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“मैं तेरी हीर” – 77

Main Teri Heer – 77

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश और मुन्ना घूमने के लिए बाहर आये हुए थे इसी बीच गौरी का फोन आ गया , मुन्ना जितना गंभीर था गौरी उतनी ही नादान,,,,,,,,,,,,,,, बातों बातों में मुन्ना कुछ ऐसा कह जाता की गौरी चिढ जाती लेकिन वो मुन्ना को इतना पसंद करने लगी थी की तुरंत माफ़ भी कर देती। खैर मुन्ना से बात करने के बाद गौरी खाना खाने चली आयी। खाना खाते हुए उसने देखा काशी बहुत उदास है , उसके सामने खाने की प्लेट रखी है लेकिन खाने के बजाय वह किसी सोच में गुम है। ऋतू और प्रिया एक दूसरे से बातें करते हुए खा रही थी। गौरी उन दोनों के सामने काशी से कुछ पूछना नहीं चाहती थी इसलिए उसने काशी का ध्यान बटाने के लिए कहा,”अच्छा काशी उस लड़के का क्या हुआ जो तुम्हे देखने आया था ? उसके घरवालो का फोन आया या नहीं ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,नहीं हमे इस बारे में कुछ नहीं पता”,काशी ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
“काशी वैसे वो लड़का भी अच्छा है अगर तुम ना नहीं कहती तो तुम दोनों साथ में अच्छे लगते”,ऋतू ने कहा
“हाँ पर काशी तो शक्ति को पसंद करती है ना”,प्रिया ने वही बात कही जो इस वक्त नहीं कहनी थी। गौरी ने सूना तो उसने अपना सर पीट लिया। उसने काशी की तरफ देखा , शक्ति का नाम सुनते ही काशी के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये।
“गाईज वो सब छोडो और ये सुनो मुझे पता चला है की इस बार कॉलेज वालो ने एग्जाम्स से पहले फेयरवेल के लिए एक बड़ी पार्टी रखी है। हम सबका कॉलेज में ये आखरी साल है क्यों ना एन्जॉय किया जाये ?”,गौरी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचते हुए कहा
“बिल्कुल मैं तो इसके लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड हूँ , वैसे ये कब होने वाला है ?”,प्रिया ने खुश होकर पूछा
“शायद अगले हफ्ते,,,,,,,,,,,,और मैंने ये भी सूना है की ये एक इवनिंग पार्टी होगी जिसमे स्टूडेंट्स के साथ साथ टीचर्स भी शामिल होंगे,,,,,,,,,है ना कमाल की न्यूज ?”,गौरी ने एक्साइटेड होकर कहा
“हाँ सच में बनारस ट्रिप के बाद इतना अच्छा सरप्राइज,,,,,,,,,ओह्ह्ह मैं तो बहुत खुश हूँ”,ऋतू ने कहा
“हमे लगता है हम सबको पढाई पर ध्यान देना चाहिए”,काशी ने कहा
“वो तो करेंगे ना , अच्छा कॉलेज के बाद तुम क्या करने वाली हो काशी ?”,ऋतू ने पूछा
“हम सोच रहे है कॉलेज के बाद वापस बनारस चले जाये”,काशी ने बिना किसी भाव के कहा
“और तुम्हारे मैनेजमेंट के कोर्स का क्या ?”,ऋतू ने फिर सवाल किया
“उसके बारे में हमने अभी कुछ सोचा नहीं है”,काशी ने कहा गौरी बस खामोश बैठी काशी के भावो को देखे जा रही थी। खाना खाकर काशी उठी और हाथ धोने चली आयी। ऋतू और प्रिया वही बैठकर खाते हुए कॉलेज की पार्टी को लेकर कुछ डिस्कस कर रही थी। गौरी के पास अच्छा मौका था काशी से बात करने का इसलिए वह उठी और काशी के पीछे चली आयी। हाथ धोकर काशी जैसे ही पलटी गौरी उसे मिल गयी गौरी को देख काशी वही रुक गयी।
“क्या हुआ है काशी ? आखिर तुम इतनी अपसेट क्यों हो ?”,गौरी ने सवाल किया
“हम ठीक है गौरी”,काशी ने कहा
