Main Teri Heer – 1

Main Teri Heer – 1

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

इंदौर , गौरी का घर
सुबह के 8 बज रहे थे , अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी गौरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी शायद वह कोई प्यारा सा सपना देख रही थी। खिड़की से आती ठंडी ठंडी हवा के झोंके गौरी को सुकून पहुंचा रहे थे। गौरी आँखे मूंदे तकिये को अपनी बांहो में लेकर जैसे ही पलटी धड़ाम से बिस्तर से नीचे आ गिरी।

गनीमत था उसे चोट नहीं लगी लेकिन उसकी नींद टूट गयी वह अपना सर मसलते हुए जमीन पर आलथी पालथी मारकर बैठ गयी और बड़बड़ाई,” आह ! तो ये बस एक सपना था लेकिन मैं और मान शादी के जोड़े में कितने सुंदर लग रहे थे।

सफ़ेद शेरवानी , गले में लाल दुपट्टा , सर पर सेहरा , चेहरे पर मासूमियत और आँखों में मेरे लिए मोहब्बत,,,,,,,,,,,,हाह देखने वाला उसे बस देखते ही रह जाए”
बड़बड़ाते हुए गौरी जमीन पर लेट गए। सुबह हो चुकी थी और हवा के कारण खिड़कियों पर लगे परदे उड़ रहे थे। गौरी इन सब से बेखबर जमीन पर लेटी बस उस सपने के बारे में सोच रही थी जो उसने अभी कुछ देर पहले देखा था।

उसने आगे बड़बड़ाना शुरू किया,”वैसे शादी के जोड़े में मैं भी कुछ कम नहीं लग रही , लाल रंग के भारी भरकम लहंगे में , गहनों से लदी , आँखों में काजल , होंठो पर लाली , मेहँदी से रंगे हाथ ,

थोड़ी शर्माती थोड़ी घबराती,,,,,,,,,,,हाय ! कितनी प्यारी लग रही थी मैं , मुझे ऐसे देखकर मान के तो होश ही उड़ जाते,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह्ह मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही हूँ,,,,,,,,,,,पर ये दिन कब आएगा ?”
कहते हुए गौरी ख़ुशी से भरकर जमीन पर यहाँ से वहा लौटने लगी। नंदिता जो कि कुछ देर पहले ही कमरे में आयी थी उसने गौरी की जब ये उटपटांग बाते सुनी तो उन्होंने कहा,”ये दिन तो तब आएगा ना गौरी जब तुम ये पागलो वाली हरकते बंद करोगी ?”


नंदिता की आवाज एकदम से कानो में पड़ी तो गौरी ने अपनी आँखे खोली और नंदिता को वहा देखकर उठकर बैठ गयी।
“गुड मॉर्निंग मम्मा”,गौरी ने अपना सर खुजाते हुए कहा
“गुड मॉर्निंग गौरी , क्या मैं जान सकती हूँ तुम बिस्तर की जगह जमीन पर क्यों हो ?”,नंदिता ने अपने हाथो को बांधकर पूछा


“अह्ह्ह्ह वो मैं , मैं एक बहुत ही सुन्दर सपना देख रही थी मॉम और सपना देखते देखते बिस्तर से गिर गयी,,,,,,,,,!!”,गौरी ने उठते हुए कहा और नंदिता को देखकर अपने दाँत दिखा दिए


नंदिता ने सुना तो अपना सर पीट लिया और कहा,”अगर मैं तुम्हारी माँ नहीं होती तो मैं मानवेन्द्र जी से जरूर कहती कि उन्हें तुम से शादी करने से पहले एक बार फिर सोच लेना चाहिए,,,,,,,,,,!!”
“मॉम,,,,,,,,,,,आप इतना रुड कैसे हो सकती है ?”,गौरी ने हैरानी से कहा
नंदिता गौरी के कबर्ड की तरफ आयी और कहा,”क्या तुमने मानवेंद्र जी फोन करके पूछा कि वो बनारस कब तक पहुंचेंगे ? तुम कितनी लापरवाह लड़की हो गौरी , कुछ महीनो बाद तुम्हारी शादी है ,, मुझे तो अभी से डर लग रहा है तुम सब कैसे सम्हालोगी ?”


