Main Teri Heer – 21

Main Teri Heer – 21

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

मुंबई , वंश का फ्लेट
वंश के डायरेक्टर ने मुंबई के बाहर शूटिंग रखी थी। सुबह निकलना था इसलिए सुमित ने पहले ही सबको सुबह जल्दी आने को कह दिया था। वंश ने अलार्म लगाकर सोया था ताकि जल्दी उठ सके। सुबह अलार्म की आवाज से वंश की आँख खुली , उसने अलार्म बंद किया और उठकर सीधा बाथरूम में घुस गया। वंश नहाकर आया , उसने कबर्ड से जींस टीशर्ट निकाला और पहनकर शीशे के सामने चला आया। उसने अपना चेहरा चमकाया और ड्रायर से बालो को सुखाने लगा।

 वंश ने बालो जेल लगाया और उन्हें सेट कर शीशे में खुद को देखा , अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी देखकर वंश को याद आया कि उसने शेविंग तो की ही नहीं ,,,,,,,,,वंश ने देखा उसके पास ज्यादा टाइम नहीं है तो उसने जल्दी से अपना सूटकेस लिया और उसमे अपने चार दिन के कपडे , जूते जरुरी सामान और साथ में शेविंग किट भी रख लिया। वंश को भूख भी लगी थी लेकिन अभी इतना वक्त नहीं था कि वह अपने लिए कुछ बना सके , वह किचन की तरफ आया उसने फ्रीज के ऊपर रखे टोकरे में रखा सेब उठाया और खाते हुए बिस्तर की तरफ आया।

उसने अपना फोन लिया , चार्जर बैग में डाला और जैसे ही बालकनी का दरवाजा बंद करने आया उसने देखा बाहर तेज बारिश हो रही है। बारिश को देखते ही वंश का मुंह बन गया , उसने अपने पैरो में पहने सफ़ेद जूतों को देखा जो उसने बहुत महंगे खरीदे थे और बारिश की वजह से वह उन्हें खराब तो बिल्कुल नहीं करना चाहता था। वंश ने जूते उतारकर बैग में रखे और स्लीपर पहनकर , अपने सामान के साथ फ्लेट से बाहर निकल गया।


लिफ्ट का इंतजार करते हुए वंश ने अपने लिए कैब बुक की और नीचे चला आया। भीगते भागते वंश अपनी कैब के पास पहुंचा और सामान रखकर अंदर आ बैठा और ड्राइवर से कहा,”ये मुंबई की बारिश भी ना ,  कभी भी शुरू हो जाती है,,,,,,,,,!!”
“सर !  लगता है आपने कभी मुंबई की बारिश को कभी महसूस नहीं किया , वरना आप ऐसा नहीं कहते,,,,,,,,,,,,,मुंबई की बारिश एक सुकून है”,ड्राइवर ने कहा
“मेरे लिए तो ये सरदर्द है , अब चले ?”,पीछे बैठे वंश ने कहा


“अरे सर देखियेगा , एक दिन आपको मुंबई की बारिश जरूर महसूस होगी”,ड्राइवर ने कहा
वंश ने कुछ नहीं कहा और अपना फोन निकालकर उसमें आये नोटिफिकेशन देखने लगा। सुमित ने शूटिंग लोकेशन के साथ साथ वंश को स्क्रिप्ट भी भेजी थी। गाड़ी में बैठा वंश बैठकर उसे पढ़ने लगा। स्क्रिप्ट पढ़ते हुए उसमे एक बारिश का सीन आया और ये पढ़कर वंश चिढ गया। उसने अपना फोन बंद किया और साइड में रखते हुए बड़बड़ाया,”हाह ! यहाँ भी बारिश,,,,,,,,,,,!!”
ड्राइवर ने वंश का उखड़ा हुआ मूड देखा तो म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया  

धीमी आवाज में गाना बजने लगा
“हर शाम आँखों पर , तेरा आँचल लहराए
हर रात यादों की , बारात ले आये
मैं साँस लेता हूँ , तेरी खुशबू आती है
एक महका महका सा , पैगाम लाती है
मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है,,,,,,,,,,,,
पल पल दिल के पास तुम रहती हो,,,,,,,,,,,जीवन मीठी प्यास ये कहती हो,,,,,,,,,,,पल पल दिल के पास,,,,,,,,,!!!”