“काशी तुम सबसे झूठ बोल सकती हो मुझसे नहीं , बताओ क्या बात है ?”,गौरी ने प्यार से काशी की बाँह को छूते हुए कहा। काशी की आँख से निकलकर आँसू उसके गाल पर लुढ़क आया। काशी ने नम आँखों से गौरी की तरफ देखा और कहा,”हम उसे नहीं भूल सकते गौरी ? वो हर वक्त हमारे दिमाग में घूमता है हमने बहुत कोशिश की के हम उसे भूल जाये,,,,,,,उसके बारे में ना सोचे लेकिन हम ये नहीं कर पा रहे,,,,,,,,,,,,हम उसे नहीं भूल पाएंगे गौरी,,,,,,,,,,बस यही बात हमे बार बार परेशान कर रही है”
गौरी ने काशी के आँसू पोछे और कहा,”सच में पागल हो तुम , तुम्हे उसे भूलने की जरूरत नहीं है काशी जहा तक मै जानती हूँ तुम शक्ति को बहुत पसंद करती हो और उस से प्यार भी करने लगी हो। हाँ वो थोड़ा अजीब है लेकिन मुझे लगता है वो जो कुछ भी कर रहा था जान बुझकर कर रहा था,,,,,,,,,,,,,,,शायद खुद को बुरा दिखाने के लिए,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“तुम ये कैसे कह सकती हो ?”,काशी ने हैरानी से गौरी की तरफ देखकर पूछा
“काशी तुमने शायद उस दिन कुछ नोटिस नहीं किया , तुम्हारे भाई ने शक्ति को कितनी बुरी तरह से मारा लेकिन शक्ति ने पलटकर एक बार भी वार नहीं किया क्यों ?,,,,,,,,,,,,,,क्योकि वो देखना चाह रहा था की तुम क्या करती हो ? वो मुन्ना से मार खाता रहा लेकिन जब तुमने अपने भाई को रोका तब वो मुस्कुरा उठा क्योकि वो जानता था तुम उसे अभी भी चाहती हो। काशी मैं ये नहीं कहूँगी की शक्ति पूरी तरह से अच्छा इंसान है लेकिन तुम्हे उसे अपनी बात रखने का एक मौका देना चाहिए,,,,,,,,,,,,,उसके बाद तुम्हे जो सही लगे तुम वो करना , पर इस तरह खुद को तकलीफ मत दो”,गौरी ने काशी को समझाते हुए कहा
काशी को अहसास हुआ की अपने गुस्से के चलते उसने शक्ति की बात क्यों नहीं सुनी ? काशी को अब शक्ति की चिंता होने लगी थी , उसकी आँखों के सामने शक्ति का गुस्से वाला चेहरा ना आकर वो मासुमियत से भरा चेहरा आने लगा जब शक्ति उस से बात सुनने की रिक्वेस्ट कर रहा था। काशी की आँखों में एक बार फिर नमी उभर आयी और उसने कहा,”लेकिन मुन्ना भैया,,,,,,,उन्हें पता चला तो वो बहुत नाराज होंगे”
“कौन मुन्ना ?,,,,,,,,,,,,,,,उसकी चिंता तुम मत करो , जब उसे सच पता चलेगा तो देखना वो खुद तुम्हे शक्ति से मिलने को कहेगा,,,,,,,,,,,,,,,वो बहुत स्वीट है”,कहते हुए गौरी मुस्कुराने लगी। उसे मुस्कुराता देखकर काशी ने कहा,”क्या बात है तुम हमारे मुन्ना भैया की कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रही हो ? कही तुम हमारी भाभी बनने के बारे में तो नहीं सोच रही ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शायद,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं मेरा मतलब वो सच में अच्छा है यार , अब तुम अपना मूड ठीक करो और चलो”,गौरी ने काशी की बाँह पकड़कर उसे ले जाते हुए कहा
“सॉरी हम खामखा तुम सबको अपसेट कर रहे है”,काशी ने कहा
“कोई बात नहीं दोस्तों में ये सब चलता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे मुझे तुमसे कुछ चाहिए था”,गौरी ने रुककर कहा
“हाँ बताओ क्या चाहिए ?”,काशी ने कहा
“वो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दरअसल मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब वो,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे नम,,,,,,,,,,,,,,,,तुम गलत मत समझना वो,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी कहने में हिचकिचा रही थी।
“अब बोलो भी क्या चाहिए ?”,काशी ने कहा
“मुझे तुम्हारे भाई का नंबर चाहिए”,गौरी ने जल्दी से अपनी आँखे मींचते हुए कहा और ऐसा करते हुए उसका मुँह बन गया। काशी ने सूना तो पहले हैरान हुई मुस्कुरा उठी। गौरी ने धीरे से अपनी एक आँख खोली और मासूमियत से कहा,”मिलेगा क्या ?”
