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“मैं तेरी हीर” – 68

Main Teri Heer – 68

Main Teri Heer
Main Teri Heer

शक्ति बंदूक ताने शिवम् के सामने खड़ा था , पहली बार उसके हाथ काँप रहे थे। उसकी आँखों में दर्द और बेबसी के भाव थे और वह एकटक शिवम् को देखे जा रहा था। शिवम् भी शक्ति की आँखों में देखने लगा। शिवम् के चेहरे पर डर या अफ़सोस के कोई भाव नहीं थे। शक्ति कुछ देर वैसे ही शिवम् को देखता रहा और फिर बन्दुक फेंक दी। वह घुटनो के बल गिर पड़ा और अपना चेहरा हाथो में छुपाकर रोने लगा। हमेशा खुद को मजबूत दिखाने वाला शक्ति आज शिवम् के सामने कमजोर पड़ गया। मुरारी ने आकर शक्ति को उठाने की कोशिश की तो शिवम् ने उसे रोक दिया और कहा,”रोने दो इसे बदले की भावना में इसने अपने माँ बाप के लिए ठीक से अपना दुःख तक व्यक्त नहीं किया”
“लेकिन भैया जे सब में इसकी भी का गलती है ? सब कुछ खोने के बाद इंसान या तो बेबस बनता है या बनता है बागी”,मुरारी को शक्ति की इस हालत पर तरस आ गया। शिवम् ने शक्ति को उसके कंधे पकड़कर उठाया और कहने लगा,”तुम्हारे माँ बाप को तो हम नहीं बचा पाए लेकिन जिन्होंने उन्हें मारा था उन्हें हम खुद सजा दिलवा चूके है,,,,,,,,,,,,,वो कोई और नहीं बल्कि केसर था जिसके खिलाफ इंस्पेक्टर को सबूत हमने ही भिजवाए थे”
शिवम् के इतना कहते ही मुरारी हैरानी से शिवम् को देखने लगा क्योकि शिवम् ने उसे इस बारे में कुछ नहीं बताया था। शक्ति ने सुना तो अपने आँसू पोछे और कहने लगा,”हमे माफ़ कर दीजिए अनजाने में हमने आपको इतना सब कह दिया। गुस्से और बदले की भावना में हम इतने बुरे बन गए की सही और गलत में फर्क ही नहीं कर पाए। हमे बस उस इंसान का नाम जानना था जिसने हमसे हमारा सब कुछ छीन लिया , और हमने प्रताप पर भरोसा कर लिया। हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी सर हमे माफ़ कर दीजिये”
“तुम काहे माफ़ी मांग रहे हो माफ़ी तो हम चाहेंगे तुमसे की सब जानते हुए भी ह्मने तुमसे ये सब छुपाया , क्योकि हम चाहते थे तुम्हे खुद इसका अहसास हो ताकि तुम्हारे मन में कभी कोई ग्लानि ना रहे।”,शिवम् ने कहा
शक्ति ने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”हम आपसे भी माफ़ी चाहते है हमने आपसे बदतमीजी से बात की”
“चलो माफ़ किया पर आगे से ख्याल रखना , किसी की कही बात पर आंखे बंद करके भरोसा नहीं करना फिर चाहे वो हम ही क्यों न हो”,मुरारी ने कहा
शिवम् शक्ति के पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहने लगा,”शक्ति हम तुम्हे कोई दिलासा नहीं देना चाहते ना ही तुम पर कोई अहसान करना चाहते है लेकिन हम चाहेंगे की तुम ये सब गलत काम छोड़कर अपनी जिंदगी की एक नयी शुरुआत करो। तुम अभी जवान हो तुम्हारे सामने तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी है तुम्हे ये बुरे काम छोड़कर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए और इसमें हम तुम्हारी मदद करेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,तुम चाहो तो हमारी सीमेंट फैक्ट्री में काम शुरू कर सकते हो , एक अच्छी लड़की से शादी करके उसके साथ खुशहाल जिंदगी जी सकते हो। वक्त सब सही कर देता है शक्ति हमने जो कहा उस बारे में सोचना कोई जल्दी नहीं है,,,,,,,,,,,,तुम जब चाहो तब आ सकते हो”
