Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 40

Main Teri Heer – 40

Main Teri Heer
Main Teri Heer

गौरी की मम्मी और मुरारी की ये दूसरी मुलाकात थी और इस बार भी दोनों की मुलाकात सही नहीं थी। बेचारा मुरारी ऐसा लगता था जैसे अपनी बुरी किस्मत को जेब में लेकर घूमता था। उस पर उसने लड़के का म्यूजिक सिस्टम भी तोड़ दिया। मुरारी ने अपने कुर्ते की बाँहे मोड़ी और अंदर जाने से पहले खुद को संयत करने लगा। लड़के को शायद म्यूजिक सिस्टम टूटने का कुछ ज्यादा ही दुःख था इसलिए वह मुरारी के सामने आया और कहा,”भैया जी आपको पता भी है कितना महंगा था हमाओ म्यूजिक सिस्टम”
“साले सुकर मनाओ तुमको नहीं तोड़े सिर्फ म्यूजिक सिस्टम तोड़े,,,,,,,,,,अबे जानते भी हो उह कौन है ? उह है मुन्ना की होने वाली सास,,,,,,,,,,साले अभी तुम्हरे चक्कर में हमरे मुन्ना का रिश्ता तो अटक जाता ना,,,,,,,,,, अब 10 मिनिट के अंदर अंदर जे ताम झाम समेटो और निकलो,,,,,,,,,,,,,वरना कही बजाने लायक नहीं छोड़ेंगे,,,,,,,,,का समझे ?”,मुरारी ने लड़के को घूरते हुए कहा
“हाँ हाँ समेट रहे है पर जे गुंडों की तरह बात काहे कर रहे हो आप ?”,लड़के ने खीजते हुए कहा
“बाबू लगता है बनारस में नए हो,,,,,,,,,,,,पुराने होते ना तो अभी हमरे कंटाप का मजा चख लिए होते,,,,,,,,,,,,,,अभी निकलो यहाँ से”,कहते हुए मुरारी वहा से चला गया। लड़के ने भी मुंह बना लिया तो उसके मालिक ने आकर कहा,”ए तुम पागल हो क्या ? जानते भी हो कौन है ? बनारस के विधायक है उह”
“है नहीं थे,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने खीजते हुए कहा हालाँकि तब तक मुरारी वहा से जा चुका था। आदमी ने लड़के को जाकर काम करने को कहा तो लड़का वहा से चला गया।

गौरी की मम्मी जय को साथ लेकर अंदर आयी। गौरी ने जैसे ही अपनी मम्मी को देखा आकर उसने गले लग गयी और कहा,”ओह्ह्ह मम्मा मैंने आपको बहुत मिस किया”
“चल झूठी इतने दिनों में एक भी फोन किया तुमने ?”,गौरी की मम्मी ने प्यार से गौरी का कान खींचते हुए कहा
गौरी की मम्मी की बात सुनकर सब हंस पड़े। गौरी की मम्मी आकर सबके साथ बैठी और जय मुन्ना के बगल में आकर खड़ा हो गया और मुन्ना को कोहनी मारकर फुसफुसाते हुए कहा,”पक्का मेरी बहन ने कोई जादू टोटका किया होगा तुम पर इसलिए तुमने शादी के लिए हाँ कह दी ना”
“ऐसा कुछ भी नहीं है तुम्हारी बहन बहुत अच्छी है”,मुन्ना भी सामने देखते हुए बड़बड़ाया
“हाँ वो तो बाद में पता चल ही जायेगा,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए जय गौरी की तरफ चला गया। मुन्ना मुस्कुरा उठा क्योकि जय गौरी की तरह ही था शैतान। घर के सभी बड़े हॉल में बैठे थे बाकि सब अंदर चले गए। मुन्ना को शिवम् ने वही रोक लिया और गौरी की मम्मी की ओर मुखातिब होकर कहा,”नमस्ते बहन जी , आपको आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई”
“नहीं , सफर बहुत अच्छा रहा”,गौरी की मम्मी ने शिवम् से कहा
“गौरी ने आपको बताया होगा हमने आपको यहाँ क्यों बुलाया है ? दरअसल गौरी और मुन्ना दोनों एक दूसरे को पसंद करते है। दोनों बच्चो की ख़ुशी को देखते हुए हम चाहते है की इनका रिश्ता तय कर दिया जाये। वैसे गौरी हम सभी को बहुत पसदं है बस आपकी रजामंदी चाहिए थी , अगर आपको भी इस रिश्ते से कोई ऐतराज ना हो तो हमे ख़ुशी होगी”,शिवम् ने सहजता से कहा
गौरी की मम्मी ने सूना तो ख़ुशी से खिल उठी और कहा,”लीजिये इसमें रजामंदी की क्या बात है ? मुझे तो मान पहले दिन से पंसद है , हमारी गौरी थोड़ी चंचल है उसे मान जैसा लड़का ही सम्हाल सकता है। मैं तो खुद इन दोनों के लिए काशी के नाना जी से बात करने वाली थी,,,,,,,,,,,,,,,मुझे बहुत ख़ुशी होगी अगर मान और गौरी साथ रहे”
गौरी की मम्मी की बात सुनकर सबके चेहरे खुशी से खिल उठे। शिवम् ने सारिका की तरफ देखा तो सारिका भी मुस्कुरा उठी और दीना से मिठाई लाने को कहा ताकि सबका मुंह मीठा करवा सके। गौरी की मम्मी अनु से मिली सारिका से मिली , उन सबसे मिलकर उन्हें बहुत अच्छा लगा और ये जानकर भी तसल्ली मिली की उनकी बेटी शादी के बाद एक अच्छे घर में आने वाली है। अधिराज जी और अम्बिका जी भी इस रिश्ते से बहुत खुश थे। कुछ देर बाद मुरारी जैसे ही अंदर आया शिवम् ने गौरी की मम्मी से कहा,”इनसे मिलिए ये हमारे छोटे भाई मुरारी है , मुन्ना इनका बेटा है”
“इन्हे कौन नहीं जानता ? बनारस के विधायक रहे है ये,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी की मम्मी ने कहा और प्लेट से मिठाई का टुकड़ा उठाकर मुरारी की तरफ आकर उसे मिठाई खिलाते हुए कहा,”मुबारक हो समधी जी,,,,,,,,,,,!!”
