“मैं तेरी हीर” – 57
Main Teri Heer – 57
काशी को देखने लड़का आ रहा था और अनजाने में काशी ने उसके लिए हाँ भी कह दी अब तो काशी और ज्यादा परेशान हो गयी। शक्ति ने वो लेटर नहीं लिखा लेकिन उसने पढ़कर फाड़ क्यों दिया ये काशी को समझ नहीं आया ? दोपहर के खाने के बाद काशी अपने कमरे में चली आयी। बिस्तर पर उलटे लेटे लेटे वह शक्ति के बारे में सोचने लगी। उसने शक्ति से कह तो दिया की वह शाम में घाट पर शक्ति का इंतजार करेगी लेकिन शाम में उसे घाट पर जाने कौन देगा ?
काशी इसी सब में उलझी रही और फिर उसकी आँख लग गयी।
काशी से मिलने के बाद शक्ति थोड़ा सा परेशान हो गया। वह खंडर की और चला आया और वहा बैठकर अपने हाथ पर बंधे काशी के दुपट्टे को देखते हुए खुद से कहने लगा,”पागल लड़की , एक छोटी सी खरोच के लिए अपना दुपट्टा खराब कर दिया लेकिन उसकी बातो में कितनी परवाह थी हमारे लिए,,,,,,,,,,,,,जो लेटर उसने हमे दिखाया वो हमने उसे नहीं लिखा लेकिन जिसने भी लिखा बहुत गलत किया। कोई खुद को उसका रांझणा कैसे बोल सकता है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“शक्ति भैया अकेले में किस से बात कर रहे हो ?”,विष्णु ने शक्ति के सामने आकर कहा तो शक्ति अपने ख्यालो से बाहर आया और सीधे बैठते हुए कहा,”किसी से नहीं , तुम यहाँ ?”
“हमे आपसे बहुत जरुरी बात करनी थी”,विष्णु ने कहा पर जैसे ही उसकी नजर शक्ति के हाथ पर बंधे दुपट्टे पर गयी उसने कहा,”ये क्या हुआ ?”
“ऐसे जख्म को ना खुला नहीं छोड़ना चाहिए इंफेक्शन हो जाता है बाकि हम तो तुम्हे यही सलाह देंगे की सीधा डॉक्टर के पास जाओ और अपना इलाज करवाओ,,,,,,,,,,,,,तुम सुन रहे हो ना ?”,काशी की कही बात एक बार फिर शक्ति के कानो में पड़ी तो उसने उठते हुए विष्णु से कहा,”चलो”
“कहा ?”,विष्णु ने हैरानी से कहा
“हॉस्पिटल”,शक्ति ने दिवार पर रखा अपना जैकेट उठाते हुए कहा
“हॉस्पिटल , लेकिन आज से पहले तो आप कभी हॉस्पिटल नहीं गए फिर आज यु अचानक,,,,,,,,,,,,,,,!!”,विष्णु ने हैरानी से कहा
“चलोगे या नहीं ?”,शक्ति ने उसे घूरते हुए कहा तो विष्णु चुपचाप अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया। उसने बाइक स्टार्ट की और शक्ति को साथ लेकर हॉस्पिटल चला आया। विष्णु ने रिसेप्शन से स्लिप ली और शक्ति के साथ डॉक्टर के केबिन में चला आया। डॉक्टर ने शक्ति का घाव देखा , उन्होंने कुछ दवाईया लिखकर उन्हें इमरजेंसी आने को कहा
विष्णु स्टोर से दवाईया ले आया , डॉक्टर ने नर्स से शक्ति के हाथ की पट्टी करने को कहा और खुद वहा एक पेसेंट को देखने लगा। शक्ति जिसे लड़कियों से चिढ थी उसने डॉक्टर की तरफ देखा और कहा,”पट्टी करने के लिए कोई और नहीं है क्या ?”
