Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 30

Main Teri Heer – 30

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश ने जब गौरी को अपने हाथ से झुमका पहनाया तो मुन्ना से बर्दास्त नहीं हुआ और वह कमरे से बाहर निकल गया। गौरी सिर्फ मुन्ना को जलाने के लिए ये सब कर रही थी लेकिन मुन्ना को कितना हर्ट हुआ उसका अहसास शायद उसे नहीं था। मुन्ना नीचे चला आया गौरी उसे रोकने के लिए उसके पीछे आयी लेकिन तब तक मुन्ना वहा से जा चुका था। गौरी का चेहरा उदासी से घिर गया , प्रिया ने देखा तो उसके पास चली आयी और कहा,”क्या हुआ सब ठीक चल रहा है ?”
“यार प्रिया मुझे मान को हर्ट करना अच्छा नहीं लग रहा,,,,,,,,,,,,,,क्या ये सब करना जरुरी है ?”,गौरी ने उदासीभरे स्वर में पूछा
“आई नो तुझे बुरा लग रहा है लेकिन मुन्ना ने भी तो तुम्हे कितना हर्ट किया भूल गयी तुम,,,,,,,,,और वैसे भी अगर मुन्ना से सच जानना है तो उसे थोड़ा हर्ट तो करना होगा गौरी ताकि गुस्से में आकर ही सही वो तुमसे सब बोल दे,,,,,,,,,,,,,ये थोड़ा मुश्किल होगा तुम्हारे लिए बट मैं श्योर हूँ ये काम करेगा”,प्रिया ने गौरी को समझाते हुए कहा
“मुझे मान की फ़िक्र हो रही है कही मेरी वजह से वो,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुन्ना के बारे में चिंता करते हुए कहा
“ऑफ ओह्ह गौरी तुम शांत रहो वैसे भी आज काशी की सगाई है तुम्हे अपना मूड ऑफ नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एंड बाय द वे ये तुमने अपने एक कान में झुमका क्यों पहना है ?”,कहते हुए प्रिया की नजर गौरी के कानो पर चली गयी
“ये वंश लेकर आया है मुंबई से,,,,,,,,,,,,,,,,मान को कितना बुरा लगा होगा जब वंश ने ये अपने हाथो से पहनाया था”,गौरी ने प्रिया को जवाब दिया और फिर खुद में ही बड़बड़ाते हुए उस पहने हुए झुमके को उतारने लगी।
“ये वंश का भी अलग ही मेटर चल रहा है , कही हम लोगो का प्लान उलटा ना पड़ जाए,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा गौरी और मुन्ना बेस्ट कपल है,,,,,,,,बट गौरी और वंश भी बेस्ट कपल हो सकते है,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह गॉड इसे ट्रायंगल मत बना देना प्लीज”,प्रिया ने अपने नाख़ून चबाते हुए कहा
गौरी ने देखा तो हैरानी से कहा,”तुम्हे क्या हुआ है ?”
“कुछ नहीं चलो चलते है”,कहते हुए प्रिया गौरी को खींचकर अपने साथ ले गयी !