बेचारा मुरारी कुछ देर पहले बाहर जो हुआ था उस से अभी तक परेशान था की गौरी की मम्मी ने अपनी हाथ से उसे मिठाई खिलाकर और परेशान कर दिया
“का रिश्ता पक्का हो गया का ?”,मुरारी ने गौरी की मम्मी के सामने से हटकर सबके बीच आते हुए कहा।
“हाँ मुरारी गौरी की मम्मी ने रजामंदी दे दी है अब तुम बताओ कब बजवाये मुन्ना का बेंड ?”,बाबा ने कहा
“अरे बाबा हम का बताये मुन्ना से ही पूछ लीजिये”,मुरारी ने बैठते हुए कहा मुन्ना ने सुना तो शरमाकर वहा से बाहर चला गया
“बाबा इस साल अब सगाई और शादी के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है , अब तो एकादशी के बाद ही सब होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ अंगूठी की अदला बदली कर कुछ शगुन दे सकते है दोनों को,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा
“हां दामाद जी ये सही रहेगा फिर अभी इन बच्चो की पढाई और नौकरी भी बाकि है तो पहले ये सब आराम से सेटल हो जाये उसके बाद कर लेंगे शादी,,,,,,,,,,,,,सही रहेगा ना ?”,अधिराज जी ने कहा
“हाँ पापा जैसा आप कहे”,शिवम् ने कहा तो मुरारी ने भी हामी भर दी। गौरी की मम्मी ने सूना तो कहा,”मैं कुछ कहना चाहती हूँ”
“हाँ बेटा कहो”,अधिराज जी ने कहा
“मैं चाहती हूँ मान और गौरी की सगाई इंदौर में हो , मेरे कुछ रिश्तेदार और मेहमान है जो इस सगाई में शामिल होना चाहेंगे। अगर आप सभी को ऐतराज ना हो तो”,गौरी की मम्मी ने कहा
शिवम् ने मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी ने कहा,”अरे भैया हमे का देख रहे हो जैसा आपको ठीक लगे”
शिवम् ने बाबा की तरफ देखा तो बाबा ने कहा,”अरे शिवा इतना का सोचना , सगाई इंदौर में हो तो भी का दिक्कत है इसी बहाने हम सब भी इंदौर चले जायेंगे और कुछ वक्त समधी जी के साथ बिताएंगे,,,,,,,,,,,,,,,क्यों अधिराज जी ?”,बाबा ने कहा
“आपने तो हमारे मुंह की बात छीन ली , तो तय रहा मुन्ना और गौरी की सगाई दीपावली के बाद एकादशी को इंदौर में ही होगी”,अधिराज जी ने कहा
“हाँ तब तक मुन्ना इंदौर में रहकर अपने प्रोजेक्ट के लिए नौकरी भी कर लेगा”,मुरारी ने कहा
“सरु इन्हे घर दिखाईये तब तक हम मुरारी से कुछ बात कर लेते है”,शिवम् ने उठते हुए कहा और मुरारी के साथ वहा से चला गया। सारिका और अनु गौरी की मम्मी के साथ अंदर चली गयी और उनकी खातिरदारी में लग गयी। जय तो अकेले ही पूरा घर घूमकर आ चुका था जैसे ही वह वंश के कमरे में आया उसकी नजर वंश के विडिओ गेम पर पड़ी और वह अंदर चला आया। जय ने देखा ये नया विडिओ गेम था जिसे लेने के लिए वो कब से अपनी पॉकेट मनी बचा रहा था। वह वही बैठकर खेलने लगा। अकेले खेलने में उसे मजा नहीं आ रहा था। घूमते घामते निशि जब वहा आयी तो उसने कहा,”हेलो दीदी”
“हाय”,निशि ने कहा
“मेरे साथ एक गेम खेलोगी प्लीज ?”,जय ने पूछा
“व्हाई नॉट , वैसे तुम चिरकुट के कमरे में क्या कर रहे हो ?”,निशि ने अंदर आते हुए पूछा
“उसे छोडो तुम बताओ तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?”,दरवाजे पर खड़े वंश ने कहा निशि ने जैसे ही वंश की आवाज सुनी उसकी तो सांसे ही अटक गयी। जय समझ गया की ये ही चिरकुट,,,,,,,,,,,,,,,,आई मीन वंश था और ये कमरा भी उसी का ही था। उसने जैसे ही गेम रिमोट रखा वंश ने कहा,”अरे बेटा यू कैरी ऑन,,,,,,,,,,,,,,और आप मोहतरमा , आप जरा बाहर आएगी”
वंश की बात सुनकर निशि ने पहले तो अपना सर पीटा और फिर बाहर चली आयी। वंश अपने कमरे की दिवार से पीठ लगाए खड़ा था , जैसे ही निशि आयी उसने निशि को छत पर आने का इशारा किया। गर्मियों के दिन और उस पर इतनी धूप में निशि को ऊपर आना पड़ा। लेकिन शिवम् के घर की बनावट कुछ ऐसी थी की छत के अधिकांश हिस्सों पर छाया थी। वंश आकर छत पर पड़े तख़्त पर बैठ गया और निशि से भी बैठने का इशारा किया। निशि आकर कुछ दूरी बनाकर उसके बगल में बैठ गयी। वंश कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”तुमने बनारस घुमा ?”
“हाँ काशी दी और उनकी दोस्तों के साथ उस दिन घुमा तो था”,निशि ने कहा
“मेरा मतलब तुमने सारे घाट नहीं देखे होंगे ना ?”,वंश ने पूछा
“उस दिन नाव से सब देखा था , काशी के फियोंसी ने बताया की अगर एक एक देखेंगे तो एक हफ्ता लग जाएगा इसलिए नाव् से देखा”,निशि ने प्यार से कहा
“ओह्ह्ह्ह वैसे तुमने BHU नहीं देखा होगा ना , मेरा कॉलेज ?”,वंश ने एकदम से पूछा
“मैं तुम्हारा कॉलेज देखकर क्या करुँगी ? मुझे वहा एडमिशन थोड़े लेना है,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे तुम जो पूछना चाहते हो डायरेक्ट पूछ सकते हो इतना घुमा फिरा के पूछने की जरूरत नहीं है”,निशि ने वंश की बातो को समझते हुए कहा
“ऐसा कुछ नहीं है मैं बस ये पूछना चाह रहा था की ‘क्या तुम कल सच में चली जाओगी ?”,वंश ने मासूमियत से पूछा। निशि वंश की तरफ देखने लगी तो वंश सामने देखने लगा और कहा,”मतलब मैं बस पूछ रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ वैसे भी काफी दिन हो चुके है यहाँ और मुझे अपनी क्लासेज भी ज्वाइन करनी है तो जाना पडेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे तुम्हारे लिए अच्छा हो जाएगा , मेरे जाने के बाद कोई तुम्हे परेशान नहीं करेगा”,निशि ने उठते हुए कहा और जाने लगी
“हाँ इसलिए तो मैं पूछ रहा था , तुम चली जाओगी तो मैं अपने घर में चैन से रहूंगा बिना किसी परेशानी के,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा लेकिन उसके चेहरे के भाव उसकी बातो से मैच नहीं हो रहे थे।
निशि ने सूना तो वह पलटी और कहा,”वंश तुम्हे किसी ने बताया नहीं क्या ?”