“क्यों चाहिए ?”,काशी ने अपने दोनों हाथो बांधकर शरारत से पूछा
“बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,अगर कभी तुम फिर से अपसेट हुयी तो मैं उसे फोन कर दूंगी”,गौरी ने दूसरी आँख खोलते हुए कहा
“ओह्ह्ह्ह मुझे लगा तुम्हे वो पसंद होंगे,,,,,,,,,,,खैर छोडो”,कहते हुए काशी जाने लगी तो गौरी ने जल्दी से कहा,”अरे वो मुझे पसंद है,,,,,,,,,,,,,,!!”
“क्या कहा ?”,काशी ने पलटकर पूछा
“है है है मेरा मतलब,,,,,,,,,,,,,!!!”,कहते कहते गौरी रुक गयी तो काशी ने अपना फोन गौरी के सामने करके कहा,”तुम्हारा मतलब हम समझ गए इतने फोन उन्हें आज तक हमने नहीं किये जितने तुमने एक दिन में कर दिए,,,,,,,,,,,,वैसे मैं आज से तुम्हे भाभी कहकर बुलाऊ या गौरी,,,,,,,,,,,?”!
“तुझे तो मैं,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी काशी के पीछे भागने लगी। काशी जो की उदास थी अब थोड़ा खुश थी और खिलखिला भी रही थी। गौरी को छेड़ने के लिए उसे एक अच्छा मौका मिल चुका था। आख़िरकार गौरी ने उसे पकड़ ही लिया और कहा,”अच्छा सुनो,,,,,,,,,,,,,,,हाँ मैं तुम्हारे भाई को पसंद करती हूँ लेकिन तुम ये बात किसी से कहना मत,,,,,,,,,!!!”
“अरे वो क्यों ?,,,,,,,,,!”,काशी ने हैरानी से कहा
“क्योकि अभी तक तुम्हारे भाई ने मुझे हाँ नहीं कहा है , और मैं नहीं चाहती की ये बात बाहर आये सो प्लीज”,गौरी ने कहा
“ओह्ह्ह्ह ऐसा है क्या ? ठीक है हम नहीं बतायेगे प्रॉमिस,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“गौरी काशी आ जाओ चलना नहीं है क्या ?”,गाड़ी के पास खड़ी ऋतू ने कहा
“चले भाभीजी ?”,काशी ने फिर गौरी को छेड़ते हुए कहा , गौरी ने पहले तो उसे खा जाने वाली नजरो से देखा और फिर दोनों हंस पड़ी। कुछ देर बाद चारो गाड़ी में आ बैठी और इंदौर के लिए निकल गयी।

मुन्ना और वंश ने बाहर खाना खाया। कितने दिनों बाद आज सुकून था। आज का बिल मुन्ना ने भरा और फिर दोनों रेस्त्रो से बाहर चले आये। गेट के बाहर एक लड़का आते जाते लड़को को पम्पलेट दे रहा था। गेट के बाहर ही मुन्ना को उसक क्लास का लड़का मिल गया और वह उस से बात करने लगा। पम्पलेट वाले लड़के ने एक वंश की तरफ बढ़ा दिया। वंश ने कागज लिया और उसे पढ़ा , मुन्ना ने देखा उसे पढ़ते हुए वंश की आँखों में एक चमक थी और फिर अगले ही पल वंश ने उस कागज को मोड़कर वही पास के डस्टबिन में डाल दिया और पार्किंग की तरफ बढ़ गया। मुन्ना डस्टबिन के पास आया उसने वो कागज उठाया जो कुछ देर पहले वंश के हाथ में था। मुन्ना ने उसे खोलकर देखा और मुस्कुरा उठा। उसने उस कागज़ को वापस समेटा और अपनी जेब में रखकर वहा से निकल गया। वंश पार्किंग से बाइक लेकर आ चुका था। मुन्ना उसके पीछे आ बैठा और वंश को हग करते हुए कहा,”इतना अच्छा भी मत बन तू”
“क्या क्या क्या क्या कहा तुमने ?”,वंश ने चौकते हुए कहा
“कुछ भी नहीं घर चलो”,मुन्ना ने वंश की कमर पकड़ अपना सर वंश की पीठ से लगाकर आँखे मूंदते हुए कहा
“आज तुम्हे बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर,,,,,,,,,,,,,,देख अगर इसके बदले में तू मुझसे कोई काम करवाने वाला है तो मैं बिल्कुल नहीं करूंगा”,वंश ने वहा से निकलते हुए कहा
