Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 42

Main Teri Heer – 42

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 42

मुरारी की वजह से वंश का पार्टी वाला प्लान केंसल हो गया। बाइक पर मुन्ना के पीछे पीछे बैठा वंश कुढ़ रहा था उसे कुढ़ते देखकर मुन्ना ने कहा,”अबे क्या हुआ काहे इतना परेशान हो ?”
“यार ये मुरारी चाचा हर बार मेरे प्लान पर पानी फेर देते है यार , इतनी मस्त पार्टी रखी थी लेकिन,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“कोई बात नहीं शादी के बाद चलते है ना वहा”,मुन्ना ने कहा
“तब तक बिजली चली जाएगी”,वंश बड़बड़ाया
“कौन बिजली ?”,मुन्ना ने पूछा
“कौन बिजली ? मैंने तो कुछ नहीं सूना तुझे कुछ सूना क्या ?”,वंश ने अनजान बनते हुए कहा
“नहीं,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और बाइक झंकार पैलेस जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी। कुछ देर बाद ही दोनों शादी में पहुंचे अभी शादी का फंकशन शुरू नहीं हुआ था। मुन्ना और वंश अंदर चले आये और एक तरफ जाकर खड़े हो गए। गार्डन में और भी लोग जमा थे जो खाने पीने का लुफ्त उठा रहे थे।
वेटर वंश और मुन्ना के सामने से गुजरा तो वंश ने एक कॉफी का कप उठाया और उसे जाने का इशारा किया। मुन्ना को कॉफी कम ही पसंद थी इसलिए उसने नहीं ली।
“यार ये लोग शादी में इतना खर्चा क्यों करते है ? मतलब शादी तो दो लोगो की होनी है फिर भी लोग पैसा पानी की तरह बहाते है। इस से अच्छा है कोर्ट मैरिज करो और इन्ही पैसो से किसी अच्छी जगह हनीमून पर जाओ”,वंश ने कॉफी पीते हुए कहा
“इंडिया में शादी एक त्यौहार की तरह होता है वंश , शादी के बहाने ही सब एक साथ इक्क्ठा होते है , दोस्त , पडोसी , रिश्तेदार सब एक दूसरे से मिल सकते है और इसी धूमधाम के जरिये जिन दो लोगो की शादी हो रही होती है उन्हें ये अहसास दिलाया जाता है की उनके नए जीवन से सब लोग खुश है”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा ऐसा है क्या ? फिर तो काशी की शादी इतने धूमधाम से करेंगे की पूरा बनारस देखेगा”,वंश ने कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा
कुछ ही दूर खड़े तिवारी जी की नजर जब वंश और मुन्ना पर पड़ी तो वे उनकी तरफ चले आये और मुन्ना से कहा,”अरे मुन्ना तुम अकेले आये हो , हमारे विधायक साहब कहा है ?”
“दरअसल पापा किसी काम से बाहर है तो आ नहीं पाए , इसलिए हमे भेज दिया”,मुन्ना ने कहा
“अरे बहुत अच्छा किया बेटा तुम दोनों आ गए , बस अभी थोड़ी देर में फंक्शन शुरू हो जाएगा। खाना खाकर जाना बेटा”,खाकर तिवारी जी चले गए। वंश बार बार फोन देख रहा था उसके दोस्तों के फोन जो आ रहे थे। मुन्ना डेकोरेशन और बाकि चीजों को देखने में व्यस्त था। आसपास घूमती लड़कियों की नजर वंश पर थी लेकिन वंश का ध्यान अपने फोन में आखिर “बिजली” का सवाल था। कुछ देर बाद ही शादी का फंक्शन शुरू हुआ। मुन्ना ने लिफाफा दिया और बिना खाना खाये ही वंश को लेकर वहा से निकल गया। वंश और मुन्ना के दोस्तों ने पार्टी एक दोस्त के फार्म हॉउस पर रखी थी। दोनों वहा पहुंचे
मुन्ना और वंश के दोस्त आ चुके थे और सभी अंदर ही थे। वंश बाइक से नीचे उतरा और मुन्ना के साथ अंदर जाने लगा। मुन्ना का फोन बजा देखा काशी का था उसने वंश से कहा,”तू अंदर चल मैं अभी आया”
“ठीक है जल्दी आना”,कहकर वंश चला गया। मुन्ना साइड में आया और फोन उठाकर कहा,”हाँ काशी”
“मुन्ना भैया आपके और वंश भैया के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा यहाँ , पता है आज नानू नानी की एनिवर्सरी थी हम तो भूल ही गए थे वो तो अच्छा है गौरी को सब याद था और उसने सब अरेजमेंट कर दिया”,काशी एक साँस में ही सब कह गयी
“गौरी ?”,मुन्ना जिसने गौरी को देखा जरूर था पर उसका नाम नहीं जानता था ना ही ये की गौरी काशी की दोस्त है
“गौरी हमारी दोस्त,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन आपको कैसे पता होगा ? आप तो उस से मिले ही नहीं”,काशी ने मासूमियत से कहा
“हम्म्म कोई बात नहीं , नानू नानी कैसे है ?”,मुन्ना ने पूछा उसे गौरी के बारे में सुनने और जानने में फ़िलहाल कोई इंट्रेस्ट नहीं था
“सब अच्छे है , अच्छा आपके कॉलेज इलेक्शन का क्या हुआ ?”,काशी ने पूछा
“बिना लड़े ही हमे इस बार भी कॉलेज प्रेजिडेंट बना दिया है”,मुन्ना ने कहा
“अरे वाह कोन्ग्रेचुलेशन,,,,,,!”,काशी ने खुश होकर कहा
“थैंक्यू , अभी हम बाहर आये हुए है तुमसे सुबह बात करते है , ठीक है ,,,,,,अपना ख्याल रखना”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है आप भी”,कहकर काशी ने फोन काट दिया। मुन्ना फोन जेब में रखा और अंदर चला आया

