Main Teri Heer – 38
Main Teri Heer – 38
उर्वशी अचानक से इंदौर क्यों जा रही थी ये कोई नहीं जानता था , आप लोग भी नहीं जानते पर मैं जानती हूँ।
उर्वशी बनारस से इंदौर के लिये निकल चुकी थी। मुरारी सपरिवार इंदौर जा रहा था और वही नवीन भी अपने परिवार और वंश के साथ इंदौर के लिये निकल गया बचा राजन उसे मुन्ना से शिकायत थी कि मुन्ना ने उसे अपनी सगाई में क्यों नहीं बुलाया ? वही भूषण की बात ने राजन के मन में विचार पैदा कर दिया कि आखिर जिस मुन्ना को उसने अपना दोस्त माना उसने उसे इस बारे में बताया तक नहीं घाट से निकल कर राजन चला गया।
रमेश ने भूषण को घाट की सीढ़ियों पर अकेले बैठे मुस्कुराते देखा तो उसके पास आया और बैठते हुए कहा,”का बात है भूषण भैया अकेले में बड़ा मुस्कुरा रहे हो , कोनो बात है तो हमका भी बताओ,,,,,,,,,!!”
“सुकून का नाम सुने हो रमेशवा ? आज साला बहुते सुकून में है,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने कहा
“अच्छा ऐसा का हो गवा तनिक हमका भी बतावा”,रमेश ने भूषण की बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा
भूषण रमेश की तरफ पलटा और कहा,”जिस मुन्ना को राजन भैया अपना दोस्त बताय रहे , अरे जिनकी खातिर हमसे झगड़ा किये रहय आज वही मुन्ना राजन भैया के पिछवाड़े पर लात मारकर निकल लिये,,,,,,,,,!!”
“मतलब ? हम कुछो समझे नाही,,,,,,,,,!!”,रमेश ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अरे मिश्रा के लौंडे की सगाई है इंदौर में लेकिन मुन्ना ने राजन भैया को नहीं बुलाया,,,,,,,,,तो पड़ी ना लात उनके पिछवाड़े पर”,भूषण ने कहा
“ए भैया ! ऐसा नहीं कहते,,,,,,,,,,,,राजन भैया हम सबको पाले है यार और उह ससुरा वंश-मुन्ना तो पहिले से खुन्नस खाये बैठे है राजन भैया से उह कहा लेकर जायेंगे राजन भैया को अपने साथ इंदौर,,,,,,,,,,!!”,रमेश ने कहा
“रमेशवा हम बस यही तो समझाने की कोशिश कर रहे राजन भैया को उह मुन्ना दोस्ती के लायक नहीं है पर साला उह हमरी बार सुने तब न,,,,,,,,,!!”,भूषण ने कहा
“चिंता नाही करो भैया सुनेंगे भी और समझेंगे भी,,,,,,,,,,,अभी राजन भैया खुद अपनी बुद्धि मा नहीं है , सही वक्त आयेगा तब समझेंगे भी और वंश मुन्ना को उनकी औकात भी दिखाएंगे”,रमेश ने कहा तो भूषण सामने देखने लगा। राजन भले ही यादास्त जाने की वजह से मुन्ना और वंश को भूल गया लेकिन उन्हें लेकर भूषण की नफ़रत आज भी कायम थी। वह कुछ देर वहा बैठा और फिर रमेश के साथ वहा से निकल गया।
“वंश ये लो ये खाओ,,,,,,,,,!!”,मेघना ने प्लेट में खाना निकालकर वंश की तरफ बढ़ाते हुए कहा जो वे घर से बनाकर लायी थी
“थैंक्यू आंटी,,,,,,,,,बट आप खाना घर से क्यों लेकर आयी है ये तो हमे ट्रेन में भी मिल जाता न”,नवीन के बगल में बैठे वंश ने कहा
“ट्रेन का खाना तुम्हारे अंकल को पसंद नहीं है , उन्हें सफर में घर का खाना ही चाहिए होता है”,कहते हुए मेघना ने दूसरी प्लेट निशि की तरफ बढ़ा दी।
“बिल्कुल मेरी माँ पर गए है,,,,,,,,,,,,!!”,वंश धीरे से बड़बड़ाया
“तुमने कुछ कहा ?”,नवीन ने पूछा
“अह्ह्ह्ह नहीं कुछ भी तो नहीं , आंटी मुझे न वो चाहिए,,,,,,,,!!”,वंश ने अचार की तरफ इशारा करके कहा
वंश को नवीन से डरते देखकर निशि दबी हंसी हंसने लगी तो नवीन ने कहा,”निशि खाना खाओ चुपचाप,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने अपनी हंसी को रोक लिया और खाना खाने लगी।
मेघना ने नवीन को प्लेट पकड़ाई और खुद भी खाने लगी। खाना खाते हुए नवीन ने एकदम से निशि से पूछा,”क्या मुन्ना की होने वाली वाइफ तुम्हारी दोस्त है ?”
