“मैं तेरी हीर” – 12
Main Teri Heer – 12
Main Teri Heer – 12
घाट की सीढ़ियों पर एक दूसरे का हाथ थामे बैठे शिवम् और सारिका गंगा के बहते पानी को देख रहे थे। सारिका ने अपना सर शिवम् के मजबूत कंधो पर टिका रखा था। कुछ देर ख़ामोशी के बाद सारिका कहने लगी,”शिवम् जी हमे समझ नहीं आता की आखिर वंश को बनारस पसंद क्यों नहीं है ? जब देखो तब वह यहाँ से भागने की सोचता है ,, उसका गुस्सा भी दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। हमे तो डर है कही अपने गुस्से की वजह से वह हमसे दूर ना चला जाये”
“कैसी बातें कर रही हो सरू ? मानते है वंश का गुस्सा थोड़ा तेज है , उसे बनारस में रहना पसंद नहीं है लेकिन देखना जब उसकी जिंदगी कोई सही लड़की आएगी तब उसका गुस्सा भी शांत हो जाएगा और उसे बनारस भी पसंद आने लगेगा। जब लोग प्रेम में होते है तब वे चीजों को समझने लगते है , वंश के साथ भी ऐसा ही है। अभी नया खून है नया जोश है इसलिए गुस्सा भी जल्दी हो जाता है। आप चिंता मत करो वंश बनारस छोड़कर कही नहीं जाएगा”,शिवम् ने सारिका को समझाते हुए कहा।
“काशी का कॉलेज भी अगले साल पूरा हो आएगा उसके बाद उस से कहेंगे की आगे की पढाई यही से करे , हम सब के साथ रहे।”,सारिका ने कहा
“ठीक है इस बार काशी आएगी तो हम उस से इस बारे में बात करेंगे , अब मुस्कुराईये”,शिवम् ने कहा तो सारिका मुस्कुराने लगी। दोनों बैठकर बातें कर ही रहे थे की तभी शिवम् की बगल में मुरारी आ बैठा और कहा,”बनारस ना हो गया शिवम् भैया की महबूबा हो गयी हर शाम आकर इनकी पनाओ में बैठ जाते है”
“अरे मुरारी तुम कब आये ? वो भी इस वक्त ?”,शिवम् ने मुरारी को वहा देखा तो हैरानी से कहा
“अब का बताये भैया जबसे साला इह विधायकी में आये है अपनी पुरानी जिंदगी जीना भूल चुके है , कितनी चौचक जिंदगी थी हमारी ,, घूमना फिरना सुबह अस्सी घाट पर शाम किसी और घाट पर , जवानी के दिनों में भौकाल था हमारा बनारस में,,,,,,,,,,जब मर्जी जीप लेकर निकल जाते थे घर से और अब देखो फुर्सत ही नहीं है”,मुरारी ने हताश होकर कहा
“मुरारी उम्र के साथ जिम्मेदारियां बढ़ जाती है , इंसान हमेशा वैसा नहीं रहता जैसे वो जवानी में होता है। तुम्हारे कंधो पर बहुत सारी जिम्मेदारियां है”,शिवम् ने कहा
“इनको बकैती करने से फुर्सत मिले तब ना सोचे जिम्मेदारियों के बारे में”,सारिका की बगल में बैठी अनु ने कहा तो शिवम् और सारिका दोनों ने हैरानी से दूसरी तरफ देखा।
“देखो साली साहिबा बकैती करना तो हम बनारस वालो का अधिकार है , वैसे इतने साल हो गए तुम्हे बनारस में रहते मुरारी से कुछ तो सीखा होगा”,शिवम् ने अनु को छेड़ते हुए कहा
“सीखा है ना हमारी भाषा सीखकर हमे ही हौंकाती रहती है , कल की ही बात है घर में कोई आया हुआ था हमने कहा अनु जरा चाय भिजवा दो , बातो बातो में सामने वाले आदमी ने थोड़ा हमे कुछो कह दिया जे चढ़ गयी उन पर ,, बेचारे ने 4 बार माफ़ी मांगी है इनसे पता है का कही उनसे ,,,,,,,,,,,,,,,,उनसे कहती है “एक कंटाप धर दिए ना यही चरमरा कर गिर पड़ोगे” आप बताओ हम विधायक है इह का मतलब जे किसी को भी धमकाएगी ?”,मुरारी ने कहा
शिवम् ने एक नजर अनु को देखा तो अनु ने बड़ी सी स्माइल कर दी। शिवम् अक्सर उसकी क्यूटनेस देखकर उसकी गलतियों को अक्सर माफ़ कर देता था। अब अनु से तो शिवम् कुछ कह नहीं सकता था इसलिए मुरारी की तरफ पलटकर कहा,”अच्छा वैसे चाचा की विधायकी का फायदा उठाकर तुमने कितनो को पीटा है कुछो हिसाब है तुम्हारे पास ?”
