Main Teri Heer – 35
Main Teri Heer – 35
गौरी के हाथो में मेहँदी लग रही थी वही ऋतू , प्रिया और काशी मिलकर पिज्जा खा रहे थे। काशी ने मेहँदी लगाने वाली लड़कियों को भी खाने को कहा।
“ए ! तुम लोग कितने बुरे हो अकेले खा रहे हो मुझसे कोई पूछ भी नहीं रहा”,गौरी ने मायूस होकर कहा
“मुझे लगा कल मान जीजू के आने की ख़ुशी में तुम्हे भूख नहीं लगी होगी”,ऋतू ने कहा तो सब हंस पड़े
“अरे ऐसा नहीं है , मुझे भी खिलाओ,,,,,,,,,,,,वैसे भी मान ने कहा है 2-3 किलो वजन बढ़ भी जाये तो उसे कोई फर्क नहीं पडेगा”,गौरी ने कहा
“हहहहहहह क्या सच में उसने ये कहा ?,,,,,,,,,,,,,,,अगर ऐसा है न गौरी तो फिर तो तुम इस दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की हो वरना आजकल के लड़को को चाहिए स्लिम ट्रिम फिट लड़किया,,,,,,,,इस बार पर तुम्हारा पिज्जा खाना बनता है।”,प्रिया ने एक टुकड़ा उठाकर गौरी की तरफ आते हुए कहा
गौरी के हाथो पर मेहँदी लगी थी इसलिए प्रिया ने जैसे ही उसे खिलाना चाहा गौरी का फोन बजा। फ़ोन की स्क्रीन पर मुन्ना का नाम देखकर गौरी मुस्कुरा उठी।
प्रिया ने देखा तो कहा,”लो भाई ! बड़ी लम्बी उम्र है हमारे होने वाले जीजाजी की , उन्हें याद किया और उनका फोन आ गया,,,,,,,,,!!”
“अब गौरी को भूख नहीं लगेगी,,,,,,!!”,काशी धीरे से फुसफुसाई तो ऋतू खीं खी करके हंसने लगी
“देख क्या रही हो प्रिया कॉल अटेंड करके मेरे कान से लगाओ”,गौरी ने कहा तो प्रिया की तंद्रा टूटी उसने फोन उठाया और कॉल अटेंड कर गौरी के कान से लगाने के बजाय अपने कान से लगाकर कहा,”हैल्लो जीजाजी ! कैसे है आप,,,,,,,,,,,,,,,,अहम्म्म्म अहम्म्म्म गौरी से मिलने की जल्दी होगी ना आपको इसलिये रहा नहीं जा रहा”
गौरी के बजाय फोन पर किसी और की आवाज सुनकर मुन्ना ने सहजता से कहा,”हम ठीक है , क्या हमारी गौरी से बात हो सकती है ?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं ?”,कहते हुए प्रिया ने फ़ोन गौरी के कान से लगा दिया। गौरी ने फ़ोन को अपने कान और कंधे के बीच रखा और उठकर बालकनी की तरफ चली आयी।
“हेलो !”,गौरी ने कहा
“खाना खाने के लिये रुके थे सोचा तुम्हे फोन कर ले”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा जी , मतलब मुझे यहाँ तुमसे मिलने के इंतजार में भूख प्यास भी नहीं लग रही है और तुम खाना खा रहे हो , क्या तुम्हे मुझसे मिलने की जल्दी नहीं है ?”,गौरी ने कहा
“पता है हम दोनों एक दूसरे से अलग क्यों है क्योकि हमे तुम्हारी तरह अपनी भावनाओ को शब्दों में कहना नहीं आता,,,,,,,,,बनारस से इंदौर आने के बीच का ये जो वक्त है पहली बार बहुत धीरे गुजर रहा है।”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह्ह्हह इसका मतलब तुम भी मुझे मिस कर रहे हो,,,,,,,,,,,वैसे मैंने पहली बार अपने हाथो में तुम्हारे नाम की मेहँदी लगवाई है तो अगर,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने थोड़ा सस्पेंस से भरकर कहा
“तो अगर क्या ?”,मुन्ना ने कहा
“अगर मेहँदी का रंग नहीं आया तो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने प्यार से शुरू की बात को एकदम गुस्से से खत्म किया
मुन्ना मुस्कुराया और कहा,”हम तो चाहते है तुम हमे कभी नहीं छोडो,,,,,,,,वैसे हमारा मेहँदी से क्या कनेक्शन है ?”