पहली बार निशि ने वंश को उसके नाम से पुकारा था वरना हमेशा वह उसे चिरकुट ही कहकर बुलाती थी
“क्या ?”,वंश ने उसकी ओर देखकर धीरे से कहा
“यही की जब तुम झूठ बोलते हो तो तुम्हारे एक्सप्रेशन तुम्हारे झूठ से मैच नहीं करते”,निशि ने कहा वह एकटक उसे देखने लगा। कुछ देर बाद निशि वहा से चली गयी वंश वही बैठा उसके बारे में सोचने लगा। जबसे उसने सूना था निशि वापस मुंबई जा रही है ना तो उसे निशि पर गुस्सा आ रहा था ना ही उस से कोई चिढ हो रही थी उलटा उसका मन अजीब सी बेचैनी से घिरा हुआ था। वह काफी देर तक वही बैठा रहा और फिर अपने कमरे में चला आया। उसे देखकर जय ने कहा,”हे भैया आओ ना एक गेम खेलते है”
वंश जब भी उदास होता था वह विडिओ गेम ही खेला करता था वह आकर जय के साथ गेम खेलने लगा।

अनु चाहती थी की गौरी , उसका भाई और गौरी की मम्मी उनके घर भी आये। गौरी की मम्मी ने भी हामी भर दी ताकि वो भी गौरी के होने वाले ससुराल को देख सके। अनु ने निशि , काशी , ऋतू और प्रिया को भी साथ चलने को कहा। अधिराज जी और अम्बिका जी सगाई के बाद से अनु के घर ही थे इसलिए वे शिवम् के यहाँ रुक गए ताकि सारिका के साथ थोड़ा वक्त बिता सके।
सभी मुरारी के घर के लिए निकल गए। एक गाड़ी में सभी बच्चे थे तो दूसरी में अनु , मुरारी , गौरी की मम्मी और जय,,,,,,,,,,,,,,,,,,वंश ने आने से मना कर दिया और नीचे सारिका के पास चला आया। सारिका अम्बिका जी के साथ अपने कमरे में बैठी बातें कर रही थी। वंश आया और सारिका के पास बिस्तर पर उलटा लेट गया। सारिका ने वंश का उतरा हुआ चेहरा देखा तो प्यार से अपना हाथ उसके सर पर फेरते हुए कहा,”वंश क्या हुआ बेटा ?”
“माँ मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है”,वंश ने कहा
“और तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है ? अच्छा समझी कल सब वापस चले जायेंगे इसलिए तुम उदास हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे कुछ दिन बाद तुम भी तो वापस मुंबई जा रहे हो , हमने नवीन से बात की है इस बार तुम्हे उनके घर नहीं रुकना पडेगा। उसने कहा है वो तुम्हारे लिए एक फ्लैट बुक कर देगा जिसमे सारी सुविधाएं होंगी ताकि तुम्हे परेशान ना होना पड़े”,सारिका ने उसके बालों में अपनी उंगलिया घुमाते हुए कहा वंश ने जब सूना की अब वो नवीन के घर नहीं रहेगा तो उसे और अजीब लगने लगा। वह पहले से ज्यादा अपसेट हो गया और तकिये में मुँह छुपाकर लेटे रहा।
अम्बिका ने देखा तो कहा,”अरे ऐसे लड़कियों की तरह तकिये में मुँह क्यों छुपाया है ? आज शाम तुम्हारे मुन्ना भैया और गौरी महादेव् के मंदिर में अपनी अँगूठिया बदलने वाले है , तुम्हे अपने भाई के साथ होना चाहिए”
अम्बिका जी की बात सुनकर वंश ने एकदम से गर्दन उठायी और मन ही मन कहा,”ओह्ह्ह्हह इन सब चक्करो में मैं मुन्ना को कैसे भूल गया ? मुझे उसके साथ होना चाहिए कही उसे ये ना लगने लगे की मैं इन सब से खुश नहीं हूँ”
“माँ मैं मुन्ना के पास जा रहा हूँ”,कहते हुए वंश उठा और कमरे से चला गया
“पगला मुन्ना में तो इसकी जान बसती है”,अम्बिका जी ने मुस्कुराते हुए कहा तो सारिका भी मुस्कुरा उठी।
सभी मुरारी के घर पहुंचे। अनु ने सबकी खूब आवभगत की और फिर गौरी की मम्मी को अपना घर दिखाने लगी। मुरारी तो ये सोचकर परेशान था की गौरी की मम्मी जिनसे मुरारी की दो बार सिर्फ झड़प हुई है वो इतना शांत कैसे है ? काशी , निशि और उसकी दोस्त बाहर बरामदे में चली आयी। मुन्ना और गौरी अनु और गौरी की मम्मी के साथ साथ ही घूम रहे थे। जब घर देखते हुए चारो ऊपर आये तो दोनों मम्मियों से नजरे बचाकर गौरी ने मुन्ना का हाथ पकड़ा और उसे लेकर उसके कमरे में चली आयी
“ये क्या कर रही हो तुम ? वो लोग क्या सोचेंगे ?”,मुन्ना ने हैरानी से कहा
“कुछ नहीं सोचेंगे वो दोनों घर देखने में बिजी है और तुम मिस्टर मानवेन्द्र मिश्रा ये भाव खाना बंद करो आज शाम में हमारा रिश्ता तय होने वाला है,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी मुन्ना की तरफ बढ़ी तो मुन्ना पीछे खिसक गया और उसकी पीठ दिवार से जा लगी। गौरी बिल्कुल उसके सामने थी और उसका दिल बहुत तेज धड़क रहा था। गौरी प्यार से उसे देखते रही और फिर उसके थोड़ा करीब आकर कहा,”वैसे तुम बड़े अजीब इंसान हो , जिस से तुम प्यार करते हो वो तुम्हारे सामने है और तुम दूर दूर भागते हो , कल सुबह मैं वापस इंदौर चली जाउंगी और घरवाले कह रहे है की आने वाले 6 महीनो में हमारी शादी और सगाई की कोई डेट नहीं है,,,,,,,,,,,,,तुम्हे नहीं लगता जाने से पहले तुम्हे मुझे एक स्पेशल थेंक्स बोलना चाहिए”
“थैंक्स किसलिए ? और वैसे अच्छा है ना 6 महीने है इस बीच सोचने के लिए थोड़ा और टाइम मिल जाएगा”,मुन्ना ने कहा