“हमने कहा किसी को पीटा उह तो खुद ही लोगो को चूल मचती तो आकर हमसे उलझते थे”,मुरारी ने धीरे से कहा
“अच्छा और हमारे लिए जो आई की चप्पल खाते थे उनका हिसाब ?”,शिवम् ने मुस्कुराते हुए कहा
“अरे वो तो आई का प्यारा था हमारे लिए , जब तक उनकी डांट ना सुन ले दो चार गालियाँ ना सुन ले हमारा खाना हजम नहीं होता था”,मुरारी ने कहा
“वो भी क्या दिन थे ना मुरारी , अब जिम्मेदारियों में इतना उलझ गए है की अपने लिए वक्त ही नहीं मिलता”,शिवम् ने कहा
“वही तो हम कह रहे है भैया चलते है कही दूर कुछ दिनों के लिए इन सब से दूर”,मुरारी ने कहा
“अच्छा और हम लोग कहा जायेंगे ?”,अनु ने पूछा
“अरे तुम आई के पास जाना , एक दूसरे से हमारी शिकायत करना तुम्हारे लिए तो इतना काफी होगा ना मैगी”,मुरारी ने अनु को छेड़ते हुए कहा
“मुरारी भैया आई और अनु दोनों आपसे बहुत प्यार करती है”,सारिका ने कहा
“अरे हां भाभी जानते है इसलिए तो कुछो कहते नहीं है इन दोनों को,”,मुरारी ने कहा
“जे बात तो तुमको भी समझने की जरूरत है मुरारी की हर जगह तुम अपनी विधायकी का जोर नहीं दिखा सकते , कुछ मामलो में धैर्य से भी काम लेना होता है”,शिवम् ने कहा
“भैया आपकी ना उम्र हो गयी है , अब कोई आकर बिना वजह मिचमिचायेगा तो हमसे कंटाप तो खायेगा ना”,मुरारी ने कहा
“अच्छा हमारी उम्र हो गई है और तुम तो अभी तक 26 के हो नई ,, अनु जरा पूछो अपने मुरारी से की आज शाम में किसको पान खिला रहे थे ?”,शिवम् ने कहा तो मुरारी की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। उसने शिवम् की तरफ देखा और फिर अनु की तरफ , अनु का चेहरा देखकर समझ गया अब उसकी क्लास लगने वाली है वह कुछ कहता इस से पहले ही शिवम् ने सारिका से कहा,”सरू चलो हम यहाँ से चलते है”
“हमारी जिंदगी में आग लगाकर कहा जा रहे हो ?”,मुरारी ने शिवम् से कहा
“आग तो बाद में लगेगी मुरारी पहले ये बताओ कौनसा पान और किसको खिला रहे थे ? जवाब दो”,अनु ने मुरारी को घूरते हुए कहा
मुरारी की तो हालत ही ख़राब हो गयी और ये सब देखकर शिवम् को बड़ा मजा आ रहा था वह सारिका के साथ खड़ा खड़ा चुपचाप सब देख रहा था। मुरारी ने आसभरी नजरो से शिवम् को देखा ये सोचकर की वह उसकी मदद कर दे। शिवम् मुरारी की तरफ आया और अनु से कहा,”अरे अनु वो तो ऐसे ही कोई थी पुराना पासवर्ड ,, तुम ज्यादा गुस्सा न करो”
पासवर्ड का नाम सुनकर मुरारी ने खा जाने वाली नजरो से शिवम को देखा , कहा उसने मदद की उम्मीद की और कहा शिवम् ने उसे और ज्यादा फंसा दिया। अनु ने सूना तो उसे याद आया की मुरारी पासवर्ड अपनी महिला मित्रो को बोलता था। वह मुरारी के पास आयी और कहा,”और कितने पासवर्ड है तुम्हारे मुरारी ? इस उम्र में भी ये सब ,,,,,,,,,,, घर चलो आज तुम्हारे सारे खाते बंद करती हूँ”
