Main Teri Heer – 66
Main Teri Heer – 66

वंश ने मुरारी को तो अनु के गुस्से से बचा लिया लेकिन खुद नवीन की नजरो से नहीं बच पाया। वही अनु को भी वंश बदला बदला नजर आ रहा था। कमरे का दरवाजा बंद करके अनु जैसे ही मुरारी से बात करने बिस्तर की तरफ आयी मुरारी ने आँखे बंद कर ली और खर्राटे लेने लगा। अनु को लगा मुरारी सो चुका है तो उसने मुरारी के सर के नीचे तकिया लगाया और कम्बल ओढ़ाकर उसके बगल में बैठ गयी।
“एकदम से इतना प्यार दिखा रही है लगता है कुछ चल रहा है इसके दिमाग में , कही जे हमरा गला दबाने का तो नहीं सोच रही है।”,मुरारी ने मन ही मन घबराते हुए खुद से कहा लेकिन बिस्तर पर शांत लेटा रहा
अनु ने देखा सोते हुए मुरारी कितना मासूम लग रहा था उसने अपना हाथ मुरारी के सर की तरफ बढ़ाया और धीरे धीरे सहलाने लगी। मुरारी को अनु से इसकी जरा भी उम्मीद नहीं थी , मुरारी के सर को सहलाते हुए अनु धीमे स्वर में खुद से कहने लगी,”लगता है मैंने मुरारी पर कुछ ज्यादा ही गुस्सा कर दिया तभी तो मुरारी ने ऐसा कदम उठाया वरना मुरारी अपने ससुराल में शराब पिये ये तो मुमकिन ही नहीं है। मैं जानती हूँ मुरारी तुम जो करते हो वो बस मस्ती मजाक में होता है पर मैं क्या करू , मैं तुम्हे किसी और से नहीं बाँट सकती और इस उम्र में तो बिल्कुल नहीं,,,,,,,,,,,,,उर्वशी का यहाँ आना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा ,
सच कहु तो वो औरत मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है ,, उसे देखकर ही एक नेगेटिव वाइब आती है। मैं तुम पर भरोसा करती हूँ मुरारी पर हो तो तुम भी एक मर्द ही ना कब फिसल जाओ कौन जानता है ? आई ऍम सॉरी मैंने तुम पर गुस्सा किया , तुम्हे हर्ट किया,,,,,,,,कल सुबह मेरे जानू को अपने हाथो से गोभी के पराठे बनाकर खिलाऊंगी,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने जैसे ही सुना उसके मुंह में पानी आ गया , उसका दिल किया अभी उठकर अनु को गले लगा ले लेकिन मुरारी इन पलों को बर्बाद करना नहीं चाहता था। कभी कभी तो उसे अनु का ये प्यार देखने को मिलता था।
मुरारी शांति से आँखे बंद किये लेटे रहा। अनु प्यार से मुरारी को देखती रही और फिर अपने होंठो से मुरारी के माथे को छूकर कहा,”सुधर जाओ मिश्रा जी , ससुर बनने वाले हो आप,,,,,,,,,,!!”
“अरे हम ससुर बने या असुर रहेंगे तुम्हारे मुरारी ही,,,,मुह्हह्हा , काश हमने जे सोने का नाटक ना किया होता तो डायरेक्ट गालो पर चुम्मी दे रहे होते,,,,,,,,,लेकिन अब अगर जागे और तुमको पता चला हम सोने का नाटक कर रहे थे तो हमरा सर फूटना पक्का समझो,,,,,,,,,!!,मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया
कुछ देर बाद अनु भी सोने चली गयी और नींद में या यू कहे जान बूझकर मुरारी उसकी तरफ पलटा और अनु को अपने करीब करके सो गया। अनु मुस्कुरा उठी , मुरारी को लेकर जो गुस्सा उसके मन में था वो अब खत्म हो चुका था।
नवीन वंश को अपने साथ लेकर चला गया और उसे अपने कमरे में ही सुला लिया ताकि उस पर नजर रख सके। बेचारा वंश नाटक करने के चक्कर में फंस गया और उसे वही सोना पड़ा। कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी लेकिन निशि की आँखों से नींद कोसो दूर थी , उसे वो सारे पल याद आ रहे थे जो कुछ देर पहले उसने वंश के साथ बिताये थे। भले ही उन दोनों के बीच हजार झगडे हो लेकिन कुछ खूबसूरत पल भी थे जो इस रिश्ते को बाकि रिश्तो से अलग बनाते थे। वंश और निशि एक दूसरे को गुस्सा दिलाते , छेड़ते , परेशान करते थे लेकिन साथ ही उन्हें एक दूसरे की परवाह भी थी।
बिस्तर पर लेटी निशि मुस्कराते हुए सोच में डूबी थी , पास ही में लेटी सारिका की नजर निशि पर पड़ी तो उसने धीरे से कहा,”निशि ! क्या बात है बेटा ?”
