Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 58

Main Teri Heer – 58

Main Teri Heer
Main Teri Heer

अस्सी घाट की सीढ़ियों पर खड़ी काशी इस वक्त जड़ हो चुकी थी। शक्ति ऐसा कुछ करेगा काशी ने सोचा भी नहीं था। उसके होंठ अभी भी शक्ति के होंठो की गिरफत में थे। गनीमत था की घाट पर इस वक्त उन दोनों के अलावा कोई नहीं था। कुछ देर बाद शक्ति ने काशी को खुद से दूर किया और पीछे होकर कहा,”आज के बाद हमारा पीछा मत करना”
काशी ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से शक्ति को देखते रही। काशी को खामोश देखकर शक्ति वहा से चला गया। काशी बुत बनी वही खड़े रही। कुछ देर पहले जो शक्ति ने किया वो अभी भी उसकी आँखों के सामने किसी फिल्म के सीन की तरह चल रहा था।
“काशी बिटिया वहा क्या कर रही हो ? घर नहीं जाना ?”,दीना ने ऊपर सीढ़ियों पर खड़े खड़े आवाज दी तो काशी की तंद्रा टूटी और वह दीना की तरफ बढ़ गयी इतनी ठंड में भी उसे पसीने आ रहे थे। काशी ने अपना चेहरा हाथ से पोछा और ऊपर चली आयी।
“बिटिया इति रात में यहाँ ऐसे अकेले घूमना ठीक नहीं है,,,,,,,,,,,,,चलो घर चलते है”,दीना ने कहा और काशी के साथ गाड़ी की तरफ बढ़ गया
काशी आकर गाड़ी में बैठे आते टाइम वह जितनी बात कर रही थी जाते टाइम उतनी ही खामोश थी। दीना ने भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। काशी की आँखों के सामने एक बार फिर वही घाट वाला सीन आने लगा और इस बार तो शक्ति की कही बात भी उसके कानो में गुंजी – हम बुरे इंसान है , आज के बाद हमारा पीछा मत करना”
“बिटिया घर आ गया”,दीना ने कहा तो काशी अपने ख्यालो से बाहर आयी और गाड़ी से नीचे उतर गयी। सारिका बरामदे में ही थी शायद काशी का ही इंतजार कर रही थी। काशी को देखते ही उसने
कहा,”काशी कितनी देर लगा दी आने में तुमने ?”
“वो थोड़ा सा लेट हो गये”,काशी ने खोये हुए स्वर में कहा
“ठीक है अंदर चलो सब खाने पर तुम्हारा इंतजार कर रहे है”,सारिका ने कहा तो काशी अंदर चली आयी। काशी को देखते ही वंश उठकर आया और कहा,”काशी चलो ना खाना खाते है आज माँ ने तुम्हारी पसंद का खाना बनाया है”
“वंश भाई हमे भूख नहीं है आप खा लीजिये”,काशी ने बुझे स्वर में कहा और वहा से चली गयी।
“इसे क्या हुआ ?”,वंश ने डायनिंग की तरफ आते हुए कहा
“शायद कल लड़के के आने को लेकर परेशान है , खाना खाने के बाद हम उस से बात करेंगे”,शिवम् ने कहा तो फिर सब खाना खाने लगे। काशी अपने कमरे में आयी गले से दुपट्टा निकालकर साइड में रखा और तकिया लेकर बिस्तर पर पेट के बल आ गिरी। वो पल उस से भुलाये नहीं भूल रहा था। काशी शक्ति को पसंद करने लगी थी लेकिन ये फैसला नहीं कर पा रही थी की शक्ति अच्छा इंसान है या बुरा,,,,,,,,एक पल में उसे शक्ति अच्छा इंसान लगता तो अगले ही पल बुरा। काशी इन सब में उलझती जा रही थी हालाँकि वह काफी समझदार थी लेकिन शक्ति के मामले मे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। काशी इन्ही ख्यालों में उलझी हुई थी की उसका फोन बजा। काशी ने देखा फोन गौरी का था। काशी ने बेमन से फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“क्या हुआ काशी मैडम इतना अपसेट क्यों हो ?”,दूसरी तरफ से गौरी ने पूछा