“नहीं ये यहाँ की नर्स है यही करेगी”,डॉक्टर ने कहा और वापस अपने काम में लग गया।
“भैया करवा लीजिये ना क्या दिक्कत है ?”,विष्णु ने फुसफुसाते हुए कहा।
“आईये यहाँ बैठिये”,नर्स ने कहा तो शक्ति उसकी तरफ चला आया। नर्स ने शक्ति का हाथ जैसे ही पकड़ा शक्ति ने दूसरे हाथ से विष्णु का हाथ पकड़ लिया और दूसरी तरफ देखने लगा। शक्ति को देखकर ही विष्णु समझ गया की आज से पहले शक्ति का लड़कियों से दूर दूर तक कोई संपर्क नहीं रहा है। नर्स ने शक्ति के हाथ से दुपट्टा हटाया और जैसे ही डस्टबिन में फेंकने को हुई शक्ति ने उसके हाथ से लेकर कहा,”ये हमे दे दीजिये”
“शक्ति भैया इस गंदे कपडे के लिए इतना परेशान काहे हो रहे है ? जरूर कुछ बात है जो ये हमसे छुपा रहे है”,विष्णु ने मन ही मन कहा
नर्स ने शक्ति के हाथ पर लगे जख्म को साफ किया , दवा लगाई और पट्टी बांध दी। साथ ही एक एंटीसेप्टिक इंजेक्शन भी लगा दिया जिस से इंफेक्शन ना हो।
शक्ति और विष्णु इमर्जेंसी से बाहर चले आये। उन्होंने हॉस्पिटल का बिल भरा और बाहर चले आये। शक्ति ने अभी भी काशी के दुपट्टे को अपने हाथ में लपेट रखा था।
“भैया ये कपड़ा तो खराब हो चुका इसे फेंक काहे नहीं देते ?”,विष्णु ने कहा
“फेकना नहीं है जिसका है उसे वापस दे देंगे”,शक्ति ने कहा
“वैसे लग तो ये किसी लड़की के दुपट्टे जैसा है पर हमे नहीं लगता आप किसी लड़की के सम्पर्क में होंगे”,विष्णु ने कहा
“कहना क्या चाहते हो ?”,शक्ति ने उसे घूरते हुए कहा
“हमने देखा अंदर जब नर्स ने आपको हाथ लगाया तो आप कैसे परेशान हो गए”,विष्णु ने कहा
“वो तो हम आज पहली बार हॉस्पिटल आये है इसलिए थोड़ा झिझक रहे थे”,शक्ति ने कहा
“हाँ लेकिन ये चोट कैसे लगी ?”,विष्णु ने फिर बाइक स्टार्ट करते हुए कहा
“ऐसी ही फिसल कर गिर गए थे”,विष्णु ने झूठ कह दिया और उसके पीछे आ बैठा। विष्णु ने बाइक आगे बढ़ा दी।
“वैसे तुम हमे कुछ बताने वाले थे”,शक्ति को एकदम से याद आया
“हाँ भैया , आपको पता है जब आप बनारस में नहीं थे तब क्या हुआ ?”,विष्णु ने कहा
“क्या हुआ ?”,शक्ति ने हैरानी से पूछा
“अरे मालिक को पुलिस पकड़कर ले गयी थी , उनके साथ साथ सी.एम सर , कमिशनर सर और वो केसर भी पकड़ा गया। सूना है नए इंस्पेक्टर ने कमाल कर दिया उन सबके खिलाफ इतने पुख्ता सबूत जमा किये है की उनका बाहर निकलना नामुमकिन है। बाकि मालिक के खिलाफ के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था इसलिए उनके भाई ने उन्हें छुड़वा लिया। ये सब उस शुगर फैक्ट्री वाले मामले में पकडे गए है”,विष्णु ने कहा
“तुम तो इन सब में शामिल नहीं हो ना ?”,शक्ति ने शक भरे स्वर में कहा
“अरे नहीं भैया”,विष्णु ने कहा
“बुरे काम का बुरा नतीजा,,,,,,,,,,,,,,,जो जैसा करेगा वैसा भरेगा”,शक्ति ने कहा
“है,,,,,,,,,,,,लेकिन हम भी तो बुरे काम करते है ना शक्ति भैया,,,,,,,,,,,,,,,फिर हमारे साथ भी,,,,,,,,,,,,,,,”,विष्णु कहते कहते रुक गया
“अच्छे लोगो को परेशान करना गलत है लेकिन बुरे लोगो को परेशान करना गलत नहीं है। मालिक पर हमे पहले से शक था की वो जरूर कुछ बड़ा कांड करेंगे और देखो कर दिया पर किस्मत अच्छी की बच गए”,शक्ति ने कहा
