Main Teri Heer – 7

Main Teri Heer – 7

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

नवीन का घर , मुंबई
नवीन को निशि की शादी की एडवाइज देकर वंश ने अपने ही पैरो पर खुद कुल्हाड़ी मार ली। निशि की शादी की बात पर वंश को खुश देखकर नवीन भी हैरान था लेकिन मन ही मन खुश भी था। नवीन से बाते करते करते रात हो चुकी थी। मेघना ने वंश से खाना खाने के लिए वही रोक लिया। एक कॉल आने की वजह से नवीन अपना फोन लेकर वहा से चला गया। मेघना किचन में खाना बना रही थी , वंश हॉल में अकेला बैठा था।

निशि ने जब देखा नवीन वहा नहीं है वह गुस्से से वंश के पास आयी और सोफे पर पड़ा कुशन उठाकर वंश के सर पर मारते हुए कहा,”मैं तुम्हारा खून कर दूंगी चिरकुट , तुमने डेड से मेरी शादी की बात क्यों की ? मैं यहाँ तुम्हे अपनी हेल्प करने को लेकर आयी थी और तुमने मुझे और ज्यादा प्रॉब्लम में डाल दिया”
“लेकिन मैंने तो तुम्हारा काम आसान किया है , नवीन अंकल ने कहा शादी के बाद तुम जो चाहो वो कर सकती हो,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने खुश होकर कहा


“अच्छा और क्या गारंटी है जिस से मेरी शादी होगी वो मुझे सीरीज में काम करने देगा ? और एक सीरीज में काम करने के लिए मैं किसी से भी शादी कर लू,,,,,,,,,तुम ऐसा कैसे कर सकते हो ?”,निशि ने झुंझलाकर कहा
“अरे तुम इतना परेशान क्यों हो रही हो ? मैं हूँ ना मैं सब ठीक कर दूंगा,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“तुम सब ठीक नहीं बल्कि सबकी बिगाड़ दोगे,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह मैं ही गधी हूँ जिसने तुम से हेल्प मांगी”,निशि ने कहा और पैर पटकते हुए वहा से चली गयी


“ऐसा तो मैंने क्या कह दिया ? अह्ह्ह छोडो उसे मुझे बस नवीन अंकल को निशि की शादी के फैसले पर बनाये रखना है”,वंश ने खुद से कहा और उठकर किचन की तरफ चला आया

किचन में निशि मेघना की मदद कर रही थी वंश को किचन के दरवाजे पर खड़े देखकर मेघना ने कहा,”अरे वंश ! आओ अंदर आओ ,  मैंने तुम्हारी फेवरेट सेब दूध की सब्जी बनायीं है,,,,,,,,,,,!!”
“अहम्म्म्म बहुत अच्छी खुशबु आ रही है आंटी , इसके साथ मैं प्याज के पराठे खाऊंगा”,वंश ने अंदर आते हुए कहा
“हुह ! आर्डर तो ऐसे दे रहा है जैसे इस घर का दामाद हो,,,,,,,,,,!”,निशि बड़बड़ाई
“तुमने कुछ कहा ?”,वंश ने निशि से पूछा


निशि प्याज काट रही थी वह वंश की तरफ पलटी उसने हाथ में पकड़ा चाकू और प्याज वंश के हाथो में रखा और कहा,”ये रहा प्याज और वो रहा गैस , बनाओ और खाओ”
 निशि मुंह बनाकर वहा से चली गयी। निशि वंश से नाराज थी लेकिन ये बात मेघना नहीं जानती थी  निशि का ये बर्ताव देखकर मेघना को अच्छा नहीं लगा तो उसने वंश से कहा,”निशि की बात का बुरा मन मानना वंश , पता नहीं कभी कभी ये लड़की इतना चिढ़ी हुई क्यों रहती है ? छोडो उसे वो ऐसी ही है नकचढ़ी,,,,,,,,,!!”


वंश ने हाथ में पकड़ा प्याज और चाकू साइड में रखा और मेघना के बगल में आकर प्यार से कहा,”लेकिन आप बहुत स्वीट है , एंड मैं स्पेशली आपसे मिलने यहाँ आता हूँ”
“सो स्वीट ऑफ़ यू,,,,,,,,,!!”,मेघना ने वंश के गाल को छूकर कहा
“लाईये ये मैं करता हूँ,,,,,,,,!!”,वंश ने मेघना के हाथ से चम्मच लेकर कहा तो मेघना ने ख़ुशी ख़ुशी उसे अपने किचन में काम करने दिया खुद उसके लिए प्याज के पराठे बनाने की तैयारी करने लगी


निशि कुछ काम से किचन में आयी तो उसके पैर दरवाजे पर ही रुक गए। वंश चम्मच में खाना लेकर मेघना की हथेली पर रखा और मेघना ने उसे चखकर बहुत ही प्यारा एक्सप्रेशन दिया। मेघना के एक्सप्रेशन देखकर वंश बच्चो की तरह खुश हो गया और यहाँ निशि अपना गुस्सा अपनी चिढ एकदम से भूल गयी। वंश और मेघना साथ साथ इतने प्यारे लग रहे थे कि निशि मुस्कुरा कर वहा से चली गयी।