शक्ति ख़ामोशी से सब सुनता रहा , शिवम् ने किशोर को आवाज देकर अंदर बुलाया तो किशोर अंदर चला आया और कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये सर हमने आपको समझने में बड़ी भूल कर दी।”
“जब पहली बार तुम हमसे मिले थे किशोर हम तब ही तुम्हारे इरादों को भांप गए थे , प्रताप की इतनी औकात नहीं है की वो तुम जैसे ईमानदार ऑफिसर को खरीद पाए इसलिए हमने तुम्हारी छानबीन करवाई और पता चला की तुम शक्ति के कहने से इस शहर में आये हो ताकि उसकी मदद कर सको। तुम शक्ति के लिए काम करते हो ये बात हम जानते थे इसलिए मुन्ना के हाथ हमने तुम्हे वो सबूत भिजवाए ताकि शक्ति का काम थोड़ा आसान हो और ये हम तक खुद पहुंचे।”,शिवम् ने कहा तो मुरारी को दूसरा झटका लगा ये बात भी शिवम् ने उस से छुपाई
“आप बहुत तेज है सर लेकिन आपने ये सब क्यों किया हम अभी भी नहीं समझ पा रहे ?”,किशोर ने कहा
“क्योकि हम नहीं चाहते थे हमारे बाद बनारस में कोई और गुंडा पैदा हो,,,,,,,,,,,,,,,,ये शहर हमारा घर है और इस घर की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी,,,,,,इस शहर ने हमे बहुत कुछ दिया है किशोर , केसर जैसे लोग इस शहर की खूबसूरती पर दाग नहीं बन सकते।”,शिवम् ने कहा तो किशोर मुस्कुरा उठा और कहा,”सर आज आपको दिल से सैल्यूट करने का मन कर रहा है”
कहते हुए किशोर ने शिवम् को सैल्यूट करना चाहा तो शिवम् ने उसे रोकते हुए कहा,”नहीं किशोर गलत को गलत साबित करने के लिए हमने भी गलत रास्ते को ही चुना हम इस सम्मान के हक़दार नहीं है , पर आज से तुम अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करना अगर किसी वजह से तुम्हे हम भी गलत नजर आये तो हमे हमारी गलती का अहसास कराने में जरा भी नहीं हिचकिचाना , ये बनारस है यहां कोई छोटा नहीं है कोई बड़ा नहीं है”
“आज पता चला सर की बनारस के लोग आपको इतना क्यों मानते है ? हम अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से करेंगे सर”,किशोर ने कहा
शक्ति शिवम् के सामने आया और कहा,”गुनाह तो हमने भी किये है क्या हमारे लिए कोई सजा नहीं है ?”
शिवम् मुस्कुराया और कहा,”तुम्हारी सजा ये है शक्ति की ये सब छोड़कर तुम्हे एक नयी जिंदगी शुरू करनी होगी , अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम्हारी पिछली सारी गलतिया माफ़ कर देंगे”
शक्ति ने कुछ नहीं कहा और वहा से जाने लगा तो शिवम् ने कहा,”हम तुम्हारा इंतजार करेंगे”
शक्ति वहा से चला गया। किशोर ने भी शिवम से जाने की परमिशन मांगी और चला गया। मुरारी सदमे में था उसकी पीठ पीछे इतना कुछ हो गया और उसे भनक तक नहीं लगी। शिवम् ने उसे खोये हुए देखा तो उसके पास आकर कहा,”मुरारी घर चले ?”
मुरारी जैसे नींद से जगा हो वह शिवम् की तरफ पलटा और कहा,”और का का छुपाये हो हमसे ?”