“कल हमे देखने लड़का आ रहा है”,काशी ने उसी उदासी भरे स्वर में कहा
“क्या,,,,,,,,,,,,,,,? , ये कब हुआ ? इसलिए तेरे पापा ने तुझे वापस बुलाया है,,,,,,,,,,,,,,,,,काशी पागल मत बन ये कोई उम्र नहीं है शादी करने की,,हेलो तू सुन रही है ना ?”,गौरी ने कहा
“हाँ हम सुन रहे है , ये एक बहुत लम्बी कहानी है काश तुम यहाँ होती तो हम तुम्हे सब बताते”,काशी ने बुझे मन से कहा
“डोंट वरी हम लोग बनारस के लिए निकल चुके है सुबह तक पहुंचेंगे , मैंने ये बताने के लिए ही तुम्हे फोन किया था।”,गौरी ने कहा
“क्या सच में ? और आंटी की तबियत ? वो ठीक है ना अभी ?”,काशी उठकर बैठ गयी
“हाँ वो बिल्कुल ठीक है आज सुबह ही घर आयी है , उन्होंने राजमा चावल खा लिया था और उसी की वजह से उन्हें एसिडिटी हो गयी थी इसलिए हॉस्पिटल जाना पड़ा। अभी जय और मासी है उनके साथ और वो बिल्कुल ठीक है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मुझे लगता है तुम बिल्कुल ठीक नहीं हो। अच्छा हुआ हम लोग आज शाम में ही निकल गए वरना तो सीधा तेरी इंगेजमेंट में पहुँचते”,गौरी ने हँसते हुए कहा
“शट अप हमे अभी कोई शादी वादी नहीं करनी,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“अच्छा ये सब छोडो और मुझे ये बताओ की शक्ति से मिली या नहीं ?”,गौरी ने पूछा
शक्ति का नाम सुनते ही काशी खामोश हो गयी। उसे फिर घाट वाला सीन याद आ गया और उसने कहा,”गौरी तुम बस जल्दी से यहाँ आ जाओ हमे तुम्हे बहुत कुछ बताना है लेकिन फोन पर नहीं बता सकते”
“अच्छा ठीक है तुम परेशान मत हो सुबह जल्दी ही पहुँच जायेंगे हम लोग डोंट वरी , पहुंचकर फोन करती हूँ ठीक है अपना ख्याल रखना”,गौरी ने कहा और फोन काट दिया। काशी ने फोन साइड में रख दिया गौरी आ रही है जानकर उसे थोड़ी तसल्ली मिली। काशी अपने ख्यालो में खोई हुई थी की किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी और दरवाजा खटखटाया। काशी ने देखा दरवाजे पर शिवम् खड़ा था। काशी बिस्तर से उठ खड़ी हुई और कहा,”पापा आप ? आईये ना”
“आप खाना खाने क्यों नहीं आयी ?”,शिवम् ने अंदर आते हुए कहा
“हमने शाम में ही कुछ खा लिया था जिस से हमे भूख नहीं थी बस इसलिए हम नहीं आये”,काशी ने कहा
“पक्का यही बात है ना बेटा हम सुबह से देख रहे है आप कुछ परेशान सी है , कोई बात है तो आप हमे कह सकती है”,शिवम् ने काशी के पास आकर कहा
“नहीं पापा कोई बात नहीं है बस वो अचानक से आपने हमारी शादी की बात,,,,,,,,,,,,,,,,!”,काशी कहते कहते रुक गयी
“काशी बाबा की बात हम नहीं टाल सकते , पर हम आपके साथ भी कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहते। कल लड़के से मिलिए अगर आपको पसंद नहीं आता तो आप आकर हमसे साफ कह दीजियेगा। आपकी मर्जी के बिना हम कुछ भी नहीं करेंगे”,शिवम् ने कहा तो काशी ने शिवम् की बांह पकड़कर उसके सीने से अपना सर लगाते हुए कहा,”हम आपको छोड़कर जाना नहीं चाहते है पापा”
शिवम् ने सूना तो मुस्कुरा उठा और कहा,”हमारा बस चले तो हम आपको कही ना जाने दे , लेकिन ये दुनिया की रीत है बेटा बेटियों को एक दिन शादी करके अपने ससुराल जाना ही पड़ता है”
