Main Teri Heer – 28
Main Teri Heer – 28
गौरी , काशी , ऋतू और प्रिया चारो कैफे में चली आयी और खाने पीने लगी। ऋतू और प्रिया बाते करते हुए खा रही थी और गौरी अपने फोन में कुछ देखने में बिजी थी। उसने अपना फोन रखा और काशी की तरफ देखा जो कि कही खोयी हुई थी। गौरी ने काशी के हाथ पर अपना हाथ रखा और भँवे उचकाई तो काशी ने फीका सा मुस्कुरा कर ना में गर्दन हिला। गौरी समझ गयी कि काशी किसी ना किसी बात से परेशान है इसलिए उसने ऋतू प्रिया के सामने पूछना सही नहीं समझा।
खाने पीने के बाद ऋतू और प्रिया ने काशी और गौरी को बाय बोला और वही से घर के लिये निकल गयी। गौरी काशी के साथ कैफे से बाहर आयी। काशी जैसे ही स्कूटी की तरफ जाने लगी गौरी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया।
गौरी उसके सामने आयी और कहा,”काशी ! क्या हुआ है तुम्हे , मैं सुबह से देख रही हूँ तुम कुछ परेशान दिख रही हो,,,,,,,,,,,,क्या ये शक्ति की वजह से है ?”
गौरी के मुंह से शक्ति का नाम सुनकर काशी ने हैरानी से उसे देखा , आखिर गौरी ने बिना कहे उसके दिल की बात कैसे जान ली ? काशी का उतरा हुआ चेहरा देखकर गौरी ने कहा,”काशी तुम ज्यादा सोच रही हो , ऋतू प्रिया तो है ही गधी , उन्होंने शक्ति के लिये नेगेटिव कहा और तुमने मान लिया।”
“ऐसी बात नहीं है गौरी,,,,,बस शक्ति से ठीक से बात नहीं हो पा रही इसलिये थोड़ा,,,,,,,,,,हम ठीक है।”,काशी ने मायूसी से कहा
“अगर ठीक नहीं भी हो तो तुम्हे ठीक होना पड़ेगा , परसो मेरी सगाई है और कल तो तुम्हारे घरवाले भी यहाँ पहुँच जायेंगे,,,,,,,,,,,और रही बात शक्ति की तो एक बार सगाई हो जाये उसके बाद मैं उसे अच्छे से डांट लगाती हूँ,,,,,,,,,,वो मेरी सहेली को ऐसे कैसे परेशान कर सकता है ?”,गौरी ने कहा
“पक्का तुम उसे डाटोगी ?”,काशी ने मासूमियत से पूछा
“हाँ बिल्कुल,,,,,,,,चलो अब मुस्कुराओ”,गौरी ने कहा तो काशी मुस्कुरा दी और फिर दोनों वहा से घर के लिये निकल गयी।
फिल्म सिटी , मुंबई
अमितेश ने निशि को कॉन्ट्रेक्ट समझाया और वंश और मायरा के साथ उसका फोटोशूट किया। दोपहर होने को आयी निशि को बहुत भूख लगी थी। अमितेश ने उसे सुबह 6 बजे शूटिंग पर आने को कहा और चला गया।
वंश मायरा के साथ खड़ा सीरीज के बारे में बात कर रहा था। अमितेश के जाने के बाद वंश निशि के पास चला आया। वंश का यू बीच में चले जाना मायरा को अच्छा नहीं लगा वह मुंह बनाकर वहा से चली गयी।
वंश निशि के पास आया और कहा,”थैंक्यू सो मच”
“बस करो कितनी बार थैंक्यू बोलोगे,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“तो तुम ही बताओ मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूँ ? तुम नहीं जानती तुमने मुझे कितनी बड़ी मुसीबत से निकाला है। जस्ट टेल मी व्हाट केन आई डू फॉर यू ?”,वंश ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा
“बहुत भूख लगी है,,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा
“ओह्ह्ह सॉरी मैं तो भूल ही गया , मैं अमितेश से मिलकर आता हूँ उसके बाद चलते है।”,वंश ने कहा और वहा से चला गया
निशि वही खड़ी वंश का इंतजार करने लगी तभी उसका फ़ोन बजा , निशि ने फ़ोन देखा स्क्रीन पर पूर्वी का नंबर देखकर निशि के चेहरे पर गुस्से के भाव तैरने लगे उसने फोन काट दिया और जेब में रख लिया। बीती रात पूर्वी निशि को वंश और मुन्ना के साथ अकेले छोड़कर चली गयी थी इसी बात से निशि नाराज थी।
