Main Teri Heer Season 5 – 70

Main Teri Heer Season 5 – 70

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

बाबा मुस्कुराते हुए लड़की और आदमी की तरफ आये और आदमी से गले लगकर कहा,”कैसे हो मुरलीधर ? अरे हमने तुम्हे सुबह बुलाया और तुम अब आ रहे हो ,बच्चो को हल्दी लग भी चुकी है उसके बाद,,,,,,,,!!”
“अरे यार इतने साल बाद मिले है और आते ही शिकायत शुरू कर दी तुमने,,,,,,,,,!!”,मुरलीधर ने हँसते हुए बाबा से कहा
“शिकायत नहीं जे तो हमरा प्यार है”,बाबा ने कहा
“अच्छा हमायी पोती से मिलो , सुमन हमने फोटो भेजा था ना इसका”,मुरलीधर ने कहा


सुमन ने आगे बढ़कर बाबा के पैर छुए तो बाबा ने उसके सर पर अपने दोनों हाथ रखकर कहा,”खुश रहो बिटिया,,,,,,,,,!!”
सुमन मुस्कुरा कर मुरलीधर के बगल में खड़ी हो गयी।
“अच्छा तुमने घर में सुमन बिटिया के बारे में बताया कि नाही ? और उह्ह का नाम है शिवम् के लड़के का उसको सुमन की फोटू दिखाई की नाही ?”,मुरलीधर ने पूछा


“घर में सबको पता है पर वंश मुंबई में था तो उसको नाही पता हमने सोचा काशी और मुन्ना की शादी मा आएगा तो सीधा सुमन बिटिया से मिलवा ही देंगे,,,,,,,,,,,देखो मुरलीधर हमायी तरफ से तो जे रिश्ता पक्का समझो बाकि वंश और बिटिया एक बार एक दूसरे से मिल ले तो इसी शादी मा दोनों की सगाई तय कर देंगे,,,,,,!!”,बाबा ने कहा


बाबा की बात सुनकर सुमन मुस्कुरा दी लेकिन उसकी आँखों में ख़ुशी के भाव नहीं थे वही मुरलीधर ने सुना तो ख़ुशी से झूम उठा और बाबा को गले लगाकर कहा,”अरे यार जे कहकर तो तुमने दिल खुश कर दिया , हमाये बच्चो की शादी मा तो हमहू समधी नाही बन पाए अब उनके बच्चो की शादी से ही सही”


“हाँ मुरली और हमे पूरा बिश्वास है वंश इह बार हमको निराश नाही करेगा”,बाबा ने कहा  
“अरे भाई जिसकी इतनी तारीफ कर रहे हो आखिर उह है कहा ज़रा हमसे भी मिलवाओ ओह्ह का”,मुरली ने कहा
बाबा ने इधर उधर नजर दौड़ाई तो उन्हें वंश दिखाई दिया और उन्होंने आवाज देकर उसे अपने पास बुलाया। हल्दी लगे गालों के साथ वंश बाबा के पास आया और कहा,”हाँ बाबा कहिये”


“वंश इनसे मिलो जे हमाये बहुत पुराने दोस्त है मुरलीधर और जे इनकी पोती है सुमन”,बाबा ने कहा
वंश ने आगे बढ़कर मुरलीधर के पाँव छुए और सुमन की तरफ देखकर कहा,”हाय”
“हेलो”,सुमन ने एक नजर वंश को देखकर कहा और नजरे झुका ली। वंश को नहीं पता था बाबा ने उसे उन लोगो से क्यों मिलवाया है इसलिए उसने कहा,”बाबा अब मैं जाऊ ? क्या है ना मुझे बहुत भूख लगी है और वहा सब मेरा इंतजार कर रहे है,,,,,,,,,!!”


“हाँ हाँ जरूर एक काम करो सुमन बिटिया को भी अपने साथ ले जाओ,,,,,,,,!!”,बाबा ने कहा
वंश को थोड़ा अजीब लगा लेकिन मेहमान है समझकर उसने सुमन से कहा,”आईये,,,,,,,,!!”
सुमन ने एक नजर मुरलीधर को देखा तो उन्होंने कहा,”हां हां बिटिया आराम से जाओ , तुम दोनों के बीच हम बूढ़ो का क्या काम ?”
मुरलीधर की बात सुनकर बाबा हंस पड़े और वंश सुमन वहा से चले गए।

“उन्होंने ऐसे क्यों कहा कि हम दोनों के बीच उनका क्या काम ?”,सुमन के साथ चलते हुए वंश ने पूछा
“ताकि हम दोनों बात कर सके”,सुमन ने बिना किसी भाव के उत्तर दिया
“बात कर सके ? लेकिन हमे बात क्यों करनी है ? मैं तो तुम्हे जानता भी नहीं,,,,,,,,,!!”,वंश ने हैरानी से कहा
“इसलिए साथ भेजा है ताकि एक दूसरे को जान सके”,सुमन ने इस बार भी बिना किसी भाव के कहा