“कुछ भी नहीं छुपाये है मुरारी,,,,,,,,,,,,,!”,शिवम् ने सहजता से कहा
“अच्छा इतना बड़ा कांड तो छुपा लिए और कहते हो कुछ नहीं छुपाये , आप हम पर भरोसा नहीं करते या हमाये लिए आपका प्यार कम हो गवा शिवम् भैया बताओ हमको , काहे नहीं बताया जे सब के बारे में हमे अकेले ही सब झेलते रहे”,मुरारी ने नाराज होकर कहा
“नाराज काहे होते हो मुरारी ? तुम दिनभर दूसरे कामो में इतना उलझे रहते थे इसलिए हमने जे सब सम्हाल लिया। हम तुमको परेशान नहीं करना चाहते थे यार”,शिवम् ने मुरारी को मनाते हुए कहा
“अच्छा आज जे सब परेशानी हो गयी ? आप बदल गए हो भैया”,मुरारी अच्छा खासा नाराज था
“अरे जे का बात हुई ? और हम साले सादी के बाद नहीं बदले अब का बदलेंगे ? अब जे गुस्सा छोडो और घर चलो सब ठीक हो चुका है वैसे हमारे पास तुम्हारे लिए एक खुशखबरी भी है”,शिवम् ने मुरारी के कंधे पर हाथ रखकर वहा से बाहर जाते हुए कहा
“ख़ुशख़बरी ? भाभी फिर से माँ बनने वाली है का ? ए भैया जे उम्र में वंश मुन्ना के छोटे भाई बहन आएंगे अजीब नहीं ना लगेगा ?”,मुरारी ने शिवम् की बात पूरी सुनी ही नहीं और अपनी तरफ से कुछ भी बोल दिया
“अभी खींच के देंगे दो कंटाप बुद्धि आ जाएगी तुमको , मतलब पूरी बात भी नहीं सुनोगे और कुछ भी बकोगे”,शिवम् ने गुस्सा होकर कहा
“अच्छा अच्छा बताईये बताईये उह हम फ्लो फ्लो में थोड़ा ज्यादा बोल गए”,मुरारी ने झेंपते हुए कहा
“कल शाम बनारस में जलसा रखे है और चीफ गेस्ट तुम हो , तो थोड़ा तमीज से आना पिछली बार की तरह नौटंकी मत करना”,शिवम् ने कहा
“अरे भैया दिल खुश कर दिए जे कहके तुम तो , वैसे बिजली भी आएगी का ?”,मुरारी ने एक्साइटमेंट के चलते कहा तो शिवम् ने घूरते हुए कहा,”सुधर जाओ मुरारी जे उम्र में हमसे मार खाते अच्छे नहीं लगोगे”
“अरे भैया मजाक कर रहे है ? अब मजाक भी नहीं कर सकते का ?”,मुरारी ने बात सम्हालते हुए कहा
“ठीक है गाड़ी में बैठो चलते है”,शिवम् ने मुरारी से कहा और ड्राइवर से घर चलने को कहा
शिवम से मिलने के बाद शक्ति को थोड़ा अच्छा लगा वह अपने कमरे पर चला आया। उसे देखते ही विष्णु ने कहा,”अरे शक्ति भैया आओ आओ सही टाइम पर आये हो , मालिक ने बढ़िया खाना भिजवाया है”
शक्ति ने एक नजर खाने की तरफ देखा उसने बिना कुछ कहे चुपचाप वो खाना उठाया और उसे कचरे के डिब्बे में डाल दिया।
“ये का किया तुमने ? सारा खाना कचरे के डिब्बे में काहे डाल दिया ?”,विष्णु ने हैरानी से कहा
“आज से हम मालिक के लिए काम नहीं करेंगे”,शक्ति ने अपनी जेब से सिगरेट निकालकर मुंह में रखते हुए कहा
“का हुआ शक्ति ? कल तक तो तुम उनका हर हुकुम मानते थे फिर आज जे अचानक से का हो गया तुमको ?”,विष्णु ने कहा
शक्ति ने अपनी जेब से एक लिफाफा निकाला और विष्णु को देकर कहा,”इसमें कुछ पैसे और तुम्हारे गांव की ट्रेन की टिकट है कल सुबह तुम होने गाँव के लिए निकल जाओ विष्णु”
“जे का कह रहे हो तुमहू ? हम तुमको छोड़कर कही नहीं जायेंगे”,विष्णु ने कहा
“विष्णु हमारी बात मान लो , हमारा अब इस शहर में रुकने का मकसद खत्म हुआ हम कभी भी ये शहर छोड़कर जा सकते सकते है , हम नहीं चाहते हमारे दुश्मन हमारे पीछे से तुम्हे नुकसान पहुंचाए”,शक्ति ने सिगरेट के कश लगाते हुए कहा
“अच्छा तो का हमारा साथ यही तक था ? तुम्हरा मतलब खत्म हो गया तो छोड़कर चले जाओगे ,, हां हां जाओ लगते ही का है हम तुम्हरे लेकिन हम जे शहर छोड़कर नहीं जायेंगे”,विष्णु ने कहा तो शक्ति को गुस्सा आ गया और उसने विष्णु पर हाथ उठा दिया और तेज आवाज में कहा,”क्योकि भाई मानते है तुम्हे जैसे अपने माँ बाप को खो दिया वैसे तुम्हे नहीं खोना चाहते , उन लोगो की दुश्मनी हमसे है और हम नहीं चाहते की तुम्हे कुछ हो इसलिए कल सुबह यहाँ से चले जाओ”
शक्ति के मुंह से पहली बार अपने लिए भाई शब्द सुनकर विष्णु की आँखों में आँसू भर आये उसने नम आंखो से शक्ति की तरफ देखा और कहा,”और काशी का क्या होगा ? का तुम उसे भी छोड़कर चले जाओगे ?”