“कहते है होने वाला पति जितना ज्यादा प्यार करता है मेहँदी का रंग उतना ही गहरा आता है।”,गौरी ने अपने हाथो में लगी मेहँदी को देखते हुए कहा
“ये तो हम पहली बार सुन रहे है , वैसे एक बात पूछे”,मुन्ना ने कहा
“हम्म्म पूछो,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“क्या तुम्हारे लिये हमारा प्यार सिर्फ मेहँदी के रंग पर निर्भर करता है ?”,मुन्ना ने थोड़ा गंभीरता से पूछा
“मान मैं बस मजाक कर रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,मेहँदी का रंग कैसा भी आये मुझे फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने प्यार से कहा
“हम वादा करते है हमारे प्रेम में कभी कमी नहीं आयेगी,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
“मुझे भरोसा है,,,,,,,,,,,तुमने मेहँदी लगवाई ?”,गौरी ने पूछा
“नहीं , हम ऐसे ही ठीक है,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह्ह हेलो इतना भी नहीं चलता , आई नो तुम्हे ये सब पसंद नहीं है पर मुझे तो है ना ,, तुम भी मेहँदी लगवाओगे और उसमे मेरा नाम लिखवाओगे वरना कल मैं तुम से बात नहीं करुँगी,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
मुन्ना गौरी की बात का जवाब देता इस से पहले अंजलि ने आकर कहा,”मुन्ना भैया ! आपको बड़ी मामाजी बुला रहे है उन्होंने कहा है आपके हाथ पर मेहँदी लग जाये उसके बाद हमे निकलना है। छोटे मामाजी ने कहा है कुछ देर सभी यहाँ रुककर आराम करेंगे उसके बाद जायेंगे”
अंजलि की बात गौरी को साफ सुन रही थी उसने हँसते हुए कहा,”हां हां हां हां , जाओ जाओ मुन्ना , मेरी बात नहीं सुन रहे अपनी बड़ी की बात तो सुनोगे ना,,,,,,,,,,!!”
“मान से सीधा मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,,,,सही जा रही हो गौरी शर्मा”,मुन्ना ने गौरी को ताना मारते हुए कहा
“अब जब तक हमारे मुन्ना बाबू नहीं हो जाते तब तक तो तुम ही मेरे लिये मुन्ना रहोगे ना,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुन्ना को छेड़ते हुए कहा
बेचारा मुन्ना ऐसी बातो पर क्या कहे उसने कहा,”ठीक है अभी हम रखते है , कल मिलते है”
“ठीक है , अपना ख्याल रखना और हाँ आई मिस यू सो मच उम्मम्मम्मम,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी मुन्ना को फोन पर चुम्मा देते हुए जैसे ही पलटी अपने सामने खड़ी नंदिता को देखकर उसकी आँखे बड़ी हो गयी और उसके होठो का शेप वैसे का वैसे ही रह गया , ना वह मुन्ना को चुम्मा दे पाई ना ही अपने होंठो को सीधा कर पायी
गौरी को खामोश देखकर मुन्ना ने कहा,”हम रखते है और हाँ,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी मेहँदी का रंग अच्छा आयेगा”
गौरी तो अब भी खामोश थी , मुन्ना फोन काट चुका था। गौरी को ऐसे बूत बने देखकर नंदिता ने कहा,”कल तुम्हारी सगाई है लेकिन तुम में ज़रा भी सब्र नहीं है। दामाद जी सफर में है और तुम उन्हें फोन करके परेशान कर रही हो और ये होंठो को हवा में क्यों लटका रखा है ? सही करो इन्हे,,,,,,,,,,,,,,शांति से मेहँदी लगवाने के बजाय तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”
गौरी ने जल्दी से अपने होंठो को सही किया और नंदिता से फोन हटाने का इशारा किया। नंदिता ने गौरी के कान के नीचे लगा फ़ोन हटाया और उसे हॉल में चलने को कहा।
“मम्मा आपको नहीं लगता मान को लेकर आप कुछ ज्यादा ही पजेसिव हो रही है , वो मेरा होने वाला पति है मुझे उसे परेशान है करने का पूरा हक़ है।”,गौरी ने साथ चलते हुए कहा
“होने वाला नहीं होने वाले पति है और उसे नहीं उन्हें,,,,,,,,,,,,,,अगर कल मेहमानो के बीच मैंने तुम्हारे मुंह से मानवेन्द्र जी के लिये तुम सुना तो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं,,,,,,,,,,,,,अब जाओ अपनी मेहँदी कम्प्लीट करो मैं मार्किट होकर आती हूँ।”,नंदिता ने गौरी को आँखे दिखाकर कहा तो गौरी ने अपना निचला होंठ बाहर निकाला और आकर सोफे पर बैठ गयी
नंदिता जी मार्किट चली गयी और बाकि सब बैठकर बाते करते हुए मेहँदी लगवाने लगी। गौरी के बाद काशी ऋतू प्रिया ने भी मेहँदी लगवाई और गौरी ने अपनी नानी माँ के हाथो में भी मेहँदी लगवा दी।
बनारस , मुरारी का घर
घर के बाहर खड़ा राजन काफी देर से घर के बंद पड़े दरवाजे को देख रहा था। गार्ड ने जब राजन को वहा देखा तो उसके पास आकर कहा,”का बात है बबुआ हिया काहे खड़े हो ?”
