Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

मैं तेरी हीर – 17

Main Teri Heer – 17

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |

Main Teri Heer – 17

बनारस , अस्सी घाट
घाट से निकलकर मुन्ना बाहर जाने लगा। राजन के साथ घूमते घामते भूषण अपने आदमियों के साथ अस्सी की तरफ चला आया। भूषण के एक आदमी ने मुन्ना को अकेले घाट पर देखा तो भूषण से कहा,”भैया मुन्ना,,,,,,,,,!!”
भूषण ने देखा मुन्ना अस्सी घाट से बाहर जा रहा था
“अकेला है , आप कहे तो धर ले उसे ?”,लड़के ने कहा
भूषण ने एक नजर राजन को देखा जो कुछ ही दूर घाट की मिटटी पर खड़ी एक नाव पर बैठा था।

वह लड़के की तरफ पलटा और हामी भर दी। लड़के ने साथ वाले लड़को को अपने साथ आने का इशारा किया और साथ ही मास्क भी पहन लिया जिस से मुन्ना उन्हें पहचान ना सके। बाहर आकर मुन्ना ने जैसे ही बाइक में चाबी लगाई एक हाथ ने आकर उस चाबी को बाइक से निकाल लिया। मुन्ना ने सामने देखा और लड़के से कहा,”कौन हो तुम ? और क्या परेशानी है ?”
“हम कौन है जे तुमको जानने की जरूरत नहीं और हमरी परेशानी हो तुम।

खुद को बहुते बड़ा हीरो समझते हो जिसको मन करेगा मारोगे , उस वंशवा के साथ मिलकर खूब चौडाये रहय बनारस में पर तुम्हरी एक ना चली है मुन्ना बाबू और आज तो तुम्हरा उह्ह बंश भी ना है आज तो तुमहू गए बेटा,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने सूना तो वह समझ गया कि हो ना हो ये वो लोग है जो उस से और वंश से खार खाये बैठे है।

मुन्ना अपनी बाइक से नीचे उतरा और अपनी शर्ट की बाजू फोल्ड करते हुए कहा,”लगता है पहले वाली मार भूल गए हो तुम सब , वंश यहाँ होकर भी क्या करेगा तुम लोगो के लिए तो हम ही काफी है,,,,,,,,,,,!!”
“हाहाहाहा मुन्ना तुम अकेले हो और हमरे पास पूरी फौज खड़ी है और अब तो तुम्हरे पिताजी विधायक भी ना रहे जो तुम्हे बचाए लेंगे,,,,,,,,आज तो तुम ना बची हो , ए मारो रे इसको।”,लड़के ने कहा तो बाकि सब लड़के मुन्ना की तरफ बढ़ने लगे।


मुन्ना जो की शांत दिखता था लेकिन था नहीं जैसे ही एक लड़के ने आकर उसे मारने को हाथ उठाया मुन्ना ने खींचकर एक थप्पड़ लड़के को मारा और लड़का नीचे जमीन पर जा गिरा और ऐसा गिरा की फिर उठ ही नहीं पाया। इसके बाद एक एक करके लड़के आते गए और मुन्ना से पिटते गए। मुन्ना को भी कुछ चोटे आयी लेकिन उसने उन लड़को को पीटना जारी रखा।

सबको पिटते देखकर भूषण ने एक मोटा सा डंडा उठाया और मुन्ना पर पीछे से वार किया। डंडा सीधा जाकर मुन्ना के सर पर लगा और पलभर के लिए उसकी आँखों के सामने अन्धेरा छा गया। उसे कुछ समझ नहीं आया ये अचानक से क्या हुआ ? मुन्ना अपना सर पकडे चक्कर खाकर नीचे जा गिरा।

अस्सी के बाहर होते झगडे को देखकर किसी ने पुलिस को खबर कर दी थी। जैसे ही पुलिस की जीप के सायरन की आवाज आयी भूषण के आदमी ने कहा,”भूषण भैया चलो हिया से नहीं तो फंस जायेंगे,,,,,,,,!!”
भूषण ने हाथ में पकड़ा डंडा फेंका और जैसे ही जाने लगा उसे याद आया राजन अभी भी घाट पर ही है उसने लड़के से कहा,”तुम सब चलो हम राजन भैया को लेकर आते है।”