मुन्ना जब फोन पर बात कर रहा था तब वंश अंदर आया। उसके सब दोस्त वहा थे वंश सबसे मिला और कहा,”ए तुम लोग कह रहे थे बिजली आएगी कहा है वो ?”
वंश ने पूछा ही था की लाइट बंद हो गयी एक रौशनी सामने टेबल पर पड़ी जिस पर बिजली नाम की नाचनेवाली-गानेवाली लड़की अपनी चुनरी का घूंघट निकाले अदा के साथ खड़ी थी। म्यूजिक बजने लगा और इसी म्यूजिक की धुन के साथ सभी हूटिंग करने लगे और सभी उस बड़े से टेबल के पास चले आये। वंश उन सब में सबसे आगे खड़ा था। जैसे ही बिजली ने अपना घूँघट हटाकर चुनरी साइड में फेंकी सारी लाइट्स जल उठी। बिजली अदा के साथ लड़को की तरफ आयी और थोड़ा सा झुककर वंश के गाल को छुआ और उसे अपने साथ आकर डांस करने का इशारा किया। वंश ने अपने दोस्तों की तरफ देखा तो उन्होंने उसे जाने का इशारा किया। वंश भी टेबल के ऊपर जा चढ़ा और बिजली के साथ डांस करने लगा। सब सही चल रहा था की मुन्ना को देखकर सब रुक गए मुन्ना ने टेबल पर चढ़े वंश को देखा तो उसकी भँवे चढ़ गई। सब खामोश हो गए क्योकि वंश और उसके दोस्तों के साथ साथ मुन्ना के दोस्त भी उस से डरते थे। मुन्ना ने एक नजर वंश को देखा और फिर उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी ये देखकर वंश भी मुस्कुरा उठा। वह टेबल से नीचे कूदा और मुन्ना की बगल में आकर डांस करने का इशारा किया तो मुन्ना भी उसके साथ डांस करने लगा।
माहौल काफी खुशनुमा हो चला था सभी हंस रहे थे , डांस कर रहे थे और पार्टी इंजॉय कर रहे थे। बिजली भी डांस करते हुए नीचे चली आयी और दोनों भाईयो के साथ डांस कर रही थी। वंश और मुन्ना भी बिजली को फुल रिस्पेक्ट दे रहे थे। सब डांस कर रहे थे। बिजली तो डांस करते हुए बस मुन्ना को ही देखे जा रही थी हँसते हुए कितना प्यारा लग रहा था। डांस खत्म हुआ मुन्ना ने देखा बिजली की चुनरी एक कुर्सी पर पड़ी है। उसने वह उठाई और बिजली को उस से ढकते हुए कहा,”तुम्हारे काम को जज नहीं करेंगे लेकिन औरत ना दुपट्टे के साथ ज्यादा सुंदर लगती है”
बिजली ने सूना तो उसकी आँखे ख़ुशी से चमकने लगी , उसके होंठ मुस्कुराने लगे मुन्ना वहा से वंश की ओर चला गया। बिजली ने भी अपना पेमेंट लिया और वहा से चली गयी जाते जाते उसने पलटकर मुन्ना को देखा और मुस्कुरा उठी !

