Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 32

Main Teri Heer – 32

Main Teri Heer
Main Teri Heer

सभी घरवाले काशी की सगाई का लुफ्त उठा रहे थे नाच गा रहे थे। मुन्ना ने गौरी को जब वंश के साथ नाचते गाते देखा तो वहा से चला गया। डांस करते हुए गौरी की नजर भी मुन्ना पर पड़ी मुन्ना को वहा से जाते देखकर गौरी भी उसके पीछे चली आयी। अंदर आकर मुन्ना ऊपर छत पर चला आया , उसे अजीब सी घुटन और तकलीफ महसूस हो रही थी। वह गौरी से बहुत प्यार करता था लेकिन अपने भाई के लिए उस से दूर था। वंश के साथ साथ वह गौरी का भी दिल तोड़ रहा था। आज कई महीनो बाद मुन्ना को सिगरेट की तलब होने लगी। उसने अपनी जेबे टटोली लेकिन सिगरेट नहीं मिली,,,,,,,,,,,,,,,,,मिलती भी कहा से उसने पीनी जो छोड़ दी थी। मुन्ना ने यहाँ वहा देखा उसे छत की आखरी दिवार के पास रेंक में रखा सिगरेट का डिब्बा दिख गया। मुन्ना ने उसमे रखी सिगरेट निकाली और होंठो के बीच रख ली लेकिन जलाने के लिए कही माचिस नहीं मिली। अगले ही पल एक हाथ में थमे लाइटर ने सिगरेट को जलाया , मुन्ना ने हैरानी से अपने बगल में देखा , हाथ में लाइटर थामे गौरी खड़ी थी। गौरी को देखकर मुन्ना ने होंठो के बीच फंसी सिगरेट वापस निकाली और उसे बुझाकर फेंकते हुए गौरी से कहा,”तुम्हे इस वक्त यहाँ नहीं होना चाहिए”
“तुम्हे भी सिगरेट नहीं फेकनी चाहिए थी , आई थिंक तुम्हे उसकी जरूरत थी”,गौरी ने मुन्ना की आँखों में झांकते हुए कहा
मुन्ना खामोश हो गया तो गौरी आकर दिवार के पास खड़ी हो गयी और सामने देखते हुए कहने लगी,”पता है मान मैं यहां सिर्फ तुम्हारे लिए आयी थी , मुझे लगा मुझसे दूर जाकर तुम खुश होंगे पर ऐसा नहीं है , तूम पहले से ज्यादा खामोश रहने लगे हो। मैं तुमसे इन सब की वजह नहीं पूछूँगी बस इतना कहूँगी के खुद को तकलीफ पहुँचाना बंद करो,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुमसे दूर खुश रह सकती हूँ लेकिन तुम्हे ऐसे देखकर नहीं। तुमसे कहने के लिए मेरे पास बहुत कुछ है मान लेकिन वो सब कहकर मैं तुम्हे और हर्ट करना नहीं चाहती।”
मुन्ना ने सूना तो उसे बहुत दुःख हुआ लेकिन वह चाहकर भी गौरी को सच नहीं बता सकता था। वह जाने लगा तो गौरी ने कहा,”मान , कल सुबह मैं वापस इंदौर चली जाउंगी”
गौरी की बात सुनकर मुन्ना का दुःख और बढ़ गया , कल से वह गौरी को देख नहीं पायेगा। मुन्ना भारी मन के साथ वहा से चला गया। मुन्ना का यू चले जाना गौरी की आँखों को नम कर गया कुछ वक्त बाद उसने अपने आँसू पोछे और जैसे ही पलटी सामने से आते वंश ने कहा,”हे गौरी तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो ? सब नीचे है चलो ना कितना मजा आ रहा है”
गौरी नहीं चाहती थी वंश उसकी आँखो में आये आँसुओ को देखे इसलिए उसने अपनी नजरे घुमाते हुए कहा,”बस ऐसे ही वो नीचे इतने सारे लोगो के बीच मुझे थोड़ी घुटन हो रही थी”
“हाँ तुम ज्यादा लोगो के बीच नहीं रही हो ना शायद इसलिए , वैसे आज तो तुमने कमाल कर दिया क्या डांस किया ना तुमने,,,,,,,,,,,,,,,ए तुम रो रही हो क्या ? इधर देखो,,,,,,,,,,,,,,क्या हुआ तुम्हे तुम रो क्यों रही हो ? किसी ने कुछ कहा क्या ?”,वंश बात करते हुए गौरी के पास आया तो उसकी नम आँखों को देखकर पूछा
“नहीं वो बस आँख में कुछ चला गया था”,गौरी ने झूठ ही कह दिया
