Main Teri Heer – 31
Main Teri Heer – 31
रात के 10 बज रहे थे और शाम को घर आया वंश अभी तक सो रहा था। वंश अकेला था और मुन्ना भी वापस बनारस जा चुका था। वंश की आँख खुली वह अपनी आँखे मसलते हुए उठा और किचन की तरफ चला आया। वंश ने फ्रीज से पानी का बोतल निकाला और पानी पीते हुए बालकनी की तरफ चला आया। वंश ने पर्दे हटाए और बाहर देखा तो उसका चेहरा खिल उठा। वंश जिस शहर में था उस शहर में कभी रात होती ही नहीं थी। दसवे माले के फ्लेट की बालकनी में खड़ा वंश बाहर जगमगाते शहर को देख रहा था।
कुछ देर वहा खड़े रहने के बाद वंश को भूख का अहसास हुआ वह किचन की तरफ आया और देखने लगा अपने लिये खाने में क्या बनाये ? वंश को सिर्फ कॉफी बनाना आता था वो भी ऐसी जिसे उसके अलावा कोई दुसरा पीना पसंद ना करे। वंश सोच में पड़ गया बाहर से खाना आर्डर करने का सोचकर उसने अपना फोन निकाला और फिर उसे सारिका की कही बात याद आ गयी। मुंबई आने से पहले सारिका ने वंश को ढेर सारी नसीहते जो दी थी और उन्ही नसीहतों में से एक थी ” रोज रोज बाहर का खाना ना खाना”
वंश ने बाहर से खाना मंगवाने का ख्याल दिमाग से निकाल दिया और किचन रेंक खोलकर उसमे कुछ ढूंढने लगा जिसमे नूडल्स रखे थे लेकिन उन्हें बनाना कैसे है ये वंश को नहीं आता था। वंश ये सोच ही रहा था कि तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया।
“डेड ने आज मुझे फिल्मसिटी के बाहर देखा और वो इस बात से बहुत नाराज है,,,,,,,,,,,,,,!!”,मैसेज निशि का था
वंश ने मैसेज पर कोई ध्यान नहीं दिया और जवाब में लिखकर भेजा “हे ! तुम्हे नूडल्स बनाने आते है क्या ?”
निशि ने वंश का मैसेज देखा तो गुस्से में आकर फोन फेंकने का सोचा लेकिन फोन उसका अपना था और नुकसान भी अपना ही था इसलिए उसने वंश की बात का जवाब ना देकर सीधा उसे फोन लगा दिया। वंश ने जैसे ही फोन उठाया निशि ने चिढ़ते हुए कहा,”तुम पागल हो क्या ? मैं तुम्हे अपनी प्रॉब्लम बता रही हूँ और तुम मुझसे नूडल्स के बारे में पूछ रहे हो ?”
वंश ने सुना तो फोन को अपने कान से थोड़ा दूर करके मुंह बनाया और फिर वापस कान से लगाते हुए कहा,”रिलेक्स निशि ! तुम मुझे ये बताओ अभी के लिये इम्पोर्टेन्ट क्या है ? तुम्हारे डेड या मेरे नूडल्स ?”
वंश की बात सुनकर निशि भी उलझन में पड़ गयी और कहा,”नूडल्स,,,,,,,,,!!”
“एग्जैक्टली,,,,,,,,,तो बेटर है ना तुम्हारी प्रॉब्लम का सोलूशन देने से पहले क्यों ना मैं पहले अपना पेट भर लू देन उसके बाद मैं तुम्हे बेटर सोलुशन दे पाऊंगा”,वंश ने कहा
“हम्म्म , राइट,,,,,,!!”,निशि ने कहा , पहली बार उसे वंश की बात सही लगी
“तो फिर बताओ कैसे बनाना है ? वैसे जब तक नूडल्स बनते है तुम फोन चालू रख सकती हो”,वंश ने कहा
निशि अपने कमरे में घूमते हुए वंश को बताने लगी और वंश स्टेप बाय स्टेप नूडल्स बनाने लगा। नूडल्स बनकर तैयार थे वंश ने उन्हें प्लेट में निकाला और लेकर हॉल में चला आया। वंश सोफे पर आ बैठा और प्लेट सामने टेबल पर रखकर निशि से कहा,”अहम्म्म्म्म ये काफी अच्छा बना है , वैसे तुमने ये सब बनाना कहा से सीखा ?”
