Main Teri Heer Season 5 – 57
Main Teri Heer Season 5 – 57

मुन्ना को राजनीती में देखकर शक्ति को एक धक्का लगा , वह यकींन नहीं कर पा रहा था कि मुन्ना और वो भी राजनीती में,,,,,,,,,,मुन्ना के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे जो की शक्ति को और उलझन में डाल रहे थे। मुन्ना को अपनी ओर देखते पाकर शक्ति ने नजरे घुमा ली और अगले ही पल शक्ति के चेहरे के भाव बदल गए जब उसने भीड़ में खड़े भूषण के हाथ में बन्दुक देखी , भूषण ने जिस तरफ निशाना साधा था शक्ति ने गर्दन घुमाकर देखा तो पाया भूषण का निशाना मुन्ना मुन्ना पर था। भूषण ने जैसे ही ट्रिगर दबाया शक्ति ने बढ़कर मुन्ना को नीचे गिराते हुए चिल्लाया,”मुन्ना”
मुन्ना कुछ समझ पाता इस से पहले गोली आकर स्टेज बॉक्स पर लगी , भीड़ में अफरा तफरी मच गयी। भूषण ने फिर से ट्रिगर दबाया लेकिन गोली नहीं चली , भूषण के पास खड़े लड़के ने भूषण के सामने अपना हाथ किया और मुट्ठी खोल दी जिसमे बन्दुक की बाकि 5 गोलिया थी। भूषण ने हैरानी से लड़के की तरफ देखा तो लड़के ने हथेली पलट दी और सारी गोलिया नीचे गिर गयी। भूषण समझ गया कि उसके लड़के उसे धोखा देकर मुन्ना की साइड हो चुके है।
शक्ति के कहने पर कॉन्स्टेबल में भूषण और उसके लड़को को पकड़ लिया लेकिन भीड़ को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया सब यहाँ वहा भागने लगे , शिवम् ने जैसे तैसे करके आई बाबा और अनु को वहा से निकाला और गाडी में बैठाया। मुन्ना पर गोली चली है ये देखकर अनु रोने लगी , आई भी घबरा गयी और अनु को सम्हालने लगी। शिवम् ने उन्हें गाड़ी में ही रहने को कहा और खुद मुन्ना को देखने वापस भीड़ में चला आया।
शक्ति ने मुन्ना को उठाया और उसे प्रोटेक्ट करते हुए स्टेज से नीचे उतारा , मुरारी और पार्टी हॉउस के अधिकारी भी मुन्ना के इर्द गिर्द चले आये। मुन्ना गाड़ी की तरफ जाने लगा चलते चलते उसने शक्ति को देखा जो की उसे प्रोटेक्ट करते हुए लोगो को साइड होने को कह रहा था। मुन्ना अब बनारस का विधायक था और शक्ति एक पुलिसवाला , मुन्ना को प्रोटेक्ट करना अब उसकी जिम्मेदारी बन चुका था। शक्ति ने मुन्ना को देखा तो मुन्ना मुस्कुरा दिया। इस मुस्कराहट में प्यार या सम्मान नहीं बल्कि एक तंज था मुन्ना शक्ति पर मार रहा था।
शक्ति को एक बार फिर वो दिन याद आ गया जब मुन्ना के पापा पुलिसवालों के सामने खड़े उन बातो के लिए सफाई दे रहे थे जिनसे मुरारी का कोई रिश्ता नहीं था। मुन्ना गाड़ी के पास पहुंचा और अंदर जा बैठा। शक्ति ने मुरारी से भी बैठने को कहा और खुद बाकि पुलिसवालों के साथ मिलकर भीड़ को कंट्रोल करने लगा।
शिवम् मुरारी के पास आया और कहा,”मुरारी तुम मुन्ना को लेकर निकलो हमहू आई बाबा और अनु को लेकर पहुँचते है”
मुरारी ने हामी में गर्दन हिलाई और गाडी लेकर वहा से निकल गया। शिवम् शक्ति के पास आया और उसे भी साथ चलने को कहा
“पापा ! हम अभी ड्यूटी पर है , मुन्ना पर जिसने गोली चलाई थी वह पकड़ा गया , हमे पुलिस स्टेशन जाना होगा हम उसके बाद सीधा घर आकर आपसे मिलते है ,, आप यहाँ से निकलिए प्लीज”,शक्ति ने कहा
शिवम् ने शक्ति को ख्याल रखने का कहा और वहा से निकल गया।
मुरारी मुन्ना को लेकर घर पहुंचा और उसके कुछ देर बाद ही शिवम् भी बाकि सब के सब के साथ घर आ पहुंचा। शिवम् आई बाबा और अनु के साथ अंदर आया तो देखा मुन्ना सोफे पर बैठा है और मुरारी हॉल में यहाँ से वहा चक्कर काट रहा है। अनु ने मुन्ना को सही सलामत देखा तो दौड़कर उसके पास आयी और उसका चेहरा हाथो में थामकर कहा,”तुम ठीक हो ना मुन्ना ? तुम्हे कुछ हुआ तो नहीं , तुम पर गोली चली है ये देखकर मेरी तो जान ही निकल गयी थी,,,,,,,तुम ठीक हो न बेटा,,,,,,,,,!!”
