मैं कहा सुरक्षित हु
Main Kha Surakshit Hu

Where am i safe
9 महीने माँ के गर्भ में पली !
बाहर की दुनिया देखने को आतुर मेरी आँखे अधखुली
पर मेरे अपनों ने मुझे देखने ही नहीं दी वो दुनिया
दादी को पोता चाहिए था , जो उनका मान बढ़ा सके
और पापा को बेटा चाहिए था , जो उनका वंश चला सके
इस घर में मेरी जरूरत ही नहीं थी
मेरी जिंदगी बस गर्भ के अंधेरो में ही कही थी
अपनों के ही हाथो आज मैं रक्त-रञ्जित हु
तू ही बता ए जननी , मैं कहा सुरक्षित हु ?
चलो आने भी दिया इस दुनिया में तो पाबंदिया कई लगाई
कभी मिली थोड़ी खुशिया तो कभी मिली रुसवाई
मैं फिर भी खुश थी उस घर में जो कभी मेरा था ही नहीं
कही से आयी , कही और जाना था , कोई पता ही नहीं
बहका मन किसी की आँखों में l
किसी की छुअन से फिर पिघलता गया
गुजरा वक्त सब्ज बागो में
वक्त के साथ साथ ये प्यार भी बदलता गया
मोहब्बत के इन रास्तो पर मैं क्यों पथ-भर्मित हु
तू ही बता ए जननी , मैं कहा सुरक्षित हु ?
सफर में एक हमसफ़र जो मिला
तन और मन उसपर वार दिया
जितना भी था प्यार इस दिल में
सब उसपर ही निसार किया
उसने भी कभी समझा नहीं मेरी आजादी को
घर के चार दीवारों कैद किया l
ना जाने कभी इरादे मेरे , ना झांक के देखा मेरे मन में
अपने किये पर न कोई खेद किया
सही होकर भी अब हर जगह मैं क्यों गलत हु
तू ही बता ए जननी , मैं कहा सुरक्षित हु ?
भरने को अपना अधूरापन मैंने कलम चुनी
अब तक सुनती थी सबकी आज पहली बार मन की सुनी
लिखती गयी मैं वो हर किस्से जो मेरी जिंदगी के खूबसूरत पल थे
कुछ किस्सों में था आज छिपा कुछ में बीते कल थे l
सराहा सभी ने जिसने भी पढ़ा
इस सराहना से ही था मेरा होंसला बढ़ा
बनाई एक अलग पहचान अपनी वजूद अपना स्वनिर्मित किया
मर चुकी थी जो ख्वाहिशे उन्हें फिर से जीवित किया l
पर इतना आसान ये सफर कहा था
बीमार मानसिकता वालो को कोई डर कहा था
ना देखी मेरी कलम की खूबी ना लेखन को परखा
बस देखी कुछ तस्वीरें मेरी और मन इनका बहका
फिर लगे देने परिचय अपनी औकात का
अरे ! भई ये मर्द है
इन्हे क्या डर किसी बात का !
मैं यहाँ सबकी बात नहीं कर रही
बस कुछ गिने चुने लोग है जिनका कोई हमराज नही
ये ऐसी बीमारी से ग्रसित है जिसका कोई इलाज नही
कही ऐसा ना हो बन जाओ अपनी ही सोच से तुम रोगी
अरे ! शर्म करो भाईसाहब ,, आपके भी घर में माँ बहन होगी
उन्हें देखकर भी क्या यही ख्याल आता है
नहीं ना !!
तो फिर क्यों एक आजाद खयालो वाली
अपनी धुन में मस्त रहने वाली
लोगो की परवाह न करने वाली पर अपना स्वाधिकार समझ लेते है
क्या हर खूबसूरत चेहरे को देखकर आपको मोहब्बत हो जाती है
तो सुनो !! वो मोहब्बत नहीं ठरक कहलाती है l
और मैं ऐसी मोहब्बत के ख़िलाफ़त हु
तू ही बता ए जननी , मैं कहा सुरक्षित हु ?
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संजना किरोड़ीवाल !!
Very beautiful
मैम आज के परिवेश में बहुत ही विचारनीय रचना👌👌
ना तुम अबला बनों ना हि कमजोर…
जो बुरा करना चाहे कर दो उसका मुहँ तोड़…
जमाने के साथ अपनी सोच बदलना सीखों…
आत्मरक्षा के लिऐ अब तुम लड़ना सीखों!!!
Speechless 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
बहुत ही शानदार….🌷🌷🌷🌷
bahoot badhiyaji
Shandar.. ❤️
Awesome.
awesome
Awesome mam
Apki lekhani me bahot hi khubsurati hai ,bahot hi bhav hai
Wonderful ma’am , Loved the way u expressed all the emotions….Very well written…Where am i safe ? We need we find out the answer.
Bahut hi khubsurat prastuti h ye,,, Log dusro ko sarahte jarur hain pr apne ghar ki hunar ko kahi dabaa dete hain, inki maansikta kaise badli jae,