सारिका की आवाज से निशि की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अह्ह्ह्ह क कुछ नहीं कुछ नहीं आंटी,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म , सो जाओ रात बहुत हो चुकी है”,सारिका ने प्यार से कहा
“जी , गुड नाईट आंटी,,,,,,,!!”,निशि ने कहा और अपनी आँखे मूंद ली
“गुड नाईट बेटा,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा और फिर मन ही मन खुद में बड़बड़ाई,”बनारस में जिस निशि से हम मिले थे वो निशि कोई और थी , यू अकेले में कुछ सोचकर ऐसे मुस्कुराना,,,,,,,,,,,,, लगता है बच्चे बड़े हो रहे है।”
कुछ देर बाद सारिका की भी आँख लग गयी और वह सो गयी
गौरी को घर छोड़कर मुन्ना घर आया उसने गाड़ी को साइड में लगाया और जैसे ही अंदर आया दरवाजे के पास खड़े शिवम् को देखकर मुन्ना थोड़ा घबरा गया और हैरान भी हुआ की शिवम् अब तक क्यों जगा हुआ है ?
मुन्ना शिवम् के पास आया तो शिवम् ने कहा,”इतनी रात में कहा से आ रहे हो मुन्ना ?”
“अगर हमने बड़े पापा को बताया कि हम गौरी को घर छोड़कर आ रहे है तो हमे इस एक सच के साथ 10 झूठ और बोलने पड़ेंगे,,,,,,,,,,माफ़ करना महादेव हमे बड़े पापा से झूठ कहना पडेगा”,मुन्ना ने मन ही मन खुद से कहा
“तुम ठीक हो ?”,शिवम् की आवाज से मुन्ना की तंद्रा टूटी वह चौंका और कहा,”हाँ , वो हम किसी दोस्त से मिलने गए थे।”
शिवम् ने मुन्ना को ऊपर से नीचे तक देखा , वह समझ गया मुन्ना झूठ बोल रहा है इसलिए शिवम् ने मुन्ना के कंधो पर हाथ रखा और कहा,”आओ ! तुम से कुछ बात करनी है।”
बेचारा मुन्ना शिवम् की ये बात सुनकर अंदर ही अंदर घबरा गया , उसके हलक से कोई आवाज ही नहीं निकली और वह शिवम् के साथ बाहर लॉन की तरफ चला आया। शिवम् ने मुन्ना के साथ चलते हुए कहा,”मुन्ना ! जब तुम्हारी बड़ी माँ से हमारी शादी तय हुई थी तब हम भी उनसे बार बार मिलने के बहाने ढूंढा करते थे। सगाई और शादी के बीच का ये वक्त ही कुछ ऐसा होता है जिसमे हम अपने जीवनसाथी के साथ पूरी जिंदगी एक साथ ही जी लेना चाहते है। उस वक्त में हमे सब अच्छा लगता है , अगर वो गलत भी करे तो सही लगता है , गुस्से से ज्यादा प्यार आता है , गौरी को लेकर तुम्हारी भावनाये समझ सकते है और गौरी की भावनाये वो तो छुपाये नहीं छुपती,,,,,,,,,,,,,!!!”