अनु को घबराया देखकर मुन्ना ने उसे गले लगाया और कहा,”हम ठीक है माँ”
आई और बाबा भी मुन्ना के पास चले आये और मुन्ना के बगल में आ बैठे और आई ने मुन्ना का ललाट चूमकर कहा,”महादेव का लाख लाख शुक्रिया कि मुन्ना तू ठीक हवा , हमायी तो सांसे ही रुक गयी , अरे तुमहू तो किसी का बुरा नाही किये फिर बनारस मा तुमहाओ दुश्मन कोन हो सकी है ?”
“अरे कौन हो सके है से का मतलब आई ? राजनीती मा दुश्मन की कोनो कमी है का , एक बनाओ 100 खुद ब खुद पीछे आ जायेंगे”,मुरारी ने गुस्से से कहा और फिर शिवम् के पास आकर कहा,”हमहू आपसे कहे रहे कि जे भूषणवा को मुन्ना के खिलाफ खड़ा नाही होन दयो पर आप और मुन्ना हमायी बात नाही सुने , का है कि दोनों जन को भलाई करने और अच्छा बनने का शोक जो है”
मुरारी को गुस्से में देखकर शिवम् ने शांत स्वर में कहा,”ऐसा नहीं है मुरारी ऐसा कुछ होगा हम में से कौन जानता था , और वो जमाना और था जब कोई भी किसी पर भी गोली चला दे,,,,,,,,!!”
मुरारी ने सुना तो गुस्से से शिवम् को देखा और कहा,”जमाना कित्ता भी बदल जाए शिवम् भैया दुश्मनी नाही बदलती , हमको पता है भूषणवा को टिकट कौन दिलवाय रहे ? हमहू पहिले जाकर उसी का मेटर क्लोज करते है”
“मुरारी , मुरारी सुनो,,,,,,,,,मुरारी”,शिवम् आवाज देता ही रह गया और मुरारी गुस्से में वहा से निकल गया। बाबा उठकर शिवम् के पास आये और कहा,”शिवा ! जे मुरारी अकेला कहा गया है ?”
