“मैं तेरी हीर” – 21
Main Teri Heer – 21
मुन्ना वंश को लेकर एक रेस्त्रो में पहुंचा वहा शक्ति पहले से उसका इंतजार कर रहा था। मुन्ना वंश के साथ आकर उसके सामने पड़ी खाली कुर्सियों पर बैठ गया। शक्ति को वहा देखकर वंश को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने कुछ कहा नहीं बस ख़ामोशी से शक्ति को देखता रहा। शक्ति ने मुन्ना को एक नजर देखा और फिर पेपर्स निकालकर मुन्ना के सामने रखते हुए कहा,”इन पर साइन करो”
मुन्ना ने वंश की तरफ देखा और साइन करने का इशारा किया , वंश ने पेन लिया और मुरारी के नकली साइन करते हुए कहा,”मुन्ना ये किस चीज के पेपर है ?”
“कल शाम तक सब पता चल जाएगा”,शक्ति ने पेपर लेकर उठते हुए कहा और वहा से चला गया
“यार मुन्ना इस आदमी को मैंने कही देखा है,,,,,,,,,,,,,,कहा देखा है याद नहीं आ रहा”,वंश ने सोचते हुए कहा
“चलो चलते है”,मुन्ना ने कहा और वंश के साथ बाहर निकल गया। वंश ने बाहर आकर बाइक स्टार्ट की और मुन्ना से पीछे बैठने को कहा। मुन्ना आकर उसके पीछे बैठ गया और वंश ने बाइक आगे बढ़ा दी। घर ना जाकर वंश मुन्ना के साथ लॉन्ग ड्राइव पर निकल गया। बाइक चलाते हुए वंश ने कहा,”मुन्ना पापा ने तुम्हे घर बुलाया था तुम आये क्यों नहीं ?”
“वो हम थोड़ा बिजी थे , समझ में नहीं आ रहा ये सब कैसे ठीक करे ?”,मुन्ना ने उदासी भरे स्वर में कहा
“क्या हुआ तू ठीक है ना ?”,वंश ने जैसे ही पूछा मुन्ना का दिल भर आया उसने कुछ नहीं कहा बस वंश की कमर पकड़ी और अपना गाल उसकी पीठ से लगा लिया। उसके मन में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और मुन्ना वो सब वंश तो क्या किसी को नहीं बता सकता था। मुन्ना को ऐसे देखकर वंश को अच्छा नहीं लगा आज से पहले मुन्ना ने ऐसा कुछ नहीं किया था। उसने साइड में बाइक रोकी और कहा,”मुन्ना तू ठीक है ना ? कुछ हुआ है क्या बता मुझे ,, पापा भी तुझसे मिलना चाहते है , तू घर भी नहीं आ रहा इन दिनों,,,,,,,,,,,,,,,देख तू मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाता इसलिए बता क्या हुआ ? हम वहा चलते है सामने”
कहते हुए वंश मुन्ना को लेकर सामने चाय की टपरी पर चला आया। उसने दो चाय देने को कहा और मुन्ना के साथ पास पड़ी बेंच पर आ बैठा।
वंश के पूछने पर मुन्ना ने उसे अपनी सारी परेशानिया बता दी बस गौरी के बारे में नहीं बताया। वंश ने जब सूना तो उसके चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आये और उसने कहा,”मुन्ना तुम्हे लगता है इस से सब प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी अगर मुरारी चाचा को पता चला की इन सब के पीछे तुम हो तो पता नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर जो भी हो मैं तुम्हारे साथ हूँ , मुझे तुम पर भरोसा है मुन्ना”
“हम्म्म अब थोड़ा अच्छा लग रहा है”,मुन्ना ने वंश की तरफ देखकर कहा
“ओह्ह्ह मेरे बच्चे छोटे से दिमाग में इतनी टेंशन लेकर मत घुमा कर , जब तक मैं ज़िंदा हूँ तुझे कोई हाथ भी नहीं लगा सकता”,वंश ने मुन्ना को गले लगाते हुए कहा। वंश को गले लगाकर मुन्ना को थोड़ा अच्छा लगा। दोनों ने साथ बैठकर चाय पी और फिर वहा से घर के लिए निकल गए।
अगली सुबह मुरारी किसी मीटिंग के सिलसिले में अपने पार्टी ऑफिस के लिए निकला। दोपहर में मुरारी गुस्से से वापस आया , उसके चेहरे से ही पता चल रहा था की पार्टी ऑफिस में जरूर कुछ हुआ है। मुरारी गुस्से से दनदनाते हुए घर में आया। उसने देखा शिवम् और सारिका घर आये हुए थे और हॉल में बैठकर अनु से बात कर रहे थे। मुरारी ने उनकी परवाह किये बिना ही जो से कहा,”मुन्ना , मुन्ना”
मुरारी को गुस्से में देखकर अनु , शिवम् और सारिका तीनो हैरान हो गए। मुन्ना ने मुरारी की आवाज सुनी तो तुरंत नीचे चला आया , साथ में वंश भी था। मुन्ना चुपचाप आकर मुरारी के सामने खड़ा हो गया। मुरारी गुस्से से मुन्ना को घूरने लगा। शिवम् ने देखा तो उठकर मुरारी के पास आकर कहा,”क्या बात है मुरारी इतना गुस्से में काहे हो ?”
