Main Teri Heer – 27

Main Teri Heer – 27

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

राजदुलारी की याद आने से राजन एकदम से उदास हो गया। 

राजन को खामोश पाकर पूजा ने अपनी आँखे खोली , पूजा राजन की उदासी भांप ना ले सोचाकर राजन पलट गया।
पूजा की नजर छत पर बने कमरे की तरफ गयी तो उसने कहा,”वो वहा ऊपर क्या है ?”
“हमारा कमरा है”,राजन ने उदासी को छुपाकर फीका सा मुस्कुराते हुए कहा
“क्या मैं देख सकती हूँ ?”,पूजा ने पूछा
“हाँ , चलिए ना”,राजन ने कहा


छत पर जाने का रास्ता हॉल से होकर ही था इसलिए जब प्रताप ने उन्हें ऊपर जाते देखा तो नौकर से कहकर दोनों का चाय नाश्ता ऊपर ही भिजवा दिया।
राजन पूजा को लेकर ऊपर आया , राजन के घर से भी ज्यादा खूबसूरत ऊपर का नजारा था , सब देखने के बाद पूजा राजन के कमरे में आयी। राजन ने पूजा से बैठने को कहा तब तक नौकर चाय नाश्ता लेकर आ चुका था। राजन भी पूजा के सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठा। दोनों के बीच एक छोटी टेबल थी जिस पर नाश्ता रखा था।

पूजा ने चाय का कप उठाया और राजन की तरफ बढ़ा दिया। अब तक राजन पूजा के साथ सहज था पर कमरे में आकर उसके सामने बैठते ही असहज दिखने लगा। वजह थी उसके कुर्ते का टुटा बटन जिसकी वजह से उसका सीना दिखाई दे रहा था। पूजा कही उसे गलत ना समझ ले सोचकर राजन बार बार कुर्ते को सही करता लेकिन फिटिंग होने की वजह से वह वापस पहले जैसा होता और ना चाहते हुए उसका सीना बाहर झाँकने लगता।
पूजा ने राजन को असहज देखा तो कहा,”क्या हुआ ?”


“अह्ह्ह कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,!!”,राजन ने कहा
“आप बार बार अपने कपडे सही क्यों कर रहे है ?”,पूजा ने पूछा
“दरअसल वो सुबह पहनते वक्त हमारे कुर्ते का बटन टूट गया और अभी आपके सामने बैठे है तो हमे बस थोड़ा असहज लग रहा है,,,,,,,,,!!”,राजन ने धीमे स्वर में कहा
राजन की ईमानदारी देखकर पूजा मुस्कुराई और कप नीचे रखकर कहा,”सुई धागा है ?”
“हाँ , हाँ है न ?”,राजन ने कहा उसे नहीं पता था पूजा क्या करने वाली है , उसने सुई धागा लाकर पूजा को दे दिया।
“कुर्ते का जो बटन टूट गया था वो कहा है ?”,पूजा ने पूछा


राजन ड्रेसिंग के पास गया और बटन लेकर पूजा के सामने आकर कहा,”ये रहा”
पूजा ने बटन लिया और राजन की तरफ देखकर कहा,”मैं लगा दू ?”
पूजा का सवाल सुनकर राजन कुछ बोल ही नहीं पाया वह काजल से सनी उन आँखों में बस देखता ही रह गया जिनमे राजन को अपने लिए नए अहसास दिखाई दे रहे थे 

राजन को खामोश पाकर पूजा आगे बढ़ी और उसके कुर्ते का टुटा बटन लगाने लगी। पूजा का पूरा ध्यान राजन के कुर्ते का बटन लगाने में था। जब तक पूजा ने बटन लगाया राजन अपनी धड़कनो को थामे खड़ा रहा। पूजा ने बटन लगाया और पीछे हटकर कहा,”लीजिये हो गया , अब आप इसे आराम से बंद कर सकते है और आपको मेरे सामने असहज भी नहीं होना पडेगा”
“थैंक्यू,,,,,,,,,!!”,राजन ने कहा और बटन बंद कर लिया