“यू,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे अब भी सोचने की जरूरत है,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारा खून कर दूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,तुम बहुत बुरे,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी मुन्ना से नाराज होकर जैसे ही जाने लगी मुन्ना ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर किया और उसकी कमर को अपनी बांहो में भरकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”कर दो खून,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद भी हम तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगे,,,,,,,,,,,,,और सोचने का टाइम इसलिए ताकि इन 6 महीनो में हम तुम्हे ये दिखा सके की हम तुमसे कितना प्यार करते है”
“तुम्हारी इन्ही बातो की वजह से मैं तुम पर गुस्सा नहीं कर पाती,,,,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने कहा तो मुन्ना ने उसका सर अपने होंठो से छूकर कहा,”तुम्हे हम पर जितना गुस्सा करना हो करना , हमसे झगड़ना हो झगड़ना , चिल्लाना हो चिल्लाना बस कभी हमसे दूर मत जाना,,,,,,,,,,,!!”
गौरी ने सूना तो अपने होंठो को मुन्ना के होंठो की तरफ बढ़ा दिया। मुन्ना की धड़कने फिर तेज हो गयी और उसने अपनी आँखे मूंद ली। गौरी के होंठो ने मुन्ना के होंठो को अभी छुआ भी नहीं था की वंश कमरे में आया और फिर अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए पलटकर कहा,”ए तूम लोगो को अकल नहीं है क्या ऐसे दरवाजा खोलकर,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी ने वंश को वहा देखा तो वह मुन्ना से दूर हट गयी। मुन्ना वंश की तरफ आया और कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं है वो बस,,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा ये बता सुबह से तू कहा गायब था ?”
“वो तेरी शादी होने वाली है ना तो तुझसे दूर रहने की आदत डाल रहा हूँ”,वंश ने मुन्ना के गले लगते हुए कहा और मुंह बनाकर गौरी को चिढ़ाया।
“अभी नहीं हो रही है और तेरी जगह कोई नहीं ले सकता,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
“मैंने सोचा नहीं था तुम मेरी सौतन बन जाओगे”,गौरी ने वंश के सर पर चपत लगाते हुए कहा और वहा से भाग गयी।
“तुम्हे तो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश भी उसके पीछे भागा मुन्ना उन दोनों को देखकर मुस्कुरा उठा।

वंश गौरी के पीछे भागते हुए नीचे आया। दोनों पुरे घर में दौड़ रहे थे। दौड़ते हुए गौरी बाहर लॉन की तरफ चली आयी। मुरारी भी परेशान सा वही लॉन में घूम रहा था की गौरी को शरारत सूझी और उसने अपना पैर बीच में कर दिया। वंश उलझा और सीधा जा गिरा मुरारी के अंदर लेकिन मुरारी ने उसे सम्हाल लिया।
“वाह ससुर जी क्या पोज है”,गौरी ने उन दोनों को साथ देखकर कहा तो मुरारी की नजर एकदम से गौरी के पीछे खड़ी उसकी मम्मी पर चली गयी जो की मुरारी से बात करने आयी थी लेकिन उसे ऐसी हालत में देखकर वही रुक गयी। मुरारी ने एकदम से वंश को छोड़ दिया और बेचारा निचे जा गिरा उसे देखकर गौरी हॅसने लगी तो वंश उठकर फिर उसके पीछे दौड़ पड़ा। गौरी की मम्मी भी वहा से जाने लगी तो मुरारी ने कहा,”नंदिता जी सुनिए”
गौरी की मम्मी का नाम नंदिता है और ये नाम मुरारी को आज भी याद था। गौरी की मम्मी रुक गयी तो मुरारी उसकी ओर आया और कहा,”माफ़ कीजियेगा उह बच्चे थोड़ा शैतानी कर रहे थे उसी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
“बचपना तो आप में भी कम नहीं है”,नंदिता ने सहजता से कहा
“वो हमे आपसे कुछो बात करनी थी”,मुरारी ने हिम्मत करके कहा
“हम्म्म कहिये”,नंदिता मुरारी की तरफ पलट गयी
“उह हम जे कह रहे थे की आप तो हमे पहले से ही जानती है और का है उह बख्त नयी नयी विधायकी मिली थी हमे तो थोड़ा गरमा गए थे आपके सामने , वैसे हम लेडीज की बहुते इज्जत करते है। उस दिन के बाद हमने सोचा नहीं था आपसे फिर मुलाक़ात होगी और इतने सालों बाद हम मिले भी तो ऐसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,सबसे पहले तो आज सुबह के लिए माफ़ी चाहते है। हम बस जे कहना चाहते है की हमारी वजह से गौरी और मुन्ना के रिश्ते पर कोनो शक ना करना। का है की उनका प्यार बिल्कुल हमरे शिवम् भैया और सारिका भाभी जैसा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दोनों एक दूसरे को बहुते पसंद करते साथ में रहेंगे तो खुश रहेंगे”,मुरारी ने कहा
नंदिता कुछ देर उसे देखते रही और फिर कहा,”आपका बेटा बहुत काबिल और समझदार है इसलिए मैंने उसे अपनी बेटी के लिए चुना , उस दिन मुझे भी इतना हायपर नहीं होना चाहिए था , लोगो की बाते सुनकर मैंने आपको जज कर लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों ना मुझे बीती बातो जो भूलकर आगे बढ़ा जाए। हमारे बच्चो की ख़ुशी के लिए मैं वो झगड़ा भूलने को तैयार हूँ विधायक जी”
