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Main Teri Heer – 67

Main Teri Heer – 67

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

सुबह अनु ने घर के नोकरो के साथ मिलकर सबके लिए गर्मागर्म गोभी के पराठे बनाये , मुरारी के लिए पराठा वह खुद बनाकर लायी और मुरारी की प्लेट में रख दिया तो मुरारी ने पहला निवाला तोड़कर अनु को ही खिला दिया। अनु मुरारी के बीच सब ठीक है देखकर मुन्ना ने राहत की साँस ली। गौरी के घर जाना था इसलिए शिवम् ने अधिराज जी और बाबा से साथ चलने को कहा लेकिन अधिराज जी ने मना कर दिया क्योकि वे रात में ही बाबा और बाकि कुछ लोगो के साथ मंदिर जाने का प्लान बना चुके थे।


कुछ मेहमान जा चुके थे और कुछ अधिराज जी के साथ मंदिर के लिए निकल गए। अधिराज जी के कहने पर नवीन और मेघना भी उनके साथ चले गए। शिवम् , मुरारी , अनु और सारिका ने गौरी के घर जाने का फैसला किया और वंश मुन्ना तो साथ जा ही रहे थे।

तैयार होकर शिवम् गाडी में आ बैठा , मुरारी , अनु और सारिका भी चले आये। वंश मुन्ना का कोई अता पता नहीं था शिवम् ने घडी में वक्त देखा और कहा,”वंश और मुन्ना कहा रह गए ?”
“मुन्ना बस आ ही रहा है”,अनु ने कहा
“और वंश ? क्या वो साथ नहीं जा रहा ?”,शिवम् ने पूछा
“वो सो रहा है”,सारिका ने धीमे स्वर में कहा क्योकि वह जानती थी शिवम् को वंश का देर तक सोना बिल्कुल पसंद नहीं था


शिवम् ने सारिका को देखा और कहा,”इसे हम आपका लाड़-प्यार समझे या वंश की लापरवाही , ये क्या सोने का वक्त है ?”
“अरे ! जाने दो ना भैया , रात में देर से आये रहय तो सो रहे होंगे,,,,,,,,,छोडो उसे वो बाद में आ जायेगा कौनसा गौरी का घर दूर है ?”,अनु सारिका के बीच में बैठे मुरारी ने कहा लेकिन ये बोलकर उसने गड़बड़ कर दी है ये उसे बाद में याद आया इसके बाद वह शिवम् को इधर उधर की कोई कहानी सुनाने लगा

शीशे के सामने खड़े मुन्ना ने अपनी सफेद शर्ट को जमाया और खुद को एक नजर देखा। आज मुन्ना के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी और वह काफी खुश भी लग रहा था। मुन्ना गौरी के लिए तोहफा लेकर आया था लेकिन सगाई में देना भूल गया था इसलिए आज देने का सोचकर उसने बैग खोला और उसमे रखा तोहफा जैसे ही उठाया मुन्ना की नजर बैग में रखे लिफाफे पर गयी और उसने उसे उठाते हुए कहा,”ये तो हमे शक्ति को देना था , हम ये कैसे भूल गए ?”
मुन्ना ने लिफाफे को मोड़कर पेंट की जेब में रखा और कमरे से बाहर निकल गया।

मुन्ना बाहर आया लेकिन उसके हाथ में बाइक की चाबी थी उसने गाड़ी के पास आकर ड्राइवर से कहा,”आप इन्हे लेकर चलिए हम बाइक से आते है”
“काहे ? तुमहू भी हमरे साथ गाड़ी में चलो”,मुरारी ने कहा
मुन्ना बेचारा खामोश कहे तो क्या कहे ? एक तो सच बोलने वालो के साथ दिक्कत ये कि उनसे जल्दी से झूठ नहीं बोला जाता। मुन्ना को चुप देखकर शिवम् ने कहा,”क्या बात है मुन्ना , तुम हमारे साथ क्यों नहीं आ रहे ?”


