“मैं तेरी हीर” – 26
Main Teri Heer – 26
शक्ति और काशी की सगाई तय हो गयी। दो दिन बाद का शुभ मुहूर्त निकला था तब तक शक्ति भी बनारस में ही रुक गया। शक्ति के रुकने का इंतजाम मुरारी ने अपने घर में किया जिस से शक्ति को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो। सुबह शक्ति उठा तब तक अनु किशना से कहकर उसके लिए खाने के नए नए पकवान बनवा चुकी थी। शक्ति नहाकर तैयार होकर आया अनु मुरारी पहले से डायनिंग के पास मौजूद थे मुरारी ने शक्ति को आकर नाश्ता करने को कहा। मुरारी ने देखा मुन्ना वहा नहीं है तो अनु से कहा,”हम मुन्ना को बुलाकर लाते है”
“अरे मुरारी तुम बैठो ना मैं बुलाकर लाती हूँ”,अनु ने कहा
“अरे कोई बात नहीं मैग्गी हम बुला लेते है,,,,,,,,,,,वैसे भी उह हमरा बेटा है,,,,,,,,,,,,,,,,आज से फुल अटेंशन देंगे हम उसको,,,,,,,,,,तुम बैठो”,कहकर मुरारी सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया
शक्ति चुपचाप सब सुन रहा था। उसने महसूस किया , विधायक रहने के बाद भी मुरारी में कोई घमंड नहीं था वह आज भी अपने परिवार के साथ एक आम इंसान की तरह था। शक्ति मुस्कुराने लगा और फिर अनु की तरफ देखकर कहा,”आपसे कुछ पूछ सकते है ?”
“हाँ पूछो ना”,अनु ने मुस्कुरा कर कहा
“वो अंकल ने आपको मैग्गी क्यों कहा ?”,शक्ति ने झेंपते हुए पूछा
अनु ने सूना तो हसने लगी और कहा,”अरे वो क्या है मेरे बाल हमेशा से कर्ली रहे है , तो जब मैं पहली बार मुरारी से मिली थी तब इसने मुझे इसी नाम से बुलाया था बस तब से ही इनको जब प्यार से कुछ कहना होता है ये मुझे मैग्गी कहकर ही बुलाते है”
“आपकी लव थी ना ?”,शक्ति ने पूछा
“हाँ , और तबसे इन दो परिवारों में ये रिवाज शुरू हो गया है की शादी होगी तो लव मैरिज ही होगी,,,,,,,,,,,,,,,अब काशी को ही देख लो , वो कब तुमसे मिली , प्यार हुआ कुछ पता नहीं चला और सीधा सगाई,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे ये अच्छा भी है तुम दोनों को ज्यादा ड्रामा नहीं झेलना पड़ा वरना हमारे वाले टाइम में तो बाप रे बाप पूछो मत,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप कुछ बोल नहीं रहे मैं शायद थोड़ा ज्यादा ही बोल गयी”,अनु ने झेंपते हुए कहा
“अरे नहीं नहीं बोलती रहिये हमे सुनना अच्छा लग रहा है। काशी के पास इतना अच्छा और प्यारा परिवार है ये हमे आज पता चला”,शक्ति ने मुस्कुराकर कहा
अनु शक्ति से बाते करने लगी उधर मुरारी मुन्ना के कमरे में आया देखा मुन्ना उदास सा बुक रेंक के पास खड़ा अपनी किताबे जमा रहा है।
“क्या हम अंदर आ जाये ?”,दरवाजे पर खड़े मुरारी ने पूछा
मुरारी की आवाज से मुन्ना की तंद्रा टूटी उसने किताब को रेंक में रखा और मुरारी की तरफ आते हुए कहा,”ये आपका घर है आपको हमसे इजाजत लेने की जरूरत नहीं है”