कहते हुए नंदिता मुस्कुरा उठी मुरारी के सीने का बोझ हल्का हो गया और उसने कहा,”अरे अब कहा विधायक रहे है हम , अब आम आदमी है आप सबकी तरह ,,,,,,,,चलिए अंगूठी रस्म के लिए मंदिर जाने की तैयारी करते है”
नंदिता और मुरारी दोनों वहा से चले गए।

शिवम् और उसके घरवाले तैयार होकर महादेव के मंदिर के लिए निकल गए। वही मुरारी भी सबके साथ मंदिर के लिए निकल गया। मुन्ना ने सफ़ेद रंग का कुरता पजामा पहना था। गौरी ने क्रीम कलर की रेड बॉर्डर वाली बनारसी साड़ी पहनी थी। गौरी बहुत सुंदर लगी थी मुन्ना की तो उस पर से नजर नहीं हट रही थी। वंश भी कुरता पजामा पहनकर आया तो अनु ने कहा,”अरे वंश तुमने भी कुर्ता पजामा पहना है लेकिन आज तो गौरी और मुन्ना के लिए पूजा रखवाई है ना”
“अनु मौसी मान लो लास्ट मोमेंट पर मुन्ना गौरी को ना बोल दे तो मैं हूँ ना मैं कर लूंगा”,वंश ने मुन्ना और गौरी को छेड़ते हुए कहा
“ए तुम्हारी होने वाली भाभी है”,मुन्ना ने धीरे से कहा
“ओहो क्या बात है मानवेंद्र मिश्रा अभी से पजेसिव हुआ जा रहा है भाभी के लिए,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने भी फुसफुसाते हुए कहा
“चलो सभी मंदिर चलो”,पीछे से बाबा ने बाकि घरवालों के साथ आते हुए कहा और फिर सभी मंदिर की ओर बढ़ गए। वंश भी मुन्ना और गौरी के साथ आगे बढ़ गया निशि भी काशी के साथ चल पड़ी। वंश जान बूझकर निशि के सामने जाने से बच रहा था , निशि को देखते ही आज से बेचैनी सी हो रही थी और सुबह से एक बार भी उसने निशि से झगड़ा नहीं किया था। सभी महादेव के मंदिर चले आये। मंदिर के पंडित जी ने पूजा की और दोनों से अपनी अँगूठिया बदलने को कहा। दोनों ने अपनी अपनी अंगूठी बदली ऐसा करते हुए मुन्ना बस एकटक गौरी को देखे जा रहा था और गौरी खिलखिला रही थी। जिस से प्यार करो जब वही हमारा हमसफ़र बनने वाला हो तो एक अलग ही लेवल की ख़ुशी होती है। सूरज अस्त होने जा रहा था। बाबा चाहते थे सब गंगा माँ की आरती देखकर ही घर जाए। आई बाबा अधिराज जी और अम्बिका जी सीढ़ियों पर एक तरफ आकर बैठ गए। शिवम और सारिका भी उनके साथ आ बैठे। काशी , ऋतू , प्रिया , गौरी और मुन्ना वहा से दूसरी तरफ जाकर खड़े हो गए। वंश किसी के साथ फोन पर लगा था जब उसने निशि को सीढ़ियों पर अकेले खड़े देखा तो बात करते करते उसके पास से निकला और अपने कंधे से उसका कंधा टकरा कर उसे अपने साथ आने का इशारा किया। निशि वंश के साथ चली आयी। घाट के सामने ही नौकाए लगती थी जहा से गंगा की आरती का नजारा और भी खूबसूरत लगता था। वंश एक नाव में चढ़ा और निशि को आने को कहा लेकिन निशि डर रही थी। वंश ने देखा तो उसने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया निशि ने जैसे ही वंश का हाथ थामा एक सिहरन सी वंश के पुरे बदन में दौड़ गयी। वंश का हाथ थामे निशि जैसे ही नाव में आयी नाव को एक झटका लगा और निशि सीधा वंश की बांहो में आ गिरी , दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे। दूर खड़े मुन्ना की नजर उन दोनों पर पड़ी तो उसे हैरानी हुई की वंश निशि के साथ क्या कर रहा है ?
“क्या तुम भी वही देख रहे हो जो मैं देख रही हूँ ?”,गौरी ने मुन्ना के कंधे पर अपनी कोहनी टिकाते हुए पूछा मुन्ना ने गर्दन घुमाकर अपने कंधे को देखा तो गौरी ने अपनी कोहनी हटाई और झेंपते हुए कहा,”सॉरी,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने सूना तो गौरी के कंधे पर अपनी कोहनी टिकाकर सामने देखते हुए कहा,”हमने इन दोनों को जब भी देखा झगड़ते देखा पर आज तो नजारा कुछ और है , ये वंश इतना कैसे सुधर गया ?”
“प्यार में बड़े बड़े सुधर जाते है फिर वंश तो इतना अच्छा है उसे तो सुधारना ही था,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“हमे नहीं लगता वो इतनी जल्दी सुधरेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम्म्म्म”,कहते हुए मुन्ना ने गौरी सामने देखने का इशारा कीया और वहा से चला गया। गौरी ने देखा वंश और निशि एक दूसरे से झगड़ रहे थे और फिर दूर दूर जाकर खड़े हो गए।

गौरी की मम्मी मंदिर में थी , वे पंडित जी से कुछ बात कर रही थी। मुरारी भी उनके लिए वही रुक गया। गौरी की मम्मी पंडित जी से मिलकर मुरारी की तरफ आयी तो मुरारी ने कहा,”अब आप यहाँ आ गयी है तो बनारस की गंगा आरती देखकर जाईये”
“जरूर,,,,,,,,,,आईये चलते है”,गौरी की मम्मी ने कहा और मुरारी के साथ बाहर चली आयी। मंदिर के बाहर ही सीढ़ियों पर मुरारी की पार्टी के कुछ लोग थे जैसे ही उन्होंने मुरारी को देखा वही नारे लगाना शुरू कर दिया – मुरारी भैया जिंदाबाद , मुरारी भैया जिंदाबाद,,,,,,,,,!!