“अह्ह्ह बड़े पापा ! हम सब पहली बार गौरी के घर जा रहे है , ऐसे खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लगता तो हमने सोचा क्यों ना हम कुछ मिठाई ले आये”,मुन्ना ने कहा
“जे तो बहुते काम की बात कही तुमने मुन्ना , और मिठाई रस्ते में खरीद लेंगे तुम आओ तो सही,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा


“पापा ! दरअसल वो गौरी को मोतीचूर के लड्डू बहुत पसंद है,,,,,,,और वो दूसरी तरफ है घूमकर जाना पडेगा , आप लोग चलिए हम ले आते है ,, हम आपसे वही मिलेंगे,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने फिर झूठ कहा
“ठीक है , जल्दी आना और ध्यान से,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा और ड्राइवर से चलने को कहा

गौरी का घर , इंदौर
“क्या कर रहे हो जय ये सोफा उधर लगवाओ,,,,,,,,,,,,,मामाजी ये टेबल यहाँ बीच में किसने लगवाई है ? उठ्वाईये इसे यहाँ वो बड़ा वाला सोफा लगेगा,,,,,,,,,,ओह्ह्ह गॉड सब बिखरा पड़ा है , लगता है मुझे ही सब उठाना पड़ेगा”,गौरी ने पुरे घर में यहाँ वहा घूमते हुए कहा
आज गौरी के ससुरालवाले घर आने वाले थे और गौरी चाहती थी उन्हें यहाँ सब परफेक्ट मिले बस इसलिए वह सुबह जल्दी ही गेस्ट हॉउस से घर चली आयी। गौरी की तरफ के मेहमान गेस्ट हॉउस से ही वापस चले गए बस कुछ करीबी लोग थे जो नंदिता के साथ घर चले आये।


जय तो बेचारा सुबह से गौरी के इशारो पर नाच रहा था और साथ ही कल सगाई के फंक्शन के बाद से काफी थका हुआ भी था लेकिन मजाल है गौरी उसे बैठने दे वह उसे एक के बाद एक काम दिए जा रही थी।
काशी जय के पास आयी और कहा,”जय छोडो ये सब और जाकर आराम करो,,,,,,,ये सब हम देख लेंगे”
“थैंक्यू काशी दी , आप कितनी अच्छी है वरना गौरी दीदी ने तो मुझे बोतल से निकला जिन्न बना रखा है एक के बाद एक काम दिए जा रही है।”,जय ने मयूसीभरे स्वर में कहा


“कोई बात नहीं तुम जाओ उसे हम देख लेंगे,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा और जय को वहा से भेजकर खुद गौरी के पास चली आयी। काशी ने अपने हाथ में पकड़ा चाय का कप गौरी की तरफ बढ़ाया और कहा,”ओह्ह्ह मैडम ये पकड़ो चाय और थोड़ा रिलेक्स करो , वैसे भी हमारे घरवाले सिर्फ शादी का मुहूर्त निकालने आ रहे है बारात लेकर नहीं सो थोड़ा चिल करो। खामखा सबको परेशान कर रही हो,,,,,,,,,!!”


गौरी ने चाय का एक घूंठ भरा और कहा,”ओह्ह्ह काशी तुम नहीं समझोगी , मेरी होने वाली सास को सब परफेक्ट दिखना चाहिए ना , यू नो ना तुम्हारी अनु मौसी कितनी यूनिक है अब उनकी होने वाली बहू में भी तो वैसी बात होनी जरुरी है ना,,,,,,,,,,!”
“ऐसा कुछ भी नहीं है , तुम पहले से बहुत यूनिक हो और अनु मौसी को तुम बहुत पसंद हो इसके बाद बाकि चीजे मेटर नहीं करती,,,,,,,,,,,,,और ये क्या तुम अभी तक नहायी नहीं , जल्दी से जाकर नहा लो वे लोग आते ही होंगे,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा तो गौरी ने हाँ में गर्दन हिलायी और फिर चाय पीने लगी।

चाय पीकर गौरी नहाने चली गयी और काशी किचन में आकर नंदिता की मदद करने लगी , क्योकि वह सुबह जल्दी ही नहा चुकी थी। नंदिता ने काशी को किचन में देखा तो कहा,”अरे काशी बेटा ! तुम क्यों परेशान हो रही हो ,, हम सब है ना यहाँ काम करने के लिए तुम जाकर गौरी को देखो वो तैयार हुई कि नहीं,,,,,,,,,,!!”
“गौरी अभी अभी नहाने गयी है आंटी,,,,,,,,,,,अब तो हम यहाँ मदद कर सकते है ना”,काशी ने कहा
“अच्छा ठीक है तुम एक काम करो ये चाय बाहर पंडित जी है उन्हें देकर आ जाओ,,,,,,,,!!”,नंदिता ने ट्रे काशी की तरफ बढाकर कहा