वंश अपने कमरे में खड़ा मुस्कुरा रहा था। गौरी को उसके दिए झुमके पसंद आये और गौरी ने उसे पहनाने को भी कहा सोचकर ही वंश के दिल में गुदगुदी सी होने लगी थी। अभी वह इस फीलिंग को महसूस कर ही रहा था की तभी उसका फोन बजा। वंश बिस्तर की तरफ आया और अपना फोन उठाकर देखा निशि का नंबर देखकर वंश का मुंह बन गया। गौरी के लिए जो फीलिंग्स थे वो एकदम से उड़ गए। उसने निशि का फोन उठाया और निशि के कुछ कहने से पहले ही शुरू हो गया,”तुमने क्या कसम खा ली है मेरे हर बेस्ट मोमेंट को खराब करने की , अभी अभी कितना अच्छा महसूस कर रहा था मैं और तुमने मुझे फोन कर दिया,,,,,,,,,अब ये मत कहना की तुम्हारी दोस्त के लिए तुम्हे फिर से फेवर चाहिए”
“मैं नवीन बात कर रहा हूँ”,दूसरी तरफ से नवीन ने बहुत ही शालीनता से कहा। वंश ने सूना तो उसके हाथ से फोन गिरते गिरते बचा। उसने फोन को सम्हाला और हकलाते हुए कहा,”ह ह हेलो हेलो अंकल , सॉरी मुझे लगा कोई और है,,,,,,,,,,,,,,,,आपने फोन क्यों किया है ? क्या निशि ने आपको कुछ कहा आई मीन कुछ बताया”
वंश को लगा निशि ने झगडे वाली बात नवीन को बता दी है और शायद इसलिए नवीन ने उसे फोन किया है। बेचारा वंश घबरा रहा था
“नहीं निशि ने तो कुछ नहीं कहा , हां वो मुझे ही तुमसे कुछ बात करनी थी”,नवीन ने कहा तो वंश की जान में जान आयी और उसने नार्मल होकर कहा,”हाँ अंकल कहिये ना”
“वो एक्चुली तुम्हारे पापा चाहते थे की मैं और तुम्हारी आंटी काशी की सगाई में आये लेकिन ऐन मौके पर दुसरा काम होने की वजह से हम दोनों ही नहीं आ पाएंगे”,नवीन ने कहा
“ओह्ह्ह,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन अगर आप लोग आते तो माँ-पापा को अच्छा लगता”,वंश ने कहा
“सारिका मेम को बुरा लगेगा सोचकर ही मैंने निशि को सगाई में भेजा है , वो बनारस आने की ख़ुशी में अपना फोन भी घर पर ही भूल गयी,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा क्या कहा तुमने उस से की वो वहा आने के लिए इतनी एक्साइटेड थी , वैसे जो भी हो सगाई के बाद वो दो दिन वही रुकेगी,,,,,,,,,,,,उसने कहा वो बनारस घूमना चाहती है तो मैं बस ये कह रहा था की उसका ध्यान रखना और शाम में उसे लेने एयरपोर्ट चले जाना प्लीज,,,,,,,,,,,,,वहा वो तुम्हारे अलावा किसी को जानती नहीं है सो थोड़ा अनकम्फर्टेबल होगी,,,,,,,,,,,,,,,,हेलो वंश वंश तुम सुन रहे हो ना”,नवीन ने वंश पर बिजली गिराते हुए कहा
“हाँ हाँ अंकल मैं ले आऊंगा उसे,,,,,,,,,,,,आप टेंशन मत लीजिये”,वंश ने कहा
“थैंक्स,,,,,,,,,,तुम बहुत अच्छे लड़के हो , उसका ख्याल रखना”,नवीन ने कहा और फोन काट दिया
वंश ने कान से फोन हटाया , उसकी शक्ल पर 12 बज चुके थे उसने तो गुस्से में निशि से कह दिया था की बनारस आकर दिखाओ लेकिन वो सच में आ रही थी। वंश फोन को हाथ में लेकर ठसकने लगा ( इसमें रोने जैसी शक्ल बन जाती है और रोने लगते है बस आँसू नहीं आते ) वह बिस्तर पर पेट के बल आ गिरा और तकिये में मुंह छुपाकर रोने की एक्टिंग करने लगा। निशि बनारस आ रही थी , मुंबई में उसने वंश को जितना परेशान किया वो सोचकर ही वंश की हालत खराब थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,! वह निशि के बारे में सोचकर चिढ़ते हुए बिस्तर पर इधर उधर गुलाटियां मारने लगा। कुछ देर बाद उसने घडी में टाइम देखा 11 बज रहे थे वंश उठा और नहाने चला गया। आज काशी की सगाई थी और शिवम् ने उसे कुछ जरुरी काम बताये थे उन्ही के लिए वंश को जल्दी थी।

नहाकर वंश तैयार हुआ और नीचे चला आया। शिवम् ने वंश को एक बड़ा थाल दिया और कहा,”ये कपडे और सामान लेकर मुरारी के घर जाओ और तिलक करके शक्ति को अपने हाथो से देना,,,,,,,,,,,,,,,सगाई से ये पहले हमारे यहाँ की रस्म है इस से जीजा साले के बीच रिश्ते मधुर बनते है”
“हुंह मैं उस शक्ति से जितना दूर रहू उतना ही अच्छा है , लेकिन पापा ने कहा तो जाना ही पडेगा”,वंश ने मन ही मन कहा और थाल लेकर कहा,”ठीक है मैं चला जाता हूँ”
