Main Teri Heer – 41
Main Teri Heer – 41
वंश नवीन के साथ खड़े होकर सिगरेट पीने लगा। वंश और निशि को करीब देखकर नवीन को लगा कि वंश और निशि एक दूसरे को पसंद करते है लेकिन वंश की बातो ने नवीन को राहत दी। वंश और निशि साथ में अच्छे लगते थे , दोनों अक्सर एक दूसरे की परवाह करते भी दिखाई देते थे लेकिन इन सब से भी ज्यादा दोनों में गुस्सा भरा था जिसकी वजह से दोनों अक्सर झगड़ते ही नजर आते थे। दोनों में प्यार होना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन लग रहा था।
सिगरेट खत्म कर वंश ने नवीन से कहा,”मैंने आपके साथ सिगरेट पी ये बात माँ को मत बताना,,,,,,,,,,,!!”
“ठीक है , चलो चलकर सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।”,नवीन ने कहा
वंश और नवीन दोनों सीट के पास चले आये और वंश अपनी बर्थ पर आकर सो गया। ऊपर वाली बर्थ पर सो रही निशि ने वंश को अपने पापा के साथ देखा तो मन ही मन कहा,”पता नहीं इसने डेड पर कौनसा काला जादू किया है , जब देखो तब डेड इसके आगे पीछे घूमते रहते है।
अह्हह्ह्ह्ह वैसे भी मैं इसके बारे में क्यों सोच रही हूँ,,,,,,,,,इस से अच्छा है मैं “बेड प्रोसिक्यूटर” सीरीज ही देख लू , ओ ध्वान इस केस को लेकर कितना सीरियस है और ये कितना क्यूट भी है।”
निशि मुँह फेरकर सो गयी और अपनी पसंदीदा सीरीज देखने लगी।
वंश को भी नींद आ गयी और नवीन भी निश्चिन्त होकर सो गया। देर रात नवीन की आँख खुली तो उसने देखा वंश खुद में ही सिमटकर सो रहा है उसका कम्बल भी साइड में रखा था ये देखकर नवीन उठा। उसने वंश की सीट पर पड़ा कम्बल उठाया और उसे ओढ़ाने लगा। वंश के बाल उसकी आँखों पर आ रहे थे नवीन ने बहुत ही ध्यान से उन्हें हटाया जिस से वंश की नींद ना टूटे।
अपनी बर्थ पर लेटी निशि की नजर पड़ी तो उसे हैरानी भी हुई और साथ ही साथ वंश से थोड़ा जलन भी,,,,,,,,,,उसने मन ही मन खुद से कहा,”डेड वंश से कितना प्यार करते है , हाँ कुछ ज्यादा ही,,,,,,,,,,,,!!”
रात के खाने के बाद मुरारी के सभी रिश्तेदार और बस में बैठे लोग सुस्ता रहे थे। सारिका , अनु , राधिका , आई , मुन्ना , अंजलि और घर के खास लोग सो रहे थे वही साथ आये रिश्तेदार और मुरारी के दोस्त भी सो रहे थे। थकान की वजह से शिवम् की भी आँखे मूंदने लगी थी लेकिन बाबा जाग रहे थे। बाबा के साथ साथ दो-चार लोग और जाग रहे थे वही मुरारी भी जगा था ताकि ड्राइवर पर ध्यान रख सके।
मुरारी के बगल में बैठे फूफाजी भी सो चुके थे और रह रह कर उनका सर मुरारी के कंधे से आ लगता , मुरारी झुंझलाते हुए उनका सर अपने कंधे से हटाता और कुछ देर बाद फिर उनका सर मुरारी के कंधे पर आ जाता।
मुरारी जब बहुत ज्यादा झुंझला गया तो उसने अपने कंधे को जोर से झटका बेचारे फूफाजी का सर जाकर खिड़की के बंद शीशे से जा लगा और वे हड़बड़ाकर उठे। उन्होंने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”का , का हुआ ?”
