Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 39

Main Teri Heer – 39

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 39

मुरारी के कहने के बाद मुन्ना वंश के साथ उसके घर चला आया। दोनों घर आये घर एकदम सूना सूना लग रहा था ना काशी थी वहा ना ही शिवम् और सारिका और तो और अंजलि भी नहीं थी। अंजलि को वहा ना देखकर वंश ने आई से पूछा,”आई वो छिपकली कहा है ?’
“कौन अंजलि ?”,आई ने पूछा
“अरे हां वही दिखाई नहीं दे रही”,वंश ने इधर उधर देखते हुए कहा
“उह तो आज में शाम में ही चली गयी , मुरारी गया है उसे घर छोड़ने,,,,,,,,,,,,,,,तुम दोनों घर आने वाले हो जे तो बताया नहीं इसलिए हम खाना भी नहीं बनवाये तुम दोनों का , एक काम करो थोड़ी देर बइठो हम बनवा देते है”,आई ने कहा
“अरे नहीं आई हम दोनों बाहर खाकर आये है , आप परेशान मत होइये”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है कुछो चाहिए तो रसोई से ले लेना हम जाते है”,कहकर आई वहा से चली गयी। वंश को चुपचाप सोच में डूबा देखकर मुन्ना ने कहा,”क्या हुआ ?”
“यार सब एक साथ ही चले गए और वो अंजलि उसे तो कुछ दिन रुक जाना चाहिए था ना”,वंश ने उदास होकर कहा।
“ताकि तू उसे दिनभर परेशान कर सके ?”,मुन्ना ने कहा
“कहा यार मैं उसे कहा परेशान करता हूँ वो तो बस जब चिढ़ती है ना तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। खैर कोई बात नहीं तू ऊपर चल मेरे कमरे में तब तक मैं आता हूँ”,वंश ने कहा
“पीने को कुछ मिलेगा ?”,मुन्ना ने कहा
“बोल क्या चाहिए ?”,वंश ने पूछा
“एक कप चाय , मिलेगी ?”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है तू चल मैं लेकर आता हूँ”,वंश ने कहा तो मुन्ना सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। वंश के कमरे में आकर मुन्ना ने देखा कमरे की हालत किसी दंगल के मैदान जैसी हो रखी है , ऐसे कामो में वंश लापरवाह है ये बात मुन्ना जानता था इसलिए खिड़की की तरफ चला आया और कमरे की बंद खिड़की खोल दी ठंडी हवा का झोंका उसे छूकर गुजरा हालाँकि ठण्ड का मौसम था लेकिन मुन्ना को कमरे में बंद खिड़किया कम ही पसंद थी। बिस्तर पर वंश के कपडे , कम्बल , और तकिये इधर उधर पड़े थे। वह कमरे में पड़े बीन बैग पर आ बैठा और अपना फोन चेक करने लगा। कुछ देर बाद वंश अपने हाथो में दो कप लेकर आया कमरे में आकर उसने पैर से कमरे का दरवाजा बंद किया और मुन्ना की तरफ चला आया। उसने चाय का एक मुन्ना की तरफ बढाकर कहा,”ये लो तुम्हारी चाय , मैंने बनाई है”
“अरे वाह तू कब से काम करने लगा ?”,मुन्ना ने वंश पर तंज कसते हुए कहा
“हमेशा से वैसे कमरा थोड़ा मेसी हो रखा है थोड़ा एडजस्ट कर लेना प्लीज”,वंश ने कम्बल को साइड कर बिस्तर पर बैठते हुए कहा
“हम तो कर लेंगे पर जिस से तेरी शादी होगी वो कैसे करेगी ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एडजस्ट”,मुन्ना ने आखरी शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए कहा
“मुन्ना जब किसी को हमसे प्यार होता है ना तो वो कर लेता है,,,,,,,,,,,,,,,,,एडजस्ट”,वंश ने चाय पीते हुए कहा
“तेरा भी सही है , अच्छा तेरा हाथ कैसा है अब ?”,मुन्ना ने पूछा
“छोटा सा कट था अब तक तो ठीक भी हो गया”,वंश ने अपना हाथ दिखाते हुए कहा
चाय पीते हुए हल्की सी चाय मुन्ना की शर्ट पर छिटक गयी ये देखकर वंश ने कहा,”इट्स ओके मेरे कबर्ड से टीशर्ट लेकर बदल लेना”
“हम्म्म”,मुन्ना ने कहा। वंश अपनी चाय पी ही रहा था की उसका फोन बजा स्क्रीन पर नंबर देखकर वंश के होंठो पर मुस्कान तैर गयी फोन अंजलि का था फोन उठाकर उसने कहा,”और छिपकली मुझसे डरकर भाग गयी बनारस से ?”