“ठीक है आंटी”,काशी ने ख़ुशी ख़ुशी ट्रे ली और बाहर चली गयी
अधिराज जी के घर से गौरी का घर बस कुछ ही दूर था लेकिन सुबह सुबह ट्रेफिक की वजह से थोड़ा वक्त लग रहा था। गाड़ी ट्रेफिक में आकर रुकी तो मुरारी को मुन्ना की लड्डू वाली बात याद आयी तो उसने शिवम् से कहा,”भैया ! वैसे आपको नहीं लगता मुन्ना गौरी की कुछ ज्यादा ही परवाह करने लगा है,,,,,,,,,,,,,,नहीं मतलब मोतीचूर के लड्डू,,,,,,,,,,,हमने तो ना खाये इंदौर में कभी मोतीचूर के लड्डू”


शिवम् ने गाड़ी में लगे शीशे में मुरारी को देखा और कहा,”फर्क होता है ना मुरारी , जैसे मुन्ना आज गौरी की पसंद के लड्डू लेने गया है वैसे तुमहू भी किसी के साथ मिलके बोतले खाली किया करते थे।”
मुरारी ने सुना तो झेंप गया और अनु की तरफ देखा तो अनु समझ गयी शिवम् क्या कहना चाहता है वह खिड़की से बाहर देखने लगी और मुरारी की गर्दन भी दूसरी तरफ घूम गयी उसे वो दिन याद आ गए जब मुंबई और इंदौर में शादी से पहले उसने कितनी ही बार अनु के साथ बियर पी थी।


ट्रेफिक क्लियर हुआ और गाड़ी आगे बढ़ी। मुरारी ने अब रास्तेभर अपना मुंह बंद ही रखा क्योकि कब उसके मुंह से कुछ उटपटांग निकल जाये और उसकी लंका लग जाये किसे खबर थी ?

कमरे में बिस्तर पर पेट के बल लेटा वंश बिस्तर पर इधर उधर उलट पलट हुआ और फिर अपना फोन देखा। सुबह के 10 बज रहे थे , वंश को याद आया आज तो उसे सबके साथ गौरी के घर जाना था। वह जल्दी से उठकर बैठा और अपनी आँखों को मसलते हुए उबासी लेने लगा। वंश ने अपने फ़ोन में आये कुछ नोटिफिकेशन देखे जिसमे एक मैसेज मुन्ना का भी था।
“जब उठ जाओ तो गौरी के घर आ जाना , हम सब तुम्हे वही मिलेंगे”


“अह्ह्ह्हह लगता है वो लोग मुझे फिर छोड़कर चले गए , सगाई होने के बाद तुम बदल गए हो मुन्ना,,,,,,,,,,,,,सच में”,वंश खुद में ही बड़बड़ाया और फिर उठकर कमरे से बाहर चला आया। हालाँकि घर का नौकर भोला वहा मौजूद था और डायनिंग टेबल साफ कर रहा था। घर में भोला , वंश और निशि के अलावा कोई नहीं था पर वंश को ये बात नहीं पता थी उसे लगा निशि भी बाकि सबके साथ उसे छोडकर घूमने चली गयी है।

वंश ने भोला से एक कप चाय देने को कहा , उसे नहाने जाना था इसलिए उसने अपनी टीशर्ट निकाल दी और बस सिर्फ जींस में घर में घूमने लगा। भोला उसके लिए चाय ले आया तो वंश ने चाय का कप लिया और पीते हुए पीछे बरामदे में चला आया। चाय पीते हुए वह बरामदे में दिवार पर लगी अपने बचपन की तस्वीरों को देखने लगा।
उधर निशि की जब आँख खुली तो उसने पाया कमरे में उसके अलावा कोई नहीं है। वह उठी और मुंह धोकर कमरे से बाहर आयी , उसने डायनिंग साफ करते भोला से पूछा तो उसने बताया सब बाहर गए।


“आप कुछ लेंगी बिटिया ? चाय बना दे आपके लिए ?”,भोला ने बड़े प्यार से निशि से कहा
“नहीं अंकल थैंक्यू ! आप काम कीजिये मैं खुद ले लुंगी,,,,,,!!”,कहते हुए निशि डायनिंग की तरफ चली आयी जहा शीशे के जग में जूस रखा था। निशि ने गिलास में जूस भरा और पीते हुए उसी बरामदे की तरफ चली आयी जहा वंश था। निशि को नहीं पता था उसके अलावा वंश भी यहाँ है इसलिए वह जैसे ही बरामदे से आयी वंश उसकी तरफ एकदम से पलटा और निशि के हाथ में पकड़े गिलास का बचा हुआ जूस वंश के नंगे बदन पर जा गिरा।

