Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 60

Main Teri Heer – 60

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

उर्वशी जानती थी जिन लोगो के लिये वह काम करती है वही चौहान साहब और विक्रम उसे बस इस्तेमाल कर रहे है लेकिन विक्रम और चौहान साहब को इसकी खबर नहीं थी कि उर्वशी सब सच जानती है। ड्रिंक करने और खाना खाने के बाद विक्रम और चौहान साहब वहा से चले गए। उर्वशी के साथ साथ ख़तरा अब शक्ति पर भी मंडरा रहा था। शक्ति के लिये चौहान साहब क्या जाल बिछाने वाले थे ये तो सिर्फ वही जानते थे। उन्होंने विक्रम से घर जाने को कहा और खुद भी होटल चले आये।

उर्वशी भी उसी होटल में ठहरी है ये बात चौहान साहब को नहीं पता थी। वे अपने कमरे में चले आये। कमरे में आकर चौहान साहब ने अपने पी.ए. यादव को फोन लगाया।
“हेलो यादव ! इंदौर आने से पहले मैंने तुम्हे जो काम कहा था वो पूरा हुआ ?”,चौहान साहब ने पूछा
“सर मैंने अपने आदमी बनारस भेजे थे लेकिन मुरारी मिश्रा के घर में उन्हें कोई सबूत नहीं मिला”,यादव जी ने कहा
“क्या बकवास है ? अगर वो सबूत मुरारी के घर में नहीं है तो कहा है ? तुमने आदमी भेजे तुम खुद वहा क्यों नहीं गए ?”,चौहान साहब ने गुस्से से चिल्लाकर कहा तो यादव जी के माथे पर पसीना चमकने लगा


“सर मैं दिल्ली में आपके इलेक्शन की तैयारियों में बिजी था,,,,,,,,,,!!”,यादव जी ने डरते डरते कहा
“यादव इलेक्शन तो मैं तब लडूंगा ना जब कुर्सी बचेगी,,,,,,,,,,उन सबूतों का मिलना हमारे लिये बहुत जरुरी है।”,चौहान साहब ने कहा
“मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ सर,,,,,,,!!”,यादव जी ने कहा
“कोशिश नहीं यादव 2 दिन के अंदर अंदर मुझे वो सबूत चाहिए वरना याद रखना सबसे पहले तुम्हारी कुर्सी जायेगी !”,कहकर चौहान साहब ने फोन काट दिया और बिस्तर पर लेट गए।


“छ : कितनी वाहियात नौकरी है , पढ़े लिखे होने के बावजूद भी मुझे इन जैसे जाहिल नेताओ की चार बातें सुननी पड़ रही है। एक बार वो सबूत मेरे हाथ लग जाए उसके बाद मैं खुद ये राजनीती का दलदल छोड़ दूंगा”,यादव जी ने गुस्से से कहा और घर के लिये निकल गए।

अधिराज जी अपने पुरे परिवार के साथ घर चले आये। कुछ रिश्तेदार वही गेस्ट हॉउस में रुक गए और कुछ अधिराज जी के घर चले आये। वंश निशि से बात करना चाहता था लेकिन नवीन के सामने वह निशि से कैसे बात करे ? कपडे बदलने के बाद कुछ लोग हॉल में चले आये और कुछ सोने चले गए।

अध्रिराज जी , बाबा , राधिका के पति , नवीन , शिवम् और मुरारी के बिस्तर एक कमरे में लगे हुए थे तो वही आई , सारिका , अनु , मेघना , राधिका , निशि और अंजलि का बिस्तर एक कमरे में लगा था। मुन्ना और वंश काशी के कमरे में थे क्योकि काशी गौरी के साथ गेस्ट हॉउस रुक गयी थी। निशि , वंश , मुन्ना , अंजलि , राधिका और अनु हॉल में एक तरफ बैठे थे और अधिराज जी बाबा , शिवम् और मुरारी के साथ एक तरफ। नवीन और राधिका के पति सोने जा चुके थे। नवीन को नींद नहीं आ रही थी उसके जहन में वंश और निशि का ही ख्याल आ जा रहा था।