वंश नए ज़माने का था उसे पुराने गाने कम ही समझ आते थे लेकिन जब उसने गाने के बोल सुने तो उसे अच्छा लग रहा था। कुछ देर पहले जो वंश चिढ़ा चिढ़ा नजर आ रहा था वही वंश अब खिड़की से बाहर देखते हुए मुस्कुराने लगा। ड्राइवर ने देखा तो गाड़ी चलाते हुए कहा,”मुंबई की बारिश और किशोर दा के गाने,,,,,,और उस पर किसी की यादें साथ हो तो क्या ही कहने ?”
“आवाज बढ़ा दीजिये”,वंश ने कहा तो ड्राइवर ने ख़ुशी ख़ुशी गाने की आवाज तेज कर दी और अपना ध्यान गाडी चलाने पर लगा लिया।

नवीन का घर , मुंबई
देर रात निशि को सुमित का मैसेज मिला जिसमे मुंबई से बाहर शूटिंग की डिटेल्स थी और सबके साथ निशि को भी सुबह जल्दी फिल्मसिटी पहुँचने को कहा। सुबह निशि तैयार होकर अपना बैग लिए नीचे चली आयी। बहुत हाथ पैर जोड़ने और रिक्वेस्ट करने के बाद नवीन ने उसे इस सीरीज में काम करने की परमिशन दे दी।

निशि ने टॉप और प्लाजो पेंट पहना था , बालों को उसने कर्ल करके खुला छोड़ा था , होंठो पर हलकी लिपस्टिक , आँखों में गहरा काजल और कानो में छोट छोटे झुमके जो उसे काशी ने बनरास में दिलवाये थे। निशि ने अपनी पीठ पर एक बैग टाँग रखा था जिसमे उसका जरुरी सामान था।

“मम्मा मेरा नाश्ता , जल्दी कीजिये ना मुझे देर हो रही है”,निशि डायनिंग के पास आकर चिल्लाई
“बस बस हो गया , तुम बैठो”,मेघना ने किचन से आवाज लगाकर कहा
निशि जैसे ही बैठने को हुयी उसका फोन बजा , निशि ने देखा फोन सुमित का था निशि ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से सुमित ने कहा,”हेलो निशि ! तुम अभी तक घर ही हो , बारिश होने की वजह से रास्ते जाम है तुम्हे लॉन्ग रुट से आना पडेगा शायद इसलिए तुम अभी निकल जाओ,,,,,,,,,,के.डी ने स्ट्रिक्टली कहा है सबको वक्त पर आना है”


“अह्ह्ह लेकिन सर,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहना चाहा
“लेकिन वेकिन कुछ नहीं निशि वक्त से पहुँच जाना प्लीज,,,,,,,,,मुझे और भी लोगो को फोन करना है बाय,,,,,,,,,!!”,सुमित ने कहा और निशि की बात सुने बिना ही फोन काट दिया।
“लो खाओ जल्दी , अरे क्या हुआ अभी तो तुम चिल्ला रही थी कि देर हो रही है अभी यहाँ खड़ी हो , चलो बैठो”,मेघना ने कहा


“मुझे अभी निकलना होगा मम्मा , आप ये ले जाईये मैं शूटिंग पर कुछ खा लुंगी”,निशि ने बुझे स्वर में कहा
“बिल्कुल नहीं ! वहा पता नहीं कब खाने को मिलेगा ? मेघना डिब्बा लेकर आओ मैं पैक कर देता हूँ ये रास्ते में खा लेगी”,नवीन ने डायनिंग की तरफ आते हुए कहा तो निशि ने उन्हें साइड हग किया और कहा,”आई लव यू !”


