Main Teri Heer – 37
Main Teri Heer – 37
मुन्ना भी बाकि सबके साथ आकर बस में बैठ गया। वह काफी थक चुका था इसलिये सबसे आखरी सीट पर चला आया और आई की गोद में सर रखकर सो गया। सारिका इस बार शिवम् के बगल में बैठी थी और बेचारा मुरारी फूफाजी के बगल में बैठा उन्हें मनाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
खिड़की के बाहर देखती सारिका शिवम् की तरफ पलटी और धीमे स्वर में कहा,”पता है शिवम् जी ! मुरारी भैया ने अपने हाथ पर अनु का नाम लिखवाया है,,,,,,,,,,,,,अनु तो ये देखकर ही ख़ुश हो गयी। हमारे मुरारी भैया आज भी अनु से कितनी मोहब्बत करते है।”
“आपको क्या लगता है सिर्फ मुरारी ही अनु से मोहब्बत करता है , हम भी करते है आपसे,,,,,,,!!”,शिवम् भी धीरे से बड़बड़ाया
“मतलब ?”,सारिका ने असमझ की स्तिथि में कहा
शिवम् ने कुछ नहीं कहा बस अपना सीधा हाथ सारिका की तरफ बढ़ा दिया। सारिका ने देखा शिवम् की हथेली में “सरु” लिखा था और बहुत ही गहरा रचा था। सारिका ने शिवम् की हथेली में अपना नाम देखा तो मुस्कुरा उठी। उसने शिवम् के हाथ को अपने हाथ में थाम लिया और खिड़की से बाहर देखने लगी। शिवम् ने सारिका के लिये अपनी मोहब्बत कभी शब्दों में जाहिर नहीं की लेकिन वह हमेशा कुछ ऐसा जरूर करता था जो सारिका के दिल को छू जाया करता था।
“तम्बाखू कम खाया कीजिये , कैंसर हो जायेगा”,मुरारी ने अपने बगल में बैठे फूफाजी को देखकर कहा जो कि हथेली पर तम्बाखू रगड़ रहे थे।
मुरारी को अपनी परवाह करते देखकर फूफाजी ने कहा,”तुम्हरे उह कुत्तो वाले बिस्कुट से तो ठीक ही है मुरारी जो तुम हमको खिलाने वाले थे,,,!!”
“कुत्ते वाले बिस्कुट ? अरे हम का आपको कुत्ता समझते है,,,,,,,,,,अरे उह तो पारले जी बिस्कुट था पूरी दुनिया खाती है यार उसको,,,,,,,,,,अच्छा हम जे कह रहे थे कि क्रीम वाले बिस्कुट मँगवाय दे आपके लिये,,,,,,!!”, मुरारी ने कहा
मुरारी का एकदम से बदला हुआ ये रूप फूफाजी को कुछ समझ नहीं आया इसलिए उसने मुरारी की बात पर ध्यान ना देकर हथेली में मला तम्बाकू मुंह में रखा और हाथो को सर के पीछे लगाकर आँखे मूंद ली। मुरारी समझ गया फूफा को पटाने के लिये उसे बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे,,,,,,,,!!