“नहीं ! वो मेरी दोस्त क्यों होने लगी,,,,,,!!”,निशि ने खाना खाते हुए बेपरवाही से कहा
“तो फिर गौरी ने मुझे फोन क्यों किया और वो तुम्हे इंदौर लाने को इतना इंस्टेंट क्यों कर रही थी ?”,नवीन ने जब ये बात कही तब वंश पानी पी रहा था और नवीन का सवाल सुनकर उसके मुंह से पानी का फनवारा निकला जो की सीधा जाकर सामने बैठी निशि पर गिरा , हालाँकि निशि अपना खाना खत्म कर चुकी थी।
“तुम ठीक हो ?”,नवीन ने वंश से पूछा
“अह्ह्ह्ह हाँ हाँ मैं ठीक है मेरा हो गया मैं हाथ धोकर आता हूँ,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने उठते हुए कहा और वहा से भाग गया।
निशि ने देखा पानी से उसके कपडे खराब हो चुके है तो उसने गुस्से से कहा,”अह्ह्ह्ह कितना जाहिल है ये लड़का,,,,,,,,,!!”
“कोई बात नहीं निशि तुम जाकर ये टॉप चेंज कर लो,,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा
निशि अपनी जगह से उठी और अपने बैग से दूसरा टॉप निकालकर ट्रेन के बाथरूम की तरफ बढ़ गयी।
निशि नहीं जानती थी पर वंश भी इसी तरफ था वह ट्रेन के दरवाजे पर खड़ा बस किसी तरह खुद को नार्मल करने की कोशिश कर रहा था। वह लम्बी लम्बी सांसे ले रहा था क्योकि उसने निशि के साथ मिलकर नवीन से जो झूठ बोला था वह लगभग सामने आने वाला ही था और इसके बाद नवीन उसके साथ क्या करता इसका अंदाजा वंश को नहीं था। वंश ने खुद को नार्मल किया और जैसे ही जानें के लिये पलटा निशि को वहा देखकर गिरते गिरते बचा
, उसका हाथ अपने सीने पर चला गया और वह चिल्लाया,”ए ! तुम किसी दिन मुझे हार्ट अटैक देकर ही मानोगी”
निशि ने वंश को वहा देखा तो उसका दबा हुआ गुस्सा फूट पड़ा और वह वंश पर चिल्लाई,”तुम खुद को समझते क्या हो ? तुम्हारी वजह से मेरा पूरा टॉप खराब हो गया , तुम ऐसी हरकतें क्यों करते हो कि मुझे तुम पर गुस्सा आये”
वंश निशि के करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए गुस्से से कहा,”ओह्ह्ह रियली ! तुम्हारा सिर्फ टॉप खराब हुआ लेकिन तुम्हारी वजह से मेरी ये पूरी जर्नी खराब होने वाली है,,,,,,,,,,,,,हाह ना मैं तुम्हारी हेल्प करता और ना मुझे तुम्हारे साथ इस ट्रेन में आना पड़ता,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अच्छा मेरी गलती है , ओह्ह्ह्ह वाओ , डेड से गौरी बनकर बात करने की क्या जरूरत थी तुम्हे,,,,,,,,,!!”,निशि ने भी वंश पर चढ़ते हुए कहा
“तो तुम थोड़ी देर के लिये अपना दिमाग इस्तेमाल नहीं कर सकती , तुमने ये क्यों कहा गौरी तुम्हारी दोस्त नहीं है,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने गुस्से से तमतमाते हुए कहा
“जब तुम्हारे झूठ सम्हाले ना जाये तो मत बोला करो,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“अह्ह्ह्ह क्या करू मैं तुम्हारा,,,,,,,दिल तो कर रहा है इस ट्रेन से धक्का दे दू मैं तुम्हे,,,,,,,,,,,छिपकली कही की , झूठ भी मैंने तुम्हारे लिये ही बोला था , अहसानफरामोश”,वंश ने अपने हाथो को हवा में उठाते हुए कहा जैसे वह बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो गया हो
“क्या कहा तुमने ? अहसानफरामोश,,,,,,,,,,और तुम मुझे ट्रेन से फेंकोगे,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारा खून कर दूंगी”,कहते हुए निशि ने वंश के बालो को अपने दोनों हाथो में पकड़ लिया।