“अरे भैया राजन भैया को छोडो और अभी के लिये यहाँ से निकलो , अगर पुलिस के हाथ लग गए तो साला बनारस में हमारी जमानत कोई नहीं करवाएगा ,, हमारी बात मानो और चलो हिया से।”,लड़के ने भूषण के सामने बाइक रोककर कहा
भूषण ने एक नजर घाट की तरफ देखा और फिर लड़के के पीछे आ बैठा। लड़का बाइक लेकर वहा से निकल गया। पुलिस की जीप आकर घाट के बाहर रुकी  लेकिन भूषण और उसके आदमी वहा से जा चुके थे।

पुलिस वाले वापस चले गए मुन्ना पर उनका ध्यान ही नहीं गया क्योकि गिरने की वजह से मुन्ना एक अँधेरी जगह पर गिरा था और गिरते ही बेहोश हो गया। नाव पर बैठा राजन सामने गंगा के बहते पानी को देख रहा था। रात का समय और ऐसे में ठंडी हवाएं उसके मन को सुकून पहुंचा रही थी
कुछ देर बाद राजन ने देखा भूषण और उसके आदमी वहा नहीं है। राजन उठा और उन्हें यहाँ वहा ढूंढने लगा लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दिया।

हताश होकर राजन घाट से बाहर चला आया। घाट के बाहर इक्का दुक्का लोग थे। रात काफी हो चुकी थी और ऐसे में राजन अपने घर का रास्ता भी नहीं जानता था। वह परेशान सा खड़ा इस बारे में सोच ही रहा था कि उसकी नजर जमीन पर गिरे मुन्ना पर पड़ी। राजन जो की यादास्त जाने की वजह से सब भूल चुका था उसके लिए मुन्ना अब एक अनजान था। राजन मुन्ना के पास आया उसे बेहोश देखकर उसने उसकी नब्ज चेक की।

मुन्ना की नब्ज अभी चल रही थी। राजन ने मदद के लिए इधर उधर देखा लेकिन इस वक्त कोई नहीं था जो उसकी मदद करे। राजन उठा और मदद के लिए इधर उधर गया लेकिन सबने उसे निराश ही किया।
राजन वापस मुन्ना की तरफ आया तो रस्ते में उसे बाइक की चाबी मिली। राजन ने उस चाबी को उठाया और उसकी बाइक ढूंढने लगा। कुछ देर बाद ही उसे अस्सी के बाहर खड़ी मुन्ना की बाइक दिखाई दी।

एक लड़के की मदद से राजन ने मुन्ना को बाइक पर बैठाया और उसे लेकर वहा से चल पड़ा।
“जे रजनवा है ना प्रताप का लड़का , पर जे मुन्ना भैया को लेकर कहा जा रहा है ?”,पान की दुकान पर बैठे पनवाड़ी ने कहा लेकिन वह राजन को रोकता इस से पहले ही वह मुन्ना को लेकर वहा से निकल गया।

इंदौर , गौरी का घर
खाना खाने के बाद गौरी ने बर्तन धोने में नंदिता की मदद की और फिर ऊपर अपने कमरे में चली आयी। कपडे बदलकर गौरी ने अपना फ़ोन देखा मुन्ना का मिस्ड कॉल देखकर गौरी ने कहा,”ओह्ह्ह , मान ने मुझे फोन किया था और मैंने रिसीव नहीं किया ,, आह्ह्ह्ह ये फोन को साइलेंट पर रखने की मेरी आदत कब जाएगी ? वैसे अभी ज्यादा देर नहीं हुई है मान जाग रहा होगा,,,,,,,,!!”


कहते हुए गौरी ने मुन्ना का नंबर डॉयल किया और दूसरी तरफ से आवाज आयी,”द नंबर यू डायल्ड इज करन्टली स्विच ऑफ प्लीज तरय आफ्टर सम टाइम , आपके द्वारा डायल किया गया नंबर,,,,,,,,,!”
“ये मान का फोन बंद क्यों आ रहा है ? हो सकता है उसने चार्ज ना किया हो,,,,,,,,,,,,,,,अहम्म्म्म आई ऍम सॉरी मान मैं आज थोड़ा बिजी हो गयी इसलिए तुम से बात भी नहीं कर पायी,,,,,,,,,!!”,गौरी ने अपना फोन बिस्तर पर रखते हुए कहा और खिड़की के के पास चली आयी


गौरी ने खिड़की के परदे हटाए और खिड़की खोल दी। साफ काले आसमान मे चाँद चमक रहा था और आस पास छोटे छोटे तारे चमचमा रहे थे। चाँद को देखते हुए गौरी मुस्कुराने लगी और कहा,”तुम्हारे बनारस से भी चाँद ऐसा ही दिखता होगा ना मान , तो क्या मेरी तरह तुम भी इस चाँद को देखकर मुझे याद करते होंगे ? वैसे सब कहते है तुम बहुत शांत , कम बोलने वाले और सख्त लड़के हो पर मैं जानती हूँ इन सब के पीछे एक मासूम , प्यारा सा इंसान भी है जिसे लव स्टोरी पढ़ना पसंद है ,