कच्ची बस्ती में खड़ी गाडी में बैठा शक्ति किसी का इंतजार कर रहा था। पिछले कई दिन से शक्ति यहाँ रोज आता और इंतजार करता लेकिन वह जॉर्डन और आसिफ दोनों तक नहीं पहुँच पाया। शक्ति ने हाथ पर बंधी घडी में वक्त देखा और जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ी उसकी आँखे हैरानी से छोटी हो गयी। जिस आसिफ का शक्ति इंतजार कर रहा था वो आसिफ कुछ ही दूर शक्ति की आँखों के सामने खड़ा था।
शक्ति गाड़ी से उतरा और आसिफ की तरफ बढ़ गया। आसिफ ने अपने हाथ मे पकड़ा कुछ सामान एक बच्चे को दिया और वहा से आगे बढ़ गया। शक्ति उलझन में पड़ गया वह बच्चे के पीछे जाये या आसिफ के पीछे ये फैसला लेने में उसे कुछ वक्त लग गया और फिर वह आसिफ के पीछे चला गया।
आसिफ तेज तेज कदमो से आगे बढ़ते जा रहा था और शक्ति कुछ ही दूरी बनाकर उसके पीछे चल रहा था।
आसिफ को महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है तो वह बिना पलटे आगे बढ़ता रहा और चलते चलते एक पतली गली में मुड़ गया। शक्ति भी उसके पीछे आया और जैसे ही गली में मुड़ा एक लकड़ी की चोट आकर उसे लगी और शक्ति गली से बाहर आ गिरा। शक्ति ने खुद को सम्हाला तब तक आसिफ वहा से भाग गया। शक्ति के ललाट पर चोट लगी जहा से खून बहने लगा और हाथ की कोहनी पर भी चोट आयी लेकिन उसके लिये आसिफ को पकड़ना बहुत जरुरी था इसलिये वह उठा और आसिफ का पीछा करने लगा।
भागते भागते शक्ति को आसिफ नजर आया। उसके पीछे ना जाकर शक्ति दूसरे रास्तो से होते हुए एकदम से उसके सामने आ पहुंचा और खींचकर एक घुसा आसिफ को दे मारा। आसिफ नीचे जा गिरा , शक्ति आसिफ की तरफ बढ़ा तभी आस पास के घरो से आसिफ के आदमी बाहर निकलकर आये उन्हें देखकर शक्ति रुक गया। शक्ति ने आसिफ को नहीं पकड़ा था बल्कि आसिफ खुद जान बुझकर शक्ति को वहा लेकर आया था। आसिफ उठा और होंठो के लगे खून
साफ करके कहा,”क्या रे DCP , क्या लगा तेरे को तू मेरा पीछा करेगा और धर लेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,ये अपन का इलाका है यहाँ से बाहर तू नहीं तेरी बॉडी ही जायेगी,,,,,,,,,,!!”
शक्ति ने नजरे घुमाकर वहा मौजूद आदमियों को देखा जो कि 6 थे और एक था सामने खड़ा आसिफ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शक्ति ने यहाँ दिमाग से काम लिया और जेब में रखी सिगरेट निकालकर होंठो के बीच रखकर जला ली। आसिफ को कुछ समझ नहीं आया कि शक्ति इतना शांत कैसे है ?
वह बस शक्ति को देखे जा रहा था और उसके बालो से तेल टपक रहा था जो की अब चेहरे पर भी आने लगा था। शक्ति आसिफ की तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराया और जलती हुई तीली को आसिफ की तरफ फेंक दिया। आसिफ के शरीर पर लगे तेल ने तुरंत आग पकड़ ली।
शक्ति ने जब आसिफ को मारा था तब वह केरोसिन से भरे डिब्बे की तरफ गिरा था और ये वही तेल था जो उसके बालो से लेकर उसके शरीर तक फैला था। आसिफ चिल्लाने लगा तो उसके आदमियों ने जल्दी से उस पर पानी डालकर जैसे तैसे आग को बुझाया , आसिफ अधमरी हालत में दिवार के सहारे आ बैठा। उसका चेहरा बता रहा था कि इस वक्त उसे कितना दर्द हो रहा था। आसिफ के आदमियों में से एक शक्ति के पास आया और कहा,”ए dcp तू पागल है क्या ?”
“तुम सब लोगो के पास 10 मिनिट का टाइम है , जो कुछ है वो यहाँ लाकर रख दो तो हम तुम सबको जाने देंगे , वरना इस माचिस के डिब्बे में 1 तीली और है और इस बार आग तुम लोगो को नहीं इस पूरी बस्ती को लगा देंगे और इसके लिये हमे सरकार को जवाब देने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी,,,,,,,,,,,,,!!”