कुछ देर बाद वंश आया और निशि के साथ वहा से निकल गया। फिल्मसिटी से बाहर आकर वंश ने कैब बुक करनी चाही तो निशि ने कहा,”यहाँ से 100 मीटर पर ही एक रेस्त्रो है वहा तक पैदल चलते है ना”
“हाँ ठीक है !”,वंश ने कहा और निशि के साथ आगे बढ़ गया।
दोनों साथ साथ चल रहे थे लेकिन खामोश , पहले बात करे तो कौन करे ? निशि के साथ चलते हुए वंश ने निशि को देखा और मन ही मन कहने लगा,”मैं भी कितना बड़ा ढक्कन हूँ , ये इतनी बुरी भी नहीं जितना मैं इसे समझता हूँ,,,,,,,,ये हमेशा मेरी हेल्प करती है और मैं इसे किसी ना किसी बात पर परेशान कर देता हूँ , आज भी ये सिर्फ मेरे लिये यहाँ चली आयी,,,,,,,,,,,,,आई थिंक मुझे अब इसके साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,और इसे सॉरी बोल देना चाहिए !!”
निशि ने वंश की तरफ देखा तो वंश सामने देखते हुए चलने लगा और निशि मन ही मन खुद से कहने लगी,”मैंने इसे कुछ ज्यादा ही उलटा सीधा बोल दिया , वैसे ये इतना बुरा भी नहीं है बस कभी कभी मेरी बातो से किलस जाता है,,,,,,,,,,,और वैसे भी बनारस में तो ये मेरे साथ स्वीट ही था वो तो मैंने ही मुंबई आकर इसके साथ बदतमीजी की,,,,,,,,,,,बेचारा ! मैंने इसे कितना सुनाया और ये फिर भी मेरे साथ सीरीज में काम करने को तैयार हो गया।
आई थिंक मुझे एक बार तो इसे सॉरी बोल देना चाहिए और सब भूलकर फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए,,,,,,,,,,,,,क्या पता मुंबई में ये मेरा अच्छा दोस्त साबित हो जाये”
“सॉरी,,,,,,,,,,सॉरी”,निशि और वंश ने एक दूसरे की तरफ देखकर एक साथ कहा और फिर अगले ही पल दोनों एक साथ हंस पड़े
“सॉरी,,,,,,,,,मैंने तुम्हे बहुत परेशान किया”,वंश ने सहजता से कहा
“आई ऍम सॉरी , मैंने भी तुम्हे बहुत गलत कहा,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“फ्रेंड्स ?”,वंश ने अपना हाथ निशि की तरफ अपना हाथ बढाकर कहा
निशि ने अपनी आँखों को छोटा करके वंश को देखा और फिर कहा,”आई हॉप की ये कोई मजाक नहीं है , उसके बाद तुमने वही सब किया तो ?”,
“बिल्कुल नहीं मैं तुम्हे ऐसा लड़का लगता हूँ क्या ? अरे मैं बहुत शरीफ और एक मासूम लड़का हूँ।”,वंश ने क्यूट बनते हुए कहा
“ओके फ्रेंड्स”,निशि ने वंश से हाथ मिलाया
“लेकिन सिर्फ फ्रेंड्स हां,,,,,,,,,,,इस से ज्यादा कुछ नहीं”,वंश ने निशि को छेड़ते हुए कहा
“ओह्ह्ह प्लीज तुम्हे लगता है मेरे पास इतना फालतू टाइम है,,,,,,,,!!”,निशि ने भी अपनी आँखे घुमाते हुए कहा
“तो फिर चले पार्टनर ?”,वंश ने अपना हाथ कमर पर रखकर निशि से कहा
“लेटस गो , मैं आज डबल चीज पिज्जा खाने वाली हूँ,,,,,,,,,वो भी तुम्हारे पैसो से,,,,,,,,,!!”,निशि ने वंश की बांह में बांह डालते हुए कहा और उसके साथ आगे बढ़ गयी
“वैसे तुम्हे यहाँ का चीज गार्लिक ब्रेड भी ट्राय करना चाहिए,,,,,,,,,वो बेस्ट है यहाँ का”,वंश ने कहा
“ठीक है साथ में चॉकलेट शेक भी पिएंगे”,निशि ने कहा
“एक ही ग्लास में दो स्ट्रा डाल के,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
निशि चलते चलते रुकी और वंश की तरफ पलटकर कहा,”तुम फिर से फ्लर्ट कर रहे हो ?”