“हाँ हम जानते है लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाये तो उनकी प्राइवेसी का ध्यान भी रखना पड़ता है , वैसे तुम नाश्ता करने नीचे काहे नहीं आये ?”,मुरारी ने सीधा सवाल किया
“वो हमे लगा हमारी वजह से आप असहज होंगे इसलिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने बात बीच में ही छोड़ दी
मुरारी ने सूना तो वह मुन्ना के सामने आ खड़ा हुआ और उसे एकटक देखने लगा , कुछ देर बाद मुरारी ने बड़े ही प्यार से कहा,”तुमहू ना सोचते बहुत हो , हम बाप है तुम्हारे रिश्तेदार थोड़ी है जो असहज होंगे तुमसे,,,,,,,,,,,,,,,तुमने जो किया वो हमरे भले के लिए ही तो किया ना फिर इतना काहे सोच रहे हो ? वैसे ठीक ही किया हम न बहुते तक चुके थे जे विधायकी से अब घर बैठके आराम करेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम बड़े हो गए हो तुमहू कमाओ , फिर तुमरी शादी करेंगे , पोते-पोतिया होंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम उनके साथ खूब खेलेंगे , उनको पूरा बनारस घुमाएंगे और कंटाप मारना तो जरूर ही सिखाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने सूना तो उसका दिल भर आया , वह मुरारी से बहुत कुछ कहना चाहता था लेकिन नहीं कह पा रहा था मुरारी ने देखा तो आगे बढ़कर मुन्ना को गले लगा लिया। एक सुखद अहसास मुन्ना को छूकर गुजरा कितने सालो में आज मुरारी ने पहली बार ऐसा कुछ किया था। मुन्ना की आँख में ठहरे आँसू बह गए। इतने दिन से वह अंदर ही अंदर परेशान हो रहा था की उसने मुरारी को हर्ट किया लेकिन आज मुरारी ने ये साबित कर दिया की मुन्ना अपनी जगह सही था। मुन्ना अपनी ठुड्डी मुरारी के कंधे से लगाए रहा। वह खामोश था मुरारी ने धीरे धीरे उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”हम खुश है मुन्ना हमे अनु और तुम्हारी जरुरत ज्यादा है , एक कुर्सी के लिए हम अपने ही बेटे के खिलाफ नहीं जा सकते। तुम साले हँसते मुस्कुराते ही अच्छे लगते हो इसलिए जे सब परेशानिया भूल जाओ और अपनी बहन की सगाई की तैयारी करो,,,,,,,,,,,,,,,,,पूरा बनारस देखे ऐसी तैयारियां”
मुन्ना ने अपने आँसू पोछे और मुस्कुराते हुए हाँ में गर्दन हिला दी। मुरारी ने प्यार से उसके गाल को छुआ और कहा,”चलो आओ नाश्ता करते है”
मुन्ना का मन अब काफी हल्का था वह ख़ुशी ख़ुशी मुरारी के साथ नीचे चला आया। अनु ने सबके लिए नाश्ता लगाया और खुद भी उनके साथ बैठकर नाश्ता करने लगी। मुरारी ने अपनी प्लेट में रखा पराठा मुन्ना की प्लेट में रखा और कहा,”जे वाला तुम खाओ , कितना दुबला गए हो इन दिनों”
मुन्ना ने सूना तो उसे अच्छा लगा , सभी बातें करते हुए नाश्ता करने लगे। मुन्ना की इच्छा आज पूरी हो चुकी थी वह हमेशा चाहता था की मुरारी अपनी फॅमिली के साथ बैठकर नाश्ता करे और ये आज जाकर पूरा हुआ।
सुबह सुबह वंश अपने कमरे में सो रहा था तभी उसका फोन बजा उसने स्क्रीन देखे बिना ही फोन उठाकर कान से लगाया और नींद में कहा,”हेलो कौन बोल रहा है ?”