शिवम् के मुंह से ये सब बाते सुनकर मुन्ना हैरानी से उसे देखने लगा। शिवम् ने कितनी आसानी से मुन्ना के चेहरे के भावो को पढ़ लिया और साथ ही उसके झूठ को भी पकड़ लिया। उसने हैरानी से शिवम् को देखा तो शिवम् ने मुन्ना की तरफ देखकर कहा,”तुम्हारी वो दोस्त “गौरी” ही है न ?”
बेचारा मुन्ना क्या कहे ? शर्म से सर खुजाने लगा तो शिवम् मुस्कुराया और कहा,”मुन्ना ! तुम हमारे सबसे प्यारे बच्चे हो , तुमने कभी हमारी किसी बात को काटा नहीं है , हमेशा बड़ो का और अपने से छोटो का सम्मान किया है , तुमने हमेशा हमे प्राउड फील करवाया है,,,,,,,,और एक पिता होने के नाते हम तुम्हारी भावनाये समझ सकते है बस गौरी से कहना अगली बार घर आये तो दरवाजे से आये खिड़की से नहीं,,,,,,,,,,,,वो अब इस घर की होने वाली बड़ी बहु है,,,,,,,,!!”
मुन्ना एक बार फिर हैरान था इसका मतलब गौरी यहाँ आयी थी ये बात शिवम् को पता थी ,
“हमे माफ़ कर दीजिये हमने आपसे झूठ कहा,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने मायूस होकर कहा
शिवम् ने मुन्ना के गाल को थपथपाया और कहा,”मर्द जब मोहब्बत में होता है तो उसके मुंह से ऐसे झूठ अच्छे लगते हैं,,,,,,,,,रात बहुत हो गयी है जाओ जाकर सो जाओ , सुबह गौरी के घर भी जाना है”
“गौरी के घर क्यों ?”,मुन्ना ने अनजान बनते हुए कहा
“ताकि तुम्हारी और गौरी की शादी का मुहूर्त निकलवा सके , वरना मिश्रा खानदान की बहू इतनी रात में खिड़की से आती जाती अच्छी लगेगी ?”,शिवम् ने कहा तो मुन्ना शरमा कर दूसरी तरफ देखने लगा और शिवम् वहा से चला गया।
मुन्ना मुस्कुरा उठा शिवम् इतना कठोर भी नहीं था जितना सब उसे बताते थे,,,,,,,,,,,,मुन्ना कुछ देर बाहर रुका और फिर सोने चला गया।
अगली सुबह , विक्रम का घर
कबीर की तबियत में काफी सुधार था इसलिए आज वह नाश्ता करने के लिए डायनिंग टेबल पर मौजूद था। कबीर के अलावा वहा कबीर की माँ और विक्रम भी मौजूद था। तीनो खमोशी से अपना अपना नाश्ता कर रहे थे। नाश्ता करते हुए विक्रम ने कबीर को देखा और कहा,”अब तुम्हारी तबियत कैसी है बेटा ?”
“मैं ठीक हूँ पापा”,कबीर ने कहा तो विक्रम ने अपना ध्यान नाश्ते में लगा लिया
कबीर ने अपने बगल में बैठी अपनी माँ को देखा और विक्रम से बात करने का इशारा किया। कबीर की माँ ने एक गहरी साँस ली और कहा,”कल रात आप कहा थे ?”
विक्रम ने सुना तो खाते खाते रुक गया और हाथ में पकडे चम्मच को प्लेट में पटककर अपनी पत्नी शालू ने कहा,”मत भूलो शालू मैं एक बिजनेसमैन हूँ जिसके लिए मुझे दिन रात काम करना पड़ता है , ये जो इस आलिशान घर में बैठकर तुम खाना खा रही हो वो उसी बिजनेस के पैसो से आता है।”
शालू ने विक्रम को देखा और कहा,”घर परिवार से बनता है और आपके पास अपने परिवार के लिए भी वक्त नहीं है। विराज भैया आपसे मिलने हॉस्पिटल आये थे लेकिन आप अपने काम में इतना व्यस्त है कि आपको किसी की परवाह नहीं अपने बेटे और पत्नी की भी नहीं,,,,,,!!”