“गौरी मैं बच्चा नहीं हूँ तुम मुझसे अपनी प्रॉब्लम शेयर कर सकती हो,,,,,,,,,,,,,,दोस्त समझकर ही सही,,,,,,,,,,,,दोस्त है ना हम ?”,वंश ने कहा
गौरी इस वक्त अपसेट थी और ऐसे में वंश को सब बताकर वह अपनी और मुन्ना की परेशानियो को और बढ़ाना नहीं चाहती थी इसलिए उसने अपने आँसू पोछते हुए झूठ कहा,”कुछ खास नहीं आज जब काशी को अंकल के साथ देखा तो मुझे अपने पापा की याद आ गयी”
हालाँकि गौरी ने झूठ कहा था लेकिन जैसे ही उसने अपने पापा का नाम लिया उसकी आँखे फिर भर आयी। वंश ने सूना तो उसे गौरी को उदास देखकर अच्छा नहीं लगा। उसने गौरी के आँसू पोछते हुए कहा,”अरे इतनी सी बात , गौरी मेरे और काशी के पापा तुम्हारे पापा जैसे ही है , तुम्हे जब भी अपने पापा की याद आये तुम उनसे बात कर सकती हो,,,,,,,,,,,,हाँ मेरे और मुन्ना के साथ वो थोड़े खड़ूस है लेकिन हाँ तुम्हारे साथ प्यार से पेश आएंगे”
वंश की बाते सुनकर गौरी को अपनापन महसूस हुआ , आज पहली बार उसे वंश की बातो फ्लर्ट नजर नहीं आया , वह नम आँखों से वंश को देखते रही तो वंश ने उसे गले लगाते हुए कहा,”सब ठीक हो जाएगा , चिंता मत करो,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे अगर कोई परेशानी हो तो तुम बेझिझक मुझसे कह सकती हो , मैं हमेशा तुम्हारी बात सुनने के लिए मौजूद रहूँगा”
गौरी इस वक्त अपसेट थी और ऐसे वक्त में उसे किसी की जरूरत थी। वंश ने जब उसे गले लगाया तो गौरी को बुरा नहीं लगा ना ही उसे कोई गलत फीलिंग आयी। वह वंश के गले लगी रही। गौरी को गले लगाकर वंश को भी कुछ महसूस नहीं हुआ। वह उसका सर सहलाते हुए उसे सब ठीक हो जाए का दिलासा देता रहा।
नीचे आकर मुन्ना बाहर जाने लगा , बाहर जाते हुए उसके कदम ठिठके और उसने मन ही मन खुद से कहा,”हमे गौरी को इस तरह अकेले छोड़कर नहीं आना चाहिए था , ऐसे तो हम उसे और हर्ट कर रहे है। हमे लगता है हमे गौरी को बता देना चाहिए की वंश उस से बहुत प्यार करता है।”
मुन्ना पलटा और वापस सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। सीढ़ियों से होकर मुन्ना जैसे ही ऊपर आया उसके कदम दरवाजे पर ही रुक गए। उसने देखा वंश और गौरी एक दूसरे को गले लगाये खड़े है , गौरी ने अपनी आँखे मूँद रखी है और वंश उसका सर सहला रहा है। ये देखकर मुन्ना के दिल में एक टीस उठी , उसका मन भारी हो गया और आँखों में नमी उतर आयी। उसका दिल एक बार फिर टूट गया और शायद इस बार हमेशा के लिए। मुन्ना चुपचाप नीचे चला आया। घर से बाहर आया देखा सभी लोग खुशिया मना रहे है मुन्ना अपना टूटा दिल लेकर उनके बीच नहीं जाना चाहता था। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और बिना किसी को कुछ बताये वहा से निकल गया।

वंश गौरी से दूर हटा और कहा,”तुम ऐसे बिल्कुल अच्छी नहीं लगती हो गौरी , तुम हँसते मुस्कुराते हुए ज्यादा अच्छी लगती हो,,,,,,,,,,,,,अच्छा मैं तुम्हे एक बात बताऊ कुछ महीनो पहले मुझे एक लड़की पसंद आयी मैंने उसे बोला चलो शादी कर लेते है तो उसने कहा मेरे घरवाले नहीं मानेंगे , मैंने पूछा तुम्हारे घर में कौन कौन है ? तो उसने कहा मेरे तीन बच्चे और मेरा एक पति”
गौरी ने सूना तो हसने लगी , वंश बस उसे हँसाने के लिए ऐसे ही कुछ भी कहानी सुनाई थी और गौरी हंस पड़ी। वंश ने देखा तो कहा,”अब अच्छी लग रही हो , अब चलो नीचे चलते है खाना शुरू हो चुका है एंड गेस करो खाने में क्या बना होगा ?”
