Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 37

Main Teri Heer – 37

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 37

शिवम् , सारिका , काशी और अनु इंदौर जाने के लिए निकल गए। उनके जाने के बाद आई बाबा अंदर चले गए वंश मुरारी के पास आया और कहा,”आप कोई नहीं गए इंदौर ?”
“तुमने जो रायता फैलाया है उह समेटेगा कौन ? वैसे भी हमको प्रताप पर भरोसा नहीं है उसको पता चलता की हम और शिवम् भैया यहाँ नहीं है तो जरूर वो कोई ऐसी वैसी हरकत करता। हम रहेंगे तो उह थोड़ा कंट्रोल में रहेगा”,मुरारी ने कहा
“हम्म्म”,कहकर वंश जाने लगा तो मुरारी ने उसे रोक लिया और कहा,”हमको अब और कोई पीरोब्लम नहीं चाहिए , समझे ?”
“जी समझ गया”,वंश ने कहा और अंदर चला गया। मुरारी भी अंदर चला आया और आकर आई से कहा,”आई आज तो हम तुम्हारे हाथ से बनइ पराठे खाएंगे उह भी अचार के साथ”
“अरे बैठो मुरारी अभी बना देती हूँ , आजकल तू आता ही कितना है घर में बैठ बैठ”,कहते हुए आई किचन की तरफ चली आयी और मुरारी के लिए पराठे बनाने लगी। मुरारी सोफे पर बाबा के पास आ बैठा तो बाबा ने कहा,”लगता है आज तो कावेरी मेहरबान है तुम पर”
“अरे बाबा आई ना प्यार बहुते करती है हमसे बस दिखाती नहीं है , आप बताओ ओल्डएज होम में कोनो जरूरत”,मुरारी ने पूछा
“नहीं मुरारी सब ठीक है , तुम बैठो हम ज़रा आते है”,बाबा ने उठते हुए कहा और अपने कमरे की तरफ चले गए। मुरारी अपने फोन में बिजी हो गया कुछ देर बाद आई ने उसे नाश्ते के लिए बुला लिया। वंश भी नहाकर आया और कॉलेज जाने के लिए निकलने लगा तो मुरारी ने कहा,”कहा चले ?”
“अब कॉलेज भी नहीं जाए ?”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा
“इतना बरगलाय काहे रहे हो ? चले जाओ कॉलेज लेकिन नाश्ता तो करते जाओ”,मुरारी ने कहा
“हमे भूख नहीं है हम बाद में खा लेंगे , मुन्ना हमारा वेट कर रहा होगा हम चलते है”,कहते हुए वंश अपना बैग सम्हाले वहा से चला गया।
“नानी माँ काशी तो चली गयी और उसके साथ बड़े मामा और बड़ी मामी भी अब हमारा यहाँ मन नहीं लग रहा , हमे घर वापस जाना है”,अंजलि ने उदास होकर कहा
“अरे अंजलि का हुआ जो काशी चली गयी हम सब है ना यहाँ”,आई ने कहा
“लेकिन हमारी पढाई और फिर एग्जामस भी तो आने वाले है ना नानी”,अंजलि ने बैठते हुए कहा तो आई ने उसके लिए नाश्ता परोस दिया। अंजलि बेमन से नाश्ता करने लगी काशी के बिना उसे ये घर सूना सूना लग रहा था। मुरारी अंजलि की स्तिथि भांप गया इसलिए कहा,”वैसे आई दोपहर बाद हम किसी काम से राधिका की तरफ जा रहे है , अंजलि चाहे तो हम उसे छोड़ आएंगे।”
“ये तो और अच्छी बात है मुरारी वंश को तो हम भेजना नहीं चाहते इसके साथ दोनों झगड़ते हुए जायेंगे , एक्को काम करो तुम ही छोड़ आना”,आई ने कहा
“ठीक है फिर नाश्ते के बाद तुम अपना सामान पैक कर लेना मामा भांजी बतियाते हुए जायेंगे”,मुरारी ने कहा
“थैंक्यू छोटे मामाजी”,अंजलि ने मुरारी को साइड हग करते हुए कहा