“बड़े मामाजी हम भी वंश भैया के साथ जाये”,अंजलि ने कहा
“हाँ बिल्कुल जाओ तुम भी अपने होने वाले जीजाजी से मिलकर आओ”,शिवम् ने कहा और बाबा की तरफ चले गए।
“अब जब तुमने साथ जाने का सोचा है तो ये भी तुम ही उठाओ”,वंश ने थाल अंजलि के सर पर रखते हुए कहा और बाहर चला गया
“आप कभी नहीं सुधरोगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अंजलि थाल उठाये वंश के पीछे पीछे चली आयी। हालाँकि वंश इतना भी बुरा नहीं था अंजलि को देखकर उसने उसके लिए गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और जब अंजलि बैठ गयी तो बंद भी कर दिया। वंश ड्राइवर सीट पर आकर बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया। रास्तेभर अंजलि उसका सर खाती रही लेकिन वंश को तो निशि की टेंशन हो रही थी। आज उसकी अच्छी खासी बेंड बजने वाली थी ये वंश जानता था।
वंश अंजलि के साथ मुरारी के घर पहुंचा। अंजलि को देखकर अनु खुश हो गयी। वंश ने शक्ति के साथ एक छोटी सी रस्म अदा की , उसे तिलक किया और कपडे और साथ लाया दुसरा सामान भेंट के रूप में दिया। अनु ने किशना से कहकर अंजलि और मुन्ना की पसंद का डोसा बनवाया था इसलिए उसने वंश से भी खाकर जाने को कहा। वंश , मुन्ना , अंजलि , शक्ति डायनिंग के चारो और आ बैठे अनु ने उन्हें परोसना शुरू किया।
मुरारी सुबह सुबह ही शिवम् के घर चला आया था ताकि सगाई की बाकि तैयारियां देख सके। डायनिंग के पास बैठी अंजलि वंश को परेशान कर रही थी इसलिए वंश अपनी प्लेट लेकर उठा और सोफे पर आकर बैठ गया और वही बैठकर खाने लगा वंश के इस बचपने पर शक्ति मुस्कुरा उठा। वह मुन्ना से इंदौर वाली जॉब के बारे में बात करते हुए नाश्ता करने लगा। वंश ने अभी कुछ ही निवाले खाये थे की उसका फोन बजा उसने फोन जेब से निकाला कोई नया नंबर देखकर उसने फोन नहीं उठाया खाने में मस्त रहा। कुछ देर घनघनाने के बाद फोन बंद हो गया। कुछ देर बाद फोन फिर बजा वंश ने देखा उसी नंबर से फोन था इस बार वंश ने फोन उठा लिया और कहा,”हेलो कौन बोल रहा है ?”
“मैं बोल रही हूँ निशि,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एयरपोर्ट कब तक पहुंचोगे तुम ?”,दूसरी तरफ से निशि की आवाज आयी। निशि की आवाज सुनते ही वंश के गले में खाना अटक गया उसने खाँसते हुए कहा,”ये किसका नंबर है ? और तुमने मुझे बताया क्यों नहीं तुम बनारस आ रही हो ?”
“क्यों तुम मेरे रिश्तेदार हो जो तुम्हे बताना चाहिए , वैसे भी मैं यहाँ सिर्फ सारिका आंटी के कहने पर आयी हूँ। अब तुम आओगे या नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,?”,निशि ने थोड़ा कठोरता से कहा
वंश ने सूना तो उसने भी चिढ़ते हुए कहा,”नहीं आ रहा मैं , ऑटो लो और घर आ जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,घर का एड्रेस तो तुम्हे बताया ही होगा तुम्हारी सारिका आंटी ने,,,,,,,,,,,,तो खुद आ जाओ”
“ठीक है मैं शिवम् अंकल को फोन करके बोल देती हूँ की तुमने एयरपोर्ट आने से मना कर दिया है , एक्चुली मैं डेड को ही फोन कर देती हूँ”,निशि ने वंश को बलैकमेल करते हुए कहा
“अच्छा ठीक है मैं आ रहा हूँ”,वंश ने खीजते हुए कहा और फोन काट दिया
वंश ने मुश्किल से प्लेट में रखा डोसा खाया और प्लेट लेकर किचन में रखने चला गया। उसके दिमाग में चीजे उलझ रही थी और फिर हाथ धोते हुए वह मन ही मन खुद से कहने लगा,”वो छिपकली बनारस चली आयी पक्का वो मुझसे झगड़ा करने आयी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब मैं क्या करू ? अगर अकेले एयरपोर्ट गया तो कही वो मेरा खून करके वापस मुंबई ना भाग जाए,,,,,,,,,,,,,,हो सकता है वो मेरा सर भी फोड़ दे,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं मुझे रिस्क नहीं लेना चाहिए , मैं मुन्ना को अपने साथ ले जाता हूँ,,,,,,,,,,,,हाँ ये ठीक रहेगा,,,शायद नहीं मुन्ना अभी उसके बारे में कुछ नहीं जानता अगर उसने मुन्ना के सामने ही मुझसे झगड़ना शुरू कर दिया तो मेरी इज्जत की वाट लग जाएगी,,,,,,,,,,,,,,अब मैं क्या करू ?”
