Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 41

Main Teri Heer – 41

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 41

अस्सी घाट की सीढ़ियों पर बैठा शक्ति बरबस ही मुस्कुराये जा रहा था उसे अहसास भी नहीं हुआ की कब विष्णु आकर उसकी बगल में बैठा है और उसे देख रहा है। शक्ति ने अपनी दांयी तरफ विष्णु को देखा तो हैरानी से कहा,”तुम कब आये ?”
“तू मुस्कुराते हुए कितना अच्छा लगता है”,विष्णु ने कहा तो शक्ति के होंठो से वो प्यारी सी मुस्कान गायब हो गयी और उसने कहा,”घर जाने की बजाय तूम यहाँ का कर रहे हो ?”
“बस ऐसे ही चला आया , दो दिन से तू ठीक से बात नहीं कर रहा देख मैंने मालिक से माफ़ी मांग भी ली और उन्होंने माफ़ भी कर दिया , अब तू भी माफ़ कर दे ना भाई”,विष्णु ने शक्ति को मक्खन लगाते हुए कहा
“ठीक है लेकिन आगे से सम्हलकर”,शक्ति ने कहा और सिगरेट निकालकर मुंह में रख ली। विष्णु ने देखा सिगरेट के कश लगाते हुए विष्णु ने देखा शक्ति की आँखों में एक अलग ही चमक और चेहरे पर सुकून था।
“तू बुरा न माने तो एक बात कहू ?”,विष्णु ने डरते डरते पूछा
“हम्म्म्म पूछो”,शक्ति ने कहा
“तुम ये सब काम क्यों करते हो ? मेरा मतलब ये चोरी चकारी , मालिक के कहा हर काम , लोगो को डरना धमकाना। दिखने में अच्छे घर के लगते हो और बनारस के तो बिल्कुल नहीं हो फिर यहाँ कैसे ?”,विष्णु ने डरते डरते पूछा
शक्ति ने सिगरेट के कश लगाते हुए कहा,”जिंदगी में कुछ रास्ते हम नहीं चुनते है विष्णु , बल्कि हमारी किस्मत हमे उन रास्तो पर ले आती है। हम यहाँ क्यों है ? ये सब क्यों कर रहे है ? इनका जवाब तो हमे भी नहीं पता तो तुम्हे क्या बताएँगे ? जीने के लिए रोटी कपडा मकान जरुरी है अब वो कही से भी आये क्या फर्क पडता है ?”
“तुम्हारी ये नपी तुली बातें हमेशा मुझे खामोश कर देती है। अच्छा तुम्हे किसी से प्यार हुआ है ? मेरा मतलब कोई पसंद आयी अभी तक बनारस में या इस इस से बाहर ?”,विष्णु ने शक्ति का मन टटोलते हुए कहा
विष्णु की बात सुनकर शक्ति की आँखों के आगे काशी का चेहरा आने लगा। उसने विष्णु से नजरे चुराई और कहा,”रात बहुत हो गयी है तुम्हे जाना चाहिए”
“जवाब नहीं देना तो साफ ना बोल दो कम से कम बहाने तो मत बनाओ , वैसे जो लड़की तुमसे घाट पर मिली थी जानते हो उह किसकी बेटी है ?”,विष्णु ने उठते हुए कहा
“बनारस के सबसे बड़े सीमेंट गोदाम के मालिक “शिवम् गुप्ता” की”,शक्ति ने बिना किसी भाव के कहा
“फिर तो ये भी पता होगा की मालिक और शिवम् भैया के बीच कितनी पुरानी दुश्मनी है”,विष्णु ने कहा तो शक्ति उठा और उसके सामने आकर कहा,”हमे इनकी दुश्मनी से क्या मतलब अगर शिवम् ने अच्छा पैसा दिया तो हम मालिक का गला भी काट देंगे”
कहकर शक्ति विष्णु का कंधा थपथपा कर वहा से चला गया। ठण्ड में भी विष्णु के माथे से पसीने की बुँदे टपकने लगी और उसने धीरे से कहा,”कितना खतरनाक आदमी है यार पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है , इस से बनाकर रखनी पड़ेगी”
