Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 66

Main Teri Heer – 66

Main Teri Heer
Main Teri Heer

शक्ति ने जैसे ही कहा की वह यहाँ सिर्फ शिवम् से बदला लेने आया है तो ये सुनकर काशी का दिल टूट गया। उसकी आँखों में शक्ति के लिए गुस्सा उतर आया और वह वहा से चली गयी। शक्ति खाली आँखों से उदास चेहरा लिए काशी को देखता रहा। विष्णु शक्ति से मिलने कुछ देर पहले ही वहा आया था उसने सब सुन लिया काशी के जाते ही वह शक्ति के पास आया और कहा,”तू इतना कठोर कैसे हो सकता है शक्ति ? वो लड़की तुझे इतना चाहती है , तुझसे इतना प्रेम करती है उसके बाद भी तूने उसे जाने को कह दिया। क्या तेरा दिल पत्थर से बना है ?”
“विष्णु तूम यहाँ क्या कर रहे हो ?”,शक्ति ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कहा
“शक्ति हम जानना चाहते है आखिर तुमने उस लड़की का दिल क्यों तोड़ा ? वो कितनी उम्मीद से आयी होगी यहाँ और तूने क्या किया उसके साथ,,,,,,,,,,,!!”,विष्णु ने नफरत और गुस्से के मिले जुले भावो के साथ कहा
“तो और क्या करते हम ?”,शक्ति ने चिल्लाकर कहा एक पल को विष्णु सहम गया शक्ति की आँखों में गुस्से के साथ साथ दर्द भी साफ साफ नजर आ रहा था
“मरने देते उसे अपने साथ,,,,,,,,,,,,इस शहर में आने के बाद ना जाने कितने दुश्मन है हमारे हम खुद नहीं जानते,,,,,,,,,,,,अपने लिए हम उसकी जान को खतरे में नहीं डाल सकते , हम बुरे इंसान है ये जानते हुए भी हमसे प्यार करती है वो , और ये जानने के बाद हम उसे कुछ नहीं होने देंगे,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते शक्ति का गुस्सा एकदम से शांत हो गया और उसने अपनी पीठ दिवार से लगा ली। विष्णु ने देखा शक्ति इस वक्त बहुत तकलीफ में है तो उसने उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”खुद को इतनी तकलीफ काहे दे रहे हो शक्ति भैया ?”
शक्ति ने सामने देखते हुए कहा,”क्योकि प्यार करते है उनसे , बहुत ज्यादा”
शक्ति की बात सुनकर विष्णु एक बार फिर हैरान था , कुछ देर पहले ही उनसे काशी के सामने कहा की वह उस से प्यार नहीं कर सकता और अब वह कुछ और कह रहा था। विष्णु ने शक्ति के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा,”हम कुछ समझे नहीं”
शक्ति ने ठंडी आह भरी और कहने लगा,”काशी को हम तबसे जानते है जब वो बहुत छोटी थी , बचपन में हम जब अपने पापा के साथ बनारस आये थे तब उस से मिले थे। सोचा नहीं था की काशी की बातें हमे याद रह जाएगी , हम हमेशा उसके बारे में सोचते रहते थे और ऐसा क्यों था ये उस वक्त हम नहीं समझ पाए थे। इसी बीच हमने अपने माँ-पापा को खो दिया , हम अनाथ हो चुके थे फिर भी हम खुद को अनाथ नहीं समझते थे क्योकि हमे लगता था बनारस में कही ना कही काशी हमारा इतंजार जरूर कर रही होगी। वो एक ऐसी इकलौती इंसान थी जिसे हम अपना समझते थे। स्कूल के आखरी इम्तिहान के बाद हम काशी से मिलने बनारस भी आये थे उस दिन हमे 2 दो बातें पता चली। पहली ये की काशी अपनी पढाई करने इंदौर चली गयी है और दूसरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“दूसरी क्या भैया ?”,विष्णु ने धड़कते दिल के साथ पूछा
