Main Teri Heer – 14
Main Teri Heer – 14
वंश को इस हाल में देखकर मुन्ना ने अपने कदम पीछे ले लिये और कमरे से बाहर निकल गया। निशि आँखों में गुस्सा लिये वंश को देखे जा रही थी। वंश निशि को देखकर डरते डरते हल्का सा मुस्कुराया। निशि ने अपने अगल बगल देखा उसे साइड टेबल पर रखा कॉफी मग दिखा उसने उसे उठाया और वंश की तरफ फेंकते हुए कहा,”मैं तुम्हे मार डालूंगी चिरकुट,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे पता भी है ये मेकअप किट कितना महंगा था,,,,,,,,,,,,,,,और तुमने सारी लिपस्टिक भी खराब कर दी,,,,,,,,मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं”
निशि ने जैसे ही वंश की तरफ मग फेंका वंश नीचे झुक गया जिस से मग खिड़की के बाहर चला गया।
“ए क्या कर रही हो ? पागल हो गयी हो क्या मुझे लग जायेगी,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने चिल्लाकर कहा
“अरे लगती है तो लग जाये , तुमने सब सत्यानाश कर दिया,,,,,,,,,,,,,इस मेकअप किट के लिये मैंने डेड से कितनी रिक्वेस्ट की थी तुम्हे तो मैं,,,,,,,,!!”,निशि ने गुस्से से कहा और बिस्तर पर पड़ा तकिया उठाकर वंश की तरफ फेंका जो कि सीधा आकर वंश को लगा
“आह ! तुम लड़की हो फुटबाल प्लेयर,,,,,,,,,,तुम्हारा निशाना कितना सही लगा है।”,वंश ने अपना मुंह सहलाते हुए कहा
निशि का चेहरा गुस्से से लाल हो गया वह वंश को इस गलती के लिये माफ़ करने के करने के मूड में तो बिल्कुल नहीं थी। उसने फिर इधर उधर देखा लेकिन अब वंश की तरफ फेंकने के लिये कुछ नहीं था तो वह खुद ही गुस्से में वंश की तरफ आयी लेकिन बेचारी निशि की किस्मत उसका पैर कालीन में फिसला और वह वंश को अपने साथ लेकर कमरे में रखे बीन बैग पर आ गिरी।
निशि वंश की बाँहो में थी और वंश बीन बैग पर , वह बस निशि की आँखों में देखे जा रहा था। निशि के यू करीब आकर वंश का दिल एकदम से धड़कने लगा। वह बस ख़ामोशी से निशि को देखता रहा और निशि जान लेने के इरादे से वंश को,,,,,,,,,,,,,,उसे जब होश आया कि वंश की बांहो में है तो उसने खींचकर एक मुक्का वंश के सीने पर मारते हुए कहा,”मुझ पे चांस मारना बंद करो तुम”
वंश पहले तो दर्द के कारण चिल्लाया और फिर एकदम ने निशि के दोनों हाथो की कलाई पकड़कर उसे बीन बैग पर पलटते हुए कहा,”और तुम्हे ये ग़लतफ़हमी क्यों है कि मैं तुम पर चांस मार रहा हूँ,,,,,,,,,,,,जो मेरा है उस पर क्या चांस मारना”
आखरी चंद शब्द वंश ने धीमे स्वर में बड़बड़ाते हुए कहा
“अह्ह्ह्हह छोडो मुझे,,,,,,,,!!”,निशि ने वंश की बाँहो में कसमकसाते हुए कहा
वंश को याद आया उसे किसी लड़की के साथ ऐसे पेश नहीं आना चाहिए इसलिए उसने जल्दी से निशि के हाथ छोड़े और उठकर साइड हो गया। निशि उठी और वंश के सामने आकर कहा,”तुम खुद को समझते क्या हो ? तुम्हे ये सब मजाक लगता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम खुद को बहुत स्मार्ट और बाकि सबको बेवकूफ समझते हो राईट,,,,,,,,,,,,,तुम लड़के हो न इसलिये तुम्हे नहीं पता ये कितना इम्पोर्टेन्ट था ,, समझ नहीं आता मुझे परेशान करके तुम्हे क्या मिलता है ?