“नया इंस्पेक्टर इन दिनों सतर्क है केसर से जुड़े लोगो को बिना सबूत के ही जेल में डाल रहा है और अब तो विधायक जी भी उसके साथ है। हमे थोड़ा सम्हलकर रहना होगा”,विष्णु ने कहा
“हम्म्म ठीक है , बाइक ज़रा चाय की दुकान पर रोकना”,शक्ति ने कहा
विष्णु ने आगे जाकर बाइक चाय की दुकान पर रोक दी। दोनों नीचे उतरे तो शक्ति ने कहा,”दो कप चाय और हाँ कुल्हड़ में देना”
“कुल्हड़ में क्यों,,,,,,,,,,,,,,,,,,?”,विष्णु ने फिर हैरानी से शक्ति को देखते हुए कहा
“अच्छी लगती है , कभी पी है तुमने,,,,,,,,,,,,,,नहीं ना , पीकर देखो”,शक्ति ने कहा
विष्णु ने आगे कुछ नहीं कहा बस हाँ में गर्दन हिला दी शक्ति आज उसे कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा था।
अगले दिन लड़के वाले आने वाले थे इसलिए शिवम् के घर में सब तैयारियां हो चुकी थी लेकिन काशी की शक्ल बता रही थी की उसे अभी ये शादी नहीं करनी थी। वह उदास सी छत पर चली आयी और वही घूमने लगी। सुबह शक्ति से जो मुलाकात हुई उसके बारे में सोचने लगी। शक्ति उसे पसंद करता भी है या नहीं ये जानना काशी के लिए बहुत जरुरी था क्योकि वह शक्ति को चाहने लगी थी। शाम हो चुकी थी हल्का अन्धेरा होने लगा था काशी को याद आया की उसे शक्ति से मिलने जाना था लेकिन बाहर कैसे जाये ?” काशी इसी सोच में डूबी नीचे आयी उसे डायनिंग के पास काम करता दीना दिखा तो काशी मुस्कुरा उठी वह दीना के पास आयी और कहा,”दीना भैया हमे आपकी मदद चाहिए”
“हां बोलो ना बिटिया”,दीना ने मुस्कुरा कर कहा
काशी उसके पास आकर कान में धीरे से फुसफुसाई जिसे सुनते हुए दीना के चेहरे से मुस्कराहट गायब हो गयी और उसने साइड होकर कहा,”नहीं नहीं बिटिया हम शिवम् भैया से झूठ नहीं बोल सकते”
“प्लीज दीना भैया हमारे लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,हमारा बाहर जाना बहुत जरुरी है अगर हम पापा से कहेंगे तो वो हमे जाने नहीं देंगे , हमारी इतनी सी मदद कर दीजिये ना”,काशी ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा
“लेकिन बिटिया शिवम् भैया को पता चला तो हमे बहुत डाटेंगे,,,,,,,,,,,तुम वंश बाबा को ले जाओ”,दीना ने जाते हुए कहा
“हाँ हाँ हम लगते ही क्या है आपके जो आप हमारी बात सुनेंगे ,,,,,,,,,, हमे लगा इस घर में सब हमे अपना मानते है लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,खैर जाने दीजिये”,काशी ने थोड़ा इमोशनल होकर कहा तो दीना रुक गया। पहली बार काशी ने उस से मदद मांगी और उसने मना कर दिया ये सोचकर दीना को बुरा लगा। उसने काशी की तरफ पलटकर कहा,”ऐसा कहो काशी बिटिया तुम हमारी बेटी जैसी हो , ठीक है हम तुम्हे बाहर लेकर जायेंगे”
सच्ची ?,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह दीना भैया आप बहुत अच्छे है ,, हम ना कपडे बदलकर आते है”,कहते हुए काशी वहा से चली गयी।
काशी के कहे अनुसार दीना ने शिवम् से ना कहकर सारिका से कहा की वह काशी को अपने साथ बाजार जाना चाहता है , खुद ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है इसलिए कुछ सामान खरीदने और पैसे ट्रांसफर करने में काशी उसकी मदद कर देगी। सारिका जिसे हर किसी की मदद करने का शौक था उसने ख़ुशी ख़ुशी दीना को जाने को कह दिया और साथ ही जल्दी आने को कहा। काशी तैयार होकर चली आयी और दीना से कहा,”चले ?”