पार्टी के बाद मुन्ना और वंश दोनों घर चले आये। अगले दिन से कॉलेज शुरू हो गया मुन्ना फिर से अपने काम में और वंश पढाई कम और दोस्तों के साथ केंटीन में। राजन हॉस्पिटल से घर आ चुका था लेकिन डॉक्टर ने अभी उसे रेस्ट करने को कहा था और फिर हाथ में फ्रेक्चर भी था। राजन ने इस मामले को दबाने में ही अपनी भलाई समझी और राजन को वंश मुन्ना से दूर रहने को कहा। शक्ति फिर से वही पैसो के लिए काम करने लगा लेकिन काशी की यादें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। हर शाम वह घाट चला आता और सीढ़ियों पर लेटकर काशी के बारे में सोचता रहता। विष्णु को वही बनारस में छोटे मोटे काम मिलने लगे तो वह उनमे व्यस्त रहने लगा। सारिका के ना होने से बाबा अकेले ही ओल्डएज होम सम्हाल रहे थे। दिनभर वही रहते शाम को घर लौट आते तो वही हमारे मुरारी भैया लगे थे अपनी विधायकी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बनारस का माहौल इन दिनों काफी शांत था।
शिवम् सारिका और अनु इंदौर में अधिराज जी और अम्बिका के साथ वक्त बिता रहे थे तो वही काशी का ना कॉलेज में मन लग रहा था ना ही घर में। वह बार बार शक्ति के बारे में सोचने लगती और इस से उसकी पढाई भी काफी ज्यादा डिस्टर्ब हो रही थी। गौरी ने इस बात को नोटिस भी किया लेकिन काशी हर बार टाल देती,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब बेचारी काशी खुद जिस बात को लेकर क्लियर नहीं थी उसके बारे में गौरी को क्या बताती।
एक हफ्ते बाद शिवम् सारिका और अनु वापस बनारस के लिए निकल गए।

बनारस पुलिस स्टेशन में अपने ऑफिस में बैठे किशोर ने टेबल पर रखी सब फाइल्स को गुस्से में हाथ से झटकते हुए कहा,”कॉन्स्टेबल , कॉन्स्टेबल”
बाहर बैठा कॉन्स्टेबल तुरंत अंदर चला आया और कहा,”जी सर कुछ चाहिए आपको ?”
“पिछले दो हफ्तों से मैं इन फाइल्स में अपना सर खपा रहा हूँ लेकिन प्रताप , शिवम और मुरारी के खिलाफ इन फाइल्स में एक भी सबूत नहीं है”,किशोर ने गुस्से और बेबसी से झुंझलाते हुए कहा
“नहीं मिलेंगे सर , दोनों ही इस शहर के बड़े आदमी है और दोनों की ही पहुँच काफी ऊपर तक है। व्यापारी बनने से पहले प्रताप एक गुंडा था और मुरारी के चचा विधायक थे इसलिए उनके राज में वह भी बनारस के लोगो पर धौंस जमाया करता था। वही शिवम् आज सीमेंट व्यापारी है लेकिन इस से पहले वह भी एक गुंडा ही था। प्रताप और शिवम् के बीच की दुश्मनी तभी से है सर और इसी दुश्मनी को अब इनके बच्चे आगे बढ़ा रहे है।”,कॉन्स्टेबल ने कहा तो किशोर सोच में पड़ गया
“इनकी दुश्मनी आगे चलकर बनारस के लोगो के लिए खतरा बन सकती है”,किशोर ने गंभीरता से कहा
किशोर को बनारस की परवाह करते देखकर कॉन्स्टेबल थोड़ा हैरान रह गया क्योकि जबसे किशोर आया था वह उसी के साथ था
उसने किशोर को हमेशा एक बेईमान इंस्पेक्टर के रूप में देखा था। कॉन्स्टेबल को सोच में डूबा देखकर किशोर ने कहा,”तुम सोच रहे होंगे आज मैं अचानक ऐसी बातें क्यों कर रहा हूँ ?”
“नहीं सर ऐसी बात नहीं है”,कॉन्स्टेबल ने धीरे से कहा जबकि वह यही सोच रहा था
“धीरे धीरे समझ जाओगे”,किशोर ने कहा और वहा से चला गया।