शक्ति को सायको समझकर सब वहा से गए और अंदर से सब ड्रग्स के पैकेट ले आये ,,
कुछ देर बाद ही उन्होंने वो सब लाकर शक्ति के सामने रख दिया और शक्ति से कहा,”बस हम लोगो के पास इतना ही , ये सब आसिफ भाई से हमको मिलता है और हम लोग इसे कॉलेज क्लब में सप्लाई करते है।”
“हम्म्म्म गुड”,कहते हुए शक्ति ने डिब्बे में रखी आखरी तीली को जलाया और उस जलती तीली को ड्रग्स के पैकेट पर डाल दिया। सारा माल धू धू करके जलने लगा। आसिफ ने देखा तो चिल्लाया,”ए ! ये क्या कर रहा है तू ? तू जानता नहीं ये किसका माल है ? लाखो के माल को तूने एक सेकेण्ड में जला दिया आखिर तू चाहता क्या है ?”
शक्ति आसिफ की तरफ आया और उसकी कॉलर पकड़कर उसे उठाया और अपने साथ ले जाते हुए कहा,”इन सब के पीछे जो है उसका नाम,,,,,,,,,,,,!!”
“ए खड़े खड़े देख क्या रहे हो ?”,आसिफ ने पलटकर अपने आदमियों से कहा तो शक्ति ने कहा,”परेशान मत हो वो भी तुम्हारे पीछे आते ही होंगे,,,,,,,,,!!”
शक्ति पंकज को पुलिस फ़ोर्स के साथ यहाँ आने के लिये पहले ही मैसेज कर चुका था।
पंकज ने आकर शक्ति को सेल्यूट किया तो शक्ति ने कहा,”गिरफ्तार कर लो इन सबको , और बस्ती में बारात निकालो इन सबकी”
शक्ति का ऐटिटूड देखकर आसिफ खामोश हो गया। शक्ति उसकी कोलर पकड़कर उसे खींचते हुए ले जाने लगा। बस्ती के लोग अपने अपने घरो के बाहर जमा होने लगे। बस्ती वाले भी आसिफ और इन आदमियों से परेशान रहते थे लेकिन कभी किसी ने उनके सामने कुछ कहा नहीं लेकिन आज उनको ऐसे जाते देखकर सब उन पर चप्पल फेंकने लगे।
आसिफ नफरत भरी निगाहों से शक्ति को देखे जा रहा था। शक्ति ने बाकी सबको पुलिस जीप में डाला और आसिफ को अपने साथ अपनी गाड़ी में लेकर वहा से निकल गया। गाड़ी में बैठा आसिफ पिंजरे में कैद पंछी की तरह बस फड़फड़ा रहा था।
हॉस्पिटल के ICU में लेटा कबीर गहरी नींद में सो रहा था। पास ही बैठी उसकी माँ उसके हाथ को अपने हाथो में थामे उदास नजरो से उसे देख रही थी। कबीर को इस हालत में देखकर उनका दिल बैठा जा रहा था। कबीर के हाथ में प्लास्टर लगा था और उसके सर पर भी काफी गहरी चोट आयी थी। वह अभी ICU में था और काफी दर्द में भी था। विक्रम अरोड़ा और उनकी पत्नी इस एक्सीडेंट की वजह नहीं जानते थे।
हर कोई जानता है कि कबीर एक बहुत ही होनहार और काबिल लड़का है जो अपनी जिंदगी को हंसी ख़ुशी जी रहा था। उसका किसी से झगड़ा नहीं था ना ही किसी से कोई दुश्मनी थी फिर कबीर का यू अचानक एक्सीडेंट होना किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
विक्रम अरोड़ा कबीर से मिलने अंदर आये लेकिन उनकी पत्नी को इस बात का ख्याल नहीं रहा। उन्होंने अपनी पत्नी को मायूस देखा तो उन्हें वहा से उठाया और बाहर ले आये।
बाहर आकर उनकी पत्नी उनके सीने से आ लगी और रोते हुए कहा,”आखिर ये सब क्यों हुआ ? मेरे कबीर की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी फिर उसके साथ ये सब किसने किया होगा और क्यों ?”
