Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 36

Main Teri Heer – 36

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 36

शक्ति से मिलने काशी घाट चली आयी। शक्ति के सामने आकर काशी ने उस के सामने अपना हाथ बढ़ाया तो शक्ति बिना काशी से बात किये आगे बढ़ गया। काशी ने देखा तो उसे थोड़ा अजीब लगा वह भी शक्ति के साथ साथ चलते हुए कहने लगी,”वैसे थैंक्यू”
“किसलिए ?”,ने चलते हुए कहा
“उस दिन मार्किट में हमे उस बैल से बचाने के लिए”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हम्म्म्म”,शक्ति ने कहा उसे समझ नहीं आ रहा था काशी से क्या बात करे ? शक्ति को खामोश देखकर काशी ही कहने लगी,”वैसे हमारा नाम काशी है , यही बनारस के रहने वाले है। हम इंदौर में पढाई करते है और वही रहते है अपने नाना नानी के साथ। हमने पहली बार आपको यही देखा था , याद होगा आपको हम आपसे टकराये थे। (काशी की इस बात पर शक्ति उसकी तरफ देखता है , ये सब बताते हुए कितनी मासूम लग रही थी वो ,, काशी शक्ति की तरफ देखती है तो शक्ति एक बार फिर सामने देखने लगता है और काशी आगे कहने लगती है ) तब पहली बार हमे लगा जैसे हम पहले भी मिले हो। उसके बाद आप हमारे घर आये हमे लगा आप चोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी हमारा मतलब हमे सिर्फ लगा बाकि आप हो नहीं लेकिन अगर कोई ऐसे खिड़की से आएगा तो सब यही सोचेंगे ना और फिर कल आप फिर से मिले , आपने अपना नाम भी बताया “शक्ति” वैसे थोड़ा पुराना सा नाम है पर अच्छा है , आपने ये भी कहा की बनारस ही आपका घर है और आप यहाँ मिलेंगे तो हम आपसे मिलने चले आये।”
काशी कहते कहते रुकी और फिर आगे कहने लगी,”दरअसल हम बहुत उलझन में है और किसी ने हमसे कहा की हमारे सवालो के जवाब सिर्फ आपके पास हो सकते है , आपसे मिलने के बाद एक अजीब सी फीलिंग से घिरे है , आपका ख्याल हमारे दिमाग से नहीं जा रहा है। ऐसा हमारे साथ पहली बार हो रहा है , हमे आपके बारे में जानना है , आप कौन है ? क्या करते है ? हम बार बार आपसे ही क्यों टकराते है ? हमे इन सवालो का जवाब चाहिए ?”
शक्ति ने सुना एक नजर काशी को देखा और कहा,”हमारे पास आपके किसी सवाल का जवाब नहीं है , रात हो चुकी है आपको घर जाना चाहिए”
शक्ति का जवाब सुनकर काशी अपसेट हो गयी वह एकदम से शक्ति के सामने आयी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”हम कल सुबह इंदौर वापस जा रहे है”
“हैप्पी जर्नी”,कहकर शक्ति आगे बढ़ गया। बेचारी काशी उसे देखते ही रह गयी दिमाग में विचार आया के तुरंत लौट जाये लेकिन दिल के हाथो मजबूर थी इसलिए एक बार फिर शक्ति की तरफ आयी और जैसे ही कहने के लिए मुंह खोला शक्ति ने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसे दिवार की और धकेलकर पीठ दिवार से लगा दी। काशी कुछ समझ पाती इस से पहले ही शक्ति की बगल से गुजरने वाले आदमी को शक्ति ने एक तेज घुसा मारा और वह वही सीढ़ियों पर गिर गया। काशी ने देखा तो अंदर ही अंदर बहुत डर गयी , इस वक्त उसे शक्ति का एक नया ही रूप देखने को मिला। शक्ति ने काशी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर घाट के बाहर आया , शब्द काशी के गले में ही अटक गए। शक्ति ने काशी को अपने सामने करते हुए उसका हाथ छोड़ा और कहा,”आपका यहाँ रुकना सही नहीं है आप घर चली जाईये”
“लेकिन,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहना चाहा इतने में अंजलि आयी और कहा,”काशी कहा चली गयी थी तुम ?”
“आप इनके साथ है ?”,शक्ति ने अंजलि से पूछा
“हाँ,,,,,,,,,,!!”,अंजलि ने कहा
“घर लेकर जाईये इन्हे”,कहते हुए शक्ति वहा से चला गया। जाते जाते उसने अपनी शर्ट के पीछे छुपी बंदूक निकाली और आगे बढ़ गया। काशी बदहवास सी उसे देखे जा रही। थोड़ी देर पहले जिस शक्ति के लिए उसकी आँखों में प्यार था अब उन्ही आँखों में एक डर था। अंजलि ने देखा तो काशी की बांह थामते हुए कहा,”काशी क्या हुआ ? कौन था वो ?”
“शक्ति,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी के मुंह से धीमी आवाज में निकला। अंजलि ने उसे डरा हुआ देखा तो माजरा कुछ समझ नहीं आया और वह उसे लेकर घर चली आयी। घर आकर काशी सीधा अपने कमरे में चली आयी और दरवाजा बंद करके अपनी आँखे मूँद ली कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ उसकी आँखों के सामने किसी फ्लेशबैक की तरह घूमने लगा। शक्ति को लेकर अब उसकी उलझन और ज्यादा बढ़ गयी वह अच्छा इंसान है या बुरा काशी समझ नहीं पा रही थी। काशी ने खुद को शांत किया , बाथरूम में जाकर मुंह धोया और वापस आकर कमरे का दरवाजा खोलकर बिस्तर पर आ बैठी।