मुरारी ने शिवम् की बात का जवाब नहीं दिया उलटा खींचकर एक थप्पड़ मुन्ना के गाल पर रसीद कर दिया और मुन्ना ने चू तक नहीं की , शायद वो पहले से जानता था ऐसा कुछ होने वाला है। अनु ने देखा तो हैरानी से अपना हाथ अपने होंठो पर रख लिया। वो यकीन नहीं कर पा रही थी की मुरारी ने मुन्ना पर हाथ उठाया। शिवम् भी हैरान था और मुरारी की तरफ देखने लगा। वह कुछ समझ पाता इस से पहले ही मुन्ना ने कहा,”पापा हम,,,,,,,,,,,,,,!!!”
मुरारी ने मुन्ना को अपनी बात पूरी भी नहीं करने दी और एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर रसीद कर दिया। पहली बार मुरारी की आँखों से गुस्सा टपक रहा था। उसके हाथ कांप रहे थे और चेहरा लाल पड़ चुका था।
शिवम् ने देखा तो उसने मुरारी को पीछे धकियाते हुए कहा,”मुरारी जे सब का है ? जवान बेटे पर हाथ उठाते शर्म नहीं आयी तुम्हे ? का किया है मुन्ना ने जो तुम इतना गुस्सा हो रहे हो ?”
शिवम् की बात सुनकर मुरारी ने दुख और गुस्से से भरे स्वर में कहने लगा,”इतने सालो में हमने कभी कोई गलत काम नहीं किया , कभी किसी से रिश्वत नहीं ली , कभी पेसो के लिए किसी गलत काम को मंजूरी नहीं दी , साला हमेशा खुद से पहले बनारस की जनता के बारे में सोचे लेकिन आज , आज सब मिटटी में मिल गया”
“मुरारी हुआ क्या ? ऐसा क्या कर दिया मुन्ना ने ?”,अनु खुद को रोक नहीं पायी और मुन्ना के बगल में आकर कहा
मुरारी ने एक बार फिर मुन्ना को गुस्से से देखा और कहा,”तुम्हारे इस लाडले ने हमारे जाली साइन किये और हमारा इस्तीफा पार्टी में दे दिया।”
मुरारी की बात सुनकर सब हैरानी से मुन्ना को देखने लगे
मुरारी की बात सुनकर सब हैरान थे किसी को यकीन नहीं हुआ
“क्या ? क्या ये सच है मुन्ना ? तुमने ऐसा क्यों किया बेटा ?”,अनु ने हैरानी से मुन्ना की तरफ देखकर पूछा लेकिन मुन्ना ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी ख़ामोशी से मुरारी का गुस्सा तकलीफ में बदल गया और वह दुखी स्वर में कहने लगा,”पता है शिवम् भैया जो लोग हमारे सामने बोलने से डरते थे आज वही पार्टी ऑफिस में हम पर उंगलिया उठा रहे थे , हमे नीचा दिखा रहे थे , हमे खरी खोटी सूना रहे थे। हमने कभी किसी का बुरा नहीं किया , विधायक होकर भी हम आम इंसान की तरह सबके बीच रहे लेकिन आज मुन्ना की वजह से हमे उन लोगो के सामने शर्मिंदा होना पड़ा। इसको पूछो काहे किया जे सब ? हम सोचते थे बाहर हमारे दुश्मन है लेकिन हम , हम तो आस्तीन में साँप पाल के बैठे थे।”
“मुरारी सम्हालो खुद को”,शिवम् ने मुरारी के कंधे पर हाथ रखकर कहा और फिर मुन्ना की तरफ पलटकर पूछा,”मुन्ना क्या है ये सब ? आखिर तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम्हारे ऐसा करने से तुम्हारे पिता को कितनी ठेस पहुंची है क्या इसका अंदाजा भी है तुम्हे ,, तुमने ऐसा क्यों किया मुन्ना ?”