“वंश भैया साइड हटो मुझे प्लेट रखना है”,वंश के पीछे खड़ी अंजलि ने कहा तो वंश अपने ख्यालो ने बाहर आया। अंजलि को देखते ही वंश के दिमाग में एक ख्याल आया और वह मुस्कुराते हुए पलटा। उसे मुस्कुराते देखकर अंजलि ने कहा,”क्या है ? देखो मैं आपका कोई काम नहीं करने वाली हूँ”
“अरे अंजलि मेरी प्यारी बहन,,,,,,,,,,,,,,,!”,वंश ने उसके हाथ से प्लेट लेकर सिंक में रखते हुए कहा
“वंश भैया आपके मुंह से इतने मीठे शब्द निकल रहे है,,,,,,,,,,,,,पक्का कुछ गड़बड़ है हैं ना ?”,अंजलि ने कहा
वंश ने अंजलि के कंधो पर अपने हाथ रखे और उसे बाहर ले जाते हुए कहा,”अरे तुम्हे नहीं पता मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ,,,,,,,,,,,,,काशी के बाद तुम ही तो हो मेरी इकलौती बहन,,,,,,,,,,,,,,प्यारी सी गुड़िया”
“मुझे चक्कर आ रहा है , मुझे हर वक्त परेशान करने वाला इंसान आज इतना महान कैसे बन गया ?”,अंजलि ने पलटकर अपनी कमर पर दोनों हाथ रखते हुए कहा। वंश फिर मुस्कुराया और कहा,”मेरे साथ चलो ना प्लीज”
“देखा देखा आपका पहले वाला रूप बाहर आ रहा है , वैसे कहा जा ना है ?”,अंजलि ने पूछा जिसे घूमने का शौक था
“अरे तुम चलो तो बहुत अच्छी जगह है”,कहते हुए वंश उसे अपने साथ बाहर ले गया और गाड़ी का गेट खोलते हुए कहा,”जल्दी बैठो वरना देर हो जाएगी”
“अरे अरे अरे आप तो ऐसे जल्दी कर रहे है जैसे हम घूमने नहीं बल्कि आपके लिए लड़की देखने जा रहे है”,अंजलि ने बैठते हुए कहा
“वो सब मैं बाद में बताऊंगा”,कहते हुए वंश ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया
कुछ वक्त बाद गाड़ी एयरपोर्ट के सामने थी। अंजलि ने घूरते हुए वंश को देखा और कहा,”ये है आपकी वो अच्छी जगह ?”
वंश ने बड़ी सी स्माइल दी और गाड़ी से उतर गया। अंजलि भी गाड़ी से उतर गयी और कहा,”अब बता भी दो हम यहाँ क्यों आये है ?”