“अरे अनु तुम्हारे अलावा कोई नहीं है महादेव की कसम यार भैया मजाक कर रहे है ,, अरे बात तो सुनो ,,!!”,मुरारी ने अनु के साथ जाते हुए कहा लेकिन अनु ने उसकी एक नहीं सुनी।
उन दोनों को जाता देखकर सारिका ने कहा,”ये आपने ठीक नहीं किया शिवम् जी , अनु को जानते है ना आप खामखा बेचारे मुरारी भैया की क्लास लग जाएगी”
“सरू , मुरारी इन दिनों बाहर के कामो में कुछ ज्यादा ही बिजी है , थोड़ी देर अनु को मनाएगा तो वो सब टेंशन भूल जाएगा। अब यही बातें अगर हम उसे सीधे सीधे कहते कहते तो वो नहीं सुनता इसलिए थोड़ा सा अनु को चढ़ा दिया।”,शिवम् ने कहा
“हम्म्म तो इसका मतलब आप मुरारी भैया से बहुत प्यार करते है”,सारिका ने मुस्कुरा कर कहा
“सरू मुरारी सिर्फ हमारा दोस्त नहीं है , छोटा भाई भी है बचपन से लेकर अब तक उसने हमारी किसी बात को नहीं टाला। हमेशा हमारे साथ खड़ा रहा ,, 14 साल जो इंतजार हमने किया वो हमारे साथ साथ मुरारी ने भी किया था सरू , इस जन्म में हम उसके लिए जितना भी करे कम ही होगा।”,शिवम् ने भावुक होकर कहा
“हम सब बहुत किस्मत वाले है शिवम् जी जो हम सब यहाँ मिले बनारस में , महादेव की नगरी में , जहा सिर्फ प्यार और परवाह है। हम चाहेंगे हर जन्म में हम आपसे मिले , इसी बनारस में मिले , इसी घाट पर मिले क्योकि जो सुकून यहाँ है वो दुनिया के किसी भी कोने में नहीं है”,सारिका ने अपना सर शिवम् के सीने से लगाते हुए कहा। चाँद की दूधिया चांदनी उन दोनों को अपनी रौशनी से नहला रही थी।
इंदौर , मध्य-प्रदेश
सुबह मुन्ना जल्दी उठ गया। उसने देखा वंश सो रहा है वह उठा और नहाने चला गया। उसने गीजर चला लिया , नहाकर मुन्ना ने टीशर्ट और ट्राउजर पहना और ऊपर ऊनी स्वेटर डाल लिया। उसने शिव मंत्र का जाप किया जैसा की वह हर सुबह किया करता था। आज ठण्ड कुछ ज्यादा थी। कमरे से बाहर नीचे हाल में चला आया देखा नाना नानी अभी तक सो रहे है। मुन्ना हॉल की खिड़की के पास चला आया और बाहर देखने लगा। बाहर धुंध थी और ठंड थी। मुन्ना ने खिड़की से बाहर देखते हुए अपने दोनों हाथो को आपस में समेट लिया। बाहर देखते हुए मुन्ना की आँखों के सामने एक फिर गौरी का वो सफ़ेद दुपट्टा आने लगा , उसकी आँखे , उसके होंठो और उसके कानो के झुमके ये सब मुन्ना को साफ साफ नजर आ रहे थे। गौरी की आँखे मुन्ना को अपनी तरफ क्यों खींच रही थी मुन्ना नहीं समझ पा रहा था। पहली बार उसकी भावनाये बदल रही थी , उसका सख्त दिल नरम होने लगा था और आँखों में एक कशिश बनने लगी थी। बाहर धुंध को देखते हुए अपने ख्यालो में खोया हुआ था की कुछ देर बाद अधिराज जी ने आकर कहा,”उठ गए बेटा ?”
