Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 49

Main Teri Heer – 49

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

निशि को वंश के साथ भेजकर गौरी काशी और अंजलि के साथ पार्लर चली गयी। निशि को भी अपना सामान लेकर वही आने को कहा। वंश गौरी के कहने पर निशि को अपने साथ लेकर घर के लिये निकल गया। निशि वंश से दूरी बनाकर स्कूटी पर बैठी थी। सपोर्ट के लिये उसने स्कूटी के पीछे वाले हेंडल को पकड़ा हुआ था। स्कूटी चलाते हुए वंश की नजर मिरर में दिखती निशि पर पड़ी तो उसने मन ही मन खुद से कहा,”हाँ मुझसे दूर तो ऐसे बैठी है जैसे मैं इसे खा जाऊंगा , अरे मेरे कंधे पर काँटे लगे है क्या ? ये अपना हाथ मेरे कंधे पर भी तो रख,,,,,,,,,,,,,,,, आह्ह्हह्ह्ह्ह,,,,,,,!!”


वंश ने एकदम से स्कूटी को ब्रेक लगाया और निशि वंश की पीठ पर आ गिरी। अगर वंश ने समय पर ब्रेक ना लगाया होता तो स्कूटी डिवाइडर पर चढ़ चुकी होती। उसका दिल धड़कने लगा तभी निशि ने उसकी पीठ पर एक मुक्का मारते हुए कहा,”तुमने जान बूझकर ब्रेक लगाया ना,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह तुम कभी नहीं सुधरोगे”
अचानक मुक्का लगने से बेचारे वंश की पीठ ही अकड़ गयी वह स्कूटी से नीचे उतरा और कहा,”तुम्हे लगता है मैं जान बूझकर ऐसा करूंगा , मेरे पास इतना फालतू का वक्त नहीं है , सामने से ऑटो आ गया था इसलिये मुझे ब्रेक लगाना पड़ा,,,,,,,,,,,!!”


“ओह्ह्ह तो तुम देखकर क्यों नहीं चलाते , भगवान ने तुम्हे ये आँखे क्या सिर्फ मुझे दिखाने के लिये दी है,,,,,,,!!”,निशि ने गुस्से से कहा
“भगवान ने तुम्हे भी आँखे दी है ना तो तुम चला लो”,वंश ने अपने पैर पटकते हुए कहा
“हाँ तो मैं चला सकती हूँ”,कहते हुए निशि पिछली सीट से आगे आयी और वंश को देखकर घूरते हुए कहा,”बैठो,,,,,,,,,!!”


“सिल्ली गर्ल,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश निशि के पीछे आ बैठा और थोड़ी दूरी बना ली जिस से निशि उसे गलत ना समझे
निशि ने स्कूटी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। निशि वंश से भी अच्छी ड्राइव कर रही थी। वंश बेचारा चुपचाप पीछे बैठा था। निशि बीच बीच में जैसे ही ब्रेक लगाती वंश खिसककर आगे आ जाता,,,,,,,,,,,,!!
“ठीक से बैठो ना,,,,,,,,,,!”,निशि ने झुंझलाकर कहा


“और कैसे बैठु ? अब अगर तुम बार बार ऐसे ब्रेक लगाओगी तो ये तो होगा ना,,,,,,,,,!!”,वंश ने मायूसी से कहा
“ठीक है जैसे मुन्ना भैया के साथ बैठते हो वैसे बैठ जाओ,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“आर यू स्योर ?”,वंश ने पूछा
“हाँ,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा


वंश ख़ुशी ख़ुशी आगे खिसका और अपनी बांहो को निशि की कमर से लपेट कर अपना गाल उसकी पीठ से लगा दिया। 440 वाल्ट का झटका जो निशि को लगा है , उसने स्कूटी ले जाकर सीधा सामने पोल पर दे मारी और कहा,”ए ! ये क्या कर रहे हो तुम ?”
“तुमने ही तो कहा मुन्ना के साथ जैसे बैठता हूँ वैसे बैठ जाऊ,,,,,,,,,,मैं मुन्ना के साथ बाइक पर ऐसे ही जाता हूँ,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा


निशि स्कूटी से उतरी और कहा,”एक काम करो तुम ही ड्राइव करो,,,,,,,,!!”
“मैने तो पहले ही कहा था,,,,,,,,,,,आओ बैठो,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा तो निशि उसके पीछे आ बैठी लेकिन इस बार उसका हाथ वंश के कंधे पर था।

