Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 48

Main Teri Heer – 48

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

प्रताप का घर बनारस
भूषण का प्रताप के घर में आना किसी मुसीबत से कम नहीं था। भूषण को घर में देखकर घर का नौकर बिरजू परेशान था , वह अंदर आया और प्रताप से कहा,”मालिक उह भूषणवा आया है , बहुते चौडाय रहा है।”
“तुम चाय नाश्ता भिजवाओ हमहू जाकर मिलते है उस से,,,,,,,!”,कहकर प्रताप वहा से चला गया
“जे मालिक को का हो गवा है , कल तक भूषण को इस घर में आने की इजाजत तक नहीं थी और आज उसके लिये चाय नाश्ता मंगवाया जा रहा है।”,बड़बड़ाते हुए बिरजू रसोईघर की तरफ चला गया

प्रताप घर के आँगन में आया तो देखा भूषण अपने घुटने पर अपना दुसरा पैर रखकर हाथो को सर के पीछे लगाए बैठा है। प्रताप ने पास पड़ी कुर्सी को खिसकाया और उस पर बैठते हुए कहा,”का भूषणवा ? ससुराल में आये हो जो इतना चौड में बैठे हो,,,,,,,,पैर नीचे करो”
आखिरी शब्द प्रताप ने कुछ कठोरता से कहे
भूषण जल्दी से सीधा बैठा और आँखों से चश्मा उतार कर जेब में रखते हुए कहा,”अरे चचा ! आप कब आये हम तो बस थोड़ा ऐसे ही,,,,,,,,वैसे जे सुबह सुबह आपने हमे हिया काहे बुलाया ?”


प्रताप ने एक नजर भूषण को देखा और फिर गंभीरता से राजन को लेकर कुछ कहने लगे। भूषण भी बड़े ध्यान से प्रताप की बात सुन रहा था। प्रताप ने अपनी बात खत्म की तो भूषण ने कहा,”जे तो समस्या है चचा , सब जानते है राजन भैया पुरे बनारस में बस एक ही लड़की को पसंद करते है और उह है वंश्वा की बहन काशी , जिसके चक्कर में पहले ही राजन भैया अपनी यादास्त गवा चुके है , कही ऐसा न हो इस बार जान से हाथ धोना पड़े,,,,,,,,,,!!”


“इसलिये तो तुमको हिया बुलाये है भूषण , हमने सुना है तुम्हरी एक ठो छोटी बहिन है और उसकी सादी की उम्र भी हो चुकी है,,,,,,,,,,,तो हम सोच रहे थे क्यों ना राजनवा के साथ उसके फेरे,,,,,,,,!!”,प्रताप ने इतना ही कहा कि भूषण की भँवे तन गयी और उसने उठते हुए कहा,”ए चचा ! जे का बक रहे हो ? होश में तो हो हमरी बहिन गुंडों के खानदान में काहे जाएगी ?”
“तो तुम्हरा खानदान कौनसा शरीफो वाला है , साला बाप दादा सालों जेल की सलाखें गिने है और तुम भी बनारस की पंचायत में कोनो पंच नहीं लगे हो,,,,,,,,,हम सोचे अपने ही शहर की बिटिया घर मा आएगी तो अच्छा रहेगा,,,,,,,,!!”,प्रताप ने भड़ककर कहा  


प्रताप की बात सुनकर भूषण शांत पड़ गया। वह धीरे से वापस कुर्सी पर बैठा और कहा,”हाँ तो ठीक है लेकिन ऐसे कैसे हम अपनी बहिन की सादी राजन भैया से करवा दे , अरे राजन भैया की भी तो कोनो पसंद नापसन्द होगी ना और फिर हमरी बहिन उसकी मर्जी भी तो जानना जरुरी है।”
“इहलिये तो तुमको हिया बुलाये है , हम चाहते है तुमहू राजनवा को समझाओ और उसे शादी के लिये तैयार करो”,प्रताप ने भूषण के घुटने पर हाथ रखकर उसका घुटना दबाते हुए कहा


“आपको का लगता है राजन भैया हमारी बात सुनेंगे ?”,भूषण ने असमझ की स्तिथि में कहा
“उह तुम्हरा काम है भूषणवा , अगर तुमको इह घर मा वापस आना है तो रजनवा को शादी के लिये तैयार करो , वरना तुम्हरी बारात हम निकाल देंगे”,कहते हुए प्रताप उठा और वहा से चला गया।

इंदौर , गौरी का घर
मुन्ना के जाने के बाद गौरी मुस्कुराते हुए अंदर आयी लेकिन अगले ही पल उसके होंठो से मुस्कराहट गायब हो गयी जब उसने वंश और निशि को एक दूसरे के सामने देखा , दोनों गुस्से में खा जाने वाली नजरो से एक दूसरे को देख रहे थे और उस वक्त आस पास कोई भी नहीं था।