“आई लव यू टू और याद से खा लेना भूल मत जाना , और हाँ अपना,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने इतना ही कहा कि निशि ने कहने लगी,”हाँ बाबा मुझे याद है , शूटिंग पर अपना ध्यान रखना है , अकेले बाहर नहीं जाना है , टाइम से खाना है और सोना है , अच्छे अच्छे फोटो लेकर आपको भेजने है और मन लगाकर अपना काम करना है,,,,,,,,,,,मुझे सब याद है डेड”
“ये लीजिये,,,,,,,!!”,मेघना ने डिब्बा नवीन की तरफ बढ़ाते हुए कहा
नवीन ने डिब्बा लिया और उसमे निशि के लिए आलू की सुखी सब्जी और पराठे रखते हुए कहा,”हाँ बाकि तुम्हारा ख्याल रखने के लिए वो लंगूर है ना”


“आप वंश को लंगूर कह रहे है डेड,,,,,,,,,,,ये बहुत गलत बात है”,निशि ने कमर पर अपने दोनों हाथ रखकर मुंह बनाते हुए कहा
नवीन ने डिब्बा पैक किया और निशि की तरफ बढाकर कहा,”तुमने कभी उसकी हरकते देखी है,,,,,,,,,!!”
“पर वो क्यूट लगता है डेड,,,,,,,,,!!”,निशि ने बच्चो की तरह मुंह बनाकर कहा
“हम्म्म्म क्यूट तो है , अपना डिब्बा वापस देना,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा


“पर आपने अभी तो खाना पैक किया डेड और इतना बहुत है”,निशि ने डिब्बा नवीन की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“इधर दो ना,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए नवीन ने डिब्बे को खोलकर उसमे थोड़ी सब्जी , अचार और चार पराठे और रखे और कहा,”उसे भी खिला देना , मुझे लगता नहीं वह सुबह जल्दी उठा होगा और कुछ खाकर घर से निकला होगा,,,,,,,,,!!”
“उसे किसे ?”,निशि ने शरारत से जानबूझकर नवीन से पूछा जबकि वह जानती थी नवीन वंश के लिए कह रहा है।
“उस वंश को,,,,,,,,,!!”,नवीन ने बिना निशि की तरफ देखे डिब्बा उसकी और बढ़ाते हुए कहा

निशि ने सुना तो नवीन को जोर से गले लगाते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह डेड आपको वंश की परवाह करते देखकर कितना अच्छा लग रहा है,,,मतलब आप भी उसे बहुत लाइक करते है फिर भी बेवजह उस से चिढ़ते रहते है,,,,!!!”
“अभी मैंने हाँ नहीं बोला है इसलिए ज्यादा खुश मत हो और अपने काम पर ध्यान दो,,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा तो निशि की ख़ुशी गायब हो गयी
नवीन ने देखा तो कहा,”चलो अब जाओ वरना तुम्हे देर हो जाएगी,,,,,,,,,,!!”


“बाय डेड,,,,,,,,,,,बाय मम्मा”,कहते हुए निशि ने अपना टिफिन बैग में रखा और सूटकेस का हेंडल पकडे वहा से चली गयी। नवीन उसे दरवाजे तक छोड़ने आया और दरवाजा बंद करके जैसे ही पलटा अपने पीछे खड़ी मेघना से टकरा गया
“क्या ?”,घबराकर नवीन ने अपने सीने पर हाथ रखकर कहा
“अभी कुछ देर पहले मैंने क्या देखा ?”,मेघना ने अपने दोनों हाथो को बांधकर नवीन की तरफ देखते हुए कहा
“क्या देखा ?”,नवीन ने मेघना के सामने से हटकर डायनिंग की तरफ आते हुए कहा


मेघना नवीन के पीछे आयी और कहा,”तुम खुद अपने हाथो से वंश के लिए खाना पैक कर रहे थे ,, क्या मैंने कोई सपना देखा ?”
“वो अकेला रहता है और उसे इतना कुछ बनाना भी नहीं आता,,,,,,,,,,,और क्या हो गया जो मैंने निशि के डिब्बे में उसके लिए एक्सट्रा खाना रख दिया”,नवीन ने मेघना से नजरे बचाते हुए कहा
“कुछ नहीं हुआ नवीन मैं बस हैरान हूँ कि ये तुमने किया , तुम जो हर बार वंश से चिढ़े रहते हो , उसे इतना ज्यादा पसंद भी नहीं करते , तुम्हे उसकी परवाह करते देखकर मैं बस हैरान हूँ,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा


नवीन कुछ देर चुप रहा और फिर मेघना की तरफ देखकर कहा,”मेघना ऐसा नहीं है , मैं जानता हूँ वंश अच्छा लड़का है बस वो थोड़ा स्ट्रेट फॉरवर्ड है ,, मैं बस उसे समझने की कोशिश कर रहा हूँ,,,,,,,निशि के लिए उसे एक्सेप्ट करने में बस मुझे थोड़ा टाइम लगेगा,,,,,,,,,और फिर अभी तो मुझे सारिका मैडम से भी सामना करना है,,,,,,,,!!”
“नवीन तुम खामखा इतना सोच रहे हो , सारिका जी इतनी अच्छी है क्या वो वंश और निशि के रिश्ते को नहीं समझेंगी,,,,,,,,,,,वैसे कब आ रही है वो मुंबई ?”,मेघना ने पूछा


“परसो शाम तक मुंबई पहुंचेगी , मेघना मैं तैयार होकर आता हूँ फिर मुझे बैंक के लिए निकलना होगा , सारिका मैडम के ऑफिस के लिए लॉन को लेकर बैंक मैनेजर से भी मिलना है”,नवीन ने कहा और वहा से चला गया
मेघना ने जाते हुए नवीन को देखा और बुदबुदाई,”मैं जानती हूँ नवीन तुम अपनी सारिका मैडम से कुछ नहीं कह पाओगे , लगता है अब मुझे ही उनसे बात करनी पड़ेगी,,,,,,,,आखिर वो भी तो एक माँ ही है न”

शिवम् का घर , बनारस
“अरे सारिका बिटिया कुछो काम है तो हमे बताय दयो सुबह से तुमहू अकेली लगी हो रसोई मा”,आई ने किचन के बाहर से कहा
“आई सब हो चुका है बस थोड़ा सा काम बचा है वो हम खत्म कर लेंगे,,,,,,,,,,,हम बाबा और उनके लिए चाय बनाने जा रहे है , आप लेंगी ?”,सारिका ने पूछा


“हाँ एक ठो कप ले लेंगे,,,,,,,,,,पर हमका बिल्कुल अच्छा नाही लग रहा तुमहू अकेले जे सब कर रही हो , अरे हमहू भी वंश्वा की अम्मा है हमका भी कुछो बनावे दयो ताकि हमरे हाथो का स्वाद भी उसकी जबान तक पहुंचे,,,,,,,,,,!!!”,आई ने कहा
“बिल्कुल आई , और आपके हाथो से बने अचार से बेहतर स्वाद भला क्या हो सकता है वंश को आपकी याद दिलाने के लिए,,,,,,,,,आप वंश के लिए अपने हाथो से बना अचार दीजियेगा,,,,,,,,,,,और इस बार थोड़ा नवीन और मेघना के लिए भी,,,,,,,,,!!”,सारिका ने चाय बनाते हुए कहा


“अरे हां हां बिल्कुल , हमरे हाथो से बने आम के अचार का तो वंश दीवाना है , पर जे नवीन मेघना कौन है ओह के दोस्त है का ?”,आई ने कहा जिसे नवीन मेघना याद नहीं थे
सारिका ने चाय कप में छानी और लेकर बाहर चली आयी। सारिका ने एक कप आई को दिया और कहा,”आई नवीन जो मुंबई में हमारी पुरानी कम्पनी में मैनेजर थे और मेघना उनकी पत्नी है,,,,,,,,,,,आपको निशि याद है जो काशी की सगाई में बनारस आयी और अभी कुछ दिन पहले मुन्ना गौरी की सगाई में ये तीनो इंदौर भी आये थे,,,,,,,,,,!!”


“अरे हाँ याद आ गया ! एक ठो उम्र इतनी हो गयी है कि कुछो याद भी नहीं रहता,,,,,,,,उह निशि तो बड़ी प्यारी है हमका तो बहुते अच्छी लगी उह”,आई ने चाय का घूंठ भरके कहा
आई के मुंह से निशि का नाम सुनकर सारिका ने मन ही मन खुद से कहा,”आई को निशि पंसद है , हमे इन्हे बता देना चाहिए क्या कि वंश और निशि एक दूसरे को पसंद करते है,,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं पहले हमे वंश का मन जानना होगा,,,,,,,बिना उसके दिल की बात जाने हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते।