“होना का है इत्ता काहे खाये रहय कि शरीर सम्हाले नहीं जा रहा है,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने खीजते हुए कहा
“अरे तो मुरारी का हो गवा जो नींद में हम अपना सर तुम्हरे कंधे पर रख दिये ? अभी कोनो खूबसूरत लड़की का सर होता ना तो का बड़े चाव से रखने देते और गाल सहलाते उह अलग,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने मुरारी को ताना मारते हुए कहा
“हाँ तो फिर इक ठो काम करो हमरी गोद में ही बैठ जाओ ना,,,,,,,,,,,,सुला लेते है और सहला देते है गाल भी,,,,,,,,!!”,मुरारी ने उखड़े स्वर में कहा
“यार मुरारी हमको एक बात बताओ इतना काहे कीलसे पड़े हो हम से , अरे हम भी तुम्हरे घर के दामाद है ,, हमारी कोनो इज्जत है कि नाही ?”,फुफाजी ने उबासी लेते हुए कहा
मुरारी ने सुना तो उनकी तरफ पलटा और कहा,”देखो फूफा ऐसा है , दामाद रहे होंगे तुमहू हमरे पिताजी के हमरे नाही,,,,,,,,,,,,,,,,,साला उह तो हमरी गाय जैसी भुआ की वजह से झेल रहे है तुमको”
“गाय जैसी है तुम्हरी भुआ तो हमरे खूंटे से काहे बांध दी , किसी गौशाला में भेजते,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी जी ने भी मुंह बनाकर उखड़े स्वर में कहा
“बड़े बकैत हो फूफा , अरे हमहू बस एग्जाम्पल दे रहे है,,,,,साला इसलिये नहीं बनती है हमरी तुमसे,,,,,,,,,,,,बइठो तो तुम हिया पसर कर,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी उठा और ड्राइवर की तरफ चला गया
“अरे बन जाती अगर हमरी बताई लड़की से मुन्ना की सादी करवाए रहते तो जरूर बनती,,,,,,,,,,,,पर तुमहू तो रिश्तेदारी को आगे बढ़ाना ही नहीं चाहते,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने अपने हाथो को बांध , आँखे मूंद , सीट पर पसरते हुए कहा लेकिन उनके कहे शब्द मुरारी के कानो में पड़ चुके थे ,
मुरारी जैसे ही उठकर उनके पास आने को हुआ वहा बैठे दूसरे ड्राइवर ने उसका हाथ पकड़कर मुरारी को रोक लिया और कहा,”जाने दो ना मुरारी , रिश्तेदार है तुम्हारा”
मुरारी वापस बैठा और गुस्से से कहा,”अरे रिश्तेदार है तो का हमरी नाक में नकेल डालेगा , ससुरा नहीं करनी हमको मुन्ना की सादी गुड़िया से , नहीं काहे कर दे ? जब हमरे मुन्ना खुद अपने लिये लड़की पसंद कर लिये तो हम काहे रोकेंगे उनको,,,,,,,,,,,,,,,
अरे आजकल के बच्चे है अपना अच्छा बुरा समझते है पर जे फूफा को ना जाने कौनसी चूल मची है जबसे बस में चढ़े है बकैती कर रहे है।”
“अरे शांत हो जाओ मुरारी , जे लो दो घूट मार ल्यो गुस्सा सांत करो और सफर का मजा लो,,,,,,,,,,!!”,ड्राइवर ने छोटी केन मुरारी की तरफ बढाकर कहा
“अरे नहीं नहीं राम भरोसे का कर रहे हो,,,,,,,,,,,जे सब नहीं,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा क्योकि बस में वह अकेला नहीं था उसका पूरा खानदान था और मुरारी किसी तरह का कोई तमाशा नहीं चाहता था।
“अरे ले लो मुरारी , वैसे भी सब सो रहे है सुबह ही उठेंगे,,,,,,,दो घूंठ मार लो सफर अच्छा कटेगा,,,,,,,,,!!”,साथ बैठे दूसरे ड्राइवर ने कहा
मुरारी जिसने कुछ दिन पहले ही शिवम् के सामने शराब ना पीने की बात कही थी उलझन में पड़ गया। दिमाग इस वक्त इतना खराब था कि दिल किया पूरी केन गटक जाये लेकिन शिवम् का ख्याल आते ही मुरारी ने केन वापस हाथ में लेकर देखते हुए कहा,”नहीं बे अगर जे हमरे अंदर गया और शिवम् भैया को पता चल गया तो मुन्ना की सगाई बाद में होगी पहिले हमरा संस्कार होगा”
“मुरारी यार तुम ना बहुते डरते हो शिवम् भैया से,,,,,,,,,,,,,!!”,राम भरोसे ने मुस्कुरा कर कहा
“डरते नहीं है बे , इज्जत करते है भैया कि ,, अगर उह राम है तो हमहू है उनके लक्षमण उनकी कही बात को काटेंगे नहीं फिर चाहे हमरी गर्दन ही क्यों न कट जाये ?”,मुरारी ने कहा
“तो तुमहू गर्दन कटवाय ल्यो जे हम पी लेते है”,फूफाजी ने मुरारी के हाथ से केन लेकर गटकते हुए कहा। मुरारी या रामभरोसे उन्हें रोक पाते इस से पहले ही फूफाजी ने केन खाली कर दी और मुरारी की तरफ बढाकर कहा,”बहुते सही चीज है मुरारी , का है कि बहुते प्यास लगी थी तो जे पी लिया”
“भूख लगेगी तो बस को निगल जाओगे ?”,मुरारी ने चिढ़ते हुए कहा
“जे का हरकत है मुरारी , हम इतना प्यार से बोले रहे और तुमहू हो कि जब देखो तब लाल पीले रहते हो,,,,,,,,,,,,,का कबो प्यार से बात नहीं कर सकते”,इस बार फूफाजी ने भड़कर कहा
मुरारी जो अच्छा खासा परेशान हो चुका था एकदम से उठा और फूफाजी की गोद में लगभग चढ़ते हुए उनके गले में बाँहे डालकर अदा के साथ आँखों को मटकाते हुए कहा,”प्यास लगी तो दारू का पूरा केन एक साँस में गटक गए , भूख लगेगी तो क्या बस को भी निगल जायेंगे,,,,,,,,,,,,,ह्म्मम्म्म्म नॉटी , इतना प्यार से काफी है,,,,,,,,,!!!”