गौरी उनके पास आयी और जैसे ही कुछ कहने को हुई वंश ने गुस्से से निशि को ताना मारते हुए कहा,”देखा ! एक मिनिट भी नहीं रह पायी ना मुझसे दूर , मेरे पीछे पीछे चली आयी ,,,मुंबई तक ठीक था अब ये इंदौर में मेरे पीछे पीछे घूमना बंद करो तुम”
गौरी मुंह फाडे वंश को देखे जा रही थी , तभी निशि की आवाज उसके कानो में पड़ी,”ओह्ह्ह रियली , तुम्हे लगता है मैं यहाँ तुम्हारे लिये आयी हूँ,,,,,,,,,ओह्ह्ह्ह माय बेड लक जो यहाँ भी मुझे तुम्हारी शक्ल देखनी पड़ रही है।”
निशि की बात से वंश और चिढ गया और थोड़ा सा उसके करीब आकर कहा,”,देखो तुम हद से ज्यादा आगे बढ़ रही हो,,,,,,,,,,!!”


“और तुम जो अपनी हद से बाहर जा रहे हो उसका क्या ?”,निशि ने भी लगभग वंश पर चढ़ते हुए कहा
वंश निशि से कुछ कहता इस से पहले उसकी नजरे निशि के नाजुक गुलाबी होंठो पर चली गयी जो कि बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे। वंश तो उन्ही में उलझकर रह गया , उसे अपने करीब पाकर निशि ने उसे पीछे धकियाते हुए कहा,”अगर तुम इस ग़लतफ़हमी में हो कि मैं यहाँ तुम्हारे लिये आयी हूँ तो होश में आ जाओ,,,,,,,,,आज शाम के फंक्शन में मैं तुम से भी बेहतर कोई अपने लिये ढूंढ लुंगी समझे,,,,,,,,,,!!”


“बेस्ट ऑफ़ लक , कोई मिल जाये तो मुझे भी बताना,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि का मजाक उड़ाते हुए कहा
निशि पैर पटकते हुए वहा से चली गयी , वंश जैसे ही जाने के लिये पलटा गौरी से टकरा गया और घबराकर कहा,”ओह्ह्ह तुमने तो मुझे डरा ही दिया,,,,,,,,,!!”
“और अभी तुमने जो किया वो क्या था ?”,गौरी ने कहा


“मैंने क्या किया ?”,वंश ने मासूम बनते हुए कहा
“तुम उसे इतना परेशान क्यों करते हो ? वो कितनी प्यारी तो है,,,,,,,,,,,इन्फेक्ट मुझे तो वो बहुत अच्छी लगती है।”,गौरी ने कहा
“प्यारी और वो , हाहाहाहाहा गुड जोक वो इस दुनिया की सबसे बद्तमीज लड़की है।”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा  

“ऐसा तुम्हे लगता है वंश , वो बद्तमीज है क्योकि तुम्हारी हरकते ऐसी है ,, बनारस में जब मैं काशी की सगाई में उस से मिली थी तभी मैंने ये महसूस किया कि वो बहुत सीधी और प्यारी लड़की है,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह मैंने कितनी ही बार वहा उसे तुम्हारी परवाह करते देखा था लेकिन तुम्हे इसका अहसास नहीं,,,,,,,,,,,तुम्हे सच में लोगो की पहचान नहीं है।”,गौरी ने उदासी भरे स्वर में कहा


गौरी के मुंह से परवाह शब्द सुनकर वंश की आँखों के सामने वो पल आने लगे जब उसके बीमार होने पर निशि ने उसकी कितनी मदद की थी और उसका ख्याल रखा था। वह गौरी से कुछ कहता इस से पहले ही नंदिता की आवाज वंश के कानों में पड़ी,”वंश बेटा ! क्या तुम मेरे साथ गेस्ट हॉउस चल सकते हो ? एक्चुली ये कुछ सामान है जो वहा लेकर जाना है और कुछ मेहमान भी आ चुके है तो मेरा वहा होना जरुरी है।”
“हाँ आंटी क्यों नहीं ? चलिए ना,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा और नंदिता के साथ वहा से निकल गया।

गौरी के घर की बालकनी में खड़ी निशि आँसू बहा रही थी। वंश की बातो से और उसके बर्ताव से निशि उदास थी , जिस ख़ुशी के साथ वह इंदौर आयी थी अब वह ख़ुशी अब गायब हो चुकी थी। गौरी ने निशि को बालकनी में खड़े देखा तो उसके पास आयी और उसके बगल में खड़े होकर कहा,”वंश की वजह से उदास हो ?”
गौरी की आवाज सुनकर निशि ने अपनी नम आँखों को पोछा और पलटकर कहा,”मुझे शायद यहाँ नहीं आना चाहिए था”