“हे चिरकुट तुम अभी तक सो रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह कितने आलसी हो तुम। बाय द मुझे तुमसे एक छोटा सा फेवर चाहिए था , अपनी दोस्त के लिए ?”,दूसरी तरफ से निशि ने कहा
“मुझे परेशान करने के अलावा तुम्हे और कोई काम नहीं है क्या ?”,वंश नींद से उठते हुए कहता है
“तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की मेरे पास इतना फालतू टाइम होगा की मैं तुम्हे परेशान करुँगी”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा
“बिल्कुल मुझे ऐसा ही लगता है,,,,,,,,,,,,,,,,,कभी कभी तो मुझे लगता है दुनिया में सिर्फ तुम्हारे पास ही सबसे ज्यादा फालतू टाइम है”,वंश ने भी चिढ़ते हुए कहा क्योकि निशि ने उसकी नींद में खलल जो डाला था
“मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी”,निशि ने गुस्से से कहा
“मुंह तोड़ने के लिए तुम्हे यहाँ आना होगा , और मुझे नहीं लगता इतनी हिम्मत तूम में है”,वंश ने बिस्तर से उठते हुए कहा
“मैं वहा आ भी सकती हूँ और वहा आकर तुम्हारा मुंह भी तोड़ सकती हूँ,,,,,,,,,,,,समझे तुम”,निशि ने कहा
“सुबह सुबह सपने देखना बंद करो तुम,,,,,,,,,,,,,,,अगर तुम आयी ना तो अपने पैरो पर वापस नहीं जाओगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,टांगे तोड़ दूंगा मैं तुम्हारी”,वंश ने भी बच्चो की तरह झगड़ते हुए कहा
“तुम क्या मुझे चेलेंज कर रहे हो ?”,निशि ने गुस्से से कहा
“मैं बच्चो को चेलेंज नहीं करता,,,,,,,,,,,,बाययययययय”,कहकर वंश ने फोन काट दिया था
“ए सुनो,,,,,,,,,,,,तुम खुद को समझते क्या हो ? तुम्हे तो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाहहह फोन काट दिया,,,,,,,,तुमने मेरा फोन काटा तुम्हारी तो मैं,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी निशि ने गुस्से से उफनते हुए कहा
“निशि मैंने तुमसे कहा था उस से थोड़ा प्यार से बात करना लेकिन तुम दोनों तो कुत्तो की तरह झगड़ रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे नहीं लगता तुम मेरी कोई हेल्प कर पाओगी,,,,,,,,,,,,,,,,मैं जा रही हूँ , बाय”,कहते हुए पूर्वी उठी और चली गयी
“पूर्वी,,,,,,,,,,,,,,अरे सुनो,,,,,,,,,,,,,,,वो एक नंबर का गधा है , अकड़ू इंसान है , तुम्हारे लिए मैंने उस से फिर भी बात की लेकिन वो पैदा ही भाव खाने के लिए हुआ है”,निशि ने पूर्वी के पीछे आते हुए कहा
पूर्वी दरवाजे पर आकर रुकी और पलटकर कहा,”यू नो व्हाट निशि तुम दोनों का कुछ नहीं हो सकता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,यू बोथ आर मेड फॉर इच अदर,,,,,,,,,,,,,,नाउ गुड बाय”