“दूसरी ये की ये हमारे माँ-पापा की मौत एक हादसा नहीं थी बल्कि किसी ने उनकी हत्या की थी और उसे हादसे का नाम दे दिया। ये किसने किया यही पता लगाने के लिए हम बनारस में रुक गए , जैसे जैसे दिन गुजरते गए हमारा मन गुस्से और नफरत से भरता गया। हमने हर उस आदमी को अपना दुश्मन बना लिया जो बनारस में गलत काम कर रहा था और फिर एक दिन हम प्रताप से मिले उसने कहा की वो जानता है हमारे माँ-बाप की ह्त्या किसने की ? लेकिन उसने हमे नहीं बताया वो चाहता था हम उसके लिए काम करे उसके बाद वो हमे उन लोगो के नाम बताएगा। हम प्रताप के लिए काम करने लगे , खून खराबा , गुंडागर्दी , मार-पीट इन्ही सब में हमारा वक्त कटने लगा। हम पूरी तरह बदल चुके थे बस एक चीज नहीं बदली,,,,,,,,,,,,,,,,काशी के लिए हमारा प्यार ,, तुम पूछते थे ना की हम हर रात घाट की सीढ़ियों पर क्यों जाते है ?”,शक्ति ने विष्णु की तरफ देखकर पूछा
“हाँ,,,,,,,,,,,,!!”,विष्णु ने धीरे से कहा
“काशी से हम पहली बार वही मिले थे घाट की उन्ही सीढ़ियों पर , ये जानते हुए भी की काशी इंदौर में है हम रोज इस उम्मीद में वहा जाते थे की एक दिन वो आएगी और बचपन की तरह ही अपने हाथो से हमारे आँसू पोछ देगी। वहा बैठकर हम सिर्फ काशी के बारे में सोचते थे , महादेव से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना करते थे। काशी से हमारी दोबारा मुलाकात उसी अस्सी घाट पर हुई थी , तुम यकीन नहीं करोगे विष्णु इतने सालो बाद भी हमने उसे देखते ही पहचान लिया था , उसे देखकर हमारा दिल धड़का हमे पहली बार महसूस हुआ की हम ज़िंदा है। उस वक्त वो बड़े प्यार से हमे देख रही थी लेकिन हमे उसे नजरअंदाज करना पड़ा क्योकि काशी से बचपन में मिलने वाला शक्ति अब बदल चुका था। हम एक बुरे इंसान बन चुके थे और हम नहीं चाहते थे की काशी हम जैसे इंसान से प्यार करे लेकिन वो इतनी मासूम है की हमारे ना चाहते हुए भी उसने हम से प्यार कर लिया और अब हम चाहकर भी उसे अपना नहीं सकते,,,,,,,,,,,,,,,दुनिया का कोई भी बाप ये नहीं चाहेगा की उसकी बेटी एक गुंडे से प्यार करे या उस से शादी करे। दो दिन पहले ही हमे पता चला की हमारे माँ-बाप की हत्या करवाने वाला कोई और नहीं बल्कि शिवम् है और इस सच्चाई के साथ हम काशी को कभी नहीं अपना सकते”
कहकर शक्ति चुप हो गया। विष्णु ने सूना तो उसे अब जाकर सारी बात समझ आयी और उसने कहा,”भैया हम पिछले 16 सालो से बनारस में ही है शिवम् गुप्ता ऐसा काम कभी नहीं कर सकता , आपको जरूर कोनो गलत फहमी हुई है”
“नहीं विष्णु हमे कोई गलत फहमी नहीं हुई है , उस दिन जब हम शिवम् के घर से वो फाइल चुराने गए थे तब हमने अपने घर के कागजात देखे जो की शिवम् गुप्ता के नाम पर थे ,, सिर्फ हमारे पापा की जमीन के लिए उन्होंने उन्हें मार डाला”,कहते हुए शक्ति के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये।
विष्णु को ये बात बिल्कुल हजम नहीं हुई की महज एक जमीन के लिए शिवम् किसी की जान लेगा।
विष्णु को सोच में डूबा देखकर शक्ति ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”ये लड़ाई हमारी है विष्णु इसलिए हमने आज तक तुमसे ये सच छुपाकर रखा बनारस में हम सिर्फ शिवम् के लिए आये है , उसके बाद हम खुद को कानून के हवाले कर देंगे। इन सब में बस हमसे एक गुनाह हुआ है और वो ये है की हमने काशी का दिल तोड़ दिया , लेकिन ये जरुरी था हम उसकी नफरत सह लेंगे लेकिन उस पर कोई आंच नहीं आने देंगे।”
“शक्ति भैया आपके साथ बहुते बुरा हुआ है लेकिन इन सब में बेचारी उस लड़की का क्या दोष ?”,विष्णु को काशी के लिए बुरा लग रहा था
“वो समझ जाएगी विष्णु और आज के बाद हमे भूल भी जाएगी,,,,,,,,,,,चलो चलते है”,शक्ति ने कहा और विष्णु को वहा से लेकर चला गया।