कहते हुए नंदिता ने जैसे ही गौरी के कबर्ड को खोला उसमे ठुसे कपडे नंदिता पर आ गिरे , उन्होंने पलटकर गुस्से से गौरी को देखा और चिल्लाई,”तुम अपनी ये आदतें कब सुधारोगी ?”
गौरी गिरते पड़ते नंदिता के पास पहुंची और बिखरे कपड़ो को उठाते हुए कहा,”मैं मैं ये सब कर लुंगी , आप सुबह सुबह यहाँ क्यों आयी है ?”


नंदिता कपड़ो के ढेर से बाहर आयी और कहा,”10 मिनिट में तैयार होकर नीचे आ जाओ , हमे पूजा के लिए मंदिर जाना है,,,,,,,,,,,और मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए,,,,,,,,,,,!!”
कहकर नंदिता वहा से चली गयी और गौरी अपना निचला होंठ बाहर निकालकर उन्हें जाते हुए देखते रही।

“ये सुबह सुबह आंटी को क्या हुआ है ? वे इतना गुस्से में क्यो है ?”,काशी ने कमरे में आते हुए कहा
 गौरी ने नीचे गिरे कपड़ो के ढेर को उठाया और रोआँसा होकर कहा,”मम्मा को लगता है मैं नालायक हूँ , शादी के बाद मान का घर नहीं सम्हाल पाऊँगी”


काशी ने सुना तो मुस्कुरा उठी और कहा,”तुम बस हमारे मुन्ना भैया को सम्हाल लेना , घर अनु मौसी सम्हाल लेंगी”
गौरी ने सुना तो हाथ में पकडे कपड़ो के ढेर को नीचे फेंका और खुश होकर कहा,”यही तो मैंने कहा मम्मा से , वैसे तुम सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही हो ?”


“हमे आंटी ने बुलाया था उन्होंने कहा वो मंदिर जा रही है तो हम भी उनके साथ चले”,काशी ने कहा
“ओह्ह्ह ये अच्छा किया वैसे भी मुझे तुम से कुछ जरुरी बात करनी थी,,,,,,,,मैं नहाकर आती हु तब तक क्या तुम ये,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा काशी समझ चुकी थी गौरी क्या कहना चाहती इसलिए कपड़ो की तरफ आकर कहा,”ये हम कर देंगे तुम जाकर तैयार हो जाओ”


“थैंक्यू काशी तुम नहीं होती तो मेरा क्या होता ?”,गौरी ने काशी को हवा में चुम्मा देते हुए कहा
“हम तो ये सोच रहे है तुम्हारे साथ रहकर बेचारे हमारे मुन्ना भैया का क्या होगा ?”,काशी ने कहा लेकिन तब तक गौरी बाथरूम में जा चुकी थी।  

बनारस पहुंचने में अभी वक्त था इसलिए शिवम् ने बस एक होटल पर रुकवाई जिस से सभी फ्रेश होकर सुबह का चाय नाश्ता कर सके। शिवम् ने सबसे नीचे उतरने को कहा , सभी एक एक करके बस से नीचे उतरे और होटल की तरफ चले आये। मुन्ना सबसे दूर खड़ा फोन पर किसी से बात कर रहा था , सारिका , अनु और राधिका फ्रेश होने चली गयी। आई बाबा कुर्सी पर बैठे ऊंघ रहे थे और अंजलि मुंह धोने चली गयी।


शिवम् ने देखा मुरारी उदास सा बस के पास खड़ा है और खाली सड़क को देख रहा है। शिवम् अपने हाथ में दो कप चाय ले आया और मुरारी के बगल में आकर एक कप उसकी तरफ बढाकर कहा,”मुरारी , जे ल्यो चाह पीओ”
“मन नहीं है भैया,,,,,,,,,,,,,!”,मुरारी ने मुरझाये स्वर में कहा
कल से मुरारी का चेहरा उतरा हुआ था और उसकी आँखों में उदासी थी , जितना खुश वह बनारस से इंदौर जाते वक्त था उतना ही उदास और गमगीन वह इंदौर से बनारस वापस आने के वक्त था।

शिवम् मुरारी की परेशानी भांप सकता था इसलिए कहा,”हम समझ सकते है मुरारी , उर्वशी के साथ जो हुआ बहुत ही गलत हुआ पर इन सब में तुम्हारी कोनो गलती नहीं थी,,,,,,,,,तुम इतना मत सोचो”
मुरारी ने शिवम् की तरफ देखा और कहा,”पर ओह के साथ इतना बुरा काहे हुआ ?