वंश सोफे से उठा और नीचे जमीन पर अनु के पास आ बैठा जिस से सामने बैठी निशि को देख सके। बहाने के लिये उसने अनु से कह दिया कि उसके सर में दर्द हो रहा है तो अनु सबसे बातें करते हुए उसका सर दबाने लगी। निशि और अंजलि वंश के बिल्कुल सामने ही बैठी थी और दूसरी तरफ मुन्ना और राधिका बैठे थे। मुन्ना अभी भी गौरी को लेकर सोच में डूबा हुआ था अनु ने देखा तो कहा,”मुन्ना ! क्या बात है बेटा ? कहा खोये हो ?”
मुन्ना की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अह्ह्ह कही नहीं माँ , बस थोड़ा थक गए है।”
मुन्ना ने झूठ कह दिया।


“एक काम करो तुम जाकर सो जाओ,,,,,,,,,अपना चेहरा देखो थकान की वजह से कैसे उतर गया है , जाओ तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो”, राधिका ने प्यार से मुन्ना के गाल को छूकर कहा
मुन्ना उठा और वहा से चला गया। अधिराज जी के साथ बैठे मुरारी ने देखा अनु हॉल में दूसरी तरफ बैठी है उस से बात करने का ये अच्छा मौका है सोचकर मुरारी उठा और उठा और अनु की तरफ आते हुए कहा,”चाय पीने का बड़ा मन हो रहा है , वंश चाय पी हो ?”,


“चाय के लिये कौन मना करता है मुरारी चचा ?”,वंश ने अनु के सामने से उठकर उसके बगल में बैठते हुए कहा
“तुम्हरी मौसी से अच्छी चाय कोई नहीं बना सकता , अनु एक एक कप चाय हो जाये ?”,मुरारी ने अनु को मनाने की कोशिश करते हुए कहा पर अनु शायद मुरारी से मुरारी से कुछ ज्यादा ही गुस्सा थी इसलिये कहा,”वंश इनसे कह दो अगर इतना ही मन है तो खुद बनाकर पी ले ,या अपने चाहने वालो को बुला ले वे इनके लिये चाय भी बना देगी और इनका दिल भी बहला देगी”


वंश ने सुना तो बेचारगी से मुरारी की तरफ देखा और इशारो इशारो में कहा,”लगता है कुछ ज्यादा ही गुस्से में है।”
अनु मुरारी के झगडे की भनक अब तक वहा बैठी राधिका , अंजलि और निशि को भी लग चुकी थी इसलिये राधिका ने उठते हुए कहा,”अरे मुरारी भैया ! भाभी के हाथ की चाय तो आप रोज ही पीते है आज ना हम आपको अपने हाथो से बनी चाय पिलाते है ,, आप बैठिये हम सबके लिये चाय लेकर आते है।”

राधिका निशि के बगल में ही बैठी थी वह जैसे ही उठी वंश निशि के बगल में बैठने का सोचकर उठा लेकिन वंश की फूटी किस्मत वह निशि के बगल में बैठ पाता इस से पहले ही नवीन वहा आया और निशि के बगल में बैठते हुए कहा,”राधिका बहन एक कप चाय मैं भी लेना चाहूंगा”
“अरे अंकल आप अभी तक जाग रहे है ?”,वंश ने वापस अनु के बगल में बैठते हुए कहा
“तुम मुझे सुलाना चाहते हो क्या वंश ?”,नवीन ने उलटा सवाल किया


“जैसी बेटी वैसा बाप,,,,,,,,,,,,ये लोग किसी बात का सीधा जवाब क्यों नहीं देते ?”,वंश बड़बड़ाया
“अरे छोटे मामाजी ! आप खड़े क्यों है बैठिये ना”,अंजलि ने कहा तो मुरारी सोफे पर आ बैठा उसके और अनु के बीच वंश बैठा था। मुरारी सबके सामने उसे उठने के लिये भी नहीं कह सकता था।
घूमते घामते सारिका भी वहा चली आयी। उसने जब नवीन को वहा बैठे देखा तो खुद भी वहा आकर बैठ गयी और सबके साथ बातें करने लगी। अनु सारिका के सामने जताना नहीं चाहती थी कि वह मुरारी से नाराज है इसलिये जबरदस्ती हसने मुस्कुराने लगी।

वंश ने देखा निशि उस पर ध्यान ही नहीं दे रही है , सबके सामने वह निशि से बात भी नहीं कर सकता था इसलिए उसने अपना फोन उठाया और उसमे एक मैसेज टाइप करके निशि को भेज दिया।
“तुम इतने बोरिंग लोगो के बीच कैसे बैठ सकती हो ?” निशि ने मैसेज देखकर सामने बैठे वंश को देखा और अपने फोन में जवाब टाइप करके भेज दिया