“ए शक्ति रुक मैं भी आता हूँ”,कहते हुए विष्णु भी उसके पीछे चला गया।

इंदौर , मध्य प्रदेश
अधिराज जी और अम्बिका की मैरिज एनिवर्सरी थी इसलिए सबने बाहर खाने का प्लान बनाया। सारिका ने काशी की दोस्तों को भी इन्वाइट कर दिया। सभी अनु के पसंदीदा रेस्टोरेंट पहुंचे। काशी ने अपने नाना नानी के लिए सेपरेट टेबल बुक किया ताकि वे दोनों साथ बैठकर अपना क़्वालिटी टाइम बिता सके इसके अलावा बाकि सब एक फॅमिली टेबल बुक करके उसके इर्द गिर्द आ बैठे। अनु ने सबके लिए खाना आर्डर किया शिवम् को सादा खाना पसंद था इसलिए उसने अपने लिए सिर्फ दाल चपाती और मिक्स वेज आर्डर किया। काशी बार बार अपनी घडी देख रही थी। गौरी , प्रिया और ऋतू अभी तक नहीं आयी। सारिका ने उसे परेशान देखा तो कहा,”क्या बात है बेटा इतना परेशान क्यों हो रही हो ? तुम्हारी दोस्त आ रही है ना ?”
“आ रही है ? आ चुकी है दी वो देखो”,अनु ने कहा
“सारिका और काशी ने देखा तीनो महमूर्तिया सामने से चली आ रही है। तीनो ने जींस और टॉप्स पहन रखे थे। तीनो ने आकर उनको ज्वाइन किया और गौरी ने कहा,”आई ऍम सॉरी थोड़ा लेट हो गया , एक्चुअली वो रास्ते में गाडी खराब हो गयी थी”
“कोई बात नहीं बेटा , शुरू करे ?”,सारिका ने प्यार से कहा
“आपके पापा क्या करते है बेटा ?”,शिवम् ने गौरी से पूछा
पापा का नाम सुनते ही गौरी थोड़ा अपसेट हो गयी। काशी ने सूना तो बात सम्हालते हुए कहा,”पापा गौरी के पापा अब इस दुनिया में नहीं है”
“माफ़ करना बेटा”,शिवम् को ये सुनकर थोड़ा दुःख हुआ
“इट्स ओके अंकल”,गौरी ने कहा
“तो आपके घर में कौन कौन है ?”,शिवम् ने पूछा
“मैं , मम्मी और मेरा छोटा भाई जय ,, मम्मी यही एक मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर है और भाई अभी स्कूल में है”,गौरी ने कहा तो शिवम् मुस्कुरा उठा। गौरी की बातो में कॉन्फिडेंस उसे साफ दिखाई दे रहा था।
“जीजू बाकी बातें बाद में पहले खाना शुरू करते है ना”,अनु ने कहा वह आज भी उतनी ही बेसब्र थी
अनु की बात सुनकर सबने खाना शुरू किया। खाना खाते हुए शिवम् सारिका काशी की तीनो दोस्तों से बात कर रहे थे। सारिका का पता नही पर शिवम् उनसे बात करते हुए उनके हाव भाव और जवाबो को काफी ध्यान से देख सुन रहा था। आखिर काशी के दोस्त कैसे है ये जानना भी बहुत जरुरी था ?
खाना खत्म होने के बाद अनु प्रिया और ऋतू के साथ वही पास ही पड़े सोफों पर बैठकर बातें करने लगी और तीनो सेल्फ़िया लेने लगी। अधिराज जी और अम्बिका जी खाना खाने के बाद एक दूसरे का हाथ थामे वही पास लॉन में टहल रहे थे। काशी और गौरी ने शिवम् सारिका को अकेला छोड़ना बेहतर समझा और उठकर वहा चली गयी।
“ए काशी मुझे वाशरूम जाना है चल”,कहते हुए गौरी काशी को भी अपने साथ ले गयी।
दोनों वाशरूम में आयी काशी को रुकने का कहकर गौरी चली गयी। कुछ देर बाद वापस आयी और हाथ धोते हुए कहा,”अच्छा तेरे पापा इतने सवाल जवाब क्यों कर रहे थे ?”