उसकी इह सब मा का गलती थी सिर्फ जे कि उह चौहान जैसे घटिया लोगो के जाल में फंस गयी और उनकी बदनीयती का सिकार बनी,,,,,,,,,,,,हमे अपने लिए बुरा नाही लग रहा भैया , हमे बस उर्वशी के लिए बुरा लग रहा है साला राजनीती में होकर भी हम उनको बचा काहे नही पाए ?”


शिवम् मुरारी की आँखों में गुस्सा और तड़प साफ देख पा रहा था , उसने चाय का कप मुरारी की तरफ बढ़ाया और कहा,”शायद इसी को नियति कहते है मुरारी , उर्वशी के साथ कुछ हुआ वो उसकी नियति थी बेहतर होगा तुमहू जे सब भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो,,,,,,,,,,,कुछ महीनो बाद घर में काशी और मुन्ना की शादी है तुम्हे बीते हुए कल की चिंता ना करके आने वाले कल की खुशियों के बारे में सोचना चाहिए,,,,,,,,,,,,,महादेव् उर्वशी की आत्मा को शांति दे,,,,,,,,,चाय पीओ , हमहू नाश्ता लगवाते है”


कहकर शिवम् वहा से चला गया। मुरारी ने कप लिया और चाय पीने लगा , शिवम् की बातो को मानने के अलावा उसके पास दुसरा कोई चारा नहीं था और यही उसके लिए सही था,,,,,,,,,,,,,,चाय खत्म कर मुरारी बाकि सब की तरफ चला आया।

 मुन्ना ने फोन जेब में रखा और सबकी तरफ चला आया। वह अनु के बगल में आ बैठा , अनु ने उसके सामने चाय का कप रखा और उसके लिए प्लेट में नाश्ता निकाल दिया। आई बाबा सारिका शिवम् और अनु मुन्ना और काशी की शादी की तैयारियों के बारे में बात करते हुए नाश्ता करने लगे और मुरारी मुन्ना अंजलि ख़ामोशी से उन्हें सुनने लगे। मुरारी जहा उर्वशी की मौत से उदास था वही मुन्ना के मन में शक्ति का किया धोखा चल रहा था।

हालाँकि शक्ति ने मुन्ना को कोई धोखा नहीं दिया था पर उसने मुन्ना को सच से दूर रखा और यही बात मुन्ना को खल रही थी लेकिन हमेशा की तरह मुन्ना सबके सामने अपने मन का हाल बया नहीं कर सकता था।


मुन्ना अपने आप में ही खोया हुआ था तभी बाबा की आवाज मुन्ना के कानों में पड़ी वे वंश को लेकर कुछ कह रहे थे मुन्ना ने बाबा की तरफ देखा तो बाबा ने कहा,”शिवा , काशी और मुन्ना ने तो अपना जीवनसाथी खुद पसंद कर लिया पर तुमहू हमसे वादा किये रहय कि वंश के लिए जीवनसाथी हमे पसंद करने दोगे,,,,,,,!!”
बाबा के बगल में बैठे शिवम् ने बाबा के हाथ पर अपना हाथ रखा और आत्मीयता से कहा,”बाबा , क्या आपको हमारी बात पर विश्वास नहीं है ?”