कहते हुए पूर्वी ने निशि के मुंह पर ही दरवाजा बंद कर दिया और चली गयी। निशि ने मुंह बना लिया और वापस अपने बिस्तर की तरफ आते हुए बड़बड़ाई,”मैंने तुम्हारे लिए उस बात की ना अब वो ऐसा है तो इसमें मेरी क्या गलती ? और ये लकड़ी भी पागल हो गयी है शायद इसने ऐसा क्यों कहा वे आर मेड फॉर इच अदर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नो वे,,,,,,,,,,,छी यककक उस इंसान के साथ मैं दो मिनिट नहीं रह सकती,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं चिरकुट तुम्हारी वजह से मेरी बेस्ट फ्रेंड मुझसे नाराज हो गयी,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे तो मैं मजा चखाकर रहूंगी”
वंश ने अपना फोन बिस्तर पर फेंका और बाथरूम की तरफ चला आया। नहाते हुए वंश को निशि की बात याद आयी और वह बड़बड़ाया,”वो किसी फेवर की बात कर रही थी,,,,,,,,,,,ऐसा क्या काम होगा उसे मुझसे ? भाड़ में जाए मुझे तो ये सोचकर खुश होना चाहिए की काशी की सगाई में गौरी भी आएगी,,,,,,,,,यही अच्छा मौका है उसे इम्प्रेस करने का और फिर मैं उसे अपने दिल की बात कह दूंगा”
नहाकर वंश तैयार हुआ और नीचे चला आया उसे देखते ही हॉल में बैठे शिवम् ने आवाज दी,”वंश यहाँ आना”
“जी पापा”,वंश ने शिवम् के पास आकर कहा
“ये कुछ रूपये रखो और घरवालों के साथ मार्किट चले जाना तुम्हारी माँ और बाकि सब लोगो को सगाई की शॉपिंग करनी है”,शिवम ने कहा
“ठीक है मैं चला जाऊंगा”,वंश ने रूपये लेकर जींस के पॉकेट में रखते हुए कहा
शिवम् उठा और फोन पर बात करते हुए वहा से चला गया। वंश भी घुमते घामते काशी के कमरे में आया , देखा काशी शीशे के सामने खड़े होकर अपने बाल बना रही थी। वंश ने बिस्तर पर गिरते हुए कहा,”अच्छा काशी सगाई में तुम्हारी दोस्त भी आएगी ना ?”
“आप उनके बारे में क्यों पूछ रहे है ? वैसे अच्छा याद दिलाया आपने मुझे गौरी को फोन करना था”,कहते हुए काशी ने अपना फोन उठाया और गौरी का नंबर डॉयल करके फोन कान से लगा लिया। गौरी के नाम से वंश का मन गुदगुदा उठा। वह वही बैठा काशी को देखता रहा।
“हेलो गौरी , परसो हमारी सगाई है और हमने तुम्हे इसलिए फोन किया है ताकि आज शाम ही तुम बनारस के लिए निकल जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,और हाँ हम ऋतू , प्रिया को भी फ़ोन कर देंगे तो तुम उनसे भी बात कर लेना,,,,,,,,,,,,,,,,माफ़ करना थोड़ा जल्दी में है इसलिए अभी तुमसे ज्यादा बात नहीं हो पायेगी , लेकिन शाम को आंटी से भी बात कर लेंगे हम,,,,,,,,,,,,,,,तुम आओगी ना ?”,काशी ने पूछा
“हम्म्म्म , मुझे मान के लिए वहा आना होगा काशी,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने कहा
“हम्म्म सब ठीक हो जाएगा , तुम बस एक बार यहाँ आ जाओ फिर हम सब मिलकर उन्हें मना लेंगे”,कहते हुए काशी जैसे ही पलटी देखा बिस्तर पर गिरा वंश आसभरी नजरो से काशी को देख रहा है। काशी ने अपनी भँवे उचकाई तो वंश ने फोन देने का इशारा किया
“गौरी वंश भैया शायद तुमसे बात करना चाहते है”,काशी ने कहा।
“हम्म्म फोन दो उसे”,गौरी ने कहा तो काशी ने फोन वंश की तरफ बढ़ा दिया। वंश ने फोन लिया लेकिन काशी के सामने गौरी से कैसे बात करता इसलिए कहा,”काशी वो माँ शायद तुम्हे बुला रही है”