“तो और हम क्या करते बड़े पापा ?”,मुन्ना ने दुखी स्वर में कहा मुरारी फिर मुन्ना को गुस्से से देखने लगा और कहा,”तुमने का इसको अपने कॉलेज का इलेक्शन समझ रखा है ? जे हमरी बरसो की मेहनत थी कोई हंसी मजाक नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”
“आप जिस राजनीती की बात कर रहे है वो सिर्फ एक दलदल है पापा”,मुन्ना का गुस्सा फूट पड़ा सब उसकी ओर देखने लगे तो वह आगे कहने लगा,”बचपन से हम देखते आये है झूठ , छल , कपट , धोखा , दुश्मनी , बदला इन सबके अलावा आखिर क्या दिया है इस राजनीती ने आपको। जिन लोगो के भले के लिए आप दिन रात काम करते आये है क्या उन्हें आपकी परवाह है। आप बहुत सीधे है पापा और लोगो ने सिर्फ आपका फायदा उठाया है। ये राजनीती आप जैसे लोगो के लिए नहीं बनी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपके पास कभी माँ के लिए वक्त नहीं रहा , कभी आपने हमसे नहीं पूछा की हमे क्या चाहिए ? बस दिन रात इस राजनीती के पीछे भागते रहे आप। सिर्फ पैसा और सुख सुविधा ही सब कुछ नहीं होती है पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपकी इस राजनीती से हम अच्छा खाना खा सकते है लेकिन क्या आपको याद है हमने आखरी बार साथ बैठकर खाना कब खाया था ? इस राजनीती से हम और माँ बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूम सकते है लेकिन क्या कभी हम आपके साथ घाट की सीढ़ियों तक भी गए है ? इस राजनीती ने आपको मान सम्मान सब दिया लेकिन क्या आप ये जानते है इसके लिए आपने कितने ही लोगो की जी हुजूरी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी जवानी के दिनों में अपनी शर्तो पर जिंदगी जीने वाले आप , किसी से ना डरने वाले आप सिर्फ अपने बच्चो के लिए लोगो के सामने झुककर माफ़ी मांगते है ताकि आपका पोलिटिकल सपोर्ट ना छीन जाए। आज ना जाने कितने ही लोग होने जो आपके दुश्मन बने बैठे सिर्फ इस राजनीती की वजह से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लोगो का भला करते करते आप अपने ही परिवार को कितना पीछे छोड़ आये है क्या ये जानते है आप ?”
मुन्ना की सांसे फूलने लगी थी मुरारी फटी आँखों से मुन्ना को देख रहा था। मुरारी का दिल धड़क रहा था क्योकि कही ना कही मुन्ना की कही बातें सच थी। घूमते घामते वंश भी वहा आ पहुचा लेकिन माहौल देखकर ख़ामोशी से सारिका के पास चला आया। शिवम् ने सब सूना तो मुन्ना से कहा,”मुन्ना ये क्या तरिका है अपने पिता से बात करने का ? क्या हमने तुम्हे यही संस्कार दिए है। हाँ मानते है तुम्हारी कुछ बातें सही है लेकिन तुम्हारा तरिका बिल्कुल गलत है। मुरारी से इस तरह से बात करने का हक़ तुम्हे किसने दिया ?”
मुन्ना की बातें सुनकर मुरारी को दुःख हुआ वह लड़खड़ाया और वही पड़े सोफे पर बैठ गया। उसका चेहरा बता रहा था की उसे मुन्ना की बातो से बहुत तकलीफ पहुंची है। उसे चुप देखकर शिवम् ने मुन्ना से फिर कहा,”अगर कोई समस्या थी तो आकर हमसे बात करते , इतना बड़ा फैसला तुमने खुद क्यों लिया ? मुरारी से बात की होती , उसे बताया होता तो शायद तुम्हारे लिए वो ख़ुशी ख़ुशी अपना इस्तीफा दे देता”