घाट पर अचानक हुए हमले से शक्ति सतर्क हो गया। वह नीचे आया जिस आदमी को उसने मारा था वह वहा से जा चुका था। शक्ति चारो और ध्यान से देखते हुए आगे बढ़ गया। जिस शक को लेकर शक्ति यहाँ आया था वो यकीन में बदल गया। वह घाट से दूर निकल आया उसने देखा विष्णु को किसी ने पकड़ रखा है और जैसे ही उस आदमी ने विष्णु को मारने की कोशिश की शक्ति ने उस पर गोली चला दी , गोली की आवाज से आदमी विष्णु को छोड़कर भाग गया। शक्ति विष्णु के पास आया और उसे सम्हालते हुए कहा,”तुम ठीक हो ना ?”
“तु नहीं आता तो आज स्वर्ग सिधार गया होता मैं”,विष्णु ने मुश्किल से साँस लेते हुए कहा
शक्ति ने उसे दिवार के सहारे बैठाया और खुद भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया और उसकी ओर देखकर पूछा,”कौन थे उह लोग और तुमरे पीछे काहे पड़े थे ?”
“मुझसे एक गलती हो गयी”,विष्णु ने अपनी चोट को सहलाते हुए कहा
“क्या ?”,शक्ति ने पूछा
“वो फाइल जो हम लोग लेकर आये थे किसी ने बदल दी थी और मालिक इस बात से बहुत गुस्सा है शायद उन्होंने ही इन लोगो को भेजा है”,विष्णु ने कराहते हुए कहा
“नहीं इन्हे किसी और ने भेजा है”,शक्ति ने कुछ सोचते हुए कहा
“तुम इतना यकींन के साथ कैसे कह सकते हो ?”,विष्णु ने पूछा
“क्योकि इतनी छोटी सी बात के लिए मालिक तुम्हे मारने का नहीं सोचेंगे , देखा नहीं तुमने एक मिनिट और देर होती तो तुम्हरा गला कट चुका होता”,शक्ति ने कहा और फिर ख़ामोशी से सामने बहते पानी को देखने लगा
“अच्छा उह लड़की कौन थी ?”,विष्णु ने शक्ति की बगल में आकर बैठते हुए पूछा
“कौन लड़की ?”,शक्ति ने अनजान बनते हुए कहा
“वही जो कुछ देर पहले घाट पर तुम्हारे साथ साथ घूम रही थी”,विष्णु ने पूछा
“हमे थैंक्यू कहने आयी थी”,शक्ति ने कहा
“का थैंक्यू ? किसलिए ?”,विष्णु ने पूछा
“तुम जे सब में काहे इतना इंट्रेस्ट ले रहे हो ? पहले कल सुबह जाकर मालिक से अपनी गलती की माफ़ी माँग लो उसके बाद आकर हमसे बात करना”,कहते हुए शक्ति उठा और वहा से चला गया
“शक्ति सुन ना , अरे सुन तो”,कहते हुए विष्णु उसके पीछे आया लेकिन तब तक शक्ति जा चुका था।