“अह्ह्ह्ह ये क्या किया तुमने ?,,,,,,,अंधी हो क्या देखकर नहीं चल सकती,,,,,,,,,पूरा जूस गिरा दिया मुझ पर,,,,,,,,,!!”,वंश चिल्लाया
निशि जो कि अचानक हुई इस भिड़ंत से पहले ही घबरा गयी थी वंश के चिल्लाने से और डर गयी लेकिन वंश सामने हो और निशि अपनी गलती मान ले ये तो इस जन्म में मुमकिन नहीं था उसने वंश को बिना टीशर्ट देखा और पलटकर कहा,”छी तुम्हे शर्म नहीं आती घर में ऐसे नंगे घूमते हुए,,,,,,,,,,!!”


“नंगा ? कौन नंगा ? ओह्ह्ह हेलो कपडे पहने है मैंने और मैं बस नहाने जा रहा था कि तुम एकदम से आ गयी,,,,,,,,,,,ऊपर से ये बेकार जूस मेरे ऊपर गिरा दिया,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा
निशि ने सुना तो पलटी लेकिन कपडे तो वंश के शरीर पर अब भी नहीं थे इसलिए उसने झुंझलाते हुए कहा,”तुम इसे बेकार कैसे बोल सकते हो ? तुम्हारी चाय से तो बेटर था वो जूस,,,,,,,,,,,,,,!!”
 “जिस जूस को द निशि शर्मा पी रही हो वो अच्छा कैसे हो सकता है ? वो जूस तो बेकार था ही तुम्हारी पसंद भी बेकार है,,,,,,,,,,,,,,अब हटो मेरे रास्ते से,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि को साइड कर जाते हुए कहा


“ओह्ह्ह रियली मेरी पसंद बेकार है तो फिर सबसे बेकार तो तुम हुए,,,,,,,,,,!!”,निशि ने गुस्से से पैर पटकते हुए कहा
वंश ने जो पसंद की बात कही उसके जवाब में निशि ने वंश को बेकार कहा जिसका मतलब था कि वंश भी तो निशि की पसंद था। निशि गुस्से गुस्से में बोल गयी लेकिन वंश के कदम ठहर गए वह पलटा और निशि के पास आकर कहा,”अभी तुमने क्या कहा ? तुम कहना चाहती हो कि तुम मुझे पसंद करती हो,,,,,,,!!”
निशि जो की वंश से गुस्सा थी उसने वंश को पीछे धकियाते हुए कहा,”भाड़ में जाओ,,,,,,,!!”


निशि वहा से चली गयी और वंश ने कहा,”हे ! निशि क्या ये सच है ? बेकार पसंद,,,,,,,,,,,,.”,वंश ने पहले तेज आवाज में कहा और फिर मुस्कुराते हुए धीमे स्वर में कहने लगा,”यानि मैं , ओह्ह्ह निशि तुम्हारी पसंद सच में बेकार है,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह पर बहुत अच्छी है”

मुन्ना बाइक लेकर दूसरे रस्ते से निकल गया लेकिन मिठाई लेने नहीं बल्कि शक्ति से मिलने।

मुन्ना शक्ति के घर आया , घर का दरवाजा खुला था ये देखकर मुन्ना शक्ति को आवाज देते हुए अंदर आया लेकिन शक्ति का कोई जवाब नहीं आया। मुन्ना को लगा शक्ति अपने कमरे में होगा इसलिए मुन्ना उसके कमरे में आया लेकिन शक्ति वहा भी नहीं था।
“शक्ति,,,,,,,,,,,,शक्ति,,,,,,,,,,,!!”,हमउम्र होने की वजह से मुन्ना शक्ति को उसके नाम से ही पुकारता था
शक्ति का कोई जवाब नहीं आया और आता भी कैसे उस वक्त शक्ति वहा नहीं था। मुन्ना जाने के लिए जैसे ही मुड़ा उसकी नजर कमरे के कोने में बने दरवाजे पर पड़ी।

मुन्ना का मन अजीब बेचैनी से घिर गया। वह उस दरवाजे की तरफ आया और देखा वह बाहर से बंद है। मुन्ना के मन में एक साथ कई विचार चलने लगे उसने दरवाजा खोला और जैसे ही अंदर आया उसके चेहरे का रंग उड़ गया और आँखों में सवाल तैरने लगे। वह सामने कुर्सी पर बंधे उस शख्स को देखने लगा जिसके हाथ पैर कुर्सी से बंधे थे और मुंह पर पट्टी लगी थी।

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