“क्या ?”,गौरी ने वंश के साथ नीचे जाते हुए कहा
“अरे हम दोनों की फेवरेट रसमलाई और क्या ? चलो जल्दी से पेलते है”,वंश ने गौरी का हाथ पकड़कर जल्दी जल्दी सीढिया उतरते हुए कहा। वंश की बातो से गौरी का मन कुछ हल्का हो चुका था। दोनों नीचे आये दोनों बाहर जाते इस से पहले ही राधिका ने आवाज दी,”वंश ज़रा यहाँ आना”
“गौरी तुम चलो मैं अभी आया”,कहकर वंश काशी के कमरे की तरफ चला आया जहा राधिका खड़ी थी उसने आकर कहा,”हाँ भुआ”
“बेटा वो ऊपर से जरा वो बैग उतारना उसमे से कुछ सामान लेना है”,राधिका ने कहा तो वंश ने कबर्ड पर रखा बैग उतारा और कहा,”देखा भुआ वक्त पर अपने ही काम आते है”
“अरे ये आज तुमने अचानक से ऐसी बात क्यों कही ?”,राधिका ने बैग से कुछ लिफाफे लेकर उसे साइड रखते हुए कहा
“अभी कुछ देर पहले बड़ी हंस हंसकर बाते की जा रही थी उस मुंबई वाली से,,,,,,,,,,,,,,अपने लाड़ले भतीजे को भूल गयी आप”,वंश ने कहा
“धत कुछ भी कहता है , तू हमेशा मेरा लाडला ही रहेगा”,राधिका ने वंश का गाल थपथपाते हुए कहा तो वंश भी उसके साथ आगे बढ़ गया और कहा,”हाँ लेकिन आप उस छिपकली से दूर रहना वो ना बड़ी शातिर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
कहते हुए वंश ने जैसे ही सामने देखा दरवाजे पर खड़ी निशि उसे दिख गयी जो की उसे ही घूर रही थी। निशि को देखते ही वंश की हवा टाइट हो गयी , राधिका ने देखा तो कमरे से बाहर जाते हुए कहा,”लो अभी तुम्हारी ही बातें हो रही थी और तुम आ गयी”
“भुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,वंश पीछे से चिल्लाया जैसे ही जाने को हुआ निशि ने अपना हाथ आगे करके उसे रोक लिया और घूरने लगी शायद निशि ने वंश की बातो को सुन लिया था।
“क्या है ?”,वंश ने भी अकड़कर कहा
निशि ने उसे पीछे धकेला और अंदर आकर गुस्से से कहा,”तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है हाँ ? क्यों तुम सबसे मेरी बुराई करते रहते हो , मैं क्या इतनी बुरी हूँ”
“मेरी सबसे बड़ी प्रॉब्लम ही तुम हो,,,,,,,,,,!!”,वंश बड़बड़ाया और जैसे ही जाने लगा निशि ने अपना पैर बीच में करके उसे गिराने का सोचा जैसे ही वंश गिरने को हुआ अपने साथ साथ निशि को भी ले लिया और दोनों बिस्तर पर आ गिरे। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे और दोनों के दिल एक ही लय में धड़क रहे थे। वंश एकटक निशि की आँखों में देखे जा रहा था और निशि की सांसे अटकी हुयी थी।
“वंश,,,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका की आवाज वंश के कानों में पड़ी वो कमरे की तरफ ही आ रही थी। वंश ने जल्दी से बिस्तर की बेडशीट को निशि पर डाला और उसे छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए वही लेट गया। सारिका कमरे के दरवाजे पर आयी और कहा,”वंश बेटा तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
“वो माँ मैं थोड़ा रेस्ट कर रहा था , मेरी कमर अकड़ गयी है शायद”,वंश ने अंगड़ाई लेते हुए बगल में चद्दर से ढकी निशि पर आधा पसरते हुए कहा।
“ये नौटंकी बंद करो और बाहर आओ तुम्हारे पापा तुम्हे पूछ रहे है”,कहकर सारिका चली गयी