जिसे गुनगुनाना पसंद है और जो खुले आसमान के नीचे बैठकर चाँद को देखते हुए घंटो खुद से बात करना पसंद करता है। ओह्ह्ह मान सच में तुम्हे पाकर मैं बहुत खुश हूँ जानते हो क्यों ? क्योकि तुम्हारी साथ मुझे दुनिया को अलग नजरिये से देखने का मौका मिलेगा , तुम्हारे साथ मैं प्यार का असली इम्पोर्टेंस समझ पाऊँगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह देखो ना चाँद को देखते हुए मुझे अब तुम्हारी याद आ रही है और मैं तुम से बात भी नहीं कर सकती,,,,,,,,,,,,,,

आई हॉप कि तुम जहा भी हो ठीक हो। वैसे आज मेरा मन बहुत खुश भी है और थोड़ा उदास भी,,,,,,,,,,खुश इसलिए कि काशी और शक्ति साथ है और जल्दी ही उनकी शादी हो जाएगी और उदास इसलिए कि तुम मेरे पास नहीं हो।”
 खुद से बाते करते हुए गौरी उदास हो गयी उसने खिड़की पर परदे गिरा दिए और बिस्तर पर चली आयी। उसने अपने फोन में मुन्ना और अपनी सगाई की तस्वीर निकाली जिस में दोनों एक दूसरे को अंगूठी पहनाने जा रहे थे।

उस तस्वीर को देखते हुए गौरी जैसे खो गयी और मुस्कुराने लगी। बिस्तर पर उलटे लेते गौरी अपनी और मुन्ना की  तस्वीर देखते हुए बस मुस्कुराये जा रही थी।
“इस तरह फ़ोन को घूरने से वो इस से बाहर तो नहीं आ जाएगा ?”,कमरे के दरवाजे पर खड़े जय ने कहा
गौरी ने सूना तो फोन साइड में रखा और जय को घूरते हुए कहा,”तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? और मिस्टर वो तुम्हारे होने वाले जीजाजी है सो जरा इज्जत से,,,,,,,!!”


“वो अभी मेरा जीजा बना नहीं है , और मुझे कोई शौक नहीं है आपके इस कबाड़ख़ाने में आने का मुझे बस आपका लेपटॉप चाहिए।”,जय ने इतरा कर कहा
“नहीं मिलेगा,,,,,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने भी उठकर बैठते हुए कहा
“लेकिन क्यों ? लेपटॉप खरीदते वक्त आपने मॉम से कहा था जब मुझे इसकी जरूरत होगी आप मुझे यूज़ करने दोगी,,,,,,,!!”,जय ने अंदर आते हुए कहा


“हाँ कहा तो था लेकिन अब नहीं दूंगी , जब तक तुम कान पकड़कर माफ़ी नहीं मांगते,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“किस बात की माफ़ी ?”,जय ने पूछा
“अभी कुछ देर पहले तुमने जो किया , अपने कान पकड़ो और 10 बार उठक बैठक निकालते हुए बोलो “मान जीजू आप बहुत अच्छे है” चलो बोलो।”,गौरी ने जय को घूरते हुए कहा
“अजीब लड़की हो , ऐसे जबरदस्ती इज्जत कौन दिलवाता है ?”,जय ने मुंह बनाकर कहा


“अगर तुम्हे लेपटॉप चाहिए तो तुम्हे ये करना होगा वरना तुम यहाँ से जा सकते हो,,,,,,,,,!!”,गौरी ने एक बार फिर अपना फोन उठाते हुए कहा और बिस्तर पर औंधे लेट गयी
जय का कंप्यूटर काम नहीं कर रहा था और उसे कुछ जरुरी काम करना था। मरता क्या न करता उसे गौरी की बात माननी पड़ी लेकिन वह एक आखरी कोशिश करना चाहता था इसलिए मासूम सी शक्ल बनाकर कहा,”क्या एक लेपटॉप के लिये आप अपने सगे भाई से ये करवाओगी ?”