मुरारी से बोले गए झूठ के चलते मुन्ना को अब अपना हुलिया सुधारना था इसलिये गौरी के घर से निकलकर वह मॉल चला आया। मुन्ना जेंट्स पार्लर में आया और अपने बालो और दाढ़ी को सेट करने को कहा। यहाँ मुन्ना को थोड़ा वक्त लगना था इसलिए उसने अनु को फोन करके बता दिया। मुन्ना आँखे मूंदे कुर्सी से सर लगाए किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था। वह अपनी आने वाली नयी जिंदगी के बारे में सोच रहा था जिसमे गौरी के साथ उसका भविष्य था और ये सब सोचते हुए सहसा ही मुन्ना के होंठो पर मुस्कान तैर गयी।

अगले ही पल मुन्ना को अहसास हुआ जैसे किसी के नाजुक हाथो ने उसके गालों को छूआ है। मुन्ना ने आँखे खोली और देखा तो पाया साड़ी पहने कोई महिला उसके पास से गुजरी है। ये छुअन मुन्ना को कुछ जानी पहचानी लगी और उसका मन अजीब बेचैनी से घिर गया। उसने शीशे में खुद को देखा तो पाया उसके चेहरे पर परेशानी के भाव थे और वह धीरे से बुदबुदाया,”नहीं ! ये शायद हमारा वहम है , उर्वशी यहाँ कैसे हो सकती है ?”
“क्या हुआ सर ?”,लड़के ने मुन्ना के पास आकर पूछा जो उसे अटेंड कर रहा था


“क्या यहाँ कोई आया था ?”,मुन्ना ने पूछा
लड़के ने इधर उधर देखा और कहा,”इतना बड़ा सैलून है सर यहाँ लोग आते जाते रहते है। आपको कुछ चाहिए ?”
“अह्ह्ह नहीं , आप थोड़ा जल्दी कर देंगे प्लीज”,मुन्ना ने कहा
“स्योर सर,,,,,,,!!”,कहकर लड़का मुन्ना के बालो को सेट करने लगा
उर्वशी के वहा होने का अहसास मुन्ना को क्यों हुआ ये खुद मुन्ना भी नहीं समझ पा रहा था।


उसी सैलून से बाहर निकलते हुए उर्वशी ने पलटकर तिरछी नजरो से मुन्ना को देखा और एक प्यारी सी मुस्कान उसके होंठो पर तैर गयी। वह अपना बैग सम्हाले वहा से बाहर निकल गयी। सैलून से निकलकर उर्वशी लिफ्ट की तरफ आयी तभी किसी ने उसकी बांह पकड़कर उसे साइड में खींचा और सीढ़ियों की तरफ लाकर अपने सामने करके कहा,”मुझे यू सताना बंद करो उर्वशी,,,,,,,,,!!”


उर्वशी ने अपने सामने खड़े आदमी को देखा तो उसकी आँखे चमक उठी और होंठो पर मुस्कान तैर गयी उसने अपनी गोरी बांहे आदमी के गले में डालकर प्यार भरे लहजे में कहा,”तुम्हे सताने में जो मजा है वो तो दुनिया के किसी काम में नहीं,,,,,,,,,,,,,पर तुमने आने में इतनी देर क्यों कर दी ?”
“मैं बहुत मुश्किल से निकलकर आया हूँ , तुम तो जानती हो ना मेरा बेटा हॉस्पिटल में है और उसकी माँ यानि मेरी पत्नी , उस से छुपकर आना पड़ता है”,आदमी ने कहा


उर्वशी ने अपने होंठो से आदमी की गर्दन को छुआ और उन्मांद भरे स्वर में कहा,”उसका नाम लेकर मेरा मूड खराब मत करो,,,,,,,,,,,,!!”
“तो फिर चलो मूड बनाते है,,,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा और उर्वशी की कमर में अपनी बाँह डालकर वहा से चला गया।
आखिर ये आदमी कौन था जिस से मिलने उर्वशी रातो रात यहाँ चली आयी ?

मुरारी , शिवम् और बाकि सब मेहमान अधिराज जी के घर से गेस्ट हॉउस के लिये निकल चुके थे। अधिराज जी के घर पर बस कुछ लोग रुके थे। अनु सारिका सगाई में गौरी को दिए जाने वाले सामान को जमा रही थी। राधिका भी इसमें उन दोनों की मदद कर रही थी। आई अम्बिका जी के साथ बैठकर बातें कर रही थी। इतनी वक्त बाद दोनों मिली थी दोनों के पास बात करने को कितना कुछ था।  

“दी मुन्ना सगाई में क्या पहनने वाला है ज़रा बताना,,,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने सामान जमाते हुए कहा
सारिका ने बैग से मुन्ना के कपडे निकालकर बिस्तर पर रखे अनु ने देखा तो हैरानी से उसकी आँखे फ़ैल गयी और उसने कहा,”दी सीरियसली ? मुन्ना ये पहनने वाला है ?”
“हाँ अनु ! इसमें क्या बुराई है ?”,सारिका ने सहजता से कहा