“गुड़ मॉर्निंग नानाजी , आप इतनी जल्दी उठ गए”,मुन्ना ने उनके पास आते हुए कहा।
“इस उम्र में अक्सर नींद कम ही आती है बेटा , सतीश उठ गया होगा मैं उस से कहकर तुम्हारे लिए चाय बनवा देता हूँ”,अधिराज जी ने कहा
“रहने दीजिये नानाजी हम बना लेते है , इन्फेक्ट आपको भी पिला देंगे आप बैठिये”,मुन्ना ने कहा और किचन की तरफ चला आया। मुन्ना ने फ्रीज से दूध निकाला , अपने और अधिराज जी के लिए चाय बनाने लगा। चाय बनाकर मुन्ना ने उसे दो कप में छाना और बाहर ले आया , उसने एक कप अधिराज जी को थमा दिया। मुन्ना उनके साथ बैठकर चाय पीते हुए बाते करने लगा। चाय पीने के बाद मुन्ना अधिराज जी के साथ सुबह की सैर पर निकल गया। सैर करते हुए अधिराज जी ने मुन्ना से ना जाने कितनी ही बातें की।
सैर करने के बाद दोनों जब वापस लौट रहे थे तो मुन्ना की नजर चाय की दुकान के पास बैठे एक फटेहाल आदमी पर गयी जो की सुबह की ठण्ड से काँप रहा था और आसभरी नजरो से चायवाले को देख रहा था।
“एक मिनिट नानाजी हम आते है”,कहकर मुन्ना उस आदमी की तरफ बढ़ गया। उसने अपना जैकेट उतारा और आदमी को देकर पहनने का इशारा किया। आदमी हैरानी से मुन्ना को देखने लगा। मुन्ना ने चाय वाले से एक चाय देने को कहा और साथ में एक डिब्बा बिस्किट भी। वो सब उस आदमी को देकर मुन्ना वापस अधिराज जी की तरफ बढ़ गया। कुछ दूर खड़े अधिराज जी चुपचाप मुन्ना को ये सब करते हुए देख रहे थे। मुन्ना जब अधिराज जी के पास आया तो अधिराज जी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”इसलिए तुम सबसे अलग हो मुन्ना , यहाँ खड़े 10-12 लोगो में से सिर्फ तुम्हे उस आदमी की जरूरत नजर आयी”
“नानाजी हम अगर चाहे तो कम चीजों में भी खुश रह सकते है , इस वक्त उस आदमी के लिए इस दुनिया में अगर कुछ जरुरी था तो वो था खाना और कपडे”,मुन्ना ने दार्शनिक अंदाज में कहा
“तुम जमीन से जुड़े हो मुन्ना इसलिए , चलो घर चलते है अम्बिका राह देख रही होगी”,अधिराज जी ने कहा और मुन्ना को साथ लेकर आगे बढ़ गए
अधिराज जी और मुन्ना दोनों घर वापस चले आये। तब तक अम्बिका और काशी भी उठ चुकी थी। अम्बिका सतीश को कुछ समझा रही थी और वही काशी घर के छोटे से मंदिर में पूजा कर रही थी। मुन्ना ने काशी को पूजा करते देखा तो उसे बहुत अच्छा लगा , वह बड़े प्यार से काशी को देखता रहा। कुर्ता और पलियाला सलवार पहने , खुले बालो में काशी मासूम बच्ची सी लग रही थी। वह पूजा की थाली लेकर अधिराज जी और मुन्ना की तरफ आयी और उन्हें आरती लेने का इशारा किया। अधिराज जी और मुन्ना दोनों ने बारी बारी से आरती ली और मुन्ना ने कहा,”अरे वाह काशी तुम ये सब भी करती हो ?”