शिवम् ने शक्ति के माँ-बाप की ह्त्या की इस बात के पीछे का सच क्या था ये बात तो शिवम् ही जानता था या फिर प्रताप जिसने शक्ति को शिवम् का नाम बताया। शक्ति इस वक्त बहुत परेशान था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था इसी बीच काशी उसने काशी का दिल भी तोड़ दिया। शक्ति अब बस शिवम् से मिलना चाहता था। विष्णु के पीछे बैठे शक्ति ने फोन निकाला और किशोर को फोन लगाकर कहा,”शिवम् गुप्ता के साथ मीटिंग फिक्स करवाओ”
दूसरी तरफ से कोई जवाब आया और शक्ति ने फोन काट दिया।

शक्ति से मिलने के बाद काशी का दिल टूट गया। उसकी आँखों नमी थी लेकिन साथ में गुस्सा भी की आखिर शक्ति उसके पापा को मारने की कैसे सोच सकता है ? काशी अनु के घर ना जाकर सीधा अपने घर चली आयी सारिका ने उसे अकेले देखा तो उसके पास आते हुए कहा,”अरे काशी तुम अकेले तुम्हारी दोस्त कहा है ?”
“वो सब अनु मौसी के साथ शॉपिंग पर गयी है”,काशी ने मुश्किल से अपने आँसुओ को रोकते हुए कहा
“क्या हुआ बेटा तुम ठीक हो ना ? तुम्हारा किसी से झगड़ा हुआ है क्या ?”,सारिका ने काशी का उतरा हुआ चेहरा देखा तो प्यार से पूछा
काशी खुद को नहीं रोक पायी उसकी आँखों में आँसू भर आये और उसने कहा,”हमारा सर बहुत दुःख रहा है माँ”
“अरे अरे बेटा इतनी सी बात में तुम रोने लगी , आओ हमारे साथ आओ हम तुम्हे दवा देते है”,कहते हुए सारिका काशी को उसके कमरे में ले आयी और उसे बैठाते हुए कहा,”तुम यही रुको हम तुम्हारे लिए दवा लेकर आते है”
सारिका के जाते ही काशी के सब्र का बांध टूट गया और वह तकिये में मुंह छुपाकर फुट फुट कर रो पड़ी। उसे बहुत बुरा लग रहा था की उसने शक्ति से प्यार किया , उसे अच्छा इंसान समझा। सारिका दवा पानी लेकर कमरे में आयी। वह काशी के बगल में आकर बैठी और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा,”काशी ज्यादा दर्द हो रहा है क्या ? चलो हम डॉक्टर के पास चलते है”
काशी ने अपने आँसू पोछे और उठते हुए कहा,”नहीं माँ हम ठीक है , हम ये दवा ले लेंगे तो ठीक हो जायेंगे”
“हम्म्म ये लो”,सारिका ने काशी को दवा दी और प्यार से उसके सर पर हाथ घुमाने लगी।
“माँ हम थोड़ी देर सो जाये ?”,काशी ने उदास स्वर में पूछा
“हाँ तुम आराम करो हम तुम्हारे लिए खाने को कुछ अच्छा सा बना देते है”,सारिका ने कहा और कमरे से चली गयी। जाते जाते उसने कमरे का दरवाजा भी बंद कर दिया। काशी दबी आवाज में एक बार फिर फूट फूट कर रोने लगी
अनु , प्रिया और ऋतू के साथ मार्किट जाने को तैयार थी लेकिन गौरी वहा नहीं थी। अनु ने गौरी के बारे में पूछा तो ऋतू ने गौरी को फोन लगाया। गौरी वंश के साथ बाहर आयी थी इसलिए उसने झूठ ही कह दिया की वह काशी के साथ है और उन सबसे मार्किट में ही मिलेगी। अनु ऋतू और प्रिया के साथ मार्किट जाने के लिए निकल गयी।