“ओह्ह्ह निशि ! तुम भी उस वंश की बातो में आ गयी , अरे वो जानबूझकर तुम्हे परेशान करता है ताकि तुम्हारा पूरा ध्यान उस पर रहे,,,,,,,,,उसकी बातो को दिल पर मत लो वो बस मजाक कर रहा था , वैसे वो अच्छा लड़का है”,गौरी ने निशि को गले लगाते हुए कहा
गौरी की सादगी देखकर निशि मुस्कुरा उठी और कहा,”वंश का तो पता नहीं पर आप बहुत अच्छी है दी , मुन्ना भैया बहुत लकी है जिन्हे आप मिली”


गौरी निशि से दूर हटी और उसके कंधो को थामकर प्यार से कहा,”दी नहीं भाभी कहो,,,,,,,,,,,,और आज की शाम वंश अगर नहीं पछताया तो मेरा भी नाम गौरी नहीं,,,,,,,,,,,,,,चलो मेरे साथ”
गौरी निशि को अपने साथ ले गयी और निशि भी ख़ामोशी से उसके साथ चल पड़ी।  

अधिराज जी का घर , इंदौर
फूफाजी से पीछा छुड़ाकर मुरारी कमरे में आया तो देखा अनु वही मौजूद थी , अनु ने मुरारी को वहा देखा तो उसके पास आयी और कहा,”मुरारी ! एक परेशानी है”
“का हुआ ? का परेशानी है ?”,मुरारी ने कहा
“गौरी के लिये जो गहने हमने बनवाये थे उनमे से पायल वाला डिब्बा तो घर पर ही रह गया और उनके बिना सगाई की रस्म कैसे होगी ?”,अनु ने उलझन भरे स्वर में कहा


“अरे तो का हो गवा ? हिया के मार्किट से दूसरी आर्डर कर देते है ?”,मुरारी ने कहा
“नंदिता जी का फोन आया था उन्होंने दोपहर में ही सबको गेस्ट हॉउस आने को कहा है और इतना वक्त किसके पास है कि अभी मार्किट जाकर पायल ला सके ?”,अनु ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“इतना काहे चिंतियाय रही हो अनु,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने इतना ही कहा कि अम्बिका जी कमरे में आयी और कहा,”क्योकि इसको आखरी समय में परेशान होने की आदत है।”


“मॉम,,,,,,,,,,!”,अनु ने इतना ही कहा कि अम्बिका जी ने हाथ में पकड़ा डिब्बा अनु की तरफ बढ़ाकर कहा,”ये लो इसमें पायल है , तुम गौरी को आज के शगुन में ये पहना देना”
अनु ने डिब्बा खोलकर देखा बहुत ही सुन्दर पायल का जोड़ा उसमे रखा था। मुरारी ने देखा तो कहा,”ल्यो सासु माँ ने 2 सेकेण्ड में तुम्हरी समस्या का हल दे दिया”
“ये मैं आपसे कैसे ले सकती हूँ ?”,अनु ने कहा


“क्यों नहीं ले सकती ? गौरी मेरी होने वाली बहू है ,,,,,,,,,,,, मैं उसकी नानी सास हूँ आखिर मेरा भी कुछ फर्ज बनता है , ये रखो और बाहर किसी को इसकी खबर ना हो,,,,,,,,,,,,,,तुम तैयार हो जाओ फिर सबको निकलना भी है , सगाई का मुहूर्त शाम 6 बजे का है।”,कहते हुए अम्बिका ने अनु के गाल को छुआ और वहा से चली गई
अनु पायलो का जोड़ा हाथ में पकडे सोच में डूब गयी तो मुरारी ने कहा,”क्या हुआ कहा खो गयी ?”


“मुरारी वक्त कितनी जल्दी बीत गया ना , कल तक मैं किसी की पत्नी और माँ थी और आज मैं किसी की सास बन जाउंगी,,,,,,,,,,,,,तुम सब के साथ हँसते खेलते वक्त कैसे बीता पता ही नहीं चला,,,,,,,,,!”,अनु ने कहा
मुरारी अनु के पास आया और उसके कंधो पर अपनी बाँह रखते हुए कहा,”सिर्फ तुम नहीं हम भी ससुर बन जायेंगे , कितनी बड़ी जिम्मेदारी आ जायेगी हमरे कंधो पर , सोचकर ही कितना अच्छा लग रहा है,,,,,,,,,,,,,!!”
“मैं आज बहुत खुश हु मुरारी,,,,,,,,,,,,!”,अनु ने अपना सर मुरारी के सीने से लगाकर कहा