“थैंक गॉड माँ ने इसे नहीं देखा वरना कितना अजीब लगता एक लड़की के साथ मैं ऐसे अकेला,,,,,,,,,,,,,,,हाआआ मैं तो बदनाम ही हो जाता”,वंश ने सारिका के जाने के बाद उठते हुए कहा
निशि ने अपने ऊपर से चद्दर उठायी और गुस्से से तकिया वंश पर फेंकते हुए कहा,”तुम पागल हो क्या ? ऐसा कौन करता है ? तुमने मेरे बाल खराब कर दिए”
“सॉरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे मैं तुम्हे सॉरी क्यों बोल रहा हूँ ? उलटा तुम मुझे गिराना चाहती थी,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं बोलूंगा मैं सॉरी”,कहकर वंश जाने लगा जाते जाते वह रुका और पलकर निशि को देखा वह अपने बालों ने उलझे झुमके को निकालने की कोशिश कर रही थी। ऐसा करते हुए वह कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी और ना चाहते हुए भी वंश के कदम उसकी ओर बढ़ गए। वंश निशि के पास आया और कहा,”ये शायद उलझ गया है रुको मैं निकाल देता हूँ”
वंश की बात सुनकर निशि ने बिना कुछ कहे अपने हाथो को नीचे कर लिया। वंश उसके बगल में आकर खड़ा हो गया और धीरे धीरे उसके बालो से उसे झुमके को निकालने लगा। वंश के यू करीब आने से निशि का दिल धड़क उठा वह अपनी साँस रोके खड़ी थी
निशि ने महसूस किया के वंश इतना भी बुरा नहीं था जितना वह उसे समझती थी। वंश ने जैसे ही निशि के झुमके को उसके बालो से आजाद किया हवा के झोंके से उसके लम्बे बाल वंश के चेहरे पर लहराने लगे। निशि वंश की तरफ पलटी उसने धीरे से वंश के चेहरे पर आये अपने बालों को हटाया। वंश के कानो में गाना बजने लगा
“कुछ रेशमी है कुछ खुरदुरा , कभी बह चला है , कभी है रुका,,,,,,,,,,,हाथो में है रेत सा,,,,,,,,,इश्क़ तेरा”
“तुम्हे भी गाना सुनाई दे रहा है क्या ?”,वंश ने एकदम से निशि से पूछा निशि ने हैरानी से उसे देखा और फिर वहा से चली गयी। वंश को समझ नहीं आया अचानक से ये उसके साथ क्या हुआ ? वह अपना सर खुजाने लगा और फिर बाहर चला गया। घर से बाहर आकर वंश जब टेंट की तरफ जाने लगा तो उसने देखा जो गाना कुछ देर पहले उसके कानो में बज रहा था वो बाहर म्यूजिक सिस्टम पर चल रहा है चलते चलते वंश लड़खड़ाया और मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया। दूर खड़ी निशि ने देखा तो वह भी मुस्कुराये बिना ना रह सकी।

रात के 10 बज रहे थे और मुन्ना अपनी बाइक लिए बनारस की सड़को पर घूम रहा था। वंश का गौरी को गले लगना शायद बर्दास्त नहीं कर पा रहा था। घूमते घूमते जब थक गया तो घाट चला आया। उसने अपनी बाइक बाहर रोकी और सीढ़ियों से होकर नीचे चला आया। आज घाट पर लोग बिल्कुल कम थे। इक्का दुक्का लोग थे और कुछ देर बाद वे सब भी उठकर चले गए। मुन्ना आकर घाट की सीढ़ियों पर बैठ गया। उसका मन इस वक्त बहुत भारी था , वह खुद को समझाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। अब चाहे वो गौरी से बात ना करे उसे इग्नोर करे लेकिन गौरी है तो उसका प्यार ही और कोई भी लड़का अपने प्यार को किसी और के साथ भला कैसे देख सकता है ? मुन्ना के चेहरे पर उदासी घिर आयी और वह खामोश नजरो से सामने बहते पानी को देखता रहा। गंगा का पानी जितना शांत था मुन्ना के मन में उतनी ही ज्यादा उथल पुथल मची