मुन्ना ने सूना तो समझ गया की फोन अंजलि का है उसने अपनी चाय खत्म की और उठकर कबर्ड की ओर चला आया। वंश बात करते हुए खिड़की की तरफ चला गया। मुन्ना ने कबर्ड खोला और सामने पड़ी टीशर्ट उठाई। टीशर्ट लेते हुए उसकी नजर कबर्ड के कोने में रखे एक लिफाफे पर पड़ी। वंश और मुन्ना के बीच यू तो कोई बात छुपी नहीं थी लेकिन ये लिफाफा देखकर मुन्ना को थोड़ा अजीब लगा उसने लिफाफा उठाया थोड़ा भारी था।
मुन्ना ने लिफाफा खोला उसमें कुछ तस्वीरें थी , मुन्ना एक एक करके उन् तस्वीरों को देखने लगा। ये सब तस्वीरें वंश की थी और नार्मल नहीं बल्कि ऐसी जैसे पोर्ट्फ़ोर्लियो के लिए खिंचवाई गयी हो। मुन्ना उन तस्वीरों को देख रहा था की वंश ने उसके हाथ से वो तस्वीरें छीनते हुए कहा,”ये तुमने क्यों खोला ?”
“एक मिनिट हमे देखने तो दे क्या है ये ?”,मुन्ना ने छीनते हुए कहा
“कुछ नहीं है कबाड़ है इधर दे”,कहकर वंश ने उस तस्वीरें ली और कबर्ड के ड्रावर में रखकर कबर्ड बंद कर दिया। मुन्ना को वंश का ये व्यवहार कुछ समझ नहीं आया। उसने अपना शर्ट उतारा और हाथ में पकड़ी टीशर्ट पहनकर वंश से सामने बैठते हुए कहा,”हाँ तो अब तुम खुद से बताओगे या हम उगलवाए”
वंश ने सूना तो मुन्ना की तरफ देखने लगा कभी कभी मुन्ना बिल्कुल मुरारी की तरह ही बात किया करता था। वंश को अपनी ओर देखता पाकर मुन्ना ने कहा.,”देखो बेटा ये तय है की तुम हमसे कुछ छुपा रहे हो लेकिन क्या वो हम तुम्हारे मुंह से सुनना चाहते है”
वंश मुन्ना को अच्छे से जानता था उसे पता था की जब तक वह मुन्ना को बताएगा नहीं मुन्ना उसका पीछा नहीं छोड़ेगा। उसने एक गहरी साँस ली और कहने लगा,”दो साल पहले की तस्वीरें है ये पोर्टफोलियो के लिए बनवाई थी। तू हमेशा पूछता था ना की मुझे अपनी लाइफ में क्या करना है ?”
“हम्म लेकिन तुमने आज तक नहीं बताया”,मुन्ना ने बड़े ही अफ़सोस के साथ कहा
“मैं मुंबई जाना चाहता था फिल्मों में काम करने के लिए”,वंश ने भी अफ़सोस के साथ ही कहा
“हीरो बनने ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा क्योकि आज से वंश ने उसके सामने कभी मुंबई का नाम तक नहीं सूना था
“नहीं,,,,,,,,,,,,,,,विलेन का रोल करने”,वंश कहते हुए मुस्कुराया
“पागल हो गया है तू इतनी अच्छी शक्ल लेकर विलेन का रोल करेगा ?”,मुन्ना ने कहा
“वही तो मैं कह रहा हूँ,,,,,,,देख फिल्मो में हीरो हमेशा अच्छा स्मार्ट और हेंडसम ही होता है और फिल्मो के हीरो गब्बर सिंह जैसे खूंखार , जिनसे हेरोइन दूर भागती है सो मैंने सोचा क्यों ना इस ट्रेंड को थोड़ा चेंज किया जाये। अगर विलेन मेरे जैसा हेंडसम बंदा होगा तो फिल्म हिट होगी ना”,वंश ने अपनी तारीफ करते हुए कहा
“तेरी बात में पॉइंट है फिर ये आईडीआ ड्राप क्यों किया ?”,मुन्ना ने पूछा
“तुझे लगता है घरवाले जाने देंगे , पापा 2 साल पहले ही ना बोल चुके है”,वंश ने दुखी होकर कहा
“हम बात करे बड़े पापा से ?”,मुन्ना ने कहा
“नहीं मुन्ना पापा इस के लिए कभी राजी नहीं होंगे और वैसे भी बार बार उनसे पूछकर मैं उन्हें हर्ट करना नहीं चाहता , इसलिए दो साल पहले ही इस आइडिया को ड्राप कर दिया था मैंने”,वंश ने कहा
“हम्म्म शायद बडे पापा को इसमे तुम्हारा फ्यूचर दिखाई नहीं देता”,मुन्ना ने कहा
“मुन्ना हर काम अपने फ्यूचर के लिए नहीं किये जाते कुछ काम अपने शौक के लिए भी किये जाते है।,,,,,,,,,,,,,खैर छोड़ इन बातो को मैं बिस्तर ठीक कर देता हु”,वंश ने मुस्कुराते हुए कहा और साइड में चला गया। मुन्ना बस उसके चेहरे को देखता रहा। मुस्कुराते चेहरे के पीछे भी बहुत कुछ छुपा होता है ये मुन्ना को अब समझ आ रहा था। वंश ने बिस्तर ठीक किया तो मुन्ना उसकी बगल में आकर लेट गया कुछ देर सोचने के बाद मुन्ना ने कहा,”हमे लगता है तुम्हे मुंबई जाना चाहिए”
“सो जा मुन्ना सुबह कॉलेज भी जाना है”,वंश ने उबासी लेते हुए कहा लेकिन मुन्ना की आँखों में नींद नहीं थी।