“फ्लर्ट नहीं मेरे पास इतने ही पैसे है,,,,,,,,,,!!”,वंश ने मायूसी से कहा
“अच्छा ठीक है शेक मेरी तरफ से,,,,,!!”,निशि ने कहा तो वंश ख़ुशी ख़ुशी उसके साथ चल पड़ा।
कहानी की शुरुआत में दोनों एक दूसरे से प्यार करने चले थे लेकिन अभी तो इन दोनों का बचपना ही पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ था।
उर्वशी के घर के हॉल में बैठे यादव जी उर्वशी से कुछ बात कर रहे थे। घर का नौकर उनके लिये चाय पानी रख कर चला गया। उर्वशी ने यादव जी को चाय लेने को कहा और खुद भी एक कप चाय उठाकर पीने लगी।
“देखिये मैडम ! आप तो जानती ही है यहाँ ज्यादा दिन रुकना और ये सब करना मेरे बस का नहीं है लेकिन आपके पास वक्त भी है और अदाएं तो भर भर कर है। किसी मर्द को अपना दीवाना बनाना आपको अच्छे से आता है। मानवेन्द्र मिश्रा के पास कुछ तो ऐसा है जिसका डर चौहान साहब को भी है आपको बस वो उस से निकलवाना है।
अगर आप ऐसा कर देती है तो फिर इस बार बनारस इलेक्शन में युवा नेता के रूप में आपकी सीट पक्की,,,,,,,,,,,,,,कहिये क्या कहती है ?”
“यादव बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन ये जितना आसान तुम्हे लग रहा है उतना आसान है नहीं,,,,,,,,,,,,,,,एक सीट के लिये मैं मुन्ना को मुसीबत में नहीं डाल सकती , चौहान साहब से कहो कही और हाथ डाले यहाँ उन्हें कुछ नहीं मिलेगा”,उर्वशी ने कहा
“मुन्ना ?”,यादव जी ने पूछा
“अरे आपके मानवेन्द्र मिश्रा , प्यार से सब उन्हें मुन्ना बुलाते है।”,उर्वशी ने मुन्ना का नाम कुछ ज्यादा ही प्यार से लेते हुए कहा
“हमे ऐसा क्यों लग रहा है सबके साथ साथ आप भी उन्हें प्यार से बुलाने लगी है।”,यादव जी ने गंभीरता से कहा तो उर्वशी ने नजरे उठाकर उन्हें देखा
“मेरा मतलब है ये सब चीजे साइड में कीजिये और उस पर ध्यान दीजिये जिसमे आपका फायदा है। 2 लाख चौहान साहब ने भेजे है बाकि काम होने के बाद 8 लाख और युवा नेता की सीट आपकी,,,,,,,,,,,,!!”,यादव जी ने उर्वशी को लालच देते हुए कहा
“यादव तुम्हे शायद मेरी बात समझ नहीं आयी मैंने कहा मैं मुन्ना को मुसीबत में नहीं डाल सकती और ना ही किसी और को डालने दूंगी,,,,,,,!!”,उर्वशी ने यादव को घूरकर देखते हुए कहा
उर्वशी का बदला हुआ बर्ताव देखकर यादव जी ने कहा,”क्या प्यार व्यार हो गया है क्या मुन्ना से ?”