“अपनी मॉम से,,,,,,,,,अब तो नूडल्स भी बन गए , क्या अब तुम मुझे बताओगे मैं क्या करू ?”,निशि ने उलझन भरे स्वर में कहा
“तुम इतना टेंशन क्यों ले रही हो ? तुम तो वैसे भी कल नवीन अंकल और आंटी के साथ इंदौर जा रही हो मुन्ना और गौरी की सगाई में,,,,,,,,,,,,शूटिंग तो वहा से आने के बाद है तब तक तुम अंकल आंटी को मना लेना सिम्पल”,वंश ने नूडल्स खाते हुए कहा
“मैं इंदौर नहीं आ रही,,,,,!”,निशि ने मायूस होकर कहा
“क्या ? लेकिन क्यों ?”,वंश ने हैरानी से कहा नूडल्स से भला कांटा उसके हाथ में ही रह गया
“डेड मुझसे नाराज है वो नहीं चाहते मैं सीरीज में काम करू,,,,,,,,,,,,,इसलिए वो मुझे मुन्ना भैया की सगाई में लेकर भी नहीं जा रहे,,,,,,,,!!”,निशि ने उदास होकर कहा
निशि सगाई में नहीं आ रही है ये जानकर वंश को अच्छा नहीं लगा , उसने कांटा प्लेट में रखते हुए कहा,”तुम सच में नहीं आओगी ?”
“वंश मैं डेड के खिलाफ नहीं जा सकती,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“तुम कहो तो मैं उन से बात करू ?”,वंश ने कहा
“वंश वो तुम से भी नाराज है , उन्हें लगता है तुमने ही मुझे सीरीज के लिये बहलाया है,,,,!!”,निशि ने धीमे स्वर में कहा
“ओह्ह्ह तो फिर मुझे अपना बनारस वाला दिमाग लगाना ही पडेगा,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कुछ सोचते हुए कहा
“क्या करने वाले हो तुम ? देखो अगर तुम किसी तरह की गड़बड़ करने की सोच रहे हो तो मैं तुम्हारे साथ बिल्कुल नहीं हूँ , तुम अभी डेड का गुस्सा जानते नहीं हो,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने घबराकर कहा
“अरे तुम्हारे डेड की तो,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने इतना ही कहा कि निशि चिल्लाई,”ए ! वो मेरे डेड है”
“सॉरी,,,,,,,,,,,मैं बस इतना कह रहा हूँ कि तुम इंदौर आओगी,,,,,,,,,!”,वंश ने प्लेट में रखे कांटे को उठाकर फिर से नूडल्स खाते हुए कहा
“ओहके आई ट्रस्ट यू,,,,,,,,!!”,निशि ने एक ठंडी आह भरकर कहा
“अच्छा ठीक है अब फोन रखो,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह 11 बज गए मुझे अपनी लाइफलाइन से बात करनी है,,,,,,,,,,,बाय”,कहकर वंश ने निशि की बात सुने बिना ही फ़ोन काट दिया लेकिन बेचारी निशि को उलझन में डाल दिया।
निशि अपने फोन को होंठो से लगाये वंश के बारे में सोचने लगी , आखिर ये लाइफलाइन कौन हो सकती थी जिसके बारे में वंश ने कभी जिक्र तक नहीं किया। निशि ने अपना फोन साइड में रखा और बिस्तर पर लेटते हुए कहा,”मुझे क्या ? वैसे भी हम दोनों अब सिर्फ अच्छे दोस्त है”
निशि कुछ देर वंश के बारे में सोचती रही और फिर सोने चली गयी।
शिवम् का घर , बनारस