कॉलेज के बाहर राजन की जीप में बैठा भूषण किसी के आने की राह देख रहा था। उसकी बगल में बैठे लड़के ने कहा,”भूषण एक बार प्रताप चचा से बतिया लेते ऐसा ना हो फिर से कोनो समस्या खड़ी हो जाये”
“अपने एडवाइज को रखो अपनी जेब में , राजन भैया ने जो कहा है उह करना है बस”,भूषण ने गुटखा थूकते हुए कहा
“भैया बुरा ना मानो तो एक्को बात पूछे आपसे”,लड़के ने कहा
“हाँ पूछो”,भूषण ने कहा
“आप राजन भैया के कुछो ज्यादा ही करीब है , हमेशा उनके लिए हाजिर रहते है”,लड़के ने कहा
“करीब तो है , उनकी ख़ुशी के लिए साला जान देनी पड़ जाये तो उह भी दे देंगे बस एक बार राजन भैया हमारे काम से खुश होकर हमे गले लगा ले , जिंदगी का मजा आ जाये”,भूषण ने कहा
“अरे भैया जरूर आएगा”,लड़के ने कहा
कुछ देर बाद ही तीन लड़के आये और जीप में पीछे बैठते हुए कहा,”काम हो गया भूषण भैया , अब कल देखिये मजा”,लड़के ने कहा
“अरे जिओ मेरे शेर कल शाम में हमारी तरफ से तुम सबको पार्टी”,भूषण ने कहा
लड़के ने जीप स्टार्ट की और वहा से आगे बढ़ गए कल क्या होने वाला था ये तो भूषण ही जानता था लेकिन तो तय था की मुन्ना और वंश के दुश्मनो की संख्या अब बढ़ने लगी थी। जीप चलाते हुए लड़के ने भूषण से पूछा,”अच्छा भूषण भैया राजन भैया को किसने मारा कुछो पता चला ?”
“हाँ भैया आज सुबह आप वंश के घर भी गए थे , तो का वंश ने राजन भैया को मारा है ?”,पीछे बैठे लड़को में से एक ने पूछा
“जे तो हमको भी नहीं पता किसने मारा है ? राजन भैया भी तो कुछो बोल नहीं पा रहे है किसको जाकर पकडे ? उह साले वंश को तो हम इसलिए फंसाये है ताकि उसकी अकड़ थोड़ी कम हो ,, का कह रहा था उह उस दिन हमसे की हमारी औकात नहीं है उसके साथ बैठने की,,,,,,,,,,,,,,,,पुलिस को देखते ही कैसे सिट्टी पिट्टी गुम हुई ना उसकी”,कहते हुए भूषण हसने लगा
पीछे बैठे लड़को में से एक ने कहा,”लेकिन भूषण भैया जब उसने कुछो किया ही नहीं तो फिर झूठे केस में काहे फ़साना ? जे तो गलत है ना”
भूषण ने जीप रुकवाई और पलटकर लड़के से कहा,”तुमको काहे इतनी फ़िक्र हो रही है बे उसकी ? अपनी बहिन ब्याहनी है उसके साथ,,,,,,,,,,,,,,,इतनी ही परवाह है ना तो जाकर घुस जाओ गुप्ता जी के लौंडे में ,, बड़े आये सही गलत का ज्ञान देने,,,,,,,,,,,,,चलो बे”
भूषण की बात सुनकर लड़का खामोश हो गया। जीप एक बार फिर आगे बढ़ गयी।