“हम ऐसा कुछ नहीं सोच रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,हमारी बोरिंग लाइफ में कभी कभी ऐसे अच्छे पल लाने के लिए तुम्हारा शुक्रिया”,मुन्ना ने अपनी आँखे मूंदे मूंदे कहा
“इसलिए कहता हूँ थोड़ा बाहर निकलो दुनिया देखो ,,,,, लेकिन तुम तो किताबी कीड़े हो”,वंश ने कहा
“अब थोड़ा शांत रहो तुम”,मुन्ना ने कहा तो वंश मुस्कुरा उठा और मन ही मन खुद से कहा,”तुझे लगता होगा ये बाहर घूमना , नयी नयी जगह जाना ये मेरे शौक है,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं बल्कि ये सब तुम्हारे लिए है मुन्ना , अपने सपने को लेकर तुम कितनी मेहनत करते हो ये मैं जानता हूँ इसलिए कभी कभी बाहर ले आता हूँ ताकि तुम्हे अच्छा लगे और कुछ पल तुम अपने लिए जी सको”
वंश के पीछे आँखे मूंदे बैठा मुन्ना भी मन ही मन खुद से कहने लगा,”हम जानते है ये सब तुम हमारे लिए करते हो , बड़े पापा की डांट सुनते हो , अपनी सारी पॉकेट मनी हम पर खर्च कर देते हो , हमे तुम्हे कुछ बताना है वंश लेकिन ये सुनकर तुम कैसा रिएक्ट करोगे पता नहीं ? फ़िलहाल हम तुम्हे कुछ नहीं बता सकते क्योकि अभी तक हमने खुद गौरी की भावनाओ को स्वीकार नहीं किया है , जिस दिन कर लेंगे सबसे पहले तुम्हे बताएँगे,,,,,,,,,,,,,,,,उम्मीद है तुम हमे इसके लिए माफ़ कर दोगे”
कुछ देर बाद वंश ने मुन्ना को घर छोड़ा और अपने घर निकल गया। घर आकर जब वह अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियों की तरफ बढ़ा तो उसे गौरी की याद आ गयी
“वो मैं तुम्हारे लिए कुछ लेकर आयी थी , रुको मैं लेकर आती हूँ” गौरी की कही बात उसके कानो में गुंजी तो वंश की नजर अपने हाथ में पहने उस बेंड पर चली गयी जो की गौरी ने उसके लिए खरीदा था। वंश मुस्कुरा उठा और ऊपर अपने कमरे में चला आया। कमरे में आकर उसने कपडे बदले और बिस्तर पर आकर लेट गया। लेटे लेटे वह गौरी के बारे में सोचने लगा। गौरी के साथ बिताया पल एक खूबसूरत याद बनकर उसकी आँखों के सामने घूमने लगा। वंश गौरी को पसंद करने लगा था और साथ ही इस बात से भी अनजान था की मुन्ना भी गौरी को पसंद करता है। एक दूसरे से अपनी हर बात शेयर करने वाले दोनों भाईयो ने बस यही एक बात अब तक एक दूसरे को नहीं बताई थी और यही बात आगे जाकर या तो इनके रिश्ते में दरार बनने वाली थी या फिर किसी एक का दिल टूटने वाला था।

काशी अपनी सहेलियों के साथ इंदौर पहुँच गयी और चारो की पहले वाली जिंदगी फिर से शुरू हो गयी। ऋतू प्रिया पहले की तरह ही थी बस गौरी पहले से थोड़ा बदल गयी थी। वह आजकल कुछ ज्यादा ही मुस्कुराती थी , दिनभर खोयी रहती तो वही काशी शक्ति के बारे में सोचकर बस उदास रहती लेकिन अपनी दोस्तों को नहीं दिखाती। एग्जाम्स आने वाले थे और साथ ही कॉलेज की पार्टी भी इसलिए चारो का ध्यान उसी पर था। दूसरी ओर मुन्ना वंश भी अपनी पढाई में बिजी हो गए। मुन्ना दिन में 50 बार अपना फोन चेक करता की गौरी ने उसे कोई फोन या मैसेज किया या नहीं। गौरी ने भी मुन्ना को परेशान करने के लिए उसे जानबूझकर फ़ोन नहीं किया। वह देखना चाहती थी जितना पसंद वह मुन्ना को करती है क्या मुन्ना भी उसे पसंद करता है ?