काशी का नाम सुनते ही शक्ति के हाथ रुक गए वह सिगरेट का आखरी कश नहीं ले पाया और सिगरेट उसकी उंगलियों के बीच ही अटकी रह गयी। शक्ति की आँखों के सामने काशी का उदास चेहरा आ गया जब वह उस से आखरी बार मिली थी और अगले ही पल काशी की आवाज उसके कानो में गुंजी “हमसे प्यार ना करने की कोई और वजह बताते तो हम जिंदगीभर तुम्हारा इंतजार करते , लेकिन जब तुमने कहा की तूम हमारे पापा को मारना चाहते हो समझो उसी पल हम तुम्हे भूल गए”
शक्ति की की तंद्रा तब टूटी जब उंगलियों में पकड़ी सिगरेट से उसकी ऊँगली जल गयी। उसने सिगरेट बुझाकर फेंक दी और विष्णु की तरफ देखकर सख्त स्वर में कहा,”कल सुबह 7 बजे की ट्रेन है , अपने गांव चले जाना”
कहकर शक्ति वहा से चला गया। कमरे से बाहर निकलकर वह संकरी गली में चला आया। काशी का नाम सुनकर शक्ति फिर बैचैन हो गया उसने जेब से सिगरेट निकाली और फिर मुंह में रख ली। शक्ति इस वक्त बैचैन था इसलिए ना चाहते हुए भी वह अस्सी घाट की तरफ चला आया। रात के 10 बज रहे थे , काफी ठण्ड थी और इस वक्त घाट पर कोई नहीं था। शक्ति सीढिया उतरते हुए सबसे आखरी सीढ़ी पर चला आया और खाली आँखों से सामने दूर तक फैले पानी को देखने लगा। आज ये घाट का पानी उसकी आँखों को सुकून पहुँचाने के बजाय उसकी आँखों में चुभ रहा था। आसमान ने चाँद चमक रहा था। शक्ति खामोश वही खड़ा रहा ठण्ड से उसके हाथ जमने लगे थे और होंठ कांप रहे थे लेकिन शक्ति को ठंड का कोई अहसास नहीं था। वह खुद से ही कहने लगा,”हमने काशी का दिल दुखाकर बहुत बड़ी गलती की है , जो कुछ हो रहा है उसमे काशी का क्या दोष ? उस से प्यार करते है ये सच होते हुए भी हमने हमेशा उसे नजरअंदाज किया , उसे दुःख पहुंचाया,,,,,,,,,,,,क्योकि हम उसे खोना नहीं चाहते थे। हम कभी नहीं चाहेंगे हमारे बुरे कामों की परछाई भी उस पर पड़े,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए शक्ति की बांयी आँख से आँसू निकलकर पानी में जा गिरा। शक्ति ने सीढ़ियों की तरफ देखा दूर दूर तक वहा कोई नहीं था शक्ति वही सीढ़ियों पर बैठ गया और बड़बड़ाने लगा,”ऐसे तो जब देखो तब बिना बुलाये आ जाती थी आज जब हम उसे याद कर रहे है , हमे उसकी जरूरत है तो वो नहीं आयी। कितनी पागल लड़की है ना ये काशी हमे देखा और हमसे प्यार कर बैठी। हमने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है काशी हमे तुमसे मिलना है , तुमसे माफ़ी मांगनी है , हमे तुम्हे बताना है की हम तुम्हे कितना पसंद करते है,,,,,,,,,,पर शायद अब तुम हमसे मिलना नहीं चाहोगी लेकिन हम इंतजार करेंगे”
कहते हुए शक्ति वही सीढ़ियों पर लेट गया और काशी के बारे में सोचने लगा। काशी के साथ बिताये एक एक पल शक्ति की आँखों के सामने आने लगे

काशी से बचपन में मिलना , काशी का उसके आंसुओ को पोछना , घाट पर काशी से टकराना , उसके साथ चाय पीना , काशी को अपनी ओर खींचकर गले लगना , उसका काशी के होंठो को छूना सब एक खूबसूरत याद बनकर शक्ति की आँखों के सामने घट रहा था और ये सब सोचते हुए शक्ति मुस्कुरा उठा। इतने सालो में ये पहली बार था जब शक्ति का मन हल्का था और वह पुरे दिल से मुस्कुराया था।

काशी अपने घर की छत पर दिवार से पीठ लगाए खड़ी थी। वही कुछ दूर काशी के बगल में मुन्ना खड़ा था दोनों खामोश और फिर कुछ देर बाद मुन्ना ने कहा,”काशी क्या हुआ है तुम्हे हमे नहीं बताओगी ? देखो काशी हम तुम्हारे बड़े भाई होने के साथ साथ तुम्हारे अच्छे दोस्त भी है जो बातें तुम घर में किसी और से नहीं कह सकती वो खुलकर हमे बोल सकती हो , हम वादा करते है हम उन्हें समझेंगे”