अपने में कमरे में बैठी सारिका अपने हाथो पर लगी मेहन्दी को निहार रही थी। सारिका की मेहन्दी बहुत खूबसूरत लगी थी और उसके गोरे हाथो में काफी जच भी रही थी। सारिका और आई मेहँदी अनु के घर से ही लगवाकर आयी थी लेकिन रात काफी हो चुकी थी इसलिये सारिका ने उंगलियो पर मेहँदी नहीं लगवाई और घर चली आयी। सारिका की उंगलियों पर मेहँदी उसके सामने बैठा शिवम् लगा रहा था।
शिवम् बहुत धीरे धीरे और ध्यान से सारिका की उंगलियों के पोरो पर मेहन्दी लगा रहा था और सारिका शिवम् को देखते हुए मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
शिवम् ने 3 उंगलियों पर लगाया और चौथी ऊँगली पर लगाते हुए कहा,”सरु ! आप ये अनु के वहा लगवा लेती खामखा इतनी रात में परेशान हो रही है।”
“नहीं हम तो परेशान नहीं हो रहे , कही ये लगाते हुए आप तो परेशान नहीं हो रहे ?”,सारिका ने कहा
शिवम् ने सारिका की तरफ देखा और मुस्कुराया , सारिका को अपनी तरफ देखते पाकर शिवम् ने कहा,”नहीं ! हम आपसे कभी परेशान नहीं हो सकते ,, हम
तो जिंदगीभर आपकी गुलामी करने के लिये तैयार है।”
सारिका ने सुना तो मुस्कुराई और प्यार से कहा,”शिवम् जी ! अगर हम अनु के घर ये लगवा लेते तो हमे आपके साथ ये खूबसूरत पल कैसे मिलते ? कभी कभी तो आप इतने शांत और सरल होते है,,,,,,,,,,,
इसलिये भले हमे परेशान होना पड़े लेकिन हमे तो ये पल बहुत अजीज है जब आप हमारी आँखों के सामने होते है और हमारे लिये ये छोटी छोटी चीजे करते है।”
शिवम् ने प्यार से सारिका के गाल को छुआ तो ऊँगली पर लगी मेहँदी उसके गाल पर लग गयी और दोनों हंस पड़े। शिवम् ने मेहँदी हटाई तभी सारिका का फोन बजा। स्क्रीन पर वंश का नाम देखकर सारिका का चेहरा खिल उठा लेकिन फोन उठाये कैसे उसके तो हाथो पर मेहँदी लगी थी।
उसने शिवम् की तरफ देखा तो शिवम् ने फोन उठाकर सारिका के कान से लगा दिया।
“प्रणाम माँ”,दूसरी तरफ से वंश की आवाज उभरी
“खुश रहो बेटा , कैसे हो ?”,सारिका ने कहा
“मैं बिल्कुल ठीक हूँ माँ आप कैसी है ?”,वंश ने कहा
“हम भी ठीक है , तुम मुन्ना की सगाई में आ रहे हो ना ?”,सारिका ने पूछा
“माँ ये भी कोई पूछने की बात है ? वैसे मैंने अभी तक सगाई में पहनने के लिये कुछ लिया नहीं है”,वंश ने कहा
“हम जानते थे इसलिये आज हमने खरीद लिये इंदौर लेकर आएंगे तब तुम देख लेना,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
“ओह्ह्ह माँ थैंक्यू सो मच आप बहुत बहुत बहुत अच्छी हो,,,,,,,,,,,वैसे आप अभी तक जाग रही है , सोई नहीं ?”,सारिका ने कहा
“हमारे हाथो में मेहँदी लगी है बस ये सुख जाये उसके बाद,,,,,,,,,तुम इस वक्त क्यों जाग रहे हो ?”,सारिका ने पूछा
“अह्ह्ह भूख लगी थी इसलिये नूडल्स बनाये तो खाते खाते लेट हो गया,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा तो सारिका उदास हो गयी , जब वंश बनारस में उसके पास था वह हमेशा वंश की पसंद का खाना बनाया करती थी। सारिका को उदास देखकर शिवम् ने अपनी भवे उचकाई तो सारिका ने ना में गर्दन हिला दी और वंश से कहा,”तुम्हे बनाना आता है,,,,,,,,,,!!”