परसो हम मुंबई जा ही रहे है तब वंश को अपने सामने बैठाकर पूछेंगे कि वह निशि को चाहता है या नहीं,,,,,,,,ऐसे भले वह बातें टाल दे लेकिन हमारे सामने नहीं झूठ नहीं बोल पायेगा,,,,,,,,,आखिर हम माँ है उसकी आँखों में उसका मन पढ़ सकते है।”


सारिका को खोया हुया देखकर आई ने कहा,”अरे सारिका बिटिया ! का हुआ कहा खो गयी ?”
आई की आवाज से सारिका की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अह्ह्ह कही नहीं आई , हम बाबा और शिवम् जी को चाय देकर आते है”
सारिका वहा से चली गयी। आई ने भी अपनी चाय खत्म की और उठते हुए कहा,”हमहू भी ज़रा वंश के लिए आम का ताजा अचार निकालकर ले आये वरना सारिका भूल जाएगी”

मुरारी का घर , बनारस
“अरे अनु , मुन्ना तुम दोनों तैयार हो तो चले ?”,हॉल में खड़े मुरारी ने अपने कुर्ते की बाजु को फोल्ड करते हुए कहा
“हाँ बस आ गयी,,,,,,,!!”,अपनी साड़ी की सलवटों को सही करते हुए सामने से आती अनु ने कहा
मुरारी ने अनु को देखा तो बस देखता ही रह गया। पीले और हरे रंग की साड़ी में अनु बहुत ही प्यारी लग रही थी उस पर उसके कर्ली बाल जिन्हे उसने आज खुला छोड़ रखा था। कंधे से पर पिन से अटैच किया साड़ी का पल्लु एक हाथ पर पूरा फैला था जिसे अनु ने बहुत ही अच्छे से सम्हाल रखा था।

अनु मुरारी के पास चली आयी और मुरारी को खोया हुआ देखकर कहा,”क्या हुआ ? कहा खोये हो ?”
“अरे तुमहू हमका होश मा रहने दो तब ना,,,,,,,मतलब इह उम्र मा भी ऐसे बन ठन के कैसे रह लेती हो ? हमे देखो दाढ़ी में सफेदी दिखाई देने लगी है”,मुरारी ने कहा तो अनु ने मुस्कुराते हुए कहा,”अरे मिश्रा जी सजने सवरने का उम्र से क्या लेना देना ?”,अनु ने अपने हाथ में पहनी चूडियो को आगे पीछे करते हुए कहा

मुरारी अनु के थोड़ा करीब आया और कहा,”कुछ भी कहो पर जे साड़ी मा बिल्कुल निम्बू मिर्च लग रही हो कसम से,,,,,,,,,,!!”
अनु ने मुरारी के कुर्ते का बटन बांध करते हुए प्यार से कहा,”क्या मुरारी ? ऐसे कौन तारीफ करता है ?”
“अरे तुम कहो तो तुम्हरी तारीफ मा पूरी किताब लिख दे,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी के हाथ अनु की पतली कमर से लिपट चुके थे।

“अहममम अहममम,,,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने वहा आकर कहा तो अनु एकदम से मुरारी से पीछे हटी और कहा,”मुरारी चलो ना देर हो रही है,,,,,,,,,,!!”
“हाँ हाँ हम तो चल ही रहे है”,मुरारी ने मुन्ना को देखकर झेंपते हुए कहा
अनु को भी शर्म आ रही थी कि मुन्ना ने उसे और मुरारी को साथ ऐसे देखा इसलिए वह मुरारी से पहले ही आगे बढ़ गयी। मुन्ना और मुरारी साथ साथ दरवाजे की तरफ बढ़ गए। चलते चलते मुन्ना ने मुरारी से धीरे से कहा,”माफ़ करना पापा हम शायद गलत वक्त पर आ गए,,,,,,,,,,,!!”


मुन्ना इतना कहकर आगे बढ़ गया , मुरारी ने उसे देखा और कहा,”हाँ बेटा एंट्री तो बहुते गलत बख्त पर ही थी तुम्हरी वरना आज मीठा खाने को मिल ही जाता हमे”
मुरारी ने कुर्ते के जेब में रखा चश्मा निकाला और आँखों पर लगाकर आगे बढ़ गया।

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संजना किरोड़ीवाल  

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