उसने पूजा से बैठने को कहा और खुद भी वापस कुर्सी पर आ बैठा। पूजा की सादगी और उसका सुलझा हुआ बर्ताव राजन को धीरे धीरे पसंद आ रहा था। दोनों एक दूसरे से बात करते हुए सहज थे , कभी किसी बात पर खुलकर हँसते तो कभी बहस करते,,,,,,,,,,बात करते करते कब आधा घंटा बीत गया दोनों को पता ही नहीं चला।

नीचे बैठे पूजा के माता-पिता की नजर बार बार सीढ़ियों की तरफ चली जाती ये देखकर प्रताप के बड़े भाई ने कहा,”लगता है बच्चे आपस में बात कर रहे है,,,,,,,आजकल तो आप जानते ही है सादी से पहले ही सब बाते क्लियर कर लेनी चाहिए,,,,,,,,जिस से बाद में बात खराब ना हो”
“हाँ भाईसाहब ! राजन और पूजा चाहे तो एक दूसरे को समझने के लिए थोड़ा वक्त और ले सकते है। वैसे भी हम लोग दो दिन बनारस में ही है,,,,,,,,हमारा छोटा भाई यही दालमंडी में दुकान सम्हालता है”,पूजा के पापा ने कहा


“अरे तो फिर आप लोग यहाँ रुकिए ना,,,,,,,,,इत्ता बड़ा घर है बढ़िया जान पहचान और बाते भी हो जाएगी और दोनों बच्चे भी एक दूसरे को अच्छे से समझ लेंगे”,प्रताप ने कहा
“बात तो आपकी सही है भाईसाहब लेकिन बिटिया की शादी से पहले यहाँ रुकना अच्छा नहीं लगता , हम अपने देवर के यहाँ रुक जायेंगे”,पूजा की मम्मी ने कहा तो प्रताप के भाई ने कहा,”हाँ हाँ जैसा आपको ठीक लगे,,,,,,,,,,,प्रताप ज़रा देखना राजन और बिटिया की बातचीत हुई के नहीं फिर हम सबको निकलना भी है”
“हाँ हमहू जाकर देखते है,,,,,,!!”,प्रताप ने उठते हुए कहा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया

प्रताप ऊपर आया वह राजन के कमरे में जाता इस से पहले पूजा ही कमरे से बाहर चली आयी। प्रताप को सामने देखकर पूजा ने नजरे झुका ली तो प्रताप ने कहा,”जो पूछना था पूछा बिटिया ?”
“हम्म्म्म जी,,,,,,,,,,!!”,पूजा ने नजरे झुकाये कहा
 “हमरा राजन पसंद आया तुमका ?”,प्रताप ने पूछा


पूजा भला अपने मन की बात उनसे क्या कहती इसलिए शरमा कर मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी। प्रताप ने पलटकर जाती हुई पूजा को देखा और परेशानी भरे स्वर में खुद से कहा,”साला जे रजनवा ने फिर से कोनो गड़बड़ तो ना कर दी”


प्रताप कमरे के अंदर आया , शीशे के सामने खड़ा राजन कुर्ते के बटन को छूकर देख रहा था जिसे कुछ देर पहले पूजा ने लगाया था। शीशे के सामने खड़ा राजन मुस्कुरा रहा था। प्रताप उसकी तरफ आया और कहा,”राजन”
प्रताप की आवाज सुनकर राजन की तंद्रा टूटी शीशे के सामने से हटकर वह प्रताप के सामने आया और कहा,”जी पिताजी”
“उह्ह्ह्ह पूजा बिटिया कुछो कहे बिना चली गयी , तुमहू कुछो कहे का ?”,प्रताप ने परेशानी भरे स्वर में कहा

“नहीं हमने तो उनसे ऐसा कुछ नहीं कहा,,,,,,,,,उन्होंने ही कहा कि काफी बख्त हो गवा है घरवाले नीचे इंतजार कर रहे होंगे,,,,,,,,,,तो हमने कहा आप चलिए हम आते है”,राजन ने कहा


