Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 67

Main Teri Heer – 67

Main Teri Heer
Main Teri Heer
 शक्ति काशी को उस से प्यार ना करने की वजह बता चुका था साथ ही शक्ति ने पहली बार विष्णु से भी अपने दिल की बात कही। वह बचपन से ही काशी को बहुत पसंद करता था लेकिन हालात ऐसे थे की वह काशी को अपना नहीं सकता था। शक्ति ने किशोर को फोन लगाया और उस से शिवम् के साथ मीटिंग फिक्स करने को कहा। शक्ति और किशोर के बीच क्या रिश्ता था ये तो शक्ति ही जानता था। इन सब मे काशी का दिल टूट चुका था और वो सीधा घर चली आयी हालाँकि सारिका के पूछने पर उसने झूठ कह दिया क्योकि वह अपना दर्द इस वक्त किसी से नहीं बाटना चाहती थी। अपने कमरे में बिस्तर पर लेटे हुए काशी रोते रही। उसे इस वक्त बहुत तकलीफ हो रही थी , कुछ समझ नहीं आ रहा था। शक्ति के बारे में उसने किसी को नहीं बताया था शिवाय गौरी के और गौरी भी इस वक्त उसके पास नहीं थी। रोते रोते काशी सो गयी। सारिका उसके कमरे में आयी तो देखा काशी सो चुकी है उसने प्यार से काशी के सर पर हाथ घुमाया और उसे कम्बल ओढ़ाकर बाहर चली आयी

मुन्ना गौरी के साथ घाट की सीढ़ियों पर खड़ा था। शिवम् आदमियों के साथ उन दोनों के बगल से निकल गया लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। शिवम् के जाने बाद मुन्ना गौरी को साथ लेकर घाट से बाहर चला आया। बाहर आकर उसने देखा वंश वहा नहीं है तो उसने गौरी से कहा,”आपने कहा था वंश भी आया है लेकिन वो तो कही दिखाई नहीं दे रहा”
“आया तो था शायद चला गया होगा”,गौरी ने कहा।
“ठीक है हम आपको घर छोड़ देते है”,मुन्ना ने अपनी बाइक पर आकर बैठते हुए कहा
“मुझे घर नहीं जाना”,गौरी ने एकदम से कहा तो मुन्ना उसे हैरानी से देखने लगा गौरी उसके पास आयी और कहा,”एक्चुली वो अनु आंटी सबके साथ मार्किट आयी है तो मैंने उनसे कहा की मैं उनसे वही मिलूंगी , तो ऐसा करो मुझे मार्किट छोड़ दो”
“ठीक है आईये”,मुन्ना ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा तो गौरी ने उसके पीछे आ बैठी। पहली बार गौरी मुन्ना की बाइक पर बैठी थी मुन्ना को अच्छा लग रहा था साथ ही वह ये भी ध्यान रख रहा था की कही जाने अनजाने में वह गौरी से टच ना हो जाये। बनारस की गलियों में बाइक लिए मुन्ना चला जा रहा था। आज उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी और होंठो पर मुस्कुराहट। गौरी बनारस को देख रही थी हां कुछ तो बात थी इस शहर में ये उसे धीरे धीरे महसूस हो रहा था। बाइक जैसे ही मार्किट में पहुंची गौरी की आँखे चमक उठी , रंग बिरंगी दुकाने , बनारसी दुपट्टे , चूड़ियों की छोटी छोटी दुकाने , अचानक गौरी की नजर एक दुकान पर गयी जहा पैरो में पहनने वाली झांझर लटक रही थी और बहुत ही खूबसूरत भी लग रही थी। गौरी ने एकदम से मुन्ना के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”ए रोको रोको रोको”
मुन्ना ने बाइक रोक दी तो गौरी उतरी और उस दुकान के सामने आकर कहा,”एक्सक्यूज मी भैया जरा वो पायल दिखाना”
मुन्ना ने बाइक को स्टेण्ड पर लगाया और गौरी की तरफ चला आया , उसने देखा गौरी बड़े ही शौक से उन पायलो और झांझरो को देख रही है। गौरी जैसी मॉर्डन लड़की से मुन्ना को ये सब पहनने की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी। गौरी एक एक करते हुए सब देखने लगी और आखिर में उसे दो झांझर पसंद आयी। उन्हें लेकर वह मुन्ना की तरफ पलटी और कहा,”इनमे से कौनसी अच्छी है ?”