“तुम्हे बुरा लगा क्या ?”,काशी ने कहा
“अरे नहीं पागल मैंने बस ऐसे ही पूछा , वो तो बहुत अच्छे है पता है उनसे बात करते हुए ना एक पॉजिटिव फीलिंग आती है,,,,,,,,,,,,बिल्कुल अपने पापा की तरह। तुम बहुत लकी हो काशी,,,,,,,,,,सच में”,गौरी ने थोड़ा इमोशनल होकर कहा
काशी ने उसके गले लगते हुए कहा,”ओह्ह्ह्हह हमारी एंग्री बर्ड इमोशनल भी होती है ,, आज से हमारे पापा तुम्हारे पापा”
“कैसा टाइम आ गया पब्लिक वाशरूम है ये”,तभी एक महिला ने अंदर आते हुए कहा काशी दूर हटी और हैरानी से उस औरत की तरफ देखा क्योकि उसने तो ऐसा कुछ किया ही नहीं था जिस से उस आंटी को तकलीफ हो। गौरी ने सूना तो कहा,”ओह्ह आंटी हम दोनों फ्रेंड्स है कोई लेस्बो नहीं , जो करने आयी हो वो करो ना”
“कितनी बद्तमीज है लड़की ससुराल जाएगी ना तो अक्ल ठिकाने आ जाएगी”,कहते हुए आंटी आगे बढ़ गयी
“किसकी मेरी या ससुराल वालो की ?”,गौरी ने थोड़ी ऊँची आवाज में कहा तो काशी उसे खींचते हुए बाहर ले आयी और कहा,”तुम भी ना,,,,,,,,,,,,चलो चलते है”
दोनों वहा से लॉन में चली आयी। सर्दियों का मौसम था उस पर ठण्ड के साथ साथ हवाएं भी चल रही थी। गौरी ने जैकेट पहना हुआ था और काशी ने भी अपना गर्म स्वेटर। दोनों बातें करते हुए वही घूमने लगी। चलते चलते गौरी ने कहा,”अच्छा तुम्हारे घरवाले कैसे है ?”
“घरवाले तो सब यही है , आई बाबा बनारस में है ठीक ही होंगे”,काशी ने कहा
“ओहके और वो तुम्हारे भैया क्या नाम था उनका,,,,,,,,,,,,,,,,,,??”,गौरी ने जान बुझकर भूलने की एक्टिंग करते हुए कहा
“कौन वंश भैया ?”,काशी ने कहा
“हां वही वंश , वो अब भी वैसे ही फ्लर्ट करता है या कुछ सुधार है उस में ?”,गौरी ने कहा
“ए हमारे भैया तुमसे कोई फ्लर्ट व्लर्ट नहीं कर रहे थे वो बहुत अच्छे है , इन्फेक्ट इस बार हमारी वजह से उन्हें सबसे डाट भी सुननी पड़ी”,काशी ने वंश के लिए दुख जताते हुए कहा
“वो क्यों ?”,गौरी ने पूछा तो काशी ने झगड़े वाली बात गौरी की बात दी।
“ओह्ह वाओ तुम्हारा भाई तुमसे कितना प्यार करता है , सो क्यूट”,गौरी ने मुस्कुराते हुए कहा
“अभी तुम सिर्फ वंश भैया से मिली हो हमारे मुन्ना भैया से मिलोगी ना तो उनकी तो फैन ही हो जाओगी। और हमारी राधिका भुआ वो तो बिल्कुल हमारी तरह है , आई के हाथो का अचार , बाबा के मुंह से बनारस की ढेर सारी और अंजलि वो तो हमारे बचपन की दोस्त है”,काशी ने कहा
“अच्छा ! लगता है अब तो बनारस जाना ही पडेगा”,गौरी ने मुस्कुराते हुए कहा
“इस बार एग्जाम्स के बाद हमारे साथ चलना बहुत मजा आएगा”,काशी ने खुश होकर कहा
“हम्म्म ठीक है , ऋतू और प्रिया को भी ले चलेंगे वो दोनों भी मिल लेगी तुम्हारे वंश भैया से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने शरारत से कहा
कुछ देर बाद गौरी ने घर जाने की बात कही , उसे प्रिया ऋतू को भी बुला लिया और सबने शिवम् सारिका के पास आकर कहा,”अच्छा अंकल आंटी अब हम सब चलते है , आप सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा”