“और हम तुम्हे देखकर खुश है , चलो अब जल्दी से हमरे कपडे निकाल दयो ,, हमहू शिवम् भैया के साथ जाकर ज़रा बंदोबस्त देख ले गेस्ट हॉउस का,,,,,,,,,,,,,का है कि नंदिता जी अकेली है तो अच्छा नहीं लगता सारा भार उन पर रहे,,,,,,,,,,,,,
मुरारी ने कहा
अनु मुरारी से दूर हटी और ख़ुशी ख़ुशी तैयार होने में मुरारी की मदद करने लगी। आज उसे मुरारी से कोई शिकायत नहीं थी ना ही उस पर गुस्सा आ रहा था। वह बस खुश थी,,,,,,,,,,,,,,,!!

“सरु ये बटन लगा देंगी आप ?”,शिवम् अपने हाथ में कुर्ते का टूटा बटन लिये सारिका के पास आया
सारिका ने शिवम् के हाथ से बटन लिया और कहा,”शिवम् जी आपको नहीं लगता आपके कुर्ते के बटन आजकल कुछ ज्यादा ही टूटने लगे है। ऐसा सच में है या फिर ये कोई बहाना है हमारे करीब आने का,,,,,,,,,,,!”
शिवम् ने सारिका की कमर में अपनी बाँहे डाली और उसे थोड़ा अपने करीब करके कहा,”आपके करीब आने के लिये हमे किसी बहाने की जरूरत नहीं है , ये तो बस सिर्फ इसलिए कि हम आपको करीब से देख सके,,,,,,,,,,,!!”


“बातें बनाना तो कोई आपसे सीखे , वैसे इस वक्त आपको मुरारी भैया और बाकि मेहमानो के साथ गेस्ट हॉउस में होना चाहिए , हमारी होने वाली समधिन जी को वहा अकेले सब मैनेज करने में परेशानी हो रही होगी”,सारिका ने बटन लगाते हुए कहा


“और अगर वहा किसी महिला की नजर हम पर पड़ गयी तो,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने सारिका को छेड़ने के लिये कहा
“तो कोई बात नहीं उन्हें भी कुछ देर आपको देखकर अपना दिल बहलाने दीजिए क्योकि हमे यकीं है हमारे आने के बाद आपकी नजरे हम से नहीं हटेगी,,,,,,,,,,,,!”,सारिका ने शिवम् की आँखों में देखते हुए कहा और उस से दूर हट गयी क्योकि कुर्ते का बटन लग चुका था
शिवम् मुस्कुराया और कहा,”हम इंतजार करेंगे”
शिवम् वहा से चला गया और सारिका भी तैयार होने चली गयी।

नंदिता को गेस्ट हॉउस छोड़कर वंश गौरी के घर आया।
“अरे वंश ! अच्छा हुआ तुम आ गए , तुम एक काम करो निशि को अपने साथ लेकर जाओ,,,,,,,,,,,,,एक्चुली मुझे कुछ सामान चाहिए”,गौरी ने कहा
“मुझे बताओ ना मैं लेकर आ जाऊंगा,,,,,,,,,,,,,लेकिन इसके साथ नहीं,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
निशि ने सुना तो मुंह बनाकर दूसरी तरफ देखने लगी


“ओहह फ़ो वंश मुझे जो चाहिए वो मैं तुम्हे नहीं बता सकती , तुम प्लीज निशि को साथ लेकर जाओ ना,,,,,,,,,,,,,,प्लीज मेरे लिये,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा
 “ठीक ही सिर्फ तुम्हारे लिये,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा और निशि को साथ लेकर चला गया

“तुमने निशि को वंश भैया के साथ क्यों भेजा ? तुम जानती हो ना वो दोनों एक दूसरे को बिल्कुल पसंद नहीं करते”,काशी ने आकर कहा
“किसने कहा वो एक दूसरे को पसंद नहीं करते , अरे ! अगर मेरा मान इन दोनों के बीच की केमेस्ट्री देख सकता है ना तो समझो इन दोनों में प्यार होना पक्का है , और मैंने जानबूझकर दोनों को साथ भेजा है।”,गौरी ने खुश होते हुए कहा


“तुम सच में अजीब हो तुम्हारा बस चले तो सबको एक दूसरे से प्यार करवा दो , शादी करवा दो तुम,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“हाँ मेरी जान क्योकि ये साल प्यार का है,,,,,,,,,,,,,,,,,वी ऑल फॉल इन लव,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने अपनी बांहो को हवा में फैलाकर कहा

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