देखते ही देखते एक हफ्ता गुजर गया और सब अपनी अपनी पढाई में लगे हुए थे। शक्ति के घाव भर चुके थे , वह जानता था की काशी बनारस से जा चुकी है और इंदौर वह जाना नहीं चाहता था , इसलिए हर शाम अस्सी घाट की सीढ़ियों पर आकर बैठ जाता और काशी को याद करता रहता। शक्ति जानता था की उसने अपनी गलती से काशी को खोया है और इस बात का दुःख उसे हमेशा होता।
एक शाम शक्ति घाट की सीढ़ियों पर लेटे हुए काशी के बारे में सोच रहा था और सोचते सोचते ही उसकी आँख लग गयी। शक्ति को एक धुंधला सा ख्वाब आने लगा जिसमे उसे काशी दिखाई दी। अस्सी घाट की इन्ही सीढ़ियों पर जैसे काशी उसके सामने खड़ी थी और फिर उसके गले आ लगी। एक सुखद अहसास शक्ति को हुआ और वह नींद में ही मुस्कुरा उठा। शक्ति नींद में भी उस अहसास को महसूस कर सकता था। इंस्पेक्टर किशोर किसी काम से घाट पर आया हुआ था उसने जब शक्ति को देखा तो उसी ओर चला आया। शक्ति को सोया देखकर उन्होंने उसे उठाना सही नहीं समझा , वे जाने के लिए जैसे ही वापस मुड़ा शक्ति एक गहरी साँस के साथ उठ गया। शक्ति ने शायद कोई बुरा सपना देखा था। किशोर वापस आया उसने देखा शक्ति हांफ रहा था , सर्दी में भी उसके माथे से पसीने की बुँदे टपक रही थी। उसकी आँखों में बेचैनी और चेहरे पर चिंता के भाव थे।
“आप ठीक है ना ?”,किशोर ने शक्ति से पूछा
“हमे काशी से मिलना होगा , उसे सब सच बताना होगा। जब तक हम उसे सब बता नहीं देते हम चैन से नहीं रह पाएंगे”,शक्ति बड़बड़ाया
“उसके लिए आपको इंदौर जाना होगा”,कहते हुए किशोर चेहरे पर चिंता के भाव उभर आये
“हम जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,काशी के लिए हमे वहा जाना होगा”,कहते हुए शक्ति उठा उसने जेब से सिगरेट निकाली और अपने होंठो के बीच रखकर जला ली और कश लेते हुए किशोर से कहा,”कल शाम तक हमारे लिए एक गाड़ी का इंतजाम कर देना,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“आपको एक बार और सोच लेना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,!!”,किशोर ने धीमी आवाज में कहा
“हमने अपनी जिंदगी में ऐसे कोई फैसले नहीं लिए जिनके लिए हमे दो बार सोचना पड़े”,कहकर शक्ति चला गया। किशोर वही खड़ा शक्ति को देखता रहा और धीरे से कहा,”काश आप ये भी समझते की हमारे कुछ फैसले हमे गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर कर देते है”
कुछ देर बाद किशोर भी वहा से चला गया।

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आखिर क्या था उस कागज में जो मुन्ना ने डस्टबिन से उठाया ? शक्ति का इंदौर से क्या संबंध है ? आखिर किशोर क्यों मान रहा है शक्ति की हर बात ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”

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क्रमश – Main Teri Heer – 78

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