“शांत हो जाओ ! पुलिस ने बताया कि कबीर बहुत स्पीड में अपनी कार चला रहा था जिस वजह से वह ब्रेक नहीं लगा पाया और ये एक्सीडेंट हो गया। कबीर अब खतरे से बाहर है वो ठीक हो जायेगा”,विक्रम ने अपनी पत्नी का सर सहलाते हुए कहा
“लेकिन वो इंस्पेक्टर ? उसने ये क्यों कहा कि हमारा बेटा क्रिमिनल है , क्या कबीर ने कोई क्राइम किया है ?”,कबीर की माँ ने घबराहट भरे स्वर में कहा
“नहीं ! मुझे पूरा यकीन है हमारे बेटे ने कोई क्राइम नहीं किया है , लेकिन मैं उस DCP को छोडूंगा नहीं उसकी हिम्मत कैसे हुयी मेरे बेटे को क्रिमिनल बताने की ? वो नहीं जानता उसने किस से पंगा लिया है ?”,विक्रम ने नफरत भरे स्वर में कहा
कबीर की माँ कुछ कहती उस से पहले कबीर के कुछ दोस्त वहा आये जिनमे 2 लड़किया और 3 लड़के शामिल थे उनमे से एक लड़की ने कहा,”नमस्ते अंकल , नमस्ते आंटी ,, हम लोग कबीर के फ्रेंड्स है,,,,,,,,,अब कबीर कैसा है ?”
“वो अब ठीक है , अभी ICU में है तो लोगो को उस से ज्यादा मिलने की परमिशन नहीं है।”,विक्रम ने कहा
लड़की जिसका नाम नीलिमा था वह कबीर की माँ के पास आयी और उन्हें गले लगाते हुए कहा,”डोंट वरी आंटी सब ठीक हो जायेगा , कबीर को कुछ नहीं होगा।”
विक्रम ने बाकि सबको साइड में आकर बैठने को कहा। नीलिमा दूसरी तरफ बेंच पर बैठी कबीर की माँ को होंसला देने लगी और दूसरी तरफ विक्रम ने कबीर के बाकि दोस्तों से पूछताछ शुरू कि के आखिर उस रात ऐसा क्या हुआ था ?
“अंकल कबीर कभी ओवरस्पीड में गाडी नहीं चलाता , और तो और वो ड्रिंक करके कभी ड्राइव भी नहीं करता है।”,कबीर के एक दोस्त ने कहा
“क्या कबीर का दूसरे और लोगो के साथ उठना बैठना था ? मेरा मतलब कोई ऐसा जो नशे वगैरह का काम करता हो,,,,,,,,!!”,विक्रम ने कहा
“अह्ह्ह नहीं हम सब के अलावा तो कबीर का कोई दोस्त नहीं है,,,,,,,,,,,वो ज्यादातर हम लोगो के साथ ही पार्टी करता है,,,,,,,,,,!!”,कबीर के दोस्त अनुज ने कहा तभी उसे कुछ याद आया और उसने आगे कहा,”हाँ लेकिन पिछले कुछ दिनों से कबीर क्लब में एक लड़के से मिल रहा था , अह्ह्ह्ह क्या नाम था उसका ? हाँ जॉर्डन,,,,,,,,,,मैंने लास्ट पार्टी में उसे कबीर के साथ देखा था ,, हम में से किसी को जॉर्डन पसंद नहीं था लेकिन कबीर उसे अपना दोस्त मानता था,,,,,,,,,,
लास्ट टाइम जब हम सब पार्टी के बाद घर जा रहे थे तब जॉर्डन उसके साथ था , उसके अगले दिन पता चला कि कबीर का एक्सीडेंट हुआ है इसलिये हम लोग उस से मिलने यहाँ चले आये”
“क्या तुम जानते हो जॉर्डन इस वक्त कहा मिलेगा ?”,विक्रम ने कठोरता से कहा
“नहीं अंकल हम में से कोई उसे नहीं जानता,,,,,,,ना वो हमारे ग्रुप में है”,अनुज के बगल में बैठे लड़के ने कहा
