ वो ठीक है मुरारी ने बताया कि उसे घर लेकर जा रहा है , आओ चलते है”,शिवम ने कहा
“एक मिनिट बड़े पापा , पहले इन सब को इनकी सही जगह तो पहुंचा दे”,मुन्ना ने कहा और पुलिस स्टेशन फोन लगा दिया। कुछ देर बाद ही थाने से कुछ पुलिसवाले आये और भूषण के साथ उसके लड़को को लेकर वहा से चले गए।
शिवम् मुन्ना को साथ लेकर उसकी जीप की तरफ बढ़ गया , चलते चलते उसने मुन्ना से कहा,”वैसे मुन्ना वंश के लिए तुम अकेले इन सब से लड़ गए,,,,,,,!!”
मुन्ना ने शिवम् की तरफ देखा और कहा,”बड़े पापा कल रात वंश ने पहली बार हमे भैया कहा,,,,,हमने बस अपने बड़े भाई होने का फर्ज निभाया है”
शिवम् ने सुना तो उसे सालो पहले घटी घटना याद आ गयी जब बचपन में उसने इसी घाट पर मुरारी को कुछ लड़को से बचाया था और जब घर जाने लगा तो मुरारी ने उसे भैया कहकर पुकारा था बस उसी दिन से शिवम् और मुरारी की दोस्ती कभी ना टूटने वाले बंधन में बंध चुकी थी। शिवम् ने मुन्ना का गाल थपथपाया और फिर दोनों घर के लिए निकल गए
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संजना किरोड़ीवाल


मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस नीचे पड़े लकड़ी के मोटे डंडे को उठाया और आँखों में गुस्सा लिए भूषण की तरफ बढ़ गया। भूषण भी मुस्कुराते हुए मुन्ना को देखने लगा। कुछ कदम चलते ही मुन्ना ने देखा भूषण के होंठो से हंसी एकदम से गायब हो गयी है ,
अगले ही पल उसे अहसास हुआ जैसे उसके बगल में भी कोई चल रहा है। मुन्ना ने गर्दन घुमाकर देखा तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा , हाथ में लकड़ी का डंडा थामे शिवम् उसके बगल में चल रहा था उसी गुस्से , उसी तेश के साथ ये देखकर मुन्ना को और हिम्मत मिल गयी।
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस नीचे पड़े लकड़ी के मोटे डंडे को उठाया और आँखों में गुस्सा लिए भूषण की तरफ बढ़ गया। भूषण भी मुस्कुराते हुए मुन्ना को देखने लगा। कुछ कदम चलते ही मुन्ना ने देखा भूषण के होंठो से हंसी एकदम से गायब हो गयी है ,
अगले ही पल उसे अहसास हुआ जैसे उसके बगल में भी कोई चल रहा है। मुन्ना ने गर्दन घुमाकर देखा तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा , हाथ में लकड़ी का डंडा थामे शिवम् उसके बगल में चल रहा था उसी गुस्से , उसी तेश के साथ ये देखकर मुन्ना को और हिम्मत मिल गयी।
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा बस नीचे पड़े लकड़ी के मोटे डंडे को उठाया और आँखों में गुस्सा लिए भूषण की तरफ बढ़ गया। भूषण भी मुस्कुराते हुए मुन्ना को देखने लगा। कुछ कदम चलते ही मुन्ना ने देखा भूषण के होंठो से हंसी एकदम से गायब हो गयी है ,
अगले ही पल उसे अहसास हुआ जैसे उसके बगल में भी कोई चल रहा है। मुन्ना ने गर्दन घुमाकर देखा तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा , हाथ में लकड़ी का डंडा थामे शिवम् उसके बगल में चल रहा था उसी गुस्से , उसी तेश के साथ ये देखकर मुन्ना को और हिम्मत मिल गयी।
OMG… Munna k dimag aur uski himmat ko selute hai… matlab usne seedha Ghar jakar Rajan ko ussi k ghar m peet diya aur wo bhi uske baap k samne…lakin Rajan ne to khud apne baap ko bhi dhoka diya y isliye Partap usko bachne nhi aaya…aur sabse badhiya sutai to Bhushan ki hui hai… Munna aur Shivam k hatho…waise Munna ko uss police inspector ko bhi lapetna tha…quki usne bhi rupuyo k lalach m Bhushan ko riha kiya tha
Wow kitna pyar h 1 dusre me amezing superb sup….And next plzz