वंश गौरी को लेकर घाट चला आया। गौरी ने देखा ये घाट दूसरे घाट से थोड़ा अलग था यहाँ ज्यादा भीड़ भी नहीं थी। वंश जीप से उतरा तो गौरी भी उसके साथ नीचे उतर आयी और कहा,”आर यू स्योर वो यही मिलेगा ?”
“मुन्ना जब भी किसी से नाराज होता है यही आता है,,,,,,,,,,,,,थोड़ा अजीब है ना वो”,वंश ने गौरी की तरफ देखकर कहा
“हम्म्म्म चलो चलते है,,,,,,,,,,,,,,,,,उप्स सॉरी तुम घाट नहीं जाते”,गौरी ने कहा
“स्मार्ट गर्ल,,,,,,,,,मुन्ना को अपने लिए मैं बाद में मना लूंगा तुम जाकर उस से सॉरी बोल दो”,वंश ने जीप के बोनट पर बैठते हुए कहा
गौरी सीढिया उतरकर निचे चली आयी। उसने इधर उधर देखा कुछ ही दूर सबसे आखरी सीढ़ी पर खड़ा मुन्ना उसे दिखाई दिया। गौरी उसके पास चली आयी और उसके बगल में खड़े होकर कहा,”कल रात के लिए सॉरी , मुझे कुछ याद नहीं है लेकिन तुम्हारा गुस्सा देखकर लग रहा है शायद मैंने कुछ किया है। आई ऍम सॉरी”
गौरी को वहा देखकर मुन्ना ने कहा,”आपको यहाँ के बारे में किसने बताया ?”
“वो वंश,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहते कहते गौरी रुक गयी और फिर कहा,”क्यों मैं खुद भी पता लगा सकती हूँ , इतनी स्मार्ट तो मैं हूँ”
“जब आप इतनी ही स्मार्ट है तो आपको ये भी पता होना चाहिए की एक अनजान शहर में देर रात घर से बाहर शराब पीना गलत है”,मुन्ना ने सामने पानी को देखते हुए कहा
“वो शराब नहीं थी,,,,,,,,,,!”,गौरी ने एकदम से कहा तो मुन्ना ने उसे लुक दिया और गौरी ने अपनी बात सम्हालते हुए कहा,”आई मीन वो सिर्फ बियर थी , इंदौर में ये सब कॉमन है इसलिए मैंने”
“ये बनारस है यहाँ लड़किया नशा नहीं करती है , आप गौरी की दोस्त है इसलिए हम आपसे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते लेकिन इतना जरूर कहेंगे की हमने आपको पहचाने में गलती कर दी !”,कहकर मुन्ना जाने लगा तो गौरी ने उसे आवाज दी,”ए मान सुनो ना,,,,,,,,,,,,,,मैंने सॉरी कहा ना ?”
मुन्ना को शायद कुछ ज्यादा ही बुरा लग गया हालाँकि बात ज्यादा बड़ी नहीं थी लेकिन मुन्ना को ना जाने क्यों अच्छा नहीं लग रहा था। वह गौरी को उसी किरदार में पसंद करता था जो उसने पहली बार देखा था। मुन्ना ने गौरी की बात नहीं सुनी तो गौरी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”मेरी बात सुनो , इस एक गलती की वजह से तुम मुझे जज नहीं कर सकते। हर इंसान में अच्छाई भी होती है और बुराई भी,,,,,,ठीक है मैंने थोड़ी सी पी लेकिन मैं खुश थी इसलिए तुम में भी तो कोई ना कोई बुरी आदत होगी ना,,,,,,,,,,,,,,,अगर कोई तुम्हारी 100 अच्छाईयों को साइड कर उस एक बुराई के लिए तुम्हे जज कर ले तो तुम्हे कैसा लगेगा ?”
“ऑफकोर्स बुरा लगेगा”,मुन्ना ने गौरी की बातो में उलझते हुए कहा
“वही तो मुझे भी बुरा लग रहा है और शायद इसके लिए तुम्हे मुझसे सॉरी भी कहना चाहिए”,गौरी ने पूरा गेम ही पलट दिया। मुन्ना उलझन में पड़ गया और फिर एकदम से कहा,”आई ऍम सॉरी हमारा वो मतलब नहीं था , बस कल रात आपको उस हालत में देखकर हमे अच्छा नहीं लगा”
“हाँ मुझे ऐसे बाहर नहीं जाना चाहिए था , आई ऍम सॉरी”,गौरी ने कहा
“कोई बात नहीं यहाँ से चलते है वंश बाहर इंतजार कर रहा होगा”,मुन्ना ने कहा और जैसे ही जाने को हुआ पास से गुजरते लड़के ने उसे हल्का से धक्का दिया और मुन्ना सीधा गौरी की बांहो में। उसका दिल फिर धड़क उठा , वह गौरी की आँखों में देखने लगा। गौरी भी एकटक मुन्ना को देखे जा रही थी फिर एकदम से उसका हाथ मुन्ना के सीने पर चला गया गौरी को महसूस हुआ मुन्ना की धड़कने इस वक्त बहुत तेज थी।