यादव की बात सुनकर उर्वशी कुछ देर खामोश रही और फिर अपनी जगह से उठकर हॉल में टहलते हुए कहा,”नहीं प्यार नहीं हुआ है पर हो जायेगा,,,,,,,,,,,,,चौहान से बोलो उसे मेरे लिये छोड़ दे बाकी उन्हें जो चाहिए वो ले ले,,,,,,,,,!!”
“और युवा नेता की कुर्सी ?”,यादव जी ने भी उठते हुए कहा
“मुन्ना के लिये एक कुर्सी क्या ऐसी 100 कुर्सियां कुर्बान है,,,,,,,,,,वो लड़का भा गया है मेरे दिल को , उसे तो मैं अपना बनाकर रहूंगी”,उर्वशी ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
यादव ने सुना तो मंद मंद मुस्कुराया और कहा,”मुझे भरोसा है उर्वशी कुर्सी और मनपसंद मर्द तुम अपने हाथ से नहीं जाने दोगी,,,,,,,,,,,मैं दो दिन बनारस में ही हूँ , अगर तुम्हारा इरादा बदले तो बताना”
“ठीक है,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने कहा और वहा से चली गयी।
उसके दिमाग में मुन्ना को लेकर कौनसी खिचड़ी पक रही थी ये तो सिर्फ उर्वशी ही जानती थी लेकिन यादव जी के सामने वह खुलेआम मुन्ना के लिये अपनी भावनाये जाहिर कर चुकी थी,,,,,,,,,,,,,और ये भावनाये उनके काम में रुकावट बनने वाली थी।
शिवम् का घर , बनारस
आई ने सारिका के लिये मुंग दाल के पकोड़े और हरी चटनी बनाई। उन्होंने प्लेट में सब रखा और लेकर बाहर आयी। सारिका डायनिंग के पास ही बैठी थी। बाबा ने देखा आज पकोड़े उनकी पत्नी ने बनाये है तो वे भी चले आये और कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”अरे वाह ! आज जे पकोड़े किस ख़ुशी में ?”
“ल्यो पकोड़ो का ख़ुशी से का कनेक्शन है ? अरे हमरी सारिका बिटिया को खाने थे तो हमहू बना दिए”,आई ने कहा
“थैंक्यू आई”,सारिका ने कहा
“थेंकु बाद में कहना पहिले खाकर बताओ कैसे बने है ?”,आई ने कहा
सारिका ने खाया और आई के हाथो को अपने होंठो से छूकर कहा,”बहुत टेस्टी बने है , ये स्वाद अभी तक हमारे हाथो में नहीं आया है।”
“अरे हमरे राज में तुमको सिखने की जरूरत भी नहीं हम बनाकर खिलाएंगे न,,,,,,,!!”,आई ने प्यार से सारिका को खिलाते हुए कहा और खुद भी वह आकर बैठ गयी। बातो बातो में आई ने बाबा को भी सारिका के वापस मुंबई जाने की बात बताई तो बाबा ने ख़ुशी ख़ुशी सारिका का समर्थन किया और ये देखकर तो सारिका की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मुन्ना शिवम् से मिलने घर आया था लेकिन शिवम् अपनी शुगर मील के सिलसिले में सारनाथ चला गया था। मुन्ना को देखते ही आई ने खुश होकर कहा,”अरे मुन्ना ! बहुते सही बख्त पर आये हो बबुआ , आओ बैठो पकोड़े खाओ”
“आई हम घर से नाश्ता करके आये है , लेकिन आपने बनाये है इसलिये हम ये एक खा लेते है।”,कहते हुए मुन्ना ने सारिका की प्लेट से एक पकोड़ा उठाया और खाकर कहा,”बहुत अच्छा बना है”
“थेंकु बिटवा,,,,,,,,,जे बताओ सगाई की तैयारियां हो गयी तुम्हरी पूरी ? अरे हमरी होने वाली छोटी बहू के लिये कुछो तोहफा खरीदे कि नाहीं ?”,आई ने हँसते हुए कहा तो मुन्ना झेंप गया। बेचारा मुन्ना उसने कभी अनु से गौरी के बारे में बात नहीं कि आई से भला ऐसी बातें क्या करता ?