अगले दिन सुबह सुबह शिवम् सारिका और अनु घर आ गए। उन्हें देखते ही आई का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा। शिवम् ने अनु को वही रुककर आराम करने को कहा और कहा की शाम में वंश उसे घर छोड़ आएगा। अनु वही रुक गयी और सारिका के कमरे में आकर सो गयी। सफर की थकान की वजह से सारिका भी थोड़ी देर बाद सोने चली गयी। शिवम् अपने घर की बैठकर में चला आया और वही बैठकर आराम करने लगा। कब आँख लगी पता ही नहीं चला।
शाम में वंश अनु को छोड़ने घर चला गया , अनु के देखते ही मुरारी के चेहरे की मुस्कान डबल हो गयी लेकिन अनु तो अनु ठहरी मुंह बनाकर मुन्ना की तरफ बढ़ गयी और कहा,”कैसे हो मुन्ना ?”
“हम ठीक है माँ आप बताओ आप कैसी हो ?”,मुन्ना ने मुस्कुरा कर कहा
“अरे मैं बिल्कुल ठीक , अपने पेरेंट्स से मिलकर दिल को सुकून मिल गया और तो और एक हफ्ता खूब मस्ती की हम सबने मिलकर। इंदौर घुमा , नाईट क्लब भी देखे , खूब शॉपिंग की तुम्हारे लिए , पर कुछ लोगो की किस्मत खराब है उन्हें ये सब देखने को नहीं मिला”,अनु का इशारा मुरारी की तरफ देखकर कहा
“ए मैग्गी हमारी बात,,,,,,,,,,,,,,,,,जे तुम्हारे बालो को का हुआ ?”,मुरारी ने जैसे ही कहा उसकी नजर अनु के बालो पर चली गयी जो की कर्ल से अब स्ट्रेट हो चुके थे। मुरारी अनु की तरफ आया तो अनु ने कहा,”अब हम मैग्गी नहीं रहे है मिश्रा जी अब हम हो गए है मुन्ना की माँ”
कहकर अनु मुंह बनाते हुए वहा से चली गयी शायद मुरारी से अभी तक नाराज थी। बेचारा मुरारी फीका सा मुस्कुरा कर रह गया वंश ने देखा तो कहा,”अरे कोई नहीं चाचा होता है”
मुरारी ने तिरछी नजरो से उसे देखा तो वंश खिंसिया गया। मुन्ना ने देखा अनु की बातो से उसके पापा अपसेट हो गए है तो उसने कहा,”कोई बात नहीं पापा माँ ने सिर्फ बाल ही तो सीधे करवाए है”
मुरारी ने एक ठंडी आह भरी और कहा,”काश तुम्हारी माँ भी सीधी होती मुन्ना,,,,,,,,,,काश”

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क्या मुरारी अनु की नाराजगी दूर कर पायेगा ? क्या है किशोर के इरादे ? क्या वंश और मुन्ना की जिंदगी में आने वाला है कोई बड़ा तूफ़ान ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहिये “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 43

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संजना किरोड़ीवाल

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अगले दिन सुबह सुबह शिवम् सारिका और अनु घर आ गए। उन्हें देखते ही आई का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा। शिवम् ने अनु को वही रुककर आराम करने को कहा और कहा की शाम में वंश उसे घर छोड़ आएगा। अनु वही रुक गयी और सारिका के कमरे में आकर सो गयी। सफर की थकान की वजह से सारिका भी थोड़ी देर बाद सोने चली गयी। शिवम् अपने घर की बैठकर में चला आया और वही बैठकर आराम करने लगा। कब आँख लगी पता ही नहीं चला।
शाम में वंश अनु को छोड़ने घर चला गया , अनु के देखते ही मुरारी के चेहरे की मुस्कान डबल हो गयी लेकिन अनु तो अनु ठहरी मुंह बनाकर मुन्ना की तरफ बढ़ गयी और कहा,”कैसे हो मुन्ना ?”
“हम ठीक है माँ आप बताओ आप कैसी हो ?”,मुन्ना ने मुस्कुरा कर कहा
“अरे मैं बिल्कुल ठीक , अपने पेरेंट्स से मिलकर दिल को सुकून मिल गया और तो और एक हफ्ता खूब मस्ती की हम सबने मिलकर। इंदौर घुमा , नाईट क्लब भी देखे , खूब शॉपिंग की तुम्हारे लिए , पर कुछ लोगो की किस्मत खराब है उन्हें ये सब देखने को नहीं मिला”,अनु का इशारा मुरारी की तरफ देखकर कहा
“ए मैग्गी हमारी बात,,,,,,,,,,,,,,,,,जे तुम्हारे बालो को का हुआ ?”,मुरारी ने जैसे ही कहा उसकी नजर अनु के बालो पर चली गयी जो की कर्ल से अब स्ट्रेट हो चुके थे। मुरारी अनु की तरफ आया तो अनु ने कहा,”अब हम मैग्गी नहीं रहे है मिश्रा जी अब हम हो गए है मुन्ना की माँ”
कहकर अनु मुंह बनाते हुए वहा से चली गयी शायद मुरारी से अभी तक नाराज थी। बेचारा मुरारी फीका सा मुस्कुरा कर रह गया वंश ने देखा तो कहा,”अरे कोई नहीं चाचा होता है”
मुरारी ने तिरछी नजरो से उसे देखा तो वंश खिंसिया गया। मुन्ना ने देखा अनु की बातो से उसके पापा अपसेट हो गए है तो उसने कहा,”कोई बात नहीं पापा माँ ने सिर्फ बाल ही तो सीधे करवाए है”
मुरारी ने एक ठंडी आह भरी और कहा,”काश तुम्हारी माँ भी सीधी होती मुन्ना,,,,,,,,,,काश”

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