“तुम्हरे लक्षण हमका कुछो ठीक नहीं लग रहे है मुरारी,,,,,,,,,,,,बाबा सुनिये हम आपकी सीट पर बैठेंगे,,,,,,आप हमारी सीट पर बैठ जाईये”,फूफाजी ने मुरारी को खुद से दूर कर बाबा की तरफ आते हुए कहा
मुरारी ने सर झटका और आकर राम भरोसे के पास बैठ गया। वह बस सुबह का इंतजार करने लगा,,,,,,,,,,,,,,,!!!
शक्ति के कहने पर काशी शक्ति के घर में रुक गयी। उसने गौरी की मदद से नानू नानी को भी झूठ बोल दिया। हालाँकि वह सच भी कहती तो अधिराज जी और अम्बिका उसे शक्ति के यहाँ रुकने से मना नहीं करते पर काशी को डर था शादी से पहले शक्ति के साथ रात में रुकना कही नानू नानी की भावनाओ को हर्ट ना कर दे यही सोचकर काशी को एक छोटा सा झूठ बोलना पड़ा कि वह गौरी के घर है।
शक्ति को खाना खिलाते हुए काशी ने खुद भी शक्ति के साथ खाना खाया और फिर बर्तन धोने किचन में चली गयी। पंकज भी अपना खाना ख़त्म कर अंदर आया और प्लेट रखने किचन में आया तो देखा काशी पहले से वहा मौजूद है।
“ये हमे दे दो,,,,,,,,,,!!”,काशी ने पंकज के हाथ से प्लेट ली और धोने लगी तो पंकज ने कहा,”सर बहुत लकी है मैडम जिन्हे आप मिली , आप हमेशा उनका ऐसे ही ख्याल रखना”
“वो नहीं हम लकी है जिन्हे शक्ति जैसा जीवनसाथी मिला,,,,,,,,,हां वो थोड़ा खड़ूस है लेकिन अच्छा है”,काशी ने कहा तो पंकज हंस पड़ा और कहा,”आपकी इस बात से तो मैं भी एग्री करूंगा मैडम,,,,,,,!!”
पंकज ने कहा तो काशी भी उसके साथ खिलखिलाकर हंस पड़ी तभी शक्ति की आवाज दोनों के कानों में पड़ी,”अच्छा तो हम खड़ूस है,,,,,,,,,,पंकज कल सुबह तुम हमे हमारे ऑफिस में मिलो”
पंकज ने सुना तो घबरा गया और शक्ति की तरफ पलटकर कहा,”अरे सर मैं तो बस मजाक कर रहा था , रात बहुत हो गयी है मैं चलता हूँ,,,,,,,,,,गुड नाईट सर अपना ख्याल रखियेगा,,,,,,,,,,गुड नाईट मैडम”
“गुड नाईट,,,,!!”,काशी ने मुस्कुरा कर कहा तो पंकज वहा से चला गया
पंकज के जाने के बाद शक्ति काशी के पास आया और कहा,”हम खड़ूस है ?”