मुन्ना को शरमाते देखकर सारिका ने कहा,”क्यों आई ? हमारा इतना लायक बेटा हम गौरी को दे रहे है इसके बाद भी क्या उसे तोहफे की जरूरत है ?”
“जे तो हम भूल ही गए , पर बिटवा आजकल का जमाना है बहुते फ़ास्ट,,,,,,,,,,अरे उह दिन और थे जब बिंदी के पत्ते और एक हाथ गजरे में लड़किया दिनभर फूली नहीं समाती थी,,,,,,,,,अब तो हर बात के तोहफे होते है।”,आई ने कहा
“जी आई”,मुन्ना ने कहा और सारिका की तरफ पलटकर कहा,”बड़ी माँ , बड़े पापा ने हमे घर बुलाया था , क्या उन्हें हम से कुछ काम था ?”
“हाँ वो शायद कल के बारे में तुम से बात करना चाह रहे होंगे , शिवम् जी चाहते थे एक बार तुम से मिलकर डिस्कस कर ले सगाई में क्या कैसे करना है ?”,सारिका ने कहा
“हमसे क्या डिस्कस करना जैसा आप सब को ठीक लगे,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
सारिका ने मुन्ना के गाल को अपनी हथेली से छुआ और प्यार से कहा,”मुन्ना सगाई तुम्हारी है या हमारी ? हम्म्म्म ,, तुम्हारी भी कुछ ख्वाहिश होगी ना परसो के दिन को लेकर इसलिए उन्होंने बुलाया था लेकिन फिर वो सारनाथ निकल गए। हम जानते है उनके सामने तो तुम कुछ कहोगे नहीं बस हाँ बड़े पापा , जी बड़े पापा , इसलिए कोई बात हो तो तुम हम से खुलकर कह सकते हो।”
“सारिका बिटिया बिल्कुल सही कह रही है , अच्छा हमहू चलते है”,आई ने उठते हुए कहा
“अरे तुम कहा जा रही हो ?”,बाबा ने पूछा
“बूटी पार्लर , उह का है अनु ने आज हमरे लिये भी अपनी बूटी पार्लर वाली को बुक किया है। हमको लेट नहीं होना हम चलते है”,कहते हुए आई वहा से चली गयी। सारिका मुन्ना और बाबा बस हैरानी से उन्हें देखते रह गए
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संजना किरोड़ीवाल
Yadav ji ne Urvasi ko bahut lalch diya ki voh unka kaam karre toh Urvasi ne unhe saaf mana kar diya yeah keh kar ki Munna ko chodkar kuch bi kaho voh karegi per Munna ko voh insab me nahi gasite gi aur Yadav ji itna toh samajh gaye ki Urvasi ka dil agaya hai Munna per…Gouri samajh gayi Kashi ko dekh kar ki voh kyu udaas hai usne usse samajhaya ki voh Shakti se baat karegi toh Kashi normol hogayi…Nishi aur Vansh ki dosti hogayi aur dono ne ek dusre se sry bi kaha apne pehle kiya bartav ke liye…Sarika ne Munna ko bataya ki Shivam ne usse kisliye bulaya..Ayi ki baat sunkar Baba, Munna aur Sarika hairon hue….interesting part Maam♥♥♥♥
Itni Shanti se Munna ki zindagi nhi chal sakti hai…ab usme Urvashi naam ki musibat jo aa gai…ab jamkar tandav hoga…
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Very👍👍👍