पार्टी के कार्यकर्ताओ के नारे सुनकर वहा खड़े लोग भी उनमें शामिल हो गए आखिरकार मुरारी कुमार मिश्रा थे तो उनके पुराने विधायक ही,,,,,,,!!
“आप तो कह रहे थे आप बनारस के विधायक नहीं रहे”,गौरी की मम्मी ने मुरारी के लिए लगाए जाने वाले नारे सुनकर कहा
मुरारी ने गौरी की मम्मी की तरफ देखा और कहा,”बनारस में भौकाल है हमारा”
गौरी की मम्मी ने सूना तो महसूस किया की मुरारी के बात करने का अंदाज आज भी वही है , वे मुस्कुराये बिना ना रह सकी और मुरारी अपनी जेब से चश्मा निकालकर आँखों पर लगाते हुए आगे बढ़ गया।
सभी माँ गंगा की आरती में शामिल हो गए। वंश और निशि सबसे अलग थलग सामने नाव पर खड़े थे वो भी एक दूसरे से दूर,,,,,,,,,,,,,,,नाव पर भीड़ बढ़ने की वजह से दोनों फिर पास पास आ गए। निशि ख़ामोशी से माँ गंगा की आरती देख रही थी और वंश उसकी नजरे ना चाहते हुए भी निशि पर चली जाती। उसका मन अभी भी बैचैन ही था , ये सब क्या था ? क्यों था ? वंश नहीं समझ पा रहा था। गौरी और मुन्ना साथ साथ खड़े थे , उनके हाथ में जलता दीपक था और दोनों साथ में बहुत प्यारे लग रहे थे। काशी अपनी दोस्तों के साथ सारिका के पास चली आयी। गौरी की मम्मी भी अनु के साथ खड़े होकर माँ गंगा की आरती देखने लगी। सब खुश थे और सब अच्छा हो रहा था। आरती के बाद मुन्ना और गौरी ने साथ साथ गंगा में अपने दीप प्रवाहित किये गंगा आरती के बाद सभी घर के लिए निकल गए। घर आकर सबने साथ में खाना खाया खाना खाकर सभी हॉल में आ बैठे और बातें करने लगे। निशि की कल सुबह मुंबई के लिए फ्लाइट थी इसलिए वह अपना बैग पैक करने अपने कमरे में चली गयी। सारिका उसकी मदद करने उसके साथ चली आयी। वंश सबके साथ ना ऊपर छत पर चला आया। घर में सबके होते हुए भी वह अकेला महसूस कर रहा था। वंश दिवार के पास खड़े होकर किसी सोच में डूबा था , मुन्ना ने जब वंश को नीचे नहीं देखा तो ऊपर चला आया। वंश को अकेले खड़े देखकर मुन्ना उसके पास आया और कहा,”तू यहाँ क्या कर रहा है ?”
“कुछ नहीं बस ऐसे ही नीचे घर के सब बड़े है तो ऊपर चला आया”,वंश ने कहा
“अच्छा देख आज शाम की तस्वीरें कितनी अच्छी आयी है”,मुन्ना ने वंश की तरफ अपना फोन बढाकर कहा। वंश उसका फोन लेकर तस्वीरें देखने लगा। सभी घरवालों के साथ साथ मुन्ना और गौरी की भी तस्वीरें थी। एक तस्वीर बड़ी प्यारी थी जिसमे मुन्ना और गौरी साथ साथ गंगा में दीपक प्रवाहित कर रहे थे। वंश उस तस्वीर को देखकर मुस्कुरा उठा और कहा,”तुम दोनों साथ में बहुत प्यारे लग रहे हो”
कहते हुए उसने जैसे ही अगली तस्वीर निकाली उसकी नजर स्क्रीन पर रूक सी गयी , उसकी ऊँगली भी स्क्रीन पर थमी रही। अगली तस्वीर वंश की थी और उसके बगल में खड़ी निशि उसे बड़े प्यार से देख रही थी। वंश उस तस्वीर को देखता रहा , मुन्ना ने उसे तस्वीर में खोये देखा तो खाँसने का नाटक किया तो वंश की तंद्रा टूटी उसने फोन मुन्ना की तरफ बढाकर कहा,”सब अच्छी है”
“ए तू ठीक है ना ?”,मुन्ना ने पूछा
“मुझे क्या हुआ है ? मैं बिल्कुल ठीक हूँ हम्म्म्म देखो”,वंश ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा
“तू ठीक नहीं है वंश,,,,,,,,,,,,,,,अब बता क्या हुआ ?”,मुन्ना ने पूछा तो वंश सामने पड़े तख्ते पर आकर लेट गया और कहने लगा,”हम सब कितनी जल्दी बड़े हो गए ना मुन्ना। काशी की सगाई हो गयी , तुम्हे गौरी मिल गयी , और मैं अपने सपने पुरे करने मुंबई चला जाऊंगा। सब कितनी जल्दी हो रहा है ना”
“हाँ , वैसे तू हमारे और गौरी के रिश्ते से खुश है ना ?”,मुन्ना ने उसके बगल में लेटते हुए पूछा
”अरे हाँ ! मुन्ना गौरी तुम्हारे लिए सही है मेरे साथ जो कभी खुश नहीं रहती , और तू इस बात को लेकर बार बार मत सोच गौरी मेरी होने वाली भाभी है और तू उसका ख्याल रखना समझा,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“वो तो हम रख लेंगे पर हम सोच रहे है कोई तुम्हारा ख्याल रखने वाली भी अब होनी चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,जो तुझे थोड़ा सुधार सके”,मुन्ना ने कहा तो वंश ने गर्दन मुन्ना की तरफ घुमाई और कहा,”तुम्हारा मतलब मैं बिगड़ा हुआ हु ?”