काशी शक्ति की वजह से अपसेट थी ये बाद वह मुन्ना को बताने में डर रही थी। मुन्ना थोड़ी देर पहले किसी काम से घर आया तो उसने काशी को उदास देखा और इसलिए वह उसे लेकर छत पर चला आया हालाँकि ठंड थी लेकिन यही जगह थी जहा कोई आता जाता नहीं था। काशी खामोश रही उसने मुन्ना की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मुन्ना ने फिर कहा,”हम तुम्हारी किसी दोस्त से पूछे क्या ? वो सब तो जानती होगी ना”
“नहीं मुन्ना भैया उनसे कुछ मत पूछियेगा”,काशी ने जल्दी से कहा
“तो फिर तुम बताओ काशी बात क्या है ? तुम बेझिझक हमसे सब कह सकती हो”,मुन्ना ने कहा तो काशी को थोड़ी हिम्मत मिली उसने शक्ति से पहली बार मिलने से लेकर आखिरी बार मिलने तक की सारी बाते बता दी सिवाय किस के ,, मुन्ना की बहन होने के नाते वह उसके सामने ऐसी किसी बात का जिक्र करना भी नहीं चाहती थी साथ ही उसने शिवम् को मारने वाली बात भी छुपा ली क्योकि वह नहीं चाहती थी की मुन्ना या वंश में से कोई भी शक्ति को नुकसान पहुंचाए। मुन्ना ने सब सूना , उसे काशी का दिल टूटने की बात पता चली तो उसे बहुत दुःख हुआ ,, हालाँकि काशी उसकी छोटी बहन थी और वो ये भी जानता था की काशी अभी मासूम है शायद इसलिए उसने इतनी जल्दी सब फैसले ले लिए और किसी को बताया भी नहीं।
“तुमने हमे ये सब पहले क्यों नहीं बताया काशी ?”,मुन्ना ने काशी की तरफ देखकर कहा
“हम डर गए थे हमे लगा घर में कोई हमारी बात नहीं समझेगा इसलिए हमने किसी से कुछ नहीं कहा,,,,,,,हम बहुत कन्फ्यूज थे सब इतनी जल्दी हुआ”,काशी ने डरते डरते कहा
“यहाँ आओ”,मुन्ना ने कहा तो काशी उसके सामने चली आयी मुन्ना ने काशी के कंधो को अपने हाथो से पकड़कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”इस उम्र में किसी से आकर्षित होना सामान्य बात है काशी , हम तुम्हे गलत नहीं समझ रहे ना ही तुम्हारी भावनाओ को गलत बता रहे है लेकिन अभी तुम मासूम हो , तुम बहुत जल्दी लोगो पर भरोसा कर लेती हो बिना ये जाने की वो तुम्हारे लायक है भी या नहीं ,, जिस लड़के की तुम बात कर रही हो उस लड़के से शायद हम कभी नहीं मिले है मिले होते तो हमे ये सब पता होता , तुमने कहा की उसे तुम्हारी भावनाओ की जरा भी परवाह नहीं है ऐसी में हम तुमसे यही कहेंगे काशी की ये प्यार नहीं है,,,,,,,,,,ये महज एक आकर्षण है जिसे भूलकर तुम्हे अपनी पढाई और अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहिए। उसे भूलने की कोशिश करो बाकि हम हमेशा तुम्हारे साथ है”
कहते हुए मुन्ना ने काशी के सर को थपथपा दिया। मुन्ना की बातो में भी एक सच्चाई थी लेकिन काशी की भावनाये भी झूठी नहीं थी , उसे शक्ति से प्यार हो चुका था ये बात वह जानती थी। उसने मुन्ना की बात पर हामी भरी और फिर उसके सीने से लगते हुए कहा,”मुन्ना भैया आप हमसे नाराज तो नहीं है ना ?”
“इस दुनिया में हम सबसे नाराज हो सकते है काशी लेकिन तुमसे नहीं”,कहते हुए मुन्ना उसके बालो को सहलाने लगा लेकिन उसके जहन में चलने लगा एक नाम और वो नाम था “शक्ति”

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क्या शक्ति काशी से मिलकर उसे सब सच बताएगा ? क्या शक्ति को फ़साने के लिए प्रताप चलेगा कोई नयी चाल ? क्या मुन्ना काशी के लिए शक्ति को मनाएगा या जतायेगा अपनी नाराजगी ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 69

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