“हमे भी बेटा , ध्यान से जाना”,सारिका ने कहा।
“बाय , बाय काशी कल कॉलेज में मिलते है”,गौरी ने कहा और फिर सबको बाय कहकर वहा से निकल गयी। शिवम् , सारिका , अनु , अधिराज जी , अम्बिका और काशी भी घर के लिए निकल गए।

गौरी के घर में पैसो की कोई कमी नहीं थी पिछले साल ही उसे बर्थडे पर अपनी मम्मी से ये कार मिली थी। ड्राइविंग गौरी कर रही थी
गौरी की बगल में ऋतू बैठी थी और प्रिया उन दोनों के पीछे। गौरी अपने ही ख्यालो में डूबी गाड़ी चला रही थी। ऋतू ने उसकी तरफ देखकर कहा,”गौरी , काशी के पेरेंट्स कितने अच्छे है ना और उसकी मौसी वो कितनी कूल है यार”
“अरे वो तो काशी के भाई को देखकर ही समझ जाना चाहिए था की उसके पापा कितने हेंडसम और मम्मी कितनी ब्यूटीफुल होगी,,,,,,,,,,,,,,,ही इज सो हॉट यार मुझे लगा वो भी आएगा लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पीछे बैठी प्रिया ने अफ़सोस के साथ कहा
“तू तो दीवानी हो गयी है उसकी,,,,,,,,,,,,वैसे हो सकते है यार उसके जैसा लड़का मैंने आज तक नहीं देखा ,, बॉडी , फेस , वॉइस , स्टाइल , ड्रेसिंग सेन्स और ऐटिटूड सब परफेक्ट है उसमे”,ऋतू ने भी आहें भरते हुए कहा।
“ए गौरी तेरा क्या कहना है इस बारे में ?”,प्रिया ने कहा
“उस वंश से ज्यादा फ्लर्टी तो इस वक्त मुझे तुम दोनों लग रही हो”,गौरी ने यू टर्न लेते हुए कहा
गौरी की बात सुनकर दोनों हसने लगी और ऋतू ने कहा,”यार वो इतना भी बुरा नहीं है , उसके फ्रेंक नेचर को तुमने फ्लर्ट समझ लिया”
“इट्स ओके मैंने कब कहा वो बुरा है ? बाय द वे काशी कह रही थी की इस बार एग्जाम्स के बाद हम तीनो भी उसके साथ बनारस चले। जिस तरह वो अपने शहर और अपने घरवालों की तारीफ कर रही है मुझे लगता है एक बार हमे चलना चाहिये। जरा मैं भी तो देखू आखिर क्या है उस बनारस में ?”,गौरी ने कहा
“ओह्ह वाओ ये तो बहुत अच्छा आईडीआ है , हम पक्का चलेंगे”,प्रिया ने खुश होकर कहा
“ओके !! मैं तुम दोनों को ड्राप कर देती हूँ”,गौरी ने कहा और गाड़ी की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी। ऋतू प्रिया को ड्राप करने के बाद गौरी अपने घर की तरफ निकल गयी। काशी , ऋतू और प्रिया ने उसके सामने इतनी बार वंश का नाम लिया की अब गौरी के दिमाग में भी उसका ख्याल चल रहा था। वंश का उसे देखकर मुस्कुराना , उस से हाथ मिलाना और उसके साथ हुई वो छोटी सी क्यूट कन्वर्जेशन,,,,,,,,,,ये सब याद करके गौरी के होंठो पर भी मुस्कराहट तैर गयी। उसने अपनी साइड वाली खिड़की का शीशा नीचे किया और ठंडी हवा को महसूस करने लगी।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
मुन्ना इलेक्शन जीत चुका था इस ख़ुशी में वंश ने मुन्ना और अपने दोस्तों के लिए एक शानदार पार्टी रखी थी। वही जाने के लिए वंश तैयार हो रहा था। मुन्ना ने देखा तो कहा,”तू इतना तैयार हो रहा है जैसे तुझे किसी शादी में जाना हो”