“हम्म्म्म , जैसे आप बाबा की बात नहीं टाल सकते वैसे हम भी आपकी बात नहीं टालेंगे। हम कल लड़के से मिल लेंगे”,काशी ने शिवम् से दूर होकर कहा
“हम्म चलो अब कुछ खा लो”,शिवम् ने कहा
“हमे सच में भूख नहीं है पापा”,काशी ने बच्चो की तरह मुंह बनाकर कहा
“अच्छा ठीक है हमे थोड़ा काम है हम आते है , आप आराम करो”,कहकर शिवम् वहा से चला गया।
शिवम् को भी इतनी जल्दी काशी का रिश्ता करना सही नहीं लगा लेकिन बाबा के लिए उसने कुछ नहीं कहा। खैर काशी अब टेंशन फ्री थी क्योकि शिवम् की तरफ से उसे हरी झंडी मिल चुकी थी साथ ही गौरी भी बनारस आ रही थी। काशी सोने चली गयी।

अगली सुबह उसकी नींद खुली गौरी के फोन से काशी ने फोन उठाया और नींद में ही कहा,”हेलो”
“हेलो की बच्ची कितने फोन किये तुम्हे फोन क्यों नहीं उठा रही हो तुम ?”,गौरी ने दूसरी तरफ से डांट लगाते हुए कहा
काशी ने घडी की तरफ देखा जो की सुबह के 8 बजा रही थी। काशी जल्दी से उठी और कहा,”सॉरी हम भूल गए थे , कहा हो तुम लोग ?”
“रेलवे स्टेशन पहुँच चुके है , तुम कितनी देर में आ रही हो ?”,गौरी ने पूछा
“बस 10 मिनिट में पहुँचते है तुम वही रुको”,काशी ने कहा और फोन काट दिया। काशी ने देखा उसके पास नहाने का टाइम नहीं है इसलिए उसने बालो को बांधा और कमरे से बाहर चली आयी। उसे जल्दी ने देखकर आई ने कहा,”अरे काशी बिटिया यहाँ आओ”
काशी को पहले से देर हो रही थी लेकिन आई के पास चली आयी और कहा,”हां आई कहिये”
आई ने उसके माथे पर कुमकुम का टिका लगाया और कहा,”आज का दिन बहुते ही शुभ है , बस सब अच्छे से हो जाये”
“ठीक है आई हम आते है”,कहकर काशी वहा से चल पड़ी।
“अरे बिटिया सुनो , इतनी जल्दी में कहा जा रही हो ?”, आई ने आवाज दी लेकिन तब तक काशी जा चुकी थी।
“काशी सुनो यहाँ आओ”,कहते हुए सारिका उसे अपने साथ वापस ले आयी और कमरे में लाकर कहा,”इन दोनों में कौनसी साड़ी अच्छी है जरा देखकर बताओ ? आज तुम्हे यही पहनना है”
“माँ अभी हमे जाने दीजिये हम बाद में देख लेंगे”,काशी ने कहा
“लेकिन तुम इतनी जल्दी में जा कहा रही हो ?”,सारिका ने पूछा
“माँ स्टेशन पर हमारी तीनो दोस्त है हम उन्हें ही लेने जा रहे है”,काशी ने कहा
“काशी आपको बाहर नहीं पंडित जी आने वाले है इसलिए पहले जाकर नहा लीजिये , आपकी दोस्तों के लिए हम गाड़ी भेज देते है”,शिवम् ने कहा
“लेकिन पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“बेटा चिंता मत करो हम भेजते है दीना को , सरु ज़रा बाहर आएगी आप”,शिवम् ने कहा और वहा से चला गया
काशी को कुछ नहीं समझ आ रहा था उसने अपना फोन उठाया और जैसे ही गौरी को फोन लगाने लगी उसे सामने से मुन्ना आता दिखा। काशी ने फोन रखा और उसके पास आयी। मुन्ना कुछ सामान लेकर आया था उसने वह सामान आई को दिया और जाने लगा तो काशी ने कहा,”मुन्ना भैया”
“हाँ काशी”,मुन्ना ने काशी के सामने आकर कहा
“मुन्ना भैया इंदौर से हमारी कुछ दोस्त आयी है अभी स्टेशन पर है , हमे उन्हें लेने जाना था लेकिन पापा ने हमे रोक दिया तो क्या आप उन्हें ले आएंगे प्लीज ?”,काशी ने कहा
मुन्ना ने खुद को देखा सुबह सुबह वह टीशर्ट और ट्राउजर में था। नहाया भी नहीं था बल्कि शिवम् ने उसे किसी काम की वजह से ऐसे ही घर बुला लिया था। मुन्ना ने काशी की तरफ देखा और कहा,”ऐसे जाए ?”