“अरे लेकिन हमे एक दूसरे को जानना भी क्यों है ?”,वंश ने कहा
सुमन रुकी और वंश की तरफ पलटकर कहा,”ताकि हम एक दूसरे को पसंद कर ले और हमारी शादी फिक्स हो जाये”
“क्या ? और ये किसने कहा तुम से ? मैं तुम से शादी क्यों करूंगा ? एक सेकेण्ड तुम्हे शायद कोई ग़लतफ़हमी हुई है,,,,,,!!”,वंश ने हैरानी भरे स्वर में कहा


“नहीं मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है , आपके और हमारे बाबा ने मिलकर ये रिश्ता तय किया है और उन्होंने हमे इसलिए साथ भेजा है ताकि हम दोनों एक दूसरे से बात करे , एक दूसरे की पसंद नापसंद के बारे में जाने और शादी के लिए हाँ कर दे,,,,,,,,,!!”,सुमन ने इस बार भी बिना किसी भाव के कहा    


वंश ने सुना तो उसका सर घूम गया शादी और वो भी इतनी जल्दी , वो भी एक अनजान लड़की से बाबा ने तय कर दी बिना उस से पूछे उसे बताये , वंश को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह अपना सर पकडे इधर उधर घूमने लगा और फिर सुमन के सामने आकर कहा,”और तुमने इस रिश्ते के लिए हाँ भी कर दी , बिना मुझसे मिले”


“बाबा मेरे लिए सबकुछ है वो मेरे लिए गलत नहीं चुनेंगे”,सुमन ने कहा
“अरे लेकिन तुम हाँ कैसे कह सकती हो ? आई मीन तुम मेरे बारे में जानती ही क्या हो ? और तुम बाबा के हिसाब से क्यों सोच रही हो उनका जमाना अलग था आज जमाना अलग है,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह्ह गोड मैं तुमसे ये सब डिस्कस क्यों कर रहा हूँ ?

मुझे पहले जाकर बाबा से पूछने की जरूरत है”,वंश ने सुमन से कहा और सामने से गुजरती अंजलि को रोककर कहा,”अंजलि सुनो ! ये बाबा की मेहमान है इन्हे अपने साथ लेकर जाओ और खाना खिलाओ,,,,,,,,,मैं थोड़ी देर में आया”


“हम्म्म ठीक है”,अंजलि ने कहा और सुमन को अपने साथ लेकर चली गयी। वंश ने एक बार अपना सर पकड़ लिया और बड़बड़ाया,”ये बाबा को अचानक से क्या हो गया है ? वो मेरी शादी क्यों करना चाहते है वो भी इस सुमन से,,,,,,,,मुझे बाबा से बात करनी होगी”

सुमन और वंश को भेजकर बाबा मुरलीधर को शिवम् की तरफ लेकर आये और उस से मिलवाया। मुरलीधर को देखते ही शिवम् को बाबा से किया वादा याद आ गया और उसकी नजर सामने ऋतू प्रिया और सुमित के साथ खड़ी निशि पर गयी जो कि किसी बात पर खिलखिला रही थी। निशि को देखते ही शिवम् का मन उदास हो गया। अब तक शिवम् भी समझ चुका था कि निशि और वंश एक दूसरे के लिए बने है लेकिन ये बात समझने से पहले ही वह बाबा को एक ऐसा वादा कर चुका था जिसका खामियाजा वंश भुगतने वाला था।

बाबा ने देखा मुरारी भी वही है उन्होंने उसे भी बुला लिया।
“हाँ बाबा का हुआ ? सब इंतजाम सही है ना ?”,मुरारी ने पूछा
“अरे मुरारी जहा तुमहू हो वहा इंतजाम में कोनो कमी हो सकती है का ? और आज तो डबल ख़ुशी का मौका है”,बाबा ने कहा
“डबल ख़ुशी ? अरे हमका भी बताओ ज़रा”,मुरारी ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा


“इनसे मिलो जे है हमाये मित्र मुरलीधर , हमहू जोन बिटिया के बारे में बताये थे ना ओह्ह के बाबा”,बाबा ने कहा
मुरारी ख़ुश होकर उनसे मिला लेकिन अगले ही पल उसकी गायब हो गयी जब बाबा ने कहा,”मुलीधर को हमहू ही बुलवाय रहे सुमन बिटिया के साथ ताकि वंश से मिल ले और मुन्ना काशी की शादी के बख्त ही दोनों की सगाई  कर दे , सही है ना ?”