“ओह्ह्ह दी ये कितना ओल्ड फैशन्ड है , ये लड़का आज मेहमानो के बीच मेरी नाक जरूर कटवाएगा,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा
“ऐसा कुछ नहीं है अनु , ये हमारी पारम्परिक ड्रेस है जो लड़के सगाई और शादी में पहनते है ,, जैसे जैसे जमाना बदला लोगो ने अपने संस्कार और परम्परा भी बदल ली लेकिन हमारे मुन्ना में तुम्हारे दिये संस्कार आज भी मौजूद है तभी तो उसने ये पसंद किया। अब तुम ज्यादा मत सोचो और फटाफट सब सामान रखकर तैयार हो जाओ , हम सबको भी गेस्ट हॉउस के लिये निकलना है,,,,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने अनु को समझाते हुए कहा


“लेकिन दी,,,,,,,,!!”,अनु ने मायूस होकर कहा तो सारिका उसके पास आयी और उसके गाल को प्यार से छूकर कहा,”अनु ! चिंता मत करो हमारा मुन्ना इन कपड़ो में बहुत प्यारा लगेगा और देखना गौरी की नहीं हटेगी उस पर से ,,,,,,,,,,,,,,,चलो अब तैयार हो जाओ , आखिर तुम हमारे दूल्हे राजा की माँ हो तुम्हे आज सबसे सुंदर दिखना है”
“क्या दी आप भी ना ? सिर्फ मैं नहीं बल्कि आप भी उसकी माँ है और मुझसे पहले आप सास बनेगी”,अनु ने कहा
“फिर तो हम सास बनकर तुम्हारी बहू को खूब डांट फटकार लगाएंगे,,,,,,,,,,,,,,जैसे आई लगाती है”,सारिका ने आई की तरफ देखकर शरारत से कहा


“अरे दादा ! हम कबो डांट लगाई है तुमको सारिका बिटिया,,,,,,,,!!”,आई ने कहा
“अरे आई हम मजाक कर रहे है , चलिए आप और माँ भी चलकर तैयार हो जाईये”,सारिका ने आई की तरफ आकर कहा और सब तैयार होने चली गयी।

एक आलिशान गाडी आकर हॉस्पिटल के बाहर रुकी। चौहान साहब उसमे से नीचे उतरे और सीधा अंदर चले आये। कुछ देर बाद कबीर के कमरे का दरवाजा खुला और चौहान साहब अंदर आये। उन्हें वहा देखकर कबीर थोड़ा हैरान था लेकिन कबीर की माँ की आँखों में नमी के साथ होंठो पर मुस्कान तैर गयी। वे अपनी जगह से उठी और चौहान साहब की तरफ आकर सीने से लगते हुए कहा,”देखिये ना भाईसाहब ये क्या हो गया ? कबीर मरते मरते बचा है,,,,,,,,,,,!!”


“हाँ मुझे सब पता है , जैसे ही खबर मिली मैं यहाँ चला आया,,,,,,,,,,,,,,विक्रम कहा है ?”,चौहान साहब ने कहा
“वो कुछ देर पहले ही यहाँ से चले गए , उन्होंने कहा उन्हें कुछ जरुरी काम है।”,कबीर की माँ ने कहा
“इस वक्त यहाँ होने से ज्यादा जरुरी काम और क्या हो सकता है ? खैर छोडो कबीर अब ठीक है ना ?”,चौहान साहब ने पूछा
“हम्म्म्म डॉक्टर ने कहा है कल तक उसे डिस्चार्ज कर देंगे,,,,,,,,,,!!”,कबीर की माँ ने चौहान साहब के साथ कबीर की तरफ आते हुए कहा


“कैसे हो कबीर ?”,चौहान साहब से पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा
चौहान साहब को वहा देखकर कबीर के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये जैसे उनका वहा होना किसी आने वाली मुसीबत का संकेत हो। अपनी माँ के सामने कबीर ज्यादा कुछ कहना नहीं चाहता था इसलिये धीरे से कहा,”मैं ठीक हूँ”


“ये सब कैसे हुआ ? मैंने सुना तुम नशा करके गाड़ी चला रहे थे,,,,,,,,,,,तुम जानते हो ना अभी तुम नए नए जवान हुए हो लेकिन जवानी के जोश में ऐसा कुछ काम मत करो जिस से तुम्हारे माँ बाप को तकलीफ हो,,,,,,,,,,,,तुमने मेरा फोन भी नहीं उठाया”,चौहान साहब ने कबीर को घूरकर देखते हुए कहा
चौहान साहब के चेहरे पर आये भावो को कबीर की माँ नहीं देख पायी लेकिन नीलिमा ने देख लिये , चौहान साहब ने एक नजर नीलिमा को देखा और कबीर से कहा,”अपनी ये दोस्ती ज़रा कम करो और अपने करियर पर ध्यान दो।”