“दोनों अच्छी है”,मुन्ना ने कहा जिसे इन सब चीजों की इतनी समझ नहीं थी
“हाउ बोरिंग,,,,,,,,,,,,,,भैया ये वाली दे दीजिये”,गौरी ने दुकानवाले से कहा
“250 रूपये हो गए बिटिया”,दुकानवाले ने गुलाबी पन्नी में उन झांझरो को लपेटते हुए कहा।
“ये लीजिये”,गौरी ने अपना कार्ड निकालकर दुकानवाले की तरफ बढ़ा दिया तो वह हसने लगा और कहा,”अरे बिटिया इसका हम का करेंगे हमे रूपये दो”
“ओह्ह्ह लेकिन मेरे पास केश नहीं है”,गौरी ने कहा
“ये लीजिये,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अपने पर्स से 500 का नोट निकालकर दुकानवाले को देकर कहा
“अरे तुम क्यों पे कर रहे हो , मैं बाद में काशी के साथ आकर खरीद लुंगी”,गौरी ने कहा
“अगर कोई चीज पसंद आये तो उसे ले लेना चाहिए इस से पहले की कोई और उसे ले जाए,,,,,,,,,,,,,हम्म्म”,मुन्ना ने गौरी की तरफ देखकर कहा। मुन्ना के ये कुछ कुछ बाते सीधा गौरी के दिल में उतर जाया करती थी। गौरी एकटक मुन्ना को देखने लगी तो मुन्ना ने अपना पर्स जेब में डालते हुए कहा,”चले ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,हाँ”,गौरी ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
दोनों जाने के लिए जैसे ही मुड़े तो अनु ने उनके पास आकर कहा,”अरे मुन्ना,,,,,,,गौरी तुम दोनों साथ साथ,,,,,,,,,,,शायद तुम गौरी को छोड़ने आये हो”
“हाँ माँ , लेकिन आप ऐसे,,,,,,,,,गाड़ी ले आती आप”,मुन्ना ने कहा
“बेटा तुम तो जानते हो ना बनारस की गालिया इतनी तंग है की इनमे गाडी आना मुश्किल है इसलिए मैंने गाडी को नुक्कड़ पर ही पार्क कर दिया , और वैसे भी शॉपिंग का मजा तो पैदल ही आता है,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों गौरी ?”,अनु ने कहा
“बिल्कुल आंटी”,गौरी ने भी मुस्कुरा कर कहा
“तो फिर चले ? और ये काशी कहा रह गयी ? कहा तो था आ जाएगी”,अनु ने कहा
“आंटी मैं उसे फोन करती हूँ”,गौरी ने अपना फोन निकालकर काशी का नंबर डॉयल करते हुए कहा
“मुन्ना तुम चलोगे हमारे साथ ?”,अनु ने पूछा
“माँ आप सब कीजिये न हम क्या करेंगे ?”,मुन्ना ने कहा
“अरे रहने दीजिये आंटी इनको शॉपिंग के बारे में कुछ नहीं पता , अभी थोड़ी देर पहले ही देखा मैंने”,गौरी ने कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा और कहा,”हम घर जा रहे है , हमे थोड़ा काम है”
“ठीक है”,अनु ने कहा और काशी की तीनो दोस्तों को लेकर वहा से चली गई। मुन्ना भी अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया। चलते चलते उसका मन हुआ की एक बार पलटकर गौरी को देखे लेकिन नहीं देखा पर गौरी ने पलटकर जरूर देखा था और मुन्ना के सीधेपन पर वह मुस्कुराये बिना ना रह सकी।

गौरी ने काशी को फोन लगाया तो फोन सारिका ने उठाया और बताया की काशी घर पर है और सो रही है। गौरी समझ गयी की जरुर काशी और शक्ति के बीच कुछ हुआ है इसलिए काशी इतना अपसेट है वह बाकि सबको उसके बारे में बताकर परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए उसने अनु से झूठ ही कह दिया की काशी बनारस में अपनी किसी दोस्त से मिलने गयी है नहीं आ पाएगी। ऋतू प्रिया और गौरी ने अपने और काशी के लिए शॉपिंग की , चारो का बिल प्रिया और गौरी ने अपने