 प्रताप राजन के सामने आया और उसके कंधो को थामकर कहा,”ए बेटा ! देखो हमको ना पूजा और ओह्ह के घरवाले बहुते बढ़िया लगे ,, जे रिश्ता हो जाए और पूजा घर आ जाये तो ओह्ह्ह के बाद उह इह घर और तुमका दोनों को सम्हाल ले,,,,,,,हमहू चिंता मुक्त हो जाये,,,,,,उसके घरवालों को जे रिश्ता मंजूर है बस तुम्हरे और पूजा की हाँ का इंतजार कर रहे है सब,,,,,,,,,,,,,तुम , तुम बताओ तुमको पसंद आयी उह ?”


राजन ने अपने पिताजी को एक नजर देखा और नजरे झुकाकर कहा,”हमे तो उह तभी पसंद आ गयी थी जब उसने हमरे कुर्ते का बटन जोड़ा , उह बख्त हमहू अपने मन मा जे फैसला कर लिए कि अपना जीवन उन्ही के साथ बिताएंगे”
प्रताप ने सुना तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल गया उसने राजन को गले लगाया और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”आज तुमहू हमका बहुते बड़ी ख़ुशी दिए हो बिटवा , जिसने आज बटन जोड़ा है हमका पूरा यकीन है अपने प्रेम से उह तुम्हरा टूटा दिल भी जोड़ देगी”


राजन ने सुना तो प्रताप को कसकर गले लगा लिया उसकी आँखों में नमी उभर आयी थी।
प्रताप राजन से दूर हटा और कहा,”चलो नीचे चलकर सबको जे खुसखबरी सुनाते है”
“लेकिन पुजा ने हमको अभी तक हाँ नहीं बोला है पिताजी,,,,,,,,,,!!”,राजन ने प्रताप के साथ चलते हुए कहा
प्रताप रुका उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आये और अगले ही पल गायब भी हो गए , उसने राजन की तरफ देखकर कहा,”अरे कोनो लड़की तुमका रिजेक्ट कर दे ऐसा हो सकता है का ? हिंदी फिल्मो के जान अब्राहम लगते हो,,,,,,,,,,,चलो बकैती ना करो”


प्रताप राजन को नीचे ले आया। पूजा पहले ही अपने घरवालों को अपना फैसला सुना चुकी थी और जैसे ही प्रताप ने राजन का फैसला सुनाया सबके चेहरे ख़ुशी से खिल उठे। राजन और पूजा ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा उठे।

मून डिलाइट होटल , इंदौर
शक्ति के इग्नोर करने और हुसैन सर से डाँट खाने के बाद काशी का मन उदास हो चुका था। शक्ति और उसकी टीम द्वारा आर्डर किया खाना काशी आदिल के साथ मिलकर कूक से बनवा रही थी। काशी ने देखा शक्ति के साथ आये लोगो ने काफी सारा खाना आर्डर किया है उस आर्डर में काशी की नजर पम्पकिन हलवे पर पड़ी तो उसे याद आया ये तो अक्सर शक्ति आर्डर करता था जब काशी उसके साथ बाहर जाती थी।


“काशी लगभग सब आइटम तैयार हो चुके है , क्यों ना बाहर सर्व करने से पहले हम इन्हे टेस्ट करके देख ले कि ये थी तो है वरना हमे फिर से हुसैन सर से डांट कहानी पड़ेगी”,आदिल ने कहा
“हाँ सही कहा,,,,,,,,,,बाकि सब तुम टेस्ट कर लो मैं ये हलवा टेस्ट करके देखती हूँ”,काशी ने चम्मच से हलवा एक छोटी कटोरी में निकालकर कहा