“हम्म थोड़ा सा,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने शरारत से कहा तो वंश उस पर टूट पड़ा दोनों भाई एक दूसरे से हंसी मजाक करते हुए उलझे हुए थे। निशि वंश से बात करने ऊपर आयी थी लेकिन जब वंश और मुन्ना को साथ देखा तो वापस नीचे चली आयी। निशि अपने कमरे में आयी रात के 10 बज रहे थे। उसने अपने बैग जमा लिए सारिका ने नवीन और उसकी पत्नी के लिए कुछ तोहफे दिए जिन्हे निशि ने अपने बैग में रख लिया। खिड़की के पास खड़ी निशि बाहर आसमान में चमकते चाँद को देख रही थी। गौरी ऊपर छत पर चली आयी और बैठकर वंश मुन्ना से बाते करने लगी। वंश गौरी को अपने और मुन्ना के बचपन के किस्से सूना रहा था जिन्हे सुनकर गौरी खूब हंस रही थी। कुछ वक्त बाद वंश उन दोनों को अकेले छोड़कर अपने कमरे में चला आया। कमरे में आते ही बेचैनी और उदासी ने उसे फिर से घेर लिया। उसने कपडे बदले और शीशे के सामने आया तो नजर उस पर लिखे शब्दों पर गयी जिसे निशि ने लिखा था “आई थिंक यू आर क्यूट चिरकुट”
“पहले जब तुम इस नाम से बुलाती थी तो मैं चिढ जाता था पर अब ये नाम अच्छा लगने लगा है”,वंश ने शीशे को छूते हुए खुद से कहा और फिर खिड़की की तरफ चला आया। खिड़की के पास खड़ा वह बाहर चमकते चाँद को देखने लगा। वंश के कमरे के जस्ट नीचे गेस्ट रूम था जिसमे निशि थी और वह भी अपने कमरे अपने कमरे की खिड़की से चाँद को देख रही थी।
गौरी मुन्ना की बांहो में सिमटी आसमान में चमकते उस चाँद को देखते हुए बातें कर रही थी। देर रात सभी सोने चले गए मुन्ना और गौरी को छोड़कर क्योकि उन दोनों के पास एक दूसरे से करने के लिए इतनी सारी बाते थी की रात से सुबह हो गयी। सुबह के 5 बजे जब गौरी को उबासी आने लगी तो मुन्ना ने उस से नीचे चलने को कहा।
अधिराज जी , अम्बिका जी , ऋतू , प्रिया , काशी , गौरी और गौरी की फॅमिली को भी सुबह सुबह ही निकलना था। शिवम् ने उन सबकी भी फ्लाइट की टिकट करवा दी ताकि उन्हें जाने में किसी तरह की परेशानी ना हो। वही निशि की भी फ्लाइट सुबह की थी। 7 बजे तक सभी अपने अपने सामान के साथ तैयार थे। सबको एयरपोर्ट छोड़ने शिवम् , मुरारी और मुन्ना जा रहे थे। मुन्ना की गाड़ी में गौरी , काशी और उनकी दोस्त आ बैठी। शिवम् के साथ मुरारी , अधिराज जी , अम्बिका जी , नंदिता और जय। शिवम् अपनी गाड़ी लेकर निकल गया मुन्ना अब भी किसी का इंतजार कर रहा था। उसे देखकर गौरी ने कहा,”हम किसके लिए रुके है ?”
“निशि आने वाली है बड़े पापा ने कहा है उसे भी एयरपोर्ट छोड़ना है”,मुन्ना ने कहा
निशि अंदर थी जाने से पहले वह वंश से मिलना चाहती थी। जिन फीलिंग्स से वंश गुजर रहा था उनसे निशि भी गुजर रही थी। उसका सामान दीना ने गाड़ी में रख दिया। निशि वंश से मिलने ऊपर चली आयी। जब वह वंश के कमरे में आयी तो देखा की वंश सो रहा है। निशि ने धड़कते दिल के साथ वंश का कंधा थपथपाया लेकिन वंश गहरी नींद में था। निशि ने एक दो बार और वंश के कंधे को थपथपाया तो वंश पलटा और धीरे से अपनी आँखे खोलकर निशि की तरफ देखा।
“मैं वापस मुंबई जा रही हूँ”,निशि ने धड़कते दिल के साथ कहा
वंश कुछ देर एकटक उसे देखता रहा और फिर तकिये में मुंह छुपाते हुए कहा,”हाँ तो जाओ और मुझे सोने दो”
निशि ने सूना तो उसे बहुत बुरा लगा वह बिना कुछ कहे नीचे चली आयी और फिर आकर गाड़ी में पीछे काशी के साथ बैठ गयी। उसके चेहरे पर उदासी थी आँखों में हल्की सी नमी उतर आयी वह खिड़की के बाहर देखने लगी। सभी एयरपोर्ट पहुँचे। इंदौर के लिए फ्लाइट आधे घंटे बाद ही थी इसलिए सभी अपने अपने सामान के साथ अंदर चले गए। निशि की फ्लाइट में थोड़ा वक्त था इसलिए वह शिवम् मुरारी और मुन्ना के साथ वेटिंग एरिया में रुक गयी उसकी फ्लाइट में अभी थोड़ा वक्त था। शिवम् और मुरारी बातो में व्यस्त थे। निशि को उदास देखकर मुन्ना ने एक कॉफी ली और उसके पास चला आया उसने निशि की तरफ कप बढ़ाते हुए कहा,”सब ठीक है ?”
“हाँ,,,,,,,,,थैंक्यू”,निशि ने कप लेते हुए कहा
मुन्ना उसके बगल में खड़े हो गया और कहने लगा,”वंश थोड़ा गुस्से वाला और रुड है लेकिन वो दिल का बुरा नहीं है। जिन्हे वो पसंद करता है जिनसे प्यार करता है उनकी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर सकता है। हाँ लड़कियों से थोड़ी फ्लर्टिंग कर लेता था जब कॉलेज में था लेकिन हमे लगता है तुमसे मिलने के बाद उसने शायद ये भी छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,,,,जब से तुम से मिला है हमारा लड़का बदल गया है , हमे लगता है वंश तुम्हे पसंद करता है निशि”
मुन्ना की बात सुनकर निशि हैरानी से उसे देखने लगी , उसे अपनी ओर देखता पाकर मुन्ना ने कहा,”और तुम्हारा चेहरा देखकर लगता है तुम भी उसे बहुत पसंद करती हो”
निशि ने जैसे ही सूना उसकी बेचैनी एकदम से कम हो गयी और आँखों में आँसू भर आये। अब तक जिन अहसासों से वह भाग रही थी ये वही थे। वंश के साथ रहते हुए वह कब उसे पसंद करने लगी खुद नहीं समझ पायी। उसकी आँखों में आँसू देखकर मुन्ना ने कहा,”हाँ लेकिन वो एक नंबर का गधा है , उसे सही लोग और सही चीजे देर से समझ में आती है। जब उसे पता चलेगा तुम जा रही हो देखना वो दौड़ा चला आएगा”
“ऐसा कुछ नहीं होगा भैया,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तो ये भी नहीं पता वो मुझे पसंद करता भी है या नहीं”,निशि ने उदासी भरे लहजे में कहा
“चिंता मत करो वो जरूर आएगा”,मुन्ना ने निशि का सर थपथपाते हुए कहा। निशि हल्का सा मुस्कुरा उठी आज उसे समझ आया की मुन्ना को सब इतना पसंद क्यों करते थे ?