“हीहीही तुम्हारी इस मासूमियत से मैं नहीं पिघलने वाली , चलो जाओ और जाओ मैंने कहा वो करो।”,गौरी ने कठोरता से कहा तो जय ने अपने कान पकडे और उठक बैठक लगाने लगा साथ ही वह हर बार “मान जीजू आप बहुत अच्छे है” भी कहता जा रहा था और गौरी को ये सब देखकर बहुत मजा आ रहा था।

मुंबई , नवीन का घर
निशि के खिलाफ उलटी सीधी बाते बोलकर वंश ख़ुशी ख़ुशी अपने कमरे में चला आया। कमरे में आकर वंश ने खुश होकर अपने हाथ पैर हवा में मारे और घूमते हुए बिस्तर पर आ गिरा। बिस्तर पर गिरकर वंश ने खुद से कहा,”मिस छिपकली कल सुबह तुम्हारी जिंदगी की सबसे अच्छी सुबह होगी जब तुम्हे नाश्ते की जगह फ्रेश लेक्चर मिलेगा। बहुत ऐटिटूड दिखा रही थी ना तुम मेरे सामने अब तुम्हे समझ आएगा वंश गुप्ता क्या चीज है।

बनारस में तो तुम अच्छी खासी थी , मुझसे ठीक से बात भी कर रही थी और  मेरी परवाह भी कर रही थी फिर मुंबई आते ही तुम्हे क्या हो गया ? तुमने तो एकदम से तेवर ही बदल लिये , अरे ऐसा तो क्या कर दिया मैंने तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,,,आफ्टर आल मैं तो तुम्हे सी ऑफ करने एयरपोर्ट भी आया था लेकिन तुम ही नहीं रुकी और चली गयी , ाटलिस्ट तुम मेरा इंतजार कर सकती थी पर नहीं तुम्हे तो जाना था।

पता है तुम्हारे चक्कर में बेचारे मुन्ना से भी रूडली बात की मैंने,,,,,,,,,,,और वो कह रहा था तुम मेरा इंतजार कर रही थी , तुम और मेरा इंतजार हाह इस जन्म में तो ये पॉसिबल ही नहीं है जानती हो क्यों क्योकि हम दोनों एक दूसरे के लिए नहीं बने,,,,,,,,,,,,,,,,,,डिफरेंट , बहुत अलग है हम दोनों ,, वैसे भी तुम्हारा और मेरा क्या मैच है , तुम छिपकली और मैं एक रोमांटिक वेब सीरीज का हीरो,,,,,,,,,,,,,,!


हीरो नाम कहते ही वंश को एकदम से कुछ याद आया और वह उठकर बैठ गया उसने अपना फोन उठाया और देखा डायरेक्टर सुमित के 2 मिस्ड कॉल और एक मैसेज था जिसमे शूटिंग की लोकेशन और टाइमिंग के बारे में जानकारी दी हुई थी। वंश ने फोन अपने सर पर मारा और कहा,”अह्ह्ह मैंने उनका कॉल मिस कर दिया , वो मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे ? एक काम करता हूँ उन्हें अभी कॉल करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,

वंश स्टुपिड टाइम देखा है तूने इस वक्त उन्हें फोन करेगा , एक काम कर सुबह जल्दी जाकर उनसे माफ़ी मांग लेना। हाँ ये सही रहेगा,,,,,,,,,,,,अब तो बस मुझे सुबह का इंतजार है।”,कहते हुए वंश वापस बिस्तर पर लेट गया और अपनी नयी जिंदगी के बारे में सोचते सोचते उसे नींद आ गयी।

 
बनारस , सिटी हॉस्पिटल
राजन मुन्ना को लेकर हॉस्पिटल के एमर्जेन्सी वार्ड में आया। मुन्ना की अच्छी किस्मत थी कि डॉक्टर उसे वहा मिल गया। उसे धीरे धीरे अब होश आ गया था। डॉक्टर ने राजन से बाहर बैठने को कहा और खुद नर्स के साथ मिलकर मुन्ना का ट्रीटमेंट करने लगा। मुन्ना के सर में हल्की सी चोट आयी थी। डॉक्टर ने घाव साफ करके उस पर बेंडेज लगा दी साथ ही हाथ की खरोचों पर दवा लगाकर पट्टी कर दी। डॉक्टर ने मुन्ना को इंजेक्शन लगाया और कुछ दवा खाने को दी।

मुन्ना अब ठीक था सर में हल्का सा दर्द अब भी हो रहा था। उसे याद भी नहीं था कि वह यहाँ कैसे आया ? नर्स मुन्ना को आराम करने का बोलकर बाहर चली गयी। मुन्ना याद करने की कोशिश कर रहा था कि तभी दरवाजा खोलकर राजन अंदर आया। राजन को वहा देखते ही मुन्ना की भँवे तन गयी। राजन और अपनी दुश्मनी वह अभी तक भुला नहीं था।