मेघना से बातें करते हुए वंश किचन में खाना बनाने में उसकी मदद करने लगा। वंश से बाते करते हँसते मुस्कुराते आज मेघना को आज बहुत अच्छा लग रहा था।
“अच्छा वंश तुम जाकर हाथ मुंह धो लो मैं सबके लिए खाना लगा देती हूँ”,मेघना ने कहा तो वंश किचन से बाहर चला आया।


वाशबेसिन के सामने खड़ा वंश हाथ धोने लगा उसकी नजर शीशे पर पड़ी जिसमे निशि दिखाई दे रही थी। डायनिंग टेबल के पास खड़ी निशि प्लेट साफ करके टेबल पर जमा रही थी। क्लेचर में खोंसे उसके बालों में से कुछ लटे बाहर चेहरे पर झूल रही थी जिन्हे निशि प्लेट साफ करते हुए बार बार साइड करती और लटे वापस उसके चेहरे पर आ जाती लेकिन इस वक्त निशि के चेहरे पर कोई उलझन के भाव नहीं थे बल्कि वह शांत नजर आ रही थी। वंश हाथ धोते धोते रुक गया और एकटक शीशे में दिखाई दे रही निशि को देखता रहा।

निशि को अपने बालों की लटो से झूंझते देखकर वंश हाथ पोछते हुए निशि के बगल से गुजरा और फूंक मारकर निशि के बालों की लट को पीछे कर दिया। निशि ने वंश को अपने बगल में देखा तो उसकी नजरे उस से जा मिली।
दोनों प्यारभरी नजरो से एक दूसरे को देखने लगे।

फोन पर बात करके नवीन वापस आया जैसे ही उसकी नजर वंश और निशि दोनों पर पड़ी उसके कदम रुक गए अगले ही पल वंश और निशि के कानो में गाने की आवाज पड़ी जो की नवीन के फोन की रिंग टोन थी
“मेरा दिल भी कितना पागल है , ये प्यार तो तुम से करता है,,

पर सामने जब तुम आते हो , कुछ भी कहने से डरता है,,,,,,,,ओह्ह मेरे साजन , ओह्ह मेरे साजन”
निशि तो गाने में खोकर रह गयी गाने की लाइन उसके दिल का हाल जो बयां कर रही थी लेकिन वंश ने सुना तो उसे अजीब लगा।

वंश ने इधर उधर देखा तो कुछ ही दूर खड़ा नवीन उसे नजर आया। वंश निशि के सामने से हटकर उसके पास आया और नवीन के हाथ से फोन लेकर रिंग बंद करके कहा,”आज के टाइम में इतनी बकवास रिंगटोन कौन रखता है ?”
“अह्ह्ह कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,,,मेघना खाना तैयार है ?”,नवीन ने डायनिंग टेबल की तरफ आते हुए कहा
“हाँ तैयार है आ जाओ,,,,,,,,,वंश तुम भी आओ”,मेघना ने डायनिंग टेबल की तरफ आते हुए कहा


नवीन हाथ धोकर आया और डायनिंग टेबल पर आकर बैठ गया। वंश उसके सामने बैठा था और मेघना नवीन के बगल में आकर बैठ गयी। निशि हाथ धोकर आयी और वंश के बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी। मेघना ने सबके लिए खाना परोसा और सब खाने लगे।

प्रताप का घर , बनारस
राज दुलारी से मिलने के बाद देर रात राजन घर पहुंचा। आँगन में बैठा प्रताप राजन का इंतजार कर रहा था। प्रताप को जगा देखकर राजन उनके पास आकर बैठा और कहा,”आप सोये नहीं पिताजी,,,,,,,!!”
“तुम्हरा इंतजार कर रहे थे,,,,,,घूमने गए थे ?”,प्रताप ने पूछा
“नहीं पिताजी उह्ह्ह बस थोड़ा घाट की तरफ गए थे भूषण के साथ , मन नहीं लगा तो वापस चले आये”,राजन ने कहा


प्रताप ने राजन का उतरा हुआ चेहरा देखा और कहा,”वैसे हमहू बहुते सोचे,,,,,,,,,,,राजदुलारी से तुम्हरा प्रेम करना गलत तो नहीं है , हमही तुम्हरे प्रेम को समझ नहीं पाए,,,,,,तुमको ऐसे देखकर हमको अच्छा नहीं लगता इहलिये हमहू सोचे है राजदुलारी के पिताजी से मिले और तुम्हरे रिश्ते की बात करे,,,!!”


प्रताप की बात सुनकर राजन ने उनकी तरफ देखा और धीमे स्वर में कहा,”इसकी जरूरत नहीं है पिताजी , राजदुलारी हमारे बचपन का प्यार थी अब तो ओह्ह की शादी हो चुकी है और उह अपने घर मा खुश है,,,,,,,,,,हमहू नहीं चाहते हमरी वजह से उनको कोनो परेशानी हो”


प्रताप ने सुना तो मन ही मन खुद से कहा,”लगता है भूषणवा ने अपना काम कर दिया,,,,,,!!”
प्रताप को खामोश देखकर राजन ने उनके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”हमहूँ जानते है पिताजी हमरी वजह से आपको बहुत परेशान होना पड़ा है , आपने हमरे लिए बहुत कुछ किया है , हमे सब दिया है इहलिये अब हमरी बारी है,,,,,,,,,,,आप जहा कहेंगे , जिस से कहेंगे , हमहू सादी करने के लिए तैयार लिए है,,,,,,,,,,,,!!”