“गाइज स्टॉप इट ! कबीर इस हालत में है और तुम लोग ये सब डिस्कस कर रहे हो,,,,,,,,,अंकल आप परेशान मत होईये जब कबीर ठीक हो जायेगा तब आप कबीर से जॉर्डन के बारे में पूछ सकते है। अभी के लिये अच्छी बात ये है कि कबीर ठीक है और खतरे से बाहर है,,,,,,,,,,,,!!”,लड़की ने कहा जिसका नाम अवंतिका था
“हम्म्म तूम ठीक कह रही हो,,,,,,,,,,,कबीर खतरे से बाहर है , तुम लोग बैठो मैं अभी आता हूँ”,कहकर विक्रम उठा और वहा से चला गया
बनारस , उत्तर-प्रदेश
शाम के 7 बज रहे थे और उर्वशी अपने कमरे में आईने के सामने खड़ी अपने बाल बना रही थी। उसने सिल्क की बहुत ही सुन्दर प्लेन साड़ी पहनी थी जिसके साथ हाल्फ स्लीव्स का ब्लाउज था। उर्वशी ने अपने बालों का जुड़ा बनाया और उसमे 2 गुलाब के फ़ूल खोंस लिये , आँखों में गहरा काजल लगाया और होंठो पर लिपस्टिक वह बला की खुबसुरत लग रही थी। उसने एक नजर शीशे में खुद को देखा। वह अपना पर्स और सूटकेस उठाकर कमरे से बाहर चली आयी।
बाहर आकर उर्वशी ने घर में काम करने वाले नौकर को बुलाकर कहा,”मैं कुछ दिनों के लिये इंदौर जा रही हूँ अगर यादव जी दोबारा यहाँ आये तो तुम जानते हो ना तुम्हे क्या करना है ?”
“जी मैडम समझ गया,,,,,,,,,,,!!”,नौकर ने कहा
“गुड,,,,,!!”,उर्वशी ने हाथ पर बंधी घडी में समय देखते हुए कहा
“वैसे मैडम बुरा ना माने तो एक बात पूछे आपसे,,,,,,,,,,,!!”,नौकर ने डरते डरते कहा
“हाँ पूछो,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने कहा
“आप अचानक से इंदौर जा रही है , कोनो ख़ास वजह है का ?”,नौकर ने कहा
उर्वशी ने नौकर को देखा और मुस्कुराकर उसका गाल थपथपाते हुए कहा,”हम्म्म्म ख़ास वजह तो है,,,,,,अभी मैं चलती हूँ देर हो रही है ,, गाड़ी तैयार है ?”
“हाँ मैडम और आपका सामान भी गाड़ी में रखवा दिया है,,,,,,,,,,,,!!”,नौकर ने उर्वशी के पीछे पीछे चलते हुए कहा
उर्वशी घर से बाहर आकर गाड़ी में बैठी और पलक झपकते वहा से निकल गयी।
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संजना किरोड़ीवाल
Yr yeh Urvashi to rang m bhang dalne ja rhi hai indor…taki Munna aur Guri ki sagai m rukavat paida ho…lakin Munna kuch na kuch to jugad karega iss Urvashi ka… Shakti be Ashif ko to pakad liya hai lakin Jordan ko kaise pakdega ..ab tak Asif ki giraftaari ki khabar fal gai hogi…
Kahi Urvasi hi toh Gauri ki Kittu Mausi toh nahi…Shakti Asif tak pauncha gaya aur uske pass mila saare maal ko bi basm kar diya aur Asif usse dekhta reh gaya…Vikram Kabir ke dost se pata lagene ki koshish kar raha hai ki Akhir usse raat kya hua…Sarika ko bi accha laga ki Shivam uska naam apne hath per likhaya dekh kar…interesting part Maam♥♥♥♥
Very good👍👍👍