“मुन्ना भैया चले जाईये ना प्लीज”,काशी ने रिक्वेस्ट की तो मुन्ना ने कहा,”अच्छा ठीक है , तुम अपनी दोस्त को फोन कर दो की स्टेशन के बाहर मिले”
“आप गाड़ी ले जाईये , वो तीन लोग है और उनके पास सामान भी होगा”,काशी ने डायनिंग पर रखी शिवम् की गाड़ी की चाबी मुन्ना को देते हुए कहा। मुन्ना बाहर आया गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया। उसने गाड़ी में लगे मिरर में खुद को देखा , दाढ़ी बढ़ी हुई थी , आँखों से नींद साफ झलक रही थी। खैर मुन्ना स्टेशन के बाहर पहुंचा।
वह गाड़ी से उतरा और काशी की दोस्तों को ढूंढने लगा। मुन्ना यहाँ सबको जानता था लेकिन साइड में सीढ़ियों के पास खड़ी तीन लड़किया उसे बनारस की नहीं लगी। उनमे से दो का चेहरा मुन्ना की तरफ था और तीसरी ने उसकी तरफ पीठ कर रखी थी। दोनों लड़किया ऋतू और प्रिया ही थी , मुन्ना को अपनी ओर देखता पाकर उन्होंने तीसरी लड़की गौरी से कुछ कहा। गौरी पलटी जैसे ही मुन्ना ने उसे देखा उसका दिल धड़क उठा। जिस लड़की से इंदौर में टकराया था ये वही लड़की थी। मुन्ना अपलक गौरी को देखता रहा , उसका दिल अभी भी तेज तेज धड़क रहा था उसने सोचा नहीं था इस लड़की से उसकी दोबारा मुलाकात होगी वो भी ऐसे बनारस में।
गौरी ऋतू प्रिया के साथ मुन्ना की तरफ चली आयी। मुन्ना को खोया हुआ देखकर गौरी ने उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए कहा,”हेल्लो”
मुन्ना की तंद्रा टूटी गौरी बिल्कुल उसके सामने खड़ी थी। मुन्ना ने कहा,”आप सब काशी की दोस्त है ?”