इतना कहकर राजन उठा और वहा से चला गया। प्रताप की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा , ख़ुशी से भरकर उसने अपने हाथ जोड़े और आसमान की तरफ सर उठाकर कहा,”बहुत बहुत शुक्रिया महादेव् इह बार आपने हमरी सुन , अब धूमधाम से करेंगे रजनवा की सादी और ऐसा धमाल करेंगे कि पूरा बनारस देखी है”
प्रताप ने भूषण को फोन लगाया ,  एक दो रिंग जाने के बाद भूषण ने फोन उठाया और कहा,”हेलो ! हर हर महादेव चचा ! इति रात में कैसे फोन किया ? राजन भैया घर पहुंचे की नाही ?”


“रजनवा घर आ गवा है है भूषणवा और आज तो तुमहू दिल खुस कर दी हो भूषणवा का निकाला है तुमने रजनवा को ससुरी राजदुलारी के चक्कर से , मजा आ गवा ,, उह्ह हमसे कहे रहा कि अब उह वही सादी करेगा जहा हम कहेंगे,,,ऐसी कौनसी पट्टी पढ़ाये हो रजनवा को जो उनकी गंगा सीधी बहने लगी”,प्रताप ने ख़ुशी से भरकर कहा


“अरे चचा बस आपके लिए जे सब पिरोगराम रखा , आज के बाद राजन भैया की जुबान पर राज दुलारी का नाम ना आयी है ,, अब तुमहू देखो एक ठो बढ़िया सी लड़की हमरे राजन भैया के लिए का है कि साला डीजे पर हुड़दंग मचाये बहुते समय हो गवा है”,भूषण ने कहा


“अरे भूषणवा तुम देखना पुरे बनारस मा आज तक ऐसी सादी ना हुई होगी जैसे हम रजनवा की करेंगे,,,,,,,,,वैसे तुम का कर रहे हो ? कल सबेरे घर आ जाओ कुछो बात करनी है तुमसे इलेक्शन को लेकर”,प्रताप ने कहा
“हाँ चच्चा सुबह मिलते है,,,,,,,,,हर हर महादेव”,भूषण ने कहा
“हर हर महादेव भूषणवा,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर प्रताप ने फोन काट दिया

घाट की सीढ़ियों पर अपने लड़को के साथ बैठा भूषण प्रताप से बात कर रहा था। उसने फोन जेब में रखा और कहा,”चलो इतने दिनों बाद जे कुछो अच्छा सुनने को मिला”
“का हुआ भूषण भैया ? हमे भी बताओ कौनसी अच्छी बात”,पास बैठे रमेश ने कहा
“अरे राजन भैया सादी के लिए मान गए है , अब जल्दी ही प्रताप चचा के घर मा बजेगी सहनाई

राजन भैया हमरे दिल के बहुते करीब रहे है रमेश्वा अब उनकी सादी में हमरा खुश होना तो बनता है”,भूषण ने चहकते हुए कहा
“अरे गजब ! जे तो बहुते ख़ुशी की बात है भैया,,,,,,,,,,,!!”,पास बैठे लड़के ने कहा
“हाँ भैया इह दिन का तो हमे भी बहुते इन्तजार था , इह बात पर तो इक ठो जबरदस्त पार्टी बनती है”,रमेश ने कहा  
भूषण ने सुना तो अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकाली और कहा,”अरे बिल्कुल,,,,,,,,,,,,,,!!!”
भूषण वह नोटों की गड्डी रमेश की तरफ बढ़ाता इस से पहले ही एक हाथ गड्डी पर पड़ा और भूषण के हाथ से उसे छीन लिया गया। भूषण ने सामने देखा तो ख़ुशी उसके चेहरे से गायब हो गयी और आँखे सिकुड़ गयी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सामने कौन था ये आपको पता चलेगा अगले भाग में,,,,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल 

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वाशबेसिन के सामने खड़ा वंश हाथ धोने लगा उसकी नजर शीशे पर पड़ी जिसमे निशि दिखाई दे रही थी। डायनिंग टेबल के पास खड़ी निशि प्लेट साफ करके टेबल पर जमा रही थी। क्लेचर में खोंसे उसके बालों में से कुछ लटे बाहर चेहरे पर झूल रही थी जिन्हे निशि प्लेट साफ करते हुए बार बार साइड करती और लटे वापस उसके चेहरे पर आ जाती लेकिन इस वक्त निशि के चेहरे पर कोई उलझन के भाव नहीं थे बल्कि वह शांत नजर आ रही थी। वंश हाथ धोते धोते रुक गया और एकटक शीशे में दिखाई दे रही निशि को देखता रहा।

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