वंश कहा पीछे रहने वाला था उसने भी निशि के लम्बे बालों को पकड़ा और कहा,”हाँ हाँ हो तुम अहसानफरामोश,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे जैसी सेल्फिश लड़की मैंने आज तक नहीं देखी , मुझे थैंक्यू कहने के बजाय तुम मुझे ही सुना रही हो,,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू माय फुट ,, पहले खुद झूठ बोलो और फिर मुझे अहसानफरामोश कहो,,,,,,,,,,,,,आज तो तुम गए बच्चू”,कहते हुए निशि ने वंश के पैर पर अपना पैर जोर से दे मारा बेचारा वंश ना चाहते हुए भी उसे निशि के बालों को छोड़ना पड़ा और वह अपना पैर पकड़कर चिल्लाया
“अह्ह्ह ! कितनी निर्दयी हो तुम,,,,,,,,,,!!”,वंश ने दर्द से कराहते हुए कहा
“ए ! तुम्हे क्या दर्द शुद्ध हिंदी में होता है,,,,,,,,?”,निशि ने वंश का मजाक उड़ाते हुए कहा
“तुम फिर मेरा मजाक उड़ा रही हो ?”,कहते हुए वंश अपना पैर छोड़कर जैसे ही निशि की तरफ बढ़ा निशि घबराकर पीछे हटी और उसका पैर लड़खड़ाया वह ट्रेन से लगभग गिरने ही वाली थी कि वंश ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया।
निशि डरी सहमी आँखों से वंश की आँखों में देखते रही , उसका दिल ट्रेन की स्पीड में दौड़ रहा था और वह लगभग साँस लेना भूल चुकी थी।
किसी अनहोनी के डर से वंश का दिल भी जोरो से धड़क रहा था। वंश ने उसे खींचकर अंदर किया और निशि वंश के करीब चली आयी। उसका हाथ वंश के सीने से आ लगा , निशि ने महसूस किया कि वंश का दिल बहुत जोरो से धड़क रहा है।
“मैं जानता था , मैं जानता था कुछ तो चल रहा है जिसकी खबर मुझे नहीं है , मैं जानता था”,नवीन ने आकर अपनी सीट पर बैठते हुए परेशानी भरे स्वर में कहा
“क्या जानते थे ? और क्या हुआ तुम्हे ? तुम हाथ धोने गए थे ना,,,,,,,,,,,,!!”,मेघना ने पूछा
“मुझे पता था हमारी बेटी और वंश के बीच कुछ है,,,,,,,,!!”,नवीन ने उलझन भरे स्वर में कहा
“क्या है ? और ये क्या कह रहे हो तुम ? वंश और निशि के बीच क्या ?,,,,,,,,!!”,मेघना ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अरे वही जो कभी हमारे बीच था , जो उनकी उम्र में होता है,,,,,,,,,,,मुझे लगता है निशि और वंश एक दूसरे को पसंद करते है”,नवीन ने आखरी शब्द बहुत ही धीमे स्वर में कहे जिस से आस पास के लोग सुन ले
“तो क्या हुआ ?”,मेघना ने कहा जैसे उसे कोई खास फर्क न पड़ा हो
“तुम समझ नहीं रही हो मेघना , ये पसंद वो वाला पसंद नहीं है , पसंद ?”,नवीन ने कहा
“हाह ! क्या तुम सच कह रहे हो ? क्या सच में वंश हमारी निशि को पसंद करता है,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह ये कितना अच्छा होगा मुझे तो वो लड़का पहले दिन से ही पसंद है। मुझे उसे अपने घर का दामाद बनाने में कोई परेशानी नहीं है।”,मेघना ने ख़ुशी से भरकर कहा
” डेली सोप देख देखकर तुम्हारा दिमाग खराब हो गया,,,,,,,,,,,तुम्हे परेशानी नहीं है पर मुझे है”,नवीन ने कहा
“कैसी परेशानी डेड ?”,निशि ने आकर नवीन के बगल में बैठते हुए कहा
“परेशानी ? कैसी परेशानी ? मेघना क्या हम किसी परेशानी के बारे में बात कर रहे थे ?”,नवीन ने मेघना को देखकर निशि के सामने सच न बोलने का इशारा करते हुए कहा
“परेशानी , हीहीहीहीही कोई परेशानी नहीं है बेटा,,,,,,,,,!!”,मेघना ने हँसते हुए कहा लेकिन उसके चेहरे के एक्सप्रेशन उसके कहे शब्दों से बिल्कुल मैच नहीं कर रहे थे
निशि ने मेघना को देखा तो नवीन ने कहा,”एक्चुली मेरी अपर बर्थ है और मुझे बैकपेन की प्रॉब्लम है इसलिए मैं बस मेघना से कह रहा था कि मुझे ऊपर सोने में परेशानी है,,,,,,,,,,बस और कुछ नहीं”
“कोई बात नहीं , आप यहाँ सो जाना मैं और वंश ऊपर सो जायेंगे,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने सहजता से कहा वह नवीन के सामने वंश को लेकर कोई गुस्सा करना नहीं चाहती थी