“चचा जे घर बंद काहे पड़ा है ? सब लोग कहा गए ?”,राजन ने पूछा
“ल्यो पुरे बनारस को पता है कि कल मुन्ना बबुआ की सगाई हैं और मिश्रा जी पुरे परिवार के साथ इंदौर गए है।”,गार्ड ने कहा
राजन ने सुना तो उसे हैरानी हुई , वह मुन्ना को अपना दोस्त मानता था और मुन्ना ने उसे अपनी सगाई में बारे में बताया भी नहीं ना ही उसे सगाई में इन्वाइट
किया। राजन ने गार्ड की तरफ देखा और कहा,”पर मुन्ना ने हमे तो बुलाया ही नहीं,,,,,,,,,,!!”
गार्ड साहब ने अपनी जेब से तम्बाकू निकाला और अपनी हथेली पर मलते हुए कहा,”अरे भैया ! तुमहू मुन्ना बबुआ या मिश्रा जी के ख़ास रहे होते तो बुलाते ना तुमको,,,,,,,,,,,नहीं बुलाया मतलब समझ जाओ,,,,,,,,,,,,!!”
राजन ने सुना तो उसका दिल टूट गया , यादास्त जाने के बाद से ही वह मुन्ना को अपना दोस्त मानता था लेकिन मुन्ना ने तो उसे ज़रा भी अहमियत नहीं दी। उसने गार्ड की तरफ देखा और फीका सा मुस्कुराकर कहा,”सही कहा चचा , ख़ास तो नहीं है हम उनके”
गार्ड जाकर वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया और राजन अपनी बाइक लेकर वहा से चला गया। रास्तेभर वह मुन्ना के बारे में ही सोच रहा था। राजन घाट चला आया और अस्सी घाट की सीढ़ियों पर आ बैठा।
पास ही एक चाय की दुकान थी राजन ने एक कप चाय देने को कहा। दुकानवाले ने चाय उसके हाथ में थमा दी राजन ने एक घूंठ भरा लेकिन अस्सी की सबसे अच्छी चाय भी आज उसे बेस्वाद लग रही थी। उसने चाय का कप साइड में रख दिया और सामने बहती गंगा को देखने लगा।
“आग जब सीने में लगी हो तो उसको गर्म चाय से नहीं बुझाया जाता है राजन भैया”,एक जानी पहचानी आवाज राजन के कानो में पड़ी।
राजन ने गर्दन घुमाई तो नजर अपने दांयी और बैठे भूषण पर पड़ी जो कि चाय का कप होंठो से लगाए चाय पी रहा था।
“तुम हिया का कर रहे हो ?”,राजन ने पूछा
“मरहम लगाने आये है”,भूषण ने राजन की आँखों में देखते हुए कहा
“पर हमको तो कोनो चोट नाही लगी है”,राजन ने कहा
“अरे भैया हम बहरी नहीं बल्कि अंदरूनी चोट की बात कर रहे है,,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने कहा तो राजन के चेहरे पर उदासी के भाव तैरने लगे और वह मायूस होकर सामने देखने लगा
“पर देखो ना कमाल है , आपके दोस्त मुन्ना की सगाई है और उसने आपको ही नहीं बुलाया,,,,,,,,,,,,जे तो बहुते गलत किया मुन्ना ने,,,,,,,,!!”,भूषण ने आग में घी डालने का काम किया तो राजन चिढ गया और भूषण की तरफ पलटकर कहा,”देखो हमरे और मुन्ना के मामले में तुमहू ना ही पड़ो तो अच्छा है।”
“हमने वही कहा जो सच है बाकि आपकी मर्जी,,,,,,,,,!!”,कहकर भूषण वहा से चला गया और राजन परेशान सा वही बैठकर सोचने लगा आखिर मुन्ना ने उसे सगाई में आने को क्यों नहीं कहा ?”