“हम्म्म थोड़े से लेकिन हम झेल लेंगे,,,,,,,,वैसे तुम यहाँ क्यों चले आये हम तुम्हारे लिये पानी लेकर बाहर ही आ रहे थे”,काशी ने गिलास में पानी भरते हुए कहा
शक्ति ने कुछ नहीं कहा वह बस प्यार से काशी को देख रहा था काशी उसके पास आयी उसे अपने हाथो से पानी पिलाया और फिर अपने दुपट्टे से उसके मुँह को पोछ दिया।
काशी का इस तरह परवाह जताना शक्ति को अच्छा लग रहा था।
“शक्ति तुम अपने कमरे में चलकर आराम करो हम तुम्हारी दवाईया और तुम्हारे लिये हल्दी वाला दूध लेकर आते है।”,काशी ने गैस की तरफ जाते हुए कहा
“हम यही खड़े है,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा
“नहीं इसकी कोई जरुरत नहीं है तुम चलकर आराम करो हम आते है,,,,,,,,,,,,और वैसे भी ये घर है आपका पुलिस स्टेशन नहीं यहाँ सिर्फ हमारी मर्जी चलेगी,,,,,,,,,चलेगी ना ?”,काशी ने शक्ति की आँखों में झाँकते हुए प्यार से कहा
“हम्म्म बिल्कुल,,,,,!!”,कहकर शक्ति मुस्कुराते हुए वहा से चला गया
काशी कोई धुन गुनगुनाते हुए शक्ति के लिये दूध उबालने लगी , उसने हल्दी वाला दूध गिलास में छाना और बाहर चली आयी। बाहर टेबल पर रखी शक्ति की दवाईयों को उठाया और उसके कमरे में चली आयी जहा शक्ति बिस्तर पर अधलेटे आँखे मूंदे किसी गहरी सोच में डूबा था।
“चलो उठो और ये दवा खाओ”,काशी की आवाज से शक्ति की तंद्रा टूटी वह उठकर बैठ गया। काशी ने पानी का गिलास शक्ति की तरफ बढ़ाया और दवा निकालकर उसके हाथ में रख दी। शक्ति ने टेबलेट खायी और पानी पीया तो उसका मुंह बन गया ये देखकर काशी ने कहा,”कड़वी है ?”
“हम्म्म्म,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा तो काशी मुस्कुरा दी और एक और टेबलेट निकालकर शक्ति के हाथ पर रखते हुए कहा,”लेकिन ये नहीं खाओगे तो तुम जल्दी से ठीक कैसे होंगे ? और फिर कल शाम तुम्हे मुन्ना भैया और गौरी की सगाई में भी तो आना है,,,,,,,,,,,चलो खाओ”
शक्ति ने बच्चो की तरह अपने होंठो को बाहर निकाला और फिर दवा खा ली। काशी ने उसे पीने के लिये हल्दी वाला दूध दिया और दूध पीने के बाद जैसे ही उठकर जाने लगी तो शक्ति ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”हमारे लिये ये सब करते हुए तुम बिल्कुल हमारी माँ जैसी लग रही हो काशी , क्या तुम हमारे लिये एक काम और करोगी जो हमारी माँ किया करती थी ?”
“हम्म्म बताओ,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
शक्ति ने काशी की आँखों में देखा और कहा,”क्या हमे सुलाओगी वैसे ही जैसे हमारी माँ सुलाया करती थी अपनी गोद में हमारा सर रखकर ?”
काशी ने सुना तो उसका दिल धड़का , उसने सोचा शक्ति को दवा देकर वह बाहर हॉल में जाकर सो जायेगी क्योकि शादी से पहले वह किसी भी हाल में शक्ति के इतना करीब जाना नहीं चाहती थी। अपनी कुछ मर्यादाये और हदें काशी भी जानती थी लेकिन शक्ति ने जब सुलाने की बात कही तो काशी उलझन में पड़ गयी।
शक्ति उसकी तरफ देखे जा रहा था , काशी ने बहुत सोचा लेकिन वह शक्ति को मना नहीं कर पायी और बिस्तर पर आकर बैठ गयी। शक्ति ने अपना सर काशी की गोद में रखा और लेट गया।
शक्ति से बाते करते हुए काशी उसका सर सहलाने लगी , उसकी नाजुक उंगलिया शक्ति के बालों में घूम रही थी। वही अहसास और वही सुकून जो शक्ति को बचपन में मिला करते था। कुछ देर बाद ही शक्ति को नींद आ गयी और काशी की भी आँखे मूंदने लगी। वह बैठे बैठे ही बिस्तर से पीठ लगाकर सो गयी और उसका सर दिवार से जा लगा।
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संजना किरोड़ीवाल
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