विक्रम ने सुना तो उसे गुस्सा आया और उसने अपने सामने रखी प्लेट को हाथ से साइड में फेंकते हुए कहा,”मैं सुबह सुबह यहाँ तुम्हारे सवालों का जवाब देने के लिए नहीं बैठा हूँ,,,,,,,,,,,,,क्या कमी है तुम्हे इस घर में , तुम्हे जो चाहिए वो सब मिल तो रहा है,,,,,,,,,,,!!”
“पापा,,,,,,,,!!”,विक्रम को अपनी माँ पर चिल्लाते देखकर कबीर ने उठकर गुस्से से कहा
कबीर का यूँ आँखे दिखाना और बीच में बोलना विक्रम को पसंद नहीं आया उसने खींचकर एक तमाचा कबीर के गाल पर रसीद करते हुए कहा,”मत भूलो मैं तुम्हारा बाप हूँ,,,,,,,,,!”
उस थप्पड़ की गूंज इतनी तेज थी कि सामने से घर के अंदर आती नीलिमा के कदम भी रुक गए तो वही शालू का हाथ दुःख और हैरानी में अपने मुंह पर चला गया।
कबीर ने नीलिमा को देखा और वहा से चला गया। शालू ने विक्रम को देखा और कहा,”ये क्या हो गया है आपको विक्रम ? आपने अपने जवान बेटे पर हाथ उठाया,,,,,,,,,!!”
“कान खोलकर सुन लो शालू , मेरे मामले में बोलने का हक़ ना तुम्हे है ना तुम्हारे बेटे को मत भूलो तुम मेरी दूसरी पत्नी हो और,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते विक्रम रुक गया क्योकि सामने नीलिमा खड़ी थी। शालू की आँखे आंसुओ से भरी हुई थी।
विक्रम ने कुर्सी पर पड़ा अपना बैग और फोन उठाया और वहा से चला गया। विक्रम को गुस्से में देखकर नीलिमा खामोश थी। वह शालू के पास आयी और उन्हें सम्हालते हुए कहा,”आंटी,,,,,,,,,,,,आप ठीक हो न ?”
शालू ने अपनी आँखों में आये आंसुओ को पोछा और कहा,”हम्म्म मैं ठीक हूँ , तुम ये नाश्ता कबीर के लिए ले जाओगी प्लीज,,,,,,,!!”
“हम्म्म ठीक है”,नीलिमा ने कहा और कबीर की प्लेट लेकर वहा से चली गयी।
नीलिमा कबीर के कमरे में आयी तो देखा कबीर बालकनी में पड़ी कुर्सी पर उदास बैठा है। नीलिमा उसके पास आयी और दूसरी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”तुम्हारे डेड ने जो किया तुम उस बारे में सोचकर अपना दिल छोटा मत करो , उन्होंने गुस्से में आकर तुम पर हाथ उठा दिया,,,,,,,,!!”
“मुझे अपने लिए बुरा नहीं लग रहा बल्कि माँ के लिए बुरा लग रहा है , पापा पिछले कई सालो से उनके साथ जिस तरह से पेश आ रहे है वो सब देखकर ही मेरा खून खौलता है लेकिन मैं हर बार माँ की वजह से चुप हो जाता हूँ।
आखिर ये सब कब तक चलेगा नीलू , सच बताऊ तो मुझे अब इन सब से घुटन होने लगी है , अच्छा होता अगर उस कार एक्सीडेंट में मेरी मौत,,,,,,,,,,!!”,कबीर ने कहा लेकिन वह आगे बोल पाता इस से पहले ही नीलिमा ने उसके मुंह पर हाथ रखकर उसे आगे बोलने से रोक दिया और कहा,”कबीर ! कैसी बाते कर रहे हो ? अगर तुम्हे कुछ हो गया तो आंटी का क्या होगा ? छोडो इन बातो को और ये नाश्ता करो उसके बाद मुझे तुम्हे कुछ बताना है,,,,,,,!!”