मुरारी ने हैरानी से बाबा को देखा और अगले ही पल उसके जहन में वंश का ख्याल आया , मुरारी जानता था कि वंश निशि को पसंद करता है इसलिए उसने कहा,”अरे बाबा लेकिन वंश तो,,,,,,,,,,!!”


मुरारी अपनी बात पूरी करता इस से पहले शिवम् ने उसे आँखों आँखों में आगे ना बोलने का इशारा किया और बोला,”वंश तो का मुरारी यही न कि वंश अभी अपने काम में व्यस्त है , बाबा जानते है इहलीये तो शादी नाही सिर्फ रिश्ता पक्का करने की बात कह रहे है”


बाबा ने सुना तो मुस्कुराकर शिवम् की तरफ देखा और फिर मुरारी की तरफ देखकर कहा,”हाँ मुरारी शिवा सही कह रहा है , वंश पर सादी का कोनो दबाव नाही है बस मरने से पहिले हमहू अपने हाथो अपने एक बच्चे का रिश्ता कर दे ओह्ह्ह के बाद जे जीवन से हमे कोनो शिकायत नाही रहेगी”


“का बाबा ! इतने अच्छे मोके पर कैसी बाते कर रहे हो ? अभी तो वंश – मुन्ना के बच्चो को अपनी गोद मा खिलाना है आपको इत्ती जल्दी कही नही जाने देंगे आपको , पर बाबा हमहू जे कह रहे थे कि का वंश को जे सब के बारे में पता है ? हमारा मतलब ओह्ह को कोनो और पसंद हो और हिया आप और हम मिलके ओह्ह का रिश्ता पक्का कर दे,,,,,,,,परोब्लम हो जाएगी ना”,मुरारी ने कहा


“हमको वंश पर पूरा बिश्वास है मुरारी उह्ह मुन्ना काशी की तरह प्रेम व्रेम मा पड़ने वाला लड़का नाही है , ऐसा कुछो होता तो अब तक हम से कह चुका होता”,बाबा ने कहा


“पड़ने वाला का बाबा उह्ह्ह पिरेम मा पड़ चुका है उह्ह्ह भी बम्बई की लड़की के पिरेम मा , सालों पहिले जैसे आपके शिवा पड़े थे”,मुरारी बड़बड़ाया
“का हुआ कुछो कह रहे हो तुमहू मुरारी ?”,बाबा ने पूछा  
“अरे नहीं बाबा हमहू तो बस जे कह रहे थे कि आप कह रहे है तो फिर ऐसा ही होगा,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने झेंपते हुए कहा


बाबा अभी मुरलीधर , शिवम् और मुरारी से बाते कर ही रहे थे कि तभी वंश वहा आया और बाबा की तरफ आते हुए कहा,”बाबा ! जे सब का है आपने हमारे लिए लड़की पसंद की है ?”


शिवम् ने मुरारी को देखा और एक नजर में ही मुरारी समझ गया उसे क्या करना है इसलिए उसने बीच में ही वंश के कंधो पर अपनी बांह रखी और उसे अपनी तरफ करके कान में फुसफुसाते हुए कहा,”बाबा को तुम्हाये बम्बई वाले कांड के बारे में कुछो पता नाही है इहलीये अब एक शब्द नाही कहना और बाबा जो कहे उस पर अपनी गर्दन हाँ में हिलाते रहना,,,,,,,,,वरना पेल दिए जाओगे”


वंश ने सुना तो हैरानी से मुरारी को देखा तो मुरारी ने उसे दूर से ही चुम्मी देकर कहा,”टेंशन नाही ल्यो बाबू हमहू है न हम्म्म”
“का हुआ वंश तुमहू कुछो कह रहे थे ?”,बाबा ने वंश को परेशान देखकर कहा
वंश ने मुरारी की बात मानते हुए धीरे से कहा,”हमहू तो बस जे पूछ रहे थे कि आपने हमाये लिए लड़की पसंद की है ?”


“हाँ बेटा का हुआ ? कोनो परेशानी है ?”,बाबा ने पूछा
“बाबा हमे शादी नहीं करनी”,वंश ने धीरे से कहा
“अरे बिटवा शादी कौन कर रहा है अभी तो बस सुमन को तुम्हाये लिए पसंद किया है। अच्छी पढ़ी लिखी लड़की है तुम्हारे बराबर की ओह्ह में कोनो कमी हो तो तुमहू बताओ,,,,,,,तुमको लगी कोनो कमी ?”,बाबा ने पूछा
वंश ने मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी ने अपनी गर्दन हिलाकर उसे बोलने का इशारा किया और वंश ने मज़बूरी में ना में सर हिला दिया


“मतलब तुमका सुमन पसंद आयी ?”,बाबा ने पूछा
वंश ने फिर मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी ने उसे हाँ में गर्दन हिलाने का इशारा किया , वंश ने भी इशारो इशारो में मना किया तो मुरारी ने अपनी बाजु चढ़ाकर वंश की तरफ देखा वंश समझ गया मुरारी क्या कहना चाहता है इसलिए बाबा को देखकर धीरे से हामी में सर हिला दिया।