कार्ड्स से कर दिया। वही अनु ने भी उन्हें अपनी तरफ से कुछ ना कुछ गिफ्ट्स दिलवाये लेकिन इस बार खुद के लिए कुछ महंगा नहीं खरीदा क्योकि पिछली बार वाला हार उसे अभी तक याद था। एक दुकान पर प्रिया ऋतू और गौरी कुछ आर्टिफिशयल ज्वैलरी देख रही थी। गौरी की नजर वहा रखे बेंड्स पर पड़ी वह उन्हें देखने लगी , देखते हुए उसकी नजर हाथ में पहनने वाले एक बेंड पर गयी जिस पर लिखा था “क्रेजी बॉय” वो पढ़ते ही उसे वंश की याद आ गयी उसने उसे वंश के लिए खरीद लिया। दोपहर तक सब शॉपिंग में बिजी रहे और उसके बाद घर चले आये।
किशना ने सबके लिए खाना बना दिया था इसलिए सबने खाना खाया और उसने बाद अनु ने मुन्ना से कहा की वह काशी की दोस्तों को घर छोड़कर आये। मुन्ना सबके साथ गाड़ी में आ बैठा , गौरी इस बार भी उसकी बगल में थी और ऋतू प्रिया पीछे , प्रिया को मुन्ना में कोई इंट्रेस्ट नहीं था और अब तक तो ऋतू भी समझ चुकी थी की मुन्ना को गौरी पसंद है इसलिए उसने भी अब मुन्ना पर ध्यान देना छोड़ दिया और बनारस में अपने इस वेकेशन को इंजॉय करने लगी। मुन्ना तीनो को लेकर शिवम् के घर पहुंचा , मुन्ना को किसी काम से बाहर से जाना था इसलिए वह अंदर नहीं आया और सीधे ही चला गया उसे काशी की हालत का अंदाजा तक नहीं था।

गौरी ऋतू प्रिया अंदर आयी तो सारिका ने मुस्कुरा कर कहा,”घूम लिया बनारस कैसा लगा ?”
“बहुत अच्छा है आंटी , काशी कहा है ?”,ऋतू ने कहा
“वो अपने कमरे में है तुम सब चलो हम सब के लिए चाय भिजवाते है”,सारिका ने कहा
तीनो काशी के कमरे में चली आयी , काशी सोकर उठ चुकी थी उसकी आँखे देखकर गौरी ने उसके पास बैठते हुए कहा,”क्या हुआ काशी सब ठीक है ना ?”
काशी ने गौरी को देखा तो उसके गले लगकर सिसकने लगी। पहली बार दिल टूटने का दर्द कुछ अलग ही होता है और तकलीफ भी ज्यादा होती है। गौरी उसे चुप करवाने लगी। ऋतू प्रिया भी उसके पास आ बैठी और ऋतू ने कहा,”क्या हुआ है काशी तुम रो क्यों रही हो ?”
“हाँ काशी प्लीज बताओ तुम्हे क्या हुआ है ?”,प्रिया ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा
काशी ने अपने आँसू पोछे और कहा,”हमे तुम सबको कुछ बताना है” कहते हुए काशी ने उन तीनो को शक्ति के बारे में , अपनी फीलिंग्स के बारे में बता दिया। गौरी को पहले से पता था इसलिए उसे शक्ति के बारे में जानकर ज्यादा हैरानी नहीं हुई लेकिन ऋतू और प्रिया थोड़ा हैरानी हुई की काशी ने दोस्त होकर उन दोनों से ये बात छुपाई लेकिन काशी उनकी दोस्त थी इसलिए प्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”परेशान मत हो काशी देखना एक दिन वो अपने इस फैसले पर बहुत पछतायेगा , तुम्हारे लिए लड़को की कमी नहीं है एक ढूँढोगी सौ मिल जायेंगे”
“लेकिन वो सौ उस एक की कमी पूरी नहीं कर पाएंगे”,काशी ने नम आँखों के साथ कहा। गौरी ने देखा तो महसूस किया की काशी शक्ति से बहुत ज्यादा अटैच हो चुकी है और इसलिए उसे इतनी तकलीफ हो रही है। उसे कैसे भी करके काशी को इन सब से बाहर निकालना था इसलिए उसने काशी की तरफ आते हुए कहा,”उस शक्ति को तो मैं वो मजा चखाउंगी की याद रखेगा वो उसने किसकी दोस्त को रुलाया है ? अच्छा छोडो ये सब और काशी ये देखो बताओ कैसी है ?”