मुन्ना भैया के कहने पर मैं यहाँ तुम से बात करने आयी थी लेकिन तुम , सच कहो तो तुम उस लायक ही नहीं हो,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह मैं ही पागल हूँ जो तुम्हे ये सब समझा रही हूँ”
“आई ऍम सॉरी,,,,,,,,,!!”,वंश ने अपने नाख़ून चबाते हुए कहा
निशि ने सुना तो हैरानी से वंश को देखने लगी और फिर उदास होकर कहा,”तुम्हारे सॉरी बोलने से ये सब ठीक नहीं हो जायेगा”
“तो मैं और क्या कर सकता हूँ ? तुम जो कहोगी मैं वो करूंगा,,,,,,,,!!”,वंश ने मासूम बनते हुए कहा
“पहले जाकर अपना मुँह धोकर आओ”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा क्योकि वंश के चेहरे पर लगा मेकअप उसे बार बार अपने बर्बाद हुए मेकअप किट की याद दिला रहा था। वंश छोटे बच्चे की तरह सर झूकाकर बाथरूम की तरफ चला गया और निशि अपने फैले हुए कमरे को देखने लगी।
काशी मुन्ना और गौरी की सगाई में पहनने के लिये एक बहुत ही सुन्दर रेडी टू वेयर साड़ी खरीद ली , शक्ति ने भी अपने लिये कुछ कपडे लिये साथ ही मुन्ना और गौरी के लिये तोहफा भी खरीद लिया। ढेर सारी शॉपिंग के बाद तीनो मॉल से बाहर आये तो देखा अन्धेरा हो चुका है। गौरी अपनी स्कूटी से वहा आयी थी इसलिये उसने शक्ति और काशी को बाय कहा और वहा से चली गयी।
शक्ति काशी के साथ गाड़ी में आ बैठा और उसे घर छोड़ने के लिए निकल गया। गाड़ी में फैली खामोशी को तोड़ने के लिये शक्ति ने गाडी का म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया। काशी ने सुना तो उसने मुस्कुरा कर शक्ति की बांह थामी और अपना सर शक्ति के कंधे से लगाते हुए कहा,”गौरी अपनी सगाई को लेकर कितना एक्साइटेड है ना ?”
“हां , हमारी सगाई पर तुम नहीं थी क्या ?”,शक्ति ने सवाल किया
“शक्ति हमारी सगाई तो हमे जिंदगीभर याद रहेगी , कितनी मुश्किलों के बाद पापा ने तुम्हे स्वीकार किया था और हमारी सगाई के लिये माने थे। घर में तुम्हे सब पसंद करते है शक्ति,,और सबसे ज्यादा हम”,काशी ने शक्ति की बाँह थामे अपनी ठुड्डी उसकी बांह से लगाकर कहा
शक्ति ने अपने दूसरे हाथ से काशी का सर सहलाया और कहा,”शायद सब हमे पसंद नहीं करते काशी”
“ऐसा क्यों लगा तुम्हे ? किसी ने तुम से कुछ कहा क्या शक्ति ?”,काशी ने शक्ति से दूर होकर उदासी भरे स्वर में कहा
“हमे लगता है वंश हमे ज्यादा पसंद नहीं करता , जितना हम उसे समझ पाये है उसे लगता है हम उसकी बहन के लिये सही चॉइस नहीं है।”,शक्ति ने थोड़ा गंभीरता से कहा
“नहीं शक्ति ऐसा नहीं है , वंश भैया भी तुम्हे पसंद करते है,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“अरे ! तुम उदास क्यों हो गयी ? हम बस ये कह रहे हमे ऐसा लगता है हो सकता है हम गलत सोच रहे हो और फिर हमारी वंश से कभी ज्यादा बात भी तो नहीं हुई है।”,शक्ति ने कहा
“कोई बात नहीं मुन्ना और गौरी की सगाई में वंश भैया भी आएंगे तो इस बार तुम उसके साथ ज्यादा वक्त बिताना , फिर देखना वंश भैया तुम्हे बहुत पसंद आएंगे”,काशी ने खुश होकर कहा
“फ़िलहाल तो हमे तुम्हारे ये बाँये गाल का तिल पसंद आ रहा है , इजाजत हो तो,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी की तरफ देखकर शरारत से कहा
काशी ने सुना तो उसका दिल धड़क उठा और उसने कहा,”श्श्श कैसी बातें कर रहे हो ?”
“अरे अपनी होनेवाली वाइफ की तारीफ करना गलत है क्या ? तुम भी ना काशी जब देखो तब बस रोमांटिक होने के बारे में सोचती रहती हो,,,,,,!!”,शक्ति ने काशी को छेड़ते हुए कहा
शक्ति अभी काशी से बात कर ही रहा था कि तभी एक गाड़ी तेजी से शक्ति की गाड़ी के बगल से निकली और शक्ति को एकदम से ब्रेक लगाना पड़ा।
काशी का सर डेशबोर्ड से टकराते टकराते बचा शक्ति गाड़ी का दरवाजा खोलकर नीचे उतरा और जोर से चिल्लाकर कहा,”अबे ओये ! मरना है क्या ?”