“विश्वास है शिवा तभी तो कह रहे है कि हम बहुत खुश है आख़िरकार इह जिंदगी मा हमरा जे सपना तो पूरा हो ही जायेगा,,,,,,,,वंश के लिए लड़की हम पसंद करेंगे,,,,,,,आखिर हमरे घर मा एक ठो अरेंज मैरिज भी तो होनी चाहिए,,,,,,,,,,,!!”बाबा ने कहा तो सबके चेहरे ख़ुशी से खिल उठे शिवाय सारिका और मुन्ना के
सारिका नहीं चाहती थी इतनी जल्दी वंश शादी के बंधन में बंधे और उसके सपने अधूरे रहे , वही बाबा की बात सुनकर मुन्ना की आँखों के सामने निशि का चेहरा आने लगा।

वंश की भावनाओ से मुन्ना अनजान नहीं था वह जानता था कि वंश और निशि एक दूसरे को पसंद करते है लेकिन सबके सामने वह कुछ कह नहीं पाया।

अंजलि तो वंश की शादी का सुनकर ही खुश हो गयी और चहकते हुए कहा,”नानाजी ! वंश भैया के लिए ऐसी लड़की ढूंढना जो उन्हें सीधा कर दे,,,,,,,,,,,!!”
“ए अंजलि ! तुमको का हमरा वंश टेढ़ा लगता है , अरे उह तो पहिले से सीधा है बस कभी कभी गड़बड़ कर देता है , क्यों सारिका बिटिया ?”,आई ने वंश की तरफदारी करते हुए कहा
सारिका फीका सा मुस्कुराई और बाबा की तरफ देखकर कहा,”बाबा ! आप बुरा ना माने तो हम कुछ कहे ?”


“बेझिझक कहो बिटियाँ , आज से पहले कबो तुम्हरी बात का बुरा माने है,,,,,!!”,बाब ने उतने ही प्यार से कहा
 “वंश को इतनी जल्दी शादी के बंधन में नहीं बांधना चाहिए , हमारा मतलब अभी उसके कुछ सपने है जिन्हे पूरा करने वह मुंबई गया है ,, हम ये नहीं कह रहे कि वह शादी नहीं करेगा या अपनी पसंद से करेगा,,,,,,,,,,,बस हमे उसे थोड़ा वक्त देना चाहिए”,सारिका ने झिझकते हुए कहा
बाबा ने सुना तो मुस्कुराये और कहा,”हम समझते है और बेफिक्र रहो जब तक वंश नहीं चाहेगा तब तक उस पर शादी का कोई दबाव नहीं बनाएगा”


“थैंक्यू बाबा”,सारिका ने मुस्कुरा कर कहा लेकिन अगले ही पल उसे निशि की याद आयी और उसकी मुस्कुराहट गायब हो गयी वह मन ही मन कहने लगी,”शिवम् जी ने बाबा को वचन तो दे दिया कि वंश उनकी पसंद की लड़की से शादी करेगा , पर मुन्ना की सगाई में हमने वंश और निशि के बीच जो भावनाये देखी वो तो कुछ और ही बया कर रही थी , तो क्या वंश और निशि सच में एक दूसरे को पसंद करते है ? अगर ऐसा हुआ तो परेशानी हो जाएगी ?”


“सरु,,,,,,,,,,,,,,चाय ठंडी हो रही है”,सारिका को सोच में डूबा देखकर शिवम् ने कहा तो सारिका की तंद्रा टूटी और उसने चाय से भरा कप उठाकर होंठो से लगा लिया।
सबने नाश्ता किया और फिर बस में आकर बैठ गए , अगले ही पल बस रवाना हो गयी क्योकि अभी बनारस बहुत दूर था।

मुंबई , वंश का फ्लेट
“क्या तुम बिना पलकें झपकाए मेरी आँखों में देख सकती हो ?”,निशि के सामने कुर्सी पर बैठे वंश ने एकटक निशि को देखते हुए कहा
“हाह ! तुम क्या मुझे चेलेंज कर रहे हो ? मैं देख भी सकती हूँ और तुम्हे हरा भी सकती हूँ,,,,,,,!!”,निशि ने विश्वास से भरकर कहा


“तुम हारने वाली हो,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश ने निशि की कुर्सी के हत्थो को पकड़ा और उसे अपनी और खींचकर अपने पास कर लिया। वंश की इस हरकत पर निशि का दिल धड़क उठा लेकिन अपनी उसने अपनी घबराहट को अपने चेहरे पर आने नहीं दिया और कहा,”शुरू करे ?”
“व्हाई नॉट”,वंश ने कहा और इसके बाद दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हुए एक दूसरे की पलकें झपकने का इंतजार करने लगे। वंश में अगर कॉन्फिडेंस था तो निशि भी काफी स्ट्रांग थी वह एकटक वंश की आँखों में देखते रही।