गौरी के हाथ में झांझर देखकर काशी ने कहा,”ये तो बहुत सुन्दर है”
“तुमने ये कब खरीदी ? दिखाओ मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,वाओ ये कितनी ब्यूटीफुल है”,ऋतू ने गौरी के हाथ से झांझर लेकर देखते हुए कहा
“मैंने नहीं खरीदी किसी ने खरीद कर दी है”,गौरी ने शरारत से पहेलियाँ बुझाते हुए कहा
“अच्छा बनारस में तेरा चाहनेवाला कौन आ गया जरा हम भी तो जाने ?”,प्रिया ने कहा
“वो मैं तुम्हे क्यों बताऊ,,,,,,,,,,,,,,,,,,?”,गौरी ने कहा
“अच्छा मत बताओ लेकिन जिसने खरीदी है अगर वो तुम्हे अपने हाथो से पहनाता तो ये और ज्यादा खूबसूरत लगती , है ना ?”,ऋतू ने भी गौरी की टाँग खींचते हुए कहा तो गौरी को मुन्ना की याद आयी और उसका दिल धड़क उठा , उसने ऋतू के हाथ से झांझर लेते हुए कहा,”स्टॉप इट गाईज मैं तो बस काशी का ध्यान भटकाने के लिए ये सब कर रही थी”
“हम ठीक है”,काशी ने उदासी भरे स्वर में कहा
“अगर ठीक हो तो फिर मैं अंकल से जाकर कह दू की कल जो लड़का तुम्हे देखने आया था वो तुम्हे पसंद है”,गौरी ने फिर शरारत से कहा तो काशी ने चिढ़ते हुए पास पड़ा कुशन उसे फेंक कर मारा
“ए ये क्या रुक तुझे मैं बताती हूँ”,कहते हुए काशी की तरफ चली आयी और फिर उन दोनों में कुशन फेंकने की होड़ सी लग गयी। ऋतू प्रिया भी शामिल हो गयी और आख़िरकार काशी मुस्कुरा ही दी।

शाम में किशोर ने शिवम् और मुरारी के साथ शक्ति की मीटिंग फिक्स करवाई। शिवम् और मुरारी किशोर की बतायी जगह पर पहुंचे। शक्ति अभी तक नहीं आया था। तीनो शक्ति के आने का इंतजार करने लगे कुछ देर बाद शक्ति वहा आया उसे देखते ही शिवम् के होंठो पर हल्की सी मुस्कान तैर गयी। शक्ति ने शिवम् को देखा तो उसकी आँखों में गुस्सा और चेहरे पर नफरत के भाव झलक आये। किशोर ने देखा शक्ति आ चुका है तो उसने कहा,”आप बात कीजिये हम बाहर ही है”
कहकर किशोर वहा से चला गया क्योकि किशोर के सामने शक्ति की पहली शर्त यही थी की उसे शिवम् और मुरारी से अकेले में बात करनी है। किशोर के जाने के बाद शिवम् ने शक्ति की तरफ बढ़ते हुए कहा,”सोचा नहीं था इतने सालो बाद तुमसे ऐसे मुलाकात होगी”
“क्यों मुझे ज़िंदा देखकर तुम्हे हैरानी हो रही है ?”,शक्ति ने नफरत से कहा
“तुम्हारा गुस्सा जायज है शक्ति”,शिवम् ने जैसे ही कहा शक्ति ने गुस्से से कहा,”आपने हमारे माँ-बाप का खून किया है , हमारे सर से उनका साया छीन लिया , हमे अनाथ बना दिया और आपको लगता है हमे आप पर गुस्सा नहीं आएगा,,,,,,,,,,,,,,,,इतने सालो से जो गुस्सा हमारे मन में दबा है वो आज बाहर निकलेगा शिवम् गुप्ता , क्यों मारा उन्हें ? क्या गलती थी उनकी ? क्यों मजबूर कर दिया हमे की हम इतने सालो बाद फिर तुम्हारे सामने आये और तुमसे उनकी मौत का बदला ले ,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों ?”,शक्ति ने दर्द और तकलीफ से तड़पकर कहा
“ए दिमाग तो ठीक है तुमरा , शिवम् भैया ऐसा कुछो नहीं किये है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,का अंट शंट बके जा रहे हो तुम हां ?”,मुरारी ने कहा उसने शिवम् के लिए जब ये सब सूना तो उस से रहा नहीं गया