“बोरिंग लोगो को सब बोरिंग ही लगता है” वंश ने मैसेज पढ़ा और जल्दी जल्दी में मैसेज टाइप करके भेजा
“गिव मी योर 30 मिनट्स फिर मैं दिखाता हूँ मैं बोरिंग हूँ या नहीं ?” निशि ने मैसेज देखा और वंश को देखकर अपना एक आई ब्रो ऊपर करके जवाब टाइप करने लगी
“ठीक है दिये तुम्हे 30 मिनट्स,,,,,,,,,,,,और अगर तुम हारे तो कल पूरा दिन तुम मुझे परेशान नहीं करोगे ?” मैसेज पढ़कर वंश मुस्कुराया।  


“क्या बात है साहबज़ादे फोन में देखकर बड़ी मुस्कान आ रही है तुम्हारे चैहरे पर , ऐसो का देख लिओ फोन मा ?”,मुरारी ने वंश के हाथ से फोन छीनते हुए कहा
निशि के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये कही मुरारी ने उसकी और वंश की चैट पढ़ ली तो प्रॉब्लम हो जायेगी। सारिका और नवीन भी मुरारी को ही देख रहे थे कि आखिर मुरारी ने वंश के फोन में ऐसा क्या देख लिया ?


“जे अंग्रेजी में कुछो लिखा है हमरी समझ से तो बाहर है।”,मुरारी ने वंश का फोन वापस उसकी तरफ बढ़ा दिया। निशि ने राहत की साँस ली।
वंश ने एक मैसेज टाइप किया और निशि को भेजकर वहा से चला गया।

“वंश चाय आ रही है ?”,मुरारी ने कहा
“इतनी रात में चाय कौन पीता है ? माँ मैं सोने जा रहा हूँ,,,,,,,,,,गुड नाईट”,कहते हुए वंश वहा से चला गया
“अजीब लड़का है अभी थोड़ी देर पहले कह रहा था कि चाय के लिये ना कौन कहता है ?”,मुरारी बड़बड़ाया
“मुरारी भैया ! नंदिता जी से बात हुई आपकी , शादी के लिये क्या कह रही है वो ?”,सारिका ने कहा
“अरे भाभी ! उन्होंने कल सुबह हम सबको घर बुलाया है , उन्होंने कहा पंडित जी को भी घर बुला लेंगी और सबसे सलाह मशवरा करके शादी का कोई अच्छा सा मुहूर्त कल ही निकलवा लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा


“अनु तुम बताओ तुम्हारा क्या ख्याल है ?”,सारिका ने अनु से पूछा जो कि खामोश बैठी थी
“दी आई बाबा और आपके जीजू के रहते मैं क्या सोच सकती हूँ , आप लोग जो फैसला करे,,,,,,,,,,शादी की डेट निकलवाने से पहले बस हमे एक बार मुन्ना से भी पूछ लेना चाहिए बाकि आप सबको जो ठीक लगे।”,अनु ने कहा
“अरे मुन्ना से का पूछना है ? आज सगाई में गौरी के साथ वो जितना खुश था उसे देखकर तो लगता है वो कल ही शादी करके गौरी को बनारस ले आये।”,मुरारी ने कहा तो सभी हंसने लगे।


निशि ने वंश का भेजा मैसेज देखा “घर से बाहर आकर मुझसे मिलो”
निशि उठी और कहा,”पापा मैं सोने जा रही हूँ,,,,,,,,,,,”  
“मैं भी चलती हूँ , मैं बड़ो के बीच बैठकर क्या करुँगी ?”,अंजलि ने भी उठते हुए कहा
“हाँ हाँ बेटा चलो , मैं भी चलता हूँ”,नवीन ने जैसे ही उठते हुए कहा सारिका ने कहा,”नवीन आप बैठो हमे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है”
“जी मैडम”,नवीन वापस बैठ गया और निशि अंजलि वहा से चली गयी।  