“जाने दो बाबा आज अपने बेटे को खतरे मा देखकर उह पहिले वाला मुरारी बन गया है ,, हमाये रोके से भी ना रुके है”,शिवम् ने हताश होकर कहा
वंश का फ्लैट , मुंबई
“माँ मुझे एक पराठा और चाहिए , आज कितने दिनों बाद आपके हाथो से बना इतना अच्छा खाना खा रहा हूँ,,,,,,,,!”,हॉल में रखी टेबल पर बैठे वंश ने प्लेट में रखा पराठा खाते हुए कहा।
किचन में खड़ी सारिका ने सुना तो मुस्कुराई और गरमा गर्म पराठा लेकर वंश की तरफ आयी और उसकी प्लेट में रखते हुए कहा,”डोंट वरी ! हम निशि को भी बनाना सीखा देंगे फिर मुंबई में रहकर रोज उस के हाथो से बने पराठे खाना”
वंश ने एक निवाला तोडा और सारिका को खिलाते हुए कहा,”पराठे और वो ? उसे बस पानी उबालना आता है माँ”
“फिर तो वो तुमसे भी पीछे है एटलीस्ट तुम्हे चाय और मैग्गी बनाना तो आता है,,,,,,,,!!”,सारिका ने हसते हुए कहा तो वंश भी हंस पड़ा
सारिका किचन की तरफ चली गयी और वंश अपना पराठा खाने लगा। वंश मजे से पराठा खा ही रहा था कि तभी डोरबेल बजी। वंश प्लेट हाथ में उठाये दरवाजे की तरफ बढ़ा। वंश ने दरवाजा खोला सामने निशि खड़ी थी। सुबह सुबह निशि को देखकर वंश ने चिढ़ते हुए कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”
निशि ने मुंह बनाकर वंश को साइड किया और अंदर आते हुए कहा,”मैं तुम से नहीं बल्कि सारिका आंटी से मिलने आयी हूँ , ओह्ह वाओ आज नाश्ते में आलू पराठा बना है”
कहते हुए निशि ने वंश की प्लेट में रखा पराठा उठाया और रोल बनाकर उसे खाते हुए अंदर चली आयी। वंश भी अपने पैर पटकते हुए अंदर चला आया। आप सोच रहे होंगे कल शाम तक तो दोनों एक दूसरे के साथ कितना प्यार से थे और अब अचानक से इतनी चिढ,,,,,,,,,,
निशि और पूर्वी बीती रात क्लब गयी थी और निशि ने वंश को भी आने को लेकिन वंश ने मना कर दिया क्योकि सारिका इतने दिनों बाद उसके साथ थी और उसे सारिका के साथ वक्त बिताना था , वंश ने आने से मना कर दिया और इसी वजह से निशि और उसके बीच झगड़ा हुआ और दोनों एक दूसरे से कीलस पड़े।
निशि अंदर चली आयी , उसे देखकर सारिका ने कहा,”अरे निशि ! आओ बेटा , हमने वंश के लिए पराठे बनाए है तुम खाओगी ?”
“बिल्कुल आंटी , मैं तो आपके खाने की तब से फेन हूँ जब मैं पहली बार बनारस आयी थी काशी दी की सगाई में,,,,,,,,,!”,निशि ने बड़े प्यार से सारिका से कहा और फिर वंश की तरफ देखकर दबी आवाज में कहा,”क्योकि वंश का हिस्सा छीनने में मुझे बड़ा मजा आता है”
“हाँ चुड़ैल जो हो तुम,,,,,,,,छिपकली कही की , हटो उधर ये मेरी जगह है”,वंश ने निशि को साइड में धकियाकर कहा
“क्यों तुम्हारा नाम लिखा है यहाँ , अह्ह्ह देखो यहाँ तो कही भी “चिरकुट” नहीं लिखा है”,निशि ने टेबल पर इशारा करके कहा और वापस खिसक गयी।
“देखो तुम मुझसे इस तरह से बदतमीजी से बात नहीं कर सकती , ये मेरा घर है मैं जहा मर्जी बैठु तुम्हे उस से क्या ?”,वंश ने निशि को फिर साइड में धक्का मारकर कहा और उसके बगल में बैठ गया।
गुस्से से निशि का चेहरा लाल , उसने वंश की पीठ पर एक मुक्का मारकर कहा,”तुमसे और तमीज से बात करू , शक्ल देखी है अपनी”
वंश भी कहा पीछे रहने वाला था उसने निशि के बाल खींचे और कहा,”तुमसे तो अच्छा ही दिखता हूँ और तुम भी कोई हूर परी नहीं हो,,,,,,,,छिपकली कही की”
निशि ने वंश की बांह पर मारा और उसे उंगल दिखाते हुए कहा,”एक और बार अगर तुमने मुझे छिपकली कहा ना तो मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी”
वंश ने अपनी ऊँगली को निशि की ऊँगली में फंसाया और उसके हाथ को नीचे करके कहा,”छिपकली , छिपकली , छिपकली,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह जंगली छपकली , बद्तमीज छिपकली , रोंदू छिपकली और भोंदू छिपकली”
निशि ने सुना तो उसने दूसरे हाथ से वंश को चांटा मार दिया हालाँकि चांटा ज्यादा जोर से नहीं लगा था लेकिन वंश चिढ गया और उसने भी निशि को चांटा मार दिया बस उसके बाद क्या था हमेशा की तरह दोनों में फिर झगड़ा शुरू हो गया। वंश के बाल निशि के हाथो में और निशि के बाल वंश के हाथो में,,,,,,!