वंश कॉलेज जाने के लिए घर से निकल गया। घर के बाहर आकर वह मुन्ना के आने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद मुन्ना आया तो वंश उसके पीछे आ बैठा। मुन्ना ने बाइक आगे बढ़ा दी , आज वंश कुछ चुप चुप था उसे चुप देखकर मुन्ना ने कहा,”क्या बात है आज बड़ा चुप चाप है तू ?”
“मुन्ना राजन हॉस्पिटल में है कही हमने उसे ज्यादा तो नहीं पीट दिया ? मेरा मतलब अगर उसे कुछ हो गया तो कही मुरारी चाचा,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“तू टेंशन मत ले कुछ नहीं होगा , उसने जो किया उसके लिए ये कम था। हमे ये नहीं समझ आ रहा की राजन को मारा तो हमने था फिर उसने इंस्पेक्टर से तुम्हारा नाम क्यों लिया ?”,मुन्ना ने कहा
“तुमने उसको चार दीवारी में पीटा हमने सबके सामने तो बदला तो हमसे पहले ना लेगा वो”,वंश ने कहा
“पापा को ये सब नहीं बताना चाहिए था तुम्हे”,मुन्ना ने कहा
“छुपने वाला कांड भी तो नहीं किया है ना हमने , खैर ये सब छोड़ कॉलेज के इलेक्शन फॉर्म का क्या हुआ ? मुझे नहीं लगता राजन अब तेरे खिलाफ खड़ा भी होगा”,वंश ने कहा
“हां उसी के लिए कॉलेज जा रहे है , काशी चली गयी इंदौर ?”,मुन्ना ने पूछा
“हां सुबह ही निकल गए थे”,वंश ने कहा।
थोड़ी देर बाद दोनों कॉलेज पहुंचे। मुन्ना ने बाइक साइड में लगाई और वंश के साथ अंदर चला आया लेकिन अंदर का नजारा कुछ और ही था। सब मुन्ना को अजीब नजरो से देख रहे थे। मुन्ना ने एक नजर सबको देखा और आगे बढ़ गया। कुछ मुन्ना को देखकर हंस रहे थे तो कुछ खुसर-फुसर कर रहे थे। मुन्ना आगे बढ़ गया लेकिन कॉरिडोर में आते ही उसके कदम रुक गए। वंश के चेहरे का रंग भी उड़ गया और आँखों में गुस्सा उतर आया। मुन्ना ने देखा कॉरिडोर में उसके और पूजा के पोस्टर लगे हुए है ये वही तस्वीरें थी जब पूजा मुन्ना से मिली थी , बाइक पर लिफ्ट देते हुए , घाट की सीढ़ियों पर और मुन्ना के साथ चाट खाते हुए , साथ ही इन तस्वीरों पर लिखा था “मुन्ना लव पूजा” “लव बर्ड्स” मुन्ना ने देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा। वंश को भी बहुत गुस्सा आया उसने वहा खड़े स्टूडेंट्स से कहा,”किसने किया ये सब ?”
लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया वंश को मुन्ना के लिए बहुत बुरा लग रहा था क्योकि वह जानता था मुन्ना ऐसा लड़का नहीं है और पूजा को लेकर वह अपनी फीलिंग्स पहले ही क्लियर कर चुका है। मुन्ना ये सब समझने की कोशिश कर ही रहा था की इतने में प्रिंसिपल सर वहा से गुजरे उन्होंने जब ये सब पोस्टर देखे तो मुन्ना से कहा,”मानवेन्द्र मिश्रा मुझसे मेरे ऑफिस में आकर मिलो ,, अभी”
प्रिंसिपल के जाने के बाद मुन्ना भी उनके पीछे पीछे चला गया। मुन्ना के जाते ही सब फिर से हसने और खुसर फुसर करने लगे। वंश ने देखा तो उसने उन सभी पोस्टर को उतारा और फाड़कर फेंक दिया। उसकी आँखे अब बस पूजा को ढूंढ रही थी क्योकि वही बता सकती थी ये सब किसने किया ? वंश वहा से चला गया।