अगली सुबह मुन्ना और वंश कॉलेज पहुंचे। मुन्ना वंश के साथ प्रिंसिपल के रूम में चला आया। मुन्ना कुछ कहता इस से पहले ही प्रिंसिपल सर ने कहा,”आई ऍम सॉरी मानवेन्द्र मैंने तुम्हे गलत समझा , तुम्हारे पोस्टर कॉलेज में लगाने वाले लड़को में से एक ने आकर सुबह ही सब सच बता दिया था। वो सब लड़के राजन के बेच के लड़के है तुम्हारे और राजन के बीच सब ठीक चल रहा है ना ? मेरा मतलब तुम दोनों की आपसी रंजिश की वजह से उसने ये सब किया हो”
“नहीं सर ऐसा कुछ नहीं है राजन और हमारे बीच सब ठीक है। उसके बेच के लड़को ने शायद हमारे और राजन के बीच गलतफहमी पैदा करने के लिए किया हो”,मुन्ना ने बात सम्हाल ली क्योकि राजन भले उसका दुश्मन हो इस वक्त वह कोई नया फसाद नहीं चाहता था।
प्रिंसिपल सर मुस्कुराये और कहा,”वैसे मुबारक हो तुम्हारा सस्पेंशन आर्डर रोक दिया है और एक खुशखबरी भी है”
“वो क्या सर ?”,इस बार वंश ने पूछा
“दरअसल पता चला है की राजन ने इलेक्शन से अपना नाम वापस ले लिया है , वो तुम्हारे खिलाफ कॉलेज इलेक्शन नहीं लड़ेगा और इसलिए हर साल की तरह इस साल भी कॉलेज का प्रेजिडेंट तुम्हे चुना गया है”,प्रिंसिपल सर ने कहा
मुन्ना को ख़ुशी भी हुई और हैरानी भी की ये सब कैसे हुआ ? राजन ने इतनी जल्दी हार कैसे मान ली ? खैर मुन्ना ने प्रिंसिपल सर से हाथ मिलाया और उनके ऑफिस से बाहर आ गया लेकिन बाहर का नजारा और भी ज्यादा हैरान कर देने वाला था। कॉलेज के स्टूडेंटस और मुन्ना के बेच के लड़के सभी उसके लिए होर्डिंगस लिए खड़े थे मुन्ना को देखते ही रवि ने नारे लगाना शुरू कर दिया – मुन्ना मिश्रा
“जिंदाबाद”,उसके साथ खड़े स्टूडेंट्स चिल्लाये। मुन्ना ने वंश की तरफ देखा लेकिन वंश सामने खड़े लोगो को देखकर खुश हो रहा था। रवि मुन्ना के बाकि दोस्तों के साथ हाथ में फूल माला लेकर आया और सभी एक एक करके मुन्ना को पहनाते हुए बधाई देने लगे। मुन्ना कॉरिडोर बाहर बने मंच पर चला आया। उसके साथ रवि , वंश और कुछ उसके बैचमेट्स भी खड़े थे। मंच से नीचे बाकि स्टूडेंट्स खड़े थे। मुन्ना ने स्पीच शुरू की। एक अच्छी ख़ासी दमदार स्पीच के बाद सबने मुन्ना के लिए तालियां बजाई। स्पीच देने के बाद मुन्ना ने जैसे ही बरामदे की तरफ देखा राजन के बेच वाले खड़े थे किसी के सर पर पट्टी किसी के हाथ पर तो किसी का गाल सूजा हुआ था ये देखते ही मुन्ना समझ गया की इलेक्शन के लिए राजन ने नाम वापस क्यों लिया और किसके कहने पर लिया ? मुन्ना ने उन्हें देखने के बाद वंश की तरफ देखा तो वंश ने अपनी शर्ट में लगा चश्मा निकाला और आँखों पर लगाकर मुस्कुरा उठा। उसकी मुस्कराहट ने बयां कर दिया की ये सब वंश ने ही किया है। मुन्ना उस से कुछ कहता इस से पहले ही वंश ने मुन्ना के नाम से नारे लगाने शुरू कर दिए,”मुन्ना मिश्रा”
“जिन्दबाद”,स्टूडेंट्स भी इसमें उसका साथ देने लगे। राजन के बैचमेट्स पैर पटकते हुए वहा से चले गए। भूषण को जब ये पता चला तो वह लड़को के साथ हॉस्पिटल चला आया। वंश के धमकी देने के बाद भी भूषण में अकड़ बाकी थी शायद इसलिए उसने गुस्से से कहा,”हमे जे ना समझ आ रहा राजन भैया ने नाम काहे वापस लिया , जब तक इलेक्शन होते तब तक तो उह ठीक होकर घर भी आ जाते”