सारिका बैंक मैनेजर के साथ फोन पर थी इसलिए उसने निशि और वंश पर ध्यान नहीं दिया। कुछ देर बाद उसने फोन रखा , एक प्लेट में निशि के लिए पराठा रखा , आई के हाथो से बना अचार रखा , एक कटोरी में दही , थोड़ा केचअप रखा और बाहर चली आयी लेकिन जब उसने वंश और निशि को एक दूसरे से उलझे देखा तो हैरानी से कहा,”वंश निशि ये सब क्या है ? छोडो एक दूसरे को,,,,,,,,,,!!”
सारिका की आवाज सुनकर निशि और वंश दोनों ने एक दूसरे को छोड़ दिया। दोनों ने एक नजर सारिका को देखा और फिर सर झुका लिया। सारिका हैरान परेशान सी उन दोनों को देख रही थी। सारिका ने हाथ में पकड़ी प्लेट को साइड में रखा और दोनों के सामने आकर कहा,”वंश अभी हमने जो देखा वो क्या था ? तुम निशि के साथ ऐसा बिहेव कैसे कर सकते हो ?”
“माँ इसने मुझे चिरकुट कहा और इसने मुझसे कहा कि ‘शक्ल देखी है अपनी”,वंश ने चिढ़कर कहा
सारिका ने सुना तो निशि की तरफ देखा और कहा,”निशि तुमने इसे चिरकुट क्यों कहा ?”
निशि ने सारिका की तरफ देखा और कहा,”क्योकि इसने मुझे धक्का मारा , और इसने भी मुझे छिपकली कहा,,,,,,,,,,,,,!!”
“माँ इसने मुझे थप्पड़ मारा , कोई लड़की अपने होने वाले हस्बेंड को थप्पड़ मारती है क्या ?”,वंश ने निशि की तरफ देखकर उसे घूरते हुए कहा
“ओह्ह्ह और होने वाले हस्बेंड ने क्या किया ? क्या तुमने मुझे थप्पड़ नहीं मारा,,,,मेरे बाल नहीं खींचे ?”,निशि ने भी वंश की तरफ पलटकर उसे घूरते हुए कहा
“हाँ तो तुम मुझे थप्पड़ मारोगी तो मैं क्या तुम्हारी आरती उतरूंगा”,वंश ने कहा
“तुम क्या आरती उतारोगे ? कभी मंदिर भी गए हो , 12 बजे तो तुम्हारी सुबह होती है,,,,,,,,मैं ही गधी हूँ जो तुम से प्यार कर बैठी”,निशि ने चिढ़कर कहा
“ओह्ह्ह क्लेप फॉर यू मिस निशि , एटलीस्ट आपने एक्सेप्ट तो किया की आप गधी है,,,,,!!”,वंश ने ताली बजाकर कहा
सारिका को ना जाने क्यों दोनों की इस नोक झोंक को देखकर अच्छा लग था। सारिका ने कुर्सी खींची और निशि के लिए लाई प्लेट उठायी और बैठकर पराठा खाते हुए दोनों की बाते इंजॉय करने लगी। वंश और निशि में सारिका को जवानी के दिनों वाले अनु और मुरारी नजर आ रहे थे।
प्रताप का घर , बनारस
घर के आँगन में प्रताप अपनी खटिया पर उलटा लेटा , आँखे मूंदे , कोई भोजपुरी गाना गुनगुना रहा था। फैक्ट्री अब राजन सम्हालने लगा था तो प्रताप टेंशन फ्री था और आराम फरमा रहा था। खटिया पर लेटे लेटे प्रताप ने घर में काम करने वाले नौकर को आवाज दी,”मोहनवा ! अरे उह्ह केसर वाला दूध लाने वाले थे तुमहू , ले आओ भाई और कित्ता टाइम लगी है ?”