नवीन ने जैसे ही सुना एकदम से उठकर हड़बड़ाते हुए कहा,”नहीं नहीं नहीं नहीं , तुम और वंश एक साथ नहीं,,,,,,,,,नहीं ये नहीं हो सकता , मैं मैं ऊपर सो जाऊंगा”
“रिलेक्स डेड ! उसकी और मेरी बर्थ अलग अलग है,,,,,,,,,,,,,आप इतना परेशान क्यों हो रहे है ?”,निशि ने कहा तो नवीन को थोड़ी राहत मिली फिर भी वह नहीं चाहता था वंश निशि के सामने वाली बर्थ पर रहे , वह वंश को अपनी नजरो के सामने रखना चाहता था इसलिए कहा,”ओह्ह्ह हाँ ! सॉरी ,, एक काम करते है मैं और वंश नीचे वाली बर्थ पर सो जायेंगे तुम और तुम्हारी मम्मी ऊपर सो जाना,,,,,,,,,,,,,हाँ ये ठीक रहेगा”
“डेड आप मॉम को क्यों परेशान कर रहे है,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“परेशान ? बिल्कुल नहीं , अरे तुम्हारी मॉम अभी भी फिट है वो ऊपर चढ़ सकती है ,, हैं ना मेघना ?”,नवीन ने कहा
नवीन को ऐसे परेशान देखकर मेघना ने कहा,”अह्ह्ह हाँ ! मुझे कोई परेशानी नहीं है,,,,,,,,,,,!!”
“हहहह देखा किसी को कोई परेशानी नहीं है,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा
निशि ऊपर वाली बर्थ पर चढ़ते हुए बड़बड़ाने लगी,”पता नहीं डेड इतना अजीब बिहेव क्यों कर रहे है ?”
मेघना भी अपर बर्थ चली आयी , निशि ने अपने कानों में ब्लूटूथ लगाया और म्यूजिक चला लिया लेकिन जैसे ही उसने आँखे मुंदी उसकी आँखों के सामने कुछ देर पहले वाला सीन आने लगा जब वह वंश के बहुत करीब थी और उसकी धड़कनो को महसूस कर सकती थी।
बाथरूम के बाहर बने वाशबेसिन के सामने मुंह धोते हुए वंश ने शीशे में खुद को देखा और मन ही मन कहने लगा,”ये अचानक से क्या हो जाता है मुझे ? मैं समझ नहीं पा रहा हूँ मुझे उस छिपकली से चिढ है फिर मैं एकदम से उसकी परवाह करने क्यों लग जाता हूँ और ये एकदम से क्या हो जाता है मुझे जब वो मेरे पास आती है तो मेरी धड़कने क्यों बढ़ जाती है ? मत भूल वंश कुछ देर पहले कैसे जानवरो की तरह उसने तुम्हारे बालों को नोचा था,,,,,,,,,,उसमे लड़कियों वाला कोई गुण नहीं है उसका बस चले तो वह तुम्हारा खून कर दे,,,,,,,,,,,,,,,,हाह ये कहा फंस गया मैं ?”
“ओह्ह्ह भाई ! अगर खुद को निहार लिया हो शीशे में तो हट जाओ तनिक हमका हाथ धोने है,,,,,,,,,!!”,एक आदमी की आवाज वंश के कानों में पड़ी तो वह अपने ख्यालो से बाहर आया और फिर वहा से चला गया।
राजन मुँह पर कपड़ा बांधे चोरी छुपे अपने घर में आया। वह नहीं चाहता था कोई उसे देखे उसके हाथ में कुछ लिफाफे जैसा था जिसे वह सबसे छुपा रहा था। राजन दबे पांव बरामदे की तरफ आया और जैसे ही जाने लगा प्रताप ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा। किसी के होने के अहसास से राजन की सांसे अटक गयी वह डरते डरते पलटा और देखा उसके सामने उसके पिताजी खड़े थे। राजन कुछ बोल नहीं पाया और उसे ऐसे देखकर प्रताप की आँखों में सवालो का जमघट लग गया
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संजना किरोड़ीवाल
Lagta hai Rajan bi Inodre janne ki planning kar raha hai…Naveen pareshan hogaya Vansh aur Nishi ko itne pass dekh kar isliye voh Nishi ko Vansh se dur rakhne ki koshish kar raha hai…Vansh ko samajh nahi araha hai ki voh achanak Nishi ki itni parva kaise karne laga aur Nishi ki uske baare me hi soch rahi hai…Urvasi ka indore ana kya rang layega pata nahi..interesting part Maam♥♥♥♥
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