मुन्ना प्रिंसिपल सर के ऑफिस रूम में पहुंचा। प्रिंसिपल सर ने मुन्ना को देखा और कहा,”ये सब क्या है मानवेन्द्र , तूम इस कॉलेज के एक आइडियल स्टूडेंट हो और ये सब,,,,,,,,,,,,,,,देखो मैं तुम्हारी पर्सनल लाइफ पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता लेकिन इस तरह कॉलेज में पोस्टर लगना,,,,,,,,,,,,,,कम से कम उस लड़की की इज्जत का तो ख्याल होना चाहिए”
“आई ऍम सॉरी सर ये शायद किसी ने जान बूझकर किया है हमे परेशान करने के लिए ,, उस लड़की के साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं है सर “,मुन्ना ने सहजता से कहा
“देखो मानवेन्द्र मैं जानता हूँ की तुम एक अच्छे लड़के हो लेकिन फिर भी इस वजह से कॉलेज की इमेज डिस्टर्ब हुयी है ,, तुम्हे एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किया जाता है और इस साल कॉलेज इलेक्शन में भी तुम खड़े नहीं हो सकते।”,प्रिंसिपल सर ने कहा
“लेकिन सर इसमें हमारी कोई गलती नहीं है , ये सब हमने नहीं किया है”,मुन्ना ने कहा
“आई नो लेकिन कॉलेज के स्टूडेंट्स एक ऐसे इंसान को अपना लीडर क्यों चुनेंगे जिसके पोस्टर छप रहे है , मैं क्या कहना चाहता हूँ तुम समझ रहे होंगे”,प्रिंसिपल सर ने कहा तो मुन्ना को बहुत दुःख हुआ लेकिन उसने कुछ नहीं कहा
प्रिंसिपल सर मुन्ना के पास आये और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी मानवेन्द्र लेकिन कुछ चीजे कॉलेज के रूल्स के खिलाफ होती है , मुझे नहीं लगता इस साल कॉलेज के स्टूडेंट्स तुम्हे अपना लीडर चुनेंगे”
“मुन्ना के इलेक्शन जितने की गारंटी मैं देता हूँ सर”,वंश ने अंदर आते हुए कहा
मुन्ना और प्रिंसिपल सर दोनों ने वंश की तरफ देखा तो वंश उनके पास आया और कहा,”देखो सर एक लड़की के साथ पोस्टर लगने से ये कैसे तय हो गया की मुन्ना लीडरशिप के लिए सही नहीं है ? जिसने ये बेहूदा हरकत की उसका पता लगाने के बजाय आप मुन्ना को ही गलत ठहरा रहे है। और ये कैसा कॉलेज है जहा कोई भी आकर ऐसे पोस्टर लगाकर चला गया ,, सिक्योरिटी को पैसे नहीं मिलते क्या ? ऐसे तो कल को कोई आपके भी पोस्टर चिपका कर चला जाएगा तो क्या इसका मतलब आप भी प्रिंसिपल पोस्ट के लिए योग्य नहीं है”
“वंश,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने उसे रोकने की कोशिश की तो वंश ने मुन्ना के सामने हाथ करके कहा,”एक मिनिट मुन्ना”
वंश प्रिंसिपल सर की तरफ पलटा और आगे कहने लगा,”पूरा कॉलेज जानता है सर की मुन्ना कैसा लड़का है और आप भी इसके बावजूद आप इसे सस्पेंड करने की बात कर रहे है।”
“मैं सिर्फ कॉलेज के रूल्स फॉलो कर रहा हूँ”,प्रिंसिपल ने कहा
“सर कॉलेज का कोई भी रूल आपको मुन्ना को सस्पेंड करने की इजाजत नहीं देता , जब उसने कुछ किया ही नहीं है तो सस्पेंड किसलिए ?”,वंश ने कहा
“तुम जानते हो तुम किस से बात कर रहे हो ? मैं इस कॉलेज का प्रिंसिपल हूँ किसे सस्पेंड करना है किसे नहीं ये मुझे मत समझाओ”,प्रिंसिपल ने वंश की बातो से नाराज होकर कहा।
“वंश तू बाहर जा”,मुन्ना ने कहा
“लेकिन मुन्ना ये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,वंश ने कहा तो मुन्ना ने उसे ऑफिस से बाहर निकालते हुए कहा,”हम बाहर मिलते है तुमसे”
मुन्ना वापस प्रिंसिपल सर के पास आया और कहा,”सर हम ये नहीं पूछेंगे क्यों और किसलिए हमे बस कुछ वक्त दीजिये हम पता लगाते है ये सब किसने किया ? अगर 24 घंटो के अंदर हम पता नहीं लगा पाए तो बेशक आप हमे सस्पेंड कर दीजियेगा”
प्रिंसिपल को मुन्ना की बात जायज लगी उन्होंने कहा,”ठीक है मुझे तुम पर भरोसा है इसलिए मैं तुम्हे एक मौका देता हूँ”
“थैंक्यू सर”,कहकर मुन्ना वहा से बाहर चला आया। बाहर आकर उसने वंश को देखा वह सामने बेंच पर बैठा था और गुस्से में था। मुन्ना आकर उसके बगल में बैठा और कहने लगा,”वो इस कॉलेज के प्रिंसिपल है वंश उनके सामने तुम ऐसे बात करोगे ?”
“अच्छा और उन्होंने जो किया वो सही है , मुन्ना दुनिया को ना कभी कभी दुसरो के नजरिये से भी देखना सीख , ये इतनी अच्छी नहीं है जितनी तू समझ रहा है”,वंश ने गुस्से से कहा
“हमने कब कहा दुनिया अच्छी है ? और देखो वंश बहस करने से अच्छा है ना की किसी समस्या का हल निकाला जाये। हर जगह गुस्सा करना ठीक नहीं है”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“गुस्सा नहीं करू तो और क्या करू ? ये सब तेरे साथ ही क्यों होता है अच्छा खासा फॉर्म भरने वाले थे की पता नहीं किस कमीने ने आकर ये सब बखेड़ा खड़ा कर दिया। एक बार मेरे हाथ लग जाये छोडूंगा नहीं मैं उसे”,वंश ने गुस्से से उबलते हुए कहा
“तो क्या सबको मारेगा ?”,मुन्ना ने पूछा
“तुझे परेशान करने वाले सबको मारूंगा”,वंश ने भी गुस्से गुस्से में कह दिया मुन्ना मुस्कुराया और आगे बढकर उसे गले लगाकर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,”इतना प्यार मत कर बे हम से”
मुन्ना के गले लगते ही वंश का गुस्सा पल में छू मंतर हो गया और उसने मुन्ना से दूर होकर कहा,”सबसे पहले उस पूजा को ढूंढना है”
“इतनी जल्दी तू तो उसे भाभी बनाने वाला था”,मुन्ना ने वंश के साथ चलते हुए उसकी टाँग खींचते हुए कहा
“मत मारी गयी थी मेरी जो मैंने ऐसी बात कही”,वंश ने भी चिढ़ते हुए कहा लेकिन मुन्ना को मन ही मन में बहुत हंसी आ रही थी। दोनों वहा से चले गए