“हम आपसे बात नहीं कर रहे है , हमे इस आदमी से बात करनी है जिसने हमारे साथ ये सब किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या चाहिए था पैसा ? नाम ? शोहरत या कुछ और,,,,,,,,,,,,बचपन से लेकर अब तक हमे अनाथो की तरह जीने पर मजबूर किया है इस आदमी ने,,,,,,,,,,,हमारा कोई घर नहीं है , हमारा कोई परिवार नहीं है , हमारे पास जीने का कोई मकसद तक नहीं है सिर्फ इस इसकी वजह से”,शक्ति ने दर्दभरे स्वर में कहा , गुस्से और तकलीफ के भाव उसकी आँखों से साफ़ झलक रहे थे।
“तुम जानते भी हो इनके बारे में,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसे ही गलत इल्जाम लगाए जा रहे हो”,मुरारी ने भी गुस्से से कहा
“मुरारी बोलने दो इसे , ये वही कह रहा है जो इसे बताया गया है”,शिवम् ने शक्ति की तरफ देखते हुए कहा
“लेकिन भैया ये कुछो नहीं जानता है,,,,,,,,,,,,,,,,,कहते हुए मुरारी शक्ति के सामने आया और कहा,”सच जानना है ना तुमको , सच का है जे हम तुमको बताते है ये जो आदमी तुम्हारे सामने खड़ा है ये कोई खुनी नहीं है बल्कि तुम्हाये पिजाती है। जब तुम 12-13 साल के थे तब तुम्हाये पिताजी शिवम् भैया से पहली बार मिले थे इसी बनारस में जब उन्होंने इनकी जान बचाई थी। शिवम् भैया उनका शुक्रिया अदा करना चाहते थे लेकिन अहसान जताकर नहीं,,,,,,,,,,,उन दिनों तुम्हाये पिताजी की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं थी शिवम् भैया ने तुम्हाये पिताजी के लिए एक नौकरी और घर का इंतजाम करवाया। तुम्हायी पढाई पर कोई फर्क नहीं पड़े इसलिए इन्होने बिना किसी को कुछ बताये तुम्हायी पढाई का सारा खर्च उठाया। एक शाम तुम्हाये पिताजी ने बहुत परेशानी में शिवम् भैया को फोन किया और कहा की उन्हें कुछ बहुत जरुरी बात करनी है। वो दिवाली की शाम थी शिवम् भैया तुम्हाये घर पहुँचते इस से पहले ही उन लोगो ने उनकी हत्या कर दी और उसे हादसा दिखाने के लिए घर में आग लगा दी।
तुम्हारी आँखों के सामने वो जलकर राख हो गए और तुम कुछ नहीं पाए , तुम भी उनके साथ उस आग में जलकर मर जाना चाहते थे उस वक्त तुम्हे रोकने वाले हाथ शिवम् भैया के ही थे।”
शक्ति ने सूना तो शिवम् की तरफ देखने लगा जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। मुरारी आगे कहने लगा,”तुम्हारा घर और परिवार तो शिवम् भैया नहीं बचा पाए लेकिन तुम्हे वो इस दलदल में रहने देना नहीं चाहते थे। उन्होंने तुम्हारी सारी जिम्मेदारी खुद पर लेने का फैसला कर लिया। तुम्हारे पिताजी की जो भी जमीन थी इसे तुम्हारे नाम करवा दी ताकि जब तुम 18 साल के हो जाओ तब उसे अपने तरीके से इस्तेमाल कर सको , लेकिन तुम्हारे माँ बाप ना होने की वजह से उन्हें वहा अपना नाम लिखना पड़ा।”