“हाँ शायद उसने तुम्हे भेजा है हमे लेने के लिए”,ऋतू ने कहा
“हाँ आईये”,मुन्ना ने कहकर ड्राइवर सीट वाला दरवाजा खोला और जैसे ही बैठने को हुआ ऋतू ने दरवाजे के शीशे को नॉक किया तो मुन्ना ने उसकी ओर देखा
“सामान कौन उठाएगा ?”, ऋतू ने कहा
“हम उठाये ?”,मुन्ना ने गाड़ी का दरवाजा बंद कर ऋतू के सामने आकर कहा
“बिल्कुल तुम्हे कोई और दिख रहा था है ? नहीं ना,,,,,,,,,,,,,,,,चलो जल्दी से सामान गाडी में रखो , मुझसे अब यहाँ और खड़े नहीं रहा जा रहा”,ऋतू ने कहा
मुन्ना ने कुछ नहीं कहा चुपचाप सामान उठाया और गाड़ी के पीछे डिग्गी में रखने लगा।
“तुमने उसे सामान उठाने को क्यों कहा ?”,गौरी ने कहा
“तुम्हे ये कही से भी काशी का फॅमिली मेंबर लगता है , काशी बता रही थी की उसके पापा बहुत पैसेवाले है तो शायद ये उनके घर में काम करता होगा। इसके कपडे और हुलिया देखकर ही पता चल रहा है”,गौरी ने बदतमीजी से कहा लेकिन ये बात मुन्ना ने सुन ली पर वो फिर भी खामोश रहा। उसने डिग्गी बंद की और ड्राइवर सीट पर आ बैठा। तब तक गौरी ऋतू और प्रिया भी गाडी में आ बैठी। गौरी बिल्कुल मुन्ना के बगल में बैठी थी लेकिन उसे भी नहीं पता था मुन्ना कौन है ? मुन्ना खामोश था उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे लेकिन अपनी बगल में गौरी को बैठे देखकर उसका दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था। मुन्ना ने गाड़ी घर जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ा दी।
“यार काशी के घर में काम करने वाले लड़के भी कितने हेंडसम दिखते है , मुझे तो लगा वंश आएगा हमे लेने”,प्रिया ने धीरे से कहा लेकिन वह मुन्ना के पीछे ही बैठी थी इसलिए मुन्ना को सुन गया। गौरी खिड़की से बाहर देखे जा रही थी मुन्ना बस जैसे तैसे खुद को उसे देखने से रोक रहा था लेकिन उसकी नजरे बार बार गौरी पर चली जाती। ऋतू ने अपने बैग से शीशा और लिपस्टिक निकाली और अपने होंठो को रंगते हुए कहा,”घर पहुँचने में कितना टाइम लगेगा ?”
मुन्ना वैसे सीधा लड़का था लेकिन कुछ देर पहले ऋतू ने जो कहा था वो सुनकर मुन्ना को ऋतू से थोड़ी चिढ हुई इसलिए उसने यू टर्न लेते हुए गाड़ी को थोड़ा
ज्यादा ही घुमा दिया जिस से ऋतू के होंठो पर लगने वाली लिपस्टिक उसके गाल पर भी लग गयी। उसने खा जाने वाली नजरो से मुन्ना को देखा तो मुन्ना ने गाड़ी में रखा टिश्यू पेपर बिना उसकी तरफ देखे उसकी ओर बढ़ा दिया। गौरी समझ गयी की मुन्ना ने ये जान बूझकर किया वह बाहर देखते हुए मुस्कुरा उठी।

गाड़ी घर पहुंची , मुन्ना ने घर के बरामदे के सामने लाकर गाड़ी रोकी। काशी नहा चुकी थी और वही खड़ी उन सबके आने का वेट कर रही थी। गौरी , ऋतू और प्रिया तीनो गाड़ी से नीचे उतरी और काशी के पास चली आयी। काशी खुश होकर उनसे मिली। मुन्ना डिग्गी से सामान निकालने लगा ये देखकर ऋतू ने कहा,”काशी तुम्हारे घर का ये ड्राइवर बहुत बद्तमीज है”
“अरे वो ड्राइवर नहीं है हमारे भाई है,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना भैया”,काशी ने जैसे ही कहा ऋतू और प्रिया ने हैरानी से एक दूसरे को कहा,”क्या ?,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना भैया”
गौरी ने सूना तो वह तुरंत मुन्ना की तरफ आयी और कहा,”तुम रहने दो ये सब मैं कर लेती हूँ”
गौरी को अपने पास देखकर मुन्ना का दिल फिर धड़कने लगा और उसने कहा,”इट्स ओके हम रख देते है”
“अरे दीजिये प्लीज”,गौरी ने मुन्ना के हाथ में पकडे बैग को पकड़ा तो उसकी उंगलिया मुन्ना के हाथ को छू गयी। बिजली की रफ़्तार से एक करंट मुन्ना को छूकर गुजरा और उसने बैग छोड़ दिया।

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क्या काशी की सगाई में होने वाला है कोई बवाल ? , क्या ऋतू मांगेगी मुन्ना से अपनी बदतमीजी के लिए माफ़ी ? क्या मुन्ना समझ पायेगा अपनी धड़कनो का इशारा ? जानने सुनते पढ़ते रहिये “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 59

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