काशी अपने मम्मी पापा और अनु के साथ बनारस से वापस इंदौर जाने के लिए निकल गयी। शक्ति को लेकर काशी अभी भी उलझन में थी , जाने से पहले ना जाने क्यों उसका दिल कर रहा था एक बार तो शक्ति को देख ले लेकिन शक्ति कहा से आता ? काशी को चुप बैठे देखकर शिवम् ने कहा,”क्या बात है काशी जाने का मन नहीं है आपका ?”
“नहीं पापा ऐसी बात नहीं है इतने दिन यहाँ रुक गए इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा है। इंदौर जाने के कुछ दिन बाद सब ठीक हो जाएगा”,काशी ने कहा
“वैसे जीजू हम सब कुछ दिन रुकेंगे ना वहा इंदौर में ?”,अनु ने पूछा
“हां ! सारिका भी कुछ वक्त अपने माँ पापा के साथ बिताना चाहती है तो रुक जायेंगे”,शिवम् ने कहा
काशी खिड़की के बाहर देखे जा रही थी की अचानक एक दुकान पर खड़ा शक्ति उसे दिखा उसने शिवम् से कहा,”पापा गाड़ी रोकिये”
शिवम् ने तुरंत गाड़ी रोक दी और कहा,”क्या हुआ काशी ?”
“वो हम,,,,,,,,,,,,हमे भूख लगी है हम अपने लिए कुछ लेकर आते है”,काशी ने कहा
“आपने नाश्ता नहीं किया था ?”,शिवम् ने प्यार से पूछा
“वो भूल गए थे पापा , हम लेकर आते है”,काशी ने सामने खड़े शक्ति को देखते हुए कहा
“आप बैठो हम लेकर आते है”,शिवम् ने कहा
“अरे नहीं पापा हम ले आएंगे ना अपनी पसंद का आप बैठिये”,कहते हुए काशी गाड़ी से उतरी और कुछ ही दूर दुकान के पास चली आयी लेकिन तब तक शक्ति वहा से जा चुका था। काशी ने उसे यहाँ वहा देखा कही नहीं दिखा , काशी को मजबूरन खाने का सामान लेना पड़ा और वापस गाड़ी की तरफ चली आयी चलते चलते काशी ने पलटकर देखा इस आस में की शायद शक्ति दिख जाये पर ऐसा नहीं हुआ। बुझे मन से काशी आकर गाड़ी में बैठ गयी। शिवम् ने गाड़ी आगे बढ़ा दी , खिड़की से काशी ने देखा लेकिन शक्ति नजर नहीं आया उसने गर्दन घुमा ली।
दुकान के पास गली में दिवार के पीछे छुपा शक्ति बाहर आया और बुझी आँखों से जाती हुई गाड़ी को देखता रहा।

Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37 Main Teri Heer – 37

आखिर मुन्ना के पोस्टर कॉलेज में किसने लगाए ? क्या वंश और मुन्ना पता लगा पाएंगे उस शख्स का पता ? आखिर शक्ति काशी से क्यों छुप रहा था ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 38

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संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer

मुन्ना प्रिंसिपल सर के ऑफिस रूम में पहुंचा। प्रिंसिपल सर ने मुन्ना को देखा और कहा,”ये सब क्या है मानवेन्द्र , तूम इस कॉलेज के एक आइडियल स्टूडेंट हो और ये सब,,,,,,,,,,,,,,,देखो मैं तुम्हारी पर्सनल लाइफ पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता लेकिन इस तरह कॉलेज में पोस्टर लगना,,,,,,,,,,,,,,कम से कम उस लड़की की इज्जत का तो ख्याल होना चाहिए”
“आई ऍम सॉरी सर ये शायद किसी ने जान बूझकर किया है हमे परेशान करने के लिए ,, उस लड़की के साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं है सर “,मुन्ना ने सहजता से कहा
“देखो मानवेन्द्र मैं जानता हूँ की तुम एक अच्छे लड़के हो लेकिन फिर भी इस वजह से कॉलेज की इमेज डिस्टर्ब हुयी है ,, तुम्हे एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किया जाता है और इस साल कॉलेज इलेक्शन में भी तुम खड़े नहीं हो सकते।”,प्रिंसिपल सर ने कहा
“लेकिन सर इसमें हमारी कोई गलती नहीं है , ये सब हमने नहीं किया है”,मुन्ना ने कहा
“आई नो लेकिन कॉलेज के स्टूडेंट्स एक ऐसे इंसान को अपना लीडर क्यों चुनेंगे जिसके पोस्टर छप रहे है , मैं क्या कहना चाहता हूँ तुम समझ रहे होंगे”,प्रिंसिपल सर ने कहा तो मुन्ना को बहुत दुःख हुआ लेकिन उसने कुछ नहीं कहा
प्रिंसिपल सर मुन्ना के पास आये और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी मानवेन्द्र लेकिन कुछ चीजे कॉलेज के रूल्स के खिलाफ होती है , मुझे नहीं लगता इस साल कॉलेज के स्टूडेंट्स तुम्हे अपना लीडर चुनेंगे”
“मुन्ना के इलेक्शन जितने की गारंटी मैं देता हूँ सर”,वंश ने अंदर आते हुए कहा
मुन्ना और प्रिंसिपल सर दोनों ने वंश की तरफ देखा तो वंश उनके पास आया और कहा,”देखो सर एक लड़की के साथ पोस्टर लगने से ये कैसे तय हो गया की मुन्ना लीडरशिप के लिए सही नहीं है ? जिसने ये बेहूदा हरकत की उसका पता लगाने के बजाय आप मुन्ना को ही गलत ठहरा रहे है। और ये कैसा कॉलेज है जहा कोई भी आकर ऐसे पोस्टर लगाकर चला गया ,, सिक्योरिटी को पैसे नहीं मिलते क्या ? ऐसे तो कल को कोई आपके भी पोस्टर चिपका कर चला जाएगा तो क्या इसका मतलब आप भी प्रिंसिपल पोस्ट के लिए योग्य नहीं है”
“वंश,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने उसे रोकने की कोशिश की तो वंश ने मुन्ना के सामने हाथ करके कहा,”एक मिनिट मुन्ना”