ये बात सुनकर शक्ति के जहन में वो कागजात आये जिन्हे उसने शिवम् के घर में देखा था। शक्ति ख़ामोशी से सब सुनता रहा। मुरारी कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”शिवम् भैया तुम्हे लेने तुम्हारे गांव भी गए थे लेकिन पता चला की तुम वहा से कही चले गए हो। उन्होंने तुम्हारी तलाश करवाई लेकिन तुम नहीं मिले। तुम कभी लौटकर आओगे सोचकर उन्होंने तुम्हारे जले हुए घर को वापस पहले जैसा करवा दिया शायद तुमने कभी जाकर देखा ही नहीं। जिस आदमी ने तुम्हे ढूंढने के लिए दिन रात अपने आदमियों को काम पर लगाए रखा। जिन्होंने हमेशा तुम्हारे अच्छे के बारे में सोचा उस इंसान पर तुम्हे ऐसा घटिया इल्जाम लगाते तुम्हे शर्म नहीं आयी”
मुरारी की बातें सुनकर शक्ति शिवम् की तरफ देखने लगा। शिवम् उसके पास आया और कहने लगा,”तुम्हारे साथ जो भी हुआ उसका हमे आज भी दुःख है। तुम्हारे पिताजी जिस फैक्ट्री में काम करते थे वहा केसर नाम का आदमी अपने गैरकानूनी काम करता था और यही बात बताने के लिए उस दिन तुम्हारे पिताजी ने हमे फोन किया था लेकिन वो कुछ बताते इस से पहले ही केसर के आदमियों ने उन्हें मार डाला। हम उन्हें नहीं बचा पाये , तुम्हारा गुस्सा जायज है शक्ति लेकिन उस एक इंसान के लिए ना जाने तुमने कितने लोगो को नुकसान पहुंचाया है। तुमने अपने कितने ही दुशमन बना लिए है,,,,,,,,,,,,,,,,हम काफी पहले ही तुम्हे जान गए थे बस इंतजार कर रहे थे की तुम खुद हमारे पास आओ,,,,,,,,,,,केसर और उसके आदमी पकडे जा चुके है , उनके सब गैर क़ानूनी धंधे भी बंद हो चुके है। प्रताप और हमारे बीच दुश्मनी सालो पहले से है उसने सिर्फ तुम्हारे गुस्से और नफरत का फायदा उठाया है।”
कहते हुए शिवम् ने अपने कुर्ते के जेब से कागज निकाले जो शक्ति के घर के थे उसने वो कागज शक्ति को दिए और कहा,”किसी की जान पैसे से बढ़कर नहीं होती है , हमने इन्हे सिर्फ सम्हाल कर रखा तुम्हारी अमानत समझकर।”
शक्ति की आँखों में जो गुस्सा था वो अब नमी में बदल गया। उसने प्रताप की बात पर भरोसा करके शिवम् को गलत समझ लिया। शक्ति को खामोश देखकर शिवम् ने किशोर से ली हुई गन वहा पड़ी टेबल पर रखी और कहा,”हम मौत से नहीं डरते है शक्ति हम डरते है खुद को गलत समझे जाने से,,,,,,,,,,,,,,,जो सच था वो हमने तुम्हे बता दिया इसके बाद भी तुम्हे लगता है की हमने तुम्हारे माँ-बाप को मारा है तो उठाओ वो बन्दुक और उतार दो उसकी सारी गोलियाँ हमारे सीने में हम उफ़ तक नहीं करेंगे”
शक्ति ने सूना तो शिवम की आँखों में देखते रहा और फिर बन्दुक उठाकर एकदम से शिवम् पर तान दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67 Main Teri Heer – 67

क्या काशी मुन्ना को बताएगी शक्ति और अपने रिश्ते के बारे में ? क्या गौरी अभी भी मुन्ना और वंश के बीच कन्फ्यूज है ? क्या शक्ति चलाएगा शिवम् पर गोली ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे मैं तेरी हीर

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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 68

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संजना किरोड़ीवाल

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