“हाँ”,दीना ने इधर उधर देखते हुए कहा क्योकि ये वक्त शिवम् के घर आने का था। दोनों जैसे ही बाहर आये सामने से ही शिवम् मिल गया और उन्हें साथ देखकर कहा,”आप दोनों कहा जा रहे है ?”
“शिवम् जी हमने ही कहा है वो हमे कुछ सामान चाहिए था तो हमने ही दीना से कहा की काशी को साथ ले जाये ये अच्छे से देखकर ले आएगी”,सारिका ने आते हुए कहा
“ठीक है हमारी गाडी ले जाओ और हाँ जल्दी वापस आना”,शिवम् ने कहा
“जी पापा हम यू गए और यू आये”,काशी ने कहा और दीना को लेकर वहा से चली गयी। गाड़ी जैसे ही अस्सी घाट के पास पहुंची काशी ने कहा,”बस बस बस यही रोक दीजिये”
“लेकिन बिटिया यहाँ क्यों बाजार तो आगे है ?”,दीना ने कहा
“अरे दीना भैया हमे यही जाना है , आपको जो सामान लेना है आप बाजार से लेकर आईये तब तक हम घाट पर आरती देखकर आते है”,काशी ने गाड़ी से उतरते हुए कहा
“लेकिन बिटिया आरती तो कब की हो चुकी”,दीना ने कहा
“हाँ हमे पता है लेकिन हमे आरती के बाद थोड़ी देर रुकना है इसलिए,,,,,,,,,,,,,हम जा रहे है और आप थोड़ी देर में आजाईयेगा”,कहते हुए काशी वहा से चली गयी। दीना काशी के झूठ को नहीं समझ पाया और मार्किट की तरफ निकल गया।
काशी ख़ुशी ख़ुशी सीढिया उतरते हुए नीचे आयी। जैसा की दीना ने कहा था घाट पर आरती समाप्त हो चुकी थी बस कुछ लोग ही वहा थे। कुछ घूम रहे थे और कुछ बैठे थे। काशी की नजरे शक्ति को ढूंढने लगी लेकिन शक्ति वहा नहीं था। काशी का चेहरा उदासी से घिर गया , उस पर ठंड भी बहुत थी और काशी अपना स्वेटर गाड़ी में ही भूल गयी थी। ठंड की वजह से वह अपने हाथो को सहलाने लगी ,, पास से गुजरते सुबह वाले पंडित जी ने काशी को वहा देखा तो कहा,”अरे बिटिया इतनी ठंड में यहाँ का कर रही हो जाओ घर जाओ”
“नहीं पंडित जी हम किसी को ढूंढ रहे है”,काशी ने फिर अपनी नजरे दौड़ाते हुए कहा।
“कही तुम शक्ति को तो नहीं ढूंढ रही ?”,पंडित जी ने अनुमान लगाया
काशी ने शक्ति का नाम सूना तो पंडित जी को देखकर मुस्कुराई और हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
“देखो बिटिया बुरा नहीं मानना पर इस वक्त किसी लड़के से मिलना सही नहीं होता है , एक काम करना तुम सुबह आ जाना”,पंडित जी ने कहा
“पंडित जी शक्ति बहुत अच्छा इंसान है , हम यही रूककर उसका इंतजार करते है शायद वो आ जाये”,काशी ने कहा तो पंडित जी वहा से चले गए
शक्ति के लिए काशी का ये पागलपन कोई नहीं समझ पा रहा था खुद काशी भी नहीं। आज से पहले किसी लड़के के लिए उसने ऐसा महसूस नहीं किया। ना ही किसी के लिए उसने कभी अपने घरवालों से झूठ कहा लेकिन पहली बार वह शक्ति के लिए महसूस भी कर रही थी और शिवम् सारिका से झूठ भी बोल रही थी। काशी ने थोड़ी देर इंतजार किया लेकिन शक्ति वहा नहीं आया। हताश होकर वही सीढ़ियों पर बैठ गयी , ठण्ड भी लग रही थी लेकिन उसे फर्क नहीं पड़ा। कुछ देर बाद काशी उठी और हताश होकर खुद से ही कहा,”शायद वो नहीं आएगा”