अगली सुबह शिवम् सारिका और काशी इंदौर जाने के लिए तैयार थे और अनु मुरारी का इंतजार कर रहे थे। आई काशी को हिदायते दे रही थी और जल्दी से वापस आने का कह रही थी। अंजलि का चेहरा आज कुछ उतरा हुआ था , इतने दिनों से वह काशी के साथ थी काशी अंजलि के पास आयी और कहा,”पढाई में मन लगाना और हां हमारे वंश भैया को ज्यादा परेशान मत करना”
“काशी अपना ख्याल रखना हमे यकीन है इंदौर जाकर तुम उसे भूल जाओगी”,अंजलि ने कहा उसका इशारा शक्ति की ओर था। अंजलि की बात सुनते ही काशी का चेहरा उदासी से घिर गया उसने एक नजर अंजलि को देखा और वंश के पास आकर उसका हाथ कहा,”अपना ख्याल रखियेगा और हां गुस्सा थोड़ा कम बाकि तो आप दुनिया के सबसे अच्छे भाई है”
“पगली ! तू भी अपना ख्याल रखना”,वंश ने काशी के सर पर हाथ रखते हुए कहा
इतने में मुरारी की गाड़ी आ गयी। अनु और मुरारी गाड़ी से नीचे उतरे। दीना सामान निकालकर शिवम् की गाड़ी में रखने लगा और अनु मुरारी , शिवम् के पास चले आये। शिवम् ने देखा मुरारी घर के कपड़ो में ही है तो उसने पूछ लिया,”मुरारी जे का तूम नहीं जा रहे ?”
“जीजू आपको तो पता है ना इनका लास्ट मोमेंट पर मना कर देते है”,अनु ने मुंह बनाते हुए कहा
“का बात है मुरारी सब ठीक है ना ?”,शिवम् को कुछ गड़बड़ होने का आभास हुआ
“अरे हां भैया सब ठीक है , उह का है आज जौनपुर जाना होगा हमे बहुते जरुरी मीटिंग है और मीटिंग भी 3 दिन चलेगी तो इंदौर जाना तो नहीं हो पायेगा”,मुरारी ने कहा
“अगर ऐसा है हम रुक जाते है”,शिवम् ने कहा
“अरे भैया आप वैसे ही इतना बिजी रहते है अभी एक मौका मिला है भाभी और उनके परिवार के साथ वक्त बिताने का तो रुकने की बातें कर रहे है यहाँ सब हम देख लेंगे , आप बेफिक्र होकर जाईये”,मुरारी ने कहा
“जीजू मैं आलरेडी 2 घंटे इनसे बहस कर चुकी हूँ , चलिए ना हम लोग चलते है इन्हे घुसे दीजिये अपनी विधायकी में”,अनु ने उखड़े हुए स्वर में कहा
शिवम् मुरारी के पास आया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”सब ठीक है ना मुरारी ?”
मुरारी ने शिवम् की आँखों में देखा और कहा,”हां भैया सब ठीक है”
शिवम् ने मुरारी के कंधे पर अपना हाथ रखा और फिर गाड़ी की तरफ बढ़ गया।

Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Heer – 36 Main Teri Hee Main Teri Heer – 36 r – 36

मुरारी ने इंदौर जाने से मना क्यों किया ? आखिर भूषण ने वंश और मुन्ना के लिए कौनसा जाल बिछाया है ? क्या काशी शक्ति को भूल पायेगी ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 37

Read More – “मैं तेरी हीर” – 35

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संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer

शक्ति से मिलने काशी घाट चली आयी। शक्ति के सामने आकर काशी ने उस के सामने अपना हाथ बढ़ाया तो शक्ति बिना काशी से बात किये आगे बढ़ गया। काशी ने देखा तो उसे थोड़ा अजीब लगा वह भी शक्ति के साथ साथ चलते हुए कहने लगी,”वैसे थैंक्यू”
“किसलिए ?”,ने चलते हुए कहा
“उस दिन मार्किट में हमे उस बैल से बचाने के लिए”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हम्म्म्म”,शक्ति ने कहा उसे समझ नहीं आ रहा था काशी से क्या बात करे ? शक्ति को खामोश देखकर काशी ही कहने लगी,”वैसे हमारा नाम काशी है , यही बनारस के रहने वाले है। हम इंदौर में पढाई करते है और वही रहते है अपने नाना नानी के साथ। हमने पहली बार आपको यही देखा था , याद होगा आपको हम आपसे टकराये थे। (काशी की इस बात पर शक्ति उसकी तरफ देखता है , ये सब बताते हुए कितनी मासूम लग रही थी वो ,, काशी शक्ति की तरफ देखती है तो शक्ति एक बार फिर सामने देखने लगता है और काशी आगे कहने लगती है ) तब पहली बार हमे लगा जैसे हम पहले भी मिले हो। उसके बाद आप हमारे घर आये हमे लगा आप चोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी हमारा मतलब हमे सिर्फ लगा बाकि आप हो नहीं लेकिन अगर कोई ऐसे खिड़की से आएगा तो सब यही सोचेंगे ना और फिर कल आप फिर से मिले , आपने अपना नाम भी बताया “शक्ति” वैसे थोड़ा पुराना सा नाम है पर अच्छा है , आपने ये भी कहा की बनारस ही आपका घर है और आप यहाँ मिलेंगे तो हम आपसे मिलने चले आये।”
काशी कहते कहते रुकी और फिर आगे कहने लगी,”दरअसल हम बहुत उलझन में है और किसी ने हमसे कहा की हमारे सवालो के जवाब सिर्फ आपके पास हो सकते है , आपसे मिलने के बाद एक अजीब सी फीलिंग से घिरे है , आपका ख्याल हमारे दिमाग से नहीं जा रहा है। ऐसा हमारे साथ पहली बार हो रहा है , हमे आपके बारे में जानना है , आप कौन है ? क्या करते है ? हम बार बार आपसे ही क्यों टकराते है ? हमे इन सवालो का जवाब चाहिए ?”
शक्ति ने सुना एक नजर काशी को देखा और कहा,”हमारे पास आपके किसी सवाल का जवाब नहीं है , रात हो चुकी है आपको घर जाना चाहिए”
शक्ति का जवाब सुनकर काशी अपसेट हो गयी वह एकदम से शक्ति के सामने आयी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”हम कल सुबह इंदौर वापस जा रहे है”
“हैप्पी जर्नी”,कहकर शक्ति आगे बढ़ गया। बेचारी काशी उसे देखते ही रह गयी दिमाग में विचार आया के तुरंत लौट जाये लेकिन दिल के हाथो मजबूर थी इसलिए एक बार फिर शक्ति की तरफ आयी और जैसे ही कहने के लिए मुंह खोला शक्ति ने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसे दिवार की और धकेलकर पीठ दिवार से लगा दी। काशी कुछ समझ पाती इस से पहले ही शक्ति की बगल से गुजरने वाले आदमी को शक्ति ने एक तेज घुसा मारा और वह वही सीढ़ियों पर गिर गया। काशी ने देखा तो अंदर ही अंदर बहुत डर गयी , इस वक्त उसे शक्ति का एक नया ही रूप देखने को मिला। शक्ति ने काशी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर घाट के बाहर आया , शब्द काशी के गले में ही अटक गए। शक्ति ने काशी को अपने सामने करते हुए उसका हाथ छोड़ा और कहा,”आपका यहाँ रुकना सही नहीं है आप घर चली जाईये”
“लेकिन,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहना चाहा इतने में अंजलि आयी और कहा,”काशी कहा चली गयी थी तुम ?”
“आप इनके साथ है ?”,शक्ति ने अंजलि से पूछा
“हाँ,,,,,,,,,,!!”,अंजलि ने कहा
“घर लेकर जाईये इन्हे”,कहते हुए शक्ति वहा से चला गया। जाते जाते उसने अपनी शर्ट के पीछे छुपी बंदूक निकाली और आगे बढ़ गया। काशी बदहवास सी उसे देखे जा रही। थोड़ी देर पहले जिस शक्ति के लिए उसकी आँखों में प्यार था अब उन्ही आँखों में एक डर था। अंजलि ने देखा तो काशी की बांह थामते हुए कहा,”काशी क्या हुआ ? कौन था वो ?”
“शक्ति,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी के मुंह से धीमी आवाज में निकला। अंजलि ने उसे डरा हुआ देखा तो माजरा कुछ समझ नहीं आया और वह उसे लेकर घर चली आयी। घर आकर काशी सीधा अपने कमरे में चली आयी और दरवाजा बंद करके अपनी आँखे मूँद ली कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ उसकी आँखों के सामने किसी फ्लेशबैक की तरह घूमने लगा। शक्ति को लेकर अब उसकी उलझन और ज्यादा बढ़ गयी वह अच्छा इंसान है या बुरा काशी समझ नहीं पा रही थी। काशी ने खुद को शांत किया , बाथरूम में जाकर मुंह धोया और वापस आकर कमरे का दरवाजा खोलकर बिस्तर पर आ बैठी।