“अरे तू रुक ना , एक तो पहले से इतनी प्रॉब्लम है ऊपर से मैं इसे अपने साथ ले आया अपना सर खाने के लिए”,वंश ने अंजलि से कहा और फिर बड़बड़ाने लगा
कुछ देर बाद वंश को निशि आती दिखाई दी। वंश अंजलि का हाथ पकडकर उसकी ओर बढ़ गया , वंश का प्लान था की अंजलि के सामने निशि उसे कुछ नहीं कहेगी लेकिन बेचारी अंजलि को उसका प्लान नहीं पता था।
वंश के साथ अंजलि को देखकर निशि को अजीब लगा लेकिन उसने अपने चेहरे के भावो को ज्यों का त्यों रखा और अपनी आँखों से धूप वाला चश्मा निकालकर शर्ट में लगा लिया। वंश जैसे ही निशि के सामने आया अंजलि ने कहा,”वंश भैया मेरा हाथ छोड़िये”
“क्या हुआ मुझे देखकर डर गए क्या ? मेरे आने की खबर सुनकर सेल्फ डिफेन्स में अपनी बहन को साथ ले आये,,,,,,,,,,,,,,,,सही है , इतना ही डर लग रहा था तो मुझसे फोन पर ही माफ़ी मांग लेते”,निशि ने वंश के पास आकर धीरे से उसके कान में कहा।
“मैं और तुमसे डरूंगा,,,,,,,,,काश तुम ये गलत फहमी घर छोड़कर आती”,वंश ने भी धीरे से उसके कान के पास आकर कहा
निशि मुस्कुराई और अपना पैर वंश के पैर पर रखते हुए अंजलि की तरफ बढ़ गयी और ख़ुशी से अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाकर कहा,”हाय !! व्हाट्स योर नेम ?”
“मैं अंजलि एंड यू ? आई थिंक आप वंश भैया की दोस्त है”,अंजलि ने अंदाजा लगाते हुए कहा
“तुम्हे लगता मैं इस खड़ूस की दोस्त बनूँगी,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा उसकी बात सुनकर वंश जैसे ही जाने लगा निशि ने चुटकी बजाकर उसे रोका और कहा,”वो सामान लेकर आएगा ?”
बेचारा वंश नवीन के बारे में सोचकर चुप रह गया और निशि को घूरते हुए सामान की तरफ चला गया। अंजलि ने देखा तो चहकते हुए कहा,”वाओ वंश भैया ने कैसे चुटकी में आपकी बात मान ली , आपकी और मेरी बहुत अच्छी बनेगी”
“वो कैसे ?”,निशि ने अंजलि के साथ गाड़ी की तरफ बढ़ते हुए कहा
“क्योकि वंश भैया मुझे बहुत परेशान करते है , और मुझे ना कोई ऐसा चाहिए था जो मेरे साथ मिलकर उन्हें परेशान करे,,,,,,,,,,,,,,,,,और मुझे लगता है वो आप ही हो”,अंजलि ने चहकते हुए कहा तो निशि मुस्कुरा उठी और निशि को साइड हग करते हुए कहा,”बिल्कुल , आज से हम फ्रेंड्स”
निशि ने देखा वंश अभी तक आया नहीं उसने पलटकर वंश को देखा और ऊँची आवाज में कहा,”ओह्ह हेलो , थोड़ा जल्दी करो घर भी जाना है”
वंश ने सूना तो दोनों बैग जमीन पर फेंके , उन्हें लाते मारकर यहाँ वहा फेंका , गुस्से से निशि के पास आया , उसके बाल नोचे , घूंसा मारा और गुस्से से बावला हो गया।
“ओह्ह हेलो चिरकुट , तुमसे बात कर रही हूँ मैं , सुनाई नहीं दे रहा ?”,वंश के सामने खड़ी निशि ने कहा
वंश की तंद्रा टूटी , अभी कुछ पल पहले जो भी हुआ वो बस वंश भैया का वहम था। बैग उनके हाथ में थे और निशि सही सलामत उसके सामने खड़ी थी। वंश जैसे नींद से जगा। बैग शायद कुछ ज्यादा ही भारी थे इसलिए निशि ने वंश के हाथ से एक बैग लेते हुए कहा,”तुमसे अकेले कुछ नहीं हो सकता , लाओ एक बैग मैं उठा लेती हूँ”
बैग लेते हुए निशि की उंगलियो ने वंश के हाथ को जैसे ही छुआ एक सिहरन सी वंश के पुरे बदन में दौड़ गयी। वह एकटक निशि को देखता रहा , उसका दिल अचानक से तेज धड़कने लगा और उसे महसूस हुआ जैसे वह अभी नीचे गिर जाएगा

Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30 Main Teri Heer – 30

क्रमश – Main Teri Heer – 31 ( May Be Wednesday )

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