शक्ति ने देखा जो गाड़ी स्पीड में गयी थी उसी स्पीड में वापस आयी और शक्ति के बगल से निकलकर पास ही डिवाइडर से जोर से टकराई। गाडी के परखच्चे उड़ गए। शक्ति जहा खड़ा था वही खड़ा रह गया। ये देखकर काशी ने अपने हाथो को अपने कानो पर रखा और डरकर चिल्लाई
शक्ति गाड़ी में आया और कहा,”काशी , काशी कुछ नहीं हुआ है , घबराओ मत शांत हो जाओ , शायद कोई शराब पीकर गाडी चला रहा था , हम देखकर आते है,,,,,,,,,,तुम यही रुको”
“शक्ति,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने घबराये हुए स्वर में कहा
“काशी रिलेक्स,,,,,,,हम आते है”,शक्ति ने कहा और गाड़ी का दरवाजा बंद कर गाड़ी की तरफ आया जो डिवाइडर से टकराई थी।
शक्ति ड्राइवर सीट की तरफ आया तो देखा 25-26 साल का लड़का लहू लुहान वहा फंसा हुआ था। शक्ति ने देखा वो ज़िंदा था और उसकी सांसे चल रही थी। शक्ति ने एम्बुलेंस को फोन किया और साथ ही पुलिस स्टेशन भी,,,,,,,,,,,,,,,जब तक एम्बुलेंस आयी शक्ति ने लड़के को बाहर निकाला और डिवाइडर के साइड में ले आया। लड़का बेहोश हो चुका था और उसके सर से खून बह रहा था। शक्ति ने जेब से रुमाल निकाला और लड़के के सर पर रखकर खून बहने से रोकने की नाकाम कोशिश करने लगा।
कुछ देर एम्बुलेंस वहा पहुंची शक्ति ने लड़के को तुरंत हॉस्पिटल ले जाने को कहा। पुलिस की एक जीप वहा आयी। इंस्पेकटर और कुछ कॉन्स्टेबल शक्ति के सामने आये और उसे सेल्यूट किया तो शक्ति ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कॉन्स्टेबल से कहा,”कॉन्स्टेबल , गाडी की तलाशी लो और देखो उसमे कुछ मिलता है क्या ?”
“ओके सर,,,,,,,,!!”,कहकर कॉन्स्टेबल अपने साथियो के साथ गाड़ी की तरफ चला गया।
“इंस्पेक्टर पंकज , आप मुझे सिटी हॉस्पिटल मिलिए मैं आपसे वही मिलता हूँ। गाड़ी और गाड़ी चलाने वाले की डिटेल्स हमे चाहिए”,कहकर शक्ति अपनी गाड़ी की तरफ चला गया
शक्ति ने देखा काशी अभी भी घबराई हुई है तो उसने गाड़ी में रखा पानी का बोतल उठाया और काशी की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”रिलेक्स काशी वो बस एक एक्सीडेंट था , स्पीड में चलाने की वजह से गाड़ी उस से कंट्रोल नहीं हई और ये हादसा हो गया,,,,,,,,,,जस्ट रिलेक्स , हम तुम्हे घर छोड़ देते है फिर हमे हॉस्पिटल जाना होगा”
“हम्म्म्म,,,,,,!!”,काशी ने कहा और शक्ति गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया
मुरारी तैयार होकर घाट पहुंचा। बनारस में रहने वाले मुरारी के कुछ पुराने दोस्त घाट के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे। मुरारी उनके साथ हँसते बातें करते सीढ़ियों से नीचे चला आया। रास्ते में जो भी मिलता मुरारी को नमस्ते जरूर कहता और मुरारी भी सहजता से तो कभी मुस्कुराकर सबकी नमस्ते का जवाब देता। सभी नीचे चले आये मुरारी ने देखा घाट के बगल वाले चौपाल पर बढ़िया रंगमंच का प्रोग्राम जारी था।
“अरे जे का भौकाल चल रहा है बनारस मा ? हम तो साला पहली बार देखे है,,,,,,,,,,,पहिले तो ना होता था जे सब”,मुरारी ने कहा
“अरे मुरारी तुमको फुर्सत ही कहा है ? पहिले बिधायकी में घुसे रहे फिर गृहस्थी में रम गए,,,,,,,,,,,,सादी के बाद खुद के लिये वक्त कब निकाले हो तुम ?”,मुरारी के दोस्त रामभद्र ने कहा
” इहलिये जे पिरोगराम देखने ही तो बुलाये है तुमको,,,,,,,,,,,,बिजली का नाम सुने हो ?”,मुरारी के दूसरे दोस्त मोहनलाल ने कहा
“नाम तो सुना सुना लग रहा है,,,,,,,,,,,वैसे इह बिजली है कौन ?”,मुरारी ने कहा