निशि ने देखा वंश तो हारने का नाम ही नहीं ले रहा है तो उसने वंश की आँखों में देखते हुए अपने शर्ट का ऊपर का बटन खोल दिया। ए.सी चालू था लेकिन वह गर्मी लगने का ड्रामा कर रही थी। वंश की नजर जैसे ही पड़ी उसके माथे पर
पसीने की बुँदे उभर आयी लेकिन उसे निशि से जीतना था इसलिए उसने अपना ध्यान एक बार फिर निशि की आँखों पर टिका दिया।


वंश को भटकाने के लिए निशि ने एक और बटन खोल दिया और अब तो शर्ट के अंदर पहनी सेंडो भी दिखाई देने लगी और ये सब वंश के लिए असहज हो रहा था , निशि ने जैसे ही तीसरी बार हाथ बढ़ाया वंश ने अपनी आँखे बंद की और कहा,”ये क्या कर रही हो तुम ?”
“तुम हार चुके हो”,निशि ने अपने शर्ट को थोड़ा पीछे किया और हाथो को फैलाकर बैठते हुए कहा
“ए छिपकली तुमने चीटिंग की है समझी”,वंश ने निशि को ऊँगली दिखाते हुए कहा
निशि ने बड़े प्यार से वंश की ऊँगली को नीचे किया और कहा,”इश्क़ और जंग में सब जायज है मिस्टर चिरकुट,,,,,,,,,,!!”


वंश ने सुना तो उठा और निशि पर लगभग झुकते हुए कहा,”तो इसे मैं इश्क़ समझू या जंग,,,,,,,,,,,,!!”
वंश का यू करीब आना निशि को खामोश कर गया और उसकी धड़कने तेजी से चलने लगी , उसका गला सूखने लगा और वह कुछ बोल नहीं पायी। वंश एकटक उसकी आँखों में देखे जा रहा था और निशि बस उन आँखों में देख पा रही थी अपने लिए ढेर सारा प्यार , वंश के कपड़ो से आती परफ्यूम की सोंधी महक निशि को मदहोश कर रही थी। वंश धीरे धीरे उसके करीब आने लगा।

उसकी नजर निशि के सुर्ख गुलाबी होंठो पर पड़ी , यहाँ वह खुद को रोक नहीं पाया और उसने आँखे मुंदी और अपने होंठो को निशि के होंठो की तरफ बढ़ा दिया। उसके होंठ निशि के होंठो को छू पाते इस से पहले उसके कानों में उसके फोन की रिंग की आवाज पड़ी

 बिस्तर पर उलटे लेटे वंश ने बंद आँखों से ही अपने हाथ को बिस्तर पर यहाँ वहा घुमाया और अपना फोन उठाकर कान से लगा लिया। दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा और वंश की नींद उड़ गयी। वह उठकर बिस्तर पर बैठ गया और बात करने के बाद फोन साइड में रख दिया। कुछ देर पहले उसने जो कुछ भी महसूस किया वो बस एक प्यारा सा सपना था।

वंश बिस्तर से नीचे उतरा और अपनी टीशर्ट उठाकर उसे कंधे पर डालकर वाशबेसिन के सामने चला आया। उसने अपना मुंह धोया और शीशे में खुद को देखते हुए बालों में से हाथ निकालकर कहा,”हाह ! तो वो बस एक सपना था,,,,,,,,,,,,,,,काश वो सच होता”
वंश ने शीशे में खुश को देखा और मुस्कुरा उठा , निशि के साथ बढ़ती नजदीकियां धीरे धीरे उसे पसंद जो आने लगी थी।

Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1

Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1 Main Teri Heer – 1

Continue With Main Teri Heer – 2

Visit Website #BadalteAhasas

Follow Me On – instagram

संजना किरोड़ीवाल   

Sakinama Poetry
Sakinama Poetry by Sanjana Kirodiwal
Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

2 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!