“अरे माँ वो निशि है न उसने,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब उसने बनाना सिखाया,,,,,,,,,,,जब मैं बनारस आऊंगा तब आपको बनाकर खिलाऊंगा”,वंश ने कहा
“कब आ रहे हो फिर ? तुम्हे देखने का बहुत दिल कर रहा है,,,,,,,,,,,!!”,सारिका ने कहा
“जल्दी आऊंगा , वे ये मेहँदी किसलिए ? क्या ये लगाना जरुरी होता है ?”,वंश ने पूछा
“मुन्ना और गौरी की सगाई है तो लगाना जरुरी है बेटा,,,,,,,,!!”,सारिका ने प्यार से कहा
“फिर तो मुझे भी लगानी चाहिए आफ्टरऑल मेरे भाई की सगाई है,,,,,,,,,!!”,वंश ने चहकते हुए कहा
सारिका ने सुना तो हसने लगी और कहा,”लड़को के हाथो पर मेहँदी उनकी सगाई या शादी में ही लगती है ,, या फिर गणेश चतुर्थी पर,,,,,,,,,,,,बाकी लड़के मेहँदी नहीं लगाते,,,,,!!”
“हम्म्म , पापा कैसे है ?”,वंश ने शिवम् के बारे में पूछा
“हमारे सामने है , इन्फेक्ट हमारे हाथो में मेहँदी लगा रहे है”,सारिका ने शिवम् की तरफ देखकर प्यार से कहा तो शिवम् सारिका की आँखों में देखने लगा
“क्या ? पापा आपको मेहँदी लगा रहे है ,, पर क्यों ?”,वंश ने हैरानी से पूछा
“ये उनका प्यार है बेटा,,,,,,,!!”,सारिका ने इतना ही कहा कि शिवम् ने सारिका के कान से फोन हटाकर अपने कान से लगाते हुए कहा,”और तूम इतनी रात में फोन करके हमारे निजी जीवन में दखलंदाजी कर रहे हो।”
वंश ने सुना तो बेचारा खामोश ही गया और हड़बड़ाते हुए कहा,”प् प् प्रणाम पापा,,,,,,,,,,,,!!”
“खुश रहो , इंदौर कब आ रहे हो तुम ?”,शिवम् ने पूछा
“परसो सुबह की फ्लाइट है पापा जल्दी ही निकल जाऊंगा”,वंश ने हड़बड़ी में कहा क्योकि सारिका से वह खुलकर बात कर सकता था लेकिन शिवम् के सामने बोलने में तो उसकी घिग्गी ही बंध जाया करती थी।
“हम्म्म ध्यान से आना,,,,,,,मुंबई में आराम से रह रहे हो ना तुम ? किसी तरह की कोई परेशानी हो तो हमे बता सकते हो,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा
“अह्ह्ह नहीं पापा , मैं यहाँ आराम से हूँ,,,,,,,,,अभी मैं रखता हूँ !!”,वंश ने कहा
“हम्म्म ठीक है,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखो”,कहकर शिवम् ने फोन काट दिया।
शिवम् ने फोन साइड में रखा तो पाया सारिका के चेहरे पर पहले वाली उदासी फिर लौट आयी है। सारिका को उदास देखकर शिवम् ने कहा,”क्या हुआ सरु ?”