“लाते है मालिक,,,,,,,,,!!”,नौकर ने कहा
प्रताप फिर गाना गुनगुनाने लगा तभी एक दमदार लात आकर उसके पिछवाड़े पर पड़ी और प्रताप खटिया से नीचे आ गिरा। प्रताप ने आँखे खोली और सर उठाकर देखा खटिया के उस पार मुरारी खड़ा था और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था , आँखे जल रही थी।
प्रताप उठा और खुद को झाड़ते हुए कहा,”का हो मुरारी ? घर आकर नमस्ते कहने का जे नवा तरीका निकाले हो ? या फ़ुटबाल के खेल मा हिस्सा लिए हो जो हमाये पिछवाड़े को फुटबाल समझ लिए हो”
मुरारी ने एक हाथ से खाट उठाकर साइड में फेंकी और प्रताप की तरफ आकर उसे गुस्से से घूरते हुए कहा,”भूषणवा को युवा नेता का इलेक्शन किसने दिया ?”
प्रताप ने सुना तो घबरा गया क्योकि भूषण को टिकट उसी ने दिलवाया था लेकिन प्रताप ने अपनी घबराहट को चेहरे पर आने नहीं दिया और कहा,”हमे हमे का पता मुरारी ? हमरा भूषणवा से कोनो रिश्ता नाही है”
मुरारी ने अपने ललाट पर ऊँगली से सीधी लाइन खींचकर कहा,”हमाये माथे पर चूतिया लिखा है कि तुमहू हमसे कुछो कहोगे और हमहू मान लेंगे,,,,,,हमहू शिवम् भैया नाही है प्रतापवा कि सांप को घर मा बैठकर दूध पिलाये,,,,,,,,,,हमहू है मुरारी कुमार मिश्रा , साप का दूध भी खुद ही पी जाते है,,,,,,,तुम्हरा भूषणवा
से कोनो रिश्ता नाही है पर तुम्हाये लौंडे का है ना,,,,,,,,,,,अब हमहू तुम्हाये हलक मा हाथ डालकर सब निकाले इह से पहिले खुदही बताय दयो वरना तुम्हाये पिछवाड़े का फ़ुटबाल बनाये ना बनाये , तुम्हायी पीपटी जरूर बनाय देंगे”
मुरारी की धमकी सुनकर प्रताप के माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी
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संजना किरोड़ीवाल


सारिका की आवाज सुनकर निशि और वंश दोनों ने एक दूसरे को छोड़ दिया। दोनों ने एक नजर सारिका को देखा और फिर सर झुका लिया। सारिका हैरान परेशान सी उन दोनों को देख रही थी। सारिका ने हाथ में पकड़ी प्लेट को साइड में रखा और दोनों के सामने आकर कहा,”वंश अभी हमने जो देखा वो क्या था ? तुम निशि के साथ ऐसा बिहेव कैसे कर सकते हो ?”
“माँ इसने मुझे चिरकुट कहा और इसने मुझसे कहा कि ‘शक्ल देखी है अपनी”,वंश ने चिढ़कर कहा
सारिका ने सुना तो निशि की तरफ देखा और कहा,”निशि तुमने इसे चिरकुट क्यों कहा ?”
Aaj iss wale Munna ko dekh kar thoda ajeeb laga ki kaise wo Shakti ki taraf tanj bhari muskan k sath dekh rha tha… thank god ki goli Munna ko nhi lagi, varna kuch bhi ho sakta tha…lakin ab Murari Partap ko nhi chodega…usse ne to Bhushan ko yuva neta election ka ticket dilwaya tha…aur usse ne apni haat se pareshan hokar Munna pe goli chala dee… Partap ki to chatni bana dega Murari…lakin Mumbai m Sarika Vansh aur Nishi ki ladayi ka luft utha rhi hai…unn dono ko ladte dekh kar usko Murari aur Anu yaad aa gaye…waise yeh dono Vansh aur Nishi kisi ka bhi lihaz nhi krte…batao Sarika k samne hee lad pade…aur wo bhi gutham-gutta…hey kya hoga aage inn dono ka
Munna ka swabhav thoda alag ya fir galat tha… Par bas dhiv ji kare sab thik ho jaye… Mujhe to bas Vansh ka reaction dekhna h jab use pata chalega munna par goli chali thi… Kab munna aur Vansh milenge bahot miss kar rhi hu unhe…