“हम्म्म”,कबीर ने बस इतना ही कहा
“अपने काम के चलते मैं कुछ दिन यही हूँ , किसी भी तरह की जरूरत हो तो मुझे बताना ,, कबीर घर आ जाये उसके बाद मैं आकर मिलता हूँ”,चौहान साहब ने उठते हुए कबीर की माँ से कहा
“ठीक है भाईसाहब,,,,,,,,,,,,!!”,कबीर की माँ ने दरवाजे तक उनके साथ आते हुए कहा
“चिंता मत करो जिसने भी ये किया है मैं उसका पता लगा लूंगा और विक्रम आये तो उस से कहना आकर मुझसे मिले,,,,,,,,,,!!”,चौहान साहब ने कहा


“वैसे आप कहा रुके है ?”,कबीर की माँ ने पूछा
“राइजिंग होटल”,चौहान साहब ने कहा और वहा से चले गए। हॉस्पिटल से बाहर आकर वे उसी आलिशान गाड़ी में बैठे और निकल गए।

आखिर चौहान साहब और कबीर की माँ का क्या रिश्ता था ? उन्होंने कबीर को धमकी भरे शब्द क्यों कहे ? शक्ति का कबीर को क्रिमनल समझना क्या चौहान  साहब से जुड़ा था ? ऐसे कई सवाल थे जिनका जवाब फ़िलहाल किसी के पास नहीं था।

अपने खबरी की बात मानकर शक्ति सादे कपड़ो में माल रोड आ पहुंचा। पुलिस डिपार्टमेंट के कुछ लोग वहा मौजूद थे और हैरानी की बात ये थी कि शक्ति के एक हफ्ते सस्पेंड होने के बाद भी सब उसके आर्डर फॉलो कर रहे थे। शक्ति ने बेरीगेट्स लगाने का आर्डर दिया और हर आने जाने वाली गाड़ी को चेक करने को कहा। धूप ज्यादा होने के कारण शक्ति ने अपनी आँखों पर चश्मा लगा लिया। फॉर्मल ड्रेस में भी शक्ति आकर्षक लग रहा था उस पर उसकी फिजिक इतनी अच्छी थी कि हर तरह के कपडे उस पर जचते थे।


काफी वक्त हो गया लेकिन जॉर्डन की गाड़ी वहा से नहीं गुजरी। एक गाड़ी शक्ति को संदिग्ध लगी तो वह उसकी तरफ चला आया और पूछताछ करने लगा। उसी रस्ते से वंश निशि के साथ स्कूटी लिये आ रहा था और पुलिसवाले ने उसे रोक लिया। चेकिंग करने पर वंश के पास ना लायसेंस था , ना हेलमेट और सोने पर सुहागा ये कि वह रोंग साइड से आ रहा था। वंश उसे समझाने लगा लेकिन पुलिस वाला तो जैसे कुछ सुनने को तैयार नहीं था।
शक्ति ने देखा उसका एक जूनियर वंश से बहस कर रहा है उसने कहा,”मोहसिन क्या हुआ ?”


“सर लायसेंस नहीं है और ना हेलमेट है , रोंग साइड से भी आ रहे है।”,मोहसिन ने कहा    
शक्ति ने देखा मोहसिन ने जिसको रोका है वो कोई और नहीं उसका होने वाला साला वंश है जिस से शक्ति की बहुत कम बात हुई थी , शक्ति उनकी तरफ आया। शक्ति को वहा देखकर वंश की भँवे तन गयी वह आज भी काशी के लिये शक्ति को सही नहीं समझता था। उसे लगता था उसकी बहन मासूम है जिसे शक्ति ने फंसा लिया है उसने शक्ति के सामने तनते हुए कहा,”लायसेंस बना है मेरा”


“हम्म्म मोहसिन इन्हे जाने दो,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने सहजता से कहा
“लेकिन सर,,,,,,,,,,!!”,मोहसिन ने कहा
“जाने दो,,,,,,,साले साहब है हमारे,,,,,,,,!”,शक्ति ने वंश की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा जो की वंश को चिढ़ाने के लिये था और वंश चिढ भी गया लेकिन इस वक्त कुछ बोलकर वह किसी मुसीबत में फंसना नहीं चाहता था।
वंश ने स्कूटी स्टार्ट की और जैसे ही जाने लगा शक्ति उसके पास आया और उसके कान में धीरे से कहा,”वैसे ये बात हम काशी को बताये या रहने दे कि तुम लड़की के साथ घूम रहे हो ?”


वंश ने सुना तो खा जाने वाली नजरो से शक्ति को देखा शक्ति पीछे हटा और मुस्कुरा कर कहा,”पसंद अच्छी है तुम्हारी”
वंश ने कोई जवाब नहीं दिया और वहा से चला गया।

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