“घर से दूर ये लड़का नूडल्स खा रहा है , उसे तो कुछ बनाना भी नहीं आता , यहाँ था तब हम बनाकर , डांटकर तो कभी प्यार से खिला दिया करते थे अब वहा पता नहीं कैसे रहता होगा ?”,सारिका ने वंश के बारे में सोचते हुए कहा
“हमारा बेटा बहुत समझदार है सरु वो अब इतना बड़ा हो गया है कि अपना ख्याल खुद रख सके,,,,,,,,,,,,आपको उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए,,,,,,,,,,बल्कि हमे चिंता कुछ और है,,,,,,!!”,शिवम् ने थोड़ा गंभीरता से कहा
“कैसी चिंता ?”,सारिका ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“मेहंदी में इस बार आपने हमारा नाम नहीं लिखवाया , क्या हमारे लिये आपका प्यार कम हो गया है ?”,शिवम् ने बच्चो की तरह शिकायती लहजे में कहा
“श्श्श कैसी बातें कर रहे है आप ? आपके लिये हमारा प्यार कभी कम नहीं हो सकता ,, सिर्फ मेहँदी में लिखा आपका नाम ये तय नहीं करता कि हमे आपसे मोहब्बत है , आपके लिये हमारी मोहब्बत अथाह आसमान जैसी है जिसका कोई अंत नहीं है।”,सारिका ने कहा
शिवम् ने सुना तो मुस्कुरा उठा और कहा,”फिर भी हम ही आपकी मेहँदी में अपना नाम लिख देते है,,,,,,,,!!”
शिवम् ने मेहँदी के कीप से सारिका की मेहँदी में खाली जगह पर एक छोटा सा टेढ़ा मेढा “S” बना दिया और दोनों उसे देखकर मुस्कुरा उठे।
शिवम् से बात करने के बाद वंश ने फोन रखा और खुद से कहा,”पापा माँ से कितना प्यार करते है , मुझे यकीन नहीं हो रहा पापा माँ के हाथो में मेहँदी लगा रहे है। इट्स टू रोमांटिक,,,,,,,,,,,,,!!”
वंश ख़ुशी से सोफे से उठा और अपने कमरे में चला आया। वह पीठ के बल बिस्तर पर आकर गिरा और कहा,”उस दिन मैं सोचा कि निशि को माँ के जैसा होना चाहिए और मेरी हर बात माननी चाहिए , लेकिन उस से पहले मुझे भी तो पापा जैसा बनना पडेगा ना,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं पापा जैसा कठोर नहीं बनूंगा,,,,,,,,,
ये सब मुझे बाद में सोचना चाहिए पहले मुझे ये सोचने की जरूरत है कि नवीन अंकल को कैसे मनाऊ कि वो निशि को इंदौर आने की परमिशन दे दे,,,,,,,,,लगता है मुझे ही कुछ करना होगा , वो छिपकली भी ना मुझपे गुस्सा करने के लिये इसके पास 100 वजह है लेकिन दुसरो के सामने पेनिक हो जायेगी,,,,,,,,,,खैर मैं हूँ ना तुम्हे हर प्रॉब्लम से बाहर निकालने के लिये,,,,,,,,,,,,!!
वंश कुछ देर निशि के बारे में सोचता रहा और फिर सोने चला गया
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संजना किरोड़ीवाल
Vansh ne Nishi ke help se noodles banaye aur kaha ki voh usse Indore Munna aur Gauri ki sagai me lane ke liye kuch sochega aur voh sochne laga ki Navin uncle kaise manaye…Vansh kush hai Shivam Sarika se bahut karta hai jankar aur voh bi unki tarah banna chahata hai…Nishi ko ajeeb laga jab Vansh ne kaha voh apni lifeline se baat karna hai toh…interesting part Maam♥♥♥♥♥
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