“राजन भैया ने जो किया सही किया है , तुम्हारी वजह से हम सब कॉलेज से एक हफ्ते के लिए सस्पेंड हो गए है और भूल गए कल रात वंश ने क्या किया था हम सबके साथ”,पीछे बैठे लड़के ने कहा जिसे वंश ने पीटने से छोड़ दिया था
भूषण ने सुना तो गुस्से का घूंठ पीकर रह गया क्योकि उसी की वजह से उनके लड़को की पिटाई भी हुई और कॉलेज से भी निकाले गए।
भूषण को चुप देखकर लड़के ने आगे कहा,”बेहतर इसी में है की वंश और मुन्ना से उलझना छोड़ दो”
“हाँ हाँ ठीक है राजन भैया से इस बारे में कोई कुछो नहीं कहेगा”,भूषण ने कहा।
कुछ देर बाद जीप हॉस्पिटल पहुंची भूषण लड़को के साथ राजन से मिलने पहुंचा। राजन की हालत में अब सुधार था वह बिस्तर पर बैठा तकिये से पीठ लगाए जूस पी रहा था। पास ही बगल में बैठा था प्रताप और राजन की कोई रिश्तेदार। भूषण था बकलोल उसको ये नहीं पता किसके सामने क्या बोलना चाहिए ? उसने आकर राजन से कहा,”जे हम का सुन रहे है राजन भैया आपने इलेक्शन से नाम वापस ले लिया और मुन्ना फिर से जीत गया”
प्रताप ने देखा उसकी रिश्तेदार हैरानी से भूषण को ही देख रही है तो वह उठा और भूषण की बांह पकड़कर उसे बाहर ले आया और कहा,”अबे बकलोल हो का एकदम , अंदर मरीज है साथ में एक लेडीज भी बैठी है रिस्पेक्ट नहीं जानते किसके सामने कैसी बात करनी है ?”
“अरे चचा हम बस पूछ रहे थे की इलेक्शन से नाम वापस काहे लिया ?”,भूषण ने धीमी आवाज में मिमियाते हुए कहा
“कॉलेज इलेक्शन से नाम हमने वपास लिया है राजन ने नहीं”,प्रताप ने कहा
“का ? पर काहे ? आपको पता है जे इलेक्शन फॉर्म को लेकर कितना मेटर हुआ है और आप नाम वापस ले लिए”,भूषण ने हैरानी से कहा
“तो तुम का चाहते हो बनारस को समसान बना दे , जिन लौंडो से तुमने और तुम्हारे राजन भैया ने दुश्मनी ली है ना उह है विधायक मुरारी कुमार मिश्रा का इकलौता लड़का , और मुरारी कोई आम विधायक नहीं है उसको अगर जे सब के बारे में भनक भी लगी ना तो तुम सबकी खाल उधेड़ के मोर बना देंगे समझे। तुमको का लगता है तुमहूँ कुछो करोगे हमे पता नहीं चलेगा ? आज सुबह में सब उगलवा लिए है तुम्हारे लड़को से हम और तुम्हारे राजन भैया से भी इसलिए जे लास्ट वार्निंग है तुमको मामले को यही खत्म करो”
“तो का आप उनको ऐसे ही छोड़ दोगे ?”,भूषण ने कहा
प्रताप अपनी दाढ़ी खुजाने लगा और आँखों में एक चमक भरकर कहा,”दुश्मन और दुश्मनी जब हावी होने लगे ना तो उसको रिश्तेदारी में बदल दो”
“मतलब,,,,,,,,,,,?”,भूषण ने सर खुजाते हुए कहा
“मतलब समझ आता तो आज हमारी जगह ना होते”,प्रताप ने कहा और वहा से चला गया।

Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 Main Teri Heer – 39 39 Main Teri Heer – 39

क्या सच में प्रताप इस मामले को खत्म करना चाहता है ? क्या भूषण शांत बैठेगा या फिर से कोई नयी मुसीबत खड़ी करेगा ? आखिर क्या है प्रताप की अगली चाल ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 40

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