बाबा ने देखा तो खुश होकर मुरलीधर को गले लगाया और कहा,” देखा मुरलीधर हमहू कहे थे ना कि वंश हमायी बात कबो नाही टालेगा , अब तुमहू सुमन बिटिया का जवाब जान लेना ओह्ह के बाद जे रिश्ता पक्का समझो”


बाबा की बात सुनकर वंश का चेहरा उदासी से भर गया उसने शिवम् की तरफ देखा और वहा से चला गया। वंश के दिल का हाल शिवम् बखूबी समझ रहा था लेकिन इस वक्त उसने कुछ नहीं कहा। वंश के जाने के बाद मुरारी उसके पीछे पीछे आया और उसे रोकते हुए कहा,”अरे वंश सुनो , अरे हमायी बात तो सुनो”


“क्या सुनु मैं ? ये कैसी जबरदस्ती है मुरारी चाचा बाबा ने मुझसे तो पूछा तक नहीं कि मुझे शादी करनी है भी नहीं और आप लोगो ने मिलकर मेरा रिश्ता भी पक्का कर दिया , मुन्ना और काशी को अपनी मर्जी से शादी करने का हक़ है तो मुझे क्यों नहीं ? बाबा ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया और पापा उन्होंने भी बाबा को नहीं रोका,,,,,,,,,,,,,मैं किसी सुमन से शादी नहीं करूंगा मुरारी चाचा मैं उस छिपकली को पसंद करता हूँ”


“छिपकली ? का इश्क़ लड़ाने के लिए कोनो लड़की नाही मिली तुम्हे जो छिपकली से पियार कर बैठे”, मुरारी ने चिढ़कर कहा
“अरे छिपकली , मतलब , मतलब निशि,,,,,,,,,,मैं निशि को पसंद करता हूँ”,वंश ने कहा
“जे बात ! साला हमको पहिले से पता था कि तुम दोनों के बीच कुछ तो चल रहा है ,, पर जे बात इत्ती लेट काहे बोल रहे हो ? बाबा तो तुम्हायी शादी का पिरोगराम सुमन के साथ फिक्स कर दिए है,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“मैं बाबा से जाकर कह दूंगा कि मुझे उस लड़की से शादी नहीं करनी”,वंश ने भी खीजते हुए कहा


“हीहीहीहीही,,,,,,,,,,,बेटा अभी दुइ मिनट पाहिले तुमहू ही बाबा के सामने अपनी गर्दन हाँ मा हिलाकर आये हो , अभी जाकर मना करोगे तो तुमको का लगता है बाबा ख़ुशी ख़ुशी तुम्हरा हाथ निशि के हाथ मा दे देंगे ? मुन्ना की शादी से पहिले जो तांडव मचेगा न घर मा उह्ह हमहू तो नाही मचने देंगे जे ढाई लाख का टेंट लगा है न तुम्हरे चक्कर मा बर्बाद नाही होने देंगे”,मुरारी ने वंश का मजाक उड़ाते हुए कहा
“अरे लेकिन आपने ही तो बोला हाँ में गर्दन हिलाने को,,,,,,,!!”,वंश ने हैरानी से कहा


“हाँ तो हमको शिवम् भैया ने बोला था,,,,,,,,!”,मुरारी ने कहा
“पापा , लेकिन पापा ऐसा क्यों करेंगे ?”,वंश ने और ज्यादा हैरानी से पूछा
मुरारी ने वंश के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”उह्ह का है न वंश तुम्हायी पिरेम कहानी मा बिलन इह बार शिवम् भैया खुद है,,,,,,,वही सबके सामने बाबा को वचन दिए रहय कि वंश का रिश्ता बाबा जहा कहेंगे वही तय होगा और हर बेटे का फर्ज है बाप के दिए वचन को निभाना,,,,,,का कहते हो नंदू टेलर को तुम्हायी शेरवानी का आर्डर दे दे ?”


वंश ने रोनी सी सूरत बनाकर मुरारी को देखा और कहा,”आखिर मैंने आप लोगो का क्या बिगाड़ा है ?”
मुरारी मुस्कुराया और कहा,”बचपन से तुमको बिलन बनने का सोक था ना तो बेटा इह जान ल्यो कि बिलन लोगो की कोनो पिरेम कहानी नाही होती”
वंश मुरारी को घूरने लगा और मुरारी गाना गाते हुए वहा से चला गया


छाने छाने बदले
तोहरो मिजाज राजाऊ
धोखेबाज़ राजाऊ
धोखेबाज़ राजाऊ…

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संजना किरोड़ीवाल 

Main Teri Heer - Season 5
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