“हाँ हम जाकर आते है”,कहते हुए काशी कमरे से बाहर निकल गयी।
वंश ने फोन कान से लगाया और पेट के बल बिस्तर पर आ गिरा और कहा,”हेलो”
“हेलो”,गौरी ने कहा
“तो तुम सगाई में आ रही हो ?”,वंश ने पूछा
“क्यों तुम स्टेशन लेने आओगे ?”,गौरी ने पूछा
“अरे तुम कहो तो मैं तुम्हे इंदौर लेने आ जाऊ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे स्टेशन भी आ सकता हूँ मैं”,वंश ने कहा
“तुम कभी नहीं सुधरोगे,,,,,,,,,!!”,गौरी को वंश की बात सुनकर हंसी आ गई
“अब कोई सुधारने वाला हो तब ना इंसान सुधरे,,,,,,,,,,,,,,,वैसे तुम्हारा क्या ख्याल है ?”,वंश ने पूछा
“किस बारे में ?”,गौरी ने पूछा
“अरे मुझे सुधारने के बारे में,,,,,,,,,,,,,,वैसे काफी लोगो ने कोशिश की लेकिन नहीं सुधार पाए,,,,,,,,,,,,,बाकि तुम ट्राय कर सकती हो”,बात करते हुए वंश पलट गया। गौरी से बात करते हुए उसका चेहरा खिल उठा था।
“ठीक है फिर मिलते है जल्दी ही,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने वंश की बातो पर मुस्कुरा कर कहा
“जरूर आपके स्वागत में बन्दा हाजिर रहेगा”,वंश ने कहा तो गौरी हंस पड़ी और बाय बोलकर फोन काट दिया।
गौरी से बात करके वंश का दिन ही बन गया था। वह अभी गौरी के ख्यालो में खोया ही था की काशी ने आकर कहा,”माँ ने तो हमे नहीं बुलाया था”
“अच्छा तो फिर नहीं बुलाया होगा”,वंश ने उठकर बैठते हुए कहा
“वंश भैया आप जब देखो तब हमे परेशान करते रहते है”,काशी ने कहा
“डोंट वरी काशी इन्हे परेशान करने के लिए मैं जो आ गयी हूँ अंजलि द ग्रेट”,दरवाजे से अंदर आते हुए अंजलि ने कहा जो की अभी अभी घर आयी थी।
“आहहह तुम्हारी शक्ल देख ली सारा मूड खराब हो गया”,वंश ने मुंह बनाते हुए कहा क्योकि अंजलि और उसके बीच 36 का आंकड़ा था।
“ओह्ह्ह सच में मुझे लगा आप अंधे है , शुक्र है आप देख पाते है,,,,,,,,,,,,!!’,अंजलि ने भी मुंह बनाते हुए कहा
“बड़ो से ऐसे बात की जाती है”,वंश ने उसे घूरते हुए कहा
“यहाँ बड़ा कौन है ? अच्छा अच्छा आप,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप खुद को बड़ा समझते है लेकिन हरकतें तो आपकी बच्चो वाली है ,, सही कहा ना काशी”,अंजलि ने कहा तो वंश उसे मारने उसकी तरफ आया लेकिन तब तक सारिका कमरे में आयी और कहा,”काशी तुम तैयार हो तो चले , अंजलि बेटा तुम भी चलो”
“हाँ बड़ी मामी चलिए”,कहते हुए अंजलि ने सारिका की बाँह थामी और वंश को चिढ़ाते हुए वहा से चली गयी। काशी भी अपना फोन लेकर बाहर चली गयी
“छिपकली कही की”,वंश बड़बड़ाया और जैसे ही जाने लगा उसे निशि का ख्याल आया उसे भी वह छिपकली ही कहकर बुलाता था,,,,,,,,,,,,,,,,निशि का ख्याल आते ही वंश का दिल धड़क उठा लेकिन अगले ही पल उसने चिढ़ते हुए कहा,”वो और ये अंजलि दोनों जुड़वा बहने है शायद जो कुम्भ के मेले में बिछड़ गयी थी , तभी तो इनका फेवरेट काम है बस मुझे गुस्सा दिलाना,,,,,,,,,,!!”
Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26 Main Teri Heer – 26
क्रमश – Main Teri Heer – 27
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संजना किरोड़ीवाल
गौरी से बात करके वंश का दिन ही बन गया था। वह अभी गौरी के ख्यालो में खोया ही था की काशी ने आकर कहा,”माँ ने तो हमे नहीं बुलाया था”
“अच्छा तो फिर नहीं बुलाया होगा”,वंश ने उठकर बैठते हुए कहा
“वंश भैया आप जब देखो तब हमे परेशान करते रहते है”,काशी ने कहा
“डोंट वरी काशी इन्हे परेशान करने के लिए मैं जो आ गयी हूँ अंजलि द ग्रेट”,दरवाजे से अंदर आते हुए अंजलि ने कहा जो की अभी अभी घर आयी थी।
“आहहह तुम्हारी शक्ल देख ली सारा मूड खराब हो गया”,वंश ने मुंह बनाते हुए कहा क्योकि अंजलि और उसके बीच 36 का आंकड़ा था।
“ओह्ह्ह सच में मुझे लगा आप अंधे है , शुक्र है आप देख पाते है,,,,,,,,,,,,!!’,अंजलि ने भी मुंह बनाते हुए कहा
“बड़ो से ऐसे बात की जाती है”,वंश ने उसे घूरते हुए कहा
“यहाँ बड़ा कौन है ? अच्छा अच्छा आप,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप खुद को बड़ा समझते है लेकिन हरकतें तो आपकी बच्चो वाली है ,, सही कहा ना काशी”,अंजलि ने कहा तो वंश उसे मारने उसकी तरफ आया लेकिन तब तक सारिका कमरे में आयी और कहा,”काशी तुम तैयार हो तो चले , अंजलि बेटा तुम भी चलो”
“हाँ बड़ी मामी चलिए”,कहते हुए अंजलि ने सारिका की बाँह थामी और वंश को चिढ़ाते हुए वहा से चली गयी। काशी भी अपना फोन लेकर बाहर चली गयी
“छिपकली कही की”,वंश बड़बड़ाया और जैसे ही जाने लगा उसे निशि का ख्याल आया उसे भी वह छिपकली ही कहकर बुलाता था,,,,,,,,,,,,,,,,निशि का ख्याल आते ही वंश का दिल धड़क उठा लेकिन अगले ही पल उसने चिढ़ते हुए कहा,”वो और ये अंजलि दोनों जुड़वा बहने है शायद जो कुम्भ के मेले में बिछड़ गयी थी , तभी तो इनका फेवरेट काम है बस मुझे गुस्सा दिलाना,,,,,,,,,,!!”
Nice 👍 part
Very nice
Kash nishi bhi banaras ajaye to vansh or usko ehsaas hoga ki they are made for each other, amazing part
Ab bus vansh ko ye bat samj aa jaye ki vo nishi ko pasand karta h
ab to hm se intzaar hi nhi ho rha hai 💖💖💖
Sagayi ka
Maltab maan aur gori jo milne bale hai
Fir nishi bhi to aane vali hai 💖💖💖💖💖💖💖💖💖
Oooooo
So excited ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Ye vansh kb clear hoga kya nishi bhi aayegi sagai me
Vansh ko jaldi realise ho jaye ki vo nishi ko like krta hai,taki munna bhi tnsn free ho sake
पता नहीं क्यों…पर मुझे वंश पे बहुत गुस्सा आ रहा है…स
Asa lg rha vansh ko jldi hi ehsaas ho jaayega ki gauri aur uski bonding nhi bne wali
Very nice part 👌
Nice story
Vansh or nishi ki ladai 🤣🤣🤣 vo muhh tod degi or ye taange tod dega….fr tute fite logo se koii or to shadi krega nhi in dono ki apas me kra dena….sari foda fadi ek hi jgh🤣🤣🤣🤣