जैसे जैसे राजन मुन्ना की तरफ आने लगा मुन्ना ने अपने बचाव का सोचकर पास ही ट्रे में रखे नुकीले हथियारों में से एक को बड़ी सावधानी से उठाकर अपने पास रख लिया जिस से राजन अगर कोई चालाकी करे तो मुन्ना उसे जवाब दे सके। राजन एकटक मुन्ना को देखे जा रहा था और मुन्ना राजन को,,,,,,,,,,,,!
“क्या अब तुम ठीक हो ?”,राजन ने मुन्ना के सामने आकर कहा
मुन्ना ने सूना तो उसे उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ , राजन को अपनी परवाह करते देखकर उसे अजीब लग रहा था।

मुन्ना को खामोश देखकर राजन ने कहा,”वो दरअसल तुम हमे अस्सी घाट के बाहर मिले , तुम बेहोश थे तुम्हारा शायद किसी से झगड़ा हुआ था। हमने देखा तुम्हारी नब्ज चल रही है तो हम तुम्हे हॉस्पिटल ले आये। डॉक्टर ने कहा है अभी तुम ठीक हो और थोड़ी देर बाद घर जा सकते हो,,,,,,,,,,,,,महादेव का शुक्र है तुम ठीक हो।”
राजन के मुंह से ऐसी बाते सुनकर मुन्ना को और ज्यादा हैरानी हुई , वह समझ नहीं पा रहा था क्या ये वही राजन था

जो सीधे मुंह मुन्ना से बात तक नहीं करता था और जिस का वंश और मुन्ना से हमेशा झगड़ा चलता था।
“क्या तुम हमे जानते हो ?”,मुन्ना ने हिम्मत करके पूछा
राजन कुछ देर मुन्ना को देखता रहा और फिर कहा,”नहीं , हमने बस इंसानियत के नाते तुम्हारी मदद की,,,,,,,,,!!”
मुन्ना के लिए ये और भी हैरानी वाली बात थी लेकिन इस के बाद मुन्ना ने राजन से ज्यादा सवाल जवाब नहीं किया और अपने हाथ में पकड़ा हथियार वापस ट्रे में रख दिया


राजन ने वहा पड़ी कुर्सी खिसकाई और उस पर बैठ गया। हालाँकि मुन्ना राजन की यादास्त के बारे में कुछ नहीं जानता था वह चुपचाप बैठा उस कमरे की दीवारों को देख रहा था और जैसे ही नजर राजन पर पड़ती राजन मासूमियत से मुस्कुरा देता। राजन को मुस्कुराते देखकर मुन्ना भी मुस्कुरा दिया।
“हम जरा बाहर होकर आते है।”,राजन ने कहा और उठकर बाहर चला गया मुन्ना ने अपनी आंखे मूँद ली और सर पीछे दिवार से लगा लिया


कुछ देर बाद राजन वापस आया उसके हाथ में दो कांच के गिलास थे जिनमे चाय थी। राजन ने एक गिलास मुन्ना की ओर बढ़ाकर कहा,”चाय !”
मुन्ना ने गिलास ले लिया। राजन वापस कुर्सी पर आ बैठा उसने जेब से बिस्किट का डिब्बा निकाला और उसे फाड़कर एक बिस्किट निकाल लिया। मुन्ना उसे ही देख रहा था। राजन ने जब मुन्ना को अपनी ओर देखते पाया तो झेंपते हुए कहा,”वो शाम से कुछ खाये नहीं है , बहुत जोरो से भूख लगी थी और इस वक्त बाहर यही मिला , तुम लोगे ?”


“नहीं शुक्रिया !”,कहकर मुन्ना अपनी चाय पीने लगा
राजन ने बिस्किट चाय में डुबाया लेकिन वह उसे खा पाता इस से पहले ही वह बिस्किट चाय में डूब गया। राजन ने दूसरे बिस्किट से निकालने की कोशिश की लेकिन दुसरा बिस्किट भी उसमे डूब गया। मुन्ना राजन को ही देख रहा था और फिर एकदम से हंस पड़ा। मुन्ना को हँसते देखकर राजन पहले तो झेंप गया और फिर खुद भी उसके साथ हंस पड़ा।

Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17

Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17 Main Teri Heer – 17

Continue With Part Main Teri Heer – 18

Read Previous Part Here मैं तेरी हीर – 16

Follow Me On facebook

संजना किरोड़ीवाल

5 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!