“क्योकि हमारे पास इतना वक्त नहीं था बड़े पापा की हम इन्हे समझा सके। हमे इस वक्त जो सही लगा हमने वो किया ,, पापा खुद नहीं जानते की वो कितनी बड़ी मुसीबत में फसने वाले थे,,,,,,,,,इनकी पार्टी के लोग ही इनके खिलाफ थे और बहुत जल्द वो पापा के खिलाफ जाने वाले थे। वो लोग इन्हे नुकसान पहुंचाते इस से पहले ही हमने इन्हे बाहर निकाल लिया क्योकि सारा झगड़ा उस कुर्सी के लिए था। हम मानते है ये सही तरिका नहीं था लेकिन हमारे पास दुसरा रास्ता नहीं था। लोगो की गन्दी राजनीती के चलते हम इन्हे खोना नहीं चाहते,,,,,,,,,,,,,,,,,कितने ही सालो से हम इस डर में जीते आ रहे है की इस कुर्सी के लिए किसी दिन कोई इन्हे नुकसान पहुंचा देगा। बड़े होने के बाद हमने कभी इनके साथ बैठकर बात तक नहीं की है क्योकि इनके पास वक्त नहीं होता था ,, ये हमे वक्त ना दे हमे कोई शिकायत नहीं लेकिन हम इन्हे खोना नहीं चाहते बड़े पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मुन्ना मुरारी के सामने घुटनो पर आ बैठता है और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहने लगा,”हमे माफ़ कर दीजिए पापा , हमे आपसे कुछ नहीं चाहिए पापा और आप आप चिंता मत कीजिये हम है ना , हम कमाएंगे आपको जो चाहिए वो हम आपको देंगे ,, हम खूब मेहनत करेंगे और आपको और माँ को खुश रखेंगे। आपने हमारे लिए जो किया वो कम नहीं था पर हम आपको किसी के सामने झुकते हुए नहीं देख सकते,,,,,,,,,,,,,,,जिस मुरारी कुमार मिश्रा के बारे में हमने अपने नानाजी से सूना था हम फिर से उन्ही को देखना चाहते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,विधायक मिश्रा को नहीं,,,,,,,,,,,,,,,एक बार हमारे साथ हमारे पापा बनाकर रहिये , ये राजनीती , ये ऐशो आराम की जिंदगी हमे नहीं चाहिए पापा ,, हमे सिर्फ हमारे पापा चाहिए जिनसे हम अपनी हर बात शेयर कर सके। जिनके साथ बैठकर हम खाना खा सके , जिनसे बात करने के हमे इंतजार ना करना पड़े।”
कहते हुए मुन्ना की आंखों में आँसू भर आये। शिवम् , सारिका , अनु और वंश की आँखे भी नम थी आज उन्हें समझ आ रहा था की मुन्ना ऐसा क्यों था ? मुन्ना के कम बोलने और गंभीर रहने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यही थी। मुरारी ने सूना तो कुछ नहीं कहा बस उठकर अपने कमरे की ओर चला गया।
मुरारी के चुपचाप चले जाने से मुन्ना को बहुत तकलीफ हुई वह अपनी नम आँखों को पोछते हुए उठा तो शिवम् उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”हमे तुम पर भरोसा है मुन्ना , तुमने जो किया उसके पीछे जरूर कोई बड़ी वजह रही होगी,,,,,,,,,,,,मुरारी को इस वक्त सदमा लगा है उसे इस से बाहर निकलने में थोड़ा वक्त लगेगा ,, तुम चिंता मत करो वो समझ जाएगा”
“बड़े पापा हम आप सबसे माफ़ी चाहते है , हमने अकेले ही ये फैसला लिया और,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने जैसे ही कहना चाहा वंश ने उसके बगल में आकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”अकेले नहीं पापा मैंने और मुन्ना ने ये मिलकर किया है”
मुन्ना वंश की तरफ देखने लगा तो वंश ने अपनी पलके झपका कर उसे साथ होने का अहसास दिलाया। सारिका ने सूना तो उन दोनों के पास आयी और कहा,”सच में बड़े हो गए हो तुम दोनों , इतने बड़े बड़े फैसले लेने लगे हो वो भी बिना अपने माँ-बाप को बताये”
“बड़ी माँ अनजाने में हमसे एक गलती हो गयी थी हमने उसी को सुधारने की कोशिश की है , आज भले पापा हमारी वजह से हर्ट है लेकिन आगे नहीं होंगे हम ये वादा करते है”,मुन्ना ने उदास होकर कहा
“मुन्ना तुम्हे अब और अफ़सोस नहीं करना चाहिए , जाओ अपने कमरे में जाओ,,,,,,,,,,,,सरु हमे भी अब घर चलना चाहिए”,शिवम् ने सारिका की तरफ देखकर कहा तो सारिका ने हामी भर दी। वंश मुन्ना के साथ ही रुक गया। सारिका ने अनु को मुरारी का ध्यान रखने को कहा और शिवम् के साथ वहा से चली गयी। अनु ने देखा मुन्ना का चेहरा उदासी से घिरा है तो वह उसके पास आयी और उसे गले लगाते हुए कहा,”सब ठीक हो जायेगा मुन्ना”
“क्या पापा की तरह आप भी मुझसे नाराज है ?”,मुन्ना ने पूछा