मुन्ना काशी के कमरे की खिड़की के पास उदास खड़ा था। पहली बार उसे अपने और गौरी के रिश्ते में एक दुरी का अहसास हुआ। मुन्ना गौरी से बात करना चाहता था पर इस वक्त गौरी अपने घरवालों के साथ बिजी होगी सोचकर उसने गौरी का नंबर डॉयल किया और फिर काट दिया। आज दिनभर की खूबसूरत यादों के बाद भी मुन्ना एकदम से उदास हो गया। उसका मन भारी होने लगा और वह बिस्तर पर आकर बैठ गया। मुन्ना गौरी को मिस कर रहा था , उसकी बकबक को मिस कर रहा था और उसकी आवाज को मिस कर रहा था।

अभी कुछ ही वक्त गुजरा था कि मुन्ना का फोन बजा , मुन्ना ने देखा स्क्रीन पर गौरी का नाम आ रहा है तो उसका दिल धड़क उठा। मुन्ना गौरी को याद कर रहा था और गौरी ने सामने से उसे फोन कर दिया।
मुन्ना ने फोन उठाकर कान से लगाया वह कुछ कहता इस से पहले ही दूसरी तरफ से गौरी ने कहा,”हेलो मिस्टर होने वाले हस्बेंड ! तुम्हे क्या लगता है कि सगाई हो गयी है तो अब तुम्हारी जिम्मेदारी पूरी हो गयी है , तुमने मुझे फोन क्यों नहीं किया ? क्या तुमने ये सोच लिया है कि एक अंगूठी पहनाकर तुमने अपनी ड्यूटी निभा ली है तो मैं तुम्हे याद दिला दू कि अब तुम्हे जिंदगीभर मेरे नखरे उठाने है।”


गौरी को नॉर्मल बातें करते देखकर मुन्ना के दिल से धीरे धीरे बोझ कम होने लगा। उसने धीरे से कहा,”हम तैयार है,,,,,,,,,तुम्हारे सारे नखरे उठाने के लिये हम तैयार है गौरी”
“ओह्ह्ह्ह ये क्या तुम तो इतनी जल्दी हार मान गए,,,,,,,,,,,तुम्हे थोड़ा स्ट्रिक्ट बनना था , थोड़ी आनाकानी करनी थी,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने हताश होकर बिस्तर पर बैठते हुए कहा


“हम तुम्हारे सामने सख्त नहीं बन सकते गौरी और हम तुम से हर बार हारने को तैयार है क्योकि हमने तुम्हे जीता है,,,,,,,,,,और रही बात आनाकानी की तो हम वादा करते है अगर जायज हुई तो सर झुकाकर तुम्हारी हर बात मान लेंगे”,मुन्ना ने सर्द आवाज में कहा
गौरी ने सुना तो बस खामोश हो गयी , मुन्ना ऐसा कुछ कहेगा इसकी उम्मीद गौरी को नहीं थी , कुछ देर बाद उसने धीरे से कहा,”तुम्हे क्या हुआ है मान ? क्या तुम ठीक हो ?”


“नहीं हम ठीक नहीं है , हम कुछ बताये तो क्या तुम यकीन करोगी ?”,मुन्ना ने उदासी भरे स्वर में कहा
“हम्म्म बताओ ना”,गौरी ने कहा
मुन्ना ने एक गहरी साँस ली और कहा धीरे से कहा,”हमारा दिल कर रहा है कि इस वक्त तुम्हारे पास हो और हम बस कुछ देर तुम्हे अपने सीने से लगा ले , बस इस से ज्यादा कुछ नहीं,,,,,,,,,!!”
गौरी ने सुना तो उसका दिल धड़कने लगा ,  मुन्ना का ये रोमांटिक और सीरियस साइड गौरी को कभी कभी ही देखने को मिलता था।

वह मुन्ना की बात का जवाब देती इस से पहले ही नंदिता ने उसे आवाज दी और गौरी ने कहा,”मान ! मॉम मुझे बुला रही है,,,,,,,,,,,,मैं थोड़ी देर में तुम से बात करती हूँ”
“हम्म्म ठीक है,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा तो गौरी ने फोन काट दिया
मुन्ना ने फोन साइड में रखा और बिस्तर पर लेट गया , उसकी आँखों में नींद नहीं थी बस आँखों के सामने आ रहा था गौरी का हँसता मुस्कुराता चेहरा,,,,,,,,,,,जिसे देखकर मुन्ना अपना हर दर्द भूल जाया करता था।

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