“बिल्कुल मुन्ना भैया हम बनारस छोड़कर इंदौर आये है अगर इंडिया से बाहर चले जाते तब भी हम अपना कल्चर नहीं भूलते , है ना नानू ?”,काशी ने अम्बिका को आरती देते हुए कहा।
“बिल्कुल बेटा , अच्छा वंश कहा है ? उठा नहीं अभी तक”,अधिराज जी ने टेबल पर रखा अख़बार उठाते हुए कहा
“नानाजी उसके उठने और सोने का कोई वक्त तय नहीं है , हम जाकर उठाते है”,कहते हुए मुन्ना वहा से चला गया
वंश गहरी नींद में सोया सपने देख रहा था। बिस्तर पर उल्टा गिरा तकिये में मुंह गड़ाये नींद मुस्कुराये जा रहा था। मुन्ना आया उसने जब ये नजारा देखा तो पानी की बोतल उठायी और वंश पर उड़ेल दिया। सर्दी के टाइम में पानी , वो भी सुबह सुबह , वंश हड़बड़ा कर उठ गया देखा सामने कुर्सी पर मुन्ना बैठा है मुन्ना ने वंश से कहा,”गुड मॉर्निंग”
“क्या यार मुन्ना इतना अच्छा सपना देख रहा था मैं और तूने जगा दिया”,वंश ने मायूस होकर कहा
“बेटा सुबह हो गयी है और तुम ना अपने पिताजी के घर में नहीं हो , इंदौर क्या सोने के लिए आये हो ? चलो उठो और 5 मिनिट में नीचे आ जाओ”,कहते हुए मुन्ना उठा और चला गया। वंश ने अपनी आंखे मसली और उठकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया। मुन्ना ने उसे देखकर मन ही मन कहा,”वो दिन दूर नहीं वंश जब तुम अपने सपनो को पूरा करने के बारे में सोचोगे”
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संजना किरोड़ीवाल
beautiful part.🤩🤩🤩
As always superb superb superb superb part of the day 👌👌👌👌👌 eagrly waiting for the next 👌👌👌👌 beautiful story 👌👌👌👌
Annu or murari ki nok jhok ne purane din yad dila diye😂😂😂😂 password 🤣🤣
Nice story
Mam part toh aacha tha khub hasi aai par story aage ja hi nahi rahi 😊
Munna bhut hi interesting character hai jitna uske bare me padhti hu utna jyada acha lagta hai.
Awesome story or murari annu ki whi chtoti nokghok dkh k itne dino bad mja aagya wait rhega next part ka😁🤩😍☺️
गौरी के भी दर्शन कराइए ना संजना जी
Very beautiful
Nice chapter 🥰
In fact mai Anu or Murari ki nok jhok ko bahut miss kar rhi thi jo ki is chapter me puri ho gai😘
Bhut hi khoobsurat part tha maam
Interesting nd beautiful ❤️💕❤️❤️❤️
आज तो मुरारी गया काम से खूब धुलाई होगी उसकी तो ..अनु भी कम नहीं मुरारी के गुण तो आयेंगे ही ..शिवम ने भी अनु को हिंट दे दिया और अनु तो फिर है ही दिमाग वाली…काशी ने सही कहा हमें अपने कल्चर्स नही भूलने चाहिए चाहे हम जहा भी रहे… हमारे कल्चर हमारी संस्कृति हमारी पहचान है…मुन्ना कितना सोचता है सबके बारे में वो बिल्कुल सारिका जैसे ही है दूसरों की मदद करना उसके व्यक्तिव में शामिल है…
mujhe is story me shuru se lekar ab tk yahi jb ranjhana v thi saru or sivam ka pyar bht bht bht jyada acha lgta h mtlb intjar samjhdar SB kuch h vaha jaha sikayate nahi koi Gila sikwa nahi bs pyar h just really really love it part is owsum and munna ka corrector same shivam v tarh lgta h dekhte h aage kya hoga
Beautiful part
Interesting part aj ka tha password wali baat se purane din yaad ah gaye murari bhaiya ke 😂 bole toh bawal kiya karte the apne time mey
Superb part
Yaar plz love triangle nhi yaar..yahi to khasiyat hai apki stories ki aap sab ko apni apni prem kahani deti hai..dosti aur pyar ko alg rakhti hai jo ki kahani ko aur khubsurat bana deta hai.dono dosto ki dosti ek ladki ki vajah se tute yaar plz aisa na hoo munna aur vansh ki dosti bhi shiva aur murari jaisi amar kar dijiye ga
Kon d spna h vansh jise pura Krna h superb part