उसी शाम ,
गार्ड घर के बाहर अपनी ड्यूटी पर था लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसके होते हुए भी कोई था जो मुरारी के घर में मौजूद था। नकाबपोश एक आदमी मुरारी के घर में घुसा और बहुत ही सावधानी से घर में कुछ ढूंढने लगा। वह नकाबपोश इस घर में पैसे या गहने चुराने तो बिल्कुल नहीं आया था क्योकि नीचे के कमरों में ही मुरारी का ऑफिस रूम और बैडरूम था लेकिन वहा से उसने कुछ नहीं लिया।
नकाबपोश सीढ़ियों से होकर ऊपर आया सबसे पहले वह ऊपर बने गेस्ट रूम में आया वहा भी उसे वह नहीं मिला जो उसे चाहिए था। सबसे आखिर में वह मुन्ना के कमरे की तरफ आया जो कि लॉक था। उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन दरवाजा नहीं खुला लेकिन नकाबपोश ने हार नहीं मानी वह बालकनी से होकर मुन्ना के कमरे की खिड़की के पास आया और कमरे में दाखिल हुआ।
मुन्ना का कमरा बाकि सब कमरों से ज्यादा व्यवस्तिथ था इसलिए नकाबपोश ने बहुत ही सावधानी से छानबीन करनी शुरू की उसने कमरे में मौजूद सामान को ज्यादा नहीं छुआ , किसी सामान को उठाया भी तो उसे वापस उसी जगह रखा। छानबीन करते हुए वह बुक रेंक से टकरा गया जिस से रेंक में रखी एक किताब नीचे आ गिरी। नकाबपोश ने जल्दी से किताब को उठाया और उसे रेंक में रख दिया।
वह कमरे में बने कबर्ड की तरफ आया और उसे खोलकर उसमें ढूंढने लगा ,, कपड़ो में ढूंढते हुए उसका हाथ उनमे उलझा उसने हाथ झटका और कबर्ड बंद कर कमरे में फिर से ढूंढने लगा।
मुन्ना की स्टडी टेबल के पास बने एक छोटे से ड्रॉवर पर उसकी नजर पड़ी तो वह जल्दी से वहा आया और उसे ड्रावर को खोला। जैसे ही उसने ड्रावर खोला उसमे रखा लिफाफा देखकर उसकी आँखे चमक उठी। उसने लिफाफे को उठाया और अपने जेब में रख लिया। जिस चीज के लिये वह आया था उसे वह मिल चुकी थी उसने जैसे ही ड्रावर बंद करने के लिये हाथ बढ़ाया उसमे रखी एक तस्वीर पर उसकी नजर पड़ी जिसमे मुन्ना किसी लड़की के साथ था।
नकाबपोश ने उस तस्वीर को उठाया और फाड़कर गौरी की तस्वीर को अपने पास रख लिया और मुन्ना की तस्वीर को वापस ड्रावर में रखकर वहा से चला गया।
बस में सफर करते मुन्ना को इस बात का आभास भी नहीं था कि जिस सबूत के लिये वह मुंबई गया था वह किसी और के हाथ लग चुका है।
Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35 Main Teri Heer – 35
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संजना किरोड़ीवाल
Abe yr yeh kya Naya siyapa hai…aur yeh kon hai jo Munna ki hathazari m ghar m gusha aur uski khass cheez lekar bhag gaya…lakin wo guri ko photo kyu lekar bhaga…khar Munna sab sambhal lega…abhi sagai to ho Munna-Guri ki
Very👍👍👍👍👍 good👍👍👍
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