“नहीं , मैं तुमसे कभी नाराज नहीं हो सकती,,,,,,,,,,,,तुम्हारा कहा एक एक शब्द सच था , मुरारी को अब ये समझना होगा”,अनु ने कहा
मुन्ना को थोड़ा अच्छा लगा की अनु उस पर भरोसा करती है।
“वंश मुन्ना को लेकर जाओ मैं तुम दोनों के लिए खाने को कुछ भिजवाती हूँ”,अनु के कहा तो वंश मुन्ना के साथ सीढ़ियों के तरफ बढ़ गया। अनु ने किशना से मुन्ना और वंश के लिए चाय नाश्ता बनाने को कहा और खुद मुरारी के पास चली गयी। अनु कमरे में आयी देखा मुरारी बिस्तर पर बैठा नीचे जमीन की तरफ देखा जा रहा था। मुरारी को इस हालत में देखकर अनु को अच्छा नहीं लगा , वह उसके पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”सब ठीक हो जाएगा मुरारी , मुन्ना ने ये सब सिर्फ तुम्हे मुसीबतो से निकालने के लिए किया है। वो तुम्हे हर्ट करना नहीं चाहता था”
मुरारी ने सूना तो उसने अनु के हाथो को अपने हाथो में लिया और कहने लगा,”बनारस में हमने इस विधायकी के नाम से अपनी इज्जत बनायीं थी , बिना किसी कारण इस्तीफा देने का मतलब तुमहू जानती हो,,,,,,,,,,,,,,,इह का मतलब जे की हम अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे है। बनारस सिर्फ हमरा शहर नहीं बल्कि हमरा घर है बचपन से लेकर अब तक हम यही पले बढ़े है , सुख दुःख देखे , जिंदगी के कितने सारे उतार चढाव देखे। यहाँ की जनता ने हमे हमेशा प्यार दिया और आज जब बनारस को हमरी जरूरत है तो हम मुंह छिपाकर इस्तीफा दे आये,,,,,,,,,,,,,,,काहे ? लोग जब हमसे पूछेंगे तो का जवाब देंगे हम ?”
“इतना मत सोचो मुरारी , तुम्हारे विधायक ना रहने के बाद भी लोग तुम्हे उतना ही पसंद करेंगे। मुन्ना को समझने की कोशिश करो मुरारी इतने सालो में तुमने यहाँ के लोगो के लिए बहुत कुछ किया है तुम आगे भी कर सकते हो इसके लिए तुम्हारा विधायक होना जरुरी नहीं है। मैंने कभी तुमसे शिकायत नहीं की मुरारी पर जरा सोचो इतने सालो में क्या तुमने कभी खुद के लिए भी वक्त निकाला है ? लोगो का अच्छा करने के लिए हमारी अच्छी नियत जरुरी है कुर्सी नहीं”,अनु ने कहा तो मुरारी का दिल थोड़ा हल्का हुआ वह अनु की तरफ देखने लगा तो अनु ने प्यार से मुरारी के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा,”मुझे नहीं चाहिए ये सब मुझे बस मेरा मुरारी वापस चाहिए , वो मुरारी जो दिनभर बकैती करता था , वो मुरारी जो हर वक्त खुश रहता था , बेफिक्र रहता था।”
मुरारी को अहसास हुआ की इस राजनीती के चलते वह अपनों से कितना दूर हो गया था , कितना बदल गया था ,, वह कुछ देर खामोश रहा और अनु के हाथो को अपने हाथो में थामकर कहा,”मैग्गी एक कप चाय पिलाओगी ?”
“मैं अभी लेकर आती हूँ”,अनु ने मुस्कुराते हुए मुरारी के गाल को छूकर कहा और चली गयी।
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संजना किरोड़ीवाल
Story ek aise mod pr hai ki smjh n aa r aage ky hoga pr jo b hoga acha hoga….🤞🤞
Very beautiful
Akhir Munna ki bat shi h Murari ki rajneeti usi par bhari pad rhi thi jise munna ne Bahar nikal diya aaj ka part awesome 👌👌👌😍😍😍👍👍
I hope jab inhe puri baat pata chalegi to sab thik ho jayega or shivam ko pata chalega ki shakti ne help ki h to shayad wo bhi usko samjhega
लगता है कि कुछ बड़ा होने वाला था…जिसे मुन्ना ने ठीक कर दिया है….
Hme bhi munna pr pura bharosa hai
Bo sb thik kr dega 💖💖💖💖💖💖💖💖
Aur apni writer pr bhi
Bo sb samhal legi 💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖
Unpredictable story
So emotional
Pta nhi agey kya hone wala h
Nice story
👌👌🙏
Oopss high voltage part🤐🤐🤐🤐