घाट पर अचानक हुए हमले से शक्ति सतर्क हो गया। वह नीचे आया जिस आदमी को उसने मारा था वह वहा से जा चुका था। शक्ति चारो और ध्यान से देखते हुए आगे बढ़ गया। जिस शक को लेकर शक्ति यहाँ आया था वो यकीन में बदल गया। वह घाट से दूर निकल आया उसने देखा विष्णु को किसी ने पकड़ रखा है और जैसे ही उस आदमी ने विष्णु को मारने की कोशिश की शक्ति ने उस पर गोली चला दी , गोली की आवाज से आदमी विष्णु को छोड़कर भाग गया। शक्ति विष्णु के पास आया और उसे सम्हालते हुए कहा,”तुम ठीक हो ना ?”
“तु नहीं आता तो आज स्वर्ग सिधार गया होता मैं”,विष्णु ने मुश्किल से साँस लेते हुए कहा
शक्ति ने उसे दिवार के सहारे बैठाया और खुद भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया और उसकी ओर देखकर पूछा,”कौन थे उह लोग और तुमरे पीछे काहे पड़े थे ?”
“मुझसे एक गलती हो गयी”,विष्णु ने अपनी चोट को सहलाते हुए कहा
“क्या ?”,शक्ति ने पूछा
“वो फाइल जो हम लोग लेकर आये थे किसी ने बदल दी थी और मालिक इस बात से बहुत गुस्सा है शायद उन्होंने ही इन लोगो को भेजा है”,विष्णु ने कराहते हुए कहा
“नहीं इन्हे किसी और ने भेजा है”,शक्ति ने कुछ सोचते हुए कहा
“तुम इतना यकींन के साथ कैसे कह सकते हो ?”,विष्णु ने पूछा
“क्योकि इतनी छोटी सी बात के लिए मालिक तुम्हे मारने का नहीं सोचेंगे , देखा नहीं तुमने एक मिनिट और देर होती तो तुम्हरा गला कट चुका होता”,शक्ति ने कहा और फिर ख़ामोशी से सामने बहते पानी को देखने लगा
“अच्छा उह लड़की कौन थी ?”,विष्णु ने शक्ति की बगल में आकर बैठते हुए पूछा
“कौन लड़की ?”,शक्ति ने अनजान बनते हुए कहा
“वही जो कुछ देर पहले घाट पर तुम्हारे साथ साथ घूम रही थी”,विष्णु ने पूछा
“हमे थैंक्यू कहने आयी थी”,शक्ति ने कहा
“का थैंक्यू ? किसलिए ?”,विष्णु ने पूछा
“तुम जे सब में काहे इतना इंट्रेस्ट ले रहे हो ? पहले कल सुबह जाकर मालिक से अपनी गलती की माफ़ी माँग लो उसके बाद आकर हमसे बात करना”,कहते हुए शक्ति उठा और वहा से चला गया
“शक्ति सुन ना , अरे सुन तो”,कहते हुए विष्णु उसके पीछे आया लेकिन तब तक शक्ति जा चुका था।

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