हुई थी। उसका मन भारी हो चला था और गला रुंधने लगा था , आँखों में नमी उभर आयी तो मुन्ना ने कुर्ते की बांह से पोछ लिया और सामने देखने लगा लेकिन अगले ही पल यह फफक कर रो पड़ा। वह अपनी भावनाओ को सबके सामने तो रोक सकता था लेकिन अकेले में नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,!! वह सुबकने लगा और मन ही मन खुद से कहने लगा,”ये सब करके तुम्हे लगता है सब ठीक हो जाएगा , नहीं मुन्ना सब ठीक नहीं होगा। वंश को वंश का प्यार मिल जायेगा और एक वक्त के बाद गौरी भी उसे स्वीकार कर लेगी पर क्या तुम गौरी को भूल पाओगे ? क्या उन पलों को भूल पाओगे जिन्हे तुमने गौरी के साथ जिया है। तुम स्वार्थी हो गए हो मुन्ना , वंश की ख़ुशी के लिए तुमने अपने साथ साथ गौरी का दिल भी तोड़ दिया। क्या तुम बर्दास्त कर पाओगे गौरी की नफरत ? क्या मिला पाओगे उस से नजरे,,,,,,,,,,,,,,,,,शायद नहीं
तुम नहीं जानते मुन्ना की तुमने कितनी बड़ी गलती की है , ऐसी गलती जिसका पछतावा तुम्हे जिंदगी भर रहेगा”
मुन्ना सुबकने लगा , कुछ देर बाद एक आदमी लड़खड़ाते हुए उसके पास आया और कुछ दूरी बनाकर बैठते हुए कहा,”क्या हुआ मर्द होकर रो रहे हो ?”
मुन्ना ने सुना तो अपने आँसू पोछे और उसकी तरफ देखकर कहा,”क्यों मर्दो के पास दिल नहीं होता , उन्हें तकलीफ नहीं होती ?”
“हम्म्म्म लगता है किसी से झगड़कर आये हो”,आदमी ने लड़खड़ाती जबान में फिर कहा लेकिन मुन्ना सामने देखने लगा
“लगता है दिल टूटा है तुम्हारा,,,,,,,,,,,,,,वो भी बुरी तरह से,,,,,,,,,,,ये पिओगे इस से बड़े बड़े दर्द कम हो जाते,,,,,,,,,,,,!!!”,आदमी ने इतना ही कहा की मुन्ना ने गुस्से गुस्से में उसके हाथ से बोतल ली और अपने होंठो से लगा ली। कड़वी शराब उसके गले से उतरती जा रही थी , लेकिन मुन्ना एक साँस में आधी पी गया और बोतल साइड में रख दी। उसकी आँखों में अब भी आँसू थे , वह खुद से नाराज था , उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था की आखिर क्यों उसने अपने भाई की ख़ुशी के लिए गौरी का दिल तोड़ दिया। मुन्ना ने पहली बार शराब पी उसका गला जलने लगा था , सर चकराने लगा , आँखों में आँसू भर आये और उसे सब घूमता नजर आया। वह वही बैठा गौरी को याद करता रहा।

गौरी ने देखा सब है लेकिन मुन्ना नहीं है तो वह खुद ही मुन्ना को ढूंढते हुए घाट चली आयी। मुन्ना उसे घाट की सीढ़ियों पर बैठा मिल गया गौरी की जान में जान आयी। वह सीढिया उतरकर मुन्ना के सामने आयी , उसने देखा मुन्ना होश में नहीं है। गौरी को वहा देखकर मुन्ना के साथ बैठा शराबी उठकर चला गया। गौरी ने मुन्ना को देखा और कहा,”मान क्या तुमने शराब पी रखी है ?”
गौरी की आवाज सुनकर मुन्ना ने अपनी गर्दन उठायी और देखा सामने गौरी खड़ी थी , उसे देखकर मुन्ना ने लड़खड़ाती जबान में कहा,”तुम , तुम यहाँ क्या कर रही हो ? तुम्हे वंश के पास होना चाहिए,,,,,,,,,,,,,यू बोथ आर मेड फॉर इच अदर,,,,,,परफेक्ट कपल”
कहते हुए मुन्ना ने अपने दोनों हाथो से दिल भी बनाया और मुस्कुराया भी लेकिन उस मुस्कराहट में ख़ुशी कम और दर्द ज्यादा झलक रहा था।

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