“हाँ चलेगा”,कहकर आदिल ने एक प्लेट में थोड़ा थोड़ा खाना लिया और चखने लगा। काशी के दिमाग में तो कुछ खुराफाती चल ही रहा। उसने आदिल से नजरे बचाकर चम्मच में नमक लिया और जैसे ही हलवे में मिलाने लगी आदिल ने उसे रोकते हुए कहा,”ये तुम क्या कर रही हो ?”
“अह्ह्ह्हह ये बहुत फीका है इसलिए थोड़ी शक्कर मिला रही हूँ”,काशी ने अपनी घबराहट को छुपाकर कहा
“आर यू स्योर ना काशी ?”,आदिल ने पूछा


“हाँ,,,,,,,,,तुम चाहो तो चख सकते हो”,काशी ने विश्वास से भरकर कहा लेकिन पम्पकिन के नाम से ही आदिल का मुंह बन गया और उसने कहा,”नो थैंक्यू ! तुमने चखा न एक ही बात है और तुम्हे मीठा कम लगा तो फिर डाल दो”
काशी मुस्कुराई और खुश होकर चम्मच में भरा नमक हलवे में मिलकर उसे बहुत ही सुंदर से प्याले में सर्व करते हुए मन ही मन कहा,”अब पता चलेगा शक्ति कि हमे इग्नोर करने की सजा क्या होती है ? अब खाओ तुम अपना ये पम्पकिन हलवा”


शक्ति से बदला लेने के चक्कर में काशी भूल गयी कि वह इस होटल में इंटनर्शिप के लिए है। उसका हर एक्शन नेगेटिव और पॉजिटिव रिएक्शन ला सकता था। आदिल ने सभी डिशेस को ट्रॉली टेबल पर जमाया और काशी के साथ बाहर चला आया। दोनों ट्रॉली लेकर जैसे ही हुसैन सर के सामने से गुजरे हुसैन सर ने काशी को देखकर कहा,”आई होप इस बार कोई गड़बड़ ना हो”
“यस सर,,,,,,,,,!!”,दोनों ने एक साथ कहा और आगे बढ़ गए


दोनों टेबल के पास चले आये शक्ति ने इस बार भी काशी पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह अपने टीम मेंबर से बात करने में बिजी था। काशी की उदासी अब यहाँ गुस्से में बदल चुकी थी लेकिन उसने अपने गुस्से को अंदर ही रखा और जबरदस्ती मुस्कुराते हुए हलवे का प्याला शक्ति के सामने रखते हुए कहा,”योर पम्पकिन पुड्डिंग सर,,,,,,,,एन्जॉय योर मील,,,,,,,,,,,,,,,बेस्ट ऑफ़ लक”
आखरी तीन शब्द काशी ने धीमे स्वर में कहे और वहा से चली गयी। 

“your food is ready, Our other team members will serve it to you,,,,,,,,,,,थैंक्यू”,आदिल ने बहुत ही शालीनता से कहा और वहा से चला गया।  
आदिल के जाने के बाद शक्ति ने मन ही मन खुद से कहा,”काशी ने हमे बेस्ट ऑफ़ लक क्यों कहा ?”
आदिल और काशी के जाने के बाद नितिन और काजल खाना सर्व करने आये। काजल ने जैसे ही हलवे के कटोरे की तरफ हाथ बढ़ाया शक्ति ने कहा,”Thankyou ! I’ll serve it myself”


“sure sir”,काजल ने मुस्कुरा कर कहा और बाकी सबको खाना सर्व करने लगी। रूबी भी वही खड़े होकर सब बदोबस्त देख रही थी। खाना परोस कर नितिन और काजल पीछे हट गए। शक्ति ने हलवा प्लेट में ना परोसकर सीधा कटोरे को ही अपने सामने रख लिया और एक चम्मच उठाकर जैसे ही मुँह में रखा मुस्कुरा उठा उसे समझ आ गया कि काशी ने उसे बेस्ट ऑफ़ लक क्यों कहा था।


दूर खड़ी काशी बड़े ध्यान से शक्ति को देख रही थी , हलवा खाने के बाद भी शक्ति के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। काशी को शक्ति को घूरते पाकर आदिल ने कहा,”काशी लगता है उस लड़के पर तुम्हारा दिल आ गया है , पर मुझे नहीं लगता कि वो तुम्हे भाव देगा क्योकि वो इस शहर का DCP है”
काशी ने सुना तो हैरानी से आदिल को देखा , काशी की सवालिया नजरो को देखकर आदिल ने कहा,”मैंने अभी अभी इस होटल के मैनेजर और हुसैन सर को बात करते सुना,,,,,,,!!”