“देखो बाबू मुझे सजना संवरना बहुत पसंद है अब तुम्हे नहीं है तो इसमें मैं क्या सकता हूँ ? अब जल्दी चल वरना लेट हो जायेंगे”,वंश में परफ्यूम लगाते हुए कहा। जब वह मुन्ना के सामने आया तो मुन्ना उसे देखने लगा। चुस्त काले रंग का चमकीला शर्ट जिसकी फिटिंग से वंश के मसल्स की कसावट साफ दिखाई दे रही थी। ऊपर के दो बटन खुले , हाथ में रुद्राक्ष वाली माला , दूसरे में घडी , बांयी आँख के आई ब्रो पर कट जो ताजा ताज ही लगवाया था , बालो को जेल से सेट किया हुआ था , नयी जींस नए जूते देखकर मुन्ना अपने हाथ के इशारे से पूछने की कोशिश की “क्या बात है ?”
“इतना भी मत घूरो मुझे , नजर लग जाएगी ,, अब चल ना”,वंश ने उसका हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए कहा
मुन्ना ने जींस , उस पर नार्मल चेक्स वाला शर्ट , अपने लम्बे बालो में तिरछी मांग , बस इसके अलावा कुछ नहीं। दोनों वंश के कमरे से निकलकर नीचे आये। आई बाबा को वंश ने पहले ही झूठ बोलकर मना लिया की किसी कॉलेज फ्रेंड की शादी में जा रहे है। दोनों ख़ुशी ख़ुशी जाने के लिए बाहर आये ही थे की सामने से आता मुरारी मिल गया। दोनों को साथ देखकर कहा,”अरे अच्छा हुआ तुमहू मिल गए , एक काम करो झंकार पैलेस में तिवारी जी की बिटिया की शादी है तुम दोनों उसमे चले जाओ , जे लिफाफे देकर आने है और हां जब तक शादी शुरू ना हो जाये वही रुकना”
वंश के बने बनाये प्लान पर मुरारी ने बाल्टी भर पानी दे मारा उसने कहा,”लेकिन हम दोनों किसी तिवारी को नहीं जानते चचा”
“तुम काहे जानोगे बेटा ? हमारे और शिवम् भैया के जानने वाले है अब हमे जाना गुप्ता जी के यहाँ उनके भी लड़के की शादी है ना ,, अब दोनों में साथ साथ तो जा नहीं सकते इहलीये एक मा तुम दोनों चले जाओ।”,मुरारी ने लिफाफा मुन्ना की तरफ बढ़ा दिया।
मरता क्या ना करता वंश ने मन मसोसकर हामी भर दी। मुरारी मुस्कुराया और अंदर जाने लगा लेकिन जाते जाते मुरारी की नजर वंश के शर्ट पर पड़ी जिसके बटन खुले थे ये देखकर मुरारी ने कहा,”लड़की की शादी में जा रहे हो , जे बटन बंद करो और थोड़ा शरीफ बनकर जाओ यार,,,,,,,,,,,,हाँ मिलते है बाद में”
मुरारी चला गया तो वंश ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा,”यार ये हमेशा मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?”
“सही तो हुआ तुमने आई से कहा शादी में जा रहे है , अब चलो”,मुन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा। वंश मन ही मन मुरारी को कोस रहा था। मुन्ना ने बाइक स्टार्ट की और पीछे बैठने का इशारा किया। दोनों वहा से निकल गए।

Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer – 41 Main Teri Heer –

आखिर क्या है शक्ति का मकसद ? क्या गोरी के दिल में होने लगी है वंश की एंट्री ? वंश की पार्टी होगी या रह जाएगी अधूरी जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – Main Teri Heer – 42

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