“क्या नीलू ?”,कबीर ने पूछा
“पहले ये नाश्ता खत्म करो उसके बाद बताउंगी,,,,,,,चलो फटाफट इसे खत्म करो , और ये कमरे का क्या हाल बना रखा है तुमने ? इसे देखकर लगता नहीं यहाँ इंसान रहते है,,,,,,!!”,कहते हुए नीलिमा कबीर के कमरे में बिखरा सामान समेटने लगी और कबीर विक्रम का गुस्सा भूलकर नाश्ता करने लगा।
नाश्ता करने के बाद कबीर कमरे में आया और बिस्तर पर बैठते हुए कहा,”नीलू अब बताओ तुम मुझे क्या बताने वाली थी ?”
नीलिमा कबीर के पास आयी और अपना फोन कबीर की तरफ बढाकर कहा,”ये देखो ! ये पार्टी वाली रात का फोटो है जिसमे मैं , रिया और बाकि फ्रेंड्स है”
“हाँ लेकिन तुम ये मुझे क्यों दिखा रही हो ?”,कबीर ने असमझ की स्तिथि में कहा
नीलिमा उसके पास आकर बैठी और फोटो को थोड़ा जूम करके कहा,”ये देखो उस रात किसी ने तुम्हारी ड्रिंक में कुछ मिलाया था”
“तुम इतना यकीं से कैसे कह सकती हो ?”,कबीर को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था
“कबीर तुम्हे याद होगा उस रात हम सबने वोडका आर्डर किया था लेकिन तुमने कहा तुम आज ड्रिंक करना नहीं चाहते इसलिए तुम्हे ऑरेंज जूस आर्डर किया था,,,,,,,,,,रिमेम्बर ?”,नीलिमा ने कबीर को याद दिलाते हुए कहा
कबीर ने अपने दिमाग पर जोर डाला और याद करने की कोशिश की तो उसे सब याद आया , उसने फोटो को एक बार फिर ज़ूम करके देखा वो किसी आदमी का हाथ लग रहा था जिसके हाथ में एक सिल्वर ब्रासलेट था जिसके बीचो बीच एक काले रंग का मोटी था।
कबीर उस हाथ को नहीं पहचान पाया और नीलिमा से कहा,”ये कौन हो सकता है ?”
“यही पता लगाने तो मैं तुम्हारे पास आयी हूँ , अगर हम क्लब चलकर उस रात का फुटेज देखे तो हमे पता चल सकता है। हो ना हो कबीर कोई है जो तुम्हे इन सब में फ़साने की कोशिश कर रहा है।”,नीलिमा ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“मैं जानता हूँ वो कौन हो सकता है ?”,कबीर ने नफरत भरे स्वर में कहा
“कौन ?”,नीलिमा ने पूछा
“विराज सिंह चौहान,,,,,,,,,!!”, कबीर ने कहा
“ये कौन है ?”,नीलिमा ने पूछा क्योकि वह किसी विराज को नहीं जानती थी
“वो सब मैं तुम्हे बाद में बताऊंगा पहले हमे इस आदमी को ढूंढने की जरूरत है , और मुझे यकीन है ये मिल गया तो बाकि सबके चेहरों से भी नकाब उतर जायेगा”,कबीर ने कहा और निलिमा के साथ वहा से निकल गया
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संजना किरोड़ीवाल


Welcome back Sanjna ji… umeed hai aapka hath thik hoga… Murari ne neend m sone ka jo natak kiya tha ..wo uske kaam aaya… Anu ne usko maaf bhi kiya aur pyar bhi…par bechara Vansh fans gaya Naveen ji k sath…i think Naveen jo ko ek baar khud se Vansh aur Nishi k rishte ko gor se dekhna chahiye…kya pta tab unko dono k rishton ka sach pta chale…halaki Vansh aur Nishi ek dusre k pyar m hote huye bhi anjaan hai…kya Munna ki shadi m dono ko pyar ka inraar ho jaye…but usme abhi kafi der hai…lakin Kabir ko padh kar laga hai ki wo ek saaf character hai…aur Nilima bhi…but kabir ka baap Vikram utna hee ghatiya aur shatir insaan hai…dekhte hai ki Kabir aur Nilima uss aadmi ko dhoond pate hai ya nhi
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