काशी ने आदिल को हाथ से जाने का इशारा किया और अपना ध्यान शक्ति पर लगा लिया। अगले ही पल शक्ति ने थोड़ा कठोरता से कहा,”अपने मैनेजर को बुलाइये”
शक्ति के चेहरे पर कठोर भाव देखकर रूबी , नितिन और काजल मन ही मन घबरा गए। होटल का मैनेजर वहा चला आया साथ में हुसैन सर भी थे। हुसैन सर ने शक्ति को अपना परिचय दिया तो शक्ति ने उसी कठोरता के साथ कहा,”ये हलवा जिसने प्रिपेयर किया है , बनाने वाले और परोसने वाले दोनों को”


शक्ति को गुस्से में देखकर बाकि टीम मेंबर खाते खाते रुक गए। काशी से फिर कोई गलती हुई है सोचकर हुसैन सर ने गुस्से से उसे घुरा और बेचारी काशी वो गिरते गिरते बची,,,,,,,,,,,,,,उसने सोचा नहीं था शक्ति सबके सामने ऐसा कुछ करेगा

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संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

राजन ने सुना तो प्रताप को कसकर गले लगा लिया उसकी आँखों में नमी उभर आयी थी।
प्रताप राजन से दूर हटा और कहा,”चलो नीचे चलकर सबको जे खुसखबरी सुनाते है”
“लेकिन पुजा ने हमको अभी तक हाँ नहीं बोला है पिताजी,,,,,,,,,,!!”,राजन ने प्रताप के साथ चलते हुए कहा
प्रताप रुका उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आये और अगले ही पल गायब भी हो गए , उसने राजन की तरफ देखकर कहा,”अरे कोनो लड़की तुमका रिजेक्ट कर दे ऐसा हो सकता है का ? हिंदी फिल्मो के जान अब्राहम लगते हो,,,,,,,,,,,चलो बकैती ना करो”

राजन ने सुना तो प्रताप को कसकर गले लगा लिया उसकी आँखों में नमी उभर आयी थी।
प्रताप राजन से दूर हटा और कहा,”चलो नीचे चलकर सबको जे खुसखबरी सुनाते है”
“लेकिन पुजा ने हमको अभी तक हाँ नहीं बोला है पिताजी,,,,,,,,,,!!”,राजन ने प्रताप के साथ चलते हुए कहा
प्रताप रुका उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आये और अगले ही पल गायब भी हो गए , उसने राजन की तरफ देखकर कहा,”अरे कोनो लड़की तुमका रिजेक्ट कर दे ऐसा हो सकता है का ? हिंदी फिल्मो के जान अब्राहम लगते हो,,,,,,,,,,,चलो बकैती ना करो”

राजन ने सुना तो प्रताप को कसकर गले लगा लिया उसकी आँखों में नमी उभर आयी थी।
प्रताप राजन से दूर हटा और कहा,”चलो नीचे चलकर सबको जे खुसखबरी सुनाते है”
“लेकिन पुजा ने हमको अभी तक हाँ नहीं बोला है पिताजी,,,,,,,,,,!!”,राजन ने प्रताप के साथ चलते हुए कहा
प्रताप रुका उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आये और अगले ही पल गायब भी हो गए , उसने राजन की तरफ देखकर कहा,”अरे कोनो लड़की तुमका रिजेक्ट कर दे ऐसा हो सकता है का ? हिंदी फिल्मो के जान अब्राहम लगते हो,,,,,,,,,,,चलो बकैती ना करो”

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