निशि की फ्लाइट का टाइम हो गया , वह रेलिंग से बनी गैलरी से होकर जाने लगी लेकिन वंश नहीं आया। उसने उदासी भरे चेहरे से मुन्ना को देखा और अपना हाथ हिला दिया। मुरारी और शिवम् भी वही खड़े थे उन्होंने भी निशि को ध्यान से जाने को बोला और वही खड़े उसे जाते हुए देखते रहे। कुछ ही वक्त बाद कोई आया और रेलिंग से उस पार कूदते हुए निशि की तरफ गया। मुन्ना ने देखा तो मुस्कुरा उठा लड़का कोई और नहीं बल्कि वंश था।
“ये वंश है ना , लेकिन ये यहाँ क्या कर रहा है ?”,शिवम् ने वंश को वहा देखा तो हैरानी से कहा
“अरे भैया हो सकता है निशि बिटिया को बाय बोलने आया हो”,मुरारी ने कहा
“ऐसे ?”,शिवम ने फिर पूछा मुरारी ने शिवम से कहा,”अरे भैया उह सब छोडो हमरी बात सुनो , विधायकी तो अब रही नहीं हम सोच रहे है खुद का कुछ कारोबार शुरू करे,,,,,,,,,,,,,,,आप बड़े हो हमसे सोचा पहिले आपसे ही सलाह ले ले”
वंश रेलिंग्स से कूदते हुए एकदम से निशि के सामने आया और कहा,”ए तुम बिना कुछ कहे क्यों चली आयी ?”
निशि ने वंश को देखा तो उसका मन खिल उठा लेकिन अगले ही पल गुस्से के भाव उसके चेहरे पर आये और उसने वंश को घूरते हुए कहा,”तुम्हे अपनी नींद इतनी प्यारी है तो मैं क्या करू ?”
“अरे वो मैं,,,,,,,,,,,,,,तुम वापस क्यों जा रही हो ?”,वंश ने उलझन भरे स्वर में कहा
“तो क्या मैं यहाँ तुम्हारे साथ घर बसा लू ?”,निशि ने फिर घूरते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,नहीं मेरा मतलब नहीं , तुम सीधी बात नहीं कर सकती क्या ? तुम्हे पता है मैं कितना जल्दी में आया हूँ ,, मुझे तुमसे बात करनी थी तुम्हे बताना तो चाहिए ना तुम जा रही हो”,वंश ने बच्चो की तरह मासूमियत से कहा
“अच्छा क्यों बताती मैं तुम्हे ? और जब मैंने बताया तो तुमने क्या किया तकिये में मुंह छुपा लिया,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे ऐसे बिहेव के बाद भी तुम मुझसे रुकने को कह रहे हो क्यों ?”,निशि ने कहा
“अरे क्योकि मैं तुम्हे पसंद करता हूँ”,वंश ने झुंझालकर कहा
“हां तो ये कभी कहा तुमने”,निशि ने फिर गुस्से से कहा तो वंश ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठो को अपने होंठो की गिरफत में ले लिया। एयरपोर्ट पर खड़े सभी लोगो की नजरे उन पर चली गयी। मुन्ना ने देखा तो शिवम मुरारी के पास आया और वे दोनों वंश को इस हालत में देखे इस से पहले ही मुन्ना ने दोनों के कंधो पर हाथ रखा और उन्हें वहा से ले जाते हुए कहा,”पापा , बड़े पापा चलिए चलते है”
मुन्ना शिवम को लेकर आगे बढ़ा लेकिन मुरारी पलट गया। उसने वंश को देखा तो उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी और वह बड़बड़ाया,”साला जे वंश्वा तो हमसे भी दुई कदम आगे निकला”
मुन्ना ने देखा मुरारी नहीं है तो वह वापस आया और मुरारी को अपने साथ ले जाते हुए कहा,”अरे आप यहाँ क्या कर रहे है ? चलिए ना”
मुन्ना ने मुरारी को शिवम् के साथ भेजा और खुद निशि वंश को ये बताने चला गया की जिन हालातों में वो दोनों खड़े है उन्हें घरवालों के साथ साथ सबने देख लिया है।
मुरारी वंश के बारे में सोचते हुए शिवम् के बगल में आया और कहा,”भैया एक्को बात पूछे”
“हाँ पूछो मुरारी”,शिवम ने साथ चलते हुए कहा
“जे हमरे बच्चो की हॉस्पिटल में अदला बदली हुयी थी का ?”,मुरारी ने पूछा
मुरारी का सवाल सुनकर शिवम् ने उसे घूरते हुए देखा तो मुरारी झेंपते हुए मुस्कुरा उठा और आगे बढ़ गया।

तो दोस्तों “मैं तेरी हीर” कहानी जिस सवाल से शुरू हुई थी उसी सवाल के साथ इसे खत्म किया जा रहा है। वंश और मुन्ना दोनों अपने पेरेंट्स से विपरीत जरूर थे लेकिन उनकी अदला बदली तो बिल्कुल नहीं हुई थी। सीजन 1 और सीजन 2 के कुल 130 पार्ट्स है और मुझे लगता है इसे और ज्यादा खींचना कहानी की रोचकता को कम कर देगा। काशी , मुन्ना और वंश को उनका प्यार मिल चुका और एक हैप्पी एंडिंग के साथ “मैं तेरी हीर” सीजन 2 भी खत्म हो चुका है और इसी के साथ मुझे जरूरत है एक ब्रेक की लेकिन निराश मत होईये इसका 3rd सीजन इसी साल लाने की कोशिश रहेगी लेकिन अभी नहीं कुछ महीनो बाद तब तक के लिए सुनते रहे “हाँ ये मोहब्बत है” मेरे साथ

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समाप्त

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संजना किरोड़ीवाल

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