कहते हुए वह जैसे ही मुड़ी पीछे खड़े शक्ति से टकरा गयी। काशी लडख़ड़ाते हुए जैसे ही गिरने को हुई शक्ति ने उसकी कलाई थाम ली। दोनों एक दूसरे को देखने लगे , एक प्यारी सी धुन वही पास के मंदिर में बज रही थी। चांदनी रात , ,घाट का चमचमाता पानी और आरती के बाद का सुगंधित माहौल उस पल को और भी ख़ास बना रहा था। शक्ति ने उसे खींच लिया तो काशी उसकी बांहो में आ गीरी और फिर एकदम से पीछे होकर कहा,”हमे पता था तुम जरूर आओगे”
“हम यहाँ किसी काम से आये है तुमसे मिलने नहीं”,शक्ति ने काशी से नजरे चुराते हुए कहा
“तुम्हारा हाथ कैसा है ?”,काशी ने शक्ति की बात को इग्नोर करके कहा
“ठीक है”,शक्ति ने कहा
“सच में वो लेटर तुमने नहीं लिखा था ?”,काशी ने पूछा उसे अभी भी यही लग रहा था की वह शक्ति ने ही लिखा है
“नहीं,,,,,,,,,,हम ये सब नहीं लिखते”,शक्ति ने कहा
“तो फिर तुमने फाड़ा क्यों ?”,काशी ने शक्ति की ओर देखकर कहा
“वो हमने,,,,,,,,,,,,,,,,,वो,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति उसके सवाल का कोई जवाब ही नहीं दे पाया
“तुमने उसे इसलिए फाड़ा ना क्योकि उसमे लिखी बातें तुम्हे अच्छी नहीं लगी,,,,,,,,,,,,,,,,या फिर तुम सोच रहे होंगे की कोई हमारे लिए ऐसा कैसे लिख सकता है ?,,,,,,,,,,,,,,,है ना”,काशी ने बड़ी ही मासूमियत से मुस्कुराते हुए कहा
शक्ति ने काशी के चेहरे की तरफ देखा तो बस देखता ही रह गया। इस वक्त दुनिया की सारी मासूमियत उसे काशी के प्यारे से चेहरे पर नजर आ रही थी। उसे खोया हुआ देखकर काशी ने उसके चेहरे की तरफ हाथ हिलाते हुए कहा,”हेलो कहा खो गए ?”
“तुम्हे इस वक्त यहाँ नहीं आना चाहिये ?”,शक्ति एकदम से काशी को आप से तुम बुलाने लगा था ये क्यों हो रहा था वह भी नहीं जानता था।
“क्यों नहीं आना चाहिए ?”,काशी ने कहा
“देखो जैसा तुम समझ रही हो हम तुम्हारे लायक नहीं है,,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने साफ शब्दों में कहा
“ये फैसला करने वाले तुम कौन होते हो ? और वैसे भी जब तक तुम हमे अपने बारे में बताओगे नहीं हमे कैसे पता चलेगा तुम अच्छे इंसान हो या बुरे”,काशी ने अपनी पलकों को झपकाते हुए कहा
“बुरे इंसान है”,शक्ति ने कहा
“हम कैसे मान ले ?”,काशी ने कहा
शक्ति ने एक नजर काशी को देखा उसे अपनी और खींचा और अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया। काशी की धड़कने तेज हो गयी। आँखे बड़ी हो गयी और हाथ जड़ हो गए। उसने समझ ही नहीं आया की ये अचानक से क्या हुआ ?”
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क्या शक्ति शुगर फैक्ट्री कांड के बारे में पहले से जानता था ? आखिर काशी क्यों बोलने लगी है अपने घरवालों से झूठ ? शक्ति और काशी की ये मुलाकात क्या लाएगी उन्हें एक दूसरे के करीब ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 58
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