“अरे बहुते बवाल चीज है मिश्रा , तुम देखी हो तो तबियत खुश हो जाही है तुम्हारी,,,,,,,,,अरे का नजर है , का कमर है , पूरा बनारसी पान लगती है।”,रामभद्रा ने आहे भरते हुए कहा
“अरे भैया जब से सादी हुई है हमने पान खाना ही छोड़ दिया है,,,,,,,,,,,,हमको माफ़ करो भैया तुम्हरे जे पिरोगराम का हिस्सा हम ना बने है”,मुरारी ने हाथ जोड़ते हुए कहा
“काहे नहीं बने हो ? साले तुम्हरी ख़ातिर तो हमहू 500 वाला टिकट लिए है और अब तुम्ही नहीं आ रहे,,,,,,,,,,,,,का मिश्रा जवानी ठंडी पड़ गयी तुम्हरी ?”,रामभद्रा ने मुरारी को ताना मारते हुए कहा
“अरे नहीं नहीं भद्रा लगता है भौजी के डर से मना कर रहे है मुरारी भैया,,,,,,,,,,,,का भैया सही कह रहे है न ?”,मोहन ने कहा
अब देखो शादीशुदा आदमी भले सच में अपनी बीवी से डरता हो लेकिन जब कोई उसको ये बात पब्लिकली कहे तो उसका शेर बनना लाजमी है। मुरारी भैया भी मोहन की बात सुनकर फ़ैल गए और चौड़ में आकर कहा,”का कहे मोहनवा ? हम तुम्हरी भौजी से डरते है,,,,,,,,,का पगला गए हो का ?”
“अगर नहीं डरते तो फिर चलो देखो हमरे साथ बिजली का पिरोगराम,,,,,,,,,,हम भी तो देखे बनारस के साथ साथ तुम्हारा भौकाल भौजी के सामने भी है या नहीं ?”
मुरारी ने सुना तो बेचारा सोच में पड़ गया क्योकि जब से मुरारी ने विधायकी छोड़ी थी वह किसी ना किसी समस्या में जरूर पड़ता था अब वह चाहे उर्वशी का डेढ़ लाख वाला हार हो या राह चलते चोर की मदद करना हो। मुरारी को सोच में डूबा देखकर रामभद्रा ने कहा,”अरे छोडो मोहनवा इह ना जाही है चलो हम चलते है”
“हम जायेंगे,,,,,,,,चलो”,मुरारी ने जोश में आकर कहा
“ये हुई ना बात , मोहनवा तुम जाकर बंदोबस्त ले आओ ,, हम और मुरारी चलकर बैठते है।”,रामभद्रा ने कहा
“बंदोबस्त ? कैसा बंदोबस्त ?”,मुरारी ने पूछा
“अरे कुछो नहीं मुरारी भैया बस उह ज़रा ठंडाई लेकर आ रहे है , अब सूखे सूखे ना थोड़े देखेंगे बिजली का पिरोगराम,,,,,,,,,!!”,मोहन ने कहा और चला गया
“साला बिजली ना हो गयी बनारस का मक्खन मलइयो हो गवा सभी पीछे पड़े है हम भी तो देखे आखिर जे बिजली चीज का है ?”,कहते हुए मुरारी आगे बढ़ गया
अस्सी घाट के बाहर आकर शिवम् ने बाइक साइड में लगाई और सारिका के साथ अंदर चला आया। गंगा आरती शुरू होने वाली थी। शिवम् अब बनारस का जाना माना नाम था इसलिये उसे देखते ही सब उसे नमस्ते करने लगे। समिति का लड़का आया और शिवम् सारिका के लिये कुर्सी लगाने लगा। शिवम् ने उसे रोक दिया और भीड़ के साथ सीढ़ियों पर आकर बैठ गया।
सारिका ने शिवम् की तरफ देखा तो शिवम् ने कहा,”हम जानते है आपके मन में क्या चल रहा है लेकिन आज हम यहाँ शिवम् गुप्ता नहीं बल्कि शिवा बनकर आये है , शिवा जो बनारस की मिटटी से जुड़ा है।”
सारिका ने सुना तो प्यारभरी नजरो से एकटक शिवम् को देखने लगी। आज सारिका को शिवम् का एक अलग ही रंग देखने को मिला था
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संजना किरोड़ीवाल
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Sanjana Kirodiwal
मैं कोई Writer नहीं , बल्कि एक चोर हु जो लोगो का समय चुराती है !
Murari Anu se itna darda hai fir bi apni harkate se baaz nahi ayega…Kashi gabra kayi usse accident ko dekh kar….Vansh ki harkate dekh kar Munna Nishi aur uske uske room me chod kar bahar agaya…interesting part Maam♥♥♥♥
Very nice part
Very nice👍👍👏👏👏😊