जीप के बोनट पर बैठा वंश मुन्ना और गौरी के आने का इंतजार कर ही रहा था की उसने सामने से शिवम् को आते देखा। शिवम् के साथ दो चार आदमी और उन्हें देखते ही वंश की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। वह जल्दी से बोनट से नीचे उतरा और जीप स्टार्ट कर यू टर्न लेकर वहा से भाग गया। मुन्ना को होश आया तो वह गौरी से दूर हटा और कहा,”सॉरी”
“बस करो और कितना सॉरी बोलोगे , मैंने माफ़ किया अब चले ?”,गौरी ने मुस्कुरा कर कहा तो मुन्ना उसके साथ सीढिया चढ़कर जाने लगा लेकिन वंश के साथ साथ आज मुन्ना की किस्मत भी शायद ख़राब थी। सामने से शिवम् चला आ रहा था शिवम् ने ना वंश को देखा था ना ही मुन्ना को लेकिन मुन्ना ने शिवम् को देख लिया उसने गौरी के कंधे पर अपना हाथ रखा और दिवार की तरफ घूमते हुए धीरे से कहा,”पीछे मत पलटना बड़े पापा यहाँ है”
गौरी ने कुछ नहीं कहा बस उसकी नजर अपने कंधे पर चली गयी जहा मुन्ना का हाथ था और काँप रहा था क्योकि पहली बार मुन्ना ने किसी लड़की को छुआ था , गौरी मुस्कुरा उठी।

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क्या शक्ति शिवम् से अपने माँ-बाप की मौत का बदला लेगा ? काशी कैसे सम्हाल पायेगी अपने टूटे दिल को ? क्या गौरी पर होने लगा है मुन्ना की बातो का असर ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 67

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