वंश प्रिंसिपल सर की तरफ पलटा और आगे कहने लगा,”पूरा कॉलेज जानता है सर की मुन्ना कैसा लड़का है और आप भी इसके बावजूद आप इसे सस्पेंड करने की बात कर रहे है।”
“मैं सिर्फ कॉलेज के रूल्स फॉलो कर रहा हूँ”,प्रिंसिपल ने कहा
“सर कॉलेज का कोई भी रूल आपको मुन्ना को सस्पेंड करने की इजाजत नहीं देता , जब उसने कुछ किया ही नहीं है तो सस्पेंड किसलिए ?”,वंश ने कहा
“तुम जानते हो तुम किस से बात कर रहे हो ? मैं इस कॉलेज का प्रिंसिपल हूँ किसे सस्पेंड करना है किसे नहीं ये मुझे मत समझाओ”,प्रिंसिपल ने वंश की बातो से नाराज होकर कहा।
“वंश तू बाहर जा”,मुन्ना ने कहा
“लेकिन मुन्ना ये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,वंश ने कहा तो मुन्ना ने उसे ऑफिस से बाहर निकालते हुए कहा,”हम बाहर मिलते है तुमसे”
मुन्ना वापस प्रिंसिपल सर के पास आया और कहा,”सर हम ये नहीं पूछेंगे क्यों और किसलिए हमे बस कुछ वक्त दीजिये हम पता लगाते है ये सब किसने किया ? अगर 24 घंटो के अंदर हम पता नहीं लगा पाए तो बेशक आप हमे सस्पेंड कर दीजियेगा”
प्रिंसिपल को मुन्ना की बात जायज लगी उन्होंने कहा,”ठीक है मुझे तुम पर भरोसा है इसलिए मैं तुम्हे एक मौका देता हूँ”
“थैंक्यू सर”,कहकर मुन्ना वहा से बाहर चला आया। बाहर आकर उसने वंश को देखा वह सामने बेंच पर बैठा था और गुस्से में था। मुन्ना आकर उसके बगल में बैठा और कहने लगा,”वो इस कॉलेज के प्रिंसिपल है वंश उनके सामने तुम ऐसे बात करोगे ?”
“अच्छा और उन्होंने जो किया वो सही है , मुन्ना दुनिया को ना कभी कभी दुसरो के नजरिये से भी देखना सीख , ये इतनी अच्छी नहीं है जितनी तू समझ रहा है”,वंश ने गुस्से से कहा
“हमने कब कहा दुनिया अच्छी है ? और देखो वंश बहस करने से अच्छा है ना की किसी समस्या का हल निकाला जाये। हर जगह गुस्सा करना ठीक नहीं है”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“गुस्सा नहीं करू तो और क्या करू ? ये सब तेरे साथ ही क्यों होता है अच्छा खासा फॉर्म भरने वाले थे की पता नहीं किस कमीने ने आकर ये सब बखेड़ा खड़ा कर दिया। एक बार मेरे हाथ लग जाये छोडूंगा नहीं मैं उसे”,वंश ने गुस्से से उबलते हुए कहा
“तो क्या सबको मारेगा ?”,मुन्ना ने पूछा
“तुझे परेशान करने वाले सबको मारूंगा”,वंश ने भी गुस्से गुस्से में कह दिया मुन्ना मुस्कुराया और आगे बढकर उसे गले लगाकर उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,”इतना प्यार मत कर बे हम से”
मुन्ना के गले लगते ही वंश का गुस्सा पल में छू मंतर हो गया और उसने मुन्ना से दूर होकर कहा,”सबसे पहले उस पूजा को ढूंढना है”
“इतनी जल्दी तू तो उसे भाभी बनाने वाला था”,मुन्ना ने वंश के साथ चलते हुए उसकी टाँग खींचते हुए कहा
“मत मारी गयी थी मेरी जो मैंने ऐसी बात कही”,वंश ने भी चिढ़ते हुए कहा लेकिन मुन्ना को मन ही मन में बहुत हंसी आ रही थी। दोनों वहा से चले गए

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